‘परमेश्वर, आखिर तूने ऐसा क्यों होने दिया?’
‘परमेश्वर, आखिर तूने ऐसा क्यों होने दिया?’
रिकार्डो को आज भी वह दिन अच्छी तरह याद है जब वह अपनी पत्नी, मारिया के साथ बैठा डॉक्टर का इंतज़ार कर रहा था। * पहले तो दोनों में से किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वे मारिया की हाल की डॉक्टरी रिपोर्ट को खोलकर पढ़े। मगर फिर रिकार्डो ने लिफाफा खोला और दोनों ने चिकित्सीय भाषा में लिखी रिपोर्ट पर एक सरसरी नज़र डाली। अचानक उनकी नज़र “कैंसर” शब्द पर पड़ी और वे उस बीमारी के बारे सोचकर वहीं फूट-फूटकर रोने लगे।
रिकार्डो बताता है: “डॉक्टर बहुत अच्छा था, उसने हमारी बहुत मदद की। लेकिन वह हालात की गंभीरता से बेशक वाकिफ था, इसलिए वह हमसे बार-बार कहता रहा, परमेश्वर पर भरोसा रखो।”
मारिया पर रेडियेशन चिकित्सा शुरू करने से पहले उसके डॉक्टर ने देखा कि मारिया अपने दाएँ पैर के हिलने-डुलने पर काबू नहीं पा रही थी। कुछ और जाँच करने पर पता चला कि कैंसर उसके मस्तिष्क तक फैल चुका था। रेडियेशन से उसका इलाज सिर्फ एक हफ्ते तक चला, उसके बाद उसे रोक दिया गया। मारिया कोमा में चली गयी और दो महीने बाद वह चल बसी। रिकार्डो बताता है: “यह अच्छा हुआ कि उसे हमेशा के लिए दर्द से छुटकारा मिल गया। मगर उसके बिना मेरी ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं रही। काश मुझे भी मौत आ जाती! मैं अकसर परमेश्वर से पूछता, ‘परमेश्वर, आखिर तूने ऐसा क्यों होने दिया?’”
मुसीबत की घड़ी में उठते ढेरों सवाल
दुनिया में रिकार्डो की तरह कितने ही लोगों को दुःख-तकलीफों से गुज़रना पड़ता है। कई बार तो मासूम या बेकसूर लोगों को मुसीबत की चक्की में पिसना पड़ता है। ज़रा उन लोगों के दुःख के बारे में सोचिए जिनके दिल में लगातार चलनेवाले युद्धों ने गहरे ज़ख्म छोडे हैं। या उन बेहिसाब लोगों की तड़प के बारे में सोचिए जो बलात्कार, घर में मार-पीट और दूसरी बुराइयों के शिकार हैं। उन मासूम बच्चों पर क्या बीतती होगी जिनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। पूरे इतिहास में इंसानों ने एक-दूसरे के साथ नाइंसाफी करने और ज़ुल्म ढाने में सारी हदें पार कर ली हैं। (सभोपदेशक 4:1-3) इतना ही नहीं प्राकृतिक विपत्तियाँ या भावात्मक, मानसिक और शारीरिक बीमारियाँ भी लोगों पर अपना कहर ढाती हैं। इसलिए बहुत-से लोगों को यह सवाल करते देखकर ताज्जुब नहीं होता: “आखिर, परमेश्वर ऐसी दुःख-तकलीफें क्यों आने देता है?”
यहाँ तक कि धार्मिक उसूलों पर चलनेवालों के लिए भी तकलीफें सहना आसान नहीं होता। आपने भी ज़रूर सोचा होगा कि एक प्यार करनेवाला और सर्वशक्तिमान परमेश्वर भला दुःख-तकलीफों की इजाज़त क्यों देगा। हमें इस पेचीदा सवाल का सही-सही जवाब जानना होगा, तभी हम मन की शांति पाएँगे और परमेश्वर के साथ हमारा एक अच्छा रिश्ता कायम होगा। हमारे इस सवाल का सही-सही जवाब बाइबल देती है। कृपया अगला लेख पढ़कर गौर कीजिए कि इस विषय में बाइबल क्या कहती है।
[फुटनोट]
^ पैरा. 2 नाम बदल दिए गए हैं।
[पेज 3 पर तसवीरें]
डॉक्टर हमसे बार-बार कहता रहा, परमेश्वर पर भरोसा रखो