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यहोवा के दिन में कौन बच पाएगा?

यहोवा के दिन में कौन बच पाएगा?

यहोवा के दिन में कौन बच पाएगा?

‘वह धधकते भट्ठे-का-सा दिन आ रहा है।’मलाकी 4:1, NHT.

1. मलाकी ने इस दुष्ट संसार के अंत के बारे में क्या ब्योरा दिया?

 परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ता मलाकी को कुछ ऐसी भयानक घटनाओं की भविष्यवाणियाँ लिखने की प्रेरणा दी जो बहुत जल्द भविष्य में होनेवाली हैं। इन घटनाओं का असर धरती पर जीनेवाले हर इंसान पर पड़ेगा। मलाकी 4:1 कहता है: ‘देखो, वह धधकते भट्ठे-का-सा दिन आ रहा है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग भूसी के समान हो जाएंगे; और वह आने वाला दिन उन्हें ऐसा भस्म करेगा कि न तो उनकी जड़ और न ही डालियां बच पाएंगी, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।’ (NHT) उस आनेवाले दिन में दुष्ट संसार का किस हद तक सफाया होगा? उस दिन दुष्टता का ऐसा सफाया हो जाएगा जैसे किसी पेड़ की जड़ों को पूरी तरह उखाड़ दिया गया हो ताकि वह फिर कभी उगने न पाए।

2. कुछ आयतों में यहोवा के दिन का ज़िक्र कैसे किया गया है?

2 आप शायद पूछें, ‘मलाकी यहाँ किस “दिन” की भविष्यवाणी कर रहा है?’ यह वही दिन है, जिसका ज़िक्र यशायाह 13:9 में है। वहाँ यह ऐलान दर्ज़ है: ‘देखो, यहोवा का वह दिन रोष और क्रोध और निर्दयता के साथ आ रहा है कि वह पृथ्वी को उजाड़ डाले और पापियों को उस में से नाश करे।’ सपन्याह 1:15 में इस दिन का वर्णन यूँ किया गया है: “वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और उधेड़ का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा।”

“भारी क्लेश”

3. ‘यहोवा का दिन’ क्या है?

3 मलाकी की भविष्यवाणी की बड़ी पूर्ति में, ‘यहोवा का दिन,’ “भारी क्लेश” का दौर है। इसके बारे में यीशु ने बताया: “उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती 24:21) ज़रा याद कीजिए कि संसार ने खासकर 1914 से कितनी पीड़ाएँ सही हैं। (मत्ती 24:7-12) दूसरे विश्‍वयुद्ध में ही 5 करोड़ से ज़्यादा लोग मारे गए थे! मगर आनेवाले “भारी क्लेश” के सामने ये सारी विपत्तियाँ ना के बराबर लगेंगी। भारी क्लेश का वक्‍त यहोवा का वही दिन होगा, जो हरमगिदोन में खत्म होगा और इसके साथ दुष्ट संसार के अंतिम दिन खत्म हो जाएँगे।—2 तीमुथियुस 3:1-5, 13; प्रकाशितवाक्य 7:14; 16:14, 16.

4. यहोवा के दिन के खत्म होते-होते क्या हो चुका होगा?

4 यहोवा के उस दिन के खत्म होने तक, शैतान की दुनिया और उसकी हिमायत करनेवालों का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा। सबसे पहले तो, झूठे धर्म का नाश होगा। उसके बाद यहोवा, शैतान की व्यापारिक और राजनैतिक व्यवस्थाओं को सज़ा देगा। (प्रकाशितवाक्य 17:12-14; 19:17, 18) यहेजकेल भविष्यवाणी करता है: “वे अपनी चान्दी सड़कों में फेंक देंगे, और उनका सोना अशुद्ध वस्तु ठहरेगा; यहोवा की जलन के दिन उनका सोना चान्दी उनको बचा न सकेगी।” (यहेजकेल 7:19) और उस दिन के बारे में सपन्याह 1:14 कहता है: ‘यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आ रहा है।’ यहोवा के दिन के बारे में बाइबल जो कहती है, उसे मद्देनज़र रखते हुए, हमारा यह इरादा अटल होना चाहिए कि हम यहोवा के धर्मी माँगों के मुताबिक ही चलें।

5. यहोवा के नाम का भय माननेवाले आज क्या अनुभव करते हैं?

5 यह भविष्यवाणी करने के बाद कि यहोवा का दिन, शैतान की दुनिया का क्या हश्र करेगा, मलाकी 4:2 में यहोवा कहता है: “तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे; और तुम निकलकर पाले हुए बछड़ों की नाईं कूदोगे और फांदोगे।” यहाँ बताया गया “धर्म का सूर्य,” यीशु मसीह है। वह इस “जगत की [आध्यात्मिक] ज्योति” है। (यूहन्‍ना 8:12) यीशु लोगों की चंगाई करते हुए अपनी ज्योति फैलाता है। सबसे पहले वह आध्यात्मिक चंगाई का काम करता है, जिसका हम आज भी अनुभव कर रहे हैं। इसके बाद वह आनेवाली नयी दुनिया में हर तरह की शारीरिक चंगाई भी करेगा। और तब जैसा यहोवा कहता है, चंगा किए गए लोग ‘निकलकर पाले हुए बछड़ों की नाईं कूदेंगे और फांदेंगे’ जो छुड़ाए जाने पर उछलते और मगन होते हैं।

6. यहोवा के सेवक किस शानदार जीत का जश्‍न मनाएँगे?

6 मगर जो यहोवा की माँगों को नज़रअंदाज़ करते हैं, उनका क्या अंजाम होगा? मलाकी 4:3 बताता है: “तुम [परमेश्‍वर के सेवक] दुष्टों को लताड़ डालोगे, अर्थात्‌ मेरे उस ठहराए हुए दिन में वे तुम्हारे पांवों के नीचे की राख बन जाएंगे, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।” धरती पर परमेश्‍वर के उपासक, शैतान की दुनिया का विनाश करने में कोई हिस्सा नहीं लेंगे। इसके बजाय वे लाक्षणिक तौर पर ‘दुष्टों को लताड़ डालेंगे’ यानी यहोवा के दिन के बाद, जीत की खुशी में होनेवाले जश्‍न में हिस्सा लेंगे। ऐसी ही जीत की खुशियाँ तब मनायी गयीं थीं जब फिरौन की सेना को लाल सागर में नाश कर दिया गया। (निर्गमन 15:1-21) उसी तरह भारी क्लेश में शैतान और उसकी दुनिया के मिट जाने के बाद जीत का जश्‍न मनाया जाएगा। जो वफादार लोग यहोवा के दिन से बचेंगे, वे खुशी से बोल उठेंगे: ‘हम उस से उद्धार पाने के कारण मगन और आनन्दित हों।’ (यशायाह 25:9) जब यहोवा की हुकूमत पर से कलंक मिटा दिया जाएगा और शांति से रहने के लिए धरती को साफ कर दिया जाएगा, तो वह क्या ही खुशी का आलम होगा!

ईसाईजगत, इस्राएल जाति की बुरी मिसाल पर चलता है

7, 8. समझाइए कि मलाकी के दिनों में इस्राएलियों की आध्यात्मिक हालत कैसी थी?

7 जो यहोवा की सेवा करते हैं, उन पर उसका अनुग्रह रहता है और वे ऐसे लोगों से बिलकुल अलग होते हैं जिन पर उसका अनुग्रह नहीं है। यही बात उस समय भी सच थी, जब मलाकी ने अपनी किताब लिखी। सा.यु.पु 537 में, इस्राएल जाति के कुछ बचे हुए लोगों को 70 सालों की बाबुल की बंधुआई से आज़ाद करके वापस अपना देश लाया गया था। लेकिन अगले 100 सालों के अंदर ही बहाल हुई यह जाति एक बार फिर भटककर धर्म-त्याग और दुष्टता के रास्ते पर चलने लगी। ज़्यादातर लोग यहोवा के नाम का अपमान करने लगे; उसके धर्मी नियमों को नज़रअंदाज़ करने लगे; अंधे, लंगड़े और बीमार पशुओं की बलि चढ़ाकर यहोवा के मंदिर को दूषित करने लगे; और अपनी जवानी की पत्नियों को तलाक देने लगे।

8 इसलिए यहोवा ने उनसे कहा: “मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊंगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी किरिया खानेवालों के विरुद्ध, और जो मज़दूर की मज़दूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अन्धेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभों के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूंगा . . . क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं।” (मलाकी 3:5, 6) फिर भी, यहोवा ऐसे लोगों को बुलावा देता है जो अपने बुरे मार्गों से फिरना चाहते हैं: “तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूंगा।”—मलाकी 3:7.

9. मलाकी की भविष्यवाणियाँ पहली बार कैसे पूरी हुईं?

9 मलाकी के ये शब्द सा.यु. पहली सदी में भी पूरे हुए थे। यहूदियों में से कुछ लोगों ने यहोवा की सेवा की और आत्मा से अभिषिक्‍त मसीहियों की नयी “जाति” के सदस्य बन गए और बाद में अन्यजाति के लोगों को भी इसमें शामिल किया गया। लेकिन पैदाइशी इस्राएलियों में से ज़्यादातर लोगों ने यीशु को ठुकरा दिया था। इसीलिए यीशु ने उनसे कहा: “देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा जाता है।” (मत्ती 23:38; 1 कुरिन्थियों 16:21) ठीक जैसे मलाकी 4:1 में भविष्यवाणी की गयी थी, सा.यु. 70 में “धधकते भट्ठे-का-सा दिन” इस्राएल जाति पर आ पड़ा। यरूशलेम और उसके मंदिर को तबाह कर दिया गया और कहा जाता है कि दस लाख से ज़्यादा लोग अकाल के कारण, अधिकार पाने के लिए की गयी लड़ाइयों में और रोमी सैनिकों के हमलों में मारे गए। मगर जिन लोगों ने यहोवा की सेवा की, वे उस क्लेश से बच निकले।—मरकुस 13:14-20.

10. ज़्यादातर लोग और खासकर ईसाईजगत, पहली सदी के इस्राएल जाति की बुरी मिसाल पर कैसे चल रहे हैं?

10 आज ज़्यादातर लोग और खासकर ईसाईजगत, पहली सदी की उस इस्राएल जाति की बुरी मिसाल पर ही चल रहे हैं। ईसाईजगत के अगुवों और लोगों ने यीशु के ज़रिए परमेश्‍वर के बारे में सिखाई गयी सच्चाइयों के बजाय झूठे धर्म से निकली शिक्षाओं पर चलना पसंद किया है। और इस मामले में खासकर पादरियों का सबसे बड़ा दोष है। वे यहोवा के नाम का इस्तेमाल करने तक से इनकार करते हैं, और-तो-और उन्होंने अपने बाइबल अनुवादों में से यहोवा का नाम ही निकाल दिया है। वे लोगों को ऐसी शिक्षाएँ देकर यहोवा का अपमान करते हैं, जो बाइबल में नहीं हैं बल्कि झूठे धर्मों से निकली हैं जैसे, नरक-यातना, त्रिएक, अमर आत्मा, विकासवाद वगैरह। ठीक जैसे मलाकी के दिनों में याजकों ने किया था, यहोवा को जो स्तुति मिलनी चाहिए, ये पादरी उसे छीन रहे हैं।

11. संसार के धर्मों ने किस तरह दिखाया है कि वे असल में किसकी सेवा कर रहे हैं?

11 सन्‌ 1914 में जब अंतिम दिन शुरू हुए, तब संसार के धर्मों ने खासकर जो मसीही होने का दावा करते हैं, यह साफ ज़ाहिर कर दिया कि वे असल में किसकी सेवा कर रहे हैं। दो विश्‍वयुद्धों के दौरान, जब राष्ट्र आपसी मत-भेद की वजह से लड़ रहे थे, तो पादरियों ने भी अपने चर्च के सदस्यों को युद्ध में भाग लेने, यहाँ तक कि अपने ही धर्म के लोगों को मार डालने के लिए उकसाया। परमेश्‍वर का वचन, यहोवा की आज्ञा माननेवालों और उसके खिलाफ काम करनेवालों के बीच साफ अंतर बताता है: “इसी से परमेश्‍वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्‍वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। क्योंकि जो समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें। और कैन के समान न बनें, जो उस दुष्ट से था, और जिस ने अपने भाई को घात किया।”—1 यूहन्‍ना 3:10-12.

पूरी हो रही भविष्यवाणी

12, 13. परमेश्‍वर के सेवकों ने आज कौन-सी भविष्यवाणियाँ पूरी की हैं?

12 जब 1918 में पहला विश्‍वयुद्ध खत्म हो चुका था, तब यहोवा के सेवक यह समझ गए कि परमेश्‍वर ने ईसाईजगत को, साथ ही सभी झूठे धर्मों को सज़ा के लायक ठहराया है। तब से नेकदिल इंसानों को यह बुलावा दिया जाने लगा: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े। क्योंकि उसके पाप स्वर्ग तक पहुंच गए हैं, और उसके अधर्म परमेश्‍वर को स्मरण आए हैं।” (प्रकाशितवाक्य 18:4, 5) जो लोग यहोवा की सेवा करना चाहते थे, उन पर से झूठे धर्म की हर निशानी मिटायी जाने लगी और उन्होंने राज्य के स्थापित होने का सुसमाचार सारी दुनिया में प्रचार करना शुरू कर दिया। यह एक ऐसा काम है जिसे इस दुष्ट संसार के विनाश से पहले पूरा किया जाना है।—मत्ती 24:14.

13 यह सब इसलिए हुआ ताकि मलाकी 4:5 में दी गयी भविष्यवाणी पूरी हो, जहाँ यहोवा ने कहा है: “देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।” भविष्यवाणी में एलिय्याह, बपतिस्मा देनेवाले यूहन्‍ना को सूचित करता है और इस भविष्यवाणी की पहली पूर्ति तब हुई जब उसने अपना काम शुरू किया। जिन यहूदियों ने व्यवस्था वाचा के खिलाफ किए पापों का पश्‍चाताप किया, उनको यूहन्‍ना ने बपतिस्मा दिया। ऐसा करके उसने एलिय्याह जैसा काम किया। और यूहन्‍ना की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह मसीहा का रास्ता तैयार करनेवाला था। लेकिन यूहन्‍ना के काम से मलाकी की भविष्यवाणी सिर्फ छोटे पैमाने पर ही पूरी हुई थी। क्योंकि जब यीशु ने यूहन्‍ना को दूसरा एलिय्याह कहा, तब उसने इस बात की ओर इशारा किया कि “एलिय्याह” के काम से मिलता-जुलता एक और काम भविष्य में किया जाएगा।—मत्ती 17:11, 12.

14. इस संसार के अंत से पहले कौन-सा ज़रूरी काम किया जाना है?

14 मलाकी की भविष्यवाणी में यह दिखाया गया कि एलिय्याह का यह ज़रूरी काम “यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले” किया जाएगा। उस दिन का अंत, बहुत जल्द हरमगिदोन यानी सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के महान दिन की लड़ाई के साथ होगा। तो इसका मतलब है कि इस दुष्ट संसार का विनाश होने और परमेश्‍वर के हज़ार साल के मसीही राज्य के आने से पहले, एक ऐसा काम पूरा किया जाना है जो एलिय्याह के काम से मिलता-जुलता हो। और ठीक इस भविष्यवाणी के मुताबिक, इससे पहले कि यहोवा इस दुष्ट संसार का नाश करे, आज एलिय्याह वर्ग के लोग जी-जान लगाकर सच्ची उपासना को बहाल कर रहे हैं, परमेश्‍वर के नाम को ऊँचा उठा रहे हैं और भेड़ समान लोगों को सिखा रहे हैं। इस काम में, धरती पर जीने की आशा रखनेवाले लाखों मसीही भी उनका साथ दे रहे हैं।

यहोवा अपने सेवकों को आशीष देता है

15. यहोवा अपने सेवकों को कैसे अपनी याद में बसा रहा है?

15 यहोवा अपने सेवकों को आशीष देता है। मलाकी 3:16 कहता है: “तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।” हाबिल के समय से, परमेश्‍वर ऐसे लोगों के नाम अपनी याद में बसा रहा है, जिन्हें हमेशा की ज़िंदगी दी जाएगी, मानो वह उनके नाम एक किताब में लिख रहा है। उनसे यहोवा कहता है: “सारे दशमांस भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे; और . . . ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।”—मलाकी 3:10.

16, 17. यहोवा ने अपने लोगों को और उनके काम को किन आशीषों से नवाज़ा है?

16 यहोवा ने अपने सेवकों को वाकई शानदार आशीषों से नवाज़ा है। कैसे? पहला तरीका तो यह है कि उसने अपने उद्देश्‍यों के बारे में उनकी समझ बढ़ायी। (नीतिवचन 4:18; दानिय्येल 12:10) दूसरा, वह प्रचार काम में उन्हें बढ़िया प्रतिफल देता है। इसलिए आज कई नेकदिल इंसान सच्ची उपासना करने के लिए उनके साथ मिल गए हैं। और ये लोग ‘हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से निकली एक बड़ी भीड़’ बनते हैं “जो सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी है। और बड़े शब्द से पुकारकर कहती है, कि उद्धार के लिये हमारे परमेश्‍वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जयजयकार हो।” (प्रकाशितवाक्य 7:9,10) यह बड़ी भीड़ एक शानदार तरीके से ज़ाहिर हो रही है। अब संसार भर में यहोवा के जोशीले सेवकों की गिनती 60 लाख से ज़्यादा हो गयी है और उनकी 93,000 से ज़्यादा कलीसियाएँ हैं!

17 इसके अलावा, यहोवा की आशीष इस बात से भी देखी जा सकती है कि यहोवा के साक्षी ही सबसे ज़्यादा बाइबल पर आधारित साहित्य बाँटते हैं। इतना पूरे इतिहास में कभी नहीं बाँटे गए। फिलहाल हर महीने, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! की 9 करोड़ कॉपियाँ छापी जा रही हैं; प्रहरीदुर्ग 144 भाषाओं में और सजग होइए! 87 भाषाओं में। बाइबल अध्ययन के लिए 1968 में सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है किताब प्रकाशित की गयी थी और इसकी 10 करोड़ 70 लाख से ज़्यादा कॉपियाँ 117 भाषाओं में बाँटी गयीं। सन्‌ 1982 में छापी गयी किताब, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं की 8 करोड़ 10 लाख से ज़्यादा कॉपियाँ 131 भाषाओं में बाँटी गयी थीं। और 1995 में मिली किताब, ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है की करीब 8 करोड़ 50 लाख से ज़्यादा कॉपियाँ 154 भाषाओं में छापी गयीं। सन्‌ 1996 में प्रकाशित किए गए ब्रोशर, परमेश्‍वर हमसे क्या माँग करता है? की अब तक 15 करोड़ कॉपियाँ 244 भाषाओं में बाँटी जा चुकी हैं।

18. विरोध के बावजूद हम आध्यात्मिक आशीषों का आनंद कैसे उठा रहे हैं?

18 शैतान की दुनिया की तरफ से लगातार आनेवाले कड़े विरोध के बावजूद हम इन आध्यात्मिक आशीषों का आनंद उठा रहे हैं। इससे यशायाह 54:17 के शब्द सच साबित हो रहे हैं: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।” यहोवा के सेवकों को यह जानकर कितनी तसल्ली मिलती है कि मलाकी के तीसरे अध्याय की 17वीं आयत की आज बड़े पैमाने में उन्हीं पर पूर्ति हो रही है! यह आयत कहती है: “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन मेरे निज भाग ठहरेंगे।”

खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करना

19. यहोवा की सेवा करनेवालों और नहीं करनेवालों में क्या भेद है?

19 यहोवा के वफादार सेवकों और शैतान की दुनिया के दुष्टों के बीच अंतर दिन-ब-दिन साफ नज़र आ रहा है। मलाकी 3:18 में यह भविष्यवाणी की गयी है: “तुम फिरकर धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात्‌ जो परमेश्‍वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहिचान सकोगे।” धर्मियों और दुष्टों में बहुत-से फर्क हैं, जिनमें से एक यह है कि जो यहोवा की सेवा करते हैं, वे ऐसा बड़ी खुशी के साथ करते हैं। भविष्य के लिए उनकी शानदार आशा इस खुशी की एक वजह है। उन्हें यहोवा के इस वादे पर पक्का यकीन है: “मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्‍न करता हूं; और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी। इसलिये जो मैं उत्पन्‍न करने पर हूं, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो।”—यशायाह 65:17, 18; भजन 37:10, 11, 29; प्रकाशितवाक्य 21:4, 5.

20. हम दुनिया के सबसे मगन और खुश लोग क्यों हैं?

20 जी हाँ, हमें यहोवा के इस वादे पर पूरा भरोसा है कि उसके वफादार सेवक, यहोवा के दिन में बच पाएँगे और उन्हें नए संसार में ले जाया जाएगा। (सपन्याह 2:3; प्रकाशितवाक्य 7:13, 14) और अगर हममें से कुछ लोग उस नए संसार के आने से पहले, बुढ़ापे, बीमारी या किसी दुर्घटना की वजह से मौत की नींद सो भी गए, तो भी यहोवा ने वादा किया है कि वह हमारा पुनरुत्थान करेगा और हमें हमेशा की ज़िंदगी देगा। (यूहन्‍ना 5:28, 29; तीतुस 1:2) यह सच है कि हम सभी को ज़िंदगी में कई समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मगर इसमें कोई शक नहीं कि आज के इस वक्‍त में जब यहोवा का दिन करीब आ रहा है, हम ही दुनिया के सबसे मगन और खुश लोग हैं।

आप किस तरह जवाब देंगे?

• ‘यहोवा का दिन’ क्या है?

• संसार के धर्म, प्राचीन इस्राएल की बुरी मिसाल पर कैसे चल रहे हैं?

• यहोवा के सेवक कौन-सी भविष्यवाणियाँ पूरी कर रहे हैं?

• यहोवा ने अपने लोगों को किन आशीषों से नवाज़ा है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 21 पर तसवीर]

पहली सदी का यरूशलेम ‘धधकते भट्ठे की तरह भस्म हो गया’

[पेज 23 पर तसवीरें]

यहोवा अपने सेवकों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरी करता है

[पेज 24 पर तसवीरें]

यहोवा के सेवकों को जो शानदार आशा मिली है, उसकी वजह से वे सचमुच खुश हैं