प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जनवरी, 2003 क्या बीसवीं सदी शैतान के शिकंजे में थी? क्या बुराई की जीत हुई है? गुज़रा कल और आज—परमेश्वर का वचन लोगों की ज़िंदगी बदल देता है क्या आपको वाकई सुसमाचार पर विश्वास है? आपका विश्वास कितना मज़बूत है? पाठकों के प्रश्न “राज्य के जोशीले प्रचारक” एक-साथ इकट्ठे होकर खुशी मनाते हैं ‘भले मनुष्य से परमेश्वर प्रसन्न होता है’ मौत के घाट उतारे गए यहोवा के साक्षियों की याद में क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले? प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जनवरी, 2003 प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जनवरी, 2003 हिंदी प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जनवरी, 2003 https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/ct/e781f8601f/images/cvr_placeholder.jpg