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यहोवा थके हुए को बल देता है

यहोवा थके हुए को बल देता है

यहोवा थके हुए को बल देता है

[यहोवा] थके हुए को बल देता है और शक्‍तिहीन को बहुत सामर्थ देता है।”यशायाह 40:29.

1. परमेश्‍वर द्वारा बनायी हुई चीज़ों की ऊर्जा की मिसाल दीजिए।

 यहोवा के पास इतनी शक्‍ति है जिसका हम अंदाज़ा तक नहीं लगा सकते। उसकी अपार शक्‍ति का सबूत हम उसकी बनायी हुई चीज़ों में देख सकते हैं। एक मिसाल है परमाणु, जिससे दुनिया की हर चीज़ का निर्माण हुआ है। यह इतना छोटा होता है कि पानी की एक बूँद में एक खरब अरब परमाणु होते हैं। * दूसरी मिसाल है सूरज। इससे पैदा होनेवाली उर्जा की बदौलत ही धरती पर का हर जीव ज़िंदा है। लेकिन पृथ्वी पर जीवन संभव होने के लिए कितनी ऊर्जा की ज़रूरत होती है? सूरज जितनी उर्जा पैदा करता है, पृथ्वी उसका बस एक बहुत-ही छोटा हिस्सा लेती है। मगर यही छोटा-सा हिस्सा दुनिया-भर की फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होनेवाली कुल उर्जा से कई-कई गुना ज़्यादा है।

2. यशायाह 40:26 यहोवा की ताकत के बारे में खासकर क्या कहता है?

2 चाहे छोटे-से परमाणु की बात लें, या विशाल विश्‍व-मंडल की, इनके बारे में सोचकर हम हैरत में पड़ जाते हैं कि यहोवा की शक्‍ति कितनी असीम है! इसीलिए तो यहोवा ने कहा: “अपनी आंखें ऊपर उठाकर देखो, किस ने इनको सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में से कोई बिना आए नहीं रहता।” (यशायाह 40:26) जी हाँ, यहोवा “अत्यन्त बली” है और उसी ने अपनी ‘सामर्थ’ के द्वारा यह पूरा विश्‍व रचा है।

असीम सामर्थ की ज़रूरत है

3, 4. (क) किन-किन कारणों से हम थक सकते हैं? (ख) हमें किस सवाल पर गौर करना होगा?

3 जी हाँ, परमेश्‍वर की ताकत की कोई सीमा नहीं। मगर हम इंसानों की ताकत की एक सीमा है और हम थक जाते हैं। इसलिए आज जहाँ देखो, वहाँ लोग थके-हारे नज़र आते हैं। जब लोग सुबह उठते हैं तो थका हुआ महसूस करते हैं, उसी हाल में नौकरी पर या स्कूल में जाते हैं, जब घर लौटते हैं तब थके होते हैं, और रात को सोते समय तो न सिर्फ थके होते हैं बल्कि पूरी तरह से पस्त हो चुके होते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि काश कोई ऐसी जगह मिल जाए जहाँ हम थोड़ा आराम कर लें। हम यहोवा के सेवकों को मसीही ज़िंदगी जीने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है इसलिए हम भी बहुत थक जाते हैं। (मरकुस 6:30, 31; लूका 13:24; 1 तीमुथियुस 4:8) यही नहीं, कुछ और कारणों से भी हम थककर चूर हो जाते हैं।

4 हम मसीही हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम पर ज़िंदगी की समस्याओं का कोई असर नहीं पड़ेगा। (अय्यूब 14:1) औरों की तरह हमें भी बीमारी से, पैसे की तंगी से और दूसरी कई तकलीफों से गुज़रना पड़ता है, जिनसे हम निराश हो सकते हैं और कमज़ोर पड़ सकते हैं। इसके अलावा, हमें धर्म की राह पर चलने की वजह से भी सताया जाता है। (2 तीमुथियुस 3:12; 1 पतरस 3:14) आए दिन हम पर इस संसार से दबाव आते हैं, हमारे प्रचार काम का विरोध किया जाता है। इन सबका सामना करते-करते हो सकता है कि हममें से कुछ मसीही इतने थक जाएँ कि यहोवा की सेवा में ढीले पड़ने लगें। यही नहीं, शैतान भी हम पर अपना हर हथकंडा इस्तेमाल कर रहा है ताकि हम परमेश्‍वर के प्रति अपनी वफादारी छोड़ दें। तो फिर हमें आध्यात्मिक ताकत कौन दे सकता है जिससे हम यहोवा की सेवा में थककर हार न मान लें?

5. हम अपनी ताकत से मसीही सेवकाई क्यों नहीं कर सकते?

5 आध्यात्मिक ताकत के लिए हमें अपने सृजनहार यहोवा पर निर्भर होना चाहिए जो पूरे विश्‍व में सबसे शक्‍तिशाली है। जब प्रेरित पौलुस ने यह कहा कि “हमारे पास यह धन मिट्टी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, बरन परमेश्‍वर ही की ओर से ठहरे,” तो वह कह रहा था कि हम असिद्ध इंसान, सिर्फ अपनी ताकत से मसीही सेवकाई नहीं कर सकते। (2 कुरिन्थियों 4:7) अभिषिक्‍त मसीही “मेल मिलाप की सेवा” कर रहे हैं और उनके साथी जिन्हें पृथ्वी पर जीने की आशा है, उनकी मदद कर रहे हैं। (2 कुरिन्थियों 5:18; यूहन्‍ना 10:16; प्रकाशितवाक्य 7:9) हम सभी असिद्ध इंसान हैं, और हमारे काम का विरोध भी किया जा रहा है, इसलिए परमेश्‍वर के इस काम को सिर्फ अपनी ताकत से करना मुमकिन नहीं, हमें यहोवा से ताकत की ज़रूरत है। यहोवा अपनी पवित्र-आत्मा देकर हमें मज़बूत करता है। इस तरह हमारी कमज़ोरी से परमेश्‍वर की महिमा होती है। बाइबल हमें भरोसा दिलाती है कि “यहोवा धर्मियों को सम्भालता है।” और वाकई यह बात हमें कितनी तसल्ली देती है!—भजन 37:17.

‘यहोवा हमारा बल है’

6. बाइबल हमें कैसे भरोसा दिलाती है कि हमें ताकत देनेवाला यहोवा है?

6 स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता, “अत्यन्त बली” है, हमें शक्‍ति देना उसके लिए कोई मुश्‍किल काम नहीं। इसीलिए तो हमें कहा गया है: “[यहोवा] थके हुए को बल देता है और शक्‍तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। तरुण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।” (यशायाह 40:29-31) आज हम पर दबाव दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। इस जीवन की दौड़ में हम कभी-कभी इतने थक सकते हैं कि हमारे लिए दो कदम आगे बढ़ाना भी मुश्‍किल हो सकता है। मगर हमें हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि इनाम पाने का वक्‍त बस आ ही गया है। (2 इतिहास 29:11) हमारा विरोधी “शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं” इस फिराक में घूम रहा है कि वह हमें अपनी दौड़ में रोक दे। (1 पतरस 5:8) मगर यह हमेशा याद रखिए कि ‘यहोवा हमारा बल और हमारी ढाल है।’ उसने ‘हम शक्‍तिहीनों को बहुत सामर्थ’ देने के लिए कई इंतज़ाम कर रखे हैं।—भजन 28:7.

7, 8. कौन-से सबूत दिखाते हैं कि यहोवा ने दाऊद, हबक्कूक और पौलुस को ताकत दी थी?

7 दाऊद की ज़िंदगी में भी बड़ी-बड़ी मुसीबतें आई थीं, मगर यहोवा ने उसे उन्हें सहने की ताकत दी। इसलिए दाऊद पूरे विश्‍वास और भरोसे के साथ कह सका: “हमें परमेश्‍वर ही मज़बूत बना सकता है। परमेश्‍वर हमारे शत्रुओं को पराजित कर सकता है।” (भजन 60:12, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) यहोवा ने हबक्कूक को भी ताकत दी थी जिससे वह नबी होने की अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर सका। हबक्कूक 3:19 कहता है: ‘यहोवा परमेश्‍वर मेरा बल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है।’ पौलुस को भी परमेश्‍वर से ताकत मिली थी, इसलिए उसने लिखा: ‘परमेश्‍वर जो मुझे सामर्थ देता है उसके द्वारा मैं सब कुछ कर सकता हूं।’—फिलिप्पियों 4:13.

8 दाऊद, हबक्कूक और पौलुस की तरह हमें भी पूरा विश्‍वास रखना चाहिए कि यहोवा हमें ताकत देकर मज़बूत कर सकता है और हमें बचा सकता है। यह बात ध्यान में रखते हुए कि हमें “बल” देनेवाला इस पूरे विश्‍व का प्रभु यहोवा है, आइए अब हम उसके कुछ ऐसे इंतज़ामों पर गौर करें जिनके ज़रिए वह हमें आध्यात्मिक ताकत देता है।

नई शक्‍ति देने के लिए आध्यात्मिक इंतज़ाम

9. हमारी आध्यात्मिक तंदुरुस्ती के लिए बाइबल और संस्था की किताबें कैसे मदद करती हैं?

9 हमारी संस्था की किताबों के ज़रिए अगर हम बाइबल का गहराई से अध्ययन करें, तो इससे हममें नया जोश भरता है और हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत बने रहते हैं। भजनहार ने लिखा: “क्या ही धन्य है वह पुरुष जो . . . यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।” (भजन 1:1-3) जिस तरह अपनी तंदुरुस्ती बनाए रखने के लिए हमें खाना खाने की ज़रूरत होती है, उसी तरह अपनी आध्यात्मिक तंदुरुस्ती बरकरार रखने के लिए हमें आध्यात्मिक भोजन लेते रहने की ज़रूरत होती है। परमेश्‍वर हमें यह आध्यात्मिक भोजन अपने वचन और संस्था की किताबों के ज़रिए देता है। इसीलिए हमें उनका अच्छी तरह अध्ययन करना और उन बातों पर सोचना-विचारना बहुत ज़रूरी है।

10. हम अध्ययन और मनन करने के लिए कब समय निकाल सकते हैं?

10 ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ पर मनन करना वाकई फायदेमंद है। (1 कुरिन्थियों 2:10) मगर हम ऐसा कौन-से समय पर कर सकते हैं? इसहाक ‘सांझ के समय मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था।’ (उत्पत्ति 24:63-67) भजनहार दाऊद, ‘रात के एक एक पहर में परमेश्‍वर पर ध्यान’ करता था। (भजन 63:6) हम भी चाहे तो सुबह, शाम, रात या दिन, किसी भी समय पर बाइबल का अध्ययन और मनन कर सकते हैं। इस तरह अध्ययन और मनन करने से हम प्रार्थना करने के लिए प्रेरित होते हैं जो कि यहोवा से आध्यात्मिक ताकत पाने का एक और इंतज़ाम है।

11. हमारे लिए बिना नागा प्रार्थना करना क्यों ज़रूरी है?

11 परमेश्‍वर से बिना नागा प्रार्थना करने से हमारे अंदर नई शक्‍ति पैदा होती है। इसलिए आइए हम “प्रार्थना में नित्य लगे” रहें। (रोमियों 12:12) कभी-कभी किसी परीक्षा का सामना करने के लिए शायद हमें यहोवा से बुद्धि और शक्‍ति के लिए खास बिनती करने की ज़रूरत पड़े। (याकूब 1:5-8) जब हम देखते हैं कि यहोवा अपना उद्देश्‍य पूरा करता है और हमें उसकी सेवा में लगे रहने के लिए शक्‍ति देता है तब आइए हम उसका धन्यवाद और स्तुति करें। (फिलिप्पियों 4:6, 7) प्रार्थना के ज़रिए अगर हम यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत बनाए रखें, तो वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा। दाऊद ने कहा: “देखो, परमेश्‍वर मेरा सहायक है।”—भजन 54:4.

12. हमें परमेश्‍वर से पवित्र-आत्मा क्यों माँगनी चाहिए?

12 यहोवा अपनी पवित्र-आत्मा या सक्रिय-शक्‍ति के द्वारा भी हमें ताकत और हिम्मत देता है। पौलुस ने कहा: ‘मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं, कि वह अपनी महिमा के अनुसार तुम्हें यह दान दे कि तुम उसकी आत्मा से सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ।’ (इफिसियों 3:14-16) हमें पवित्र-आत्मा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और पूरा विश्‍वास रखना चाहिए कि वह हमें अपनी आत्मा ज़रूर देगा। इसके बारे में यीशु ने एक बात कही कि अगर एक बच्चा अपने पिता से मछली माँगता है तो क्या उसका पिता उसे साँप देगा? हरगिज़ नहीं। फिर उसने समझाते हुए कहा: “जब तुम [पापी या कुछ मायनों में] बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र-आत्मा क्यों न देगा”? (लूका 11:11-13) सो आइए हम पूरे विश्‍वास के साथ प्रार्थना करें, और हमेशा याद रखें कि यहोवा अपने वफादार सेवकों को अपनी आत्मा देकर “बलवन्त” कर सकता है।

कलीसिया से प्रोत्साहन और मदद

13. सभाओं के बारे में हमारा क्या नज़रिया होना चाहिए?

13 यहोवा हमें कलीसिया की सभाओं के द्वारा भी शक्‍ति देता है। यीशु ने कहा: “जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं, वहां मैं उन के बीच में होता हूं।” (मत्ती 18:20) बेशक जब यीशु ने यह वादा किया, तो वह ऐसे मामले की चर्चा कर रहा था जिसमें खासकर अगुओं को ध्यान देना था। (मत्ती 18:15-19) मगर उसकी बात हमारी सभी सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों पर भी लागू होती है, जहाँ हर सभा के शुरू और आखिर में यीशु के नाम से प्रार्थना की जाती है। (यूहन्‍ना 14:14) इसलिए सभाओं में हाज़िर होना बड़े सम्मान की बात है, फिर चाहे वहाँ बस मुट्ठी भर लोग आएँ या हज़ारों। आइए हम सभाओं के इंतज़ाम के लिए पूरी-पूरी कदरदानी दिखाएँ जो हमें आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करने और भले कामों में उकसाने के लिए किया गया है।—इब्रानियों 10:24, 25.

14. प्राचीनों की मेहनत से हमें किस तरह की मदद मिलती है?

14 हमें आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत करने और हमारा हौसला बढ़ाने में हमारी कलीसिया के प्राचीन और दूसरे मसीही ओवरसियर भी एक अहम भूमिका निभाते हैं। (1 पतरस 5:2, 3) प्रेरित पौलुस जिन-जिन कलीसियाओं में जाता था, वहाँ के भाई-बहनों का जोश बढ़ाता था। आज हमारे सफरी ओवरसियर भी ऐसा ही करते हैं। पौलुस अपने भाई-बहनों से मिलने के लिए बेताब रहता था, ताकि वह उनका हौसला बढ़ाए और खुद भी उनसे हौसला पाए। (प्रेरितों 14:19-22; रोमियों 1:11, 12) आइए, हम अपने प्राचीनों और ओवरसियरों की मेहनत की कदर करें और उनका आदर करें।

15. हमारे भाई-बहनों से हमें “प्रोत्साहन” और मदद कैसे मिल सकती है?

15 हमें अपनी कलीसिया के भाई-बहनों से भी “प्रोत्साहन” और मदद मिल सकती है। (कुलुस्सियों 4:10, 11, NHT ) मुसीबत की घड़ी में वे सच्चे ‘मित्रों’ की तरह आगे बढ़कर हमें सहारा दे सकते हैं। (नीतिवचन 17:17) मिसाल के तौर पर 1945 में जो हुआ उस पर गौर कीजिए। उस समय जर्मनी के साक्सनहाउसन कॉन्सनट्रेशन कैंप से लोगों को निकाला गया और उन्हें नात्ज़ी सेना की निगरानी में 200 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के लिए कहा गया। उन लोगों में 220 यहोवा के साक्षी भी थे मगर सभी साक्षी एक-साथ इकट्ठे चल रहे थे। इस दौरान जिन भाई-बहनों में थोड़ी-बहुत ताकत थी, वे कमज़ोर भाई-बहनों को छोटे-छोटे ठेलों में बिठाकर ले गए और इस तरह उनकी मदद की। नतीजा क्या हुआ? इस सफर में (डैथ मार्च) 10,000 से ज़्यादा लोग मारे गए, मगर यहोवा के साक्षियों में से एक की भी मौत नहीं हुई! ईयरबुक ऑफ जॆहोवाज़ विटनेसॆज़ और जॆहोवाज़ विटनेसॆज़—प्रोक्लेमर्स ऑफ गॉड्‌स किंगडम और संस्था की दूसरी किताबों में दिए गए ऐसे अनुभवों से पता चलता है कि यहोवा अपने सेवकों को ताकत देता है जिससे वे थककर हार नहीं मानते।—गलतियों 6:9. *

प्रचार काम से ताकत पाना

16. प्रचार में हमेशा हिस्सा लेते रहने से हम किस तरह आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होते हैं?

16 प्रचार काम में हमेशा हिस्सा लेते रहने से भी हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होते हैं। इससे हमारा पूरा ध्यान अनंत जीवन, परमेश्‍वर के राज्य और उसमें मिलनेवाली आशीषों पर लगा रहता है। (यहूदा 20, 21) जब हम प्रचार के दौरान लोगों को बाइबल में दिए गए वादों के बारे में सिखाते हैं, तो हमारी आशा मज़बूत होती है। साथ ही भविष्यवक्‍ता मीका की तरह हमारा इरादा भी दृढ़ होता है, जिसने कहा था: “हम लोग अपने परमेश्‍वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।”—मीका 4:5.

17. बाइबल स्टडी के बारे में कौन-से सुझाव दिए गए हैं?

17 बाइबल स्टडी कराते समय बाइबल के वचनों का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल करने से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होगा। मिसाल के तौर पर, ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है किताब से स्टडी कराते समय अच्छा होगा कि हम उसमें दिए गए ज़्यादातर वचनों को पढ़ें और समझाएँ। इससे विद्यार्थी के दिमाग में बात अच्छी तरह बैठ जाएगी, और हमारी आध्यात्मिक समझ भी गहरी होगी। अगर किसी अध्याय में बाइबल की कोई शिक्षा या दृष्टांत, विद्यार्थी को समझना मुश्‍किल लगता है, तो उस अध्याय को एक की बजाय दो-तीन बार में पूरा किया जा सकता है। हम बाइबल स्टडी के द्वारा दूसरों को परमेश्‍वर के करीब लाने के लिए जब स्टडी की अच्छी तैयारी करते हैं और खास मेहनत करते हैं, तो इससे हमें बेहद खुशी मिलती है!

18. उदाहरण देकर बताइए कि ज्ञान किताब का कैसे अच्छा इस्तेमाल किया जा रहा है।

18 ज्ञान किताब का इस्तेमाल करके हर साल, हज़ारों लोगों को मदद दी जा रही है ताकि वे अपना जीवन यहोवा को समर्पित करके उसके सेवक बन सकें। इनमें बहुत-से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें बाइबल के बारे में कुछ भी मालूम नहीं होता। उदाहरण के लिए, श्रीलंका में एक बार जब एक बहन परमेश्‍वर की नई दुनिया के बारे में बात कर रही थी, तब एक बच्चे ने भी उसकी बात सुनी। वह बच्चा हिंदू धर्म से था। फिर कुछ सालों बाद, जब वह बड़ा हुआ, तो उस विषय के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए वह उस बहन से जाकर मिला। तब बहन के पति ने बिना देर किए उस जवान के साथ बाइबल स्टडी शुरू कर दी। वह स्टडी के लिए भाई के पास हर रोज़ जाने लगा, इसीलिए ज्ञान किताब थोड़े ही समय में पूरी हो गई। वह सभी सभाओं में हाज़िर होने लगा। उसने अपने पुराने धर्म से नाता तोड़ दिया और एक प्रचारक बन गया। बाद में उसने बपतिस्मा भी ले लिया। मगर बपतिस्मे से पहले, वह खुद भी अपनी जान-पहचान के एक व्यक्‍ति की बाइबल स्टडी ले रहा था।

19. जब हम राज्य को पहला स्थान देते हैं तो हम किस बात का पक्का यकीन रख सकते हैं?

19 जब हम परमेश्‍वर के राज्य की खोज पहले करते हैं तो हमें बहुत खुशी मिलती है और हम दृढ़ होते हैं। (मत्ती 6:33) हालाँकि हमें तरह-तरह की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है, फिर भी हम खुशी-खुशी और पूरे उत्साह के साथ राज्य संदेश का ऐलान करते हैं। (तीतुस 2:14) हमारे कई भाई-बहन पूरे समय की पायनियर सेवा कर रहे हैं और कुछ भाई-बहन ऐसे इलाकों में जाकर सेवा कर रहे हैं जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। मगर हम चाहे परमेश्‍वर की सेवा जहाँ भी करें और किसी भी तरीके से करें, हम यह पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारी सेवा को और जो प्रेम हम उसके नाम की खातिर दिखाते हैं, उसको कभी नहीं भूलेगा।—इब्रानियों 6:10-12.

यहोवा से ताकत पाकर सेवा में लगे रहें

20. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम ताकत पाने के लिए यहोवा पर निर्भर हैं?

20 आइए हम यहोवा के उन सभी इंतज़ामों का पूरा-पूरा फायदा उठाएँ, जिनका प्रबंध वह ‘विश्‍वासयोग्य दास’ द्वारा करता है। (मत्ती 24:45) ऐसा करके हम दिखाएँगे कि हम यहोवा पर भरोसा रखते हैं और ताकत पाने के लिए उसी पर निर्भर रहते हैं। संस्था की किताबों की मदद से निजी तौर पर और कलीसिया के साथ बाइबल का अध्ययन करना, सच्चे दिल से यहोवा से प्रार्थना करना, प्राचीनों से आध्यात्मिक मदद लेना, अच्छी मिसाल रखनेवाले वफादार भाई-बहनों से हौसला पाना, और प्रचार काम में लगातार हिस्सा लेना, इन इंतज़ामों के ज़रिए हम यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत बना सकते हैं और उसकी सेवा में लगे रह सकते हैं।

21. हमें परमेश्‍वर से ताकत की ज़रूरत है, इस बारे में प्रेरित पतरस और पौलुस ने क्या कहा?

21 हालाँकि हम निर्बल इंसान है, लेकिन यहोवा हमें उसकी इच्छा पूरी करने के लिए बल ज़रूर देगा बशर्ते हम उस पर भरोसा रखें। प्रेरित पतरस ने परमेश्‍वर से ताकत पाने की ज़रूरत महसूस की थी, इसलिए उसने कहा: “यदि कोई सेवा करे, तो उस शक्‍ति से करे जो परमेश्‍वर देता है।” (1 पतरस 4:11) प्रेरित पौलुस ने भी दिखाया कि वह यहोवा की ताकत पर निर्भर था। इसलिए उसने कहा: “मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्दाओं में, और दरिद्रता में और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्‍न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्त होता हूं।” (2 कुरिन्थियों 12:10) आइए हम भी यहोवा की ताकत पर दृढ़ विश्‍वास रखें और इस तमाम जहाँ के मालिक यहोवा की महिमा करते रहें, जो थके हुए को बल देता है।—यशायाह 12:2.

[फुटनोट]

^ अमरीका की गणना पद्धति के मुताबिक इस संख्या में 1 के बाद 20 शून्य आते हैं।

^ वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

आपका जवाब क्या होगा?

• यहोवा के सेवकों को असीम सामर्थ की ज़रूरत क्यों है?

• बाइबल में किन लोगों के उदाहरण से यह साबित होता है कि यहोवा अपने सेवकों को ताकत देता है?

• यहोवा ने हमें मज़बूत करने के लिए कौन-कौन-से आध्यात्मिक इंतज़ाम किए हैं?

• हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम ताकत पाने के लिए यहोवा पर निर्भर हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 12 पर तसवीर]

लोगों को सिखाने में जब हम बाइबल इस्तेमाल करते हैं तो यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है