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यहोवा उजियाला देकर अपने लोगों की शोभा बढ़ाता है

यहोवा उजियाला देकर अपने लोगों की शोभा बढ़ाता है

यहोवा उजियाला देकर अपने लोगों की शोभा बढ़ाता है

[हे स्त्री] उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है।”यशायाह 60:1.

1, 2. (क) आज इंसान किस हाल में हैं? (ख) संसार पर छाए अंधकार के पीछे किसका हाथ है?

 “काश, आज हमारे बीच यशायाह या संत पौलुस जैसा कोई होता!” यह बात अमरीका के राष्ट्रपति, हैरी ट्रूमेन ने 1940 के दशक में आहें भरते हुए कही थी। उन्होंने ऐसा क्यों कहा? क्योंकि उन्होंने देखा कि संसार को चोटी के कुछ ऐसे मज़बूत नेताओं की ज़रूरत है, जो उसे बढ़िया नैतिक मार्गदर्शन दे सकें। उस समय संसार 20वीं सदी के सबसे अंधकारमय दौर यानी दूसरे विश्‍वयुद्ध से गुज़रा ही था। युद्ध तो खत्म हो गया, मगर संसार में कहीं भी शांति नहीं थी। हर तरफ अंधकार ही अंधकार था। और सच तो यह है कि उस युद्ध के खत्म होने के 57 साल बाद, आज भी संसार घोर अंधकार में पड़ा है। अगर आज राष्ट्रपति ट्रूमेन ज़िंदा होते तो वे ज़रूर महसूस करते कि यशायाह या प्रेरित पौलुस जैसे अच्छे नेताओं की आज भी सख्त ज़रूरत है, जो लोगों को सही राह दिखा सकें।

2 हम नहीं जानते कि राष्ट्रपति ट्रूमेन को यह पता था या नहीं कि प्रेरित पौलुस ने सारी दुनिया के अंधकार में होने की बात कही और अपनी किताबों में उसने इस अंधियारे के खिलाफ चेतावनी भी दी। मिसाल के लिए, उसने अपने मसीही भाई-बहनों को चिताया: “हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (इफिसियों 6:12) इन शब्दों से पौलुस ने दिखाया कि वह न सिर्फ यह जानता था कि सारा संसार आध्यात्मिक अंधकार में है, बल्कि यह भी कि इस संसार के अंधकार के पीछे शक्‍तिशाली दुष्ट आत्मिक सेनाओं का हाथ है, और उन्हें इस ‘संसार के हाकिम’ कहा गया है। जब इस संसार के अंधकार के पीछे शक्‍तिशाली आत्मिक प्राणियों का हाथ है, तो भला अदना इंसान इसे कैसे दूर कर सकता है?

3. इंसानों के घोर अंधकार में होने के बावजूद, यशायाह ने वफादार लोगों के बारे में क्या भविष्यवाणी की?

3 यशायाह ने भी इंसानों पर छाए उस घोर अंधकार के बारे में बताया था। (यशायाह 8:22; 59:9) मगर, यशायाह ने ईश्‍वर-प्रेरणा से हमारे दिनों के बारे में यह भविष्यवाणी भी की कि अंधकार के इस समय में भी जो लोग उजाले से प्रेम करते हैं, उन्हें यहोवा एक उज्ज्वल भविष्य की आशा देगा। हालाँकि आज पौलुस और यशायाह हमें राह दिखाने के लिए मौजूद नहीं हैं, फिर भी हमारे पास उनके ईश्‍वर-प्रेरित लेख मौजूद हैं, जो हमें सही राह दिखा सकते हैं। ये लेख यहोवा से प्यार करनेवाले हर इंसान के लिए कितनी बड़ी आशीष हैं, यह समझने के लिए आइए हम यशायाह की किताब के 60वें अध्याय की भविष्यवाणी के वचनों पर विचार करें।

भविष्यवाणी में बतायी गयी स्त्री उजियाला चमकाती है

4, 5. (क) यहोवा, स्त्री को क्या करने की आज्ञा देता है और वह क्या वादा करता है? (ख) यशायाह के 60वें अध्याय में क्या रोमांचक जानकारी दी गयी है?

4 यशायाह के 60वें अध्याय के शुरू के शब्द एक ऐसी स्त्री से कहे गए हैं जिसकी हालत बहुत खराब है। वह अंधेरे में ज़मीन पर औंधे मुँह पड़ी है। फिर, अचानक अंधकार को चीरता हुआ प्रकाश चमक उठता है और यहोवा उसे आवाज़ देता है: “[हे स्त्री] उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है।” (यशायाह 60:1) जी हाँ, वक्‍त आ गया है कि यह स्त्री उठ खड़ी हो और चारों तरफ परमेश्‍वर का प्रकाश और उसका तेज चमकाए। क्यों? इसका जवाब हमें अगली आयत में मिलता है: “देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा।” (यशायाह 60:2) जब वह स्त्री, यहोवा की आज्ञा मानती है तो उसे यकीन दिलाया जाता है कि इसका नतीजा अच्छा निकलेगा। यहोवा उससे कहता है: “अन्यजातियां तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे।”—यशायाह 60:3.

5 इन तीन आयतों के रोमांचकारी शब्द, यशायाह अध्याय 60 की बाकी आयतों में दी गयी बातों की शुरूआत भी हैं और निचोड़ भी। यह अध्याय हमें बताता है कि भविष्यवाणी की इस स्त्री के साथ क्या-क्या होता है और सारे जगत पर छाए अंधकार के बावजूद, हम यहोवा के उजियाले में कैसे रह सकते हैं। लेकिन भविष्यवाणी की शुरूआत की तीनों आयतों में बतायी गयी स्त्री, अन्यजातियां और ऐसे दूसरे चिन्हों का क्या मतलब है?

6. यशायाह के 60वें अध्याय की स्त्री कौन है, और पृथ्वी पर उसके प्रतिनिधि कौन हैं?

6 यशायाह 60:1-3 में बतायी गयी स्त्री सिय्योन है, जो आत्मिक प्राणियों से बना यहोवा का स्वर्गीय संगठन है। आज पृथ्वी पर सिय्योन के प्रतिनिधि, “परमेश्‍वर के इस्राएल” के बचे हुए लोग हैं। ‘परमेश्‍वर का इस्राएल,’ आत्मा से अभिषिक्‍त मसीहियों की अंतर्राष्ट्रीय कलीसिया है, जिन्हें मसीह के साथ स्वर्ग में राज करने की आशा है। (गलतियों 6:16) इस आत्मिक जाति के सदस्यों की गिनती 1,44,000 है और उनमें से जो सदस्य इन “अन्तिम दिनों” में पृथ्वी पर जी रहे हैं, खासकर उन्हीं पर आज यशायाह अध्याय 60 की भविष्यवाणी पूरी हो रही है। (2 तीमुथियुस 3:1; प्रकाशितवाक्य 14:1) इस भविष्यवाणी में अभिषिक्‍त मसीहियों के साथियों यानी ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़” के बारे में भी काफी जानकारी दी गयी है।—यूहन्‍ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 7:9.

7. सन्‌ 1918 में सिय्योन की हालत क्या थी, और इसकी भविष्यवाणी कैसे की गयी थी?

7 भविष्यवाणी में बतायी गयी स्त्री, “परमेश्‍वर के इस्राएल” को दर्शाती है। तो क्या परमेश्‍वर का इस्राएल इस स्त्री की तरह कभी अंधकार में पड़ा था? जी हाँ, यह घटना आज से 80 साल से भी पहले हुई थी। पहले विश्‍वयुद्ध के दौरान, प्रचार का काम जारी रखने के लिए अभिषिक्‍त मसीहियों को कड़ा संघर्ष करना पड़ा। मगर, युद्ध के आखिरी साल यानी सन्‌ 1918 में संगठित तरीके से किया जानेवाला प्रचार का काम करीब-करीब बंद हो गया। उस वक्‍त सारी दुनिया में प्रचार काम की निगरानी करनेवाले भाई जोसेफ एफ. रदरफर्ड और दूसरे ज़िम्मेदार भाइयों पर झूठे इलज़ाम लगाकर उन्हें लंबी कैद की सज़ा सुनायी गयी। प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में, उस वक्‍त पृथ्वी पर जी रहे अभिषिक्‍त मसीहियों की हालत की तुलना लोथों से की गयी है जो ‘उस बड़े नगर के चौक में पड़ी रहीं, जो आत्मिक रीति से सदोम और मिसर कहलाता है।’ (प्रकाशितवाक्य 11:8) इस तरह जब सिय्योन की अभिषिक्‍त संतानों को, जो पृथ्वी पर उसके प्रतिनिधि थे, तकलीफों से गुज़रना पड़ा तो वह सिय्योन के लिए सचमुच अंधकार का समय था!

8. सन्‌ 1919 में कैसा ज़बरदस्त बदलाव आया, और इसका नतीजा क्या हुआ?

8 मगर सन्‌ 1919 में उनके हालात में एक ज़बरदस्त बदलाव आया। यहोवा ने सिय्योन पर अपना उजियाला चमकाया! और परमेश्‍वर के इस्राएल के शेष जन दोबारा खड़े होकर काम में लग गए। उन्होंने एक बार फिर, निडरता से सुसमाचार का प्रचार करना शुरू कर दिया और इस तरह परमेश्‍वर का उजियाला फैलाया। (मत्ती 5:14-16) इन मसीहियों के नए जोश की बदौलत, दूसरे कई लोग यहोवा के उजियाले की ओर खिंचे चले आए। सबसे पहले, परमेश्‍वर के इस्राएल के बाकी सदस्यों को अभिषिक्‍त किया गया। उन्हें यशायाह 60:3 में राजा कहा गया है, क्योंकि वे परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य में मसीह के संग राज करनेवाले हैं। (प्रकाशितवाक्य 20:6) बाद में, अन्य भेड़ों की एक बड़ी भीड़ यहोवा के उजियाले की ओर आने लगी। इन्हें भविष्यवाणी में “अन्यजातियां” कहा गया है।

स्त्री के बच्चे घर आते हैं!

9, 10. (क) स्त्री को कैसा दिलकश नज़ारा दिखायी देता है, और यह किस बात की भविष्यवाणी थी? (ख) सिय्योन के लिए खुश होने के और क्या कारण हैं?

9 यशायाह 60:1-3 की भविष्यवाणी के बारे में, यहोवा अब ज़्यादा जानकारी देता है। वह अब उस स्त्री को एक और आदेश देता है। सुनिए कि वह क्या कहता है: “अपनी आंखें चारों ओर उठाकर देख”! तब स्त्री ऐसा ही करती है और उसे क्या ही दिलकश नज़ारा दिखता है! उसके बच्चे घर वापस आ रहे हैं। आयत आगे कहती है: “वे सब के सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियां हाथों-हाथ पहुंचाई जा रही हैं।” (यशायाह 60:4) सन्‌ 1919 में संसार भर में राज्य का ऐलान करने का जो काम शुरू हुआ था, उसकी वजह से हज़ारों नए लोग यहोवा की सेवा करने के लिए आए। ये भी सिय्योन के अभिषिक्‍त “पुत्र” और “पुत्रियां” बने, यानी परमेश्‍वर के इस्राएल में शामिल किए गए। इस तरह यहोवा ने 1,44,000 के आखिरी जनों को उजियाले की ओर लाकर, सिय्योन की शोभा बढ़ायी।

10 क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अपने बच्चों को साथ पाकर सिय्योन को कितनी खुशी हुई होगी? फिर भी, यहोवा सिय्योन को खुशियाँ मनाने के कुछ और कारण बताता है: “तब तू इसे देखेगी और तेरा मुख चमकेगा, तेरा हृदय थरथराएगा और आनन्द से भर जाएगा; क्योंकि समुद्र का सारा धन और अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति तुझ को मिलेगी।” (यशायाह 60:5) भविष्यवाणी के इन शब्दों के मुताबिक, 1930 के दशक से पृथ्वी पर जीने की आशा रखनेवाले मसीहियों की भीड़ सिय्योन की तरफ बढ़ती चली आयी है। वे “समुद्र” यानी परमेश्‍वर से दूर रहनेवाली मानवजाति से बाहर निकल आए हैं और वे ही अन्यजातियों की धन-संपत्ति हैं। वे “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” हैं। (यशायाह 57:20; हाग्गै 2:7) गौर कीजिए कि ये “मनभावनी वस्तुएं” अपने-अपने तरीके से यहोवा की सेवा करने नहीं लग जातीं। इसके बजाय, वे अपने अभिषिक्‍त भाइयों के साथ मिलकर उपासना करते हैं, और उनका “एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा” हो जाता है। इस तरह वे सिय्योन की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं।—यूहन्‍ना 10:16.

व्यापारी, चरवाहे और सौदागर सिय्योन आते हैं

11, 12. सिय्योन की तरफ आनेवाली भीड़ का वर्णन कीजिए।

11 भविष्यवाणी के मुताबिक ये लोग इकट्ठे किए जाते हैं और इस वजह से यहोवा की स्तुति करनेवालों की संख्या में शानदार बढ़ोतरी होती है। यही बात भविष्यवाणी के अगले शब्दों में भी कही गयी है। कल्पना कीजिए कि आप भविष्यवाणी में बतायी गयी स्त्री के साथ सिय्योन पहाड़ पर खड़े हैं। आप पूरब की तरफ देखते हैं, तो आपको क्या नज़र आता है? “तेरे देश में ऊंटों के झुण्ड और मिद्यान और एपादेशों की साड़नियां इकट्ठी होंगी; शिबा के सब लोग आकर सोना और लोबान भेंट लाएंगे और यहोवा का गुणानुवाद आनन्द से सुनाएंगे।” (यशायाह 60:6) व्यापारियों की भीड़-की-भीड़, ऊँटों के कारवाँ के साथ यरूशलेम की ओर आनेवाले रास्ते पर निकल पड़ी है। इतने ऊँट नज़र आ रहे हैं, मानो देश में ऊँटों की बाढ़ आ गयी हो! व्यापारी अपने साथ बेशकीमती तोहफे, “सोना और लोबान” ला रहे हैं। वे सरेआम “यहोवा का गुणानुवाद” करने और उसकी स्तुति करने के लिए उसके उजियाले की ओर चले आ रहे हैं।

12 लेकिन सिय्योन के पास आनेवालों में सिर्फ व्यापारी ही नहीं हैं। चरवाहे भी उसकी ओर चले आ रहे हैं। भविष्यवाणी आगे कहती है: “केदार की सब भेड़-बकरियां इकट्ठी होकर तेरी हो जाएंगी, नबायोत के मेढ़े तेरी सेवा टहल के काम में आएंगे।” (यशायाह 60:7क) जी हाँ, भेड़-बकरियाँ चरानेवाले कबीले भी इस पवित्र नगर की ओर आ रहे हैं। वे यहोवा के सामने अर्पण करने के लिए अपने-अपने झुंड के सबसे बेहतरीन पशु ला रहे हैं, यहाँ तक कि सिय्योन की सेवा करने के लिए वे खुद को भी अर्पित कर रहे हैं! यहोवा इन परदेशियों के साथ कैसे पेश आता है? वह खुद जवाब देता है: “मेरी वेदी पर वे ग्रहण किए जाएंगे और मैं अपने शोभायमान भवन को और भी प्रतापी कर दूंगा।” (यशायाह 60:7ख) यहोवा बड़ी खुशी से इन परदेशियों के बलिदान और उनकी सेवा स्वीकार करता है। उनकी मौजूदगी से उसके मंदिर की रौनक और भी बढ़ जाती है।

13, 14. पश्‍चिम दिशा से क्या आता हुआ दिखायी देता है?

13 अब आप मुड़कर पश्‍चिम दिशा की ओर नज़र दौड़ाइए। आपको क्या दिखायी देता है? दूर समुद्र की सतह पर एक सफेद बादल जैसा कुछ तैरता हुआ दिखायी दे रहा है। यहोवा भी वही सवाल पूछता है जो आपके मन में है: “ये कौन हैं जो बादल की नाईं और दर्बाओं की ओर उड़ते हुए कबूतरों की नाईं चले आते हैं?” (यशायाह 60:8) फिर यहोवा खुद इसका जवाब देता है: “निश्‍चय द्वीप मेरी ही बाट देखेंगे, पहिले तो तर्शीश के जहाज़ आएंगे, कि, तेरे पुत्रों को सोने-चान्दी समेत तेरे परमेश्‍वर यहोवा अर्थात्‌ इस्राएल के पवित्र के नाम के निमित्त दूर से पहुंचाएं, क्योंकि उस ने तुझे शोभायमान किया है।”—यशायाह 60:9.

14 क्या आप इस नज़ारे की कल्पना कर सकते हैं? वह सफेद बादल अब थोड़ा पास आ गया है और दूर पश्‍चिम में यह बूँदों की लड़ी जैसा लगता है। इसे देखने पर ऐसा लगता है मानो पंछियों का झुंड लहरों पर तैर रहा हो। मगर जब यह झुंड नज़दीक आता है तो आप पाते हैं कि ये तो असल में जहाज़ हैं, जिनके पाल हवा से फूले हुए हैं। यरूशलेम की ओर इतने सारे जहाज़ आ रहे हैं कि देखने पर लगता है मानो कबूतरों का कोई झुंड उड़कर आ रहा है। जहाज़ों का यह लशकर दूर-दूर के बंदरगाहों से उन विश्‍वासियों को बड़ी तेज़ी से यरूशलेम ला रहा है, जो यहोवा की उपासना करने के लिए बड़े बेताब हैं।

यहोवा के संगठन में बढ़ोतरी होती है

15. (क) यशायाह 60:4-9 में बढ़ोतरी के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी है? (ख) सच्चे मसीही कैसी भावना ज़ाहिर करते हैं?

15 सन्‌ 1919 से संसार भर में यहोवा के संगठन में हुई बढ़ोतरी की, आयत 4 से 9 में क्या ही जीती-जागती तसवीर पेश की गयी है! यहोवा ने सिय्योन को ऐसी बढ़ोतरी की आशीष क्यों दी है? क्योंकि परमेश्‍वर के इस्राएल ने उसकी आज्ञा के मुताबिक, सन्‌ 1919 से यहोवा का उजियाला लगातार चमकाया है। लेकिन, क्या आपने आयत 7 पर गौर किया जो बताती है कि नए लोग “[परमेश्‍वर की] वेदी पर” आते हैं? वेदी एक ऐसी जगह होती है जहाँ बलिदान चढ़ाए जाते हैं। इसलिए भविष्यवाणी का यह पहलू हमें याद दिलाता है कि यहोवा की सेवा में बलिदान करना शामिल है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “मैं तुम से . . . बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।” (रोमियों 12:1) पौलुस के शब्दों से सच्चे मसीही समझते हैं कि परमेश्‍वर की उपासना के लिए हफ्ते में एक बार धार्मिक सभाओं में हाज़िर होना ही काफी नहीं है। वे शुद्ध उपासना को बढ़ावा देने के लिए अपना वक्‍त, ताकत और अपने साधन लगा देते हैं। यहोवा के भवन में जब ऐसी भक्‍ति और लगन से काम करनेवाले उपासक हों, तो क्या उसके भवन की शोभा नहीं बढ़ेगी? यशायाह की भविष्यवाणी कहती है कि वाकई परमेश्‍वर के भवन की शोभा बढ़ेगी। और हम यकीन रख सकते हैं कि ऐसे जोशीले उपासक भी यहोवा की नज़रों में शोभायमान हैं।

16. प्राचीनकाल में किन लोगों ने दोबारा निर्माण करने के काम में हाथ बँटाया था, और आज ऐसा कौन कर रहे हैं?

16 इन नए लोगों में काम करने का जोश है। भविष्यवाणी आगे कहती है: “परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएंगे, और उनके राजा तेरी सेवा टहल करेंगे।” (यशायाह 60:10) यह भविष्यवाणी पहली बार तब पूरी हुई जब इस्राएली, बाबुल की बंधुआई से लौटे और दूसरे देशों के राजाओं और लोगों ने मंदिर और यरूशलेम नगर का फिर से निर्माण करने में उनकी सचमुच मदद की। (एज्रा 3:7; नहेमायाह 3:26) इसके अलावा, आज भी यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है क्योंकि बड़ी भीड़ के लोग सच्ची उपासना को बढ़ाने में शेष अभिषिक्‍त जनों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने मसीही कलीसियाओं के निर्माण में मदद की है और इस तरह यहोवा के शहरनुमा संगठन की “शहरपनाह” को मज़बूत किया है। वे किंगडम हॉल, असेम्बली हॉल और बेथेल घरों का भी निर्माण करते हैं। इन सभी तरीकों से वे, यहोवा के बढ़ रहे संगठन की ज़रूरतें पूरी करने में अपने अभिषिक्‍त भाइयों का हाथ बँटाते हैं!

17. एक तरीका क्या है जिससे यहोवा ने अपने लोगों को शोभायमान किया है?

17 यशायाह 60:10 के आखिरी शब्दों से हमें कितना हौसला मिलता है! यहोवा कहता है: “मैं ने क्रोध में आकर तुझे दु:ख दिया था, परन्तु अब तुझ से प्रसन्‍न होकर तुझ पर दया की है।” जी हाँ, सन्‌ 1918-19 में यहोवा ने अपने लोगों को ताड़ना दी थी। मगर वह वक्‍त बीत चुका है। अब यहोवा अपने अभिषिक्‍त सेवकों और उनके साथी, अन्य भेड़ों पर दया दिखा रहा है। इसका सबूत हम देखते हैं कि यहोवा की आशीष से उनके बीच लाजवाब बढ़ोतरी हुई है और इस तरह यहोवा ने उन्हें “शोभायमान” किया है।

18, 19. (क) यहोवा अपने संगठन में नए लोगों के आने के बारे में क्या वादा करता है? (ख) यशायाह 60 अध्याय की बाकी आयतें हमें क्या बताती हैं?

18 हर साल लाखों “परदेशी” यहोवा के संगठन में आ रहे हैं, और भविष्य में भी बहुत-से नए लोगों के आने के लिए दरवाज़ा खुला रहेगा। यहोवा, सिय्योन से कहता है: “तेरे फाटक सदैव खुले रहेंगे; दिन और रात वे बन्द न किए जाएंगे जिस से अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति और उनके राजा बंधुए होकर तेरे पास पहुंचाए जाएं।” (यशायाह 60:11) कुछ विरोधी इन ‘फाटकों’ को बंद करने की कोशिश करते हैं, मगर हम जानते हैं कि वे कभी कामयाब नहीं हो सकते। क्योंकि खुद यहोवा ने वचन दिया है कि किसी-न-किसी तरीके से ये फाटक हमेशा खुले रहेंगे। बढ़ोतरी होती रहेगी।

19 इन अंतिम दिनों में यहोवा ने और भी कई तरीकों से अपने लोगों को आशीष देकर शोभायमान किया है। यशायाह 60 अध्याय की बाकी आयतों में भविष्यवाणी बताती है कि ये कौन-से तरीके हैं।

क्या आप समझा सकते हैं?

• परमेश्‍वर की ‘स्त्री’ कौन है, और पृथ्वी पर कौन उसके प्रतिनिधि हैं?

• सिय्योन के बच्चे कब औंधे मुँह पड़े हुए थे, और वे कब और कैसे “उठ” खड़े हुए?

• भविष्यवाणी में अलग-अलग चिन्हों का इस्तेमाल करके, यहोवा ने कैसे बताया कि आज राज्य के प्रचारकों में बढ़ोतरी होगी?

• किन तरीकों से यहोवा ने अपने लोगों पर उजियाला चमकाया है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीर]

यहोवा अपनी ‘स्त्री’ को उठने का आदेश देता है

[पेज 12 पर तसवीर]

दूर समुद्र से आता हुआ जहाज़ों का लशकर, कबूतरों जैसा दिखता है