इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अपनी जवानी को सफल बनाना

अपनी जवानी को सफल बनाना

अपनी जवानी को सफल बनाना

यूरोप के एक देश के निवासियों से जब पूछा गया कि वे खूबसूरती, धन-दौलत और जवानी, इन तीनों में से क्या चुनेंगे, तो सबकी पहली पसंद थी जवानी। जी हाँ, हर उम्र के लोगों का मानना है कि ज़िंदगी में 13 से करीब 25 साल की उम्र के बीच का समय बहुत खास होता है। और हर कोई यही चाहता है कि युवा लोग अपने बचपन से लेकर बड़े होने तक का सफर कामयाबी से तय करें। मगर वे यह कैसे कर सकते हैं?

क्या इस मामले में बाइबल हमारी मदद कर सकती है? जी हाँ, बिलकुल। आइए हम दो क्षेत्रों की जाँच करें जिनमें परमेश्‍वर का वचन नौजवानों को खास मदद दे सकता है, ऐसी मदद जो शायद दूसरे उम्र के लोगों से कहीं ज़्यादा नौजवानों के लिए मददगार साबित हो सकती है।

दूसरों के साथ मधुर रिश्‍ता

यूजेन्ट 2000, जर्मनी में एक बड़े पैमाने पर किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट है। यह सर्वे 5,000 से भी ज़्यादा नौजवानों के रवैये, उसूल और व्यवहार पर किया गया था। इससे पता चला कि युवा लोग ज़्यादातर दूसरों के साथ मिलकर मनोरंजन करते हैं जैसे कि संगीत सुनना, खेल-कूद में हिस्सा लेना, या बस ऐसे ही मटरगश्‍ती करना। और दूसरे उम्र के लोगों से कहीं ज़्यादा नौजवानों को अपने हमउम्र दोस्तों के साथ वक्‍त बिताना अच्छा लगता है। इसलिए दूसरों के साथ मधुर रिश्‍ता बनाए रखना सफल जवानी का एक राज़ है।

लेकिन दूसरों के साथ मधुर रिश्‍ता बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता। असल में, युवक और युवतियाँ कबूल करते हैं कि इन्हीं रिश्‍तों में उन्हें सबसे ज़्यादा समस्याएँ आती हैं। ऐसे में, बाइबल सचमुच मदद कर सकती है। नौजवानों को किस तरह बढ़िया रिश्‍ता कायम करना है, इस बारे में परमेश्‍वर के वचन में बुनियादी सलाहें दी गई हैं। तो फिर बाइबल क्या कहती है?

इंसानी रिश्‍तों के बारे में एक सबसे ज़रूरी सिद्धांत जो बाइबल में दिया है, उसे सुनहरा नियम कहा जाता है: “जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो।” जब आप दूसरों के साथ आदर, गरिमा, और प्यार से पेश आते हैं तो उन्हें भी आपके साथ उसी तरह पेश आने का बढ़ावा मिलता है। दूसरों के साथ अच्छा बर्ताव करने से तनाव-भरा माहौल और आपस का मतभेद कम किया जा सकता है। अगर आप दूसरों की परवाह करनेवाले के तौर पर जाने जाते हैं तो लोग आपको पसंद करेंगे और आपकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएँगे। क्या दूसरों की दोस्ती पाने से आपको खुशी नहीं होगी?—मत्ती 7:12.

बाइबल सलाह देती है कि “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” अपने आप से प्रेम रखने का मतलब है कि आप अपना ख्याल रखें और अपने आत्म-सम्मान के बारे में एक सही नज़रिया रखें यानी खुद को इतना महान भी ना समझें और ना ही इतना गिरा हुआ। यह बात कैसे मददगार साबित हो सकती है? अगर खुद अपनी नज़रों में आपकी कोई इज़्ज़त नहीं है तो आप शायद ही दूसरों की इज़्ज़त कर पाएँगे। इसके बजाय आप दूसरों में बिना वजह खोट निकालना शुरू कर देंगे और इस तरह एक मधुर रिश्‍ता बनते-बनते रह जाएगा। लेकिन गहरी दोस्ती कायम करने का आधार है खुद के बारे में एक सही नज़रिया रखना।—मत्ती 22:39.

जब एक बार दोस्ती हो जाती है तो उसे मज़बूत बनाने के लिए दोनों तरफ से मेहनत करने की ज़रूरत होती है। दोस्ती में समय देने से आपको खुशी महसूस होनी चाहिए क्योंकि “लेने से ज़्यादा देने में खुशी है।” एक तरह से देने में दूसरे को माफ करना आता है, जिसमें दूसरों की छोटी-मोटी गलतियों को नज़रअंदाज़ करना और दूसरों से सिद्धता की माँग न करना शामिल है। बाइबल कहती है: “तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो।” जी हाँ, “जहां तक संभव हो सके, तुम . . . सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।” लेकिन तब क्या जब एक दोस्त आपकी कोई कमज़ोरी आपको बताता है? आप कैसा रवैया दिखाएँगे? बाइबल की इस कारगर सलाह पर गौर कीजिए: “अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो” क्योंकि “जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह हमारी भलाई के लिए है।” क्या यह सच नहीं है कि दोस्तों का असर आपके सोच-विचार, बातों और व्यवहार पर पड़ता है? इसलिए बाइबल चेतावनी देती है: “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” दूसरी तरफ, “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा।”—प्रेरितों 20:35, NW; फिलिप्पियों 4:5; रोमियों 12:17,18; सभोपदेशक 7:9; नीतिवचन 13:20; 27:6, द रिवाइज़्ड इंग्लिश बाइबल; 1 कुरिन्थियों 15:33.

मार्को बहुत-से जवान लड़के-लड़कियों की तरफ से कहता है: “बाइबल के सिद्धांत लोगों के साथ मधुर रिश्‍ता बनाए रखने में एक बहुत बड़ी मदद है। मैं कुछ लोगों को जानता हूँ जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं और बस इसी बात की चिंता करते हैं कि ज़िंदगी में कैसे सबसे ज़्यादा फायदा उठाया जाए। लेकिन बाइबल हमें अपने बारे में सोचने से ज़्यादा दूसरों के बारे में चिंता करना सिखाती है। और मेरी नज़र में मधुर रिश्‍ते बनाने के लिए इससे बेहतर तरीका और है ही नहीं।”

मार्को जैसे नौजवान, बाइबल से जो कुछ सीखते हैं, उससे न सिर्फ उन्हें अपनी जवानी में बल्कि अपने आनेवाले कल में भी मदद मिलती है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए हम पाते हैं कि एक और तरीका है जिसमें बाइबल नयी पीढ़ी के लोगों की खास मदद कर सकती है।

भविष्य की चिंता

बहुत-से नौजवानों को हर बात के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है। शायद किसी और उम्र के लोगों से ज़्यादा वे यह जानना चाहते हैं कि हमारे चारों तरफ क्या हो रहा है और क्यों। दूसरी किताबों से बढ़कर बाइबल हमें दुनिया में हो रही परिस्तिथियों की वजह बताती है और यह भी कि भविष्य में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। और यही बात आज की युवा पीढ़ी जानना चाहती है। हम कैसे पूरे यकीन के साथ यह कह सकते हैं?

हालाँकि आम तौर पर यह माना जाता है कि युवा सिर्फ आज के लिए ही जीते हैं, मगर कई सर्वेक्षणों से कुछ अलग बात सामने आयी है। जिससे पता चला है कि युवा लोग अकसर अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर बहुत ही ध्यान देते हैं और फिर उसी हिसाब से वे अपने नतीजे पर पहुँचते हैं कि भविष्य में ज़िंदगी कैसी होगी। इसका सबूत यह है कि हर चार में से तीन युवक-युवतियाँ “अकसर” या “ज़्यादातर” अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं। हालाँकि आम तौर पर जवान लोग आशावादी होते हैं, लेकिन ज़्यादातर युवाओं को अपने भविष्य के बारे में थोड़ी-बहुत चिंता ज़रूर रहती है।

लेकिन चिंता क्यों? आजकल के बहुत-से नौजवानों को अपराध, हिंसा, और ड्रग्स की लत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को बस एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी हुई है, ऐसे समाज में युवाओं को पक्की नौकरी पाने की चिंता लगी रहती है। नौजवानों को स्कूल में अच्छे अंक पाने या हर काम में अव्वल होने का दबाव महसूस होता है। सत्रह साल की एक युवती अपना दुखड़ा रोते हुए कहती है: “आज हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जहाँ इंसान ही इंसान को नोच खाने में लगा है। हर इंसान बस खुद दूसरों से आगे निकलने में लगा हुआ है। आपको कदम-कदम पर अपनी काबिलीयत का सबूत देना पड़ता है और इसी बात से मुझे नफरत है।” एक और 22 साल के नौजवान ने कहा: “कामयाब लोग ज़िंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं साथ ही वे संतुष्ट और सुरक्षित ज़िंदगी बसर कर सकते हैं। दूसरी तरफ, जिन लोगों की हालत बदतर होती है यानी जो किसी-न-किसी वजह से अपने साथियों की तरह तरक्की नहीं कर पाते हैं, वे बस कामयाबी की दौड़ में पीछे रह जाते हैं।” ज़िंदगी में एक-दूसरे से आगे निकलने की इतनी होड़ क्यों लगी है? क्या ज़िंदगी हमेशा ऐसे ही चलती रहेगी?

सही समझ

जब युवा लोग समाज की हालत को देखकर निराश या चिंतित हो जाते हैं तो जाने-अंजाने में वे बाइबल की बातों से सहमत होते हैं। परमेश्‍वर का वचन दिखाता है कि आज का ‘समाज जहाँ पर इंसान ही इंसान को नोच खाने में लगा है’ अंतिम समय का चिन्ह है। प्रेरित पौलुस ने हमारे दिनों के बारे में नौजवान तीमुथियुस को एक खत में लिखा कि “कठिन समय आएंगे।” लेकिन कठिन समय क्यों आएँगे? क्योंकि जैसा पौलुस ने आगे लिखा, लोग “अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, . . . कृतघ्न, अपवित्र, . . . कठोर” होंगे। क्या यह आजकल के बहुत-से लोगों के बर्ताव का एकदम सही वर्णन नहीं है?—2 तीमुथियुस 3:1-3.

बाइबल बताती है कि इस तरह के कठिन समय, “अंतिम दिनों में” आएँगे और उसके बाद पूरे मानव समाज में बड़े-बड़े बदलाव होंगे। इन बदलावों का हरेक इंसान पर असर पड़ेगा, चाहे वे बूढ़े हों या जवान। लेकिन ये बदलाव किस तरह के होंगे? बहुत जल्द एक स्वर्गीय सरकार पूरी दुनिया की बागडोर सँभाल लेगी, और उसकी प्रजा चारों तरफ फैली “बड़ी शांति के कारण आनन्द मनाएंगे।” “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” चिंता और डर बीती बातें हो जाएँगी।—भजन 37:11,29.

सिर्फ बाइबल ही भविष्य के बारे में भरोसेमंद समझ देती है। जब एक नौजवान को पता होता है कि अगले कुछ सालों में क्या होनेवाला है तो उसके लिए वह पहले से तैयार हो सकता है, जिससे वह सुरक्षित महसूस करेगा और अपनी ज़िंदगी को और भी अच्छी तरह जी सकेगा। यह भावना तनाव और चिंता को भी कम करती है। इस तरह बाइबल, अपने समाज को समझने और भविष्य के बारे में जानने की युवा पीढ़ी की खास ज़रूरत को पूरा करती है।

सफल जवानी

सफल जवानी को मापने की कसौटी क्या है? क्या बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ हासिल करना है, बेशुमार धन-दौलत और बहुत सारे दोस्त पाना है? बहुत-से लोग शायद ऐसा ही सोचें। एक इंसान की ज़िंदगी में 13 से करीब 25 साल की उम्र के बीच का दौर, एक ऐसा समय है जब उसके आनेवाले कल की अच्छी बुनियाद पड़नी चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो एक सफल जवानी से पता चलता है कि आनेवाली ज़िंदगी कैसी होगी।

जैसा कि हमने अब तक देखा, बाइबल की मदद से नौजवान अपनी जवानी को सफल बना सकते हैं। बहुत-से नौजवान अपनी ज़िंदगी में खुद इस बात की सच्चाई का अनुभव कर चुके हैं। वे रोज़ाना परमेश्‍वर का वचन पढ़ते हैं और जो कुछ सीखते हैं उसे अपने जीवन में लागू करते हैं। (पेज 6 पर “यहोवा के एक नौजवान सेवक से बढ़िया सुझाव” देखिए।) जी हाँ, बाइबल सचमुच आज के नौजवानों के लिए गौर करने लायक किताब है क्योंकि यह उन्हें ‘सिद्ध और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाने’ की मदद दे सकती है।—2 तीमुथियुस 3:16,17.

[पेज 5 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

सफल जवानी का एक राज़ है दूसरों के साथ मधुर रिश्‍ता बनाए रखना

[पेज 6 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

किसी और उम्र के लोगों से ज़्यादा नौजवान जानना चाहते हैं कि हमारे चारों तरफ क्या हो रहा है और क्यों

[पेज 6, 7 पर बक्स]

यहोवा के एक नौजवान सेवक से बढ़िया सुझाव

ऐलेक्सैंडर 19 बरस का है। उसकी परवरिश यहोवा के साक्षी परिवार में हुई और अपने विश्‍वास के मुताबिक जी-जान से काम करने में उसे बेहद खुशी मिलती है। लेकिन वह हमेशा से ऐसा महसूस नहीं करता था। ऐलेक्सैंडर समझाता है:

“आप शायद हैरान होंगे लेकिन यह सच है कि मैं बपतिस्मा-रहित प्रकाशक के तौर पर यहोवा के साक्षियों के साथ सात से भी ज़्यादा साल तक संगति करता रहा। उस दौरान मेरा पूरा मन परमेश्‍वर की सेवा में नहीं था, बल्कि यह बस एक ढर्रा बन गई थी। मुझे लगता है कि ईमानदारी के साथ खुद की जाँच करने की मुझमें हिम्मत नहीं थी।”

लेकिन उसके बाद ऐलेक्सैंडर का नज़रिया बदल गया। वह आगे कहता है:

“मेरे माता-पिता और कलीसिया में मेरे दोस्त मुझसे रोज़ाना बाइबल पढ़ने और यहोवा के साथ एक नज़दीकी रिश्‍ता कायम करने के लिए उकसाते थे। आखिर में, मैंने उनकी सलाहों को मानने का फैसला किया। मैंने टी.वी. देखना कम कर दिया और सुबह-सुबह बाइबल पढ़ने की आदत बना ली। तब कहीं जाकर मैं बाइबल को अच्छी तरह समझ पाया। मैं यह देख पाया कि किस तरह यह मुझे व्यक्‍तिगत तौर पर मदद कर सकती है। और इन सबसे भी बढ़कर मैंने समझा कि यहोवा चाहता है कि मैं उसे जानूँ। एक बार जब यह बात मेरे दिल में घर कर गयी, उसके बाद परमेश्‍वर के साथ मेरा रिश्‍ता पक्का होता गया, और कलीसिया में दूसरों के साथ मेरी दोस्ती बढ़ने लगी। वाकई, बाइबल ने तो मेरी पूरी ज़िंदगी बदलकर रख दी! इसलिए यहोवा के सभी नौजवान सेवकों के लिए मेरी यह सलाह है कि उन्हें रोज़ बाइबल पढ़नी चाहिए।”

ऐसे लाखों नौजवान हैं जो संसार-भर में यहोवा के साक्षियों के साथ मेल-जोल रखते हैं। क्या आप भी उनमें से एक हैं? क्या आप रोज़ाना बाइबल पढ़ने से फायदा उठाना चाहते हैं? तो क्यों न आप भी ऐलेक्सैंडर की मिसाल पर चलें? गैरज़रूरी कामों में कटौती कीजिए और रोज़ाना बाइबल पढ़ने की आदत बनाइए। इससे आपको ज़रूर फायदा होगा।