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आपका हार्दिक स्वागत है

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प्रभु का आखिरी भोज, जिसकी शुरूआत करीब 2,000 साल पहले यीशु मसीही ने की थी, वह एक ऐतिहासिक घटना से कहीं बढ़कर है। जब से इस समारोह की शुरूआत हुई है तब से लोगों पर इसका गहरा असर हुआ है। जब लोग सुसमाचार की किताब में उस रात हुई घटना को पढ़ते हैं, तो वह उनके दिल को छू जाती है। बहुत-से लोगों ने प्रभु का संध्या भोज मनाने के लिए अलग-अलग तरीके से कोशिश की है।

प्रभु के संध्या भोज में लोगों की इस दिलचस्पी को हम समझ सकते हैं क्योंकि खुद यीशु मसीही ने अपने चेलों को यह आज्ञा दी थी कि वे इस घटना को नियमित तौर पर मनाएँ। उसने खास तौर से कहा: “मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।”—लूका 22:19; 1 कुरिन्थियों 11:23-25.

इस स्मारक को मनानेवाले अगर परमेश्‍वर के वचन बाइबल में बतायी जानकारी के मुताबिक इसकी अहमियत समझें तो बेशक इससे उन्हें पूरा-पूरा फायदा होगा। और इसके अलावा यह जानना भी ज़रूरी है कि बाइबल इसके बारे में क्या कहती है, कि इसे कब और कैसे मनाया जाना चाहिए।

यीशु की आज्ञा का पालन करते हुए पूरी दुनिया में यहोवा के साक्षी, बुधवार की शाम, 16 अप्रैल, 2003 को यीशु की मौत का स्मारक मनाने के लिए इकट्ठा होंगे। उनके लिए यह मौका वचनों को जाँचने और अपने विश्‍वास को फिर से मज़बूत करने और यीशु मसीह के लिए अपना प्रेम दिखाने का होगा। यीशु ने कहा था: “परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्‍ना 3:16) इस समारोह में यहोवा के साक्षियों के साथ इकट्ठा होने के लिए आपको को तहेदिल से न्यौता दिया जाता है ताकि आप भी यीशु मसीह और स्वर्ग में रहनेवाले उसके पिता यहोवा परमेश्‍वर में अपना विश्‍वास मज़बूत करें और उनके लिए अपना प्यार गहरा करें।