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कटनी के काम में लगे रहिए!

कटनी के काम में लगे रहिए!

कटनी के काम में लगे रहिए!

“जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए काटेंगे।”भजन 126:5, NHT.

1. आज क्यों हमें ‘खेत के स्वामी से बिनती करनी चाहिए कि वह कटनी के लिये मजदूर भेज दे?’

 गलील में प्रचार का अपना तीसरा दौरा पूरा करने के बाद, यीशु मसीह ने अपने शिष्यों से कहा: “पक्के खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं।” (मत्ती 9:37) ऐसे ही हालात यहूदा में भी थे। (लूका 10:2) यह बात करीब 2,000 साल पहले की है मगर आज के हालात के बारे में क्या कहा जा सकता है? पिछले सेवा-वर्ष के दौरान 60,00,000 से ज़्यादा यहोवा के साक्षियों ने संसार की 6,00,00,00,000 आबादी के बीच लाक्षणिक कटनी का काम पूरी लगन के साथ किया। इनमें से कितने ही लोग ‘उन भेड़ों की नाईं हैं जिनका कोई रखवाला न हो और वे ब्याकुल और भटके हुए से हैं।’ इसलिए यीशु की यह बात आज भी उतना ही अर्थ रखती है, जितनी कि सदियों पहले अर्थ रखती थी: “खेत के स्वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे।”—मत्ती 9:36,38.

2. किस बात ने लोगों का ध्यान हमारी तरफ खींचा है?

2 खेत के स्वामी, यहोवा परमेश्‍वर ने ज़्यादा मजदूर भेजने की हमारी बिनती सुनी है। और सोचिए तो परमेश्‍वर के निर्देशन में हो रहे इस कटनी के काम में हिस्सा लेना कितनी खुशी की बात है! हालाँकि राष्ट्रों की तुलना में हम मुट्ठी भर ही हैं मगर फिर भी राज्य का प्रचार और चेला बनाने का काम हम इतने ज़ोर-शोर से कर रहे हैं कि सारे संसार का ध्यान हमारी ओर खिंचा है। कई देशों में टीवी, समाचार-पत्र वगैरह में अकसर हमारा ज़िक्र होता है। मिसाल के तौर पर, टीवी के कुछ धारावाहिकों में दिखाया जाता है कि जब दरवाज़े पर घंटी बजती है, तो लोग फट से कहते हैं, शायद यहोवा के साक्षी होंगे। जी हाँ, 21वीं सदी में हमारा लाक्षणिक कटनी का काम लोगों में काफी जाना-माना है।

3. (क) यह हम कैसे जानते हैं कि पहली सदी में राज्य के प्रचार काम की तरफ संसार का ध्यान खिंचा था? (ख) हम कैसे कह सकते हैं कि सेवकाई में स्वर्गदूत हमारी मदद करते हैं?

3 पहली सदी में भी सारे संसार का ध्यान प्रचार काम की तरफ गया था और सुसमाचार के प्रचारकों को बहुत सताया गया था। इसलिए प्रेरित पौलुस ने लिखा: “मेरी समझ में परमेश्‍वर ने हम प्रेरितों को सब के बाद उन लोगों की नाईं ठहराया है, जिन की मृत्यु की आज्ञा हो चुकी हो; क्योंकि हम [प्रेरित] जगत और स्वर्गदूतों और मनुष्यों के लिये तमाशा ठहरे हैं।” (1 कुरिन्थियों 4:9) आज भी संसार अच्छी तरह जानता है कि हम सताए जाने के बावजूद राज्य का ऐलान करना नहीं छोड़ते। और हमें इस तरह लगन से काम करता देखकर स्वर्गदूतों को भी बहुत खुशी होती है। प्रकाशितवाक्य 14:6 कहता है: “मैं [प्रेरित यूहन्‍ना] ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।” जी हाँ, कटनी के इस काम में यानी सेवकाई में स्वर्गदूत हमारी मदद करते हैं!—इब्रानियों 1:13,14.

“बैर करेंगे”

4, 5. (क) यीशु ने अपने शिष्यों को क्या चेतावनी दी थी? (ख) आज परमेश्‍वर के सेवकों से “बैर” क्यों किया जाता है?

4 जब यीशु के प्रेरितों को कटनी का काम करने के लिए भेजा गया तो उन्होंने यीशु की यह हिदायत मानी कि उन्हें “सांपों की नाईं बुद्धिमान और कबूतरों की नाईं भोले” बनना है। यीशु ने उनसे यह भी कहा: “लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें महा सभाओं में सौंपेंगे, और अपनी पंचायतों में तुम्हें कोड़े मारेंगे। तुम मेरे लिये हाकिमों और राजाओं के साम्हने उन पर, और अन्यजातियों पर गवाह होने के लिये पहुंचाए जाओगे। . . . मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा उसी का उद्धार होगा।”—मत्ती 10:16-22.

5 आज हमसे “बैर” इसलिए किया जाता है क्योंकि “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” यह दुष्ट, शैतान यानी इब्‌लीस है जो परमेश्‍वर और उसके लोगों का सबसे बड़ा दुश्‍मन है। (1 यूहन्‍ना 5:19) हमारे विरोधी देखते हैं कि हम आध्यात्मिक तौर पर फल-फूल रहे हैं, मगर वे नहीं मानते कि यह यहोवा की आशीष से ही हो रहा है। वे देखते हैं कि हम किस तरह खिले हुए चेहरों से, खुशी-खुशी कटनी का काम कर रहे हैं। हमारी एकता देखकर तो वे दंग रह जाते हैं! दरअसल जब वे एक देश से दूसरे देश की यात्रा करते वक्‍त देखते हैं कि दूसरे देशों में भी यहोवा के साक्षी वही काम कर रहे हैं जो उनके देश के साक्षी करते हैं तो वे शायद कुड़कुड़ाते हुए कबूल भी करें कि हमारे बीच कितनी एकता है। बेशक, हम जानते हैं कि वक्‍त आने पर हमारे दुश्‍मनों को यह मानना पड़ेगा कि हमारे इस काम और एकता के पीछे यहोवा का ही हाथ है।—यहेजकेल 38:10-12,23.

6. कटनी का काम करते समय हमें किस बात का यकीन है, लेकिन क्या सवाल उठता है?

6 खेत के स्वामी ने अपने बेटे, यीशु मसीह को “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार” सौंप दिया है। (मत्ती 28:18) इस तरह यहोवा कटनी के काम के लिए यीशु का इस्तेमाल करता है। और यीशु, स्वर्गदूतों और पृथ्वी पर अभिषिक्‍त “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए इस काम को निर्देशित कर रहा है। (मत्ती 24:45-47; प्रकाशितवाक्य 14:6,7) लेकिन हम किस तरह दुश्‍मन के विरोध का सामना कर सकते हैं और साथ ही कटनी का काम करते हुए अपनी खुशी बरकरार रख सकते हैं?

7. जब हमारा विरोध किया जाता या हमें सताया जाता है, तो हमें कैसा नज़रिया बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए?

7 जब हमारा विरोध किया जाता है या हमें सीधे-सीधे सताया जाता है, तो आइए हम परमेश्‍वर से मदद माँगें ताकि हम पौलुस जैसा नज़रिया बनाए रख सकें। पौलुस ने लिखा था: “लोग बुरा कहते हैं, हम आशीष देते हैं; वे सताते हैं, हम सहते हैं। वे बदनाम करते हैं, हम बिनती करते हैं।” (1 कुरिन्थियों 4:12,13) जब हम ऐसी भावना दिखाते हैं साथ ही सेवकाई में समझ-बूझ के साथ काम लेते हैं, तो कभी-कभी कुछ विरोधियों का रवैया भी बदल जाता है।

8. मत्ती 10:28 में दर्ज़ किए गए यीशु के शब्दों से आपको कैसी हिम्मत मिलती है?

8 मौत की धमकियों से भी कटनी के काम में हमारा जोश कम नहीं होता। जहाँ तक हो सके हम बेधड़क होकर खुलेआम राज्य संदेश सुनाते हैं। और यीशु के इन शब्दों से भी हमें बहुत हिम्मत मिलती है: “जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है।” (मत्ती 10:28) हम जानते हैं कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता ही जीवन देनेवाला है। जो कोई उसके प्रति अपनी खराई बनाए रखता और कटनी का काम करने में हिम्मत नहीं हारता, उसे वह ज़रूर प्रतिफल देगा।

जीवनदायी संदेश

9. कुछ लोगों ने यहेजकेल की बातें सुनकर क्या किया, और आज भी किस तरह ऐसा ही हो रहा है?

9 जब भविष्यवक्‍ता यहेजकेल ने ‘बलवा करनेवाली जातियों’ यानी इस्राएल और यहूदा के देशों को निडरता से यहोवा के संदेश सुनाए, तो कुछ लोगों को उसकी बातें सुनना अच्छा लगा था। (यहेजकेल 2:3) यहोवा ने यहेजकेल से कहा: “तू उनकी दृष्टि में प्रेम के मधुर गीत गानेवाले और अच्छे बजानेवाले का सा ठहरा है।” (यहेजकेल 33:32) उन्हें यहेजकेल की बातें अच्छी तो लगती थीं मगर वे उन्हें एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते थे। आज के बारे में क्या कहा जा सकता है? आज भी अभिषिक्‍त शेष जन और उनके साथी, साहस के साथ यहोवा के संदेश सुना रहे हैं। जब वे राज्य की आशीषों के बारे में बताते हैं, तो कुछ लोगों को सुनना अच्छा लगता है, मगर वे इस संदेश के लिए कदरदानी नहीं दिखाते और इसके मुताबिक कोई कदम नहीं उठाते। वे चेले नहीं बनते और कटनी के काम में हमारे साथ जुट नहीं जाते।

10, 11. बीसवीं सदी के पहले भाग में, हमारे जीवनदायी संदेश का खुलेआम ऐलान करने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया गया और इसके क्या नतीजे हुए?

10 मगर कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने कटनी के काम के प्रति सही रवैया दिखाया है और दूसरों को परमेश्‍वर के संदेश सुनाने में हमारे साथ मिल गए हैं। मिसाल के लिए, 1922 से 1928 तक मसीही अधिवेशनों का जो सिलसिला चला था, उनमें शैतान के दुष्ट संसार के खिलाफ साफ शब्दों में न्यायदंड सुनाए गए। इन घोषणाओं को रेडियो के ज़रिए भी प्रसारित किया गया। फिर, अधिवेशन के बाद परमेश्‍वर के लोगों ने इन संदेशों को छापकर उनकी लाखों कॉपियाँ बाँटी।

11 सन्‌ 1935 और 1940 के दौरान गवाही देने का एक दूसरा तरीका शुरू किया गया, जिसे इन्फॉर्मेशन मार्च कहा जाता था। इसके तहत शुरू-शुरू में यहोवा के लोग जन-भाषणों की घोषणा करनेवाले पोस्टर पहनकर सड़कों पर चलते थे। बाद में उनके पोस्टरों पर कुछ नारे लिखे जाने लगे, जैसे “धर्म एक फंदा और झाँसा है” और “परमेश्‍वर और राजा मसीह की सेवा कीजिए” वगैरह, वगैरह। जब वे ये पोस्टर पहनकर सड़कों पर चलते तो लोगों का ध्यान उनकी तरफ जाता था। एक भाई जो इंग्लैंड, लंदन की भीड़वाली सड़कों पर नियमित तौर से इस काम में हिस्सा लिया करता था, कहता है: ‘इससे काफी हद तक लोगों का ध्यान यहोवा के साक्षियों की तरफ गया और साक्षियों का हौसला काफी मज़बूत हुआ।’

12. हम सेवकाई में परमेश्‍वर के न्यायदंड के संदेशों के अलावा और क्या बताते हैं और आज कौन-कौन कंधे-से-कंधा मिलाकर सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं?

12 हम परमेश्‍वर के न्यायदंड के संदेश सुनाने के साथ-साथ परमेश्‍वर की ओर से मिलनेवाली आशीषों के बारे में भी बताते हैं, जो हमारे राज्य संदेश का हिस्सा है। दुनिया के सामने हिम्मत के साथ गवाही देने के कारण योग्य लोगों को ढूँढ़ना हमारे लिए मुमकिन हुआ है। (मत्ती 10:11) जब 1920 और 1930 के दशकों में कटनी के काम के लिए बिगुल बजा तो ऐसे कई लोग इस काम के लिए तैयार हो गए जो अभिषिक्‍त वर्ग के आखिरी सदस्य बने। फिर 1935 में हुए अधिवेशन में एक खुशखबरी सुनाई गई कि ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़” को पृथ्वी पर फिरदौस में जीवन मिलेगा। (यूहन्‍ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 7:9) बड़ी भीड़ के लोगों ने परमेश्‍वर के न्यायदंड के संदेशों पर कान दिया है और वे अभिषिक्‍त जनों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर जीवनदायी सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं।

13, 14. (क) भजन 126:5,6 से हमें कैसा हौसला मिलता है? (ख) अगर हम बोने और सींचने का काम करते रहेंगे, तो कैसे नतीजे मिलेंगे?

13 परमेश्‍वर की कटनी का काम करनेवालों को और खासकर जो इस काम की वजह से सताए जा रहे हैं, उनको भजन 126:5,6 के इन शब्दों से काफी हौसला मिलता है: “जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए काटेंगे। जो बीज लेकर बोने के लिए रोता हुआ चला जाता है, वह निश्‍चय ही अपनी पूलियां लिए हुए जयजयकार के साथ लौट आएगा।” (NHT) बोने और काटने के संबंध में कहे गए भजनहार के इन शब्दों का मतलब था कि प्राचीन बाबुल की बंधुआई से छूटकर आए शेष जनों की यहोवा देखभाल करेगा और उनको आशीष देगा। जब वे आज़ाद हुए तो उन्हें बेहद खुशी हुई मगर जब उनके देश की 70 साल तक बंजर पड़ी हुई ज़मीन में बीज बोने का वक्‍त आया तो शायद उन्होंने दुःख से आँसू बहाए होंगे। मगर फिर भी जिन लोगों ने आगे बढ़कर बीज बोए और निर्माण काम किए, उनकी मेहनत रंग लायी और उन्हें अपने काम से खुशी मिली

14 आज जब हमें या हमारे भाई-बहनों को धार्मिकता की खातिर दुःख उठाना या परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है, तो शायद हम भी आँसू बहाएँ। (1 पतरस 3:14) शुरू में कटनी का काम करना हमारे लिए बहुत मुश्‍किल लग सकता है क्योंकि शायद हमें लगे कि इस काम में हम जो मेहनत करते हैं उसके सबूत में हमें कोई प्रतिफल नहीं मिला है। लेकिन अगर हम बीज बोने और सींचने का काम करते रहेंगे तो परमेश्‍वर उन्हें ज़रूर बढ़ाएगा और कभी-कभी तो हमारी उम्मीदों से बढ़कर कामयाबी दिलाएगा। (1 कुरिन्थियों 3:6) इसका एक अच्छा सबूत यह है कि जब हम बाइबल और बाइबल साहित्य बाँटते हैं, तो उसके बढ़िया परिणाम निकलते हैं।

15. कटनी के काम में मसीही साहित्य कितने मददगार होते हैं, इसका एक उदाहरण दीजिए।

15 जिम के उदाहरण पर गौर कीजिए। अपनी माँ के गुज़रने के बाद उसे अपनी माँ की पुरानी चीज़ों में एक किताब मिली, जीवन—इसकी शुरूआत कैसे हुई? विकास से या सृष्टि से? (अँग्रेज़ी) * उसने उस किताब को बड़ी दिलचस्पी के साथ पढ़ा। बाद में एक बार सड़क पर एक साक्षी ने उसे प्रचार किया और फिर उनके बीच चर्चा हुई। जिम एक पुनःभेंट के लिए राज़ी हुआ और आगे चलकर उसके साथ एक बाइबल अध्ययन शुरू किया गया। जिम ने आध्यात्मिक बातों में अच्छी तरक्की की, अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया और बपतिस्मा लिया। उसने जो कुछ भी सीखा उसे अपने परिवार के लोगों को बताया। नतीजा यह हुआ कि उसका भाई और बहन यहोवा के साक्षी बन गए और बाद में जिम को लंदन के बेथेल में पूर्ण-समय की सेवा करने का सुअवसर भी मिला।

सताए जाने के बावजूद खुश

16. (क) कटनी के काम में मिली कामयाबी की वजह क्या है? (ख) सुसमाचार से लोगों पर जो प्रभाव पड़ेगा, उसके बारे में यीशु ने कौन-सी चेतावनी दी थी, मगर हम किस भावना के साथ लोगों से मुलाकात करते हैं?

16 कटनी के काम में इतनी कामयाबी मिलने की वजह क्या है? वजह यह है कि अभिषिक्‍त मसीहियों और उनके साथियों ने यीशु की इन हिदायतों को माना है: “जो मैं तुम से अन्धियारे में कहता हूं, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे कोठों पर से प्रचार करो।” (मत्ती 10:27) लेकिन हमें यह भी मालूम है कि इस काम में हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि यीशु ने चेतावनी दी थी: “भाई, भाई को और पिता पुत्र को, घात के लिये सौंपेंगे, और लड़केवाले माता-पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे।” यीशु ने आगे कहा: “यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूं; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूं।” (मत्ती 10:21,34) इसका यह मतलब नहीं कि यीशु ने जानबूझकर परिवारों में फूट पैदा कर दी। मगर उसने जो सुसमाचार सुनाया, उसका कभी-कभी वैसा प्रभाव पड़ा। यही बात आज परमेश्‍वर के सेवकों के बारे में भी सच है। जब हम लोगों के घरों में जाते हैं, तो हमारा इरादा यह नहीं होता कि हम परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे से अलग कर दें। बल्कि हम चाहते हैं कि पूरा परिवार सुसमाचार को कबूल करे। इसलिए हम परिवार के सभी सदस्यों से मिलकर उनसे प्यार और हमदर्दी के साथ पेश आने की कोशिश करते हैं, क्योंकि इससे हमारा संदेश ऐसे लोगों को भा जाता है जो “अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए” हैं।—प्रेरितों 13:48.

17. जो लोग परमेश्‍वर की हुकूमत का समर्थन करते हैं, वे किस तरह दुनिया से अलग दिखते हैं और इसकी एक मिसाल क्या है?

17 जो लोग परमेश्‍वर की हुकूमत का समर्थन करते हैं, वे राज्य संदेश सुनाने की वजह से दुनिया के लोगों से बिलकुल अलग दिखाई देते हैं। मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि जर्मनी में नात्ज़ी शासन के दौरान, किस तरह हमारे भाई-बहन दूसरों से अलग दिखाई दिए क्योंकि उन्होंने ‘जो कैसर का है वह कैसर को दिया और जो परमेश्‍वर का है, वह परमेश्‍वर को दिया।’ (लूका 20:25) यहोवा के ये सेवक ईसाईजगत के धर्म-गुरुओं और ईसाईयों से बिलकुल अलग दिखाई दिए क्योंकि वे स्थिर खड़े रहे और बाइबल के उसूलों को तोड़ने के लिए हरगिज़ राज़ी नहीं हुए। (यशायाह 2:4; मत्ती 4:10; यूहन्‍ना 17:16) द नात्ज़ी स्टेट एण्ड द न्यू रिलिजियन्स किताब की लेखिका प्रोफेसर, क्रिस्टीन किंग ने कहा: “[नात्ज़ी] सरकार सिर्फ साक्षियों के खिलाफ कार्यवाही करने में नाकाम रही। हालाँकि नात्ज़ियों ने हज़ारों साक्षियों को मार डाला था मगर इससे साक्षियों का काम रुका नहीं और मई 1945 में जबकि यहोवा के साक्षियों का संगठन बरकरार था, मगर नात्ज़ी सरकार का कोई अता-पता नहीं था।”

18. यहोवा के लोग सताए जाने के बावजूद कैसा नज़रिया रखते हैं?

18 यहोवा के लोग सताए जाने के समय जिस तरह का नज़रिया दिखाते हैं, वह सचमुच तारीफ के काबिल है। सरकारी अधिकारी न सिर्फ हमारे विश्‍वास को देखकर प्रभावित होते हैं बल्कि वे यह देखकर दंग रह जाते हैं कि हमारे अंदर दुश्‍मनों के प्रति किसी तरह की नाराज़गी या बुरी भावना नहीं है। उदाहरण के लिए, नात्ज़ियों द्वारा दी गई यातना से बचे साक्षी अकसर जब बीती बातों को याद करते हैं तो वे खुशी और संतुष्टि ज़ाहिर करते हैं। वे जानते हैं कि यहोवा ने उन्हें “असीम सामर्थ” दी थी। (2 कुरिन्थियों 4:7) हमारे बीच जो अभिषिक्‍त जन हैं, उन्हें यह पक्का यकीन है कि उनके “नाम स्वर्ग पर लिखे हैं।” (लूका 10:20) उनके धीरज धरने से उन्हें ऐसी आशा मिलती है जो ज़रूर पूरी होगी। और कटनी का काम वफादारी से करनेवाले जो लोग पृथ्वी पर जीने की आशा रखते हैं, उन्हें भी यह विश्‍वास है कि उनकी आशा ज़रूर पूरी होगी।—रोमियों 5:4,5.

कटनी के काम में हिम्मत मत हारिए

19. मसीही सेवकाई में कौन-से असरदार तरीके इस्तेमाल किए गए हैं?

19 यहोवा हमें और कब तक लाक्षणिक कटनी का काम करने के लिए कहेगा, यह तो बस वक्‍त ही बताएगा। मगर तब तक हमें याद रखना चाहिए कि जिस तरह सचमुच की फसल काटने के लिए मज़दूर कुछ खास तरीके अपनाते हैं, उसी तरह अगर हम प्रचार के काम में ऐसे तरीकों को इस्तेमाल करते रहेंगे जिन्हें आज़माने पर अच्छी कामयाबी मिली है, तो हम ज़रूर प्रतिफल पाएँगे। पौलुस ने अपने मसीही भाई-बहनों से कहा था: “मैं तुम से बिनती करता हूं, कि मेरी सी चाल चलो।” (1 कुरिन्थियों 4:16) जब मीलेतुस में पौलुस की मुलाकात इफिसुस के प्राचीनों से हुई, तो उसने उन्हें याद दिलाया कि वह “लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका।” (प्रेरितों 20:20,21) प्रेरित पौलुस के साथी, तीमुथियुस ने पौलुस के प्रचार करने के तरीके सीखे और इसलिए वह कुरिन्थ के लोगों को भी ये तरीके सिखा सका। (1 कुरिन्थियों 4:17) परमेश्‍वर ने पौलुस के सिखाने के तरीकों पर आशीष दी थी। उसी तरह अगर हम घर-घर जाकर, पुनःभेंटों में, बाइबल अध्ययनों में और जहाँ कहीं भी लोग मिलें वहाँ जाकर सुसमाचार का प्रचार करने में लगे रहेंगे, तो परमेश्‍वर हमें भी आशीष देगा।—प्रेरितों 17:17.

20. यीशु ने किस तरह बताया कि आध्यात्मिक कटनी का बहुत सारा काम हाथ में है और यह बात हाल के सालों में कैसे सच साबित हुई है?

20 सामान्य युग 30 में सूखार नगर के पास एक सामरी स्त्री को गवाही देने के बाद, यीशु ने आध्यात्मिक कटनी का ज़िक्र किया था। उसने अपने चेलों से कहा: “अपनी आंखें उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो, कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं। और काटनेवाला मजदूरी पाता, और अनन्त जीवन के लिये फल बटोरता है; ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर आनन्द करें।” (यूहन्‍ना 4:34-36) शायद यीशु जान गया था कि उसने सामरी स्त्री को जो गवाही दी थी उसके क्या नतीजे होंगे क्योंकि उस स्त्री की गवाही सुनकर बहुत-से लोग यीशु पर विश्‍वास करने लगे थे। (यूहन्‍ना 4:39) हाल के कुछ सालों में कई देशों ने यहोवा के साक्षियों के काम पर लगी पाबंदियाँ हटा दी हैं या उन्हें कानूनी मान्यता दे दी है। इससे कटनी के लिए और भी खेत पक चुके हैं। और नतीजा हमारे सामने है कि आध्यात्मिक कटनी का काम बड़ी तेज़ी से चल रहा है। दरअसल, संसार भर में हम आध्यात्मिक कटनी के काम में खुशी से लगे हुए हैं और ढेर सारी आशीषों का आनंद उठा रहे हैं।

21. किन कारणों से आज हम कटनी के काम में मगन हो सकते हैं?

21 जब खेत पककर कटनी के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं तो मज़दूरों को दिन-रात एक करके काम करना होता है। उन्हें फौरन काम में जुट जाना होता है। उसी तरह आज हमें भी कटनी का काम पूरी मेहनत के साथ करना चाहिए और नहीं भूलना चाहिए कि हम “अन्त समय” में जी रहे हैं इसलिए वक्‍त बहुत कम है। (दानिय्येल 12:4) हाँ, यह सच है कि हमें परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है मगर आज यहोवा की उपासना करने के लिए इतनी तादाद में लोग आ रहे हैं जितने पहले कभी नहीं आए थे। इसलिए यह वाकई मगन होने का समय है। (यशायाह 9:3) तो आइए हम कटनी के काम में खुशी-खुशी लगे रहें!

[फुटनोट]

^ यहोवा के साक्षियों द्वारा प्रकाशित किया और बाँटा जाता है।

आपका जवाब क्या होगा?

• खेत के स्वामी ने कैसे इस प्रार्थना का जवाब दिया है कि वह कटनी के काम के लिए और मजदूरों को भेजे?

• हालाँकि हमसे “बैर” किया जाता है, मगर फिर भी हम कैसी भावना रखते हैं?

• सताए जाने के बावजूद हम क्यों खुश रहते हैं?

• वक्‍त की कीमत पहचानते हुए हमें क्यों कटनी का काम बिना हिम्मत हारे करते रहना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 16, 17 पर तसवीरें]

आध्यात्मिक कटनी का काम करनेवालों की मदद के लिए स्वर्गदूत उनके साथ हैं

[पेज 18 पर तसवीर]

इन्फॉर्मेशन मार्च की वजह से बहुत सारे लोगों का ध्यान राज्य संदेश की तरफ गया

[पेज 18 पर तसवीर]

हम बीज बोते और सींचते हैं, मगर परमेश्‍वर उसे बढ़ाता है