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बपतिस्मा क्यों लें?

बपतिस्मा क्यों लें?

बपतिस्मा क्यों लें?

“तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो।”—मत्ती 28:19.

1, 2. (क) कुछ बपतिस्मे किन हालात में दिए गए? (ख) बपतिस्मे के बारे में कौन-से सवाल उठते हैं?

 फ्रांक राजा, शार्लमेन ने सैक्सन जाति पर कब्ज़ा करने के बाद, सा.यु. 775-77 में उन सभी को एक-साथ बपतिस्मा लेने पर मजबूर किया। इतिहासकार, जॉन लॉर्ड ने इसके बारे में लिखा: “उसने ज़बरदस्ती उनका धर्म-परिवर्तन करा कर उन्हें नाम के ईसाई बना दिया।” उसी तरह रूस के शासक, व्लादीमिर I ने सा.यु. 987 में ग्रीक ऑर्थोडॉक्स धर्म माननेवाली राजकुमारी से शादी करने के बाद फैसला किया कि उसकी सारी प्रजा को “मसीही” बन जाना चाहिए। उसने एक फरमान जारी किया कि उसके राज्य के सभी लोगों का बपतिस्मा कराया जाए, और अगर ज़रूरत पड़े तो मौत की धमकी देकर!

2 क्या इस तरह बपतिस्मा करवाना सही था? क्या ऐसे बपतिस्मे कोई मायने रखते हैं? क्या हर किसी को बपतिस्मा दिया जाना चाहिए?

बपतिस्मा कैसे दिया जाना चाहिए?

3, 4. मसीही बपतिस्मे के लिए, सिर पर पानी छिड़कना या उँडेलना क्यों सही नहीं है?

3 शार्लमेन और व्लादीमिर I का लोगों पर ज़ोर-ज़बरदस्ती करके उनका बपतिस्मा करवाना, परमेश्‍वर के वचन की शिक्षा के मुताबिक नहीं था। दरअसल, लोगों को बाइबल की सच्चाई सिखाए बिना उनके सिर पर पानी छिड़ककर, पानी उँडेलकर या फिर उन्हें पानी में डुबोकर बपतिस्मा देने का कोई फायदा नहीं है।

4 ध्यान दीजिए कि जब नासरत का यीशु, सा.यु. 29 में बपतिस्मा देनेवाले यूहन्‍ना के पास आया तो क्या हुआ। यूहन्‍ना, यरदन नदी में लोगों को बपतिस्मा दे रहा था। वे सभी बपतिस्मा पाने के लिए अपनी मरज़ी से यूहन्‍ना के पास आए थे। क्या यूहन्‍ना ने उनको यरदन के पानी में खड़ा करके, उनके सिर पर नदी का थोड़ा पानी उँडेला या छिड़का? जब उसने यीशु को बपतिस्मा दिया, तब कैसे दिया? मत्ती कहता है कि बपतिस्मा लेने के बाद, ‘यीशु तुरन्त पानी में से ऊपर आया।’ (मत्ती 3:16) वह यरदन नदी के पानी के नीचे गया, यानी उसे पूरी तरह डुबोकर बपतिस्मा दिया गया था। उसी तरह, कूशी खोजे को भी, जो एक धार्मिक इंसान था, “जल की जगह” पर बपतिस्मा दिया गया। बपतिस्मे के लिए जल की ऐसी जगहों की ही ज़रूरत होती थी, क्योंकि यीशु और उसके शिष्यों ने भी पानी में पूरी तरह डुबोए जाकर बपतिस्मा लिया था।—प्रेरितों 8:36.

5. शुरू के मसीही, लोगों को बपतिस्मा कैसे देते थे?

5 जिन यूनानी शब्दों का अनुवाद “बपतिस्मा दो,” “बपतिस्मा,” वगैरह किया गया है, उनका मतलब पानी में डुबोना, गोता देना या डुबोकर उठाना है। स्मिथ का बाइबल शब्दकोश (अँग्रेज़ी) कहता है: “बपतिस्मे का सही और शाब्दिक अर्थ है, डुबोना।” इसलिए कुछ बाइबल अनुवादों में बपतिस्मा देनेवाले यूहन्‍ना को “डुबकी दिलानेवाला यूहन्‍ना” और “गोता देनेवाला यूहन्‍ना” कहा गया है। (मत्ती 3:1, रॉदरहैम बाइबल; डाइग्लॉट इंटरलीनियर) ऑगस्टस नेआन्डर अपनी किताब पहली तीन सदियों के मसीही धर्म और चर्च का इतिहास (अँग्रेज़ी) में कहते हैं: “शुरू-शुरू में बपतिस्मा, पानी में डुबोकर दिया जाता था।” जानी-मानी फ्रांसीसी किताब, बीसवीं सदी के लारूस (पैरिस, 1928) कहती है: “शुरू के मसीही उन जगहों में पूरी तरह डुबोए जाकर बपतिस्मा लेते थे जहाँ पानी होता था।” और न्यू कैथोलिक इन्साइक्लोपीडिया कहती है: “इस बात में कोई शक नहीं कि चर्च की शुरूआत में लोगों को पानी में डुबोकर बपतिस्मा दिया जाता था।” (1967, भाग II, पेज 56) इसलिए आज यहोवा के साक्षियों में भी बपतिस्मा अपनी इच्छा से लिया जाता है और इसके लिए पानी में पूरी तरह डुबकी ली जाती है।

बपतिस्मा देने का एक नया कारण

6, 7. (क) यूहन्‍ना ने किस मकसद से लोगों को बपतिस्मा दिया था? (ख) यीशु के शिष्यों ने जो बपतिस्मा दिया, उसमें क्या बात नयी थी?

6 यूहन्‍ना के बपतिस्मे और यीशु के शिष्यों के बपतिस्मे का अलग-अलग मकसद था। (यूहन्‍ना 4:1, 2) यूहन्‍ना से बपतिस्मा पाकर लोग मूसा की व्यवस्था के खिलाफ किए गए अपने पापों के लिए पश्‍चाताप ज़ाहिर कर रहे थे। * (लूका 3:3) लेकिन, यीशु के शिष्य जो बपतिस्मा देते थे, उसमें एक नयी बात शामिल थी। सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, प्रेरित पतरस ने अपने सुननेवालों से आग्रह किया: “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले।” (प्रेरितों 2:37-41) हालाँकि पतरस, यहूदियों और यहूदी मत-धारकों से बात कर रहा था, लेकिन वह उन्हें मूसा की व्यवस्था के खिलाफ किए गए पापों पर पश्‍चाताप ज़ाहिर करने के लिए नहीं कह रहा था। ना ही उसके कहने का यह मतलब था कि यीशु के नाम से बपतिस्मा लेने से पाप धुल जाएँगे।—प्रेरितों 2:10.

7 उस अवसर पर, पतरस ने ‘राज्य की कुंजियों’ में से पहली कुंजी इस्तेमाल की। क्यों? इसलिए, ताकि उसके सुननेवालों के लिए ज्ञान का वह खज़ाना खुल जाए, जिसकी मदद से वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के अपने सुनहरे मौके के बारे में जान सकें। (मत्ती 16:19) इसलिए कि यहूदियों ने यीशु को मसीहा मानने से इंकार कर दिया था, उन्हें परमेश्‍वर से माफी माँगने और इसे पाने के लिए पश्‍चाताप करना था और यीशु पर विश्‍वास लाना था। यह उनके लिए नयी मगर ज़रूरी माँग थी। वे इस विश्‍वास को यीशु मसीह के नाम से पानी में बपतिस्मा लेकर सबके सामने ज़ाहिर कर सकते थे। इस तरह उनका बपतिस्मा इस बात की निशानी होता कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी, मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर को समर्पित कर दी है। आज परमेश्‍वर का अनुग्रह चाहनेवाले सभी लोगों को वैसा ही विश्‍वास दिखाना चाहिए। उन्हें अपना जीवन यहोवा परमेश्‍वर को समर्पित करना चाहिए और मसीही बपतिस्मा लेकर यह ज़ाहिर करना चाहिए कि उन्होंने बिना किसी शर्त के अपना जीवन परमप्रधान परमेश्‍वर को समर्पित किया है।

सही ज्ञान ज़रूरी

8. मसीही बपतिस्मे के लिए हर कोई योग्य क्यों नहीं होता?

8 मसीही बपतिस्मे के लिए हर कोई योग्य नहीं होता। यीशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी: “तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” (मत्ती 28:19,20) लोगों को बपतिस्मा देने से पहले उन्हें वे ‘सब बातें सिखानी है, जिनकी आज्ञा यीशु ने अपने चेलों को दी थी।’ इसलिए जिन लोगों में परमेश्‍वर के वचन के सही ज्ञान से पैदा होनेवाला विश्‍वास नहीं है, उनका ज़बरदस्ती बपतिस्मा कराना बेकार है और उस आज्ञा के खिलाफ है जो यीशु ने अपने सच्चे चेलों को दी थी।—इब्रानियों 11:6.

9. ‘पिता के नाम से’ बपतिस्मा लेने का मतलब क्या है?

9 ‘पिता के नाम से’ बपतिस्मा लेने का मतलब क्या है? इसका मतलब है कि बपतिस्मा लेनेवाला, स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता की पदवी और उसके अधिकार का सम्मान करता है। इस तरह वह यहोवा परमेश्‍वर को हमारे सिरजनहार, “सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान” और पूरे विश्‍व के महाराजाधिराज की हैसियत से कबूल करता है।—भजन 83:18; यशायाह 40:28; प्रेरितों 4:24.

10. ‘पुत्र के नाम से’ बपतिस्मा लेने का मतलब क्या है?

10 ‘पुत्र के नाम से’ बपतिस्मा लेने का मतलब है, यीशु को परमेश्‍वर का एकलौता बेटा मानकर उसकी पदवी और उसके अधिकार को कबूल करना। (1 यूहन्‍ना 4:9) बपतिस्मे के लिए जो योग्य हैं, वे मानते हैं कि यीशु के ज़रिए ही परमेश्‍वर ने ‘बहुतों की छुड़ौती’ का इंतज़ाम किया है। (मत्ती 20:28; 1 तीमुथियुस 2:5, 6) बपतिस्मा पानेवालों को यह भी मानना चाहिए कि परमेश्‍वर ने अपने बेटे को ‘ऊँचे से ऊँचा स्थान’ दिया है।—फिलिप्पियों 2:8-11, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; प्रकाशितवाक्य 19:16.

11. “पवित्रात्मा के नाम से” बपतिस्मा लेने का क्या मतलब है?

11 “पवित्रात्मा के नाम से” बपतिस्मा लेने का मतलब क्या है? इसका मतलब है, बपतिस्मा लेनेवालों को यह कबूल करना चाहिए कि पवित्र आत्मा यहोवा की सक्रिय शक्‍ति है, जिसे वह अपना मकसद पूरा करने के लिए अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करता है। (उत्पत्ति 1:2; 2 शमूएल 23:1, 2; 2 पतरस 1:21) बपतिस्मे के योग्य बननेवाले यह कबूल करते हैं कि पवित्र आत्मा उन्हें “परमेश्‍वर की गूढ़ बातें” समझने, राज्य का प्रचार करते रहने और आत्मा के फल यानी “प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम” दिखाने में मदद देती है।—1 कुरिन्थियों 2:10; गलतियों 5:22, 23; योएल 2:28, 29.

पश्‍चाताप करने और मन फिराने की अहमियत

12. मसीही बपतिस्मा, पश्‍चाताप से कैसे जुड़ा हुआ है?

12 यीशु सिद्ध था इसलिए उसे पश्‍चाताप करने की ज़रूरत नहीं थी। लेकिन बाकी सभी लोगों को अपने पापों से पश्‍चाताप करने की ज़रूरत है और इसकी निशानी की तौर पर वे जो बपतिस्मा लेते हैं परमेश्‍वर उसे स्वीकार करता है। जब हम पश्‍चाताप करते हैं, तो हम अपनी किसी गलती के लिए या जो काम हम करने से चूक गए, उसके लिए मन-ही-मन गहरा दुःख या शोक महसूस करते हैं। पहली सदी में जो यहूदी, परमेश्‍वर को खुश करना चाहते थे उन्हें मसीह के खिलाफ किए पापों से पश्‍चाताप करना था। (प्रेरितों 3:11-19) कुरिन्थ के कुछ गैर-यहूदी विश्‍वासियों ने व्यभिचार, मूर्तिपूजा, चोरी और ऐसे दूसरे गंभीर पापों से पश्‍चाताप किया था। पश्‍चाताप करने की वजह से वे यीशु के लहू में “धोए गए” या परमेश्‍वर की सेवा के लिए अलग किए गए। और वे मसीह के नाम से और परमेश्‍वर की आत्मा के ज़रिए “धर्मी ठहरे।” (1 कुरिन्थियों 6:9-11) पश्‍चाताप करना एक ज़रूरी कदम है, जिसे उठाने पर हम एक अच्छा विवेक पाएँगे और परमेश्‍वर हमें पाप से पैदा होनेवाली दोष-भावना से राहत दिलाएगा।—1 पतरस 3:21.

13. बपतिस्मे से ताल्लुक रखनेवाले मन-फिराव में क्या-क्या शामिल है?

13 बपतिस्मा पाकर यहोवा के साक्षी बनने से पहले हमारा मन-फिराव होना ज़रूरी है। मन-फिराव एक ऐसा कदम है जिसे एक इंसान अपनी मरज़ी से उठाता है, जब वह मसीह यीशु के नक्शे-कदम पर चलने का तन-मन से फैसला करता है। ऐसे लोग गलत मार्ग पर चलना छोड़ देते हैं और यह ठान लेते हैं कि वे वही काम करेंगे जो परमेश्‍वर की नज़रों में सही है। बाइबल में, मन-फिराव से जुड़ी इब्रानी और यूनानी क्रियाओं का मतलब, लौट आना या मुड़ना है। यह कदम, गलत मार्ग को छोड़कर परमेश्‍वर की ओर लौट जाने को सूचित करता है। (1 राजा 8:33, 34) ऐसा करने के लिए “मन फिराव के योग्य काम” करने की ज़रूरत होती है। (प्रेरितों 26:20) ये काम हैं, झूठी उपासना को ठुकरा देना, परमेश्‍वर की आज्ञाओं के मुताबिक चलना और यहोवा को छोड़ किसी और को भक्‍ति न देना। (व्यवस्थाविवरण 30:2, 8-10; 1 शमूएल 7:3) जब हम मन फिराते हैं, तो हमारे सोच-विचार, लक्ष्य और स्वभाव में बदलाव आ जाता है। (यहेजकेल 18:31) जब हम बुरे गुणों की जगह नया मनुष्यत्व पहनने लगते हैं, तो हम ‘लौट आते’ हैं।—प्रेरितों 3:19; इफिसियों 4:20-24; कुलुस्सियों 3:5-14.

पूरे दिल से समर्पण करना ज़रूरी है

14. यीशु के शिष्यों के समर्पण का मतलब क्या है?

14 यीशु के शिष्य के नाते बपतिस्मा लेने से पहले, पूरे दिल से अपना जीवन परमेश्‍वर को समर्पित करना भी ज़रूरी है। समर्पण का मतलब किसी पवित्र काम के लिए अलग किया जाना है। यह इतना ज़रूरी कदम है कि हमें प्रार्थना में यहोवा को अपना यह फैसला बताना चाहिए कि अब से हम हमेशा के लिए सिर्फ उसी को भक्‍ति देंगे। (व्यवस्थाविवरण 5:9) मगर हाँ, हमारा यह समर्पण, किसी इंसान को या किसी काम को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि परमेश्‍वर को किया जाता है।

15. बपतिस्मा लेनेवाले पानी में क्यों डुबोए जाते हैं?

15 जब हम मसीह के ज़रिए अपना जीवन परमेश्‍वर को समर्पित करते हैं, तो हम परमेश्‍वर को अपना यह फैसला बताते हैं कि हम बाइबल में बताए अनुसार उसकी इच्छा पूरी करने में अपनी ज़िंदगी बिताएँगे। फिर ठीक जैसे यीशु ने खुद को परमेश्‍वर के सामने पेश करने की निशानी के तौर पर यरदन नदी में बपतिस्मा लिया था, उसी तरह हम अपने समर्पण की निशानी के तौर पर पानी में डुबोए जाकर बपतिस्मा लेते हैं। (मत्ती 3:13) यह बात ध्यान देने लायक है कि उस खास अवसर पर, यीशु प्रार्थना कर रहा था।—लूका 3:21, 22.

16. जब हम दूसरों को बपतिस्मा लेते देखते हैं, तो किस तरीके से अपनी खुशी ज़ाहिर करना सही होगा?

16 यीशु का बपतिस्मा एक गंभीर कदम था, मगर यह एक खुशी का मौका भी था। आज मसीही बपतिस्मे के बारे में भी यही बात सच है। जब हम लोगों को अपना समर्पण सब के सामने ज़ाहिर करने के लिए बपतिस्मा लेते देखते हैं, तो हम अपनी खुशी ज़ाहिर करने के लिए आदर की भावना के साथ तालियाँ बजा सकते हैं और बपतिस्मा पाए हुओं का उत्साह बढ़ाने के लिए उन्हें शाबाशी दे सकते हैं। लेकिन ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना, सीटी बजाना या ऐसे दूसरे तरीकों से अपनी खुशी ज़ाहिर करना गलत होगा क्योंकि बपतिस्मा, विश्‍वास को ज़ाहिर करनेवाला एक पवित्र कदम है और इसके लिए हमें गहरा सम्मान दिखाना चाहिए। हम अपनी खुशी पूरी गरिमा के साथ ज़ाहिर करेंगे।

17, 18. बपतिस्मे के लिए एक व्यक्‍ति योग्य है या नहीं, यह जानने में क्या बात मदद करती है?

17 यहोवा के साक्षी, बपतिस्मा लेने के लिए किसी के साथ भी ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करते। वे उनकी तरह नहीं हैं जो बच्चों पर पानी छिड़कते या ऐसे ढेर सारे लोगों को एक-साथ बपतिस्मा देते हैं, जिन्हें बाइबल के बारे में कुछ भी मालूम नहीं। दरअसल, साक्षी उन लोगों को बपतिस्मा नहीं देते जो यह कदम उठाने के लिए आध्यात्मिक रूप से योग्य नहीं हैं। यहाँ तक कि जिनका बपतिस्मा नहीं हुआ है, उन्हें प्रचार में जाने की मंज़ूरी देने से पहले, मसीही प्राचीन इस बात की जाँच करते हैं कि क्या वे बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ समझते हैं, उनके मुताबिक चलते हैं और क्या वे इस सवाल का जवाब ‘हाँ’ में देते हैं: “क्या आप सचमुच यहोवा के एक साक्षी बनना चाहते हैं?”

18 ज़्यादातर मामलों में, जब लोग राज्य का प्रचार करने में अच्छी तरह हिस्सा लेते हैं और बपतिस्मा पाने की इच्छा ज़ाहिर करते हैं, तो मसीही प्राचीन यह जानने के लिए उनके साथ चर्चा करते हैं कि क्या वे सचमुच ऐसे विश्‍वासी हैं जिन्होंने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया है और क्या वे बपतिस्मे के लिए ठहरायी गयी परमेश्‍वर की माँगें पूरी कर रहे हैं। (प्रेरितों 4:4; 18:8) मसीही कलीसिया के प्राचीन, बाइबल की शिक्षाओं से जुड़े 100 से भी ज़्यादा सवाल उनसे पूछते हैं। इन सवालों के जवाब, खुद उनके मुँह से सुनने पर प्राचीनों को यह तय करने में मदद मिलती है कि वे बपतिस्मे के लिए बाइबल में दी गयी माँगों को पूरा कर रहे हैं या नहीं। ऐसी चर्चा से ज़ाहिर होता है कि कुछ लोग बपतिस्मे के योग्य नहीं हैं इसलिए उन्हें मंज़ूरी नहीं दी जाती।

क्या कोई बात आपको रोक रही है?

19. यूहन्‍ना 6:44 के मुताबिक, कौन यीशु के संगी वारिस होंगे?

19 कई लोगों को एक-साथ ज़बरदस्ती बपतिस्मा देते वक्‍त शायद बताया गया हो कि बपतिस्मा लेने से वे मरने के बाद स्वर्ग जाएँगे। लेकिन यीशु ने उसके नक्शे-कदम पर चलनेवाले अपने शिष्यों के बारे में कहा: “कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले।” (यूहन्‍ना 6:44) यहोवा 1,44,000 जनों को मसीह के ज़रिए अपने पास खींच लाया है ताकि वे स्वर्ग के राज्य में मसीह के संगी वारिस बनें। मगर आज तक, ज़बरदस्ती बपतिस्मा देकर किसी को भी इस कदर पवित्र नहीं किया गया है कि वह परमेश्‍वर के इंतज़ाम में ऐसी महिमायुक्‍त जगह पा सके।—रोमियों 8:14-17; 2 थिस्सलुनीकियों 2:13; प्रकाशितवाक्य 14:1.

20. जिन लोगों का अब तक बपतिस्मा नहीं हुआ है, उन्हें यह कदम उठाने में कौन-सी बात मदद देगी?

20 खासकर सन्‌ 1935 के आस-पास से, लोगों की एक बड़ी भीड़, यीशु की ‘अन्य भेड़ों’ में शामिल हो रही है। वे “बड़े क्लेश” से बचने की और धरती पर हमेशा जीने की आशा रखते हैं। (यूहन्‍ना 10:16; प्रकाशितवाक्य 7:9, 14) वे इसलिए बपतिस्मा पाने के योग्य साबित हुए हैं, क्योंकि उन्होंने परमेश्‍वर के वचन के मुताबिक अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए हैं और वे अपने “सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्‍ति और अपनी सारी बुद्धि” के साथ परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं। (लूका 10:25-28) हालाँकि कुछ लोगों को इस बात का एहसास है कि यहोवा के साक्षी, ‘आत्मा और सच्चाई से परमेश्‍वर की आराधना’ करते हैं, मगर फिर भी उन्होंने यीशु की मिसाल पर चलना शुरू नहीं किया है। उन्होंने यहोवा के लिए अपने सच्चे प्यार और एकनिष्ठ भक्‍ति को सरेआम ज़ाहिर करने के लिए बपतिस्मा नहीं लिया है। (यूहन्‍ना 4:23, 24, NHT; व्यवस्थाविवरण 4:24; मरकुस 1:9-11) अगर वे यह ज़रूरी कदम उठाने के लिए मन लगाकर प्रार्थना करें और इसके बारे में यहोवा को खुलकर बताएँ, तो शायद उन्हें परमेश्‍वर के वचन के मुताबिक खुद को पूरी तरह बदलने की प्रेरणा और हिम्मत मिलेगी। तब वे बिना किसी शर्त के यहोवा परमेश्‍वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित करके बपतिस्मा ले सकते हैं।

21, 22. किन कारणों से कुछ लोग समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से पीछे हटते हैं?

21 कुछ लोग समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि वे दुनिया के कामों या धन-दौलत इकट्ठा करने में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास आध्यात्मिक बातों के लिए ज़रा भी वक्‍त नहीं है। (मत्ती 13:22; 1 यूहन्‍ना 2:15-17) लेकिन अगर वे अपने सोच-विचार और अपने लक्ष्य बदलें, तो उनका कितना भला होगा! यहोवा के करीब आने से वे आध्यात्मिक तरीके से धनी बनेंगे, उनकी चिंताएँ कम होंगी और वे परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करने से मिलनेवाली शांति और संतुष्टि पाएँगे।—भजन 16:11; 40:8; नीतिवचन 10:22; फिलिप्पियों 4:6, 7.

22 दूसरे लोग कहते हैं कि वे यहोवा से प्यार करते हैं मगर समर्पण और बपतिस्मे का कदम इसलिए नहीं उठाते क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे वे परमेश्‍वर के सामने जवाबदेह हो जाएँगे। लेकिन सच तो यह है कि हम में से हर एक को परमेश्‍वर को लेखा देना पड़ेगा। हम पर ज़िम्मेदारी उसी वक्‍त आ गयी जब हमने परमेश्‍वर का वचन सुना था। (यहेजकेल 33:7-9; रोमियों 14:12) प्राचीन इस्राएलियों का जन्म एक ऐसी जाति में हुआ था जो यहोवा को समर्पित थी और वे ‘चुनी हुई प्रजा’ थे। इसलिए परमेश्‍वर की आज्ञाओं के मुताबिक वफादारी से उसकी सेवा करना उनका फर्ज़ था। (व्यवस्थाविवरण 7:6, 11) लेकिन आज कोई भी पैदाइश से ऐसी जाति का सदस्य नहीं बन जाता जो परमेश्‍वर को समर्पित हो। लेकिन अगर हमने बाइबल का सही ज्ञान पाया है तो हमें विश्‍वास के साथ उस पर अमल करना चाहिए।

23, 24. किन बातों से डरकर बपतिस्मा लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए?

23 कुछ लोग इसलिए बपतिस्मा नहीं लेते क्योंकि वे सोचते हैं कि यह कदम उठाने के लिए उनके पास काफी ज्ञान नहीं है। मगर सच्चाई यह है कि हम सभी के लिए बहुत कुछ सीखना बाकी है, क्योंकि “जो काम परमेश्‍वर ने किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।” (सभोपदेशक 3:11) कूशी खोजे को याद कीजिए। एक यहूदी मत-धारक होने की वजह से उसे बाइबल का थोड़ा-बहुत ज्ञान ज़रूर था मगर फिर भी परमेश्‍वर के उद्देश्‍यों के बारे में हर सवाल का जवाब उसके पास नहीं था। लेकिन जब उसने यीशु के छुड़ौती बलिदान के ज़रिए उद्धार पाने के यहोवा के इंतज़ाम के बारे में सीखा तो उसने, फौरन पानी में बपतिस्मा लिया।—प्रेरितों 8:26-38.

24 कुछ लोग परमेश्‍वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने से इसलिए पीछे हटते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि वे समर्पण का अपना वादा निभाने में कहीं नाकाम न हो जाएँ। सत्रह साल की मोनीक कहती है: “मैं बपतिस्मा लेने से इसलिए कतराती रही क्योंकि मुझे डर था कि मैं शायद अपने समर्पण का वादा पूरा नहीं कर पाऊँगी।” लेकिन अगर हम पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखें, तो ‘वह हमारे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।’ वह हमें अपने वफादार समर्पित सेवक बनकर हमेशा ‘सत्य पर चलते’ रहने में मदद देगा।—नीतिवचन 3:5, 6; 3 यूहन्‍ना 4.

25. अब किस सवाल पर ध्यान देना वाजिब है?

25 यहोवा पर पूरा भरोसा होने और सच्चे दिल से उसे प्यार करने की वजह से, हर साल हज़ारों लोग अपना जीवन उसे समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेते हैं। और परमेश्‍वर के सभी समर्पित सेवक हर हाल में उसके वफादार रहना चाहते हैं। लेकिन आज हम कठिन समय में जी रहे हैं और हम विश्‍वास की कई परीक्षाओं का सामना करते हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5) ऐसे में यहोवा को किए अपने समर्पण के मुताबिक जीने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी? इस बारे में हम अगले लेख में चर्चा करेंगे।

[फुटनोट]

^ यीशु ने कोई पाप नहीं किया था, इसलिए उसका बपतिस्मा पश्‍चाताप की नहीं, बल्कि इस बात की निशानी था कि वह परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए खुद को उसके सामने पेश कर रहा है।—इब्रानियों 7:26; 10:5-10.

क्या आपको याद है?

• मसीही बपतिस्मा कैसे दिया जाता है?

• जो बपतिस्मा पाना चाहते हैं, उन्हें किस तरह का ज्ञान पाने की ज़रूरत है?

• सच्चे मसीहियों में बपतिस्मा पाने से पहले कौन-से कदम उठाए जाते हैं?

• कुछ लोग किन वजहों से बपतिस्मा लेने से हिचकिचाते हैं, मगर किन बातों को ध्यान में रखने से उन्हें मदद मिलेगी?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर तसवीरें]

क्या आप जानते हैं कि “पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा” लेने का मतलब क्या है?