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आध्यात्मिक रूप से एक मज़बूत परिवार बनाना

आध्यात्मिक रूप से एक मज़बूत परिवार बनाना

आध्यात्मिक रूप से एक मज़बूत परिवार बनाना

“प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।”—इफिसियों 6:4.

1. परिवारों के लिए परमेश्‍वर का उद्देश्‍य क्या था, मगर इसके बजाय क्या हुआ?

 “फूलो फल , और पृथ्वी में भर जाओ।” (उत्पत्ति 1:28) परमेश्‍वर यहोवा ने आदम और हव्वा को यह आज्ञा देकर परिवार की शुरूआत की। (इफिसियों 3:14, 15) पहला जोड़ा भविष्य की ओर देख सकता था कि किस तरह सारी पृथ्वी उनके बच्चों और उनके परिवारों से भर जाती। ये सारे लोग सिद्ध होते और एक खूबसूरत पृथ्वी पर खुशी-खुशी रहते और एक-साथ मिलकर अपने महान सृष्टिकर्ता की उपासना करते। मगर आदम और हव्वा के पाप कर बैठने की वजह से यह पृथ्वी, परमेश्‍वर का भय माननेवाले धार्मिक लोगों से नहीं भरी। (रोमियों 5:12) इसके बजाय, परिवारों की हालत बिगड़ती चली गई है और नफरत, हिंसा, और “स्नेहरहित” जैसी भावनाएँ बढ़ने लगी हैं, खासकर इन “अंतिम दिनों” में।—2 तीमुथियुस 3:1-5, NHT; उत्पत्ति 4:8, 23; 6:5, 11, 12.

2. आदम की संतान के पास कौन-सी काबिलीयत थी, लेकिन आध्यात्मिक रूप से एक मज़बूत परिवार बनाने के लिए उन्हें क्या करने की ज़रूरत थी?

2 परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा को अपने स्वरूप में बनाया था। अब जबकि आदम एक पापी बन गया था फिर भी यहोवा ने उसे अपना वंश बढ़ाने की इज़ाज़त दी। (उत्पत्ति 1:27; 5:1-4) अपने पिता की तरह, आदम की संतानों के पास नैतिक समझ थी और वे सही और गलत में फर्क करना सीख सकते थे। उन्हें यह सिखाया जा सकता था कि सृष्टिकर्ता की उपासना कैसे करनी चाहिए साथ ही यह भी सिखाया जा सकता था कि परमेश्‍वर से सारे मन, प्राण, बुद्धि, और शक्‍ति से प्रेम करने की अहमियत क्या है। (मरकुस 12:30; यूहन्‍ना 4:24; याकूब 1:27) इसके अलावा, उन्हें ‘न्याय से काम करने, कृपा से प्रीति रखने, और परमेश्‍वर के साथ नम्रता से चलने’ के बारे में भी सिखाया जा सकता था। (मीका 6:8) मगर पापी होने की वजह से उन्हें बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत थी ताकि उनका परिवार आध्यात्मिक तौर से मज़बूत बन सके।

समय को मोल लें

3. माता-पिता, मसीही बच्चों की परवरिश करने के लिए कैसे “समय को मोल” ले सकते हैं?

3 आज इन कठिन समय में, हालात इतने पेचीदा हो गए हैं कि बच्चों को ‘यहोवा का प्रेमी’ और पूरी तरह “बुराई से घृणा” करनेवाला बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना ज़रूरी है। (भजन 97:10) समझदार माता-पिता “समय को मोल” लेकर इस मुश्‍किल काम को पूरा करते हैं। (इफिसियों 5:15-17, NW) बतौर माता-पिता, आप यह कैसे कर सकते हैं? पहला, यह तय कीजिए की सबसे ज़रूरी काम कौन से हैं, फिर “उत्तम से उत्तम बातों” को पहला स्थान दीजिए, जिसमें अपने बच्चों को सिखाना और उन्हें प्रशिक्षित करना शामिल है। (फिलिप्पियों 1:10, 11) दूसरा कदम होगा, अपनी ज़िंदगी को सादा बनाइए। इसका मतलब है कि आप उन कामों को नहीं करेंगे जो ज़रूरी नहीं हैं। या आप ऐसी गैरज़रूरी चीज़ों को नहीं रखेंगे जिन्हें सँभालने में काफी वक्‍त ज़ाया होता है। एक मसीही माता-पिता होने के नाते, आपको इस बात का कभी पछतावा नहीं होगा कि आपने अपने बच्चों को परमेश्‍वर का भय माननेवाला बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है।—नीतिवचन 29:15, 17.

4. एक परिवार कैसे बँधा रह सकता है?

4 अपने बच्चों के साथ वक्‍त बिताने की आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी, खासकर जब आप आध्यात्मिक बातों को समझाने के लिए वक्‍त निकालते हैं। और तो और, परिवार को बाँधे रखने के लिए यह सबसे बढ़िया तरीका है। मगर माता-पिता को ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि जब समय मिलेगा तब वे बच्चों के साथ वक्‍त बिताएँगे। बल्कि उन्हें पहले से ही तय करना चाहिए कि वह किस दिन कितना वक्‍त अपने बच्चों के साथ बिताएँगे। मगर वक्‍त बिताने का मतलब यह हरगिज़ नहीं कि सब घर में तो रहेंगे मगर अपनी-अपनी मरज़ी का काम करेंगे। हर रोज़ बच्चों पर निजी ध्यान देने से वे बहुत अच्छी तरह से फलते-फूलते हैं। उनके लिए दिल खोलकर दुलार और परवाह दिखानी चाहिए। इसलिए, बच्चे पैदा करने का फैसला करने से पहले पति-पत्नी को इस बड़ी ज़िम्मेदारी के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। (लूका 14:28) ऐसा करने से, वे बच्चों की परवरिश, बोझ समझकर नहीं बल्कि एक बड़ी आशीष समझकर करेंगे।—उत्पत्ति 33:5; भजन 127:3.

बातचीत और मिसाल के ज़रिए सिखाइए

5. (क) परमेश्‍वर से बच्चों को प्यार करना सिखाने से पहले आपको क्या करने की ज़रूरत है? (ख) व्यवस्थाविवरण 6:5-7 में माता-पिताओं को क्या सलाह दी गई है?

5 अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाने से पहले आपको खुद उससे प्यार करना होगा। परमेश्‍वर के लिए गहरा प्यार होने की वजह से आप पूरी वफादारी से उसकी सभी हिदायतों का पालन करेंगे। इन हिदायतों में बच्चों को “प्रभु की शिक्षा, और चितावनी” देना भी शामिल है। (इफिसियों 6:4) परमेश्‍वर, माता-पिताओं को अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल रखने, उनसे बातचीत करने और उन्हें शिक्षा देने की सलाह देता है। व्यवस्थाविवरण 6:5-7 में लिखा है: “तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना। और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बालबच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।” बार-बार सलाह देने और दोहराने से, परमेश्‍वर के नियम उनके मन में अच्छी तरह से बैठ सकते हैं। इस तरह आपके बच्चे महसूस कर पाएँगे कि आप खुद यहोवा से कितना प्यार करते हैं और इससे उनका भी मन करेगा कि वे भी परमेश्‍वर के करीब आएँ।—नीतिवचन 20:7.

6. माता-पिता इस बात का कैसे फायदा उठा सकते हैं कि बच्चे दूसरों के उदाहरण से सीखते हैं?

6 बच्चे सीखने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं। वे बहुत ध्यान से सुनते हैं, देखते हैं और आपकी नकल उतारने में भी बड़े तेज़ होते हैं। अगर वे देखें कि आप खुद ऐशो-आराम और धन-दौलत के लालची नहीं हैं, तो उन्हें यह सीखने में मदद मिलती है कि यीशु की सलाह के मुताबिक कैसे चलना चाहिए। इस तरह आप उन्हें भौतिक चीज़ों के बारे में चिंता करने के बजाय, पहले “राज्य और धर्म की खोज” करना सिखाते हैं। (मत्ती 6:25-33) आपको अपने बच्चों से बाइबल की सच्चाई, परमेश्‍वर की कलीसिया और नियुक्‍त प्राचीनों के बारे में अच्छी और हौसला बढ़ानेवाली बातें करनी चाहिए। इस तरह आप अपने बच्चों को यहोवा का आदर करना और उसके आध्यात्मिक इंतज़ामों की कदर करना सिखाते हैं। जब बड़े, अपनी कही बात पर खुद नहीं चलते तो बच्चे फौरन ताड़ लेते हैं। इसलिए मुँह-ज़बानी शिक्षा देने के साथ-साथ आपको अपने चालचलन और रवैये से भी दिखाना चाहिए कि आप आध्यात्मिक बातों की कदर करते हैं। माता-पिता के लिए यह कितनी ही बड़ी आशीष है जब उनकी अच्छी मिसाल की वजह से बच्चे यहोवा को दिलो-जान से प्यार करने लगते हैं!—नीतिवचन 23:24, 25.

7, 8. कौन-सा उदाहरण यह दिखाता है कि बच्चों को बचपन से ही सिखाना फायदेमंद होता है, और इसकी कामयाबी का श्रेय किसे दिया जाना चाहिए?

7 बच्चों को छोटी उम्र से ही सिखाने के कितने फायदे हैं, इस बात की सच्चाई हम वेनेज़ुइला के एक उदाहरण से देख सकते हैं। (2 तीमुथियुस 3:15) फीलिक्स और मेयरलिन, एक जवान पति-पत्नी हैं। वे दोनों पायनियर हैं। जब उनके बेटे फेलीटो का जन्म हुआ, तो उनकी इच्छा थी कि बड़ा होकर वह यहोवा का सच्चा उपासक बनें और वे पूरे जोश के साथ इस कोशिश में जुट गए। मेयरलिन, फेलीटो को बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक से कहानियाँ पढ़कर सुनाती, जो कि यहोवा के साक्षियों द्वारा प्रकाशित की गई है। छोटी उम्र में ही फेलीटो, उस किताब में मूसा और कई दूसरे लोगों की तसवीरों को पहचानने लगा।

8 जब फेलीटो थोड़ा बड़ा हुआ तो वह अपने आप ही दूसरों को साक्षी देने लगा। उसकी इच्छा थी कि वह राज्य का प्रचारक बने और प्रचारक बनने के कुछ समय बाद उसने बपतिस्मा ले लिया। उसके कुछ समय बाद वह एक रेग्युलर पायनियर बन गया। उसके माता-पिता कहते हैं: “अपने बेटे को उन्‍नति करते देख, हम यहोवा का धन्यवाद करना नहीं भूलते क्योंकि यह सब हम उसकी हिदायतों की बदौलत कर पाए हैं।”

आध्यात्मिक तौर से बढ़ने में बच्चों की मदद कीजिए

9. विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास के ज़रिए मिलनेवाले निर्देशनों के लिए हमें क्यों शुक्रगुज़ार होना चाहिए?

9 बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, इस बारे में दर्जनों पत्रिकाएँ, सैकड़ों किताबें, और हज़ारों इंटरनॆट वैब साइटस्‌ सलाहें देती हैं। बच्चों के बारे में न्यूज़वीक का एक खास अंक कहता है कि अकसर इनमें “दी गई जानकारी एक-दूसरे से मेल नहीं खाती हैं। और सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि जिस सलाह को आप मानने की सोचते हैं वह सरासर गलत साबित हो सकती है।” हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि उसने परिवारों को सही रास्ता दिखाने और आध्यात्मिक बढ़ोतरी करने के लिए कितना कुछ इंतज़ाम किया है! क्या आप विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास के ज़रिए किए गए सारे इंतज़ामों का पूरा-पूरा फायदा उठाते हैं?—मत्ती 24:45-47.

10. एक असरदार पारिवारिक बाइबल अध्ययन, माता-पिता और बच्चों, दोनों के लिए कैसे फायदेमंद है?

10 परिवार की एक सबसे अहम ज़रूरत है पारिवारिक बाइबल अध्ययन, जो लगातार नियमित रूप से और एक खुशनुमा माहौल में किया जाना चाहिए। इसके लिए अच्छी तैयारी करने की ज़रूरत है ताकि परिवार का हर सदस्य सीख सके, खुशी पा सके और उसका हौसला भी बढ़ सके। अपने बच्चों को खुलकर अपनी भावनाएँ बताने में मदद करने से, माता-पिता जान सकते हैं उनके दिलो-दिमाग में क्या है। पारिवारिक अध्ययन कितना असरदार है यह पता लगाने का एक तरीका है यह देखना कि क्या परिवार का हर सदस्य इसका बेसब्री से इंतज़ार करता है।

11. (क) माता-पिता अपने बच्चों को कौन-से लक्ष्य रखने में मदद दे सकते हैं? (ख) जब जापान की एक लड़की ने अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए मेहनत की तो इसका नतीजा क्या हुआ?

11 आध्यात्मिक लक्ष्य रखने से भी परिवार आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होता है और इसके लिए माता-पिताओं को अपने बच्चों की मदद करनी चाहिए। उनमें से कुछ लक्ष्य हैं रोज़ाना बाइबल पढ़ना, प्रचार में बराबर हिस्सा लेना, और समर्पण और बपतिस्मा पाने के लिए प्रगति करना। दूसरे और लक्ष्य हैं, पायनियर, बेथेल सेवक, या मिशनरी के तौर पर पूरे समय की सेवा करना। जापान की एक लड़की, आयूमी जब प्राथमिक स्कूल में पढ़ती थी तब उसने अपनी कक्षा में हर बच्चे को गवाही देने का लक्ष्य बनाया। अपने टीचर और दूसरे साथियों की दिलचस्पी जगाने के लिए उसने बाइबल पर आधारित कई प्रकाशनों को अपने स्कूल की लाइब्रेरी में रखने की इज़ाज़त माँगी। नतीजा यह हुआ कि उस स्कूल में छः साल की पढ़ाई के दौरान उसने करीब 13 बच्चों के साथ बाइबल अध्ययन किया। उनमें से एक लड़की और उसके परिवार के सदस्य बपतिस्मा लेकर मसीही बन गए।

12. मसीही सभाओं से बच्चे ज़्यादा-से-ज़्यादा फायदा कैसे उठा सकते हैं?

12 आध्यात्मिक रूप से तंदुरुस्त रहने के लिए लगातार सभाओं में हाज़िर होना भी बहुत ज़रूरी है। प्रेरित पौलुस ने अपने संगी विश्‍वासियों को हिदायत दी कि “एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है।” तो आइए हम सभाओं में हाज़िर होने की आदत डाले क्योंकि जवान और बुज़ुर्ग, सभी के लिए सभाओं में लगातार हाज़िर होना बेहद फायदेमंद है। (इब्रानियों 10:24, 25; व्यवस्थाविवरण 31:12) बच्चों को यह सिखाना ज़रूरी है कि वे सभाओं में ध्यान से सुनें। सभाओं के लिए तैयारी करना भी बेहद ज़रूरी है, क्योंकि तैयारी करने से वे सभाओं में जवाब देकर हिस्सा ले सकेंगे और इससे उन्हें बड़ा फायदा होगा। हालाँकि बच्चे चंद शब्दों या अनुच्छेद का थोड़ा-सा हिस्सा पढ़ने के ज़रिए जवाब देने की शुरूआत कर सकते हैं, लेकिन अगर उन्हें खुद जवाब ढूँढ़ने और अपने शब्दों में बोलना सिखाया जाए तो यह और भी फायदेमंद साबित होगा। बतौर माता-पिता क्या आप खुद हर सभा में अपने शब्दों में जवाब देकर एक अच्छी मिसाल कायम करते हैं? परिवार के हर सदस्य के पास अपनी खुद की बाइबल, गीत की किताब और उस प्रकाशन की एक कॉपी होना अच्छा है, जिस पर आध्यात्मिक चर्चा की जाएगी।

13, 14. (क) माता-पिताओं को अपने बच्चों के साथ सेवकाई में काम क्यों करना चाहिए? (ख) बच्चों को क्षेत्र सेवकाई से खुशी और कामयाबी पाने में आप कौन-सी मदद दे सकते हैं?

13 बच्चे बहुत चुस्त और फुर्तीले होते हैं, इसलिए समझदार माता-पिता को उन्हें बचपन से ही यहोवा की सेवा करना सिखाना चाहिए, और प्रचार काम को उनकी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बनाने में उनकी मदद करनी चाहिए। (इब्रानियों 13:15) अपने बच्चों के साथ प्रचार काम करने के ज़रिए ही वे इस बात का पता लगा सकेंगे कि उनके बच्चों को ऐसे प्रचारक बनने की सही शिक्षा मिल रही है या नहीं जो ‘लज्जित नहीं होते हैं, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाते हैं।’ (2 तीमुथियुस 2:15) तो फिर, आपके बारे में क्या? अगर आप एक माँ या पिता हैं, तो क्या आप क्षेत्र सेवकाई की तैयारी करने में अपने बच्चों की मदद करते हैं? ऐसा करने से उन्हें सेवकाई में खुशी मिलेगी, वे उसके मायने समझेंगे और वे कामयाब भी होंगे।

14 माता-पिताओं को अपने बच्चों के साथ सेवकाई में क्यों काम करना चाहिए? क्योंकि इस तरीके से बच्चे अपने माता-पिता के अच्छी मिसाल को देखकर उनके नक्शे-कदम पर चल सकेंगे। इसके साथ-साथ, माता-पिता अपने बच्चों का रवैया, बर्ताव और प्रचार काम को अच्छी तरह से करने की उनकी काबिलीयत पर भी नज़र रख सकते हैं। क्षेत्र सेवकाई के अलावा, आप हर तरह की सेवकाई में अपने बच्चों को ज़रूर ले जाइए। अगर हो सके तो बच्चों को प्रचार के लिए उनको अलग-अलग बैग दीजिए और उन्हें सिखाइए कि वे किस तरह इसे साफ-सुथरा रख सकते हैं जिससे वह दिखने में अच्छा लगे। लगातार सिखाने और बढ़ावा देने से, सेवकाई के लिए बच्चों की कदर बढ़ेगी साथ ही वे यह देख पाएँगे कि प्रचार काम परमेश्‍वर और पड़ोसियों के लिए अपना प्रेम दिखाने का एक तरीका है।—मत्ती 22:37-39; 28:19, 20.

आध्यात्मिकता बनाए रखिए

15. क्योंकि परिवार की आध्यात्मिकता को बनाए रखना बेहद ज़रूरी है, तो किन तरीकों से यह किया जा सकता है?

15 अपने परिवार की आध्यात्मिकता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। (भजन 119:93) इसका एक तरीका है अपने परिवार के साथ हर मौके पर आध्यात्मिक बातों के बारे में बातचीत करना। क्या आप उनके साथ रोज़ाना बाइबल वचनों पर ध्यान देकर चर्चा करते हैं? जब आप “मार्ग पर चलते” हैं तब क्षेत्र सेवकाई में मिले अनुभव या हाल की प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं में से कुछ बातें बताने की आपको आदत है? जब आप “लेटते, उठते” हैं, तो क्या आप अपनी प्रार्थना में यहोवा को हर दिन और उसके ढेरों इंतज़ामों के लिए धन्यवाद देते हैं? (व्यवस्थाविवरण 6:6-9) जब आपके बच्चे देखेंगे कि आपके हर काम में परमेश्‍वर के लिए आपका प्यार झलकता है, तो इससे उन्हें सच्चाई को अपना बनाने में मदद मिलेगी।

16. बच्चों को खुद बाइबल में खोज करने के लिए बढ़ावा देने के क्या फायदे हैं?

16 कभी-कभार, बच्चों को समस्याओं या मुश्‍किल परिस्थितियों का डटकर सामना करने के लिए मार्गदर्शन की ज़रूरत होगी। उन्हें क्या करना चाहिए हर बार यह बताने के बजाय, क्यों न उन्हें खुद इस बात की खोज करना सिखाएँ कि उन मामलों के बारे में परमेश्‍वर का क्या नज़रिया है? अपने बच्चों को ‘विश्‍वासयोग्य दास’ के ज़रिए दिए गए साधनों और प्रकाशनों को अच्छी तरह इस्तेमाल करने के बारे में सीखने से उन्हें यहोवा के साथ करीबी रिश्‍ता बनाने में मदद मिलेगी। (1 शमूएल 2:21ख) और जब वे बाइबल में की गई उनकी खोज से मिले फायदों को परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ बाँटते हैं तब परिवार आध्यात्मिक रूप से और भी मज़बूत होता जाता है।

यहोवा पर पूरा भरोसा रखिए

17. अकेले माता या पिता को अपने बच्चों को अच्छा मसीही बनाने के लिए उनकी परवरिश करते वक्‍त क्यों हार नहीं माननी चाहिए?

17 जिस परिवार में केवल माता या पिता हो, उस परिवार के बारे में क्या? जहाँ बच्चों की परवरिश करने की बात आती है तो इन माता या पिताओं को और भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मगर अकेले होने के बावजूद हार मत मानिए! आपको कामयाबी मिल सकती है क्योंकि ऐसे परिवारों की कई मिसालें हैं जहाँ माता/पिता ने परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हुए उसके वचन में दी गई सलाहों को मानकर बच्चों की परवरिश की जिससे आगे चलकर उनके बच्चे आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ और मज़बूत बने हैं। (नीतिवचन 22:6) बेशक, उन मसीहियों को जो परिवार में अकेले माता या पिता हैं, उन्हें यहोवा पर पूरा भरोसा रखने की ज़रूरत है। उन्हें यह विश्‍वास रखना चाहिए कि वह उनकी मदद ज़रूर करेगा।—भजन 21:1-3.

18. माता-पिताओं को बच्चों की किन मानसिक और शारीरिक ज़रूरतों पर ध्यान देना चाहिए, मगर ज़ोर किस बात पर दिया जाना चाहिए?

18 समझदार माता-पिता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि ‘हंसने का भी समय है और नाचने का भी।’ (सभोपदेशक 3:1, 4) शारीरिक और मानसिक तौर पर बच्चों के विकास के लिए आराम, अच्छे और सही तरह के मनोरंजन की ज़रूरत होती है। अच्छा संगीत, खासकर परमेश्‍वर की स्तुति में गीतों को गाने से उनको एक अच्छा नज़रिया रखने में मदद मिलती है। इस तरह का नज़रिया यहोवा के साथ एक मज़बूत रिश्‍ता कायम करने में मदद कर सकता है। (कुलुस्सियों 3:16) बड़े होकर परमेश्‍वर का भय माननेवाले बनने की शिक्षा भी बचपन में दी जा सकती है, ताकि वे नयी दुनिया में हमेशा के लिए ज़िंदगी का मज़ा ले सकें।—गलतियों 6:8.

19. माता-पिता क्यों भरोसा रख सकते हैं कि बच्चों की परवरिश करने की उनकी मेहनत पर यहोवा आशीष देगा?

19 यहोवा चाहता है कि सब मसीही परिवार आध्यात्मिक रूप से मज़बूत हों और एकता से रहें। अगर हम परमेश्‍वर से सच्चा प्यार करते हैं और उसके वचन को लागू करने की पूरी कोशिश करते हैं, तो वह हमारी मेहनत पर आशीष देगा और अपनी राह पर चलते रहने की हमें ताकत देगा। (यशायाह 48:17; फिलिप्पियों 4:13) याद रखिए कि अभी आपके पास बच्चों को सिखाने और प्रशिक्षित करने का वक्‍त बहुत कम है और एक बार यह गुज़र गया तो दोबारा वापस नहीं आएगा। इसलिए बाइबल की सलाहों को लागू करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कीजिए, और आध्यात्मिक रूप से एक मज़बूत परिवार बनाने की आपकी मेहनत पर यहोवा ज़रूर आशीष देगा।

हमने क्या सीखा?

• बच्चों को सिखाने के लिए समय मोल लेना क्यों ज़रूरी है?

• माता-पिताओं को बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल क्यों कायम करनी चाहिए?

• आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में मदद देने के लिए माता-पिता को कौन-से ज़रूरी कदम उठाने चाहिए?

• एक परिवार की आध्यात्मिकता को कैसे बरकरार रखा जा सकता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 24, 25 पर तसवीरें]

आध्यात्मिक रूप से मज़बूत परिवार लगातार परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करता है, मसीही सभाओं में हाज़िर होता और मिलकर क्षेत्र सेवकाई में हिस्सा लेता है