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रीडिंग और स्टडी के लिए समय निकालिए

रीडिंग और स्टडी के लिए समय निकालिए

रीडिंग और स्टडी के लिए समय निकालिए

“अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।”—इफिसियों 5:16.

1. अपने कामों के लिए समय तय करना क्यों बुद्धिमानी की बात है, और हम जिस काम में ज़्यादा समय बिताते हैं, इससे हमारे बारे में क्या ज़ाहिर होता है?

 कहा जाता है, “शॆड्यूल बनाओ, समय बचाओ।” जो व्यक्‍ति अपना हर काम करने के लिए समय तय करता है, वह अपना ढेर सारा काम कम समय में खत्म कर लेता है। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा: “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है।” (सभोपदेशक 3:1) हर किसी के पास एक दिन में 24 घंटे होते हैं, और यह एक व्यक्‍ति पर निर्भर करता है कि वह उस समय का इस्तेमाल कैसे करता है। जब हम किसी काम को पहले स्थान पर रखते हैं और उसमें सबसे ज़्यादा समय बिताते हैं तो इससे यही पता चलता है कि वह काम हमें सबसे ज़्यादा पसंद है।—मत्ती 6:21.

2. (क) पहाड़ पर उपदेश देते वक्‍त यीशु ने हमारी आध्यात्मिक ज़रूरत के बारे में क्या कहा? (ख) हमें किस बारे में अपनी जाँच करनी चाहिए?

2 हमें खाने-पीने और सोने में अपना समय बिताना ही पड़ता है क्योंकि यह हमारे शरीर की माँग है। मगर हमारी आध्यात्मिक ज़रूरतों के बारे में क्या? हमें मालूम है कि इन्हें पूरा करना भी ज़रूरी है। यीशु ने पहाड़ पर दिए गए अपने उपदेश में कहा: “धन्य हैं वे, जो मन के दीन [जो आध्यात्मिक बातों के लिए भूखे-प्यासे] हैं।” (मत्ती 5:3) इसी वजह से “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” हमें बार-बार याद दिलाता है कि बाइबल पढ़ने और स्टडी करने में समय बिताना हमारे लिए कितना ज़रूरी है। (मत्ती 24:45) आपको शायद बाइबल पढ़ने और स्टडी करने की अहमियत का एहसास हो। मगर शायद आपको लगता हो कि ऐसा करने के लिए आपके पास बिलकुल भी फुरसत नहीं है। अगर आपको ऐसा लगता है, तो आइए हम कुछ ऐसे तरीकों के बारे में देखें जिनसे हम अपनी ज़िंदगी में परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने, उस पर मनन करने, और पर्सनल स्टडी करने के लिए भी समय निकाल सकते हैं।

बाइबल पढ़ने और स्टडी करने के लिए समय निकालना

3, 4. (क) प्रेरित पौलुस ने समय के इस्तेमाल के बारे में क्या सलाह दी और इसमें क्या शामिल है? (ख) जब पौलुस ने हमें ‘अपने लिए अवसर को बहुमोल समझने’ की सलाह दी, तो उसका क्या मतलब था?

3 आज के अंतिम समय को मद्देनज़र रखते हुए, हम सबको प्रेरित पौलुस के इन शब्दों को ध्यान में रखना चाहिए: “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है।” (इफिसियों 5:15-17) जी हाँ, यह सलाह हम समर्पित मसीहियों की ज़िंदगी के हर काम पर लागू होती है और इसमें प्रार्थना करने, स्टडी करने, मीटिंग जाने और ‘राज्य के सुसमाचार’ का प्रचार करने में पूरा हिस्सा लेने के लिए समय निकालना शामिल है।—मत्ती 24:14; 28:19, 20.

4 आज यहोवा के कई सेवकों को अपनी व्यस्त ज़िंदगी में बाइबल रीडिंग और गहराई से स्टडी करने के लिए समय निकालना बहुत मुश्‍किल लगता है। यह तो ज़ाहिर है कि हमारे पास जो 24 घंटे हैं, उनमें हम एक घंटा भी और बढ़ा नहीं सकते, सो यकीनन पौलुस की ‘अवसर को बहुमोल समझने’ की सलाह का कुछ और ही मतलब है। यूनानी में, इन शब्दों का मतलब है, किसी और चीज़ के बदले में कुछ खरीदना। अपनी एक्सपॉसिटरी डिक्शनरी में, डब्ल्यू. ई. वाइन इसका मतलब बताते हैं, “हर मौके का पूरा-पूरा फायदा उठाना, और हर स्थिति में फायदा पाने की कोशिश करना, क्योंकि एक बार समय हाथ से निकल जाए तो वह कभी वापस नहीं आता।” तो फिर, बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने के लिए हम किन कामों से समय खरीद या मोल ले सकते हैं?

हमें ज़्यादा ज़रूरी कामों को तय करना होगा

5. हमें क्यों ‘उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानना’ चाहिए और यह हम कैसे कर सकते हैं?

5 अपनी नौकरी वगैरह की ज़िम्मेदारी के अलावा हमें परमेश्‍वर की सेवा में कई काम करने होते हैं। यहोवा के समर्पित सेवक होने के नाते, हमें “प्रभु के काम में सर्वदा” बहुत काम रहता है। (1 कुरिन्थियों 15:58) इसी वजह से पौलुस ने फिलिप्पी के मसीहियों को “उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय” समझने के लिए कहा। (फिलिप्पियों 1:10) इसका मतलब यही होगा कि हमें अपने सबसे ज़रूरी कामों को ज़्यादा अहमियत देने की ज़रूरत है। और हमें भौतिक कामों से बढ़कर आध्यात्मिक कामों को पहला दर्जा देना चाहिए। (मत्ती 6:31-33) लेकिन, अपनी आध्यात्मिक ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में भी हमें संतुलन बनाए रखना चाहिए। ‘उत्तम से उत्तम बातों’ में पर्सनल स्टडी और बाइबल रीडिंग भी आती हैं। मगर, हम अलग-अलग मसीही कामों में कितना समय बिताते हैं? इस बारे में ट्रैवलिंग ओवरसियर रिपोर्ट करते हैं कि ज़्यादातर मसीही पर्सनल स्टडी और बाइबल रीडिंग नहीं करते हैं।

6. जब नौकरी या घर के काम की बात होती है, तो समय को बहुमोल समझने में क्या-क्या शामिल है?

6 जैसे कि हमने देखा, समय को बहुमोल समझने में, “हर मौके का पूरा-पूरा फायदा उठाना,” और “हर स्थिति में फायदा पाने की कोशिश करना” शामिल है। सो अगर हमें बाइबल रीडिंग और स्टडी की आदत नहीं है तो यह अच्छा होगा कि हम खुद अपनी जाँच करके देखें कि हम अपना समय कहाँ-कहाँ बिताते हैं। अगर हमारी नौकरी ऐसी है जिसकी वजह से हमारा बहुत वक्‍त ज़ाया होता है, और हम बहुत थक जाते हैं तो हमें इसके बारे में यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। (भजन 55:22) शायद थोड़ी फेर-बदल करने से हमारे पास यहोवा की उपासना में उत्तम से उत्तम बातों के लिए ज़्यादा समय मिल जाए। सच ही कहा जाता है कि एक स्त्री का काम कभी खत्म नहीं होता। सो मसीही बहनों को भी अपने कामों को अहमियत के मुताबिक तय करना चाहिए और बाइबल रीडिंग और गहरे अध्ययन के लिए खास समय निकालना चाहिए।

7, 8. (क) किन कामों को कम करने से हम रीडिंग और स्टडी के लिए समय निकाल सकते हैं? (ख) हम मन-बहलाव क्यों करते हैं, और इस कारण को ध्यान में रखने से हमें अपने कामों को सही दर्जा देने में कैसे मदद मिलेगी?

7 वैसे देखा जाए तो, हममें से ज़्यादातर लोग अपने गैर-ज़रूरी कामों को कम करके स्टडी के लिए समय निकाल सकते हैं। इसके लिए हम खुद से ऐसे सवाल पूछ सकते हैं, ‘मैं पत्रिकाएँ या अखबार पढ़ने में, टीवी देखने में, संगीत सुनने में या वीडियो गेम्स खेलने में कितना समय बिताता हूँ? क्या मैं बाइबल पढ़ने में समय बिताने से ज़्यादा कंप्यूटर के सामने समय बिताता हूँ?’ पौलुस कहता है: “निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है?” (इफिसियों 5:17) कई साक्षी टीवी के सामने हद-से-ज़्यादा समय बिताते हैं। शायद इसी वजह से, वे पर्सनल स्टडी और बाइबल रीडिंग के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।—भजन 101:3; 119:37, 47, 48.

8 कुछ लोग शायद कहें कि वे दिन भर बस अध्ययन ही करते नहीं रह सकते, उन्हें मन-बहलाव की भी ज़रूरत होती है। हाँलाकि यह सच है, मगर हमें इस बात पर विचार करना होगा कि हम मन-बहलाव में कितना समय लगाते हैं और बाइबल रीडिंग या स्टडी करने में कितना समय बिताते हैं। और असलियत जानकर शायद हम हैरान रह जाएँ। हालाँकि मन-बहलाव और आराम करना ज़रूरी है, मगर उन्हें हद-से-ज़्यादा अहमियत नहीं दी जानी चाहिए। हम मन-बहलाव या आराम इसलिए करते हैं ताकि हम तरो-ताज़ा महसूस कर सकें और आध्यात्मिक काम करने के लिए हमें स्फूर्ति मिल सकें। टीवी के कई कार्यक्रम और वीडियो गेम्स ऐसे हैं जिनसे व्यक्‍ति बहुत थक जाता है, मगर परमेश्‍वर का वचन पढ़ने और उसका अध्ययन करने से व्यक्‍ति ताज़गी महसूस करता है और उसमें स्फूर्ति आ जाती है।—भजन 19:7, 8.

कुछ लोगों ने इस तरह स्टडी के लिए समय निकाला

9. प्रतिदिन शास्त्रवचनों की जाँच करना—1999 बुकलेट में दी गयी सलाह को मानने से क्या फायदे होंगे?

9 सन्‌ 1999 की बुकलेट, प्रतिदिन शास्त्रवचनों की जाँच करना की प्रस्तावना में यह लिखा है: “इस पुस्तिका से सुबह के वक्‍त दैनिक पाठ और टिप्पणी की चर्चा करना बहुत ही फायदेमंद होगा। आप ऐसा महसूस करेंगे, मानो महान उपदेशक, यहोवा आपको अपना उपदेश सुनाकर जगा रहा है। यीशु मसीह के बारे में एक भविष्यवाणी कहती है कि वह हर सुबह यहोवा के उपदेश से फायदा उठाता है: ‘भोर को वह [यहोवा] नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं।’ ऐसे उपदेश ने यीशु को ‘सीखनेवालों की जीभ’ दी है ताकि वह ‘थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना’ जाने। (यशा. 30:20; 50:4; मत्ती 11:28-30) परमेश्‍वर के वचन से समय पर मिलनेवाली सलाह को हर सुबह सुनने से आप न केवल अपनी समस्याओं से निपट सकेंगे बल्कि दूसरों की मदद करने के लिए ‘सीखनेवालों की जीभ’ भी पाएँगे।” *

10. कुछ लोग बाइबल रीडिंग और स्टडी करने के लिए किस तरह समय निकालते हैं और उन्हें इससे क्या फायदा हुआ है?

10 कई मसीही इस सलाह को मानते हैं और हर सुबह इस बुकलेट में दिए गए शास्त्रवचन और पैराग्राफ पढ़ते हैं। इसके साथ-साथ वे बाइबल की रीडिंग या स्टडी भी करते हैं। फ्रांस में एक पायनियर हर सुबह जल्दी उठती है और 30 मिनट तक बाइबल पढ़ती है। किस बात ने उसे सालों से ऐसा करते रहने में मदद दी है? वे कहती हैं: “बाइबल रीडिंग करने की मैंने ठान ली थी। और चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए, मैं अपनी रीडिंग करके ही रहती हूँ!” इसी तरह, चाहे हम अपनी रीडिंग करने के लिए कोई भी समय क्यों न चुने, ज़रूरी है कि हम अपने शॆड्यूल के मुताबिक हर दिन रीडिंग ज़रूर करें। रॆने मीका 40 सालों से यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में पायनियरिंग कर रही है। वे कहती हैं: “सन्‌ 1950 में मैंने एक लक्ष्य रखा था कि मैं हर साल पूरी-की-पूरी बाइबल पढ़ूँगी और आज तक मैं लगभग 49 बार पूरी बाइबल पढ़ चुकी हूँ। मुझे लगता है कि यहोवा के साथ अपने नज़दीकी रिश्‍ते को बनाए रखने के लिए यह बहुत ज़रूरी है। परमेश्‍वर के वचन पर मनन करने से मुझे यहोवा के न्याय और इसी तरह के उसके दूसरे गुणों के बारे अच्छी तरह समझने में मदद मिलती है और इससे मेरा विश्‍वास बहुत मज़बूत हुआ है।” *

“ठीक समय पर भोजन-सामग्री”

11, 12. (क) ‘विश्‍वासयोग्य भण्डारी’ ने कौन-सा आध्यात्मिक “भोजन-सामग्री” हमें दिया है? (ख) किस तरह से सही समय पर “भोजन-सामग्री” दी जाती है?

11 जब हम हर रोज़ और ठीक समय पर भोजन करते हैं, तो हमारी सेहत अच्छी रहती है। उसी तरह जब हम अपने शॆड्यूल के मुताबिक लगातार बाइबल पढ़ेंगे और अध्ययन करेंगे तो हमारी आध्यात्मिक सेहत भी अच्छी बनी रहेगी। लूका की किताब में यीशु के ये शब्द दिए हैं: “ऐसा विश्‍वासयोग्य और समझदार भण्डारी कौन है जिसे उसका स्वामी अपने सेवकों के ऊपर अधिकारी नियुक्‍त करे कि वह उन्हें ठीक समय पर भोजन-सामग्री दे?” (लूका 12:42, NHT) करीब 120 सालों से हम तक ‘ठीक समय पर आध्यात्मिक भोजन-सामग्री’ प्रहरीदुर्ग और बाइबल पर आधारित दूसरी किताबों के ज़रिए पहुँच रही है।

12 “ठीक समय पर,” इन शब्दों पर गौर कीजिए। सही समय पर हमारे ‘महान उपदेशक,’ यहोवा ने अपने बेटे, और दास वर्ग के ज़रिए, मसीही-शिक्षाओं और आचरण के मामलों में अपने लोगों को मार्गदर्शन दिया है। और यह ऐसा है मानो हम सबने मिलकर एक आवाज़ सुनी हो जो हमसे कहती है: “जब कभी तुम दहिनी वा बाई ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।” (यशायाह 30:20, 21) और तो और, जो लोग लगातार बाइबल और बाइबल पर आधारित दूसरी किताबें बड़े ध्यान से पढ़ते हैं, उन्हें कई बार ऐसा महसूस हुआ है मानो उन किताबों में लिखी गयी बातें खासकर उन्हीं के लिए लिखीं गयी हैं। जी हाँ, परमेश्‍वर की तरफ से सलाह और मार्गदर्शन हमें सही समय पर ज़रूर मिलेंगे जिससे हम शैतान के फँदों को ठुकरा सकते हैं और सही फैसले कर सकते हैं।

अच्छी तरह से भोजन करना सीखिए

13. कौन-सी आदतों से पता चलता है कि व्यक्‍ति अच्छी तरह और समय पर आध्यात्मिक भोजन नहीं कर रहा?

13 ठीक समय पर दिए जानेवाले “भोजन-सामग्री” से पूरा-पूरा फायदा उठाने के लिए, हमें अच्छी तरह भोजन करने की आदत होनी चाहिए। इसके लिए पर्सनल स्टडी और बाइबल पढ़ने के लिए शॆड्यूल बनाना और उस पर अमल करना बहुत ज़रूरी है। क्या आप अच्छी तरह से आध्यात्मिक भोजन करते हैं और नियमित रूप से गहरा अध्ययन करने के लिए समय निकालते हैं? या क्या आप इतनी मेहनत से तैयार की गयी किताबों और पत्रिकाओं पर बस सरसरी नज़र डालते हैं, मानो आप भागते-भागते या हड़बड़ी में खा रहे हों, या कभी-कभार कुछ खाते ही नहीं? अगर व्यक्‍ति आध्यात्मिक रूप से अच्छी तरह भोजन न करे तो वह आगे जाकर विश्‍वास में कमज़ोर पड़ जाएगा या फिर उसका विश्‍वास पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।—1 तीमुथियुस 1:19; 4:15, 16.

14. ऐसे लेखों को भी ध्यान से क्यों पढ़ना फायदेमंद है जिनके विषय पर पहले कई लेख छप चुके हैं?

14 कुछ लोगों को शायद लगे कि उन्हें तो बाइबल की मूल शिक्षाएँ मालूम हैं और हर लेख में हमेशा तो नयी बातें नहीं दी जातीं। इसलिए, वे स्टडी के लिए शॆड्यूल बनाना और लगातार मीटिंगों में हाज़िर होना ज़रूरी नहीं समझते। मगर, बाइबल बताती है कि जो बातें हमने सीखी हैं, उन्हें बार-बार याद दिलाए जाने की ज़रूरत है। (भजन 119:95, 99; 2 पतरस 3:1; यहूदा 5) ठीक जैसे एक अच्छा बावर्ची एक ही चीज़ से अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट भोजन तैयार करता है, उसी तरह से दास वर्ग भी हमारे लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक आध्यात्मिक भोजन अलग-अलग तरीके से तैयार करता है। ऐसे विषय जिन पर पहले भी कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं, मगर जब उन पर दुबारा कोई लेख आता है तो उसमें नए खास मुद्दे दिए होते हैं जिन्हें हम ज़रूर पढ़ना चाहेंगे। उन मुद्दों को हम किस हद तक ढूंढ़ पाते और समझ पाते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि हमने उस लेख का अध्ययन करने में कितना समय और मेहनत लगायी है।

पढ़ने और अध्ययन करने से मिलनेवाले आध्यात्मिक लाभ

15. बाइबल को पढ़ने और उसका अध्ययन करने से हम कैसे परमेश्‍वर के वचन के बेहतर सेवक बन सकते हैं?

15 बाइबल को पढ़ने और उसका अध्ययन करने से हमें बेहिसाब फायदे होते हैं। ऐसा करने से हमें अपनी एक खास मसीही ज़िम्मेदारी को पूरा करने में मदद मिलती है कि हम ‘ऐसा काम करनेवाले ठहर सकें, जो लज्जित नहीं होता, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता है।’ (2 तीमुथियुस 2:15) जितना ज़्यादा हम बाइबल को पढ़ते और अध्ययन करते हैं, उतना ज़्यादा हमारा मन परमेश्‍वर के विचारों से भर जाएगा। फिर, पौलुस की तरह हम भी ‘पवित्र शास्त्रों से लोगों के साथ विवाद [तर्क] कर सकते हैं। और उन का अर्थ’ यानी यहोवा के उद्देश्‍यों की सच्चाई को ‘खोल खोलकर समझा सकते हैं।’ (प्रेरितों 17:2, 3) हमारी सिखाने की कला निखर जाएगी और हमारी बातचीत, भाषण और सलाह से दूसरों को हौसला मिलेगा।—नीतिवचन 1:5.

16. बाइबल को पढ़ने और अध्ययन करने से हमें क्या फायदे होते हैं?

16 इतना ही नहीं, हम परमेश्‍वर के वचन की जाँच करने में जितना ज़्यादा समय बिताते हैं, उतना ही ज़्यादा हम अपनी ज़िंदगी को यहोवा की आज्ञाओं के मुताबिक चला पाएँगे। (भजन 25:4; 119:9, 10; नीतिवचन 6:20-23) इससे नम्रता, खुशी और वफादारी जैसे आध्यात्मिक गुण हमारे अंदर और ज़्यादा बढ़ जाएँगे। (व्यवस्थाविवरण 17:19, 20; प्रकाशितवाक्य 1:3) जब हम उस ज्ञान पर अमल करते हैं जो हमें बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने से मिलता है, तो हम यहोवा की आत्मा को अपने अंदर काम करते हुए महसूस करते हैं। और इससे हमारे सभी कामों में आत्मा के फल भी दिखायी देंगे।—गलतियों 5:22, 23.

17. हम बाइबल रीडिंग और स्टडी करने में जितना समय और मेहनत लगाते हैं, उसका असर यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते पर कैसे होता है?

17 सबसे ज़रूरी बात तो यह है कि परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने और अध्ययन करने के लिए हम जितना समय दूसरे कामों से मोल लेते हैं, उससे हमारा ही फायदा होगा। इससे परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है। पौलुस ने प्रार्थना की कि उसके संगी मसीही “आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्‍वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो [जाएँ]। ताकि [उनका] चाल-चलन [यहोवा] के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्‍न हो।” (कुलुस्सियों 1:9, 10) उसी तरह, अगर हम चाहते हैं कि हमारा ‘चाल-चलन भी यहोवा के योग्य हो,’ तो हमें भी “आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्‍वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो[ना]” चाहिए। सो, यहोवा की आशीष और रज़ामंदी पाना काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि हम बाइबल रीडिंग और स्टडी करने में कितना समय और कितनी मेहनत लगाते हैं।

18. अगर हम यूहन्‍ना 17:3 में दी गयी सलाह के अनुसार काम करते हैं तो हमें कौन-सी आशीषें मिलेंगी?

18 “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्‍ना 17:3) नए लोगों को परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने की अहमियत समझाने के लिए यहोवा के साक्षी इस आयत को बहुत इस्तेमाल करते हैं। यह बात जितनी ज़रूरी नए लोगों के लिए है, उतनी ही ज़रूरी हमारे लिए भी है। यहोवा और उसके बेटे, यीशु मसीह के ज्ञान में बढ़ते जाने पर ही हमारी अनंत जीवन की आशा टिकी हुई है। ज़रा सोचिए कि हमेशा-हमेशा जीने का मतलब यही होगा कि हम हमेशा-हमेशा के लिए यहोवा के बारे में ज्ञान लेते रह सकते हैं!—सभोपदेशक 3:11; रोमियों 11:33.

[फुटनोट]

^ वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

^ मई 1, 1995 की प्रहरीदुर्ग के पेज 20-1 में दिया गया लेख “वे इसे कब पढ़ते हैं और वे कैसे लाभ प्राप्त करते हैं” देखिए।

इन सवालों को फिर से देखें

• हम किसी काम में जितना समय बिताते हैं उससे हमारे बारे में क्या ज़ाहिर होता है?

• किन कामों को कम करने से हम बाइबल रीडिंग और स्टडी के लिए समय निकाल सकते हैं?

• हमें आध्यात्मिक भोजन करने की अपनी आदत की जाँच क्यों करते रहना चाहिए?

• बाइबल को पढ़ने और स्टडी करने से कौन-कौन-से फायदे मिलते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 20, 21 पर तसवीरें]

हमेशा बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने से हम “सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में” ला सकेंगे

[पेज 23 पर तसवीरें]

अपनी व्यस्त ज़िंदगी में, दूसरे कामों से समय मोल लेकर उसे आध्यात्मिक कामों में लगाने से हमें बहुत फायदे होंगे