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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ने का आनंद लिया है? देखिए कि क्या आप नीचे दिए गए सवालों के जवाब जानते हैं या नहीं:

हमदर्दी क्या है और इसे मसीहियों को अपने अंदर पैदा करने की ज़रूरत क्यों है?

यह दूसरे के हालात में खुद को रखकर सोचने की काबिलीयत है, एक तरह से दूसरे का दर्द अपने सीने में महसूस करना है। मसीहियों को सलाह दी गयी है कि वे “कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय” बनें। (1 पतरस 3:8) हमदर्दी दिखाने में यहोवा ने हमारे सामने एक उदाहरण रखा। (भजन 103:14; जकर्याह 2:8) सुनने, गौर करने और दूसरों के हालात में खुद को रखकर भाँपने के ज़रिए हम दूसरों की भावनाओं को समझ सकते हैं।—4/15, पेज 24-7.

सच्ची खुशी पाने के लिए शारीरिक अपंगता की चंगाई से पहले आध्यात्मिक चंगाई क्यों ज़रूरी है?

बहुत-से लोग भले-चंगे हैं मगर खुश नहीं, क्योंकि समस्याएँ उन पर हावी हैं। दूसरी तरफ, बहुत से मसीही शारीरिक तौर पर अपंग होने पर भी खुशी-खुशी यहोवा की सेवा कर रहे हैं। जो आध्यात्मिक चंगाई का अनुभव कर रहे हैं, उन्हें नए संसार में शारीरिक बीमारियों से छुटकारा पाने की आशा है।—5/1, पेज 6-7.

इब्रानियों 12:16 क्यों एसाव को व्यभिचारियों में गिनता है?

बाइबल का वृत्तांत बताता है कि एसाव का पूरा ध्यान उस वक्‍त मिलनेवाले फायदे पर लगा था और उसने पवित्र वस्तुओं की कदर नहीं जानी। जिस व्यक्‍ति की सोच एसाव की तरह होगी, वह व्यभिचार जैसा गंभीर पाप भी कर सकता है।—5/1, पेज 10-11.

टर्टुलियन कौन था, और वह किस लिए जाना जाता है?

टर्टुलियन एक लेखक और धर्मविज्ञानी था, जो सा.यु. दूसरी और तीसरी सदी में जीया। उसने मसीही धर्म की पैरवी करते हुए कई किताबें लिखीं जिसके लिए वह जाना जाता है। पैरवी करते वक्‍त उसने ऐसे विचार और तत्त्वज्ञान पेश किए जिनकी बुनियाद पर त्रियेक जैसे झूठे धर्म-सिद्धांत उभरने लगे।—5/15, पेज 29-31.

बीमारियों, हमारे व्यवहार और मौत के लिए हमारे जीन्स पूरी तरह से क्यों ज़िम्मेदार नहीं हैं?

वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि इंसान में होनेवाली बीमारियों के लिए जीन्स ज़िम्मेदार हैं। और कुछ लोग विश्‍वास करते हैं कि हमारे जीन्स तय करते हैं कि हमारा व्यवहार कैसा होगा। लेकिन बाइबल बताती है कि इंसान की शुरूआत कैसे हुई और यह भी कि पाप और असिद्धता से कैसे इंसान पर दुःख आए। हालाँकि हमारे व्यक्‍तित्व के लिए कुछ हद तक जीन्स ज़िम्मेदार हो सकते हैं, मगर इस पर हमारी असिद्धता और हमारे माहौल का भी बहुत बड़ा असर होता है।—6/1, पेज 9-11.

मिस्र में मिले पपाइरस का हिस्सा आक्सीरिंकस, कैसे परमेश्‍वर के नाम पर रोशनी डालता है?

इसमें अय्यूब 42:11, 12 की आयत लिखी है। यह यूनानी सेप्टूअजेंट बाइबल से ली गयी है जिसमें परमेश्‍वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर पाए जाते हैं। यह इस बात का एक और सबूत है कि सेप्टूअजेंट में इब्रानी भाषा में परमेश्‍वर का नाम आता था जिसका हवाला यूनानी शास्त्र के लेखक अकसर देते हैं।—6/1, पेज 30.

आज के कौन-से खेल, रोमी साम्राज्य के हिंसक और घातक ग्लैडियेटर मुकाबलों से मिलते-जुलते हैं?

हाल ही में रोम के कोलोसियम में एक प्रदर्शनी लगायी गयी जिसमें आज के मिलते-जुलते खेलों के वीडियो अंश दिखाए गए। इनमें साँडों की लड़ाई, मुक्केबाज़ी, गाड़ियों और मोटर साइकिलों की रेस में होनेवाली भयानक दुर्घटनाएँ, खेलों के दौरान वहशियाने तरीके से खिलाड़ियों की मुठभेड़ और दर्शकों के बीच दंगे-फसाद भी शामिल हैं। शुरू के मसीही इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि यहोवा खून-खराबे से या हिंसा से प्रीति रखनेवालों से घृणा करता है। (भजन 11:5)—6/15, पेज 29.

जब हम एक बेहतर शिक्षक बनने की कोशिश करते हैं, तो हम एज्रा के उदाहरण से क्या सीख सकते हैं?

एज्रा 7:10 (NW) में चार बातें बतायी गयी हैं, जो एज्रा ने अच्छा शिक्षक बनने के लिए अपनायीं। हम भी इन बातों पर अमल कर सकते हैं। यह कहता है: “एज्रा ने [1] अपने हृदय को तैयार किया [2] ताकि यहोवा की व्यवस्था से सलाह ले और [3] उसके मुताबिक काम करे और [4] इस्राएल में कानून और न्याय सिखाए।”—7/1, पेज 20.

किन दो हालात में एक मसीही स्त्री के लिए सिर ढकना सही है?

एक हालात घर में हो सकते हैं। उसका सिर ढकना दिखाता है कि प्रार्थना करने और बाइबल से शिक्षा देने की ज़िम्मेदारी उसके पति को उठानी चाहिए। दूसरे हालात कलीसिया में हो सकते हैं, वहाँ सिर ढकना इस बात को दिखाता है कि बाइबल के मुताबिक सिखाने और निर्देशन देने की ज़िम्मेदारी बपतिस्मा पाए हुए भाइयों की है। (1 कुरिन्थियों 11:3-10)—7/15, पेज 26-7.

मसीही क्यों इस बात को मानते हैं कि योग सिर्फ कसरत ही नहीं है और इसमें खतरा भी है?

योग ऐसी कला या अनुशासन की विधि है जो इंसान को किसी महान अलौकिक शक्‍ति या आत्मा में लीन कराती है। योग, सोच-विचार करने की मस्तिष्क की स्वाभाविक क्रिया को रोकने की साधना है, जो परमेश्‍वर की शिक्षा के बिलकुल विपरीत है। (रोमियों 12:1, 2) योग से एक व्यक्‍ति दुष्टात्माओं और तंत्रविद्या के खतरों में पड़ सकता है। (व्यवस्थाविवरण 18:10, 11)—8/1, पेज 20-2.