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यहोवा के महान कामों के लिए उसकी महिमा करो!

यहोवा के महान कामों के लिए उसकी महिमा करो!

यहोवा के महान कामों के लिए उसकी महिमा करो!

“मेरा प्राण [यहोवा] की बड़ाई करता है . . . क्योंकि उस शक्‍तिमान ने मेरे लिये बड़े बड़े काम किए हैं।”—लूका 1:46-49.

1. यहोवा के कौन-से बड़े-बड़े कामों के लिए हम उसकी महिमा करते हैं?

 यहोवा अपने बड़े-बड़े कामों की वजह से, महिमा का हकदार है। भविष्यवक्‍ता मूसा ने मिस्र की गुलामी से इस्राएल की आज़ादी के बारे बताने के बाद कहा: “यहोवा के इन सब बड़े कामों को तुम ने अपनी आंखों से देखा है।” (व्यवस्थाविवरण 11:1-7) उसी तरह, जब जिब्राईल स्वर्गदूत ने कुँवारी मरियम को यीशु के जन्म का संदेश दिया, तो मरियम ने कहा: “मेरा प्राण प्रभु की बड़ाई करता है . . . क्योंकि उस शक्‍तिमान ने मेरे लिये बड़े बड़े काम किए हैं।” (लूका 1:46-49) यहोवा के साक्षी होने के नाते हम परमेश्‍वर के बड़े-बड़े कामों के लिए उसकी महिमा करते हैं, जैसे इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाना और उसके प्यारे बेटे का चमत्कारी रूप से जन्म होना।

2. (क) परमेश्‍वर के ‘युग युग से चले आ रहे उद्देश्‍य,’ आज्ञाकारी मानवजाति के लिए क्या मायने रखते हैं? (ख) यूहन्‍ना ने पतमुस टापू पर क्या अनुभव किया?

2 यहोवा के कई महान काम ‘युग-युग से चले आ रहे उद्देश्‍य’ से जुड़े हुए हैं। उसका यह उद्देश्‍य है कि मसीहा और उसके राज्य के ज़रिए आज्ञाकारी मानवजाति को आशीष मिले। (इफिसियों 3:8-13, नयी हिन्दी बाइबिल) वह उद्देश्‍य धीरे-धीरे पूरा हो रहा था जब बुज़ुर्ग प्रेरित यूहन्‍ना को एक दर्शन के ज़रिए स्वर्ग में खुले दरवाज़े से अंदर का नज़ारा देखने की इज़ाज़त मिली। उसने तुरही के शब्द जैसी एक आवाज़ को कहते हुए सुना: “यहां ऊपर आ जा: और मैं वे बातें तुझे दिखाऊंगा, जिन का इन बातों के बाद पूरा होना अवश्‍य है।” (प्रकाशितवाक्य 4:1) रोमी सरकार ने यूहन्‍ना को ‘परमेश्‍वर का वचन सुनाने, और यीशु की गवाही देने के कारण’ देश से निकालकर पतमुस टापू में कैद कर रखा था। उसी दौरान यीशु मसीह ने उसे “प्रकाशितवाक्य” दिया। प्रेरित ने जो देखा और सुना उससे परमेश्‍वर के युग युग से चले आ रहे उद्देश्‍य के बारे में काफी बातें मालूम होती हैं। इससे सभी सच्चे मसीहियों को आध्यात्मिक ज्ञान की रोशनी मिली है और सही समय पर उनकी हिम्मत भी बढ़ी है।—प्रकाशितवाक्य 1:1, 9, 10.

3. यूहन्‍ना के दर्शन में, 24 प्राचीन किन्हें सूचित करते हैं?

3 स्वर्ग में खुले दरवाज़े से यूहन्‍ना ने 24 प्राचीनों को राजाओं की तरह मुकुट पहने सिंहासनों पर बैठे देखा। वे परमेश्‍वर के सामने गिरकर कहते हैं: “हे हमारे प्रभु [यहोवा], और परमेश्‍वर, तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।” (प्रकाशितवाक्य 4:11) ये प्राचीन उन सभी अभिषिक्‍त मसीहियों को सूचित करते हैं जो परमेश्‍वर के वादे के मुताबिक पुनरुत्थित होकर स्वर्ग में ऊँचा स्थान पाते हैं। वे यहोवा की सृष्टि के बड़े-बड़े कामों को देखकर उसकी स्तुति करते हैं। हम भी यहोवा की “सनातन सामर्थ, और परमेश्‍वरत्व” का सबूत देखकर हैरान रह जाते हैं। (रोमियों 1:20) और जितना ज़्यादा हम यहोवा के बारे में सीखते हैं उतनी ज़्यादा उसकी बड़ाई करने के लिए हमारे पास वजह होती हैं।

यहोवा के बड़े-बड़े कामों का ऐलान कीजिए!

4, 5. दाऊद ने कैसे यहोवा की महिमा की, इसके कुछ उदाहरण दीजिए।

4 भजनहार दाऊद ने परमेश्‍वर के महान कामों के लिए उसका गुणगान किया। उदाहरण के लिए, दाऊद ने गाया: “यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ! जाति जाति के लोगों के बीच में उसके महाकर्मों का प्रचार करो! हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर। तू जो मुझे मृत्यु के फाटकों के पास से उठाता है, मेरे दुःख को देख जो मेरे बैरी मुझे दे रहे हैं, ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूं।” (भजन 9:11, 13, 14) अपने बेटे सुलैमान को मंदिर की बनावट और सजावट का नक्शा देने के बाद दाऊद ने परमेश्‍वर का आदर और महिमा करते हुए कहा: “हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और विभव, तेरा ही है . . . हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। . . . इसलिये अब हे हमारे परमेश्‍वर! हम तेरा धन्यवाद और तेरे महिमायुक्‍त नाम की स्तुति करते हैं।”—1 इतिहास 29:10-13.

5 बाइबल बार-बार हमें बुलावा देती है, जी हाँ, हमसे ज़बरदस्त गुज़ारिश करती है कि हम भी दाऊद की तरह परमेश्‍वर की महिमा करें। भजन संहिता की किताब में परमेश्‍वर की महिमा में ढेरों गीत लिखे हैं और उनमें से करीब आधे दाऊद ने लिखे थे। वह हमेशा यहोवा की स्तुति करता और उसे धन्यवाद देता था। (भजन 69:30) इसके अलावा, प्राचीन समय से ही परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचे गए दाऊद के इन गीतों और दूसरे लोगों के भजनों को यहोवा की स्तुति में इस्तेमाल किया गया है।

6. परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे भजन हमारे लिए कैसे फायदेमंद साबित होते हैं?

6 यहोवा के उपासकों के लिए ये भजन क्या ही फायदेमंद हैं! यहोवा ने हमारे लिए जो महान काम किए हैं जब उनके लिए हम उसे धन्यवाद देना चाहते हैं तब हम भजन संहिता की किताब में दिए गए इन सुंदर शब्दों की तरफ ध्यान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, सुबह को एक नए दिन की शुरूआत करते वक्‍त हम शायद कुछ इस तरह कह सकते हैं: “यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; प्रातःकाल को तेरी करुणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना, . . . क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।” (भजन 92:1-4) जब हम ऐसी रुकावट को पार कर लेते हैं जो हमारी आध्यात्मिक तरक्की में बाधा डालती है, तो शायद हम अपनी प्रार्थना में परमेश्‍वर को अपनी खुशी और कदरदानी ज़ाहिर करें ठीक जैसे भजनहार ने गाया: “आओ हम यहोवा के लिये ऊंचे स्वर से गाएं, अपने उद्धार की चट्टान का जयजयकार करें! हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएं, और भजन गाते हुए उसका जयजयकार करें!”—भजन 95:1, 2.

7. (क) मसीहियों के ज़्यादातर गीतों की खासियत क्या है? (ख) सभाओं में जल्दी आना और आखिर तक हाज़िर रहने की सबसे बड़ी वजह क्या है?

7 हम अकसर मसीही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में अपनी बुलंद आवाज़ में परमेश्‍वर की स्तुति में गीत गाते हैं। गौर करने लायक बात है कि उनमें से ज़्यादातर गीत भजन संहिता की किताब पर आधारित हैं जो परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचे गए हैं। हमारे लिए यह कितनी खुशी की बात है कि आज हमारे समय में यहोवा की दिल से स्तुति करने के लिए ढेरों गीत हैं! परमेश्‍वर की महिमा करना, सबसे बड़ी वजह है कि हम सभाओं में जल्दी आएँ और आखिर तक हाज़िर रहें। ऐसा करने से हम अपने संगी उपासकों के साथ मिलकर गीत गाने के ज़रिए यहोवा की स्तुति और उससे प्रार्थना कर सकेंगे।

“याह की स्तुति करो!”

8. “हल्लिलूयाह” का मतलब क्या है, और हमेशा इस शब्द की जगह कौन-सा कथन इस्तेमाल किया जाता है?

8 “हल्लिलूयाह” का साफ मतलब है यहोवा की महिमा करना। यह शब्द, इब्रानी कथन “याह की स्तुति करो” से लिया गया है और उस शब्द की जगह हमेशा इसी कथन को इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, भजन 135:1-3 में हमें यह प्यार भरा और ज़ोरदार बुलावा मिलता है: “याह की स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो, हे यहोवा के सेवको तुम स्तुति करो, तुम जो यहोवा के भवन में, अर्थात्‌ हमारे परमेश्‍वर के भवन के आंगनों में खड़े रहते हो! याह की स्तुति करो, क्योंकि यहोवा भला है; उसके नाम का भजन गाओ, क्योंकि यह मनभाऊ है!”

9. यहोवा की महिमा करने की प्रेरणा किन बातों से मिलती है?

9 जब हम परमेश्‍वर की सृष्टि के अद्‌भुत कामों पर और हमारे लिए किए गए कामों पर गौर करते हैं तब हमारा दिल यहोवा के लिए कदरदानी से भर जाता है और हम उसकी स्तुति करते हैं। प्राचीन समय में यहोवा ने अपने लोगों की खातिर जो-जो चमत्कार किए थे, उस बारे में सोचने से ही, उसकी महिमा किए बिना हमसे रहा नहीं जाता। इतना ही नहीं, भविष्य में यहोवा ने जिन महान कामों को करने का वादा किया है उसके बारे में जब हम मनन करते हैं, तो हम उसकी और भी ज़्यादा बड़ाई और धन्यवाद करते हैं।

10, 11. हमारा अपना वजूद भी किस तरह हमें उसकी बड़ाई करने का सबूत देता है?

10 हमारा वजूद खुद इस बात का सबूत है कि हमें याह की स्तुति करनी चाहिए। दाऊद ने गाया: “[यहोवा] मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्‌भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्‍चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।” (भजन 139:14) जी हाँ, हम वाकई ‘अद्‌भुत रीति से रचे’ गए हैं और हमें देखने, सुनने और सोचने की काबिलीयत जैसे अनमोल वरदान भी मिले हैं। तो फिर क्या हमें अपना जीवन उसी तरह नहीं जीना चाहिए जिससे हमारे सृष्टिकर्ता की महिमा हो? पौलुस भी यही कह रहा था जब उसने लिखा: “सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो।”—1 कुरिन्थियों 10:31.

11 अगर हम यहोवा से सच्चा प्यार करते हैं तो सब कुछ उसकी महिमा के लिए करेंगे। यीशु ने बताया था कि सबसे पहली आज्ञा यह है: “तू प्रभु अपने परमेश्‍वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्‍ति से प्रेम रखना।” (मरकुस 12:30; व्यवस्थाविवरण 6:5) यहोवा ने हमें बनाया है और “हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान” देता है। बेशक, इसीलिए हमें यहोवा से प्रेम करना चाहिए। (याकूब 1:17; यशायाह 51:13; प्रेरितों 17:28) ऐसा करना वाजिब है क्योंकि हमारी परखने की शक्‍ति, आध्यात्मिक समझ, और शारीरिक ताकत, यहाँ तक कि हमारे सारे गुण और काबिलीयत यहोवा की ही देन हैं। हमारा सृष्टिकर्ता होने के नाते वह हमारे प्यार और स्तुति का हकदार है।

12. आपको यहोवा के महान कामों और भजन 40:5 में दिए गए शब्दों के बारे में कैसा महसूस होता है?

12 यहोवा के महान काम हमें उससे प्यार करने और उसकी बड़ाई करने की अनगिनत वजह देते हैं। दाऊद ने गाया: “हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्‍चर्यकर्म और कल्पनाएँ तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं कि खोलकर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती।” (भजन 40:5) जिस तरह दाऊद यहोवा के आश्‍चर्यकर्मों की गिनती नहीं कर सका था उसी तरह हम भी कभी नहीं कर सकेंगे। मगर आइए जब भी हमारे ध्यान में उसके महान काम आते हैं, हम उसकी बड़ाई करें।

युग-युग से चले आ रहे परमेश्‍वर के उद्देश्‍य से जुड़े काम

13. हमारी आशा और परमेश्‍वर के महान कामों में क्या संबंध है?

13 परमेश्‍वर ने युग-युग से चले आ रहे उद्देश्‍य के मुताबिक महान काम किए हैं जो बड़ाई करने के लायक हैं। इन्हीं कामों से हमारी भविष्य की आशा जुड़ी हुई है। अदन में विद्रोह के बाद यहोवा ने एक भविष्यवाणी की जिससे हमें भविष्य की आशा मिली। यहोवा ने सर्प को दंड सुनाते हुए कहा था: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्‍न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्पत्ति 3:15) इस भविष्यवाणी में जिस वंश की आशा दी गई थी यह उन वफादार इंसानों के दिलों में जलती रही जो महा जल-प्रलय के बाद जीए थे। उस जल-प्रलय में यहोवा ने नूह और उसके परिवार को बचाने के लिए महान काम किए थे। (2 पतरस 2:5) भविष्यवाणियों के ज़रिए इब्राहीम और दाऊद जैसे वफादार लोगों से किए गए वादों से हमें और भी गहरी समझ मिलती है कि यहोवा उस वंश के ज़रिए क्या-क्या काम पूरे करनेवाला था।—उत्पत्ति 22:15-18; 2 शमूएल 7:12.

14. मानवजाति के लिए परमेश्‍वर के बड़े-बड़े कामों में सबसे बेमिसाल काम कौन-सा है?

14 यहोवा ने पूरी मानवजाति के लिए बहुत-से महान काम किए हैं। लेकिन उसका सबसे बेमिसाल काम था अपने एकलौते बेटे यीशु मसीह यानी वादा किए हुए वंश को इंसानों के लिए छुड़ौती बलिदान के रूप में देना। (यूहन्‍ना 3:16; प्रेरितों 2:29-36) इस छुड़ौती के आधार पर इंसान फिर से परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा संबंध कायम कर सकते थे। (मत्ती 20:28; रोमियों 5:11) यहोवा ने सबसे पहले उसके साथ संबंध कायम करनेवाले इंसानों को मसीही कलीसिया में इकट्ठा किया, जिसकी शुरूआत पिन्तेकुस्त सा.यु. 33 में हुई थी। पवित्र आत्मा की मदद से उन्होंने सुसमाचार का प्रचार दूर-दूर तक किया, साथ ही यह भी दिखाया कि यीशु की मौत और पुनरुत्थान ने आज्ञाकारी मानवजाति के लिए परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य के अधीन हमेशा-हमेशा की आशीष पाने का रास्ता खोल दिया है।

15. हमारे दिनों में यहोवा ने कैसे अनोखे ढंग से काम किया है?

15 हमारे दिनों में, यहोवा ने बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों को इकट्ठा करने के लिए बड़े अनोखे ढंग से काम किया है। स्वर्गदूत विनाश की हवाओं को थामे हुए हैं ताकि 1,44,000 से बचे हुए जनों पर मोहर लग सके जो मसीह के साथ स्वर्ग में शासन करेंगे। (प्रकाशितवाक्य 7:1-4; 20:6) परमेश्‍वर ने निश्‍चित किया कि अभिषिक्‍त मसीही, ‘बड़े बाबुल’ यानी पूरे संसार के झूठे धर्म की बंदिशों से छुड़ाए जाएँ। (प्रकाशितवाक्य 17:1-5) वह छुटकारा उन्हें सन्‌ 1919 में मिला और तब से परमेश्‍वर उनकी हिफाज़त कर रहा है। इस वजह से बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों को क्या करने का मौका मिला है? उन्हें यह मौका मिला है कि वे बहुत जल्द आनेवाले “भारी क्लेश” से पहले आखिरी गवाही देने का काम पूरा कर सकें। क्योंकि उस क्लेश में यहोवा शैतान के इस दुष्ट संसार का अंत करनेवाला है।—मत्ती 24:21; दानिय्येल 12:3; प्रकाशितवाक्य 7:14.

16. आज दुनिया भर में हो रहे प्रचार काम से क्या नतीजे मिल रहे हैं?

16 यहोवा के अभिषिक्‍त साक्षियों ने बड़े जोश के साथ प्रचार के काम को दुनिया भर में फैला दिया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बड़ी तादाद में ‘अन्य भेड़ें’ यहोवा की उपासक बन रही हैं। (यूहन्‍ना 10:16, NW) हम बहुत खुश हैं कि अभी-भी नेकदिल लोगों को हमारे साथ मिलकर यहोवा की बड़ाई करने का मौका दिया जा रहा है। “आ”, इस बुलावा को सुनकर जो भी लोग आते हैं, वे भारी क्लेश से बच निकलनेवालों की गिनती में शामिल हो जाते हैं, और उन्हें हमेशा के लिए यहोवा की स्तुति करने की भी आशा मिलती है।—प्रकाशितवाक्य 22:17.

सच्ची उपासना के लिए हज़ारों लोग इकट्ठा हो रहे हैं

17. (क) हमारे प्रचार काम के संबंध में यहोवा महान काम कैसे कर रहा है? (ख) जकर्याह 8:23 में दी गई भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है?

17 यहोवा आज हमारे प्रचार काम के संबंध में महिमा के लायक, बड़े-बड़े काम कर रहा है। (मरकुस 13:10) पिछले कुछ सालों में, उसने ‘बड़ा और उपयोगी द्वारा खोला है।’ (1 कुरिन्थियों 16:9) इसीलिए यह मुमकिन हो सका है कि जहाँ कल तक सच्चाई के दुश्‍मन प्रचार काम में बाधा डालते थे, उन बड़े-बड़े इलाकों में आज राज्य की खुशखबरी सुनाई जा रही है। बहुत-से लोग जो पहले आध्यात्मिक अंधकार में थे, वे आज यहोवा की उपासना करने के बुलावे को सुनकर उस अंधकार से बाहर आ रहे हैं। वे इस भविष्यवाणी को पूरा कर रहे हैं: “सेनाओं का यहोवा यों कहता है: उन दिनों में भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरुष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।” (जकर्याह 8:23) ये “पुरुष” आध्यात्मिक यहूदी यानी आज के समय में बचे हुए अभिषिक्‍त मसीही हैं। दस, पृथ्वी पर पूर्णता को सूचित करता है, इसलिए “दस मनुष्य” का मतलब है “बड़ी भीड़” जो “परमेश्‍वर के इस्राएल” के साथ मिलकर ‘एक झुण्ड’ बनती है। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 10; गलतियों 6:16) यह देखकर कितनी खुशी मिलती है कि आज बड़ी तादाद में लोग यहोवा परमेश्‍वर की पवित्र सेवा करते हुए उसकी उपासना कर रहे हैं!

18, 19. इसका क्या सबूत है कि प्रचार काम पर यहोवा की आशीष है?

18 हम यह देखकर खुशी से फूले नहीं समाते कि लाखों लोग सच्ची उपासना को अपना रहे हैं, खासकर उन देशों में, जहाँ झूठे धर्मों का दबदबा होने की वजह से लगता था कि लोग कभी-भी सुसमाचार को नहीं अपनाएँगे। हाल की यहोवा के साक्षियों की सालाना किताब (अँग्रेज़ी) में देखिए और ध्यान दीजिए कि अब कई देशों में 1,00,000 से लेकर करीब 10,00,000 लोग राज्य के सुसमाचार का ऐलान कर रहे हैं। वाकई यह एक ज़बरदस्त सबूत है कि यहोवा राज्य के प्रचार काम पर आशीष दे रहा है।—नीतिवचन 10:22.

19 यहोवा के लोग होने के नाते, हम अपने स्वर्ग में रहनेवाले पिता की बड़ाई और धन्यवाद करते नहीं थकते। क्योंकि उसने हमें जीने का एक उद्देश्‍य दिया है, ऐसी सेवा दी है जिससे हमें आशीषें मिलती हैं, साथ ही हमें एक उज्ज्वल भविष्य की आशा भी दी है। परमेश्‍वर के किए हुए वादों को पूरा होते देखने के लिए हम बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं और हमने यह ठान लिया है कि “अनन्त जीवन” को सामने रखते हुए हम ‘परमेश्‍वर के प्रेम में बने रहेंगे।’ (यहूदा 20, 21) यह देखकर हमें कितनी खुशी होती है कि परमेश्‍वर की स्तुति करनेवाली बड़ी भीड़ की संख्या आज करीब 60,00,000 हो गई है! बेशक यहोवा की आशीष की वजह से बचे हुए अभिषिक्‍त मसीही और उनके साथी अन्य भेड़ों की करीब 235 देशों में, 91,000 कलीसियाएँ हैं। “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” दिन-रात मेहनत करके जो आध्यात्मिक भोजन देता है उससे हम सब भरपूर खुराक पा रहे हैं। (मत्ती 24:45) आगे बढ़ता हुआ परमेश्‍वर का संगठन, प्यार भरी निगरानी के साथ, यहोवा के साक्षियों के 110 शाखा दफ्तरों के ज़रिए राज्य के प्रचार काम को चला रहा है। हम यहोवा के बहुत शुक्रगुज़ार हैं कि उसने अपने लोगों के दिलों को छुआ हैं जिससे वे ‘अपनी धन-सम्पत्ति से उसकी महिमा’ कर रहे हैं। (नीतिवचन 3:9, 10, नयी हिन्दी बाइबिल) नतीजा यह हुआ कि संसार भर में हमारा प्रचार काम जारी है, और ज़रूरत के मुताबिक प्रिंटिंग सुविधा के लिए इमारतें, बेथेल और मिशनरी घर, राज्य गृह, और सम्मेलन हॉल का निमार्ण किया जा रहा है।

20. यहोवा के महान और महिमा लायक कामों पर विचार करने से हम पर क्या प्रभाव पड़ना चाहिए?

20 हमारे पिता के सभी महान और महिमा के लायक कामों को बताना नामुमकिन है। मगर क्या कोई भी नेकदिल इंसान खुद को यहोवा की स्तुति करनेवाली भीड़ में शामिल होने से रोक पाएगा? बिलकुल नहीं! तो फिर, यहोवा से प्रेम करनेवाले सभी जन खुशी से ऊँची आवाज़ में कहें: ‘याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो! हे उसके सब दूतो, हे जवानों और कुमारियों, हे पुरनियों और बालकों, उसकी स्तुति करो! यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसी का नाम महान है; उसका ऐश्‍वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।’ (भजन 147:1, 2, 12, 13) जी हाँ, आज और हमेशा के लिए आइए हम सब यहोवा के महान कामों के लिए उसकी बड़ाई करते रहें!

आप कैसे जवाब देंगे?

• यहोवा के कुछ महिमा के लायक काम कौन-से हैं?

• यहोवा की बड़ाई करने के लिए आपका दिल क्यों उभरता है?

• यहोवा के महान कामों के साथ हमारी आशा कैसे जुड़ी हुई है?

• राज्य के प्रचार काम के संबंध में यहोवा किस तरह से महान काम कर रहा है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीर]

क्या आप अपने पूरे दिल से यहोवा की महिमा में गीत गाते हैं?

[पेज 13 पर तसवीरें]

नेकदिल लोगों के लिए यहोवा की महिमा करने का द्वार खुला देख, हम खुशी से फूले नहीं समाते हैं