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यहोवा की आशीष हमें धनी बनाती है

यहोवा की आशीष हमें धनी बनाती है

यहोवा की आशीष हमें धनी बनाती है

“यहोवा की आशीष ही धनी बनाती है और वह उसके साथ कोई दुःख नहीं देता।”नीतिवचन 10:22, Nw.

1, 2. खुशी का धन-दौलत से कोई नाता क्यों नहीं है?

 आज दुनिया में लाखों लोग बस दौलत और ऐशो-आराम के पीछे भाग रहे हैं। मगर क्या ये चीज़ें उन्हें खुशी देती हैं? दि ऑस्ट्रेलियन विमॆन्स वीक्ली पत्रिका कहती है: “मुझे नहीं लगता कि लोग पहले कभी ज़िंदगी से इतने निराश हुए हों, जितने कि आज हैं।” यह आगे कहती है: “यह कैसी अजीबो-गरीब बात है। एक तरफ तो हमें बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया आज पूरी तरह समृद्ध है और यहाँ ज़िंदगी जितनी हसीन बन गयी है, उतनी पहले कभी नहीं थी। . . . मगर सच तो यह है कि आज देश के ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों में निराशा छा गयी है। आज पुरुष और स्त्रियाँ, दोनों यह महसूस करते हैं कि उनकी ज़िंदगी में कुछ तो कमी है मगर वे ठीक-ठीक समझ नहीं पा रहे हैं कि यह कमी क्या है।” इसलिए बाइबल की यह बात कितनी सच है कि हमारी खुशी और ज़िंदगी धन-सम्पत्ति के दम से नहीं!—सभोपदेशक 5:10; लूका 12:15.

2 बाइबल सिखाती है कि सच्ची खुशी परमेश्‍वर की आशीष से मिलती है। इस बारे में नीतिवचन 10:22 (NW) कहता है: “यहोवा की आशीष ही धनी बनाती है और वह उसके साथ कोई दुःख नहीं देता।” दुःख तभी आता है जब इंसान लालच में आकर धन-दौलत बटोरने में लग जाता है। इसलिए प्रेरित पौलुस ने बिलकुल सही चेतावनी दी: “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं। क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्‍वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।”—1 तीमुथियुस 6:9,10.

3. परमेश्‍वर के सेवकों पर तकलीफें क्यों आती हैं?

3 दूसरी तरफ जो लोग ‘हमेशा यहोवा की बात सुनते’ हैं, उनको ऐसी आशीषें जा लेती हैं जिनके साथ कोई दुःख नहीं होता। (व्यवस्थाविवरण 28:2, NW) मगर कुछ लोग पूछ सकते हैं, ‘अगर यहोवा की आशीष के साथ कोई दुःख नहीं मिलता, तो उसके बहुत-से सेवकों को तकलीफें क्यों झेलनी पड़ती हैं?’ इसका जवाब बाइबल बताती है कि हालाँकि परमेश्‍वर हम पर तकलीफें आने देता है, मगर इनका असली कारण परमेश्‍वर नहीं बल्कि शैतान, उसका दुष्ट संसार और हमारी अपनी असिद्धता है। (उत्पत्ति 6:5; व्यवस्थाविवरण 32:4,5; यूहन्‍ना 15:19; याकूब 1:14,15) यहोवा ‘हर एक अच्छे वरदान और हर एक उत्तम दान’ का दाता है। (याकूब 1:17) इसलिए वह आशीषों के साथ कभी कोई दुःख नहीं देता। अब आइए हम परमेश्‍वर के कुछ उत्तम दानों पर विचार करें।

परमेश्‍वर का वचन —एक अनमोल वरदान

4. इस “अंत समय” के दौरान यहोवा के लोग किस आशीष और बेशकीमती तोहफे का आनंद उठा रहे हैं?

4 दानिय्येल की भविष्यवाणी कहती है कि “अंत समय” में “सच्चे ज्ञान का विकास होगा।” मगर भविष्यवाणी यह भी बताती है कि यह ज्ञान सिर्फ किन लोगों को मिलेगा: “दुष्ट लोग इन बातों को नहीं समझेंगे किन्तु बुद्धिमान इन बातों को समझ जायेंगे।” (दानिय्येल 12:4,10, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) ज़रा सोचिए! पूरी बाइबल में और खासकर उसमें दी गयी भविष्यवाणियों में परमेश्‍वर की ऐसी बुद्धि छिपी है कि दुष्ट लोग उसकी सही समझ हासिल नहीं कर पाते हैं जबकि यहोवा के लोगों के लिए यह मुमकिन है। परमेश्‍वर के पुत्र ने यह प्रार्थना की: “हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया।” (लूका 10:21) इस अनमोल तोहफे, यानी परमेश्‍वर के लिखित वचन, बाइबल को पाना और उन लोगों में से एक होना कितनी बढ़िया आशीष है जिन्हें यहोवा ने आध्यात्मिक बातों की गहरी समझ दी है!—1 कुरिन्थियों 1:21,27,28; 2:14,15.

5. बुद्धि का मतलब क्या है और इसे हम कैसे हासिल कर सकते हैं?

5 अगर हमें “ईश्‍वरीय बुद्धि” न मिलती तो हमारे पास ज़रा-भी आध्यात्मिक समझ नहीं होती। (याकूब 3:17, नयी हिन्दी बाइबिल) बुद्धि का मतलब ज्ञान और समझ का इस्तेमाल करने की काबिलीयत है जिससे हमें समस्याओं का हल करने, खतरों से बचने, कुछ लक्ष्य हासिल करने या बेहतरीन सलाह देने में मदद मिलती है। ईश्‍वरीय बुद्धि हम कैसे हासिल कर सकते हैं? नीतिवचन 2:6 कहता है: “बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।” जी हाँ, अगर हम यहोवा से बुद्धि के लिए लगातार प्रार्थना करेंगे तो वह हमें ज़रूर बुद्धि देगा, जैसे उसने राजा सुलैमान को भी “बुद्धि और विवेक से भरा मन” दिया था। (1 राजा 3:11,12; याकूब 1:5-8) बुद्धि हासिल करने के लिए यह भी ज़रूरी है कि हम यहोवा के वचन का अध्ययन करने और उसे लागू करने के ज़रिए लगातार उसकी बात सुनें।

6. परमेश्‍वर के नियमों और सिद्धांतों के मुताबिक जीना क्यों बुद्धिमानी है?

6 परमेश्‍वर से मिलनेवाली बुद्धि के बढ़िया सबूत, बाइबल में दिए गए नियम और सिद्धांत हैं। इन नियमों और सिद्धांतों पर चलने से हमें शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और आध्यात्मिक, यानी हर तरीके से फायदा होता है। भजनहार ने अपने गीत में बिलकुल सही कहा: “यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्‍वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं।”—भजन 19:7-10; 119:72.

7. परमेश्‍वर के धर्मी स्तरों की कदर न करनेवालों का क्या अंजाम होता है?

7 दूसरी तरफ, जो लोग परमेश्‍वर के धर्मी स्तरों को नज़रअंदाज़ करके खुशी और आज़ादी पाने की कोशिश करते हैं, उन्हें ये चीज़ें हासिल नहीं होतीं। आज नहीं तो कल, उन्हें यह एहसास हो ही जाता है कि परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। (गलतियों 6:7) बाइबल के सिद्धांतों की कदर न करने की वजह से आज लाखों लोग बुरे अंजाम भुगत रहे हैं। मसलन, कुछ स्त्रियाँ नाजायज़ संबंधों से गर्भवती हो जाती हैं, कुछ लोग गंदी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं या उन्हें कोई ऐसी बुरी लत पड़ जाती है जो उन्हें बरबाद कर देती है। अगर वे पश्‍चाताप करके अपनी ज़िंदगी नहीं बदलेंगे तो आखिरकार वे मौत के मुँह में जा गिरेंगे या परमेश्‍वर के हाथों उनका विनाश हो जाएगा।—मत्ती 7:13,14.

8. परमेश्‍वर के वचन से प्यार करनेवाले क्यों खुश हैं?

8 मगर जो लोग परमेश्‍वर के वचन से प्यार करते और उस पर चलते हैं, उनको न सिर्फ आज बल्कि भविष्य में भी ढेरों आशीषें जा लेंगी। परमेश्‍वर के नियमों ने उन्हें आज़ाद किया है, इस वजह से वे सचमुच खुश हैं और बड़ी बेताबी से उस दिन का इंतज़ार करते हैं जब उन्हें पाप और उसके भयानक अंजामों से पूरी तरह आज़ाद किया जाएगा। (रोमियों 8:20,21; याकूब 1:25) उनकी यह आशा पक्की है क्योंकि इस आशा का आधार, इंसान को दिया गया परमेश्‍वर का सबसे प्यारा तोहफा यानी उसके अपने एकलौते बेटे, यीशु मसीह का छुड़ौती बलिदान है। (मत्ती 20:28; यूहन्‍ना 3:16; रोमियों 6:23) परमेश्‍वर का यह सबसे नायाब तोहफा इस बात का सबूत है कि उसे इंसानों के लिए गहरा प्यार है। और यह पूरा भरोसा दिलाता है कि जो लोग हमेशा यहोवा की बात सुनते हैं, उनको वह बेहिसाब आशीषें देगा।—रोमियों 8:32.

पवित्र आत्मा के वरदान के लिए एहसानमंद

9, 10. यहोवा से मिलनेवाले पवित्र आत्मा के वरदान से हमें क्या फायदा होता है? इसकी एक मिसाल दीजिए।

9 पवित्र आत्मा, परमेश्‍वर से मिलनेवाला एक और प्यारा तोहफा है जिसके लिए हमें एहसानमंद होना चाहिए। सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, प्रेरित पतरस ने यरूशलेम में मौजूद भीड़ को उकसाया: “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।” (प्रेरितों 2:38) आज यहोवा अपने उन समर्पित सेवकों को पवित्र आत्मा देता है जो इसके लिए प्रार्थना करते हैं और उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हैं। (लूका 11:9-13) परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा या सक्रिय शक्‍ति, विश्‍वमंडल की सबसे ज़बरदस्त शक्‍ति है जिसने प्राचीन समय के वफादार स्त्री-पुरुषों को और शुरू के मसीहियों को भी हिम्मत दी थी। (जकर्याह 4:6; प्रेरितों 4:31) उसी तरह यह आज हम यहोवा के लोगों की भी मदद कर सकती है, फिर चाहे हमारे सामने बड़ी-से-बड़ी रुकावटें और चुनौतियाँ भी क्यों न आएँ।—योएल 2:28,29.

10 लॉरल नाम की एक बहन पर ध्यान दीजिए जिसे पोलियो हो गया था। उसे 37 सालों तक साँस लेने की एक आइरन लंग मशीन में बंद रहना पड़ा। * मगर ऐसी बदतरीन हालत में होने के बावजूद उसने अपनी आखिरी साँस तक पूरे जोश के साथ परमेश्‍वर की सेवा की। यहोवा की बढ़िया आशीषों ने लॉरल को जा लिया। एक आशीष यह थी कि उसने बाइबल की सच्चाई का सही ज्ञान पाने में 17 लोगों की मदद की, जबकि वह चौबीसों घंटे मशीन में पड़ी रहती थी! उसकी हालत हमें प्रेरित पौलुस के इन शब्दों की याद दिलाती है: “जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्त होता हूं।” (2 कुरिन्थियों 12:10) जी हाँ, प्रचार काम में हमें जो भी कामयाबी मिलती है, वह हमारी अपनी काबिलीयत या ताकत के बल पर नहीं बल्कि परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा की बदौलत ही मिलती है। और परमेश्‍वर अपनी आत्मा उन लोगों को देता है जो हमेशा उसकी बात सुनते हैं।—यशायाह 40:29-31.

11. ‘नया मनुष्यत्व’ पहननेवालों में परमेश्‍वर की आत्मा कौन-से फल पैदा करती है?

11 अगर हम हमेशा परमेश्‍वर की बात सुनेंगे और उसकी आज्ञा मानेंगे, तो उसकी आत्मा हमारे अंदर प्रेम, आनंद, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम जैसे गुण पैदा करेगी। (गलतियों 5:22,23) ‘आत्मा के ये फल’ “नये मनुष्यत्व” का भाग हैं। मसीही इस “नये मनुष्यत्व” को पहनते हैं और उनके अंदर जो खूँखार जानवरों जैसे गुण थे, उन्हें वे निकाल फेंकते हैं। (इफिसियों 4:20-24; यशायाह 11:6-9) आत्मा के फलों में सबसे खास है प्रेम, जो “एकता का सिद्ध बन्ध है।”—कुलुस्सियों 3:14, NHT.

मसीही प्रेम—ऐसा तोहफा जिसे हम संजोए रखते हैं

12. किस तरह तबीता और पहली सदी के दूसरे मसीहियों ने प्रेम दिखाया?

12 यहोवा की आशीष से मिलनेवाला एक और तोहफा है, मसीही प्रेम जिसे हम संजोए रखते हैं। यह प्रेम सिद्धांतों पर आधारित है और यह मसीही भाई-बहनों के बीच प्यार का ऐसा अटूट बंधन कायम करता है जैसा खून के रिश्‍तों के बीच भी नहीं होता। (यूहन्‍ना 15:12,13; 1 पतरस 1:22) पहली सदी की एक मसीही स्त्री, तबीता की बात लीजिए जिसका कलीसिया में अच्छा नाम था। “वह बहुतेरे भले भले काम और दान किया करती थी” खासकर विधवा बहनों की खातिर। (प्रेरितों 9:36) इन विधवाओं के अपने रिश्‍तेदार भी ज़रूर रहे होंगे, फिर भी तबीता अपनी तरफ से जितना हो सके, उनकी मदद करती और उनकी हिम्मत बँधाती थी। (1 यूहन्‍ना 3:18) तबीता ने वाकई कितनी बढ़िया मिसाल रखी! उसी तरह प्रिसका और अक्विला के दिल में मसीही प्यार इतना गहरा था कि उन्होंने पौलुस की खातिर “अपना जीवन भी जोखिम में डाल दिया।” पौलुस के लिए ऐसा ही प्यार इपफ्रास, लूका, उनेसिफुरुस और दूसरे लोगों ने भी दिखाया। जब वह रोम में कैद था, तब उन्होंने आगे बढ़कर उसकी मदद की। (रोमियों 16:3,4, NHT; 2 तीमुथियुस 1:16; 4:11; फिलेमोन 23,24) जी हाँ, आज भी उनकी मिसाल पर चलनेवाले मसीही ‘आपस में प्रेम रखते हैं।’ यह आपसी प्रेम परमेश्‍वर की आशीष से मिला एक वरदान है और यीशु के सच्चे चेलों के तौर पर उनकी पहचान कराता है।—यूहन्‍ना 13:34,35.

13. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम अपने मसीही भाईचारे की दिलो-जान से कदर करते हैं?

13 क्या आप मसीही कलीसिया में दिखाए जानेवाले प्यार की कदर करते हैं? क्या आप संसार-भर के हमारे आध्यात्मिक भाईचारे के लिए एहसानमंद हैं? हमारे ये भाई-बहन और उनका प्यार भी परमेश्‍वर की ओर से उत्तम वरदान हैं जिनसे हमें खुशी मिलती है और हम धनी होते हैं। हम कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं कि हम इनकी बहुत कदर करते हैं? परमेश्‍वर की पवित्र सेवा करने, मसीही सभाओं में भाग लेने, साथ ही प्रेम और परमेश्‍वर की आत्मा के बाकी फल दिखाने के ज़रिए।—फिलिप्पियों 1:9; इब्रानियों 10:24,25.

‘मनुष्यों में दान’

14. जो मसीही, प्राचीन या सहायक सेवक के तौर पर सेवा करना चाहता है, उससे क्या उम्मीद की जाती है?

14 जो मसीही भाई, प्राचीनों या सहायक सेवकों के तौर पर अपने भाई-बहनों की सेवा करना चाहते हैं, वे तारीफ के काबिल हैं। (1 तीमुथियुस 3:1,8) इन खास ज़िम्मेदारियों के योग्य बनने के लिए एक भाई को चाहिए कि वह आध्यात्मिक बातों पर मन लगानेवाला हो, बाइबल का अच्छा ज्ञान रखता हो और सेवकाई में जोशीला हो। (प्रेरितों 18:24; 1 तीमुथियुस 4:15; 2 तीमुथियुस 4:5) उसे दीनता, विनम्रता और धीरज दिखाना चाहिए क्योंकि परमेश्‍वर की आशीषें ऐसे लोगों को नहीं जा लेतीं जो अपने अधिकार की सीमा को लाँघते हैं, घमंडी और पद हासिल करने के उतावले होते हैं। (नीतिवचन 11:2; इब्रानियों 6:15; 3 यूहन्‍ना 9,10) अगर वह शादी-शुदा है तो उसे अपने पूरे परिवार की प्यार से और अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए। (1 तीमुथियुस 3:4,5,12) ऐसा पुरुष आध्यात्मिक धन को ज़्यादा अहमियत देता है इसलिए उसके सामने यहोवा की आशीषों का द्वार खुल जाता है।—मत्ती 6:19-21.

15, 16. कौन ‘मनुष्यों में दान’ साबित होते हैं? कुछ उदाहरण बताइए।

15 जब प्राचीन की ज़िम्मेदारी निभानेवाले भाई एक प्रचारक, चरवाहे, और शिक्षक की ज़िम्मेदारी निभाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं तो इन ‘मनुष्यों में दानों’ के लिए हमारे दिल में कदर और भी बढ़ जाती है। (इफिसियों 4:8,11) वफादार प्राचीन दूसरों की सेवा करते हुए उनके लिए अपना प्यार दिखाते हैं। हो सकता है उनकी सेवा से फायदा पानेवाले हमेशा अपनी कदरदानी ज़ाहिर न करें, मगर यहोवा उनकी सारी मेहनत देखता है। वे यहोवा के लोगों की सेवा करते हुए उसके नाम के लिए जो प्यार दिखाते हैं, उसे वह कभी नहीं भूलेगा।—1 तीमुथियुस 5:17; इब्रानियों 6:10.

16 एक मेहनती प्राचीन की मिसाल लीजिए। वह अस्पताल में एक मसीही लड़की को देखने गया जिसका कुछ ही देर में मस्तिष्क का ऑपरेशन होनेवाला था। उस लड़की के परिवार की एक दोस्त लिखती है: “वह भाई कितना दयालु, कितना मददगार और कितना प्यार करनेवाला था। उसने हमारे साथ यहोवा से प्रार्थना करने के लिए हमसे इजाज़त माँगी। और जब वह प्रार्थना करने लगा, तो पिता [जो यहोवा का साक्षी नहीं है] सिसकियाँ भरने लगा और उस कमरे में मौजूद सभी लोगों की आँखें भर आयीं। उस भाई की प्रार्थना हम सभी के दिल को छू गयी। सचमुच, यहोवा ने उसे ठीक समय पर हमारे पास भेजकर कितना प्यार दिखाया!” एक और बीमार बहन ने उन प्राचीनों के बारे में जो उसे देखने आए थे, यह कहा: “जब वे इंटॆन्सिव केयर यूनिट में मेरे बिस्तर के पास आए तो मुझे इतनी हिम्मत मिली कि मैंने सोचा, इसके बाद अब जो भी होगा, उसे मैं सह सकती हूँ। मेरा हौसला मज़बूत हो गया और दिल को बहुत सुकून मिला।” ज़रा सोचिए, क्या ऐसा प्यार और ऐसी हमदर्दी पैसों से खरीदी जा सकती है? बिलकुल नहीं! यह परमेश्‍वर का एक तोहफा है जो हमें मसीही कलीसिया के ज़रिए मिलता है।—यशायाह 32:1,2.

प्रचार काम करने का वरदान

17, 18. (क) यहोवा ने अपने सभी लोगों को सेवकाई का कौन-सा वरदान दिया है? (ख) परमेश्‍वर हमें अपनी सेवकाई पूरी करने के लिए क्या मदद देता है?

17 सारे जहान के मालिक यहोवा की सेवा करने से बढ़कर एक इंसान के लिए और कोई सम्मान की बात नहीं हो सकती। (यशायाह 43:10; 2 कुरिन्थियों 4:7; 1 पतरस 2:9) मगर फिर भी यह सुअवसर उन सभी को मिल सकता है जो सच्चे मन से उसकी सेवा करना चाहते हैं—बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी को। क्या आप इस अनमोल वरदान का इस्तेमाल करते हैं? कुछ लोग शायद यह सोचकर प्रचार करने से पीछे हटें कि उनमें यह काम करने की काबिलीयत नहीं है। मगर यह मत भूलिए कि यहोवा अपने सेवकों को पवित्र आत्मा देता है। इसलिए अगर हमारे अंदर कोई कमी हो, तो उसे यह आत्मा पूरी कर सकती है।—यिर्मयाह 1:6-8; 20:11.

18 यहोवा ने राज्य का प्रचार करने की ज़िम्मेदारी अपने दीन सेवकों को सौंपी है, ऐसे लोगों को नहीं जो घमंडी हैं और अपनी ही काबिलीयतों पर भरोसा रखते हैं। (1 कुरिन्थियों 1:20,26-29) जो लोग दीन और विनम्र होते हैं उन्हें अपनी कमज़ोरियों का एहसास होता है और वे प्रचार में हिस्सा लेते समय यहोवा की मदद पर निर्भर रहते हैं। साथ ही, यहोवा ‘विश्‍वास-योग्य भण्डारी’ के ज़रिए जो आध्यात्मिक मदद देता है, उसकी वे कदर करते हैं।—लूका 12:42-44; नीतिवचन 22:4.

सुखी परिवार—एक प्यारा तोहफा

19. बच्चों की परवरिश करने में माता-पिता कैसे कामयाब हो सकते हैं?

19 शादी और एक सुखी परिवार परमेश्‍वर से मिलनेवाले तोहफे हैं। (रूत 1:9; इफिसियों 3:14,15) बच्चे भी “यहोवा के दिए हुए [अनमोल] दान” हैं इसलिए जो माता-पिता अपने बच्चों में परमेश्‍वर के गुण पैदा करते हैं, उन्हें अपने बच्चों से खुशी मिलती है। (भजन 127:3, NHT) अगर आपके भी बच्चे हैं, तो यहोवा की बात सुनते हुए उन्हें उसके वचन की तालीम देते रहिए। जो माता-पिता ऐसा करते हैं, वे यकीन रख सकते हैं कि उन्हें यहोवा की मदद और आशीष ज़रूर मिलेगी।—नीतिवचन 3:5,6; 22:6; इफिसियों 6:1-4.

20. जिन माता-पिताओं के बच्चे सच्चाई की राह से दूर चले जाते हैं, उन्हें किस बात से हिम्मत मिल सकती है?

20 परमेश्‍वर का भय माननेवाले माता-पिता सच्चाई की राह में अपने बच्चों की परवरिश करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। मगर इसके बावजूद कुछ बच्चे बड़े होने पर सच्चाई से दूर चले जाते हैं। (उत्पत्ति 26:34,35) इससे माता-पिता का मन पूरी तरह टूट सकता है। (नीतिवचन 17:21,25) लेकिन अपने बच्चों से सारी उम्मीदें खो बैठने के बजाय, उनके लिए अच्छा होगा कि वे उड़ाऊ बेटे के बारे में यीशु का दृष्टांत याद रखें। हालाँकि वह बेटा घर छोड़कर चला गया और उसने बुरा रास्ता इख्तियार कर लिया था मगर बाद में वह घर लौट आया और पिता ने प्यार से और खुशी-खुशी उसका स्वागत किया। (लूका 15:11-32) आज वफादार मसीही माता-पिताओं पर चाहे जो भी गुज़रे, वे यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उनका दर्द समझता है, उनकी बहुत फिक्र करता है और वह उनको कभी नहीं त्यागेगा।—भजन 145:14.

21. हमें किसकी बात सुननी चाहिए और क्यों?

21 तो आइए हम सभी यह जाँच करें कि हम अपनी ज़िंदगी में किस बात को सबसे ज़्यादा अहमियत दे रहे हैं। क्या हम धन-दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ों के पीछे भाग रहे हैं जो अपने साथ हमारे और हमारे परिवार के लिए दुःख भी लाते हैं? या क्या हम “ज्योतियों के पिता” से मिलनेवाले ‘अच्छे वरदान और उत्तम दान’ पाने की कोशिश करते हैं? (याकूब 1:17) “झूठ का पिता” शैतान चाहता है कि हम धन-दौलत कमाने के लिए ही दिन-रात जूझते रहें और खुशी और ज़िंदगी दोनों से हाथ धो बैठें। (यूहन्‍ना 8:44; लूका 12:15) लेकिन यहोवा को हमारे लिए सच्ची परवाह है और वह हमेशा हमारी भलाई चाहता है। (यशायाह 48:17,18) तो आइए हम हमेशा स्वर्ग में रहनेवाले अपने प्यारे पिता की बात सुनते रहें और उसमें “मग्न” रहें। (भजन 37:4, NHT) अगर हम ऐसे मार्ग पर चलेंगे, तो यहोवा के बेशकीमती तोहफों और ढेरों आशीषों से हम धनी होंगे और उनके साथ किसी तरह का दुःख नहीं मिलेगा।

[फुटनोट]

^ जनवरी 22,1993 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) के पेज 18-21 देखिए।

क्या आपको याद है?

• सच्ची खुशी कैसे हासिल की जा सकती है?

• यहोवा ने अपने लोगों को कौन-से तोहफे दिए हैं?

• प्रचार का काम एक वरदान क्यों है?

• माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश करने में परमेश्‍वर की आशीष पाने के लिए क्या कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 16 पर तसवीर]

परमेश्‍वर ने अपने लिखित वचन का जो तोहफा दिया है, क्या आप उसके लिए कदरदानी दिखाते हैं?

[पेज 17 पर तसवीर]

बदतरीन हालात में होने के बावजूद लॉरल निस्बट ने परमेश्‍वर की सेवा जोश के साथ की

[पेज 18 पर तसवीरें]

तबीता की तरह आज के मसीही भी प्यार से दूसरों की मदद करने के लिए जाने जाते हैं

[पेज 19 पर तसवीर]

मसीही प्राचीन अपने भाई-बहनों के लिए प्यार और हमदर्दी दिखाते हैं