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आज सुरक्षित—हमेशा के लिए सुरक्षित

आज सुरक्षित—हमेशा के लिए सुरक्षित

आज सुरक्षित—हमेशा के लिए सुरक्षित

सुरक्षा पाना इतना मुश्‍किल क्यों है? और अगर इंसान को सुरक्षा मिल भी जाए तो वह कुछ पल के लिए ही क्यों रहती है? कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस सुरक्षा की हम कामना करते हैं, वह कल्पनाओं पर आधारित है यानी जिन चीज़ों को पाना मुमकिन है, उनके बजाय ऐसी चीज़ों के ख्वाब देखना जिन्हें कभी हासिल नहीं किया जा सकता।

जब एक इंसान जीवन में आनेवाली परेशानियों को भूलकर बस दिन-रात सुख के सपने देखता रहता है, तो वह हरदम सोचता है कि उसकी ज़िंदगी में कोई दुःख न आए। मगर अकसर ऐसा होता है कि जब सच्चाई से उसका सामना होता है तो उसके सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं और वह हकीकत की ज़मीन पर आ गिरता है।

आइए हम एक ऐसे तरीके पर गौर करें, जिसके ज़रिए लोग सुरक्षा पाने की कोशिश करते हैं, वह है, कहीं और जाकर बस जाना। उदाहरण के लिए, हमें ऐसा लग सकता है कि किसी बड़े शहर में रहने से हमारे सारे अरमान पूरे होंगे, हम ऐशो-आराम से जीएँगे, मोटी तनख्वाहवाली नौकरी मिलेगी और ठाठ-बाट से आलीशान बंगलों में रहेंगे। जी हाँ, ऐसा लग सकता है कि वहाँ हमें वो सुरक्षा मिलेगी जिसकी न जाने हमें कब से तलाश है। लेकिन क्या यह सपना साकार हो सकता है?

जगह—बड़े शहर या बड़े ख्वाब?

विकासशील देशों में विज्ञापनों के ज़रिए लोगों को बड़े शहरों की ओर आने के लिए लुभाया जाता है, जिस वजह से वे खयाली पुलाव पकाने लगते हैं। लेकिन ऐसे विज्ञापन देनेवाले संगठन असल में आपकी सुरक्षा नहीं चाहते बल्कि उन्हें अपना माल बेचने की फिक्र होती है। वे ज़िंदगी में आनेवाली समस्याओं पर चमक-दमक का मुखौटा लगाकर कामयाबी के झूठे सपने दिखाते हैं। इस तरह हमें यह एहसास दिलाया जाता है कि वे जिन चीज़ों के विज्ञापन दिखाते हैं, उन्हें पाने और शहर में जा बसने से ही हमें सुरक्षा मिलेगी।

आइए इस उदाहरण पर गौर करें। एक पश्‍चिम अफ्रीकी देश के अधिकारियों ने धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए बड़े-बड़े बोर्ड लगवाए और उनमें दिखाया कि धूम्रपान कुछ और नहीं मगर अपने खून-पसीने की कमाई को फूँकना है। यह धूम्रपान विरोधी अभियान का एक हिस्सा था। इसके ज़रिए नागरिकों को धूम्रपान के खतरों से सावधान करने की कोशिश की गयी। मगर इसे देखकर सिगरेट बनानेवाली कंपनियों और इन्हें बेचनेवालों ने ऐसे बोर्ड लगा दिए जिन पर बड़ी लुभावनी तसवीरें बनायी गयीं कि धूम्रपान करनेवाले कैसे ज़िंदगी का मज़ा लूट रहे हैं और कामयाब हो रहे हैं। सिगरेट बनानेवाली एक कंपनी ने तो, अपने कुछ कर्मचारियों को तड़क-भड़कवाले कपड़े और बेसबॉल की खूब सजी-सजायी टोपियाँ पहनाकर सड़कों पर खड़ा कराया ताकि वे जवानों को सिगरेट बाँटें और हरेक को बढ़ावा दें कि वे “इसे एक बार पीकर” देखें। बहुत-से जवान, गाँव से आए थे और वे विज्ञापन करनेवलों की इन चालाकियों से बिलकुल बेखबर थे। वे उन कर्मचारियों के चंगुल में फँस गए और उन्होंने सिगरेट पीना शुरू कर दिया। उसके बाद उन्हें सिगरेट पीने की लत लग गयी। गाँव से ये जवान पैसा कमाने के इरादे से शहर आए थे, ताकि वे अपने परिवार का पेट भरने में हाथ बटाएँ और बड़े शहरों में सुरक्षा और कामयाबी पाएँ। लेकिन अब वे अपनी लगभग सारी कमाई सिगरेट के धुएँ में उड़ा रहे थे।

बड़े शहरों में फलती-फूलती ज़िंदगी का ख्वाब सिर्फ कारोबार करनेवाले ही नहीं बल्कि ऐसे लोग भी दिखाते हैं जो गाँवों से बड़े शहरों में आ तो गए हैं, मगर अब शर्म के मारे वापस गाँव लौटना नहीं चाहते। वे अपनी नाकामी दूसरों से छिपाना चाहते हैं, इसलिए वे दूसरों के सामने शेखी बघारते हैं कि वे शहर में मालामाल हो गए हैं और कामयाबी की बुलंदियाँ छू रहे हैं। लेकिन अगर उनकी ज़िंदगी का करीब से मुआयना किया जाए तो सच्चाई खुलकर सामने आती है कि उनकी मौजूदा हालत वैसी ही है जैसी गाँव में थी। और वे भी शहर के ज़्यादातर लोगों की तरह दो-जून की रोटी जुटाने के लिए रात-दिन मेहनत करते हैं।

खासकर बड़े-बड़े शहरों में ऐसा होता है कि सुरक्षा की तलाश में आए नए लोग, दूसरे लोगों की बेईमानी का शिकार हो जाते हैं। ऐसा क्यों? अकसर इसकी वजह यह होती है कि उनके पास दूसरों के साथ करीबी रिश्‍ता बनाने का समय नहीं होता और वे अपने परिवार से भी दूर होते हैं। इसलिए शहर में सलाह देनेवाला कोई नहीं होता, जो उन्हें सावधान कर सके कि शहर में दौलत की चमक में खो जाने से वे किन मुसीबतों में पड़ सकते हैं।

जोज़वे धूम्रपान के फंदे में नहीं फँसा। और वह यह भी समझ गया कि शहरी जीवन की माँगों को पूरा करना उसके बस में नहीं है। उसे, शहर बस एक ही चीज़ दे सकता था और वह थी, बड़े-बड़े सपने जो कभी पूरे नहीं हो सकते। वह इस बात को समझ गया कि उसे शहर में सच्ची सुरक्षा नहीं मिल सकती; वह शहर का हो ही नहीं सकता। अकेलापन, हीन-भावना और नाकामी की भावना उस पर हावी होने लगी। इसलिए वह अपनी हद समझते हुए गाँव लौट गया।

उसे डर था कि कहीं गाँववाले उसका मज़ाक न बनाएँ। लेकिन गाँव लौटने पर हुआ यह कि उसके परिवारवालों और सच्चे दोस्तों ने देखते ही उसे बाँहों में भरकर उसका स्वागत किया। उसने अपने परिवार के प्यार, गाँव के जाने-माने माहौल और मसीही कलीसिया के दोस्तों के प्यार की बदौलत, जल्द ही इतनी सुरक्षा महसूस की जितनी उसे बड़े शहर में हरगिज़ नहीं मिली और जहाँ कई लोगों के मीठे सपने, डरावने सपनों में बदल जाते हैं। वह अपने पिता के साथ खेत में कड़ी मेहनत करने लगा। यह देखकर उसे बड़ा ताज्जुब हुआ कि इस काम से उसे और उसके परिवार को जो आमदनी हुई, वह शहर में की गयी उसकी बचत से कहीं ज़्यादा थी।

पैसा—असल परेशानी क्या है?

क्या पैसा आपको सुरक्षा दे सकता है? कनाडा की लिज़ कहती है: “जब मैं जवान थी तब मैंने सोचा कि पैसा, चिंता से निजात दिला सकता है।” उसे एक अमीर आदमी से प्यार हो गया और जल्द ही उनकी शादी हो गयी। क्या इससे लिज़ को सुख मिला? वह आगे कहती है: “जब हमारी शादी हुई तब हमारे पास बहुत ही शानदार घर, दो गाड़ियाँ और इतनी धन-दौलत थी कि हम दुनिया की हर चीज़ खरीद सकते थे। हम सैर-सपाटे और मज़े कर सकते थे। मगर अजीब बात तो यह है कि इन सबके बावजूद भी पैसे की चिंता मुझे रात-दिन खाए जाती थी।” वह इसकी वजह बताती है: “हमारे पास इतना कुछ था कि उसे खोने का डर हमें हरदम रहता था। यह ऐसा था कि जितना ज़्यादा आपके पास होता है उतना कम आप खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। पैसे ने हमें चिंताओं और परेशानियों से निजात नहीं दिलायी।”

अगर आप सोचते हैं कि आपके पास काफी पैसा न होने की वजह से आप सुरक्षित नहीं हैं, तो अपने आप से पूछिए: ‘मेरी असल परेशानी क्या है? क्या वाकई मेरे पास पैसे की कमी है या मुझे पैसों का समझदारी से खर्च करना नहीं आता?’ अपने बीते हुए कल को याद करते हुए लिज़ कहती है: “मुझे अब समझ में आ रहा है कि जब मैं छोटी थी, तब मेरे परिवार में समस्याओं की असली जड़ यह थी कि हम पैसों का समझदारी से इस्तेमाल नहीं करते थे। हम सामान उधार लेते थे, इसलिए हमेशा कर्ज़ में डूबे रहते थे। इस वजह से हरदम हम चिंता से घिरे रहते थे।”

आज लिज़ और उसके पति के पास बहुत पैसा नहीं है, मगर फिर भी वे पहले से कहीं ज़्यादा खुश हैं। जब उन्होंने परमेश्‍वर के वचन से सच्चाई सीखी तो उन्होंने पैसा कमाने के बारे में लुभानेवाले विज्ञापनों को सुनना बंद कर दिया। और वे परमेश्‍वर की बुद्धि की बातें सुनने लगे जिनमें से एक यह थी: “परन्तु जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और बेखटके सुख से रहेगा।” (नीतिवचन 1:33) वे अपनी ज़िंदगी में ऐसा मकसद पाना चाहते थे जो बैंक में जमा की गयी बड़ी रकम भी नहीं दे सकती। अब लिज़ और उसका पति, मिशनरी बनकर दूर-दराज़ के एक देश में अमीर और गरीब, सब लोगों को सिखाते हैं कि बहुत जल्द यहोवा, धरती के कोने-कोने में रहनेवालों को सच्ची सुरक्षा देगा। इस काम से ज़िंदगी में गहरी संतुष्टी और ठहराव मिलता है, क्योंकि हमारी ज़िंदगी को एक बढ़िया मकसद मिला है और हम ऊँचे आदर्शों का पालन करते हैं। जबकि यह सब दौलत से नहीं मिल सकता।

इस ज़रूरी सच्चाई को याद रखिए: परमेश्‍वर की नज़र में अमीर होना, रुपया-पैसा कमाने से कहीं ज़्यादा अहमियत रखता है। पूरे पवित्रशास्त्र में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि पैसों के पीछे भागने के बजाय हमें यहोवा के साथ अच्छा रिश्‍ता कायम करना चाहिए, ऐसा रिश्‍ता जिसे हम वफादारी से परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करते हुए हमेशा बरकरार रख सकें। यीशु मसीह ने हमें “परमेश्‍वर की दृष्टि में धनी” बनने और ‘स्वर्ग में धन इकट्ठा’ करने का बढ़ावा दिया है।—लूका 12:21, 33.

ओहदा—आपकी मंज़िल क्या है?

अगर आप सोचते हैं कि समाज में कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ना आपको सुरक्षा देगा, तो अपने आप से पूछिए: ‘कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़नेवालों में सचमुच कौन सुरक्षित है? मुझे सुरक्षा पाने के लिए और कितनी सीढ़ियाँ चढ़नी होंगी?’ हो सकता है एक सफल कैरियर आपको सुरक्षा का झूठा एहसास दे, आपको निराश करे या फिर यह भी हो सकता है कि आपको बरबाद कर दे।

असल लोगों के अनुभव दिखाते हैं कि दुनिया में शोहरत हासिल करने के बजाय, परमेश्‍वर की नज़रों में शोहरत हासिल करने से ही सच्ची सुरक्षा मिलती है। सिर्फ यहोवा ही इंसान को अनंत जीवन का वरदान दे सकता है। इसके लिए ज़रूरी है कि हमारा नाम परमेश्‍वर की जीवन की किताब में लिखा हो, न कि विश्‍व-प्रसिद्ध हस्तियों के बारे में बतानेवाली किसी किताब में।—निर्गमन 32:32; प्रकाशितवाक्य 3:5.

अगर आप अपनी अभिलाषाओं को एक तरफ रख दें, तो अपने मौजूदा हालात के बारे में आपकी क्या राय होगी और आप अपने भविष्य के बारे में ईमानदारी से क्या उम्मीद कर सकते हैं? हरेक के पास सबकुछ नहीं होता। जैसा कि एक समझदार मसीही ने कहा: “मुझे यह सीखना पड़ा कि ज़िंदगी में आप हर चीज़ हासिल नहीं कर सकते, आपको कोई-न-कोई चुनाव करना होगा।” एक पल के लिए ज़रा रुकिए और “बेनिन में बतायी जानेवाली कहानी” बॉक्स पढ़िए।

अब इन सवालों के जवाब दीजिए: मेरी ज़िंदगी की खास मंज़िल या मेरा लक्ष्य क्या है? उसे हासिल करने का सबसे सीधा रास्ता कौन-सा है? जो चीज़ मेरे लिए वाकई ज़रूरी है और हासिल की जा सकती है, उसे पाने के लिए आसान-सा रास्ता छोड़कर कहीं मैं लंबी गुमराह करनेवाली गलियों में तो नहीं घूम रहा?

यीशु ने यह सलाह देने के बाद कि भौतिक चीज़ों की तुलना में आध्यात्मिक चीज़ों की कीमत ज़्यादा है, कहा कि आँख को “निर्मल” या सही जगह पर रखने की ज़रूरत है। (मत्ती 6:22) उसने यह साफ बताया कि ज़िंदगी में आध्यात्मिक बातों और लक्ष्यों को पहली जगह दी जानी चाहिए, जिनमें परमेश्‍वर के नाम और उसके राज्य को अहमियत दी जाती है। (मत्ती 6:9, 10) बाकी चीज़ें उतनी ज़रूरी नहीं हैं या उन पर खास ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है।

आज ऐसे बहुत-से ऑटोमैटिक कैमरे हैं, जो दूर और पास की चीज़ों पर खुद-ब-खुद फोकस कर सकते हैं। क्या आप भी ऐसे ही बन रहे हैं? क्या आपको नज़र आनेवाली तकरीबन हर चीज़, ज़रूरी और आकर्षक लगती है और क्या आप सोचते हैं कि आप उसे हासिल कर सकते हैं? चाहे यह रवैया आपके अंदर सिर्फ कुछ हद तक ही हो, फिर भी परमेश्‍वर के राज्य से आपका ध्यान आसानी से भटक सकता है, जबकि मसीहियों के दिल में उसके राज्य के लिए खास जगह होनी चाहिए। आप बड़ी आसानी से ऐसी कई चीज़ों को पाने में उलझ जाएँगे, जिनमें से हरेक आपका ध्यान खींचने की कोशिश करेगी। यीशु ने सख्त सलाह दी: “इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।”—मत्ती 6:33.

आज और हमेशा के लिए सुरक्षित

हम शायद अपने और अपने अज़ीज़ों के लिए अच्छी-अच्छी चीज़ें हासिल करने का सपना देखें। लेकिन हकीकत में हम बहुत कम चीज़ें ही हासिल कर पाते हैं, क्योंकि हम असिद्ध हैं, असिद्ध संसार में जीते हैं और हमारी ज़िंदगी भी छोटी है। हज़ारों साल पहले बाइबल के एक लेखक ने कहा: “फिर मैं ने धरती पर देखा कि न तो दौड़ में वेग दौड़नेवाले और न युद्ध में शूरवीर जीतते; न बुद्धिमान लोग रोटी पाते न समझवाले धन, और न प्रवीणों पर अनुग्रह होता है; वे सब समय और संयोग के वश में है।”—सभोपदेशक 9:11.

कभी-कभी हम ज़िंदगी की भाग-दौड़ में इतने मशगूल हो जाते हैं कि हम इस अहम बात को भूल जाते हैं कि हम कौन हैं और सच्ची सुरक्षा पाने के लिए हमें दरअसल किस चीज़ की ज़रूरत है। प्राचीन समय में लिखे गए बुद्धि भरे इन शब्दों पर ध्यान दीजिए: “पैसे से प्यार करनेवाला पैसे से कभी संतुष्ट नहीं होता, और न ही ऐसा व्यक्‍ति जिसे धन से प्रेम है, उसके अधिकाधिक लाभ से सन्तुष्ट होता है। यह भी व्यर्थ है। मजदूर का वरदान है—मीठी नींद। चाहे वह आधा पेट खाए चाहे पेट भर किन्तु धनवान का धन बढ़ने से उसकी आंखों से नींद उड़ जाती है।” (सभोपदेशक 5:10, 12, नयी हिन्दी बाइबिल) तो आपकी सुरक्षा किस बात से है?

अगर आपके हालात भी जोज़वे के टूटे सपने जैसे हैं, तो क्या आप अपनी योजनाओं को बदल सकते हैं? जो सचमुच आपको प्यार करते हैं वे आपको सहारा देंगे, ठीक जैसे जोज़वे के परिवार और मसीही कलीसिया के दोस्तों ने उसे दिया था। शहर में जहाँ लोग शायद आपकी मजबूरियों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं, वहाँ रहने के बजाय अगर आप अपने अज़ीज़ों के साथ मामूली हालात में रहेंगे तो आपको ज़्यादा सुरक्षा मिल सकती है।

लिज़ और उसके पति की तरह अगर आपके पास बहुत पैसा है तो क्या आप अपने जीने के तरीके में सादगी ला सकते हैं? क्या आप अमीरों और गरीबों, सभी को सच्ची सुरक्षा देनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के बारे में बताने में अपना ज़्यादा समय और ताकत लगा सकते हैं?

अगर आप अब तक, समाज में या काम की जगह कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ रहे थे, तो आप शायद ईमानदारी से अपने इरादों की जाँच करना चाहेंगे। यह सच है कि कुछ तरह की सुख-सुविधाएँ आपकी ज़िंदगी को और भी खुशनुमा बना सकती हैं। लेकिन इसके साथ-साथ क्या आप राज्य को अपनी ज़िंदगी में अहम जगह देते हैं, जो हमेशा-हमेशा के लिए सच्ची सुरक्षा पाने का ज़रिया है? यीशु के शब्दों को याद कीजिए: “लेने से देना धन्य है।” (प्रेरितों 20:35) अगर आप मसीही कलीसिया के अलग-अलग कामों में हिस्सा लें तो आप सही मायनों में सुरक्षा पाएँगे।

जो लोग यहोवा और उसके राज्य पर पूरा भरोसा रखते हैं, वे आज सच्ची सुरक्षा पाते हैं और उन्हें भविष्य में भी पूरी-पूरी सुरक्षा पाने की आशा है। भजनहार ने कहा: “मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा। इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।”—भजन 16:8, 9.

[पेज 6 पर बक्स/तसवीर]

बेनिन में बतायी जानेवाली कहानी

यह कहानी हज़ारों दफे अलग-अलग तरीकों से सुनायी गयी है। हाल ही में बेनिन, पश्‍चिम अफ्रीका के एक बुज़ुर्ग गाँववासी ने कुछ छोटे बच्चों को यह कहानी इस तरह सुनायी।

एक दिन, इस विकासशील देश का एक मछुआरा अपनी डोंगी में घर लौट रहा था। तभी उसकी मुलाकात विदेश से आए एक विशेषज्ञ से हुई, जिसका अपना कारोबार इसी देश में है। विशेषज्ञ ने मछुआरे से पूछा, आज तुम इतनी जल्दी वापस कैसे आ गए? मछुआरे ने कहा, मैं चाहता तो कुछ देर और मछलियाँ पकड़ सकता था, लेकिन इतनी मछलियाँ मेरे परिवार के लिए काफी हैं।

वह विशेषज्ञ उससे पूछता है: “वैसे एक बात बताओ कि तुम अपना सारा वक्‍त कैसे बिताते हो?”

मछुआरा जवाब देता है: “मैं थोड़ी मछुवाई करता हूँ। अपने बच्चों के साथ खेलता हूँ। जब गर्मी बढ़ती है तब हम घर में आराम करते हैं। शाम को हम एक-साथ खाना खाते हैं। उसके बाद मैं संगीत और मनोरंजन के लिए अपने दोस्तों के साथ इकट्ठा होता हूँ।

वह विशेषज्ञ बीच में टोकते हुए कहता है: “देखो, मैंने विश्‍वविद्यालय की डिग्री हासिल की है और इन मामलों के बारे में बहुत अध्ययन किया है। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। तुम्हें अपने मछुआई के काम पर और ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। फिर तुम ज़्यादा कमा सकोगे और कुछ ही समय में इस छोटी-सी डोंगी के बजाय एक बड़ी नाव खरीद पाओगे। बड़ी बोट से तुम और ज़्यादा कमा सकोगे और देखते-ही-देखते तुम्हारे पास मछुआई करनेवाले जहाज़ों का एक बेड़ा होगा।”

मछुआरे ने पूछा: “उसके बाद?”

“उसके बाद, किसी दलाल के ज़रिए मछलियाँ बेचने के बजाय तुम अपनी मछलियाँ सीधे मत्स्य उद्योग में बेच सकते हो या फिर खुद ही मछली का बड़ा व्यापार कर सकते हो। फिर तुम अपना यह गाँव छोड़कर कोतनू, पैरिस या न्यू यॉर्क जा सकोगे और वहाँ से अपना पूरा कारोबार चला सकोगे। यहाँ तक कि तुम अपना कारोबार, शेयर बाज़ार में लगा सकते हो और इस तरह करोड़पति बन सकते हो।”

मछुआरे ने पूछा: “यह सब करने में कितना वक्‍त लगेगा?”

विशेषज्ञ ने जवाब दिया: “कोई 15-20 साल।”

मछुआरा पूछता है: “उसके बाद?”

विशेषज्ञ जवाब देता है: “तब जाकर कहीं जीने का मज़ा आएगा। फिर तुम आराम कर सकते हो। तुम शहर के शोर-शराबे से दूर किसी गाँव में जाकर बस सकते हो।”

मछुआरा पूछता है: “उसके बाद?”

“उसके बाद, तुम थोड़ी मछुआई कर लेना, अपने बच्चों के साथ खेल लेना, गर्मी बढ़ने पर आराम करना, परिवार के साथ शाम का खाना खाना, संगीत और मनोरंजन के लिए अपने दोस्तों से मिलने जाना।”

[पेज 7 पर तसवीरें]

क्या नौकरी में तरक्की करने से सुरक्षा मिलती है?

[पेज 8 पर तसवीरें]

आपके मसीही भाई-बहन दिल से चाहते हैं कि आपको सुरक्षा मिले