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खजूर के पेड़ से एक सबक

खजूर के पेड़ से एक सबक

खजूर के पेड़ से एक सबक

खजूर के पेड़ के बारे में एक बाइबल इनसाइक्लोपीडिया कहती है कि “ढलती शाम के वक्‍त खजूर के पेड़ का साया ऐसा लगता है मानो किसी ने काले संगमरमर को तराशकर एक पेड़ बना दिया हो।” बाइबल के ज़माने में मिस्र की नील नदी की घाटी में खजूर के पेड़ लगे हुए थे। ये आज भी वहाँ देखे जा सकते हैं। इन पेड़ों से इस इलाके की खूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं। ये पेड़ नेगेब रेगिस्तान के बागों में भी हैं जिनकी छांव में बैठकर मुसाफिर चैन की साँस लेते हैं।

ताड़ की बाकी जातियों की तरह खजूर का पेड़ भी एकदम सीधा और देखने लायक होता है। कुछ पेड़ों की ऊँचाई 100 फीट तक होती है और ये 150 सालों तक फलते हैं। जी हाँ, खजूर के पेड़ की खासियत यह है कि यह दिखने में बहुत खूबसूरत, साथ ही फलदायी भी होता है। हर साल इसमें फलों के ढेरों गुच्छे लगते हैं। हर गुच्छे में 1,000 से ज़्यादा फल होते हैं। इन फलों के बारे में एक लेखक ने लिखा: “जिन लोगों ने . . . सिर्फ दुकान में मिलनेवाले सूखे खजूर खाए हैं, उन्हें शायद ही मालूम हो कि ताज़े खजूर का स्वाद क्या होता है।”

बाइबल में इंसानों की तुलना खजूर के पेड़ों से की गयी है, जो कि बिलकुल सही है। एक फलदायी खजूर के पेड़ की तरह परमेश्‍वर की नज़रों में खूबसूरत दिखने के लिए एक इंसान को अपना चरित्र बेदाग रखने और लगातार अच्छे काम करने की ज़रूरत है। (मत्ती 7:17-20) इसी बात पर ज़ोर देने के लिए सुलैमान के मंदिर और यहेजकेल के दर्शन के मंदिर की सजावट के लिए खजूर के पेड़ों की नक्काशी की गयी थी। (1 राजा 6:29,32,35; यहेजकेल 40:14-16,20,22) यह दिखाता है कि अगर हम चाहते हैं कि परमेश्‍वर हमारी उपासना को कबूल करे तो हमें अपने अंदर खजूर के पेड़ जैसी खूबियाँ पैदा करनी चाहिए। परमेश्‍वर का वचन कहता है: “धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे।”—भजन 92:12.