हमें परमेश्वर को जानने की ज़रूरत है
हमें परमेश्वर को जानने की ज़रूरत है
जब आप तारों से जड़े साफ आसमान को देखते हैं तब क्या आपके दिल में उमंग पैदा नहीं होती? रंग-बिरंगे फूलों की भीनी-भीनी खुशबू से क्या आपका मन नहीं खिल उठता? चिड़ियों का चहचहाना और हवा के झोंकों से होनेवाली पत्तियों की सरसराहट क्या आपके कानों में मधुर संगीत की तरह नहीं बजता? सागर की बड़ी-बड़ी व्हेल मछलियाँ और दूसरे जीव-जंतु देखकर भी हमारे अंदर कैसी सिहरन दौड़ जाती है! और फिर, इंसानों के बारे में सोचिए जिनमें पैदाइशी एक विवेक और बहुत ही जटिल और हैरतअंगेज़ दिमाग होता है। आपकी राय में ये सारी अद्भुत चीज़ें दुनिया में कैसे आयीं?
कुछ लोग मानते हैं कि ये सारी चीज़ें बस इत्तफाक से आ गयीं। अगर ऐसा है, तो इंसान क्यों मानता है कि परमेश्वर है? तरह-तरह के रसायनों के इत्तफाक से एक-दूसरे से मिलने पर ऐसे जीव कैसे पैदा हो सकते हैं जिनमें आध्यात्मिक बातों की प्यास हो?
“धर्म, इंसान की रग-रग में समाया हुआ है, फिर चाहे उसकी आर्थिक हालत कैसी भी हो और वह पढ़ा-लिखा हो या न हो।” यह बात प्रोफेसर, एलीस्टर हार्डी ने इंसानों पर की गयी खोजबीन के बाद, अपनी किताब इंसान का आध्यात्मिक स्वभाव (अँग्रेज़ी) में लिखी। हाल ही में मस्तिष्क पर किए गए प्रयोगों से कुछ मस्तिष्कविज्ञानी इस नतीजे पर पहुँचे कि शायद इंसान के “जीन्स में ऐसा प्रोग्राम” बिठाया गया है कि उसमें धर्म मानने की काबिलीयत हो। एक किताब क्या परमेश्वर ही एकमात्र सच्चाई है? (अँग्रेज़ी) कहती है: ‘जब से इंसान की शुरुआत हुई है, तब से हर संस्कृति और हर युग में धर्म के ज़रिए ज़िंदगी का मकसद जानने की कोशिश की गयी है।’
ध्यान दीजिए कि करीब 2,000 साल पहले एक विद्वान किस नतीजे पर पहुँचा। उसने लिखा: “हर एक घर का कोई न कोई बनानेवाला होता है, पर जिस ने सब कुछ बनाया वह परमेश्वर है।” (इब्रानियों 3:4) दरअसल, बाइबल की पहली आयत ही कहती है: “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।”—उत्पत्ति 1:1.
लेकिन सवाल उठता है कि परमेश्वर कौन है? इस बारे में लोगों की अपनी-अपनी राय है जो एक-दूसरे से बिलकुल मेल नहीं खाती। जब एक जापानी किशोर, योशी से पूछा गया कि परमेश्वर कौन है, तो उसने जवाब दिया: “मुझे इस बारे में पक्का नहीं मालूम। मैं बौद्ध धर्म का माननेवाला हूँ और मैंने कभी यह जानना ज़रूरी नहीं समझा कि परमेश्वर कौन है।” मगर, योशी ने कबूल किया कि कई लोग बुद्ध को ही पूजने लगे हैं। निक की उम्र साठ से ऊपर है, और वह एक बिज़नेसमैन है। वह परमेश्वर पर विश्वास करता है और मानता है कि वही विश्व की सबसे ताकतवर शक्ति है। जब निक से पूछा गया कि वह परमेश्वर के बारे में क्या जानता है, तो उसने काफी देर तक चुप रहने के बाद कहा: “मेरे दोस्त, यह बड़ा मुश्किल सवाल
है। मैं बस इतना ही कह सकता हूँ, कि परमेश्वर है। हाँ, वह अस्तित्त्व में है।”कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ‘सृष्टि की उपासना और सेवा करते हैं, न कि सृजनहार की।’ (रोमियों 1:25) करोड़ों लोग तो मरे हुए पूर्वजों की उपासना करते हैं, क्योंकि उनका विश्वास है कि परमेश्वर इंसानों की पहुँच से बहुत दूर है। हिंदू धर्म में अनगिनत देवी-देवता हैं। यीशु मसीह के प्रेरितों के ज़माने में भी ज्यूस और हिरमेस जैसे बहुत-से देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी। (प्रेरितों 14:11, 12) ईसाईजगत के बहुत-से चर्च सिखाते हैं कि परमेश्वर त्रियेक है। वे मानते हैं कि पिता परमेश्वर है, पुत्र परमेश्वर है, और पवित्र आत्मा परमेश्वर है।
बाइबल भी कहती है: “बहुत से ईश्वर और बहुत से प्रभु हैं।” लेकिन, यह आगे कहती है: “हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात् पिता जिस की ओर से सब वस्तुएं हैं।” (1 कुरिन्थियों 8:5, 6) जी हाँ, सिर्फ एक ही सच्चा परमेश्वर है। मगर वह कौन है? वह कैसा है? हमारे लिए इन सवालों के जवाब जानना बहुत ज़रूरी है। खुद यीशु ने इस परमेश्वर से प्रार्थना करते वक्त कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्ना 17:3) हम एक सही कारण से यह मान सकते हैं कि परमेश्वर के बारे में सच्चाई जानने पर ही हमारी हमेशा-हमेशा की खुशी निर्भर है।
[पेज 3 पर तसवीर]
ये सारी चीज़ें दुनिया में कैसे आयीं?
[चित्र का श्रेय]
व्हेल: Courtesy of Tourism Queensland
[पेज 2 पर चित्र का श्रेय]
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