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जवान, जो यहोवा का मन आनंदित करते हैं

जवान, जो यहोवा का मन आनंदित करते हैं

जवान, जो यहोवा का मन आनंदित करते हैं

ये अध्ययन लेख खासकर यहोवा के साक्षियों के जवानों के लिए तैयार किए गए हैं। इसलिए सभी नौजवानों से हमारी गुज़ारिश है कि वे इन लेखों का ध्यान से अध्ययन करें और कलीसिया में प्रहरीदुर्ग अध्ययन के दौरान दिल खोलकर जवाब दें।

“हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।”—नीतिवचन 27:11.

1, 2. (क) समझाइए कि क्या संसार की चीज़ों की तरफ आकर्षित होने का मतलब यह है कि आप मसीही होने के लायक नहीं? (रोमियों 7:21) (ख) आप आसाप के उदाहरण से क्या सीखते हैं? (पेज 13 पर बक्स देखिए।)

कल्पना कीजिए कि आप अपने लिए कपड़े खरीद रहे हैं। आप अलग-अलग कपड़े देख ही रहे होते हैं कि अचानक आपकी नज़र एक ऐसे कपड़े पर पड़ती है जो आपको तुरंत भा जाता है। उसका रंग और स्टाइल बिलकुल वैसा ही है जैसा आप चाहते थे, और कपड़ा इतना महँगा भी नहीं है। लेकिन जब आप उसे करीबी से जाँचते हैं तो देखकर हैरान रह जाते हैं कि उसका किनारा बिलकुल घिसा हुआ है और सिलाई भी ठीक से नहीं की गयी है। हालाँकि कपड़ा देखने में तो बहुत आकर्षक है, मगर उसकी क्वालिटी एकदम खराब है। ऐसे हलके दर्जे के कपड़े पर क्या आप अपना पैसा खर्च करेंगे?

2 अब इस उदाहरण की तुलना एक ऐसे हालात से कीजिए जिसका सामना मसीही युवा होने के नाते आप कर सकते हैं। आपको इस संसार की चीज़ें, पहली नज़र में ही शायद उस कपड़े की तरह बेहद पसंद आ जाएँ। जैसे, आपके स्कूल के साथियों का मज़ेदार पार्टियों में जाना, उनका ड्रग्स लेना, शराब पीना, विपरीत लिंग के साथ घूमना-फिरना और शादी से पहले ही शारीरिक संबंध रखना। उनके जीने का यह तरीका, क्या कभी-कभी आपको आकर्षित करता है? क्या आपका मन भी उनकी इस झूठी आज़ादी का थोड़ा-सा मज़ा लेने के लिए मचल उठता है? अगर ऐसा है तो जल्दबाज़ी में यह मत मान लीजिए कि आप एक बुरे इंसान हैं और मसीही होने के लायक ही नहीं। खुद बाइबल इस हकीकत को मानती है कि यह संसार ज़बरदस्त तरीके से लोगों को अपनी ओर खींचता है, उन्हें भी जो परमेश्‍वर को खुश करना चाहते हैं।—2 तीमुथियुस 4:10.

3. (क) संसार की चीज़ों के पीछे भागना क्यों फज़ूल है? (ख) एक मसीही कैसे बताती है कि संसार की चीज़ों के पीछे भागना बेकार है?

3 अब ज़रा इस संसार को करीब से देखिए, ठीक जैसे आपने उस कपड़े को देखा जिसे खरीदने का आपका मन हुआ था। खुद से पूछिए, ‘इस संसार की क्वालिटी या दर्जा कैसा है?’ बाइबल बताती है कि ‘संसार मिटता जा रहा है।’ (1 यूहन्‍ना 2:17) एक व्यक्‍ति अपने सबसे अच्छे समय के दौरान जो खुशियाँ इस संसार से हासिल करता है, वे भी बस कुछ पल के लिए होती हैं। इतना ही नहीं, परमेश्‍वर के मार्गों के खिलाफ चलने पर उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। तो भला ऐसी खुशियाँ हासिल करने का क्या फायदा! एक मसीही बहन का कहना है कि “जवानी के समय का गलत तरीके से इस्तेमाल करने से उसे बहुत दर्द” सहना पड़ा। वह यह भी कहती है: “यह संसार बहुत ही लुभावना और आकर्षक लग सकता है। साथ ही, संसार आपको यह यकीन दिलाना चाहता है कि आप उसकी हर चीज़ का मज़ा बिना कोई तकलीफ उठाए ले सकते हैं। लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं होता। यह संसार बस आपका अच्छी तरह इस्तेमाल करके आपको फेंक देगा।” * तो अपनी जवानी ऐसे ओछे दर्जे की जीवन-शैली के लिए क्यों बरबाद करें?

“दुष्ट” से सुरक्षा

4, 5. (क) अपनी मौत के कुछ समय पहले यीशु ने प्रार्थना में यहोवा से क्या बिनती की? (ख) यह बिनती क्यों सही थी?

4 यहोवा के साक्षियों के जवानों ने यह बखूबी समझा है कि उन्हें इस जगत से कुछ भी अच्छी वस्तु नहीं मिल सकती, इसलिए वे इस संसार से दोस्ती नहीं करते। (याकूब 4:4) क्या आप भी उनमें से एक वफादार नौजवान हैं? अगर हाँ, तो आप तारीफ के काबिल हैं। यह सच है कि साथियों के दबाव का विरोध करना और दूसरों से अलग नज़र आना आसान नहीं है, मगर इसमें आपके लिए मदद हाज़िर है।

5 यीशु ने अपनी मौत के कुछ समय पहले यहोवा से बिनती की कि वह उस ‘दुष्ट की वजह से’ उसके चेलों पर ‘नज़र रखे।’ (यूहन्‍ना 17:15, NW) यीशु का इस तरह बिनती करना बिलकुल सही था। वह जानता था कि उसके चेलों के लिए, फिर उनकी उम्र चाहे जो हो, खराई बनाए रखना इतना आसान नहीं होगा। क्यों? इसकी एक वजह है, जैसा यीशु ने कबूल किया कि उसके चेले एक शक्‍तिशाली और अदृश्‍य दुश्‍मन, शैतान यानी इब्‌लीस का सामना करनेवाले थे, जो “दुष्ट” है। बाइबल बताती है कि यह दुष्ट आत्मिक प्राणी “गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।”—1 पतरस 5:8.

6. हम कैसे जानते हैं कि शैतान को नौजवनों से कोई हमदर्दी नहीं है?

6 इतिहास गवाह है कि इंसानों पर वहशियाना ढंग से ज़ुल्म ढाकर शैतान ने बड़ी खुशी पायी है। उसने अय्यूब और उसके परिवार पर जो भयानक विपत्तियाँ लायी थीं, ज़रा उन पर गौर कीजिए। (अय्यूब 1:13-19; 2:7) आपको शायद अपने ही समय में हुई किसी घटना की याद आए जिसे आपने कभी खबरों में पढ़ा हो और जिससे साफ पता चलता हो कि इसके पीछे शैतान की हैवानियत ही थी। शैतान शिकार की ताक में घूम रहा है और फाड़ खाने में वह जवानों पर भी किसी तरह से रहम नहीं खाता। मसलन, पहली सदी की शुरूआत में हेरोदेस ने बेतलेहेम के दो या उससे कम उम्र के सभी लड़कों की हत्या करने की साज़िश रची थी। (मत्ती 2:16) और हेरोदेस को उकसाने के पीछे शैतान का ही हाथ हो सकता था। शैतान ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह उस बच्चे को खत्म कर सके जो एक दिन परमेश्‍वर का वादा किया हुआ मसीहा बनता और उस पर परमेश्‍वर की तरफ से न्यायदंड लाता! (उत्पत्ति 3:15) यह बिलकुल साफ है कि शैतान को नौजवानों से कोई हमदर्दी नहीं है। उसका सिर्फ एक ही मकसद है, जितना हो सके उतना ज़्यादा इंसानों को फाड़ खाना। ऐसा खासकर हमारे समय में सच है क्योंकि शैतान को स्वर्ग से नीचे पृथ्वी पर फेंक दिया गया है और वह “बड़े क्रोध” में है “क्योंकि [वह] जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।”—प्रकाशितवाक्य 12:9, 12.

7. (क) यहोवा और शैतान में किस तरह ज़मीन-आसमान का फर्क है? (ख) ज़िंदगी का मज़ा लेने के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है?

7 शैतान में ‘बड़ा क्रोध’ भरा हुआ है, लेकिन उसके विपरीत यहोवा में “बड़ी करुणा” भरी है। (लूका 1:78) वह प्रेम का साक्षात्‌ रूप है। दरअसल हमारा सृष्टिकर्ता इस महान गुण को इतनी हद तक दिखाता है कि बाइबल कहती है: “परमेश्‍वर प्रेम है।” (1 यूहन्‍ना 4:8) इस संसार के ईश्‍वर में और उस परमेश्‍वर में जिसकी उपासना करने का आपको खास सम्मान मिला है, क्या ही ज़मीन-आसमान का फर्क है! शैतान फाड़ खाने की ताक में रहता है, मगर यहोवा “नहीं चाहता, कि कोई नाश हो।” (2 पतरस 3:9) यहोवा सभी इंसानों की ज़िंदगी को, जी हाँ, आपकी ज़िंदगी को भी अनमोल समझता है। जब परमेश्‍वर अपने वचन के ज़रिए सलाह देता है कि इस संसार का भाग मत बनो, तो वह किसी भी सूरत में आपकी खुशियों का गला घोंटने या आपकी आज़ादी में खलल डालने की कोशिश नहीं कर रहा। (यूहन्‍ना 15:19) इसके बजाय, वह आप पर नज़र रखे हुए है ताकि आपको उस दुष्ट से बचा सके। स्वर्ग में रहनेवाला आपका पिता चाहता है कि आपको इस संसार की पल-दो-पल की खुशियों से कहीं बढ़कर खुशी मिले। उसकी इच्छा है कि आप “सत्य जीवन” यानी इसी धरती पर बने फिरदौस में अनंत जीवन पाएँ। (1 तीमुथियुस 6:17-19) यहोवा की तमन्‍ना है कि आप कामयाब हों इसलिए वह आपको उकसाता है कि आप इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगे बढ़ते रहें। (1 तीमुथियुस 2:4) इसके अलावा, यहोवा आपको एक खास निमंत्रण देता है। वह क्या है?

“मेरा मन आनन्दित कर”

8, 9. (क) आप यहोवा को कौन-सा तोहफा दे सकते हैं? (ख) शैतान, यहोवा की निंदा कैसे करता है, जैसा अय्यूब के मामले से पता चलता है?

8 क्या आपने कभी अपने जिगरी दोस्त के लिए कोई तोहफा खरीदा है और फिर यह गौर किया है कि तोहफा मिलने पर उसका चेहरा कैसे कदरदानी और खुशी से खिल उठता है? लेकिन तोहफा देने से पहले शायद आपने यह सोचने में काफी समय बिताया होगा कि अपने दोस्त को कौन-सा तोहफा देना बिलकुल सही होगा। अब इस सवाल पर ध्यान दीजिए: अपने सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्‍वर को आप किस तरह का तोहफा दे सकते हैं? पहले तो आपको यह सवाल ही बड़ा अजीब लगे। एक मामूली इंसान सर्वशक्‍तिमान की आखिर किस ज़रूरत को पूरा कर सकता है? हम भला उसे ऐसा क्या दे सकते हैं, जो उसके पास नहीं है? नीतिवचन 27:11 में बाइबल इसका जवाब देती है: “हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।”

9 बाइबल के अपने अध्ययन से आप जान गए होंगे कि यहोवा की निंदा करनेवाला और कोई नहीं बल्कि शैतान यानी इब्‌लीस है। शैतान इस बात पर ज़ोर देता है कि जो परमेश्‍वर की सेवा करते हैं, वे प्रेम के कारण नहीं बल्कि अपने स्वार्थ के कारण ऐसा करते हैं। वह दावा करता है कि अगर इंसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूटे तो वे फौरन सच्ची उपासना छोड़ देंगे। गौर कीजिए कि शैतान ने धर्मी इंसान अय्यूब के बारे में यहोवा से क्या कहा: “क्या तू ने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बान्धा? तू ने तो उसके काम पर आशीष दी है, और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है। परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।”—अय्यूब 1:10, 11.

10. (क) हम यह कैसे जानते हैं कि शैतान ने खराई के मामले में सिर्फ अय्यूब पर ही उँगली नहीं उठायी? (ख) विश्‍व में शासन के अधिकार को लेकर उठे वाद-विषय में आप कैसे शामिल है?

10 बाइबल के इस वृत्तांत से पता चलता है कि शैतान न सिर्फ अय्यूब की बल्कि यहोवा के सभी सेवकों की वफादारी पर उँगली उठाता है। जी हाँ, आपकी वफादारी पर भी। दरअसल शैतान ने सभी इंसानों पर यह आरोप लगाते हुए यहोवा से कहा: “प्राण के बदले [सिर्फ अय्यूब ही नहीं, कोई भी] मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है।” (अय्यूब 2:4) तो क्या आप समझ पा रहे हैं कि इस अहम वाद-विषय में आपकी क्या भूमिका है? जैसा कि नीतिवचन 27:11 से ज़ाहिर होता है, यहोवा कह रहा है कि आप उसे ज़रूर कुछ दे सकते हैं। और वह है, एक ऐसा आधार ताकि यहोवा निंदा करनेवाले शैतान को उत्तर दे सके। ज़रा सोचिए, इस सारे जहान का महाराजा, दुनिया के सबसे बड़े वाद-विषय का जवाब देने में आपका साथ माँग रहा है। तो आप पर क्या ही अनोखी और बड़ी ज़िम्मेदारी है! यहोवा जो आपसे माँग रहा है, क्या आप वह दे सकते हैं? अय्यूब ने दिया। (अय्यूब 2:9, 10) यीशु ने भी दिया और सदियों से अनगिनत लोगों ने जिसमें नौजवान भी शामिल थे, दिया है। (फिलिप्पियों 2:8; प्रकाशितवाक्य 6:9) आप भी दे सकते हैं। लेकिन इस गलतफहमी में मत रहिए कि आप निष्पक्ष रहकर इस मामले में पड़ने से बच सकते हैं। दरअसल अपने काम से आप दिखाएँगे कि आप या तो निंदा करने में शैतान का साथ दे रहे हैं या शैतान को जवाब देने में यहोवा का। आप किसका साथ देना चाहेंगे?

यहोवा आपकी परवाह करता है!

11, 12. आप यहोवा की सेवा करने का चुनाव करें या ना करें, क्या इससे यहोवा को फर्क पड़ता है? समझाइए।

11 आप चाहे जो चुनाव करें क्या इससे यहोवा को कोई फर्क पड़ता है? क्या अब तक बहुत-से लोगों ने यहोवा का वफादार रहकर उसे यह मौका नहीं दे दिया है कि वह शैतान को मुँह-तोड़ जवाब दे? यह सच है कि शैतान का दावा कि कोई भी इंसान प्रेम की वजह से यहोवा की सेवा नहीं करता, अब झूठा साबित हो चुका है। लेकिन फिर भी यहोवा चाहता है कि इस वाद-विषय में आप उसका साथ दें क्योंकि उसको सचमुच आपकी परवाह है। यीशु ने कहा: “तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है यह इच्छा नहीं, कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।”—मत्ती 18:14.

12 इससे ज़ाहिर होता है कि आपके चुनाव में यहोवा को दिलचस्पी है। और सबसे अहम बात यह कि आपके चुनाव से यहोवा को फर्क पड़ता है। बाइबल यह साफ दिखाती है कि यहोवा में गहरी भावनाएँ हैं जिनकी वजह से इंसानों के अच्छे-बुरे कामों से या तो वह खुश होता है या दुःखी। मसलन, जब इस्राएलियों ने बार-बार बगावत की तो यहोवा का मन “खेदित” हुआ। (भजन 78:40, 41) नूह के दिनों में जलप्रलय आने से पहले जब “मनुष्यों की बुराई . . . बढ़ गई” थी, तो यहोवा “मन में अति खेदित हुआ।” (उत्पत्ति 6:5, 6) ज़रा सोचिए, इसका मतलब क्या है। अगर आप गलत रास्ता इख्तियार करते हैं, तो आप अपने सृष्टिकर्ता के दिल को दुःखी करते हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्‍वर कमज़ोर या जज़्बाती है बल्कि वह आपसे प्यार करता है और आपकी भलाई चाहता है। दूसरी तरफ जब आप सही काम करते हैं तो यहोवा खुश होता है। वह सिर्फ इसलिए खुश नहीं होता कि अब वह शैतान को एक और जवाब दे सकता है बल्कि इसलिए भी कि वह आपको प्रतिफल दे सकता है। और ऐसा करने की उसकी बड़ी इच्छा भी है। (इब्रानियों 11:6) वाकई यहोवा परमेश्‍वर ऐसा पिता है, जो हमसे बेइंतिहा प्यार करता है!

भरपूर आशीषें अभी

13. यहोवा की सेवा करने से आज भी किस तरह आशीषें मिलती हैं?

13 यहोवा की सेवा करने से जो आशीषें मिलेंगी, उसका फायदा सिर्फ भविष्य में ही नहीं उठाया जाएगा। यहोवा के साक्षियों में ऐसे कई नौजवान हैं जो आज भी खुशी और संतुष्टि पाते हैं, और भला क्यों न पाएँ? खुद भजनहार ने लिखा: “यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं।” (भजन 19:8) इंसानों से बढ़कर यहोवा यह जानता है कि हमारी भलाई किसमें है। भविष्यवक्‍ता यशायाह के ज़रिए यहोवा ने कहा: “मैं ही तेरा परमेश्‍वर यहोवा हूं जो तुझे तेरे लाभ के लिये शिक्षा देता हूं, और जिस मार्ग से तुझे जाना है उसी मार्ग पर तुझे ले चलता हूं। भला होता कि तू ने मेरी आज्ञाओं को ध्यान से सुना होता! तब तेरी शान्ति नदी के समान और तेरा धर्म समुद्र की लहरों के नाईं होता।”—यशायाह 48:17, 18.

14. कर्ज़े के दर्द से बचने के लिए बाइबल के सिद्धांत कैसे मदद दे सकते हैं?

14 बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीने से आप काफी हद तक दर्द और तकलीफों से बच सकते हैं। मसलन, बाइबल कहती है कि पैसों से प्यार करनेवालों ने खुद को “नाना प्रकार के दुखों से छलनी” किया है। (1 तीमुथियुस 6:9, 10) क्या आपने अपने किसी साथी को बाइबल की इस कड़वी सच्चाई का अनुभव करते देखा है? कुछ जवान पुरुष और स्त्रियाँ भारी कर्ज़ में डूब गए हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि वे सोचते थे, उनके पास फैशन डिज़ाइनर और नए-नए ब्रैंड के कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक चीज़ें होनी चाहिए। लंबे समय के लिए ऐसे भारी ब्याज में पड़ना जिसे चुकाना वाकई मुश्‍किल हो, कुछ और नहीं बल्कि एक दर्दनाक गुलामी है।—नीतिवचन 22:7.

15. बाइबल के सिद्धांत किस तरह लैंगिक अनैतिकता से उठनेवाले दर्द से बचने में मदद करते हैं?

15 लैंगिक अनैतिकता के बारे में भी ध्यान दीजिए। दुनिया भर में 20 से भी कम उम्र की इतनी कुँवारी लड़कियाँ गर्भवती होती हैं, जिनकी गिनती नहीं। कुछ लड़कियाँ, बच्चे पैदा तो कर देती हैं मगर उनकी देखभाल करने की ना उनमें इच्छा होती है, ना ही काबिलीयत। कुछ और हैं जो गर्भपात कराती हैं, जिसका नतीजा होता है कि उनका विवेक उन्हें कचोटने लगता है। फिर कुछ ऐसे जवान लड़के-लड़कियाँ भी हैं, जिन्हें लैंगिक संबंध से फैलनेवाली बीमारी लग जाती है जैसे कि एड्‌स। और जो यहोवा को जानती हैं, उनके लिए सबसे बुरा अंजाम यह होता है कि यहोवा के साथ उनके रिश्‍ते में दरार पड़ जाती है। * (गलतियों 5:19-21) इसलिए बाइबल का यह कहना कितना सही है: “व्यभिचार से बचे रहो।”—1 कुरिन्थियों 6:18.

“आनंदित परमेश्‍वर” की सेवा करना

16. (क) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा चाहता है कि हम अपनी जवानी का आनंद उठाएँ? (ख) यहोवा आपको हिदायतें क्यों देता है?

16 बाइबल कहती है कि यहोवा “आनंदित परमेश्‍वर” है। (1 तीमुथियुस 1:11, NW) वह चाहता है कि आप भी आनंद से रहें। दरअसल उसका वचन कहता है: “अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों में मगन रह।” (सभोपदेशक 11:9) यहोवा दूर की सोचता है इसलिए वह अच्छी तरह जानता है कि हम अच्छा या बुरा जो भी करते हैं, उसका हमारी पूरी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ता है। तभी वह आपको यह सलाह देता है: “अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख, इस से पहिले कि विपत्ति के दिन और वे वर्ष आएं, जिन में तू कहे कि मेरा मन इन में नहीं लगता।”—सभोपदेशक 12:1.

17, 18. एक नौजवान मसीही ने किस तरह यहोवा की सेवा में अपनी खुशी का इज़हार किया और वही खुशी आप भी कैसे पा सकते हैं?

17 आज कई नौजवानों ने यहोवा की सेवा करने में बहुत खुशी पायी है। मसलन, 15 साल की लीना कहती है: “मैं गर्व से सिर उठाकर चल सकती हूँ। क्योंकि सिगरेट और ड्रग्स से दूर रहने की वजह से मैं बिलकुल स्वस्थ हूँ। कलीसिया की तरफ से मुझे अनमोल हिदायतें मिली हैं जो शैतान के ज़बरदस्त दबाव का सामना करने में मेरी मदद करती हैं। मेरा चेहरा खुशी से चमकता है क्योंकि किंगडम हॉल में अपने भाई-बहनों की संगति से मेरा हौसला बढ़ता है। और सबसे बढ़कर मेरे पास पृथ्वी पर सदा तक जीने की एक शानदार आशा है।”

18 लीना की तरह कई मसीही, विश्‍वास की लड़ाई लड़ने के लिए कड़ा संघर्ष करते हैं और इससे उन्हें खुशी मिलती है। हालाँकि उनकी ज़िंदगी कभी-कभी चुनौतियों से भरी होती है, फिर भी वे समझते हैं कि उनकी ज़िंदगी का एक असल मकसद है और उनके सामने एक उज्ज्वल भविष्य है। इसलिए उस परमेश्‍वर की सेवा करते रहिए जो सच्चे दिल से आपकी भलाई चाहता है। उसका मन आनंदित कीजिए और वह आपको अभी और हमेशा के लिए खुशी देगा!—भजन 5:11.

[फुटनोट]

^ पैरा. 3 अक्टूबर 22, 1996 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) में लेख, “सच्चाई ने मेरी ज़िंदगी बचायी” देखिए।

^ पैरा. 15 यह जानना वाकई दिल को सुकून पहुँचाता है कि अगर एक व्यक्‍ति पश्‍चाताप करके गलत काम करना छोड़ देगा और अपने पाप कबूल करेगा तो यहोवा “पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।”—यशायाह 55:7.

क्या आपको याद है?

• “दुष्ट” शैतान से आपको किस तरह का खतरा है?

• आप कैसे यहोवा के मन को आनंदित कर सकते हैं?

• बाइबल कैसे दिखाती है कि यहोवा आपकी परवाह करता है?

• यहोवा की सेवा करने से कौन-सी आशीषें मिलती हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 13 पर बक्स/तसवीर]

एक धर्मी इंसान ठोकर खाते-खाते बचा

आसाप प्राचीन इस्राएल में, यहोवा के मंदिर में सेवा करनेवाला एक नामी लेवी संगीतकार था। उसने ऐसे भी गीत लिखे जो इस्राएलियों की सभाओं में उपासना के लिए गाए जाते थे। लेकिन इतना बड़ा सम्मान पाने के बावजूद, आसाप कुछ समय के लिए अपने साथियों के गलत चालचलन की तरफ आकर्षित हो गया था, क्योंकि उन्हें देखकर उसे लगा कि परमेश्‍वर का नियम तोड़कर भी उन्हें इसकी सज़ा नहीं मिल रही है। बाद में आसाप ने कबूल किया: “मेरे डग तो उखड़ना चाहते थे, मेरे डग फिसलने ही पर थे। क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था।”—भजन 73:2, 3.

आसाप बाद में परमेश्‍वर के मंदिर में गया और उसने इसके बारे में प्रार्थना की। एक बार फिर वह आध्यात्मिक नज़रिए से साफ-साफ देखने लगा। वह समझ गया कि यहोवा बुराई से नफरत करता है और समय आने पर दुष्ट और धर्मी दोनों वही काटेंगे जो उन्होंने बोया था। (भजन 73:17-20; गलतियों 6:7, 8) इसमें शक नहीं कि दुष्ट फिसलनेवाले स्थान पर खड़े हैं। आखिरकार, जब यहोवा इस दुष्ट जगत का नाश करेगा तो वे ज़रूर गिरेंगे।—प्रकाशितवाक्य 21:8.

[पेज 15 पर तसवीरें]

यहोवा सच्चे दिल से आपकी भलाई चाहता है, जबकि शैतान का मकसद आपको फाड़ खाना है

[पेज 16 पर तसवीर]

कई जवान, अपने मसीही भाई-बहनों के साथ मिलकर यहोवा की सेवा करने में सबसे ज़्यादा खुशी पाते हैं