“सब मनुष्यों के साथ पूरी कोमलता से” पेश आना
“सब मनुष्यों के साथ पूरी कोमलता से” पेश आना
“लोगों को सुधि दिला, कि . . . समझदार हों, और सब मनुष्यों के साथ पूरी कोमलता से पेश आएँ।”—तीतुस 3:1, 2, NW.
1. कोमलता का गुण दिखाना हमेशा इतना आसान क्यों नहीं है?
पौलुस ने लिखा, “मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।” (1 कुरिन्थियों 11:1) आज परमेश्वर के सभी सेवक इस सलाह को मानने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं। यह सच है कि ऐसा करना आसान नहीं है क्योंकि हमने, अपने पहले माता-पिता से स्वार्थी इच्छाएँ और ऐसा मिज़ाज़ पाया है जो मसीह की मिसाल के मुताबिक नहीं है। (रोमियों 3:23; 7:21-25) लेकिन फिर भी जब कोमलता से व्यवहार करने की बात आती है, तो हम सब यह गुण दिखाने में कामयाब हो सकते हैं अगर हम इसके लिए यत्न करें। लेकिन सिर्फ अपनी इच्छा-शक्ति पर भरोसा रखना ही काफी नहीं। तो फिर और क्या करने की ज़रूरत है?
2. हम कैसे “सब मनुष्यों के साथ पूरी कोमलता” दिखा सकते हैं?
2 ईश्वरीय कोमलता पवित्र-आत्मा का एक फल है। हम जितना ज़्यादा परमेश्वर की सक्रिय शक्ति के अधीन होकर काम करेंगे, उतना ही ज़्यादा हम यह फल दिखाने में कामयाब होंगे। और सिर्फ तभी हम “पूरी कोमलता” दिखा तीतुस 3:2, NW) आइए यह जाँच करें कि हम यीशु की इस मिसाल पर कैसे चल सकते हैं और ऐसों की मदद भी कैसे कर सकते हैं जो ‘विश्राम पाने’ के लिए हमारे पास आते हैं।—मत्ती 11:29; गलतियों 5:22, 23.
पाएँगे। (तिरछे टाइप हमारे।) (परिवार में
3. परिवार की कैसी हालत से आज संसार की आत्मा झलकती है?
3 एक क्षेत्र जहाँ कोमलता दिखाने की सख्त ज़रूरत है, वह है परिवार। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह अनुमान लगाया है कि महिलाओं के स्वास्थय को, सड़कों पर होनेवाली दुर्घटनाओं और मलेरिया से कहीं ज़्यादा खतरा उनके परिवार में होनेवाली मारपीट से होता है। मसलन, इंग्लैंड के लंदन शहर में हिंसा की जो कुल रिपोर्ट दर्ज़ की गयीं, उनमें से 25 प्रतिशत रिपोर्ट परिवारों में होनेवाली हिंसा की थीं। पुलिस की मुठभेड़ अकसर ऐसे लोगों से होती है जो ‘चिल्लाकर और निन्दा करके’ अपना गुबार निकालते हैं। और उससे भी बदतर तो यह कि कुछ पति-पत्नियों ने एक-दूसरे के लिए “कड़वाहट” पैदा करके अपने रिश्ते में दरार पैदा की है। मगर अफसोस, कि ये सभी बातें “संसार की आत्मा” को ज़ाहिर करती हैं, लेकिन मसीही परिवारों में इनके लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।—इफिसियों 4:31, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; 1 कुरिन्थियों 2:12.
4. कोमलता का परिवार में कैसा असर हो सकता है?
4 संसार के रवैयों का सामना करने के लिए हमें परमेश्वर की आत्मा की ज़रूरत है। “जहां कहीं प्रभु का आत्मा है वहां स्वतंत्रता है।” (2 कुरिन्थियों 3:17) प्रेम, दया, आत्म-संयम और धीरज जैसे गुण असिद्ध पति-पत्नी के रिश्ते को मज़बूती से बाँधने के काम आते हैं। (इफिसियों 5:33) कलह और लड़ाई-झगड़ों ने, न जाने कितने परिवारों को तबाह कर दिया है, मगर इसके विपरीत कोमल स्वभाव से परिवार का माहौल ज़्यादा खुशहाल होता है। इंसान जो बोलता है वे बातें अहम होती हैं, मगर वह जिस तरीके से बोलता है, दरअसल उसी से उसकी भावनाएँ झलकती हैं। चिंताएँ और परेशानियाँ अगर कोमलता से बतायी जाएँ तो तनाव कम होता है। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा: “कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है।”—नीतिवचन 15:1.
5. जिस परिवार में सभी विश्वासी नहीं हैं, वहाँ कोमलता कैसे मददगार हो सकती है?
5 जिस परिवार में सभी विश्वासी नहीं, खासकर वहाँ कोमलता दिखाना ज़रूरी होता है। इसके साथ ही, कुछ भले काम किए जाएँ तो विरोधियों को यहोवा की तरफ खींचा जा सकता है। पतरस ने मसीही पत्नियों को सलाह दी: “तुम भी अपने पति के आधीन रहो। इसलिये कि यदि इन में से कोई ऐसे हों जो वचन को न मानते हों, तौभी तुम्हारे भय सहित पवित्र चालचलन के द्वारा खिंच जाएं। और तुम्हारा सिंगार दिखावटी न हो, अर्थात् बाल गूंथने, और सोने के गहने, या भांति भांति के कपड़े पहिनना। बरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।”—1 पतरस 3:1-4.
6. कोमलता दिखाने से कैसे माता-पिता और बच्चों का आपसी रिश्ता मज़बूत होता है?
6 जिन परिवारों में खासकर यहोवा के लिए प्रेम की कमी होती है, वहाँ माता-पिता और बच्चों के बीच काफी तनाव हो सकता है। लेकिन कोमलता सभी मसीही घरानों को दिखानी चाहिए। पौलुस ने पिताओं को सलाह दी: “बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।” (इफिसियों 6:4) जब एक परिवार में कोमलता का बसेरा होता है, तो इससे माता-पिता और बच्चों के बीच एकता का बंधन मज़बूत होता है। डीन जो पाँच बच्चों में से एक है, अपने पिता के बारे में याद करते हुए कहता है: “मेरे पिता बहुत ही कोमल स्वभाव के थे। मुझे याद नहीं कि कभी मेरी उनके साथ कोई बहस हुई हो, जी हाँ किशोरावस्था में भी नहीं। वह चाहे कितने ही परेशान क्यों न हों, मगर फिर भी हमेशा शांत रहते थे। गलती करने पर कभी-कभी वे मुझे कमरे में बंद कर देते या मेरे मनपसंद कामों पर पाबंदी लगा देते थे, लेकिन हमारे बीच कभी कोई बहस नहीं हुई। वे सिर्फ हमारे पिता ही नहीं बल्कि हमारे दोस्त भी थे और हम किसी भी तरह उनका दिल दुःखाना नहीं चाहते थे।” आप देख सकते हैं कि कोमलता सचमुच माता-पिता और बच्चों के आपसी रिश्ते को मज़बूत करती है।
अपनी सेवा में
7, 8. क्षेत्र-सेवा में कोमलता दिखाना क्यों ज़रूरी है?
7 दूसरी जगह जहाँ कोमलता दिखाना ज़रूरी है, वह है क्षेत्र-सेवा। जब हम राज्य का सुसमाचार दूसरों को सुनाने जाते हैं, तो अलग-अलग मिज़ाज़वालों से मुलाकात होती है। कुछ लोग हमारी आशा के संदेश को खुशी-खुशी सुनते हैं। दूसरे किसी-न-किसी कारण से शायद हमारी बात न सुनें। ऐसे वक्त में कोमलता का गुण दिखाना बहुत ज़रूरी होता है। इससे हमें पृथ्वी की छोर तक गवाही देने के अपने काम को पूरा करने में बड़ी मदद मिलेगी।—प्रेरितों 1:8; 2 तीमुथियुस 4:5.
8 प्रेरित पतरस ने लिखा: “मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता [“कोमलता,” NW] और भय के साथ।” (1 पतरस 3:15) हम मसीह को अपना आदर्श मानकर तहेदिल से उसकी इज़्ज़त करते हैं, इसलिए हम ध्यान रखते हैं कि रूखाई से बात करनेवालों के साथ भी कोमलता और आदर के साथ पेश आएँ। कोमलता से व्यवहार करने पर अकसर बहुत बढ़िया नतीजे निकलते हैं।
9, 10. क्षेत्र-सेवा में कोमलता की अहमियत के बारे में एक अनुभव बताइए।
9 एक बार जब कीथ के दरवाज़े पर कोई आया तो उसकी पत्नी उससे बात कर रही थी और कीथ पीछे से सुन रहा था। यह जानने पर कि दरवाज़े पर खड़ा व्यक्ति यहोवा का साक्षी है, कीथ की पत्नी का पारा चढ़ गया और उसने साक्षियों पर बच्चों के साथ क्रूरता से पेश आने का इलज़ाम लगाया। मगर भाई शांत रहा। फिर उसने कोमलता से कहा: “मुझे अफसोस है कि आपको ऐसा लगता है। लेकिन क्या मैं आपको बता सकता हूँ कि यहोवा के साक्षी क्या विश्वास करते हैं?” कीथ जो उनकी बातें सुन रहा था, उसने दरवाज़े पर आकर बात वहीं बंद करवा दी।
10 साक्षी के जाने के बाद इस जोड़े को पछतावा हुआ कि उन्होंने घर आए व्यक्ति के साथ बड़ा कठोर व्यवहार किया।
भाई के कोमल और सज्जन व्यवहार ने उनका दिल जीत लिया था। मगर वे दोनों बड़े हैरान हुए जब एक हफ्ते बाद वह भाई दोबारा उनके घर आया और इस बार उन्होंने उसे अपने विश्वास के बारे में बाइबल से बताने दिया। वे कहते हैं कि “अगले दो सालों तक हम दूसरे साक्षियों की भी बातें अच्छी तरह से सुनते रहे।” फिर वे बाइबल अध्ययन करने के लिए भी तैयार हुए और आखिरकार दोनों ने यहोवा को अपना जीवन समर्पित करके बपतिस्मा लिया। उस साक्षी को क्या ही बढ़िया प्रतिफल मिला जिसने पहली बार कीथ और उसकी पत्नी से मुलाकात की थी! यह साक्षी सालों बाद उस जोड़े से मिला जो अब उसके आध्यात्मिक भाई-बहन बन चुके थे। कोमलता की जीत होती है।11. कोमलता किन तरीकों से एक व्यक्ति के लिए मसीही सच्चाई स्वीकार करने का रास्ता खोल देती है?
11 हॆरल्ड एक सैनिक था और उसकी ज़िंदगी के अनुभवों ने उसे गुस्सैल बना दिया था। उसे परमेश्वर के अस्तित्त्व पर भी शक था। उसकी ज़िंदगी में तब और भी अंधेरा छा गया जब एक शराबी ड्राइवर की गाड़ी से उसका ऐक्सीडैंट हुआ और वह हमेशा के लिए अपंग हो गया। जब यहोवा के साक्षी उसके घर आए तो हॆरल्ड ने उनसे साफ कह दिया कि वे उसके घर न आएँ। लेकिन एक दिन, बिल नाम का एक साक्षी दिलचस्पी दिखानेवाले किसी व्यक्ति से मिलने गया जिसका घर हॆरल्ड के घर से दो घर छोड़कर ही था। मगर बिल ने गलती से हॆरल्ड का दरवाज़ा खटखटा दिया। जब हॆरल्ड ने बैसाखियों के सहारे आकर दरवाज़ा खोला, तो बिल ने तुरंत माफी माँगी और कहा कि वह दरअसल उसके पड़ोसवाले घर में जाना चाहता था। तब हॆरल्ड ने क्या किया? बिल को पता नहीं था कि हॆरल्ड ने टेलीविज़न पर एक कार्यक्रम में देखा कि किस तरह साक्षियों ने साथ मिलकर थोड़े समय में एक नया किंगडम हॉल बनाया। वह इतने सारे लोगों को एक-जुट काम करते देखकर हैरान रह गया था और इससे साक्षियों के बारे में उसका नज़रिया भी बदल गया था। इसके अलावा, बिल ने जिस सज्जनता से माफी माँगी और कोमलता से पेश आया, वह हॆरल्ड के दिल को छू गया। उसने यह फैसला कर लिया कि अब वह साक्षियों को अपने घर आने से नहीं रोकेगा। उसने बाइबल का अध्ययन करके प्रगति की और बपतिस्मा लेकर यहोवा का एक सेवक बन गया।
कलीसिया में
12. मसीही कलीसिया के लोगों को संसार के किन रवैयों का विरोध करना चाहिए?
12 तीसरा क्षेत्र जहाँ कोमलता की ज़रूरत है, वह है कलीसिया। लड़ाई-झगड़ा आज समाज का एक हिस्सा बन गया है। जो ज़िंदगी को संसार के नज़रिए से देखते हैं उनके लिए बहसबाज़ी, तकरार और तूतू-मैंमैं करना आम है। संसार के ये रवैए कभी-कभी मसीही कलीसिया में भी पनप सकते हैं जिसका नतीजा लड़ाई-झगड़ा और ज़बान लड़ाना हो सकता है। ज़िम्मेदार भाइयों को जब ऐसे मामलों से निपटना पड़ता है तो उन्हें बड़ा दुःख होता है। लेकिन यहोवा और अपने गलतियों 5:25, 26.
भाइयों के लिए उनका प्यार उन्हें उकसाता है कि वे गलती करनेवाले को फिर से जीत लें।—13, 14. ‘विरोधियों को कोमलता से समझाने’ का क्या नतीजा निकल सकता है?
13 पहली सदी में पौलुस और उसके साथी तीमुथियुस को कलीसिया के ही कुछ लोगों से मुश्किल का सामना करना पड़ा। पौलुस ने तीमुथियुस को आगाह किया कि वह ऐसे भाइयों से सावधान रहे जो उन बरतनों के समान हैं, जिन्हें “अनादर के लिये” रखा गया है। पौलुस ने यह तर्क दिया कि “प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ सौम्यता से पेश आना चाहिए। उसे शिक्षा में निपुण और सहनशील होना चाहिए और विरोधियों को कोमलता से समझाना चाहिए।” जब हम गरम माहौल में भी अपनी कोमलता बनाए रखते हैं तो हमारे विरोधी एक बार फिर अपनी कही कड़वी बात पर सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। और इसके बदले जैसा पौलुस ने आगे लिखा, यहोवा शायद “उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।” (2 तीमुथियुस 2:20, 21, 24, 25, NW) ध्यान दीजिए कि पौलुस सौम्यता और सहनशीलता को कोमलता से जोड़ता है।
14 पौलुस जैसा बोलता था, वैसा करता भी था। कुरिन्थ कलीसिया में “बड़े से बड़े प्रेरितों” से निपटते वक्त, पौलुस ने भाइयों से बिनती की: “मैं वही पौलुस जो तुम्हारे साम्हने दीन हूं, परन्तु पीठ पीछे तुम्हारी ओर साहस करता हूं; तुम को मसीह की नम्रता, और कोमलता के कारण समझाता हूं।” (2 कुरिन्थियों 10:1; 11:5) पौलुस ने वाकई यीशु का अनुकरण किया। गौर कीजिए कि उसने मसीह की “कोमलता” से इन भाइयों से बिनती की। इस वजह से वह धौंस जमानेवाले या हुक्म चलानेवाले रवैए से बच पाया। इसमें शक नहीं कि उसकी सलाह कलीसिया में उन लोगों को भा गयी जो आज्ञाकारी मन के थे। पौलुस तनाव भरे रिश्ते में शांति ले आया और उसने कलीसिया में शांति और एकता स्थापित करने की कोशिश की। क्या हम सभी को, ऐसे ही कदम उठाने की पूरी कोशिश नहीं करनी चाहिए? प्राचीनों को खासकर मसीह और पौलुस की मिसाल पर चलने की ज़रूरत है।
15. सलाह देते समय कोमलता का होना क्यों ज़रूरी है?
15 बेशक दूसरों की मदद करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ ऐसे वक्त तक ही सीमित नहीं होती जब कभी कलीसिया की शांति और एकता खतरे में हो। भाइयों में तनाव पैदा होने से कहीं पहले, उन्हें प्यार भरा मार्गदर्शन देने की ज़रूरत है। पौलुस ने आग्रह किया: “हे भाइयो, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो . . . ऐसे को संभालो।” लेकिन कैसे सँभालना चाहिए? “नम्रता [“कोमलता,” NW] के साथ . . . और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।” (गलतियों 6:1) लेकिन हमेशा “कोमलता” बनाए रखना इतना आसान नहीं क्योंकि सभी मसीहियों का, नियुक्त पुरुषों का भी झुकाव, गलत काम की ओर होता है। फिर भी, कोमलता से जब सलाह दी जाती है तो इससे गलती करनेवाले इंसान को सुधार करने में मदद मिलती है।
16, 17. कौन-सी बात दूसरों के लिए सलाह मानना आसान बना देगी?
16 मूल यूनानी भाषा में ‘संभालने’ के लिए जो शब्द इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब है हड्डी बिठाना और ऐसे वक्त में बहुत दर्द होता है। ढाढ़स देनेवाला डॉक्टर जो हड्डी बिठाता है, वह इस इलाज के फायदे बताता है। उसका शांति से काम लेना, दिल को सुकून पहुँचाता है। उसके शुरू में कहे कोमल शब्दों की वजह से दर्दनाक-से-दर्दनाक घड़ी को सहना आसान हो जाता है। उसी तरह आध्यात्मिक तौर पर सुधारे जाने पर दर्द हो सकता है। लेकिन कोमलता, इसे सहना आसान बना देगी, इस तरह अच्छा संबंध दोबारा कायम करने और गलती करनेवाले के लिए अपना मार्ग बदलने का रास्ता खोल देगी। सलाह मिलने पर शायद शुरू-शुरू में अच्छा न लगे, लेकिन मदद देनेवाला अगर कोमलता से ऐसा करे तो बाइबल की अच्छी सलाह मानने के लिए व्यक्ति ज़रूर तैयार हो जाएगा।—नीतिवचन 25:15.
17 जब दूसरों को सुधारने की बात आती है, तो इस बात का खतरा हमेशा बना रहता है कि कहीं सलाह को आलोचना न समझ लिया जाए। एक लेखक इस तरह लिखता है: “अकसर दूसरों को सुधारते वक्त अपनी बात बड़े ही ज़ोरदार तरीके कहने का खतरा रहता है, तो ऐसे वक्त पर कोमलता दिखाना बहुत ज़रूरी हो जाता है।” इसलिए सलाह देनेवाला मसीही अगर कोमलता दिखाए जो नम्रता से पैदा होती है, तो उसे इस खतरे से बचने में मदद मिल सकती है।
“सब मनुष्यों के साथ”
18, 19. (क) संसार के अधिकारियों के साथ कोमलता से पेश आना, मसीहियों को क्यों मुश्किल लग सकता है? (ख) अधिकारियों को कोमलता दिखाने में क्या बात मसीहियों की मदद कर सकती है और इसके क्या नतीजे निकल सकते हैं?
18 एक और क्षेत्र जहाँ बहुत-से लोगों को कोमलता दिखाने में दिक्कत आती है, वह है सांसारिक अधिकारियों के साथ। यह मानना पड़ेगा कि कुछ अधिकारी बहुत ही कठोरता से पेश आते हैं और ज़रा-भी हमदर्दी नहीं दिखाते। (सभोपदेशक 4:1; 8:9) लेकिन फिर भी परमेश्वर के लिए हमारा प्यार हमारी मदद करेगा कि हम प्रधान अधिकारियों के पद को समझें और सरकारी अधिकारियों का जो हक बनता है, वह अदा करें। (रोमियों 13:1, 4; 1 तीमुथियुस 2:1, 2) यहाँ तक कि जब ऊंचे पदवाले यहोवा की उपासना करने में बाधा खड़ी करते हैं, तब भी हम खुशी-खुशी अपना स्तुतिरूपी बलिदान चढ़ाने के दूसरे तरीकों की खोज करें।—इब्रानियों 13:15.
19 हम किसी भी हालत में लड़ाई-झगड़े का सहारा नहीं लेंगे। हम समझदारी से काम लेंगे मगर धर्मी सिद्धांतों के मामले में समझौता हरगिज़ नहीं करेंगे। इस तरह दुनिया के 234 देशों में हमारे भाई अपनी सेवा करने में कामयाब हुए हैं। हम पौलुस की सलाह को मानते हुए “हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्छे काम के लिये तैयार रहें। किसी को बदनाम न करें, झगड़ालू न हों, पर समझदार हों, और सब मनुष्यों के साथ पूरी कोमलता से पेश आएँ।”—तीतुस 3:1, 2, NW.
20. कोमलता दिखानेवालों को क्या इनाम मिलेगा?
20 जो कोमलता का गुण दिखाते हैं, उनके लिए ढेरों आशीषें धरी हैं। यीशु ने कहा: “धन्य हैं वे, जो नम्र [“कोमल,” NW] हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” (मत्ती 5:5) मसीह के आत्मा से अभिषिक्त भाई अगर कोमलता बनाए रखते हैं तो बेशक वे धरती पर राज्य करने का सुअवसर और आनंद पाएँगे। और ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़,” लगातार कोमलता दिखाने की वजह से फिरदौस बनी धरती पर अनंतकाल तक जीने की आशा पाती है। (यूहन्ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 7:9; भजन 37:11) क्या ही बढ़िया भविष्य! तो आइए पौलुस ने इफिसुस के मसीहियों को जो याद दिलाया, उसे हम भी कभी नज़रअंदाज़ न करें: “सो मैं जो प्रभु में बन्धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो। अर्थात् सारी दीनता और नम्रता [“कोमलता,” NW] सहित।”—तिरछे टाइप हमारे; इफिसियों 4:1, 2.
दोबारा विचार कीजिए
• कोमलता दिखाने से कौन-सी आशीषें मिलती हैं?
• परिवार में,
• क्षेत्र-सेवा में,
• कलीसिया में,
• कोमल स्वभाव रखनेवालों से किस इनाम का वादा किया गया है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 21 पर तसवीर]
जिस परिवार में सभी विश्वासी नहीं हैं, खासकर वहाँ कोमलता दिखाना बेहद ज़रूरी है
[पेज 21 पर तसवीर]
कोमलता परिवार की एकता को मज़बूत करती है
[पेज 23 पर तसवीर]
अपनी सफाई कोमलता और गहरे आदर के साथ दीजिए
[पेज 24 पर तसवीर]
सलाह देनेवाले की कोमलता, गलती करनेवाले को सुधरने में मदद दे सकती है