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“अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो”

“अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो”

“अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो”

“सब प्रकार के मनुष्यों का सम्मान करो, भाइयों की पूरी बिरादरी से प्रेम रखो।”—1 पतरस 2:17, NW.

1, 2. (क) एक अखबार के संवाददाता ने यहोवा के साक्षियों के बारे में क्या कहा? (ख) यहोवा के साक्षी, चालचलन के मामले में ऊँचे स्तर कायम रखने की कोशिश क्यों करते हैं?

 कई साल पहले, अमरीका के टॆक्सस, अमारिलो में एक अखबार के संवाददाता ने अपने इलाके के अलग-अलग चर्चों का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट पेश की। सभी समूहों में से एक समूह उसे बहुत खास लगा। उसने कहा: “तीन साल तक मैं अमारिलो सिविक सॆंटर में यहोवा के साक्षियों के सालाना अधिवेशनों में जाता रहा। उनसे मेल-जोल रखते वक्‍त, मैंने एक भी साक्षी को सिगरेट सुलगाते, बीयर का कैन खोलते या गालियाँ बकते नहीं देखा। आज तक मैंने उनके जैसे साफ-सुथरे, अदब से पेश आनेवाले, सलीकेदार कपड़े पहननेवाले और अच्छे स्वभाव के लोगों को नहीं देखा।” यहोवा के साक्षियों के बारे में ऐसे तारीफ के बोल अकसर अखबारों वगैरह में छापे गए हैं। जिनका विश्‍वास, यहोवा के साक्षियों से अलग है वे अकसर साक्षियों की तारीफ क्यों करते हैं?

2 आम तौर पर, परमेश्‍वर के लोगों के अच्छे चालचलन की वजह से उनकी तारीफ की जाती है। चालचलन के मामले में हालाँकि संसार के स्तर गिरते जा रहे हैं, मगर यहोवा के साक्षी मानते हैं कि ऊँचे स्तर कायम रखना उनका फर्ज़ है, उनकी उपासना का एक हिस्सा है। वे जानते हैं कि उनके कामों से यहोवा और उनके मसीही भाइयों के नाम पर असर पड़ता है और उनके अच्छे चालचलन से, वे जिस सच्चाई का प्रचार करते हैं, उसकी शोभा बढ़ती है। (यूहन्‍ना 15:8; तीतुस 2:7, 8) तो आइए देखें कि हम कैसे अच्छा चालचलन बनाए रख सकते हैं जिससे यहोवा और उसके साक्षियों का बढ़िया नाम बना रहे, और यह भी जानें कि ऐसा करने से खुद हमें क्या फायदा होगा।

मसीही परिवार

3. किन खतरों से मसीही परिवारों की हिफाज़त की जानी चाहिए?

3 परिवार में हमारे चालचलन पर गौर कीजिए। गेरहार्ट बॆज़ीर और एरवीन के. शॉइक की लिखी किताब, दी नॉइअन इंक्वीज़ीटोरन रेलीज्योन्सफ्राइहाइट अंट ग्लाउबन्सनाइट (नए जाँचकर्ता: धर्म की आज़ादी और धार्मिक जलन) कहती है: “[यहोवा के साक्षी] मानते हैं कि परिवार की खास तौर से हिफाज़त की जानी चाहिए।” यह बात बिलकुल सच है और आज ऐसे कई खतरे हैं जिनसे परिवार को बचाने की ज़रूरत है। आजकल के बच्चे “माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले” हैं और बड़े लोग “स्नेहरहित” (NHT) और “असंयमी” हैं। (2 तीमुथियुस 3:2, 3) परिवार, मैदान-ए-जंग बन गए हैं जहाँ पति-पत्नी एक-दूसरे पर हिंसा करते हैं; माता-पिता, बच्चों के साथ बदसलूकी करते हैं या उनका बिलकुल खयाल नहीं रखते, और बच्चे, माता-पिता के खिलाफ बगावत करते हैं, ड्रग्स लेते और अनैतिक काम करते हैं या घर से फरार हो जाते हैं। ये सब, ‘संसार की आत्मा’ के भयानक अंजाम हैं। (इफिसियों 2:1, 2) हमें अपने परिवारों को उस आत्मा से बचाने की ज़रूरत है। यह हम कैसे कर सकते हैं? परिवार के सदस्यों के लिए दी गयी यहोवा की सलाह और हिदायतों को मानने के ज़रिए।

4. मसीही परिवार के सदस्यों पर एक-दूसरे के लिए कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ आती हैं?

4 मसीही पति-पत्नी जानते हैं कि उन पर एक-दूसरे की भावात्मक, आध्यात्मिक और शारीरिक ज़रूरतें पूरी करने की ज़िम्मेदारियाँ हैं। (1 कुरिन्थियों 7:3-5; इफिसियों 5:21-23; 1 पतरस 3:7) मसीही माता-पिता पर अपने बच्चों की देखभाल करने की भारी ज़िम्मेदारियाँ हैं। (नीतिवचन 22:6; 2 कुरिन्थियों 12:14; इफिसियों 6:4) और मसीही परिवार के बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, वे पाते हैं कि उन पर भी कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं। (नीतिवचन 1:8, 9; 23:22; इफिसियों 6:1; 1 तीमुथियुस 5:3, 4, 8) यह सच है कि परिवार की इन ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए लगन, पक्के इरादे, प्यार और त्याग की भावना होना ज़रूरी है। लेकिन परिवार के सभी सदस्य परमेश्‍वर से मिली ज़िम्मेदारियों को जितनी अच्छी तरह निभाएँगे, वे एक-दूसरे के लिए और कलीसिया के लिए उतनी ही आशीषें लाएँगे। और सबसे बढ़कर, इससे परिवार के बनानेवाले, यहोवा परमेश्‍वर की महिमा होगी।—उत्पत्ति 1:27, 28; इफिसियों 3:15.

मसीही बिरादरी

5. मसीही भाई-बहनों के साथ संगति करने से हमें क्या आशीषें मिलती हैं?

5 मसीही होने की वजह से हम पर अपनी कलीसिया के भाई-बहनों के संबंध में और “संसार में रहनेवाले . . . भाइयों की पूरी बिरादरी” के संबंध में भी ज़िम्मेदारियाँ आती हैं। (1 पतरस 5:9, NW) आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए, कलीसिया के साथ हमारा एक अच्छा रिश्‍ता होना बेहद ज़रूरी है। जब हम अपने मसीही भाई-बहनों के साथ संगति करते हैं, तो हमारी हौसला-अफज़ाई होती है, साथ ही हम “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” से मिलनेवाला पौष्टिक आध्यात्मिक भोजन भी पाते हैं। (मत्ती 24:45-47) और जब हमारे सामने कोई समस्या आती है, तो हम इस उम्मीद से अपने भाइयों के पास जा सकते हैं कि वे हमें बाइबल के सिद्धांतों पर आधारित बेहतरीन सलाह देंगे। (नीतिवचन 17:17; सभोपदेशक 4:9; याकूब 5:13-18) ऐसी ज़रूरत की घड़ी में हमारे भाई हमेशा हमारी मदद करते हैं, हमें छोड़ नहीं देते। वाकई, परमेश्‍वर के संगठन का एक हिस्सा होना बहुत बड़ी आशीष है!

6. पौलुस ने यह कैसे समझाया कि हम पर दूसरे मसीहियों के संबंध में ज़िम्मेदारियाँ हैं?

6 लेकिन कलीसिया में हमें सिर्फ दूसरों से पाना ही नहीं बल्कि दूसरों को देना भी चाहिए। यीशु ने कहा था: “लेने से देना धन्य है।” (प्रेरितों 20:35) प्रेरित पौलुस ने भी देने की भावना पर ज़ोर देते हुए लिखा: “अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें; क्योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है। और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।”—इब्रानियों 10:23-25.

7, 8. हम अपनी कलीसिया के और दूसरे देशों के मसीहियों की खातिर दरियादिली कैसे दिखा सकते हैं?

7 सभाओं में जब हम जवाब देते हैं या किसी और तरीके से कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं, तो हम ‘अपनी आशा को अंगीकार’ करते हैं। जब हम इस तरह से देते हैं, तो हमारे भाई-बहन ज़रूर उकसाए जाते हैं। इसके अलावा, हम सभाओं से पहले और बाद में उनसे बातचीत करके भी उन्हें उस्काते हैं। ऐसे वक्‍त पर हम कमज़ोर भाई-बहनों की हिम्मत बँधा सकते हैं, हताश जनों को दिलासा और बीमारों को सांत्वना दे सकते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 5:14) सच्चे मसीही इस तरीके से देने में बहुत दरियादिली दिखाते हैं। यही वजह है कि बहुत-से लोग जब पहली बार हमारी सभाओं में आते हैं, तो हमारे बीच प्यार-मुहब्बत देखकर काफी प्रभावित होते हैं।—भजन 37:21; यूहन्‍ना 15:12; 1 कुरिन्थियों 14:25.

8 लेकिन हम सिर्फ अपनी ही कलीसिया के लोगों से प्यार नहीं करते। हम यह प्यार, संसार भर में रहनेवाले अपने भाइयों की पूरी बिरादरी को दिखाते हैं। इसीलिए हर किंगडम हॉल में, किंगडम हॉल फंड के लिए दान की एक पेटी रखी जाती है। हो सकता है, हमारे पास एक बढ़िया किंगडम हॉल है, लेकिन हम जानते हैं कि दूसरे देशों में रहनेवाले हमारे हज़ारों भाई-बहनों के पास सभाओं के लिए अच्छी इमारतें नहीं हैं। जब हम किंगडम हॉल फंड के लिए दान देते हैं, तो हम उन ज़रूरतमंद भाई-बहनों के लिए भी प्रेम दिखाते हैं, इसके बावजूद कि हमने उनसे कभी नहीं मिले हैं।

9. किस बुनियादी वजह से यहोवा के साक्षी एक-दूसरे से प्यार करते हैं?

9 यहोवा के साक्षी एक-दूसरे से क्यों प्यार करते हैं? क्योंकि यीशु ने उन्हें ऐसा करने की आज्ञा दी थी। (यूहन्‍ना 15:17) और उनका आपसी प्रेम इस बात का सबूत है कि परमेश्‍वर की आत्मा उनमें से हरेक पर और पूरे समूह पर काम कर रही है। प्रेम ‘आत्मा के फलों’ में से एक है। (गलतियों 5:22, 23) यहोवा के साक्षी जब बाइबल का अध्ययन करते, मसीही सभाओं में जाते और नियमित तौर पर परमेश्‍वर से प्रार्थना करते हैं, तो एक-दूसरे से प्रेम करना उनके लिए स्वाभाविक बात बन जाती है, इसके बावजूद कि वे ऐसे संसार में रहते हैं जहाँ ‘बहुतों का प्रेम ठण्डा’ पड़ गया है।—मत्ती 24:12.

इस संसार के साथ हमारा व्यवहार

10. इस संसार की ओर हमारी क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

10 ‘अपनी आशा को अंगीकार’ करने की पौलुस की बात से हमें एक और ज़िम्मेदारी का ध्यान आता है। अपनी आशा को सबके सामने अंगीकार करने का एक तरीका है, उन लोगों को सुसमाचार सुनाना जो अभी तक हमारे मसीही भाई नहीं बने हैं। (मत्ती 24:14; 28:19, 20; रोमियों 10:9, 10, 13-15) प्रचार का यह काम, देने का ही एक तरीका है। इस काम में हिस्सा लेने के लिए हमें अपना समय, अपनी ताकत और अपने साधन लगाने पड़ते हैं, साथ ही अच्छी तैयारी करने और तालीम पाने की ज़रूरत होती है। लेकिन, पौलुस ने एक और बात कही: “मैं यूनानियों और अन्यभाषियों का और बुद्धिमानों और निर्बुद्धियों का कर्जदार हूं। सो मैं तुम्हें भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूं।” (रोमियों 1:14, 15) पौलुस की तरह आइए हम भी यह ‘कर्ज़’ चुकाने में कंजूसी न करें।

11. संसार के साथ हमारा नाता कैसा होना चाहिए, यह हम बाइबल के किन दो सिद्धांतों से मालूम करते हैं, मगर फिर भी हम किस बात को समझते हैं?

11 जो लोग हमारे मसीही भाई-बहन नहीं हैं, उनके संबंध में क्या हम पर और भी कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं? ज़रूर हैं। बेशक हम इस बात को मानते हैं कि “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (1 यूहन्‍ना 5:19) हम जानते हैं कि यीशु ने अपने चेलों के बारे में कहा था: “जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।” मगर फिर भी, हम इसी संसार में जीते, रोज़ी-रोटी कमाते और इससे मिलनेवाली सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। (यूहन्‍ना 17:11, 15, 16) इसलिए इस संसार के संबंध में हम पर कुछ ज़िम्मेदारियाँ आती हैं। वे क्या हैं? प्रेरित पतरस ने अपनी एक चिट्ठी में इसका जवाब दिया है। यह चिट्ठी उसने यरूशलेम के विनाश से कुछ ही समय पहले, एशिया माइनर के मसीहियों को लिखी थी और उसका एक हिस्सा हमें यह जानने में मदद देता है कि संसार के बारे में कैसा नज़रिया रखना सही होगा।

12. मसीही किस अर्थ में “परदेशी और यात्री” हैं और इस वजह से उन्हें किन-किन बातों से दूर रहना चाहिए?

12 सबसे पहले, पतरस ने कहा: “हे प्रियो मैं तुम से बिनती करता हूं, कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जानकर उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो।” (1 पतरस 2:11) सच्चे मसीही, आध्यात्मिक अर्थ में, इस संसार में “परदेशी और यात्री” हैं क्योंकि उनकी ज़िंदगी की असली मंज़िल, हमेशा की ज़िंदगी है। आत्मा से अभिषिक्‍त जनों को यह ज़िंदगी स्वर्ग में और ‘अन्य भेड़ों’ को भविष्य में धरती पर फिरदौस में मिलने की आशा है। (यूहन्‍ना 10:16, NW; फिलिप्पियों 3:20, 21; इब्रानियों 11:13; प्रकाशितवाक्य 7:9, 14-17) लेकिन पतरस ने जिन सांसारिक अभिलाषाओं की बात की, वे क्या हैं? वे हैं, दौलत कमाने और शोहरत पाने की चाहत, अनैतिक लैंगिक इच्छाएँ, “डाह” और “लोभ” और ऐसी दूसरी इच्छाएँ।—कुलुस्सियों 3:5; 1 तीमुथियुस 6:4, 9; 1 यूहन्‍ना 2:15, 16.

13. शरीर की इच्छाएँ, कैसे हमारी “आत्मा से युद्ध करती हैं”?

13 ऐसी इच्छाएँ, सचमुच हमारी “आत्मा से युद्ध करती हैं।” वे परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते को बिगाड़ देती हैं और इस तरह हमारी मसीही आशा (हमारी “आत्मा,” या ज़िंदगी) को खतरे में डाल देती हैं। मिसाल के लिए, अगर हम अनैतिक बातों में दिलचस्पी बढ़ाएँगे, तो क्या हम “जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान” के तौर पर खुद को अर्पित कर सकेंगे? अगर हम पर धन-दौलत कमाने का जुनून सवार हो जाए, तो क्या हम ‘पहिले राज्य की खोज’ कर सकेंगे? (रोमियों 12:1, 2; मत्ती 6:33; 1 तीमुथियुस 6:17-19) इसलिए बेहतर यही होगा कि हम मूसा की मिसाल पर चलते हुए, संसार की लुभावनी बातों से इंकार करें और अपनी ज़िंदगी में यहोवा की सेवा को पहला स्थान दें। (मत्ती 6:19, 20; इब्रानियों 11:24-26) संसार के साथ एक सही रिश्‍ता कायम रखने में यह एक अहम बात है।

“तुम्हारा चालचलन भला हो”

14. मसीही होने के नाते हम अच्छा चालचलन बनाए रखने की जी-तोड़ कोशिश क्यों करते हैं?

14 पतरस ने आगे जो कहा, उसमें हम एक और ज़रूरी सिद्धांत पाते हैं: “अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्‍वर की महिमा करें।” (1 पतरस 2:12) मसीही होने के नाते, हम एक आदर्श जीवन बिताने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं। स्कूल में हम खूब मन लगाकर पढ़ाई करते हैं। काम की जगह हम मेहनत करते और ईमानदार होते हैं, फिर चाहे मालिक हमारे साथ बेरुखी से क्यों न पेश आए। जिन घरों में सभी सच्चाई में नहीं हैं, उनमें विश्‍वासी पति या पत्नी, मसीही सिद्धांतों पर चलने की खास कोशिश करते हैं। हालाँकि अच्छा चालचलन बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता, फिर भी हम जानते हैं कि इससे यहोवा खुश होता है और उन लोगों पर अच्छा असर पड़ता है जो साक्षी नहीं हैं।—1 पतरस 2:18-20; 3:1, 2.

15. यह हम कैसे जानते हैं कि यहोवा के साक्षी, ऊँचे स्तरों पर चलने के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं?

15 यहोवा के साक्षियों में से ज़्यादातर जनों ने अच्छे स्तरों पर चलने में एक मिसाल कायम की है। यह बात सालों से उनके बारे में छापे गए तारीफ के शब्दों से देखी जा सकती है। मसलन, इटली के अखबार, ईल टेम्पो ने यह खबर दी: “यहोवा के साक्षियों के सहकर्मियों का कहना है कि साक्षी अपने काम में ईमानदार होते हैं, उन्हें अपने धर्म पर इतनी गहरी आस्था है कि ऐसा लगता है उन पर उसकी सनक चढ़ गयी है; मगर फिर भी वे नैतिक स्तरों पर अटल रहने के कारण सम्मान पाने के लायक हैं।” ब्वेनस एरीज़, अर्जेंटाइना के अखबार, हेरल्ड ने कहा: “बीते सालों के दौरान, यहोवा के साक्षियों ने साबित कर दिखाया है कि वे मेहनती, गंभीर, किफायत बरतनेवाले और परमेश्‍वर का भय माननेवाले नागरिक हैं।” रूसी विद्वान, स्यिरग्ये ईवायेनका ने कहा: “यहोवा के साक्षी, संसार भर में इस बात के लिए जाने जाते हैं कि वे कानून का पालन करने में बहुत पक्के हैं, खासकर ईमानदारी से कर देने के मामले में।” ज़िम्बाबवे में यहोवा के साक्षियों ने अपने अधिवेशन के लिए जो जगह किराए पर ली, उसकी मैनेजर ने कहा: “मैं देखती हूँ कि कुछ साक्षी यहाँ-वहाँ पड़े कागज़ के टुकड़े उठा रहे हैं और टॉयलेट साफ कर रहे हैं। मेलों का यह मैदान इतना साफ-सुथरा हो गया है जितना पहले कभी नहीं था। आप लोगों के किशोर बच्चे, उसूलों पर चलनेवाले हैं। काश, सारी दुनिया, यहोवा के साक्षियों से भरी होती।”

मसीही अधीनता

16. संसार के अधिकारियों के साथ हम कैसा रिश्‍ता रखते हैं और क्यों?

16 पतरस यह भी बताता है कि संसार के अधिकारियों के साथ हमारा रिश्‍ता कैसा होना चाहिए। वह कहता है: “प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है। और हाकिमों के, क्योंकि वे कुकर्मियों को दण्ड देने और सुकर्मियों की प्रशंसा के लिये उसके भेजे हुए हैं। क्योंकि परमेश्‍वर की इच्छा यह है, कि तुम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्द कर दो।” (1 पतरस 2:13-15) जो सरकारें अच्छी व्यवस्था कायम रखती हैं, उनसे हमें फायदे मिलते हैं और उसके लिए हम शुक्रगुज़ार हैं। इसलिए हम पतरस के शब्दों को ध्यान में रखते हुए सरकार के कायदे-कानूनों को मानते और अपना कर अदा करते हैं। हालाँकि हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ने सरकारों को यह अधिकार दिया है कि वह कानून तोड़नेवालों को सज़ा दें, लेकिन हम सज़ा के डर से नहीं बल्कि खास तौर से “प्रभु के लिए” उनके अधीन रहते हैं। यह परमेश्‍वर की मरज़ी है कि हम उनके अधीन रहें। इसके अलावा, हम नहीं चाहते कि हमारे गलती करके दंड पाने की वजह से यहोवा के नाम पर कलंक आए।—रोमियों 13:1, 4-7; तीतुस 3:1; 1 पतरस 3:17.

17. जब ‘निर्बुद्धि लोग’ हमारा विरोध करते हैं, तो हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?

17 दुःख की बात है कि अधिकार के पद पर बैठे कुछ ‘निर्बुद्धि लोग’ हमें सताते हैं या हमें बदनाम करने के लिए हमारे बारे में अफवाहें और झूठी बातें फैलाते और दूसरे तरीकों से हमारा विरोध करते हैं। लेकिन, हर बार जब यहोवा का कार्यवाही करने का समय आता है, तो उनकी झूठी बातों का पर्दाफाश हो जाता है और उनकी ‘अज्ञानता की बातें’ बंद हो जाती हैं। हमने मसीही चालचलन में जो मिसाल कायम की है, वह खुद सच्चाई का बयान करती है। इसीलिए अकसर कुछ नेकदिल के सरकारी अधिकारी यह कहकर हमारी सराहना करते हैं कि हम भलाई करनेवाले हैं।—रोमियों 13:3; तीतुस 2:7, 8.

परमेश्‍वर के दास

18. मसीही होने के नाते हम किन तरीकों से अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल करने से दूर रह सकते हैं?

18 इसके बाद, पतरस हमें चेतावनी देता है: “अपने आप को स्वतंत्र जानो पर अपनी इस स्वतंत्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ, परन्तु अपने आप को परमेश्‍वर के दास समझकर चलो।” (1 पतरस 2:16; गलतियों 5:13) आज हम, बाइबल की सच्चाई जानने की वजह से धर्म की झूठी शिक्षाओं से आज़ाद हो गए हैं। (यूहन्‍ना 8:32) इसके अलावा, हमारे पास आज़ाद मरज़ी है इसलिए हम खुद चुनाव कर सकते हैं। लेकिन हम अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल नहीं करते। दोस्तों को चुनने, पहनावा, बनाव-श्रंगार, मनोरंजन, और यहाँ तक कि खाने-पीने के बारे में फैसला करते वक्‍त, हम याद रखते हैं कि सच्चे मसीही अपनी ख्वाहिशें पूरी करनेवाले नहीं बल्कि परमेश्‍वर के दास हैं। हम शरीर की इच्छाओं या संसार के फैशन या हर नए चलन के दास बनना नहीं चाहते बल्कि यहोवा की सेवा करना चाहते हैं।—गलतियों 5:24; 2 तीमुथियुस 2:22; तीतुस 2:11, 12.

19-21. (क) सरकारी अधिकारियों को हम किस नज़र से देखते हैं? (ख) कुछ मसीहियों ने कैसे दिखाया कि वे “भाइयों की पूरी बिरादरी से प्रेम” करते हैं? (ग) हमारी सबसे खास ज़िम्मेदारी क्या है?

19 पतरस आगे कहता है: “सब प्रकार के मनुष्यों का सम्मान करो, भाइयों की पूरी बिरादरी से प्रेम रखो, परमेश्‍वर से डरो, राजा का सम्मान करो।” (1 पतरस 2:17, NW) यहोवा परमेश्‍वर ने इंसानों को, अलग-अलग ओहदों पर रहने की इजाज़त दी है इसलिए हम भी उन्हें वह सम्मान देते हैं, जिसे पाने के वे हकदार हैं। हम उनके लिए प्रार्थना भी करते हैं ताकि हमें शांति और ईश्‍वरीय भक्‍ति के साथ अपनी सेवा जारी रखने की इजाज़त मिलती रहे। (1 तीमुथियुस 2:1-4) लेकिन, इसके साथ-साथ हम “भाइयों की पूरी बिरादरी से प्रेम” करते हैं। हम हमेशा अपने मसीही भाइयों की भलाई के लिए काम करते हैं, ना कि उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए।

20 मिसाल के लिए, जब एक अफ्रीकी देश में जाति-भेद को लेकर हिंसा और फूट पैदा हो गयी, तो यहोवा के साक्षियों का मसीही चालचलन सबके सामने खुलकर ज़ाहिर हुआ। स्विट्‌ज़रलैंड के समाचार-पत्र, रेफॉमीरटे प्रेस्से ने यह खबर दी: “सन्‌ 1995 में ‘एफ्रीकन राइट्‌स’ संगठन ने . . . यह साबित कर दिखाया कि यहोवा के साक्षियों को छोड़ बाकी सभी चर्चों ने [उस लड़ाई] में हिस्सा लिया।” जब उस देश में होनेवाले हादसों की खबर दूसरे देशों तक पहुँची, तो यूरोप में रहनेवाले यहोवा के साक्षियों ने उस अफ्रीकी देश के अपने भाई-बहनों के लिए फौरन भोजन और दवाइयाँ भेजीं। (गलतियों 6:10) इस तरह उन्होंने नीतिवचन 3:27 के मुताबिक कदम उठाया: “जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्‍ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना।”

21 लेकिन सरकारी अधिकारियों का सम्मान करने और यहाँ तक कि अपने भाइयों से प्रेम करने की ज़िम्मेदारी से भी बढ़कर एक और खास ज़िम्मेदारी हम पर है। वह क्या है? पतरस ने कहा: “परमेश्‍वर से डरो।” हम किसी भी इंसान के जितने कर्ज़दार हैं, उससे कहीं ज़्यादा यहोवा के कर्ज़दार हैं। यह कैसे हो सकता है? और हम सरकारी अधिकारियों को अपना कर्ज़ चुकाने के साथ-साथ, परमेश्‍वर के संबंध में अपनी ज़िम्मेदारियों को कैसे निभा सकते हैं? इन सवालों का जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।

क्या आपको याद है?

• परिवार में मसीहियों पर कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ आती हैं?

• हम कलीसिया में देने की भावना कैसे दिखा सकते हैं?

• संसार के संबंध में हम पर कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ हैं?

• चालचलन के ऊँचे स्तर बनाए रखने से मिलनेवाले कुछ फायदे क्या हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीर]

मसीही परिवार, खुशियों का आशियाना कैसे बन सकता है?

[पेज 10 पर तसवीरें]

यहोवा के साक्षी क्यों एक-दूसरे से प्यार करते हैं?

[पेज 10 पर तसवीरें]

क्या हम उन भाइयों के लिए भी प्यार दिखा सकते हैं जिनसे हम कभी नहीं मिले?