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भलाई करते रहिए

भलाई करते रहिए

भलाई करते रहिए

“ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है।”इफिसियों 5:9.

1. आज लाखों लोग यह कैसे दिखा रहे हैं कि वे भजन 31:19 से सहमत हैं?

 इंसान अपनी ज़िंदगी में सबसे भला काम यही कर सकता है कि वह यहोवा की महिमा करे। आज लाखों लोग, यहोवा की भलाई के बदले उसका गुणगान करने के ज़रिए ऐसा कर रहे हैं। हम यहोवा के वफादार साक्षी उस भजनहार के साथ पूरी तरह सहमत हैं जिसने यह गाया: “आहा, तेरी भलाई क्या ही बड़ी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोड़ी है”!—भजन 31:19.

2, 3. अगर हम चेले बनाने का काम करते हैं, मगर हमारा चालचलन ठीक नहीं होगा, तो क्या हो सकता है?

2 यहोवा के लिए गहरी श्रद्धा और विस्मय की भावना हमें उसकी भलाई के बदले उसकी स्तुति करने की प्रेरणा देती है। यह हमें ‘यहोवा का धन्यवाद करने, उसे धन्य कहने और राज्य की महिमा की चर्चा करने के लिए’ भी उकसाती है। (भजन 145:10-13) इसी वजह से हम राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने के काम में पूरे ज़ोर-शोर से हिस्सा लेते हैं। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) लेकिन प्रचार काम के साथ-साथ हमारा आचरण भी सही होना बेहद ज़रूरी है। वरना हमारी वजह से यहोवा के पवित्र नाम पर कलंक लग सकता है।

3 कई लोग कहते तो हैं कि वे परमेश्‍वर की उपासना करते हैं, मगर उनका चालचलन परमेश्‍वर के उन स्तरों के मुताबिक नहीं होता, जो उसने अपने प्रेरित वचन में दर्ज़ किए हैं। प्रेरित पौलुस ने ऐसे कुछ लोगों के बारे में लिखा जो भलाई करने का दावा करते थे मगर उनके काम बिलकुल उलटे थे: “क्या तू जो औरों को सिखाता है, अपने आप को नहीं सिखाता? क्या तू जो चोरी न करने का उपदेश देता है, आप ही चोरी करता है? तू जो कहता है, व्यभिचार न करना, क्या आप ही व्यभिचार करता है? . . . तुम्हारे कारण अन्यजातियों में परमेश्‍वर के नाम की निन्दा की जाती है जैसा लिखा भी है।”—रोमियों 2:21, 22, 24.

4. हमारे अच्छे चालचलन का क्या नतीजा होता है?

4 लेकिन हम यहोवा के नाम पर कलंक लाने के बजाय, अपने अच्छे चालचलन से उसकी महिमा करने की कोशिश करते हैं। यह उन लोगों पर हमारी अच्छी छाप छोड़ता है जो मसीही कलीसिया के सदस्य नहीं हैं। इसका एक फायदा यह है कि विरोधियों का मुँह बंद करना हमारे लिए आसान हो जाता है। (1 पतरस 2:15) और सबसे ज़रूरी बात यह है कि हमारा चालचलन देखकर लोग यहोवा के संगठन की ओर खिंचे चले आते हैं। इस तरह उनके लिए भी यहोवा की महिमा करने और अनंत जीवन पाने का रास्ता खुल जाता है।—प्रेरितों 13:48.

5. अब हमें किन सवालों पर गौर करने की ज़रूरत है?

5 असिद्ध होने की वजह से हम ऐसे चालचलन से कैसे दूर रह सकते हैं जिससे यहोवा का अनादर हो सकता है और सच्चाई की तलाश करनेवालों को ठोकर पहुँच सकती है? दरअसल हम भलाई का गुण दिखाने में कैसे कामयाब हो सकते हैं?

ज्योति का एक फल

6. “अन्धकार के निष्फल कामों” में से कुछ क्या हैं लेकिन मसीहियों को कौन-से फल पैदा करने चाहिए?

6 हम समर्पित मसीही एक ऐसी चीज़ का आनंद उठाते हैं, जो परमेश्‍वर का अनादर करनेवाले “अन्धकार के निष्फल कामों” से दूर रहने में हमारी मदद करती है। ऐसे कुछ काम हैं, झूठ बोलना, चोरी करना, गाली-गलौज, लैंगिक संबंधों के बारे में अश्‍लील बातें करना, बदचलनी, गंदे मज़ाक और पियक्कड़पन। (इफिसियों 4:25, 28, 31; 5:3, 4, 11, 12, 18) लेकिन हम ऐसे कामों में डूबने के बजाय, हमेशा ‘ज्योति की सन्तान की नाईं चलते हैं।’ प्रेरित पौलुस कहता है कि “ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है।” (इफिसियों 5:8, 9) यह दिखाता है कि ज्योति में चलने की वजह से ही हम हमेशा भलाई कर पाते हैं। लेकिन यह ज्योति किस प्रकार की है?

7. हमेशा भलाई का गुण दिखाने के लिए हमें क्या करना होगा?

7 अगर हम आध्यात्मिक ज्योति में चलेंगे तो हम असिद्ध होने के बावजूद भी भलाई का गुण दिखा सकेंगे। भजनहार ने गाया: “तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।” (भजन 119:105) अगर हम “सब प्रकार की भलाई” करने के ज़रिए हमेशा “ज्योति का फल” दिखाना चाहते हैं, तो हमें आध्यात्मिक रोशनी से निरंतर लाभ उठाना होगा। यह रोशनी परमेश्‍वर के वचन में पायी जाती है और उसके बारे में मसीही प्रकाशनों में बारीकी से समझाया जाता है। साथ ही, हम उपासना के लिए जिन सभाओं में इकट्ठे होते हैं, उनमें नियमित रूप से उस पर चर्चा की जाती है। (लूका 12:42; रोमियों 15:4; इब्रानियों 10:24, 25) हमें यीशु मसीह की मिसाल और उसकी शिक्षाओं पर भी खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वह “जगत की ज्योति” है और “[यहोवा] की महिमा को प्रतिबिम्बित करता है।”—यूहन्‍ना 8:12; इब्रानियों 1:1-3, नयी हिन्दी बाइबिल।

आत्मा का एक फल

8. हम भलाई का गुण क्यों दिखा पाते हैं?

8 इसमें कोई शक नहीं कि आध्यात्मिक ज्योति, भलाई का गुण दिखाने में हमारी मदद करती है। इतना ही नहीं, परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा या उसकी सक्रिय शक्‍ति के निर्देशन पर चलने की वजह से भी हमें यह गुण दिखाने में मदद मिलती है। भलाई, ‘आत्मा के फलों’ में से एक है। (गलतियों 5:22, 23) इसलिए अगर हम यहोवा की पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन को स्वीकार करके उसके मुताबिक चलेंगे, तो यह हमारे अंदर भलाई का बढ़िया फल पैदा करेगी।

9. लूका 11:9-13 में दी गयी यीशु की सलाह को हम कैसे मान सकते हैं?

9 अगर हमारे अंदर आत्मा का यह फल, भलाई दिखाकर यहोवा को खुश करने की गहरी इच्छा है तो हमें यीशु की यह सलाह माननी चाहिए: “मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा। तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली मांगे, तो मछली के बदले उसे सांप दे? या अण्डा मांगे तो उसे बिच्छू दे? सो जब तुम [असिद्ध और इस वजह से कुछ हद तक] बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।” (लूका 11:9-13) तो आइए हम यीशु की यह सलाह मानकर यहोवा की आत्मा के लिए प्रार्थना करें, ताकि हम निरंतर आत्मा का फल, भलाई दिखाते रहें।

“भले काम करते रहो”

10. निर्गमन 34:6, 7 में यहोवा की भलाई के किन पहलुओं का ज़िक्र किया गया है?

10 परमेश्‍वर के वचन से आध्यात्मिक रोशनी पाकर और उसकी पवित्र आत्मा की मदद से हम ‘भले काम करते रह’ सकते हैं। (रोमियों 13:3, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) बाइबल का निरंतर अध्ययन करने के ज़रिए हम यह और अच्छी तरह जान पाते हैं कि हम भलाई करने में यहोवा का अनुकरण कैसे कर सकते हैं। पिछले लेख में परमेश्‍वर की भलाई के अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा की गयी जिनके बारे में परमेश्‍वर ने मूसा को घोषणा की थी। इसे हम निर्गमन 34:6,7 में यूँ पढ़ते हैं: “यहोवा, यहोवा, ईश्‍वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।” यहोवा की भलाई के इन पहलुओं पर और अच्छी तरह गौर करने से हमें ‘भले काम करते रहने’ में मदद मिलेगी।

11. यह जानकर कि यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी है, हमें क्या करना चाहिए?

11 परमेश्‍वर की इस घोषणा में हमें ध्यान दिलाया जाता है कि हमें यहोवा की तरह दयालु और अनुग्रहकारी होना चाहिए। यीशु ने कहा था: “धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।” (मत्ती 5:7; लूका 6:36) यह जानते हुए कि यहोवा अनुग्रहकारी है, हम भी दूसरों के साथ प्यार से पेश आने और अनुग्रहकारी होने की कोशिश करते हैं, उन लोगों के साथ भी जिन्हें हम प्रचार करते हैं। यह बात पौलुस की इस सलाह से मेल खाती है: “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।”—कुलुस्सियों 4:6.

12. (क) जब परमेश्‍वर कोप करने में धीरजवन्त है तो हमें भी दूसरों के साथ कैसे पेश आना चाहिए? (ख) यहोवा की करुणा हमें क्या करने के लिए उकसाती है?

12 परमेश्‍वर कोप करने में धीरजवन्त है, इसलिए ‘भलाई करते रहने’ की इच्छा हमें अपने भाई-बहनों की छोटी-मोटी गलतियों को सहने और उनके अच्छे गुणों पर ध्यान देने के लिए उकसाती है। (मत्ती 7:5; याकूब 1:19) और यहोवा की करुणा हमें हर वक्‍त, यहाँ तक कि मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी सच्चा प्रेम दिखाने के लिए उकसाती है। सच्चा प्रेम वाकई एक चाहने योग्य गुण है।—नीतिवचन 19:22.

13. यह दिखाने के लिए कि यहोवा सत्य से भरपूर है हमें क्या क्या करना चाहिए?

13 हमारा स्वर्गीय पिता सत्य से भरपूर है। (NHT) इसलिए हम भी ‘सत्य के वचन से उसके सेवकों की नाईं अपने सद्‌गुणों को प्रगट करने’ की कोशिश करते हैं। (2 कुरिन्थियों 6:3-7) जिन सात वस्तुओं से यहोवा घृणा करता है, उनमें “झूठ बोलनेवाली जीभ” और “झूठ बोलनेवाला साक्षी” भी हैं। (नीतिवचन 6:16-19) इसलिए परमेश्‍वर को खुश करने की इच्छा ने हमें उकसाया है कि हम “झूठ बोलना छोड़कर . . . सच बोलें।” (इफिसियों 4:25) आइए, हम इस अहम तरीके से भलाई का गुण दिखाने में कभी न चूकें।

14. हमें दूसरों को क्यों क्षमा करना चाहिए?

14 परमेश्‍वर ने मूसा के सामने जो घोषणा की, उससे हमारे अंदर दूसरों को क्षमा करने की इच्छा भी पैदा होनी चाहिए क्योंकि यहोवा क्षमा करनेवाला है। (मत्ती 6:14, 15) लेकिन यहोवा ऐसे लोगों को ज़रूर दंड देता है, जो अपने पापों से पश्‍चाताप नहीं करते। इसलिए जब कलीसिया की आध्यात्मिक शुद्धता बनाए रखने की बात आती है, तो हमें भलाई के उसके स्तरों का सख्ती से पालन करना चाहिए।—लैव्यव्यवस्था 5:1; 1 कुरिन्थियों 5:11, 12; 1 तीमुथियुस 5:22.

“ध्यान से देखो”

15, 16. इफिसियों 5:15-19 में दी गयी पौलुस की सलाह हमें भलाई करते रहने में कैसे मदद दे सकती है?

15 अपने चारों तरफ फैली बुराई के बावजूद, अगर हम हमेशा भलाई करना चाहते हैं, तो हमें परमेश्‍वर की आत्मा से भरपूर होना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि हम कैसी चाल चलते हैं। इसीलिए पौलुस ने इफिसुस के मसीहियों से यह आग्रह किया: “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है? और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्त्तन करते रहो।” (इफिसियों 5:15-19) यह सलाह आज हमारे लिए बिलकुल सही है क्योंकि हम अंतिम दिनों के कठिन समय में जी रहे हैं।—2 तीमुथियुस 3:1.

16 अगर हम लगातार भलाई करना चाहते हैं तो हमें ध्यान से देखना होगा कि हम परमेश्‍वर की बुद्धि रखनेवालों की तरह चाल चलें। (याकूब 3:17) हमें गंभीर पाप करने से दूर रहना है और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उसकी बतायी राह पर चलना है। (गलतियों 5:19-25) मसीही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में दी जानेवाली आध्यात्मिक शिक्षा पर अमल करने से हम भले काम करते रह सकते हैं। इफिसियों से कहे पौलुस के शब्दों से हमें यह भी ध्यान आए कि हम अपनी उपासना की ज़्यादातर सभाओं में पूरे दिल से “आत्मिक गीत” गाकर भी लाभ पाते हैं। इनमें से कई गीतों में भलाई जैसे आध्यात्मिक गुणों की तारीफ की जाती है।

17. जो मसीही गंभीर बीमारी के कारण सभाओं में लगातार हाज़िर नहीं हो पाते हैं, वे किस बात का यकीन रख सकते हैं?

17 हमारे उन भाई-बहनों के बारे में क्या जो किसी गंभीर बीमारी की वजह से सभी सभाओं में नहीं आ सकते? शायद यह सोचकर उनका मन टूट सकता है कि वे हमेशा अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों के साथ मिलकर यहोवा की उपासना नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन वे इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उनकी मजबूरी समझता है, वह उन्हें सच्चाई की रोशनी और अपनी पवित्र आत्मा देता रहेगा और भलाई करते रहने के लिए उनकी मदद करेगा।—यशायाह 57:15.

18. भले काम करते रहने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी?

18 भले काम करते रहने के लिए ज़रूरी है कि हम अपनी संगति पर ध्यान दें और ऐसे लोगों से दूर रहें जो “भले के बैरी” हैं। (2 तीमुथियुस 3:2-5; 1 कुरिन्थियों 15:33) इस सलाह पर अमल करने से हम “परमेश्‍वर के पवित्र आत्मा” के मार्गदर्शन के खिलाफ कोई काम नहीं करेंगे और इस तरह उसे “शोकित” करने से बचेंगे। (इफिसियों 4:30) इसके अलावा, हमें ऐसे लोगों के साथ गहरा नाता रखना है जिनके जीने का तरीका दिखाता है कि वे भलाई के प्रेमी हैं और यहोवा की पवित्र आत्मा के निर्देशन में चलते हैं। तब हमें भलाई करने में मदद मिलेगी।—आमोस 5:15; रोमियों 8:14; गलतियों 5:18.

भलाई करने के बढ़िया नतीजे निकलते हैं

19-21. कुछ ऐसे अनुभव बताइए जो दिखाते हैं कि भलाई करने के क्या नतीजे होते हैं।

19 आध्यात्मिक ज्योति में चलने, परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के मुताबिक काम करने और अपने चालचलन पर ध्यान देने से हमें बुराई से दूर रहने और ‘भले काम करते रहने’ में मदद मिलेगी। इससे बढ़िया नतीजे निकल सकते हैं। मिसाल के लिए, ज़ॉन्गेज़ीले के साथ हुई इस घटना पर गौर कीजिए, जो दक्षिण अफ्रीका में रहनेवाला यहोवा का एक साक्षी है। एक दिन सुबह स्कूल जाते वक्‍त वह यह देखने के लिए बैंक गया कि उसकी थोड़ी-थोड़ी बचत से अब तक कितने पैसे जमा हुए हैं। लेकिन पैसों की रकम बतानेवाली मशीन ने गलती से ज़ॉन्गेज़ीले के नाम पर 2,70,000 रुपए ज़्यादा दिखा दिए। बैंक के एक सुरक्षा गार्ड और दूसरों ने उससे कहा कि वह उन रुपयों को उस बैंक से निकालकर किसी दूसरे बैंक में जमा कर ले। लेकिन ज़ॉन्गेज़ीले ने ऐसा नहीं किया। और इस बात के लिए सिर्फ उस साक्षी दंपत्ति ने ज़ॉन्गेज़ीले को शाबाशी दी जिनके साथ वह रहता था।

20 अगले दिन ज़ॉन्गेज़ीले ने बैंक को उस गलती के बारे में रिपोर्ट की। तब यह पता चला कि ज़ॉन्गेज़ीले के खाते का नंबर एक रईस बिज़नेसमैन के खाते के नंबर से मिलता-जुलता है। दरअसल उस बिज़नेसमैन ने गलत खाते में अपनी पूँजी जमा कर दी थी। वह यह देखकर दंग रह गया कि ज़ॉन्गेज़ीले ने उसका एक भी पैसा खर्च नहीं किया। उसने ज़ॉन्गेज़ीले से पूछा: “आप कौन-सा धर्म मानते हो?” ज़ॉन्गेज़ीले ने उसे बताया कि वह यहोवा का एक साक्षी है। बैंक के अधिकारियों ने भी ज़ॉन्गेज़ीले की सराहना की और कहा: “काश, सभी लोग यहोवा के साक्षियों की तरह ईमानदार होते।” वाकई, हमारी ईमानदारी और भले कामों से दूसरों के लिए भी यहोवा की महिमा करने का रास्ता खुल सकता है।—इब्रानियों 13:18.

21 अच्छे नतीजे पाने के लिए ज़रूरी नहीं कि हम बहुत बड़े-बड़े काम करके भलाई का गुण दिखाएँ। यह समझने के लिए समोआ के एक द्वीप में पूरे समय की सेवा करनेवाले एक जवान साक्षी की इस मिसाल पर गौर कीजिए। एक दिन वह अपने इलाके के अस्पताल में गया। वहाँ लोग डॉक्टर से मिलने का इंतज़ार कर रहे थे। साक्षी ने देखा कि उसके बाद जिस बुज़ुर्ग महिला की बारी है, वह बहुत बीमार थी। उसने अपनी बारी उस महिला को दे दी ताकि उसकी जाँच जल्दी हो सके। बाद में एक दिन, बाज़ार में उस साक्षी की मुलाकात उसी महिला से हुई। उस महिला को याद था कि अस्पताल में कैसे उस साक्षी ने उसके साथ भलाई की थी। उसने कहा, “अब मैं कह सकती हूँ कि आप यहोवा के साक्षी, लोगों से सचमुच प्यार करते हैं।” वह महिला पहले राज्य संदेश नहीं सुनती थी, मगर अब उस साक्षी के भले काम का उस पर अच्छा असर हुआ। उसने बाइबल अध्ययन की पेशकश स्वीकार की और परमेश्‍वर के वचन से ज्ञान लेना शुरू किया।

22. ‘भले काम करते रहने’ का एक अहम तरीका क्या है?

22 आप भी ज़रूर ऐसे अनुभव बता सकते हैं जो दिखाते हैं कि भलाई करना क्यों ज़रूरी है। ‘भले काम करते रहने’ का एक अहम तरीका है, परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने में नियमित तौर पर हिस्सा लेना। (मत्ती 24:14) आइए हम इस अनमोल काम में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लेते रहें और याद रखें कि यह एक तरीका है, जिससे हम दूसरों के साथ और खासकर हमारे संदेश को स्वीकार करनेवालों के साथ भलाई कर सकते हैं। सबसे अहम बात यह है कि हमारी सेवकाई और अच्छे चालचलन से यहोवा की महिमा होती है, जो भलाई का असली सोता है।—मत्ती 19:16, 17.

‘भलाई करते’ रहिए

23. मसीही सेवकाई एक भला काम क्यों है?

23 इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारी सेवकाई एक भला काम है। इससे हमें और बाइबल का संदेश सुननेवालों का भी उद्धार हो सकता है और इस तरह हम अनंत जीवन के मार्ग पर चल सकते हैं। (मत्ती 7:13, 14; 1 तीमुथियुस 4:16) इसलिए जब हमें फैसले करने पड़ते हैं तो भलाई करने की इच्छा हमें खुद से यह पूछने के लिए प्रेरित करेगी: ‘इस फैसले का मेरे राज्य के प्रचार काम पर कैसा असर पड़ेगा? मैं जो रास्ता इख्तियार करने की सोच रहा हूँ, क्या वह सचमुच अक्लमंदी का काम है? क्या इस फैसले की बदौलत मैं दूसरों को “सनातन सुसमाचार” सुनने और यहोवा परमेश्‍वर के साथ एक नज़दीकी रिश्‍ता कायम करने में मदद दे पाऊँगा?’ (प्रकाशितवाक्य 14:6) अगर हम ऐसा फैसला करेंगे, जिससे हमें राज्य का काम ज़्यादा-से-ज़्यादा करने का मौका मिलेगा, तो हम खुशियों का खज़ाना पा सकेंगे।—मत्ती 6:33; प्रेरितों 20:35.

24, 25. कलीसिया में भले काम करने के कुछ तरीके क्या हैं और अगर हम भलाई करते रहें, तो हम किस बात का पूरा आश्‍वासन रख सकते हैं?

24 आइए हम भलाई के अच्छे नतीजों को कभी कम न आँकें। हम मसीही कलीसिया को सहयोग देने और उसकी भलाई की खातिर अपना भरसक करने के ज़रिए हमेशा भलाई का गुण दिखा सकते हैं। जब हम सभी मसीही सभाओं में हाज़िर होते और उसमें भाग लेते हैं, तो हम बेशक भलाई करते हैं। सभाओं में हमें हाज़िर देखकर भी भाई-बहनों का हौसला काफी मज़बूत हो सकता है। और जब हम अच्छी तैयारी से जवाब देते हैं, तो वे आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत होते हैं। हम किंगडम हॉल का रख-रखाव करने के लिए अपने साधनों का इस्तेमाल करने और उसकी अच्छी देखभाल करने में हाथ बँटाने के ज़रिए भी भलाई करते हैं। (2 राजा 22:3-7; 2 कुरिन्थियों 9:6, 7) “जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ।”—गलतियों 6:10.

25 हम ऐसे हर हालात का पहले से अंदाज़ा नहीं लगा सकते जिसमें हमें भलाई करने की ज़रूरत पड़ सकती है। जब हमारे आगे नयी-नयी चुनौतियाँ खड़ी होंगी, तो आइए हम मार्गदर्शन के लिए बाइबल में खोज करें, यहोवा की पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करें और उसकी भली और सिद्ध इच्छा पूरी करने में अपना भरसक करें। (रोमियों 2:9, 10; 12:2) हम इस बात का पूरा आश्‍वासन रख सकते हैं कि अगर हम हमेशा भलाई करते रहें, तो यहोवा हमें बेशुमार आशीषें देगा।

आप क्या जवाब देंगे?

• हम ज़िंदगी का सबसे भला काम कैसे कर सकते हैं?

• भलाई को “ज्योति का फल” क्यों कहा गया है?

• भलाई को ‘आत्मा का एक फल’ क्यों कहा गया है?

• हमारे अच्छे चालचलन का क्या असर होता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17 पर तसवीर]

परमेश्‍वर का वचन और उसकी पवित्र आत्मा हमें भले काम करते रहने में मदद देती हैं

[पेज 18 पर तसवीरें]

भले काम करने से बढ़िया नतीजे निकलते हैं