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आपके प्रेम की इंतहा क्या है?

आपके प्रेम की इंतहा क्या है?

आपके प्रेम की इंतहा क्या है?

“तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर।”मत्ती 22:39, NHT

1. अगर हम यहोवा से प्रेम करते हैं, तो क्यों हम हर हाल में अपने पड़ोसी से भी प्रेम करेंगे?

 जब यी  से पूछा गया कि सबसे बड़ी आज्ञा कौन-सी है तो उसने जवाब दिया: “तू प्रभु अपने परमेश्‍वर से अपने सारे हृदय और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि से प्रेम कर।” इसके बाद उसने, पहली से मिलती-जुलती दूसरी आज्ञा दी, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर।” (मत्ती 22:37, 39, NHT) जी हाँ, पड़ोसी के लिए प्रेम से भी एक मसीही की पहचान होती है। और अगर हम यहोवा से प्रेम करते हैं तो हर हाल में हम अपने पड़ोसी से भी प्रेम करेंगे। क्यों? क्योंकि हम परमेश्‍वर के लिए अपना प्रेम दिखाने के वास्ते उसका वचन मानते हैं और उसका वचन हमें आज्ञा देता है कि अपने पड़ोसी से प्रेम करें। इसलिए, अगर हम अपने पड़ोसियों, अपने भाई-बहनों से प्रेम नहीं करते तो परमेश्‍वर के लिए हमारा प्यार सच्चा नहीं हो सकता।—रोमियों 13:8; 1 यूहन्‍ना 2:5; 4:20, 21.

2. हमें अपने पड़ोसी से किस किस्म का प्रेम करना चाहिए?

2 जब यीशु ने कहा कि अपने पड़ोसी से प्रेम रख, तो वह सिर्फ दोस्ती रखने की बात नहीं कर रहा था। न ही यीशु उस प्रेम का ज़िक्र कर रहा था जो पारिवारिक रिश्‍तों में या एक पुरुष और स्त्री के बीच में सहज ही होता है। वह ऐसे प्रेम की बात कर रहा था जो यहोवा अपने समर्पित सेवकों से करता है और उसके सेवक यहोवा से करते हैं। (यूहन्‍ना 17:26; 1 यूहन्‍ना 4:11, 19) एक बार एक यहूदी शास्त्री ने यीशु से बड़ी समझदारी से बात की। वह यीशु से इस बात में सहमत था कि एक व्यक्‍ति को परमेश्‍वर से “सारे हृदय, सारी बुद्धि, और सारी शक्‍ति से प्रेम” करना चाहिए। (मरकुस 12:28-34, NHT) वह बिलकुल सही बात बोल रहा था। एक मसीही अपने अंदर परमेश्‍वर और पड़ोसी के लिए जो प्रेम पैदा करता है, उसमें उसके हृदय यानी दिल की भावनाएँ और दिमाग दोनों शामिल होते हैं। इस प्रेम को दिल से महसूस किया जाता है और दिमाग से सोच-समझकर किया जाता है।

3. (क) यीशु ने “एक व्यवस्थापक” को यह कैसे सिखाया कि पड़ोसियों के लिए उसके प्रेम की कोई इंतहा नहीं होनी चाहिए? (ख) यीशु का दृष्टांत आज मसीहियों पर कैसे लागू होता है?

3 लूका के मुताबिक, जब यीशु ने कहा कि हमें अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना चाहिए, तो “एक व्यवस्थापक” ने उससे सवाल किया: “मेरा पड़ोसी कौन है?” यीशु ने इसका जवाब देने के लिए एक कहानी सुनायी। एक आदमी को डाकुओं ने लूट लिया, उसे बहुत मारा और रास्ते पर अधमरा छोड़कर चले गए। पहले एक याजक और फिर एक लेवी उसी रास्ते से गुज़रे। दोनों उस आदमी से कन्‍नी काटकर आगे निकल गए। आखिर में, उसी रास्ते से गुज़र रहे एक सामरी ने उस घायल आदमी को देखा और उस पर तरस खाकर उसकी सेवा-टहल की। उन तीनों में से कौन उस घायल आदमी के लिए सही मायनो में पड़ोसी साबित हुआ? जवाब ज़ाहिर है। (लूका 10:25-37) अगर यीशु खुद कहता कि एक सामरी भी, किसी याजक या लेवी से बेहतर पड़ोसी हो सकता है तो उस व्यवस्थापक को शायद उसकी बात सुनकर झटका लगता। ज़ाहिर है कि यीशु इस आदमी को यह समझाना चाह रहा था कि पड़ोसी के लिए प्रेम की कोई इंतहा, या हद नहीं होनी चाहिए। मसीही भी ऐसा ही प्रेम करते हैं। गौर कीजिए कि उनका प्रेम किस-किस के लिए है।

परिवार में प्रेम

4. सबसे पहले, एक मसीही किन लोगों से प्रेम करता है?

4 मसीही अपने परिवार के सदस्यों से प्रेम करते हैं, पत्नी अपने पति से, पति अपनी पत्नी से और माता-पिता अपने बच्चों से प्रेम करते हैं। (सभोपदेशक 9:9; इफिसियों 5:33; तीतुस 2:4) बेशक, ज़्यादातर परिवारों में प्रेम का बंधन कुदरती ही होता है। लेकिन आज हम अकसर ये खबरें सुनते हैं कि परिवार टूट रहे हैं, पति-पत्नी एक-दूसरे से बुरा सलूक करते हैं, बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जाता है या उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है। इससे पता चलता है कि परिवार आज मुसीबत में है और परिवारों को एक-साथ बाँधे रखने में सिर्फ कुदरती प्यार ही काफी नहीं है। (2 तीमुथियुस 3:1-3) पारिवारिक जीवन को सही मायनों में कामयाब बनाने के लिए, मसीहियों को ऐसा प्रेम करने की ज़रूरत है जैसा प्रेम यहोवा और यीशु करते हैं।—इफिसियों 5:21-27.

5. अपने बच्चों की परवरिश के लिए माता-पिता किससे मदद माँगते हैं और कई लोगों को इसका क्या नतीजा मिला है?

5 मसीही माता-पिता अपने बच्चों को यहोवा की अमानत समझते हैं और उनकी परवरिश सही तरीके से करने के लिए यहोवा से मदद माँगते हैं। (भजन 127:3-5; नीतिवचन 22:6) वे अपने अंदर मसीही प्रेम को बढ़ाते हैं, और इस प्रेम की वजह से वे अपने बच्चों पर दुनिया के भ्रष्ट करनेवाले प्रभावों का साया नहीं पड़ने देते जिससे जवान गुमराह हो सकते हैं। इस वजह से बहुत-से मसीही माता-पिताओं को वैसी ही खुशी मिली है जैसी नॆदरलैंड्‌स्‌ में रहनेवाली एक बहन को मिली। नॆदरलैंड्‌स्‌ में पिछले साल जिन 575 लोगों ने बपतिस्मा लिया उनमें से एक उसका बेटा भी था। अपने बेटे को बपतिस्मा लेते हुए देखने के बाद उसने लिखा: “आज, पिछले 20 सालों की मेरी मेहनत रंग लायी है। मैंने इसके लिए जो वक्‍त और ताकत लगायी, जो खून-पसीना एक किया, जो दुःख-दर्द सहा वह सब अब मैं भूल चुकी हूँ।” वह कितनी खुश है कि उसके बेटे ने अपनी मरज़ी से यहोवा की सेवा करने का फैसला किया है। पिछले साल नॆदरलैंड्‌स्‌ में सबसे ज़्यादा 31,089 प्रचारकों ने रिपोर्ट दी, और इनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें उनके माता-पिता ने ही यहोवा से प्रेम करना सिखाया।

6. मसीही प्रेम से शादी का बंधन कैसे मज़बूत होता है?

6 पौलुस ने प्रेम को “एकता का सिद्ध बन्ध[न]” (NHT) कहा, और यह बंधन परिवार को उस वक्‍त भी सँभाले रहता है जब उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। (कुलुस्सियों 3:14, 18, 19; 1 पतरस 3:1-7) ताहिती द्वीप से करीब 700 किलोमीटर दूर एक छोटा-सा द्वीप है, रुरुतू। वहाँ एक आदमी ने जब यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन शुरू किया, तो उसकी पत्नी ने उसका कड़ा विरोध किया। एक दिन ऐसा आया कि वह बच्चों को साथ लेकर घर छोड़कर चली गयी और ताहिती द्वीप पर रहने लगी। फिर भी, पति उसके लिए प्रेम ज़ाहिर करता रहा। वह उसे बिना नागा पैसे भेजता था और फोन करता रहता था कि कहीं उसे और बच्चों को किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं। इस तरह उसने अपनी मसीही ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। (1 तीमुथियुस 5:8) वह दिन-रात यही दुआ करता था कि उसका परिवार फिर से एक हो जाए। और एक दिन ऐसा ही हुआ, उसकी पत्नी वापस लौट आयी। जब वह वापस आयी, तो उसका पति उसके साथ “प्रेम, धीरज और नम्रता” से पेश आया। (1 तीमुथियुस 6:11) सन्‌ 1998 में, पति का बपतिस्मा हुआ और बाद में यह देखकर कि उसकी पत्नी भी बाइबल का अध्ययन करने के लिए राज़ी है, उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। यह अध्ययन, उन 1,351 अध्ययनों में से एक था जो पिछले साल ताहिती ब्रांच के इलाके में चलाए गए।

7. जर्मनी के एक आदमी के मुताबिक, उसकी शादी-शुदा ज़िंदगी को किस बात ने मज़बूत किया?

7 जर्मनी में एक स्त्री बाइबल की सच्चाई में दिलचस्पी लेने लगी तो उसका पति विरोध करने लगा। क्योंकि उसे यकीन था कि यहोवा के साक्षी उसकी पत्नी को फँसाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, थोड़े समय बाद जिस साक्षी ने उसकी पत्नी को सच्चाई दी थी उसे चिट्ठी में पति ने लिखा: “मेरी पत्नी को यहोवा के साक्षियों से मिलाने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। शुरू-शुरू में तो मैं बहुत परेशान था, क्योंकि मैंने साक्षियों के बारे में बहुत-सी बुरी-बुरी बातें सुन रखी थीं। मगर अब, मैंने अपनी पत्नी के साथ सभाओं में जाकर इस बात को खुद महसूस किया है कि मैं कितनी बड़ी गलतफहमी का शिकार था। मैं जानता हूँ कि मैंने वहाँ जो कुछ सुना है वह सच्चाई है और इसने हमारी शादी-शुदा ज़िंदगी को और मज़बूत किया है।” जर्मनी में 1,62,932 और ताहिती ब्रांच के अधीन द्वीपों में 1,773 यहोवा के साक्षियों में और भी ऐसे कई परिवार हैं जो ईश्‍वरीय प्रेम के बंधन में एकता से बंधे हुए हैं।

हमारे मसीही भाइयों से प्रेम

8, 9. (क) अपने भाइयों से प्रेम करना हमें कौन सिखाता है और प्रेम हमें क्या करने को उकसाता है? (ख) एक मिसाल दीजिए कि कैसे प्रेम से भाई एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।

8 पौलुस ने थिस्सलुनीके के मसीहियों से कहा: “आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्‍वर से सीखा है।” (1 थिस्सलुनीकियों 4:9) जी हाँ, जो “यहोवा के सिखलाए हुए” हैं वे एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। (यशायाह 54:13) वे अपना प्रेम कामों से ज़ाहिर करते हैं, जैसा कि पौलुस ने बताया जब उसने कहा: “प्रेम से एक दूसरे की सेवा करो।” (गलतियों 5:13, NHT; 1 यूहन्‍ना 3:18) वे ऐसी सेवा तब करते हैं जब वे बीमार भाई-बहनों से मिलने जाते हैं, हताश लोगों का हौसला बढ़ाते हैं और कमज़ोर जनों को सहारा देते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 5:14) इस सच्चे मसीही प्रेम की वजह से ही हमारा यह आध्यात्मिक परादीस दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

9 इक्वेडोर की 544 कलीसियाओं में से एक, आंगकोन कलीसिया के भाइयों ने अपने प्रेम को कामों से ज़ाहिर किया। एक बार आर्थिक व्यवस्था में आए संकट की वजह से उनके पास न तो कोई काम था, न ही कमाई का कोई ज़रिया। इसलिए भाइयों ने उस इलाके के मछुआरों को खाना बेचकर पैसा कमाने का फैसला किया। जब मछुआरे रात भर मछुवाही करके घर लौटते तो उन्हें ये भाई खाना देते। खाना बनाने में सभी ने हाथ बँटाया, यहाँ तक कि बच्चों ने भी उनकी मदद की। उन्हें रात के 1 बजे खाना बनाने की तैयारी शुरू करनी पड़ती थी, ताकि तड़के 4 बजे जब मछुवारे काम से वापस आएँ तो उन्हें खाना तैयार मिले। इससे जो पैसे मिलते थे, उन्हें भाई ज़रूरत के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे। इस तरह एक-दूसरे की मदद करने से उन्होंने सच्चा मसीही प्रेम ज़ाहिर किया।

10, 11. हम उन भाइयों के लिए प्रेम कैसे दिखा सकते हैं जिन्हें हम नहीं जानते?

10 लेकिन हमारा प्रेम सिर्फ उन मसीही भाई-बहनों के लिए नहीं है जिन्हें हम जानते हैं। प्रेरित पतरस ने कहा: “[सब] भाइयों से प्रेम रखो।” (1 पतरस 2:17) हम अपने सभी भाई-बहनों से प्रेम करते हैं क्योंकि हमारे साथ-साथ वे भी यहोवा परमेश्‍वर के उपासक हैं। मुसीबत के वक्‍त में इस प्रेम को ज़ाहिर करने का हमें मौका मिल सकता है। मिसाल के तौर पर, सन्‌ 2000 के सेवा साल में मोज़ाम्बीक में बाढ़ ने तबाही मचा दी और अंगोला में लगातार चल रहे गृह-युद्ध की वजह से बहुत से लोगों की संपत्ति लुट गयी। मोज़ाम्बीक के 31,725 भाइयों में से काफी लोगों पर और अंगोला के 41,222 भाइयों पर इन दुर्घटनाओं का बहुत बुरा असर पड़ा। इसलिए इन देशों में, मुसीबत के वक्‍त अपने भाइयों की मदद करने के लिए, पड़ोसी देश दक्षिण अफ्रीका के साक्षियों ने बड़ी मात्रा में उनके लिए सामान भेजा। अपनी “बढ़ती” को, खुशी-खुशी अपने ज़रूरतमंद भाइयों को देने से उन्होंने अपना प्रेम ज़ाहिर किया।—2 कुरिन्थियों 8:8, 13-15, 24.

11 प्रेम तब भी साफ नज़र आता है जब बहुत-से देशों के भाई, गरीब देशों में किंगडम हॉल और असेम्बली हॉल बनाने के लिए दान देते हैं। इसकी एक मिसाल है, सॉलमन द्वीप। गड़बड़ी के बावजूद, सॉलमन द्वीपों में पिछले साल प्रचारकों की संख्या में 6-प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और सबसे ज़्यादा प्रचारकों की संख्या 1,697 थी। वे एक असेम्बली हॉल बनाना चाहते थे। हालाँकि उस द्वीप के बहुत-से निवासी अपना देश छोड़कर जा रहे थे, फिर भी इस निर्माण काम के लिए ऑस्ट्रेलिया से स्वयंसेवक आए। कुछ समय बाद, इन स्वयंसेवकों को द्वीप से वापस जाना पड़ा मगर तब तक उन्होंने द्वीप के भाइयों को हॉल की नींव पूरी करने की ट्रेनिंग दे दी थी। बाकी के हॉल को बनाने के लिए, ऑस्ट्रेलिया से स्टील का बना-बनाया ढाँचा समुद्री जहाज़ से भेजा गया। परमेश्‍वर की उपासना के लिए बनायी जा रही यह इमारत जब पूरी होगी तब यहोवा के नाम की क्या ही महिमा होगी और हमारे भाइयों के प्रेम का कितना बढ़िया सबूत मिलेगा। जबकि गौर करने लायक बात यह है कि उसी द्वीप पर बनायी जा रही दूसरी बहुत-सी इमारतें आधी-अधूरी ही छोड़ दी गयी हैं।

परमेश्‍वर की तरह, हम संसार से प्रेम करते हैं

12. जो सच्चाई में नहीं हैं, उनकी तरफ अपने रवैये से हम कैसे यहोवा के ‘सदृश्‍य बनने’ की कोशिश करते हैं?

12 क्या हमें अपने परिवार और अपने भाइयों से ही प्रेम करना चाहिए? जी नहीं, अगर हम परमेश्‍वर के ‘सदृश्‍य बनना’ चाहते हैं तो हम ऐसा नहीं करेंगे। यीशु ने कहा: “परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (तिरछे टाइप हमारे।) (इफिसियों 5:1; यूहन्‍ना 3:16) यहोवा परमेश्‍वर की तरह, हम भी सभी से प्रेम का बर्ताव करते हैं, उनसे भी जो सच्चाई में नहीं हैं। (लूका 6:35, 36; गलतियों 6:10) ऐसा करने के लिए हम उन्हें परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी सुनाते हैं और बताते हैं कि परमेश्‍वर ने उन्हें किस बेमिसाल ढंग से प्रेम दिखाया है। इसका नतीजा यह होता है कि हर कोई जो हमारी बात सुनता है उसे उद्धार मिल सकता है।—मरकुस 13:10; 1 तीमुथियुस 4:16.

13, 14. कुछ भाइयों ने तकलीफें उठाने पर भी गैर-साक्षियों को जब प्रेम दिखाया तो उन्हें कौन-से अनुभव हुए?

13 नेपाल में चार स्पेशल पायनियरों की मिसाल पर गौर कीजिए। प्रचार करने के लिए उन्हें देश के दक्षिण-पश्‍चिम में एक शहर दिया गया था। पिछले पाँच साल से उन्होंने बड़े धैर्य से उस शहर में और आसपास के गाँवों में साक्षी देकर अपना प्रेम ज़ाहिर किया है। अपने इलाके के हर घर में साक्षी देने के लिए, उन्हें अकसर कई घंटों तक, 40 डिग्री सॆलसियस से भी ज़्यादा के तापमान में साइकिल चलाकर जाना पड़ता है। प्रेम की खातिर “लगातार अच्छे काम करते” रहने का नतीजा ये हुआ कि उस इलाके के एक गाँव में बुक-स्टडी ग्रूप शुरू हो गया। (रोमियों 2:7, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) सन्‌ 2000 के मार्च महीने में, वहाँ 32 लोग सर्किट ओवरसियर का जन भाषण सुनने आए। पिछले साल नेपाल में प्रचारकों की सबसे ज़्यादा गिनती थी 430, और यह पहले के मुकाबले 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी। बेशक, यहोवा इस देश के हमारे भाइयों के प्रेम और जोश पर भरपूर आशीष दे रहा है।

14 कोलम्बिया में, कुछ समय तक स्पेशल पायनियरिंग करनेवाले भाइयों ने वाइयू आदिवासियों को प्रचार किया। इसके लिए उन्हें एक नयी भाषा सीखनी पड़ी, लेकिन भाइयों ने प्रेम की वजह से जो दिलचस्पी दिखायी उसका फल उन्हें तब मिला जब मूसलाधार बारिश के बावजूद भी 27 लोग जन भाषण सुनने के लिए हाज़िर हुए। ऐसे पायनियरों के प्रेम और उत्साह की वजह से कोलम्बिया में 5-प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और सबसे ज़्यादा प्रचारकों की गिनती 1,07,613 थी। डेनमार्क में एक बुज़ुर्ग बहन दूसरों को सुसमाचार सुनाना चाहती थी मगर वह अपाहिज थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी, और दिलचस्पी दिखानेवाले लोगों से उसने चिट्ठियों के ज़रिए संपर्क किया। अभी वह 42 लोगों को चिट्ठियाँ लिखती है और 11 बाइबल अध्ययन चलाती है। यह बहन, पिछले साल डेनमार्क में 14,885 प्रचारकों की सबसे ज़्यादा गिनती में से एक है।

अपने दुश्‍मनों से प्रेम

15, 16. (क) यीशु के मुताबिक हमारे प्रेम को किस हद तक जाना चाहिए? (ख) यहोवा के साक्षियों पर झूठे इल्ज़ाम लगानेवाले के साथ हमारे ज़िम्मेदार भाई किस तरह प्रेम से पेश आए?

15 यीशु ने उस व्यवस्थापक को समझाया कि एक सामरी को भी पड़ोसी माना जा सकता है। मगर यीशु ने अपने पहाड़ी उपदेश में इससे भी बड़ी बात कही: “तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिये प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे।” (मत्ती 5:43-45) जब कोई हमें सताता है तब भी हम “भलाई से बुराई को जीत[ने]” की कोशिश करते हैं। (रोमियों 12:19-21) अगर मुमकिन हो, तो हम उसे अपनी सबसे बड़ी दौलत यानी सच्चाई भी देते हैं।

16 यूक्रेन में, क्रिमिनचूक हेराल्ड अखबार के एक लेख में यहोवा के साक्षियों को एक खतरनाक पंथ कहा गया। यह एक गंभीर मामला था, क्योंकि यूरोप में कुछ लोगों ने यहोवा के साक्षियों के बारे में ऐसी ही बातें कहकर लोगों को यह यकीन दिलाना चाहा कि साक्षियों के काम पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। इसलिए, ज़िम्मेदार भाइयों ने इस अखबार के एडिटर से बात की और उससे कहा कि इस लेख की गलत जानकारी को सही करने के लिए अखबार में एक और लेख छापे। वह मान गया, मगर उस लेख के साथ उसने यह बात भी छाप दी कि पिछले लेख में जो कुछ कहा गया वह सच है। इसलिए ज़िम्मेदार भाई उसके पास दोबारा गए और उसे ज़्यादा जानकारी दी। आखिरकार, एडिटर ने जाना कि पहला लेख गलत था और इसलिए उसने अखबार में यह छपवाया कि वह पहले लेख में कही गयी बातों को वापस लेता है। ऐसी स्थिति को प्रेम से निपटाने के लिए ज़रूरी था कि उससे खुलकर मगर आदर से बात की जाए, और ऐसा करने का अच्छा नतीजा निकला।

प्रेम का गुण कैसे बढ़ाएँ?

17. किस बात से पता लगता है कि दूसरों के साथ हमेशा प्रेम से पेश आना आसान नहीं होता?

17 एक शिशु के जन्म लेने पर उसके माता-पिता तुरंत ही उससे प्यार करने लगते हैं। मगर बड़ों से प्रेम करना हमेशा इतना सहज और आसान नहीं होता। शायद इसीलिए बाइबल हमसे बार-बार कहती है कि एक-दूसरे से प्रेम करें, यह एक ऐसा गुण है जिसे बढ़ाने के लिए हमें मेहनत करने की ज़रूरत है। (1 पतरस 1:22; 4:8; 1 यूहन्‍ना 3:11) जब यीशु ने कहा कि हमें “सात बार के सत्तर गुने तक” अपने भाई को माफ करना चाहिए, तो वह जानता था कि इससे हमारा प्रेम परखा जाएगा। (मत्ती 18:21, 22) पौलुस ने भी हमसे गुज़ारिश की कि “एक दूसरे की सह” लिया करें। (कुलुस्सियों 3:12, 13) इसीलिए तो हमसे कहा गया है: “प्रेम का पीछा करो”! (1 कुरिन्थियों 14:1, NHT) यह हम कैसे कर सकते हैं?

18. दूसरों के लिए प्रेम पैदा करने में हमें कौन-सी बात मदद करेगी?

18 सबसे पहले, हम हर वक्‍त यह याद रखें कि हम यहोवा से प्रेम करते हैं। इस प्रेम से हमें अपने पड़ोसी से प्रेम करने की ज़बरदस्त प्रेरणा मिलती है। वह कैसे? वह ऐसे कि जब हम दूसरों के साथ प्रेम से पेश आते हैं, तो इससे हमारे स्वर्गीय पिता की अच्छाई झलकती है और उसकी महिमा और स्तुति भी होती है। (यूहन्‍ना 15:8-10; फिलिप्पियों 1:9-11) दूसरा, हमें सब बातों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश करनी चाहिए। जब भी हम पाप करते हैं, तो यहोवा के खिलाफ पाप करते हैं; मगर वह बार-बार हमें माफ करता है और हमसे प्रेम करता रहता है। (भजन 86:5; 103:2, 3; 1 यूहन्‍ना 1:9; 4:18) अगर हम यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश करें, तो हमारे खिलाफ अपराध करनेवालों को माफ करना और उनसे प्रेम करते रहना हमारे लिए आसान हो जाएगा। (मत्ती 6:12) तीसरा, हम लोगों से ऐसा व्यवहार कर सकते हैं जैसा हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ करें। (मत्ती 7:12) असिद्ध होने की वजह से हमें अकसर दूसरों की माफी की ज़रूरत पड़ती है। मिसाल के लिए, जब हम कुछ ऐसी बातें बोल देते हैं जिससे दूसरों को ठेस पहुँचती है तो हम उम्मीद करते हैं कि वे यह याद रखें कि हम सभी कभी-कभार अपनी ज़बान से पाप करते हैं। (याकूब 3:2) अगर हम चाहते हैं कि दूसरे हमारे साथ प्रेम से पेश आएँ तो हमें भी दूसरों के साथ प्रेम से पेश आना होगा।

19. प्रेम का गुण बढ़ाने के लिए हम पवित्र आत्मा की मदद कैसे माँग सकते हैं?

19 चौथा, हम परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा की मदद ले सकते हैं क्योंकि प्रेम इसी आत्मा के फलों में से एक है। (गलतियों 5:22, 23) दोस्ती में, पारिवारिक रिश्‍तों में और किसी स्त्री-पुरुष के बीच की मुहब्बत में, प्रेम का होना अकसर सहज होता है। मगर जैसा प्रेम यहोवा करता है, वैसा प्रेम अपने अंदर बढ़ाने के लिए हमें यहोवा की पवित्र आत्मा से मदद लेनी होगी। यही प्रेम एकता का सिद्ध बंधन है। पवित्र आत्मा की मदद पाने के लिए हमें परमेश्‍वर का वचन बाइबल पढ़ना चाहिए। मिसाल के लिए, अगर हम बाइबल में यीशु की ज़िंदगी की जाँच करें तो हम यह समझ पाएँगे कि उसने लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया और कैसे हम भी उसके जैसे हो सकते हैं। (यूहन्‍ना 13:34, 35; 15:12) इसके अलावा, हम यहोवा से पवित्र आत्मा माँग सकते हैं, खासकर उन हालात में जब हमारे लिए प्रेम से व्यवहार करना मुश्‍किल होता है। (लूका 11:13) यही नहीं, मसीही कलीसिया के करीब रहकर भी हम प्रेम का पीछा कर सकते हैं। प्रेम करनेवाले भाई-बहनों के साथ रहने से हमें प्रेम का गुण बढ़ाने में मदद मिलेगी।—नीतिवचन 13:20.

20, 21. सन्‌ 2000 के सेवा साल में, यहोवा के साक्षियों ने किस बढ़िया तरीके से अपना प्रेम ज़ाहिर किया?

20 पिछले साल, सारी दुनिया में राज्य की खुशखबरी का ऐलान करनेवाले प्रचारकों की सबसे ज़्यादा गिनती 60,35,564 थी। इस खुशखबरी को सुननेवाले लोगों को ढूँढ़ने के लिए यहोवा के साक्षियों ने प्रचार में कुल 1,17,12,70,425 घंटे बिताए। प्रेम की वजह से ही वे गर्मी, सर्दी या बारिश के बावजूद भी इस काम में लगे रहे। प्रेम ने ही उन्हें उकसाया कि स्कूल के साथियों और साथ काम करनेवालों से बात करें और सड़कों पर या दूसरी जगहों पर बिलकुल अनजान लोगों से जाकर मिलें। मिलनेवालों में ज़्यादातर लोगों को दिलचस्पी नहीं थी और कुछ लोगों ने तो विरोध भी किया। लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने दिलचस्पी दिखायी, इसलिए 43,34,54,049 रिटर्न विज़िट की गयीं और 47,66,631 बाइबल अध्ययन चलाए गए। *

21 यहोवा के साक्षियों को अपने परमेश्‍वर से और अपने पड़ोसियों से कितना प्रेम है यह पिछले साल के उनके काम से कितनी अच्छी तरह ज़ाहिर हुआ! यह प्रेम कभी ठंडा नहीं पड़ेगा। हमें पूरा यकीन है कि सन्‌ 2001 के सेवा साल में सारी दुनिया को इससे भी बड़े पैमाने पर साक्षी दी जाएगी। हम दुआ करते हैं कि यहोवा की आशीष अपने वफादार और जोशीले उपासकों पर बनी रहे, क्योंकि वे ‘जो कुछ करते हैं प्रेम से करते हैं।’—1 कुरिन्थियों 16:14.

[फुटनोट]

^ सन्‌ 2000 के सेवा साल की रिपोर्ट के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए पेज 18-21 पर चार्ट देखिए।

क्या आप समझा सकते हैं?

• जब हम अपने पड़ोसी से प्रेम करते हैं, तब हम किसके ‘सदृश्‍य’ बनते हैं?

• हमारे प्रेम की इंतहा कहाँ तक होनी चाहिए?

• कौन-से कुछ अनुभवों से मसीही प्रेम ज़ाहिर होता है?

• हम अपने अंदर मसीही प्रेम को कैसे बढ़ा सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18-21 पर चार्ट]

संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की 2000 सेवा वर्ष रिपोर्ट

(पत्रिका देखिए)

[पेज 15 पर तसवीरें]

मसीही प्रेम परिवार को बाँधे रखता है

[पेज 17 पर तसवीरें]

प्रेम हमें उकसाता है कि अपनी आशा दूसरों के साथ बाँटें