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“देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है”

“देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है”

“देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है”

इन दोनों अध्ययन लेखों में दी गयी जानकारी यहोवा के करीब आओ किताब पर आधारित है। यह किताब, सन्‌ 2002/03 के दौरान दुनिया-भर में आयोजित ज़िला अधिवेशनों में रिलीज़ की गयी थी।—पेज 20 पर दिया गया लेख, “इस किताब ने मेरी प्यास बुझा दी” देखिए।

“देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे।”—यशायाह 25:9.

1, 2. (क) यहोवा ने कुलपिता इब्राहीम के बारे में क्या कहा और इससे हमारे मन में क्या सवाल उठ सकता है? (ख) बाइबल हमें कैसे यकीन दिलाती है कि परमेश्‍वर के साथ नज़दीकी रिश्‍ता कायम करना मुमकिन है?

आकाश और पृथ्वी के सिरजनहार, यहोवा ने कुलपिता इब्राहीम के बारे में कहा कि यह ‘मेरा मित्र’ है। (यशायाह 41:8, NHT) यह वाकई सोचनेवाली बात है कि एक अदना-सा इंसान, सारे जहान के मालिक यहोवा परमेश्‍वर का दोस्त बना! आप शायद सोचें कि ‘क्या मैं कभी परमेश्‍वर के इतने करीब आ सकता हूँ?’

2 बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि परमेश्‍वर के साथ एक नज़दीकी रिश्‍ता कायम करना मुमकिन है। यहोवा परमेश्‍वर ने इब्राहीम को अपना दोस्त इसलिए माना क्योंकि उसने “परमेश्‍वर पर विश्‍वास किया।” (याकूब 2:23, NHT) आज भी यहोवा “सदाचारियों को अपने मित्र बना लेता है।” (नीतिवचन 3:32, बुल्के बाइबिल) याकूब 4:8 में बाइबल हमसे ज़ोर देकर कहती है: “परमेश्‍वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा।” यह साफ दिखाता है कि अगर हम यहोवा के करीब आने के लिए कदम बढ़ाएँगे, तो वह भी हमारी तरफ कदम बढ़ाएगा। जी हाँ, वह हमारे करीब आएगा। लेकिन याकूब 4:8 में ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखे शब्दों का क्या यह मतलब है कि परमेश्‍वर के करीब आने के लिए, हम पापी और असिद्ध इंसानों को पहला कदम उठाना है? नहीं, ऐसा नहीं है। दरअसल, यहोवा के साथ नज़दीकी रिश्‍ता कायम करना इसलिए मुमकिन है क्योंकि वह पहले से ही दो ज़रूरी कदम उठा चुका है।

3. यहोवा ने कौन-से दो कदम उठाए हैं, ताकि हम उसके दोस्त बन सकें?

3 पहला, यहोवा ने यह इंतज़ाम किया कि यीशु “बहुतों की छुड़ौती के लिये अपने प्राण दे।” (मत्ती 20:28) इस छुड़ौती बलिदान की बदौलत ही हम परमेश्‍वर के करीब आ सकते हैं। बाइबल कहती है: “हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उस ने हम से प्रेम किया।” (1 यूहन्‍ना 4:19) जी हाँ, परमेश्‍वर ने ‘पहिले हम से प्रेम किया,’ इस तरह उसी ने हमारे साथ दोस्ती कायम करने की बुनियाद डाली। दूसरी बात, यहोवा ने अपने बारे में हमें जानकारी दी है। हम किसी के पक्के दोस्त तभी बन सकते हैं जब हम उसे सही मायनों में जानें, उसके अनोखे गुणों की तारीफ और कदर करें। ध्यान दीजिए कि यहोवा ने अपने बारे में जानकारी देकर हम पर कितना बड़ा एहसान किया है। अगर यहोवा एक रहस्यमयी परमेश्‍वर होता, जिसे जानना मुमकिन न हो, तो हम कभी उसके करीब नहीं आ सकते थे। लेकिन सच तो यह है कि यहोवा ने हमसे अपनी पहचान नहीं छिपायी है, बल्कि वह चाहता है कि हम उसे अच्छी तरह जान लें। (यशायाह 45:19) यहोवा ने अपने वचन, बाइबल में खुद के बारे में जानकारी इस तरह पेश की है कि हम उसे समझ पाएँ। यह दिखाता है कि वह न सिर्फ हमसे प्यार करता है बल्कि चाहता है कि हम उसे जानें और अपना पिता समझकर उसे प्यार करें।

4. जब हम यहोवा के गुणों को अच्छी तरह जानेंगे, तो हम उसके बारे में कैसा महसूस करेंगे?

4 क्या आपने कभी एक छोटे बच्चे को देखा है कि कैसे वह अपने दोस्तों को अपने पापा की पहचान कराता है? आपने गौर किया होगा कि वह अपने पापा की ओर इशारा करते हुए बड़ी मासूमियत, खुशी और गर्व के साथ कहता है कि “वो देखो, वो हैं मेरे पापा!यहोवा के बारे में उसके उपासकों को भी ऐसा ही महसूस करना चाहिए। बाइबल भविष्यवाणी करती है कि एक ऐसा समय आएगा जब वफादार लोग खुशी के मारे बोल उठेंगे: “देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है।” (यशायाह 25:8, 9) यहोवा के गुणों को हम जितनी गहराई से समझेंगे, उतना ही हम महसूस करेंगे कि उसके जैसा पिता और करीबी दोस्त कोई और हो ही नहीं हो सकता। जी हाँ, यहोवा के गुणों को समझने से हमें उसके करीब आने के बहुत-से कारण मिलेंगे। तो आइए जाँचें कि बाइबल, यहोवा के इन खास गुणों यानी शक्‍ति, न्याय, बुद्धि और प्रेम के बारे में क्या बताती है। इस लेख में हम पहले तीन गुणों पर चर्चा करेंगे।

“अति सामर्थी”

5. सिर्फ यहोवा को “सर्वशक्‍तिमान” कहना क्यों सही है और किन-किन तरीकों से वह अपनी विस्मयकारी शक्‍ति इस्तेमाल करता है?

5 यहोवा, “अति सामर्थी” परमेश्‍वर है। (अय्यूब 37:23) यिर्मयाह 10:6 कहता है: “हे यहोवा, तेरे समान कोई नहीं है; तू महान है, और तेरा नाम पराक्रम में बड़ा है।” यहोवा के जैसी ताकत किसी और प्राणी के पास नहीं है, उसके पास असीम सामर्थ है। इसलिए सिर्फ वही “सर्वशक्‍तिमान” कहलाता है। (प्रकाशितवाक्य 15:3) यहोवा, अपनी इस विस्मयकारी शक्‍ति को सृजने, नाश करने, रक्षा करने और बहाल करने के लिए इस्तेमाल करता है। अब इनमें से सिर्फ दो बातों पर गौर कीजिए—उसकी सृजने की शक्‍ति और रक्षा करने की शक्‍ति।

6, 7. सूरज में कितनी ऊर्जा है और यह किस अहम सच्चाई का सबूत देता है?

6 मान लीजिए कि गर्मी का मौसम है और आप चिलचिलाती धूप में बाहर खड़े हैं। ऐसे में आप अपनी त्वचा पर क्या महसूस करेंगे? बेशक, सूरज की गर्मी। लेकिन असल में देखें तो आप यहोवा की सृजने की शक्‍ति का नतीजा महसूस करते हैं। सूरज में कितनी ऊर्जा है? सूरज के केंद्र का तापमान लगभग 1 करोड़ 50 लाख सेंटीग्रेड है। अगर आप सूरज के उस हिस्से से सुई की नोक के आकार का एक टुकड़ा लें और इस धरती पर रखें तो इसकी झुलसानेवाली गर्मी से बचने के लिए आपको इससे 140 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा! हर सेकंड, सूरज इतनी ऊर्जा देता है जितनी ऊर्जा करोड़ों परमाणु बमों के फटने से निकलती है। मगर हमारी पृथ्वी परमाणु आग के इस विशाल भट्टे यानी सूरज से बिलकुल सही दूरी पर अपनी कक्षा में चक्कर लगाती है। अगर पृथ्वी, सूरज के थोड़ा भी पास होती तो इसका सारा पानी भाप बनकर उड़ जाता; और अगर थोड़ी दूर होती तो पानी बर्फ बन जाता। दोनों हालात में हमारे ग्रह पर जीवन संभव नहीं होता।

7 आज बहुत-से लोग सूरज के बारे में कभी गहराई से नहीं सोचते, इसके बावजूद कि वे उसी की बदौलत ज़िंदा हैं। इसलिए, सूरज हमें जो सिखा सकता है, उसे वे सीखने से चूक जाते हैं। भजन 74:16 यहोवा के बारे में कहता है: “सूर्य . . . को तू ने स्थिर किया है।” जी हाँ, सूरज से ‘आकाश और पृथ्वी के कर्त्ता’ यहोवा की महिमा होती है। (भजन 146:6) मगर सूरज तो बस सृष्टि की उन अनगिनत चीज़ों में से एक है जो हमें यहोवा की अपार शक्‍ति के बारे में सिखाती हैं। यहोवा की सृजने की शक्‍ति के बारे में हम जितना ज़्यादा सीखेंगे, उसके लिए हमारे दिल में विस्मय की भावना उतनी ही बढ़ती जाएगी।

8, 9. (क) यहोवा के कोमल रूप के बारे में बतायी कौन-सी मिसाल दिखाती है कि वह अपने उपासकों की रक्षा करने और उनकी देखभाल करने के लिए तैयार रहता है? (ख) बाइबल के ज़माने में चरवाहा, अपनी भेड़ों की कैसे देखभाल करता था, और इससे हम अपने महान चरवाहे के बारे में क्या सीखते हैं?

8 यहोवा अपनी असीम शक्‍ति को अपने सेवकों की रक्षा करने और उनकी देखभाल करने के लिए भी इस्तेमाल करता है। यहोवा ने हमारी देखभाल करने और हमें महफूज़ रखने के जो वादे किए हैं, उन्हें समझाने के लिए बाइबल में कुछ जीते-जागते उदाहरण दिए गए हैं, जो हमारे दिल को छू जाते हैं। मिसाल के लिए, यशायाह 40:11 पर गौर कीजिए। इस आयत में यहोवा अपनी तुलना एक चरवाहे से और अपने लोगों की तुलना भेड़ों से करता है। हम पढ़ते हैं: “वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।” क्या आप इस आयत में बतायी गयी बात की मन में तसवीर बना सकते हैं?

9 ऐसे जानवर बहुत कम हैं जो भेड़ की तरह लाचार और बेबस होते हैं। बाइबल के ज़माने में चरवाहे का साहसी होना ज़रूरी था क्योंकि उसे भेड़ों को भेड़िए, भालू और यहाँ तक कि शेर से भी बचाना पड़ता था। (1 शमूएल 17:34-36; यूहन्‍ना 10:10-13) लेकिन कभी-कभी उसे भेड़ की रक्षा और देखभाल करने के लिए कोमलता दिखाने की ज़रूरत पड़ती थी। उदाहरण के लिए, जब कोई भेड़, बाड़े से दूर कहीं बच्चा पैदा करती, तो चरवाहा उसके लाचार मेम्ने की कैसे हिफाज़त करता था? वह उसे अपनी “अंकवार” यानी कपड़े के ऊपर पहने लबादे की सिलवटों में रखकर चलता था। शायद उसे कई दिनों तक मेम्ने को उसी तरह लिए फिरना पड़ता था। लेकिन एक नन्हा-सा मेम्ना, चरवाहे की गोद में कैसे आता था? शायद मेम्ना खुद चरवाहे के पास आता और उसके पैर को टहोका देता था। लेकिन झुकना तो चरवाहे को ही पड़ता था, ताकि वह मेम्ने को उठाकर अपनी गोद में छिपा ले जहाँ वह हिफाज़त से रहे। इस मिसाल से हमारे महान चरवाहे, यहोवा का क्या ही कोमल रूप नज़र आता है, जो एक ढाल बनकर अपने सेवकों की रक्षा करने और उनकी देखभाल करने के लिए हमेशा तैयार रहता है!

10. आज यहोवा हमें किस तरह की रक्षा प्रदान करता है और यह क्यों ज़्यादा मायने रखती है?

10 लेकिन यहोवा ने हमारी रक्षा करने का सिर्फ वादा ही नहीं किया है बल्कि बाइबल के ज़माने में उसने बड़े ही हैरतअंगेज़ तरीकों से साबित भी किया कि वह अपने ‘भक्‍तों को परीक्षा में से निकाल लेने’ की ताकत रखता है। (2 पतरस 2:9) आज के बारे में क्या? हम जानते हैं कि आज यहोवा हमें हर तरह की विपत्ति से बचाने के लिए अपनी शक्‍ति का इस्तेमाल नहीं करता। लेकिन वह हमारी खातिर कुछ और करता है जो ज़्यादा मायने रखती है। वह आध्यात्मिक तरीके से हमारी रक्षा करता है। हमसे प्यार करनेवाला परमेश्‍वर, हमें ऐसी मदद देता है जिससे हम अपनी परीक्षाओं को सह पाएँ और उसके साथ अपने रिश्‍ते को बरकरार रखें। इस तरह वह हमें आध्यात्मिक नुकसान से बचाता है। मसलन, लूका 11:13 कहता है: “जब तुम बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।” यह महान शक्‍ति, पवित्र आत्मा हममें ऐसे ज़रूरी गुण पैदा कर सकती है जिनकी मदद से हम किसी भी परीक्षा या समस्या का सामना कर सकते हैं। (2 कुरिन्थियों 4:7) इस तरह यहोवा हमारी चंद सालों की ज़िंदगी की नहीं, बल्कि हमें मिलनेवाली हमेशा की ज़िंदगी की हिफाज़त करता है। अगर हम अपनी नज़र हमेशा की ज़िंदगी पर रखें, तो हम इस संसार में आनेवाली हर परीक्षा को “पल भर का हलका सा क्लेश” समझेंगे। (2 कुरिन्थियों 4:17) क्या हम ऐसे परमेश्‍वर की ओर खिंचे चले नहीं आते जो हमारी भलाई के लिए अपनी शक्‍ति का इस्तेमाल करता है?

‘यहोवा न्याय से प्रीति रखता है’

11, 12. (क) यहोवा का न्याय हमें उसके करीब क्यों लाता है? (ख) यहोवा के न्याय के बारे में दाऊद किस नतीजे पर पहुँचा और ईश्‍वर-प्रेरणा से कहे उसके शब्दों से हमें कैसी हिम्मत मिलती है?

11 यहोवा वही करता है जो सही और न्याय की माँग है। और ऐसा वह हमेशा करता है, वह किसी की तरफदारी नहीं करता। यहोवा न्याय करने में कठोर नहीं है कि हम उससे दूर भागने लगें, बल्कि उसका न्याय ऐसा मनभावना गुण है जो हमें उसकी तरफ खींच लाता है। बाइबल साफ-साफ बताती है कि यहोवा जिन तरीकों से यह गुण दिखाता है वे मन को भा जाते हैं। आइए हम ऐसे तीन तरीकों पर ध्यान दें।

12 सबसे पहले, यहोवा का न्याय उसे अपने सेवकों के साथ वफादारी निभाने के लिए उकसाता है। भजनहार दाऊद ने खुद महसूस किया कि परमेश्‍वर अपने न्याय के कारण कैसे वफादारी निभाता है। दाऊद, अपनी ज़िंदगी के तजुर्बे से और परमेश्‍वर के मार्गों के बारे में अध्ययन से किस नतीजे पर पहुँचा? उसने कहा: “यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्‍तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है।” (भजन 37:28) इस वादे से हमें कितनी हिम्मत मिलती है! हमारा परमेश्‍वर एक पल के लिए भी अपने वफादार सेवकों को नहीं छोड़ेगा। इसलिए हम भरोसा रख सकते हैं कि वह हमेशा हमारे करीब रहेगा और प्यार से हमारी देखभाल करता रहेगा। उसका न्याय का गुण इस बात की गारंटी देता है!—नीतिवचन 2:7, 8.

13. इस्राएलियों की कानून-व्यवस्था से कैसे ज़ाहिर होता है कि यहोवा, मुसीबत के मारों की परवाह करता है?

13 दूसरी बात यह है कि परमेश्‍वर का न्याय, दीन-दुखियों की ज़रूरतों को समझता है। यहोवा ने इस्राएल जाति को जो कानून-व्यवस्था दी, वह दिखाती है कि परमेश्‍वर मुसीबत के मारों की कितनी परवाह करता है। मसलन, व्यवस्था के तहत कुछ ऐसे इंतज़ाम किए गए थे, जिनसे अनाथों और विधवाओं की ज़रूरतें पूरी की जा सकें। (व्यवस्थाविवरण 24:17-21) यहोवा जानता था कि ऐसे परिवारों के लिए ज़िंदगी कितनी मुश्‍किल हो सकती है, इसलिए वह खुद उनका पिता, न्यायी और रक्षक बना। (व्यवस्थाविवरण 10:17, 18) उसने इस्राएलियों को चेतावनी दी कि अगर वे बेसहारा स्त्रियों और बच्चों पर अत्याचार करेंगे, तो वह उन दुःखी लोगों की दोहाई ज़रूर सुनेगा। निर्गमन 22:22-24 के मुताबिक उसने कहा: “तब मेरा क्रोध भड़केगा।” हालाँकि क्रोध, परमेश्‍वर के चार खास गुणों में से एक नहीं है, फिर भी जब कोई जानबूझकर अन्याय करता है और खासकर ऐसे लोगों पर जो दीन और बेसहारा हैं, तो धर्मी उसूलों के मुताबिक उसका क्रोध भड़क उठता है।—भजन 103:6.

14. यहोवा के पक्षपाती न होने का एक बढ़िया सबूत क्या है?

14 तीसरी बात यह है कि व्यवस्थाविवरण 10:17 में बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि यहोवा “किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।” आम तौर पर, बड़े-बड़े अधिकारी, लोगों की दौलत और उनका बाहरी रूप देखकर उनकी तरफदारी करते हैं। लेकिन यहोवा ऐसी बातों के बहकावे में नहीं आता। तरफदारी करना तो उसके स्वभाव में है ही नहीं। यहोवा के पक्षपाती न होने का एक बढ़िया सबूत यह है कि उसके सच्चे उपासक बनने और आगे चलकर अनंत जीवन पाने का मौका, उसने सिर्फ ऊँची हैसियत रखनेवाले गिने-चुने लोगों को नहीं दिया है। इसके विपरीत, प्रेरितों 10:35 कहता है: “परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” यह मौका सबके लिए है, चाहे समाज में उनका जो भी दर्जा हो और वे किसी भी रंग के हों और किसी भी देश में क्यों न रहते हों। क्या यह सच्चे न्याय की सबसे बेहतरीन मिसाल नहीं है? जी हाँ, यहोवा के न्याय की सही समझ हासिल करने से हम उसकी तरफ खिंचे चले आते हैं!

‘परमेश्‍वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’

15. बुद्धि क्या है और यहोवा कैसे यह गुण ज़ाहिर करता है?

15 जैसा रोमियों 11:33 (हिन्दुस्तानी बाइबिल) कहता है, प्रेरित पौलुस के मन ने उसे यह कहने के लिए उभारा: ‘आहा! परमेश्‍वर की बुद्धि और ज्ञान क्या ही गहरा है!’ जी हाँ, जब हम यहोवा की गहन बुद्धि के अलग-अलग पहलुओं पर मनन करते हैं, तो हमारा दिल उसके लिए श्रद्धा से उमड़ आता है। लेकिन हम बुद्धि की क्या परिभाषा दे सकते हैं? बुद्धि वह गुण है जिसमें ज्ञान, परख-शक्‍ति और समझ मिलकर काम करते हैं। यहोवा अपने बेहिसाब ज्ञान और अपनी गहरी समझ का इस्तेमाल करके, हमेशा बेहतरीन फैसले लेता है और सबसे बढ़िया तरीके से इन फैसलों को अमल में लाता है।

16, 17. यहोवा की बनायी चीज़ें उसकी गहन बुद्धि का कैसे सबूत देती हैं? एक उदाहरण बताइए।

16 यहोवा की अथाह बुद्धि के कुछ सबूत क्या हैं? भजन 104:24 कहता है: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।” सचमुच, हम यहोवा की हस्तकला के बारे में जितना ज़्यादा सीखते हैं, उसकी बुद्धि के बारे में जानकर हम उतने ही दंग रह जाते हैं। सोचिए कि वैज्ञानिकों ने यहोवा की सृष्टि के अध्ययन से कितना कुछ सीखा है! इंजीनियरी में तो एक ऐसा क्षेत्र भी है जो बायोमिमेटिक्स कहलाता है। इस अध्ययन क्षेत्र के तहत कुदरत में पायी जानेवाली डिज़ाइनों की नकल करके चीज़ें बनाने की कोशिश की जाती है।

17 मिसाल के लिए, मकड़ी के जाले की सुंदरता को देखकर शायद आप दंग रह गए होंगे। यह सचमुच एक बेमिसाल कारीगरी का सबूत है। उस जाले के कमज़ोर लगनेवाले कुछ तार, दरअसल स्टील के तारों से भी मज़बूत होते हैं, यहाँ तक कि बुलेटप्रूफ जैकेट के धागों से भी मज़बूत। आखिर, यह जाला कितना मज़बूत होता है? अगर आप मकड़ी के एक जाले को इतना बड़ा करें जितना कि नाव पर मछली पकड़ने का जाल होता है, तो यह जाला इतना मज़बूत होगा कि वह तेज़ रफ्तार से उड़नेवाले एक हवाई-जहाज़ को भी रोक सकता है! जी हाँ, यहोवा ने ऐसी सभी चीज़ों को “बुद्धि से” बनाया है।

18. यहोवा ने बाइबल को इंसानों के ज़रिए लिखवाकर कैसे अपनी बुद्धि का सबूत दिया?

18 यहोवा की बुद्धि का सबसे बड़ा सबूत उसके वचन, बाइबल में पाया जाता है। इसमें दर्ज़ की गयी बुद्धि-भरी सलाह से हम वाकई जान पाते हैं कि जीने का सबसे बेहतरीन तरीका क्या है। (यशायाह 48:17) इसके अलावा, बाइबल को जिस तरीके से लिखा गया, उसमें भी यहोवा की बेजोड़ बुद्धि नज़र आती है। वह कैसे? यहोवा ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके, बाइबल को लिखने के लिए इंसानों को चुना। अगर उसने स्वर्गदूतों से लिखवायी होती, तो क्या बाइबल के वचन हमें उतने ही आकर्षक लगते? माना कि अगर स्वर्गदूतों ने लिखा होता, तो वे अपने नज़रिए से यहोवा की शख्सियत को बहुत ही बेहतरीन तरीके से पेश करते और उसके लिए अपनी भक्‍ति ज़ाहिर करते। लेकिन क्या हम उन सिद्ध आत्मिक प्राणियों के नज़रिए को सही तरह से समझ पाते, जिनका ज्ञान, अनुभव और ताकत हमसे कई गुना श्रेष्ठ है?—इब्रानियों 2:6, 7.

19. कौन-सी मिसाल दिखाती है कि इंसानों के लिखने की वजह से बाइबल की बातें हमारे दिल की गहराई तक छू जाती हैं और हमें दिलचस्प लगती हैं?

19 इंसानों के लिखने की वजह से बाइबल की बातें हमारे दिल की गहराई तक छू जाती हैं और हमें दिलचस्प लगती हैं। इसे लिखनेवाले हमारे ही जैसे इंसान थे, उनमें हमारे ही जैसी भावनाएँ थीं। असिद्ध होने के कारण, उन्होंने भी ऐसी परीक्षाओं और दबावों का सामना किया जिनका आज हम सामना करते हैं। कुछ मामलों में, उन्होंने अपनी भावनाओं और अपने संघर्ष के बारे में लिखा। (2 कुरिन्थियों 12:7-10) इस तरह उन्होंने अपने तजुर्बे से कुछ ऐसी बातें लिखीं जो कोई भी स्वर्गदूत नहीं ज़ाहिर कर सकता। मिसाल के लिए, भजन 51 में दर्ज़ दाऊद के शब्दों पर गौर कीजिए। उस भजन के उपरिलेख के मुताबिक, दाऊद ने एक गंभीर पाप करने के बाद, इसकी रचना की थी। उसने परमेश्‍वर को अपने दिल का हाल बताया, अपने पापों के लिए गहरा दुःख ज़ाहिर किया और उससे माफी की भीख माँगी। आयत 2 और 3 कहती है: “मुझे भली भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर! मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।” आयत 5 पर ध्यान दीजिए: “देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्‍न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।” आयत 17 आगे कहती है: “टूटा मन परमेश्‍वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्‍वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।” क्या आप भी लेखक के दिल का दर्द महसूस नहीं करते? भला एक असिद्ध इंसान के सिवाय कौन अपने मन का गुबार इस तरह निकाल सकता है?

20, 21. (क) ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि बाइबल में यहोवा की बुद्धि पायी जाती है, इसके बावजूद कि उसे इंसानों ने लिखा था? (ख) अगले लेख में किस बात पर चर्चा की जाएगी?

20 दाऊद जैसे असिद्ध इंसानों का इस्तेमाल करके, यहोवा ने हमें ठीक वही चीज़ दी जिसकी हमें ज़रूरत है, एक ऐसी किताब जो “परमेश्‍वर की प्रेरणा से” रची गयी है, साथ ही इस तरह से लिखी गयी कि इंसान उसे आसानी से समझ सकें। (2 तीमुथियुस 3:16) जी हाँ, उन लेखकों ने पवित्र आत्मा का मार्गदर्शन पाकर उसे लिखा था। इसलिए बाइबल में उन्होंने अपनी नहीं बल्कि यहोवा की बुद्धि की बातें दर्ज़ कीं। उसकी बुद्धि पर पूरी तरह भरोसा किया जा सकता है। परमेश्‍वर की बुद्धि, हमारी बुद्धि से इतनी श्रेष्ठ है कि वह हमसे प्यार से आग्रह करता है: “सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।” (नीतिवचन 3:5, 6) इस बुद्धि-भरी सलाह को मानने से हम अपने सबसे बुद्धिमान परमेश्‍वर, यहोवा के करीब आएँगे।

21 यहोवा के सभी गुणों में से प्रेम, सबसे लाजवाब और मनभावना गुण है। यहोवा ने प्रेम कैसे दिखाया, इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

क्या आपको याद है?

यहोवा ने क्या कदम उठाए हैं ताकि हम उसके दोस्त बन सकें?

यहोवा की सृजने की शक्‍ति और रक्षा करने की शक्‍ति की चंद मिसालें क्या हैं?

किन तरीकों से यहोवा न्याय करता है?

यहोवा की बुद्धि, उसकी सृष्टि और बाइबल में कैसे नज़र आती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीर]

जैसे एक चरवाहा मेम्ने को अपनी गोद में लिए फिरता है, उसी तरह यहोवा अपनी भेड़ों की प्यार से देखभाल करता है

[पेज 13 पर तसवीर]

बाइबल को जिस तरीके से लिखा गया था, उसमें यहोवा की बुद्धि नज़र आती है