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परमेश्‍वर के प्रकाश में चलनेवालों के लिए आनंद

परमेश्‍वर के प्रकाश में चलनेवालों के लिए आनंद

परमेश्‍वर के प्रकाश में चलनेवालों के लिए आनंद

“आ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें।”—यशायाह 2:5.

1, 2. (क) प्रकाश हमारे लिए कितना ज़रूरी है? (ख) सारी पृथ्वी पर अंधकार छाने की चेतावनी गंभीर क्यों है?

   प्रकाश यहोवा ही से मिलता है। बाइबल कहती है कि परमेश्‍वर ने “दिन को प्रकाश देने के लिये सूर्य को और रात को प्रकाश देने के लिये चन्द्रमा और तारागण के नियम ठहराए हैं।” (यिर्मयाह 31:35; भजन 8:3) परमेश्‍वर ने ही सूरज को बनाया है। सूरज आग का तपता हुआ एक बड़ा गोला है जिससे अंतरिक्ष को बेहिसाब ऊर्जा मिलती है, कुछ गर्मी के रूप में तो कुछ रोशनी के रूप में। इस उर्जा का एक छोटा-सा हिस्सा धूप के रूप में पृथ्वी पर पहुँचता है और उसी से यहाँ जीवन संभव होता है। अगर सूरज न होता तो हम भी ना होते, पृथ्वी पर एक भी प्राणी नहीं रह पाता।

2 इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि भविष्यवक्‍ता यशायाह ने जिस हालत का ब्यौरा दिया वह कितना गंभीर था। उसने कहा: “देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है।” (यशायाह 60:2) यहाँ जिस अंधकार की बात की गयी है वह सचमुच का अंधकार नहीं था। यशायाह के कहने का मतलब यह नहीं था कि एक दिन सूरज, चाँद और तारे चमकना बंद कर देंगे। (भजन 89:36, 37; 136:7-9) इसके बजाय वह आध्यात्मिक अंधकार की बात कर रहा था, जो हमारे जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। जिस तरह सूरज का प्रकाश काफी समय तक न मिलने पर हमारा जीना नामुमकिन हो जाएगा, ठीक उसी तरह अगर हमें काफी समय तक आध्यात्मिक प्रकाश न मिले तो जीना नामुमकिन हो जाएगा।लूका 1:79.

3. यशायाह के शब्दों को ध्यान में रखते हुए मसीहियों को क्या करना चाहिए?

3 इसलिए हमें यशायाह के शब्दों को पूरी गंभीरता से लेना चाहिए। हालाँकि उसके शब्द प्राचीन यहूदा पर पूरे हुए थे मगर उनकी बड़ी पूर्ति आज हमारे दिनों में हो रही है। जी हाँ, आज दुनिया पर घोर आध्यात्मिक अंधकार छाया हुआ है। ऐसे खतरनाक समय में लोगों को आध्यात्मिक प्रकाश की सख्त ज़रूरत है। इसलिए मसीहियों को यीशु की इस बात पर ध्यान देना चाहिए: “तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके।” (मत्ती 5:16) वफादार मसीही, नम्र लोगों को आध्यात्मिक अंधकार से बाहर निकाल सकते हैं और उन्हें जीवन पाने का मार्ग दिखा सकते हैं।—यूहन्‍ना 8:12.

इस्राएल में अंधकार का समय

4. यशायाह की भविष्यवाणी पहली बार कब पूरी हुई मगर उसके दिनों में भी हालत किस तरह की थी?

4 पूरी पृथ्वी पर अंधकार छाने के बारे में यशायाह की इस भविष्यवाणी की पहली पूर्ति उस दौरान हुई जब यहूदा देश उजाड़ पड़ा था, और उसके लोग बाबुल में गुलाम थे। मगर उससे पहले यशायाह के दिनों में भी, यहूदा में आध्यात्मिक अंधकार पूरी तरह छाया हुआ था। इसीलिए यशायाह ने अपने देशवासियों से आग्रह किया था: “हे याकूब के घराने, आ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें”!—यशायाह 2:5; 5:20.

5, 6. यशायाह के दिनों में किन वजहों से अंधकार छाया हुआ था?

5 यशायाह “उज्जिय्याह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह नाम यहूदा के राजाओं के दिनों में” यहूदा देश में भविष्यवक्‍ता था। (यशायाह 1:1) उस वक्‍त देश में हर तरफ उपद्रव ही उपद्रव मचा हुआ था। देश की राजनैतिक हालत खराब थी, उपासना में भी कपट था, कहीं किसी को इंसाफ नहीं मिलता था और गरीबों पर ज़ुल्म ढाए जाते थे। योताम जैसे वफादार राजाओं के शासन के दौरान भी बहुत-सी पहाड़ियों पर झूठे देवी-देवताओं की वेदियाँ देखी जा सकती थीं। और दुष्ट राजाओं के शासन-काल में तो हालत बदतर हो गई। उदाहरण के लिए, दुष्ट राजा आहाज झूठी उपासना में इस कदर डूब चुका था कि उसने मोलेक देवता को खुद अपनी संतान की बलि चढ़ा दी। वाकई घोर अंधकार छाया हुआ था!—2 राजा 15:32-34; 16:2-4.

6 अपने पड़ोसी देशों के साथ भी यहूदा देश के संबंध अच्छे नहीं थे। मोआब, एदोम और पलिश्‍ती देश के लोग यहूदा की सरहदों पर खतरा बनकर मँडरा रहे थे। इस्राएल का उत्तरी राज्य, यहूदा का पक्का दुश्‍मन बन चुका था, हालाँकि वे एक-दूसरे के रिश्‍तेदार थे। आगे उत्तर में सीरिया भी था जो यहूदा की शांति के लिए खतरा बना हुआ था। और सबसे बड़ा खतरा तो क्रूर अश्‍शूर था जो हमेशा अपनी सरहदें बढ़ाने की ताक में रहता था। जिन सालों के दौरान यशायाह ने भविष्यवाणी की थी, उसी दौरान अश्‍शूर ने पूरे इस्राएल देश को परास्त कर दिया और यहूदा को लगभग तबाह कर दिया था। ऐसा वक्‍त भी आया जब यरूशलेम को छोड़ यहूदा के सारे गढ़वाले नगर अश्‍शूर के कब्ज़े में आ गए।—यशायाह 1:7, 8; 36:1.

7. इस्राएल और यहूदा ने कौन-सा मार्ग अपनाया और फिर यहोवा ने क्या किया?

7 इस्राएल और यहूदा के लोग यहोवा के साथ एक वाचा में बँधे हुए थे मगर फिर भी उन पर मुसीबतें इसलिए आईं क्योंकि उन्होंने यहोवा के साथ विश्‍वासघात किया था। नीतिवचन की किताब में बताए गए लोगों की तरह वे ‘सीधाई के मार्ग को छोड़कर, अन्धेरे मार्ग में चलने लगे’ थे। (नीतिवचन 2:13) इसलिए यहोवा अपने इन लोगों से नाराज़ था। मगर इसके बावजूद उसने उन्हें पूरी तरह नहीं छोड़ दिया था। तभी तो उसने यशायाह और दूसरे भविष्यवक्‍ताओं को उनके पास भेजा ताकि जो अब भी वफादारी से यहोवा की सेवा करना चाहते थे, उनको आध्यात्मिक प्रकाश मिल सके। इन भविष्यवक्‍ताओं से मिलनेवाली आध्यात्मिक रोशनी वाकई अनमोल थी। उससे लोगों की जान बच सकती थी।

आज अंधकार के समय

8, 9. किन कारणों से आज दुनिया में घोर अंधकार छाया हुआ है?

8 आज की हालत भी ठीक वैसी ही है जैसे यशायाह के दिनों में थी। आज के शासकों ने यहोवा और उसके द्वारा सिंहासन पर नियुक्‍त राजा, यीशु मसीह को ठुकरा दिया है। (भजन 2:2, 3) ईसाईजगत के पादरियों ने अपने चर्च के लोगों को धोखा दिया है। ये धर्म-गुरू परमेश्‍वर की सेवा करने का दावा तो करते हैं मगर असल में वे उन चीज़ों को बढ़ावा देते हैं जिनकी दुनिया भगवान मानकर पूजा करती है, जैसे राष्ट्राभिमान, सैन्यवाद, पैसा और इस दुनिया की महान हस्तियाँ। और इसमें शक नहीं कि इन्होंने झूठी धारणाएँ सिखाने में तो पहले ही कोई कसर नहीं छोड़ी है।

9 इतना ही नहीं, ईसाईजगत के लोग जगह-जगह होनेवाले युद्धों में और ऐसे दंगे-फसादों में भी शरीक होते हैं जिनमें जाति-भेद की वजह से जनसंहार किया जाता है और बहुत-सी खौफनाक वारदातें होती हैं। इतना ही नहीं, वे बाइबल में दिए गए नैतिक स्तरों को बढ़ावा देने के बजाय व्यभिचार और समलैंगिकता जैसे अनैतिक कामों को नज़रअंदाज़ करते हैं या उन्हें पूरा समर्थन देते हैं। बाइबल के स्तरों को इस तरह ठुकराने का अंजाम यह हुआ है कि ईसाईजगत के लोगों की हालत बिलकुल उन लोगों की तरह बन गई है जिनका ज़िक्र एक प्राचीन भजनहार ने किया था: “वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं।” (भजन 82:5) वाकई, प्राचीन यहूदा की तरह ईसाईजगत के लोगों पर भी घुप अंधेरा छाया हुआ है।—प्रकाशितवाक्य 8:12.

10. आज अंधकार में प्रकाश कैसे चमक रहा है और इससे नम्र लोगों को कौन-से फायदे हो रहे हैं?

10 लेकिन ऐसे घोर अंधकार के समय में यहोवा नम्र लोगों की खातिर प्रकाश चमका रहा है। इसके लिए, वह पृथ्वी पर अपने अभिषिक्‍त सेवकों यानी “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को इस्तेमाल कर रहा है और वे “जगत में जलते दीपकों” की तरह चमक रहे हैं। (मत्ती 24:45; फिलिप्पियों 2:15) इस दास वर्ग के साथ उनके साथी यानी ‘अन्य भेड़ों’ के लाखों लोग परमेश्‍वर के वचन, बाइबल पर आधारित आध्यात्मिक रोशनी दूर-दूर तक फैला रहे हैं। (यूहन्‍ना 10:16, NW) आज की अंधकार भरी दुनिया में इस प्रकाश से नम्र लोगों को आशा की किरण मिलती है, वे परमेश्‍वर के साथ एक रिश्‍ता कायम कर पाते हैं, और ऐसे फंदों से बच पाते हैं जो उनकी आध्यात्मिकता के लिए खतरा हैं। यह प्रकाश बहुत अनमोल है क्योंकि यह लोगों को जीवन देता है।

“मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा”

11. यशायाह के दिनों में यहोवा ने क्या मार्गदर्शन दिया?

11 यशायाह के दिनों में वाकई अंधकार था और उसके बाद आए दिनों में जब बाबुल की सेना यहोवा की जाति को बँधुवाई में ले गई तब तो और भी घोर अंधकार था। ऐसे में यहोवा ने अपने लोगों को किस तरह का मार्गदर्शन दिया? एक तो यहोवा ने उन्हें नैतिक मार्गदर्शन दिया और इसके अलावा उन्हें पहले से यह साफ-साफ बता दिया कि उनके संबंध में वह अपने उद्देश्‍यों को कैसे पूरा करेगा। मिसाल के लिए, यशायाह के अध्याय 25-27 की शानदार भविष्यवाणियों पर गौर कीजिए। इन अध्यायों में दी गई भविष्यवाणियों से हमें पता चलता है कि यहोवा ने यशायाह के ज़माने में किस तरह के कार्य किए थे और आज वह कैसे कार्य कर रहा है।

12. यशायाह ने किस तरह सच्चे दिल से यहोवा की स्तुति की?

12 सबसे पहले, यशायाह कहता है: “हे यहोवा, तू मेरा परमेश्‍वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा।” यशायाह ने वाकई सच्चे दिल से यहोवा को सराहा! मगर, किस बात ने उसे स्तुति की यह प्रार्थना करने के लिए उकसाया? इसकी एक खास वजह उसी आयत के दूसरे भाग में बतायी गयी है, जहाँ लिखा है: “क्योंकि तू [यहोवा] ने आश्‍चर्य कर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्‍तियां [योजनाएं, NHT] की हैं।”—यशायाह 25:1.

13. (क) कौन-सा ज्ञान होने की वजह से यशायाह के दिल में परमेश्‍वर के लिए कदरदानी बढ़ी? (ख) यशायाह की मिसाल से हम क्या सीख सकते हैं?

13 यशायाह के दिनों तक यहोवा ने इस्राएल की खातिर अनेकों आश्‍चर्यकर्म किए थे और उन घटनाओं को दर्ज़ भी किया गया था। इन आश्‍चर्यकर्मों के बारे में बेशक यशायाह ने पढ़ा होगा। उदाहरण के लिए, उसे यह जानकारी थी कि किस तरह यहोवा ने इस्राएलियों को मिस्र देश की गुलामी से छुड़ाया और उन्हें लाल सागर के पास फिरौन की सेना के प्रकोप से बचाया था। वह जानता था कि जब इस्राएली वीराने से गुज़र रहे थे, तो यहोवा उनके साथ-साथ रहा और उन्हें वादा किए गए देश में पहुँचाया। (भजन 136:1, 10-26) ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं से यह साफ ज़ाहिर था कि यहोवा वफादार और भरोसे के योग्य परमेश्‍वर है। उसकी ‘योजनाएं’ यानी वह जो कुछ करने की ठान लेता है, उसे ज़रूर पूरा करता है। परमेश्‍वर के लिखित वचन का सही ज्ञान होने की वजह से प्रकाश में चलते रहने का यशायाह का इरादा और भी मज़बूत हुआ। यशायाह हमारे लिए कितनी अच्छी मिसाल है! अगर हम भी ध्यान से परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करें और उसे अपनी ज़िंदगी में लागू करें, तो हम हमेशा प्रकाश में चल पाएँगे।—भजन 119:105; 2 कुरिन्थियों 4:6.

एक नगर का विनाश हुआ

14. एक नगर के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी, और वह कौन-सा नगर था?

14 परमेश्‍वर के एक मकसद का ज़िक्र यशायाह 25:2 में किया गया है: “तू ने नगर को डीह, और उस गढ़वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा।” यहाँ यशायाह किस नगर की बात कर रहा है? वह शायद बाबुल के बारे में भविष्यवाणी कर रहा है। वाकई, वह समय भी आया जब शानो-शौकत से भरा बाबुल मलबे का ढेर बनकर रह गया।

15. आज वह “बड़ा नगर” कौन-सा है, और बहुत जल्द इसके साथ क्या होगा?

15 यशायाह द्वारा बताए गए उस नगर की तरह, क्या आज भी कोई नगर है? जी हाँ, है। प्रकाशितवाक्य की किताब में इस नगर को “बड़ा नगर” कहा गया है, “जो पृथ्वी के राजाओं पर राज्य करता है।” (प्रकाशितवाक्य 17:18) यह बड़ा नगर दुनिया-भर में फैले झूठे धर्मों का साम्राज्य है। (प्रकाशितवाक्य 17:5) आज, बड़े बाबुल का सबसे खास हिस्सा ईसाईजगत है। इसके पादरी यहोवा के लोगों द्वारा किए जा रहे राज्य के प्रचार काम का विरोध करने में सबसे आगे रहते हैं। (मत्ती 24:14) मगर बहुत जल्द इस बड़े बाबुल का भी वही हश्र होनेवाला है जो प्राचीन बाबुल का हुआ था। इसका विनाश इस कदर होगा कि यह फिर दोबारा कभी दिखाई नहीं देगा।

16, 17. प्राचीन समय में और हमारे दिनों में भी यहोवा के दुश्‍मनों ने किस तरह उसकी महिमा की है?

16 यशायाह उस “गढ़वाले नगर” के बारे में और क्या भविष्यवाणी करता है? यहोवा से बात करते हुए यशायाह कहता है: “बलवन्त राज्य के लोग तेरी महिमा करेंगे; भयंकर अन्यजातियों के नगरों में तेरा भय माना जाएगा।” (यशायाह 25:3) ‘भयंकर अन्यजातियों का यह नगर’ यानी दुश्‍मनों का नगर, यहोवा की महिमा कैसे करेगा? याद कीजिए कि बाबुल के सबसे शक्‍तिशाली राजा, नबूकदनेस्सर के साथ क्या हुआ था। उस पर जो बीता उससे उसके होश ठिकाने आ गए, उसकी कमज़ोरियाँ ज़ाहिर हुईं और उसे कबूल करना पड़ा कि यहोवा कितना महान और सर्वशक्‍तिमान है। (दानिय्येल 4:34, 35) जब यहोवा अपनी ताकत का इस्तेमाल करता है तो उसके दुश्‍मनों को भी, मजबूरन ही सही मगर उसके शक्‍तिशाली कामों का लोहा मानना ही पड़ता है।

17 क्या कभी बड़े बाबुल को भी यहोवा के शक्‍तिशाली कामों का लोहा मानना पड़ा था? जी हाँ। पहले विश्‍वयुद्ध के दौरान यहोवा के अभिषिक्‍त सेवकों के प्रचार कार्य का विरोध किया गया था। फिर 1918 में उन्हें आध्यात्मिक मायने में बंदी बना लिया गया था क्योंकि उस साल वॉच टावर सोसाइटी के मुख्य अधिकारियों को जेल की सज़ा दी गयी थी। उस दौरान एक संगठित तौर पर प्रचार का काम तकरीबन बंद हो गया था। लेकिन 1919 में यहोवा ने उनको आध्यात्मिक बँधुवाई से छुड़ा दिया और अपनी आत्मा द्वारा उनमें नया जोश भर दिया। तब वे दोबारा पूरी पृथ्वी पर सुसमाचार का प्रचार करने के काम में जुट गए। (मरकुस 13:10) इन सारी घटनाओं की भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य की किताब में पहले से ही की गयी थी। साथ ही यह भी बताया गया था कि इसका दुश्‍मनों पर क्या असर होगा। वे इन अद्‌भुत कामों को देखकर बहुत “डर गए, और [उन्होंने] स्वर्ग के परमेश्‍वर की महिमा की।” (प्रकाशितवाक्य 11:3, 7, 11-13) इसका यह मतलब नहीं था कि वे अपना धर्म बदलकर यहोवा की उपासना करने लग गए, मगर ठीक जैसे यशायाह ने भविष्यवाणी की थी, इस सिलसिले में उन्हें यह मानना पड़ा कि इस अद्‌भुत घटना के पीछे यहोवा का ही हाथ है।

“दीनों के लिये गढ़”

18, 19. (क) यहोवा के लोगों की खराई तोड़ने में दुश्‍मन कामयाब क्यों नहीं हुए हैं? (ख) ‘क्रूर लोगों की जयजयकार’ कैसे बंद की जाएगी?

18 अब यशायाह इस बात पर ध्यान देता है कि किस तरह यहोवा ने प्रकाश में चलनेवालों पर दया की है। वह यहोवा से कहता है: “तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ। जैसे निर्जल देश में बादल की छाया से तपन ठण्डी होती है वैसे ही तू परदेशियों का कोलाहल और क्रूर लोगों का जयजयकार बन्द करता है।”—यशायाह 25:4, 5.

19 सन्‌ 1919 से क्रूर लोग सच्चे उपासकों की खराई तोड़ने के लिए हर तरीका आज़मा चुके हैं मगर वे कामयाब नहीं हुए। क्यों? क्योंकि यहोवा अपने लोगों का गढ़ और उनका शरणस्थान है। जब हम पर दुश्‍मनों की तरफ से उत्पीड़न की आग भड़कती है तब वह हमें छाया के समान राहत देता है, और विरोध की आँधी के सामने वह एक मज़बूत दीवार की तरह खड़ा हो जाता है। परमेश्‍वर के प्रकाश में चलनेवाले हम लोगों का यह पक्का विश्‍वास है कि वह दिन ज़रूर आएगा जब ‘क्रूर लोगों की जयजयकार बन्द’ की जाएगी। जी हाँ, हम उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं जब यहोवा के दुश्‍मनों का कोई नामो-निशान नहीं रहेगा।

20, 21. यहोवा ने अपने लोगों के लिए कौन-सी दावत का इंतज़ाम किया है और नयी दुनिया में इस दावत में क्या शामिल होगा?

20 यहोवा अपने सेवकों को मुसीबत से बचाने के अलावा उनके लिए बहुत कुछ करता है। वह एक पिता की तरह प्यार से उनकी हर ज़रूरत को पूरा करता है। सन्‌ 1919 में अपने लोगों को बड़े बाबुल से छुटकारा दिलाने के बाद, यहोवा ने उनकी जीत की खुशी में उन्हें दावत दी, यानी उनके लिए बहुतायत में आध्यात्मिक भोजन का प्रबंध किया। इसकी भविष्यवाणी यशायाह 25:6 में की गयी थी, जहाँ लिखा है: “सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा।” यह कितनी बड़ी आशीष है कि आज हम उस दावत का आनंद उठा रहे हैं! (मत्ती 4:4) “[यहोवा] की मेज” सचमुच उत्तम से उत्तम भोजन से भरी हुई है। (1 कुरिन्थियों 10:21) “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए वह हमारी हर आध्यात्मिक ज़रूरत पूरी कर रहा है।

21 परमेश्‍वर द्वारा इंतज़ाम की गयी इस दावत में अभी और भी बहुत कुछ मिलनेवाला है। जिस आध्यात्मिक दावत का आज हम आनंद ले रहे हैं वह हमें परमेश्‍वर की वादा की हुई नयी दुनिया की याद दिलाती है, जिसमें अन्‍न की कोई कमी नहीं होगी। उस वक्‍त ‘जेवनार में जो भांति भांति का चिकना भोजन’ होगा, उसमें बहुतायत में शारीरिक भोजन भी होगा। उस समय न तो शारीरिक तौर पर और ना ही आध्यात्मिक तौर पर कोई भूखा-प्यासा होगा। हमारे उन प्यारे वफादार भाई-बहनों को कितनी राहत मिलेगी, जिन्हें आज ‘अकालों’ की वजह से तकलीफ का सामना करना पड़ता है, जो कि यीशु की उपस्थिति के “चिन्ह” का एक भाग है। (मत्ती 24:3, 7) आज उन्हें भजनहार के इन शब्दों से वाकई तसल्ली मिलती है: “देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्‍न होगा।”—भजन 72:16.

22, 23. (क) कौन-सा “घूंघट” या “पर्दा” हटा दिया जाएगा और कैसे? (ख) ‘यहोवा की प्रजा की नामधराई’ कैसे दूर की जाएगी?

22 अब आप एक ऐसे वादे पर ध्यान दीजिए जो और भी शानदार है। पाप और मृत्यु की तुलना एक “घूंघट” या ‘पर्दे’ से करते हुए यशायाह कहता है: “जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब अन्यजातियों पर लटका हुआ है, उसे [यहोवा] इसी पर्वत पर नाश करेगा।” (यशायाह 25:7) ज़रा सोचिए! पाप और मृत्यु एक मोटे कंबल की तरह हैं और उनके तले मानवजाति का दम घुट रहा है लेकिन नयी दुनिया में ये नहीं रहेंगे। हम वह दिन देखने के लिए कितना तरसते हैं जब आज्ञा माननेवाले सभी वफादार लोगों को यीशु के छुड़ौती बलिदान का पूरा-पूरा फायदा मिलेगा!—प्रकाशितवाक्य 21:3, 4.

23 उस शानदार समय का ज़िक्र करते हुए यशायाह हमें यकीन दिलाता है: “[परमेश्‍वर] मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है।” (यशायाह 25:8) उस समय कोई नहीं मरेगा और कोई भी मृत्यु की वजह से अपने अज़ीज़ से जुदा नहीं होगा। वह कितनी बड़ी आशीष होगी! इसके अलावा, धरती पर कहीं भी परमेश्‍वर और उसके सेवकों की निंदा नहीं सुनाई देगी, न ही ऐसे झूठे इलज़ाम सुनाई देंगे जो हज़ारों सालों से उन पर थोपे जा रहे हैं। क्यों नहीं? क्योंकि यहोवा न सिर्फ झूठे लोगों को बल्कि झूठ के पिता शैतान, इब्‌लीस को भी मिटा देगा। शैतान का एक भी वंश नहीं बचेगा।—यूहन्‍ना 8:44.

24. प्रकाश में चलनेवाले जब यहोवा के शक्‍तिशाली कामों पर विचार करते हैं तो उन पर क्या असर होता है?

24 प्रकाश में चलनेवाले लोग जब यहोवा के इन शक्‍तिशाली कामों पर विचार करते हैं तो उनका दिल खुशी से झूम उठता है और वे कहते हैं: “देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।” (यशायाह 25:9) बहुत जल्द धर्मी लोगों को हर तरह की आशीषें मिलेंगी जिससे वे आनंद मना सकेंगे। कहीं भी आध्यात्मिक अंधकार नहीं होगा और वफादार लोग यहोवा के प्रकाश में हमेशा-हमेशा चमकते रहेंगे। क्या इससे बढ़कर कोई शानदार आशा हो सकती है? बिलकुल नहीं!

क्या आप समझा सकते हैं?

• आज प्रकाश में चलना इतना ज़रूरी क्यों है?

• यशायाह ने यहोवा के नाम की स्तुति क्यों की?

• दुश्‍मन परमेश्‍वर के लोगों की खराई तोड़ने में क्यों कभी कामयाब नहीं होंगे?

• यहोवा के प्रकाश में चलनेवालों को कौन-सी शानदार आशीषें मिलनेवाली हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 12, 13 पर तसवीर]

यहूदा के लोगों ने मोलेक को अपने बच्चों की बलि चढ़ायी

[पेज 15 पर तसवीरें]

यहोवा के आश्‍चर्यकर्मों का ज्ञान होने की वजह से ही यशायाह उसके नाम का धन्यवाद करने के लिए प्रेरित हुआ

[पेज 16 पर तसवीर]

धर्मी लोग यहोवा के प्रकाश में हमेशा-हमेशा चमकते रहेंगे