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यहोवा के सेवकों के पास सच्ची आशा है

यहोवा के सेवकों के पास सच्ची आशा है

यहोवा के सेवकों के पास सच्ची आशा है

‘याकूब के बचे हुए लोग बहुत राज्यों के बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस जो किसी के लिये नहीं ठहरती [“इंसान पर आशा नहीं रखती,” NW]।’मीका 5:7.

1. किस तरह आध्यात्मिक इस्राएल लोगों के लिए आशीष है?

यहोवा महान हस्ती है जिसने वर्षा और ओस को बनाया है। इंसानों से इसकी उम्मीद करना बेकार है। भविष्यवक्‍ता मीका ने लिखा: “याकूब के बचे हुए लोग बहुत राज्यों के बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस, और घास पर की वर्षा, जो किसी के लिये नहीं ठहरती [“इंसान पर आशा नहीं रखती,” NW] और मनुष्यों की बाट नहीं जोहती।” (मीका 5:7) आज कौन “याकूब के बचे हुए” लोग हैं? वे हैं, आध्यात्मिक इस्राएली यानी “परमेश्‍वर के इस्राएल” के बचे हुए लोग। (गलतियों 6:16) पृथ्वी के “बहुत लोगों” के लिए वे “यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस” और “घास पर की वर्षा” की तरह हैं जो उनको तरो-ताज़ा करती हैं। जी हाँ, आज के अभिषिक्‍त मसीही परमेश्‍वर की तरफ से इंसानों के लिए आशीष हैं। यहोवा उन्हें राज्य के प्रचारकों के तौर पर सच्ची आशा का संदेश देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

2. समस्याओं से भरे संसार में रहते वक्‍त भी हमारे पास सच्ची आशा क्यों है?

2 यह हैरानी की बात नहीं कि इस संसार के पास सच्ची आशा नहीं है। हम शैतान की गिरफ्त में पड़ी इस दुनिया से राजनीति में गड़बड़ी, आदर्शों में गिरावट, अपराध, आर्थिक संकट, आतंकवाद और युद्ध जैसी समस्याओं की ही उम्मीद कर सकते हैं। (1 यूहन्‍ना 5:19) आज बहुत-से लोग आनेवाले कल के बारे में सोचकर डरते हैं। लेकिन यहोवा के उपासक होने की वजह से हमें किसी तरह का डर नहीं है क्योंकि हमारे पास भविष्य के लिए एक पक्की आशा है। हमारी यह आशा सच्ची है क्योंकि यह परमेश्‍वर के वचन पर आधारित है। हमें यहोवा और उसके वचन पर विश्‍वास है क्योंकि यहोवा जो भी वादा करता है, वह हमेशा सच होता है।

3. (क) यहोवा ने इस्राएल और यहूदा के खिलाफ कार्यवाही करने का फैसला क्यों किया? (ख) मीका के शब्द आज हमारे दिनों में भी क्यों लागू होते हैं?

3 ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखी मीका की भविष्यवाणी यहोवा का नाम लेकर चलते रहने के लिए हमारा हौसला बढ़ाती है और सच्ची आशा रखने की वजह बताती है। जब सा.यु.पू. आठवीं सदी में मीका ने भविष्यवाणी की, उस वक्‍त परमेश्‍वर के चुने हुए लोग दो देशों में बँटे हुए थे। एक था इस्राएल और दूसरा था, यहूदा। ये दोनों देश परमेश्‍वर की वाचा को नज़रअंदाज़ कर रहे थे। नतीजा यह हुआ कि लोग बदचलनी करने लगे, चारों तरफ झूठी उपासना फैल गयी, और हद-से-ज़्यादा धन-दौलत के पीछे भागने लगे थे। इसलिए यहोवा ने उनको चेतावनी दी कि वह उनके खिलाफ कार्यवाही करेगा। यह सच है कि यहोवा की चेतावनियाँ, मीका के समय के लोगों के लिए थीं। लेकिन आज के हालात मीका के ज़माने से इतने मिलते-जुलते हैं कि मीका के ये शब्द हमारे दिनों पर भी लागू होते हैं। इस बात को हम तब और अच्छी तरह समझ सकेंगे जब हम मीका की किताब के सात अध्यायों की कुछ खास बातों पर गौर करेंगे।

मीका की किताब पर एक सरसरी नज़र

4. मीका के अध्याय 1 से 3 में कौन-सी जानकारी दी गयी है?

4 सबसे पहले, आइए हम मीका की किताब में लिखी बातों पर एक सरसरी नज़र डालें। मीका अध्याय 1 में यहोवा, इस्राएल और यहूदा की बगावत का परदाफाश करता है। अपने अपराधों की वजह से इस्राएल नाश किया जाएगा और यहूदा को ऐसी कड़ी सज़ा दी जाएगी कि उस पर आनेवाली विपत्ति का असर यरूशलेम के फाटक तक पहुँचेगा। अध्याय 2 दिखाता है कि रईस और ताकतवर इंसान कैसे दीन-दुखियों और बेबस लोगों पर ज़ुल्म ढाते हैं। लेकिन मीका, परमेश्‍वर के एक वादे के बारे में भी बताता है। परमेश्‍वर के लोग एकता में रहने के लिए इकट्ठे किए जाएँगे। मीका अध्याय 3 राष्ट्र के अगुवों और दुष्ट भविष्यवक्‍ताओं के खिलाफ यहोवा के न्यायदंड के बारे में बताता है। अगुवे नाइंसाफी कर रहे हैं और भविष्यवक्‍ता झूठा संदेश सुना रहे हैं। इन सारी बुराइयों के बावजूद, मीका को पवित्र आत्मा की मदद से इतनी हिम्मत मिलती है कि वह यहोवा की ओर से आनेवाले न्यायदंड का ऐलान कर पाता है।

5. मीका के अध्याय 4 और 5 का सार क्या है?

5 मीका अध्याय 4 में यह भविष्यवाणी की गयी है कि अंत के दिनों में सभी जातियाँ, यहोवा से सिखलाए जाने के लिए उसके ऊँचे किए गए भवन में आएँगी। साथ ही, यह बताया गया है कि इस घटना से पहले, यहूदा को बंदी बनाकर बाबुल ले जाया जाएगा, मगर फिर यहोवा उसे छुड़ा लेगा। मीका अध्याय 5 बताता है कि यहूदा के बेतलेहेम में मसीहा का जन्म होगा। वह परमेश्‍वर के लोगों का चरवाहा होगा और उन्हें ज़ुल्म ढानेवाले देशों के चंगुल से छुड़ाएगा।

6, 7. मीका की भविष्यवाणी में अध्याय 6 और 7 में कौन-से मुद्दे बताए गए हैं?

6 मीका के अध्याय 6 में बताया गया है कि यहोवा अपने लोगों के खिलाफ मुकद्दमा चलाकर उन पर क्या-क्या दोष लगाता है। यहोवा ने ऐसा क्या किया है कि उसके लोग बगावत पर उतर आए? यहोवा उनकी बगावत के लिए बिलकुल ज़िम्मेदार नहीं है। दरअसल यहोवा इंसानों से हद-से-ज़्यादा की माँग ही नहीं करता। वह चाहता है कि उसकी उपासना करनेवाले न्याय से काम करें, कृपा दिखाएँ और नम्रता से उसके साथ-साथ चलें। लेकिन ऐसा करने के बजाय इस्राएल और यहूदा ने बगावत का रास्ता अपनाया, इसलिए उन्हें अपने किए की सज़ा भुगतनी ही पड़ेगी।

7 अपनी भविष्यवाणी के आखिरी अध्याय में, मीका अपने समय के लोगों की दुष्टता की निंदा करता है। फिर भी वह हिम्मत नहीं हारता, क्योंकि उसने ठान लिया है कि वह हमेशा, यहोवा की “बाट जोहता” रहेगा। (मीका 7:7) इस किताब के आखिर में मीका यहोवा पर अपना भरोसा ज़ाहिर करता है कि वह अपनी प्रजा पर ज़रूर दया करेगा। इतिहास गवाह है कि उसकी उम्मीद पूरी हुई। सामान्य युग पूर्व 537 में जब अपने लोगों को ताड़ना देने का यहोवा का समय पूरा हुआ, तो उसने बचे हुए कुछ लोगों पर दया करके उन्हें अपने देश में बहाल किया।

8. मीका की किताब में दी गयी जानकारी का सार आप किस तरह देंगे?

8 यहोवा ने मीका के ज़रिए क्या ही बढ़िया जानकारी दी! ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखी इस किताब में दर्ज़ मिसालें हमें चेतावनी देती हैं कि यहोवा उन लोगों के साथ कैसे पेश आता है जो उसकी सेवा करने का दावा तो करते हैं मगर असल में विश्‍वासघाती होते हैं। इसमें कुछ ऐसी घटनाओं की भविष्यवाणी की गयी है जो आज पूरी हो रही हैं। और इसमें परमेश्‍वर की यह सलाह भी दर्ज़ है कि मुश्‍किलों के इस दौर में हमारा चालचलन कैसा होना चाहिए जिससे कि हमारी आशा और भी पक्की हो।

विश्‍व का सम्राट प्रभु यहोवा बोलता है

9. मीका 1:2 के मुताबिक यहोवा क्या करनेवाला था?

9 अब आइए हम मीका की किताब को और भी गहराई से जाँचें। मीका 1:2 में हम इस तरह पढ़ते हैं: “हे जाति-जाति के सब लोगो, सुनो! हे पृथ्वी तू उस सब समेत जो तुझ में हैं, ध्यान दे! और प्रभु यहोवा तुम्हारे विरुद्ध, वरन परमेश्‍वर अपने पवित्र मन्दिर में से तुम पर साक्षी दे।” अगर आप मीका के दिनों में होते, तो बेशक आपका ध्यान इन शब्दों की तरफ खिंच जाता। आखिर क्यों न खिंचता, यहोवा अपने पवित्र मंदिर से बोल रहा है और वह सिर्फ इस्राएल और यहूदा से ही नहीं बल्कि हर जगह के लोगों से बात कर रहा है। मीका के दिनों के लोग काफी समय से, विश्‍व के सम्राट प्रभु यहोवा की बात को अनसुना करते आ रहे थे। लेकिन ऐसा ज़्यादा वक्‍त तक नहीं चलनेवाला था। यहोवा ने उनके खिलाफ कार्यवाही करने की ठान ली थी।

10. मीका 1:2 के शब्द आज हमारे लिए महत्व क्यों रखते हैं?

10 आज हमारे दिनों के हालात भी वैसे ही हैं। प्रकाशितवाक्य 14:18-20 दिखाता है कि यहोवा एक बार फिर अपने पवित्र मंदिर से कुछ संदेश दे रहा है। वह बहुत जल्द सख्त कार्यवाही करेगा और फिर कुछ ऐसी खास घटनाएँ घटेंगी जो पूरी दुनिया को हिलाकर रख देंगी। इस बार, ‘सारी पृथ्वी की दुष्ट दाख लता’ को यहोवा के प्रकोप के बड़े रस कुण्ड में डाल दिया जाएगा और इस तरह शैतान की व्यवस्था को पूरी तरह कुचल दिया जाएगा।

11. मीका 1:3, 4 के शब्दों का मतलब क्या है?

11 ध्यान से सुनिए कि यहोवा क्या करने जा रहा है। मीका 1:3, 4 कहता है: “देख, यहोवा अपने पवित्रस्थान से बाहर निकल रहा है, और वह उतरकर पृथ्वी के ऊंचे स्थानों पर चलेगा। और पहाड़ उसके नीचे गल जाएंगे, और तराई ऐसे फटेंगी, जैसे मोम आग की आंच से, और पानी जो घाट से नीचे बहता है।” क्या यहोवा स्वर्ग में अपना निवासस्थान छोड़कर वादा किए गए देश के पहाड़ों और मैदानों को सचमुच रौंदता हुआ आएगा? नहीं। उसे ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है। अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए उसका इस धरती की तरफ ध्यान लगाना ही काफी है। और यहाँ जिन मुसीबतों का ब्यौरा दिया गया है, वे देश के पहाड़ों और मैदानों पर नहीं बल्कि देश के निवासियों पर आएँगी। जब यहोवा कार्यवाही करेगा, तो विश्‍वासघाती लोगों के लिए वह बहुत विनाशकारी होगा। यह ऐसा होगा मानो पहाड़, मोम की तरह पिघल गए हों और मैदान, भूकंप से फट गए हों।

12, 13. दूसरा पतरस 3:10-12 के मुताबिक किस बात से हमारी आशा पक्की होती है?

12 मीका 1:3, 4 की भविष्यवाणी शायद आपको ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखी एक और भविष्यवाणी की याद दिलाए, जिसमें पृथ्वी पर भयानक घटनाओं के होने की भविष्यवाणी की गयी है। जैसा कि 2 पतरस 3:10 में दर्ज़ है, प्रेरित पतरस ने लिखा: “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे।” मीका की भविष्यवाणी की तरह, पतरस के शब्द भी सचमुच के आकाश और पृथ्वी के बारे में नहीं बल्कि इस अधर्मी संसार पर आनेवाले बड़े क्लेश की तरफ इशारा करते हैं।

13 संसार पर आनेवाले इस संकट के बावजूद मसीही, मीका की तरह अच्छे भविष्य का पक्का यकीन रख सकते हैं। कैसे? पतरस की पत्री में आगे की आयतों में दी गयी सलाह को मानने के ज़रिए। प्रेरित लिखता है: “तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्‍ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्‍वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए।” (2 पतरस 3:11, 12) अगर हम एक आज्ञाकारी मन पैदा करें और इस बात का ध्यान रखें कि हमारा चालचलन पवित्र हो और हम भक्‍ति के काम करने में पूरी तरह लगे रहें, तो हम भविष्य के बारे में पक्की आशा रख सकते हैं। और अपनी आशा को मज़बूत करने के लिए हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यहोवा का दिन ज़रूर आएगा।

14. इस्राएल और यहूदा दंड पाने के लायक क्यों हैं?

14 यहोवा बताता है कि प्राचीन समय के उसके लोग क्यों दंड पाने के लायक हैं। मीका 1:5 कहता है: “यह सब याकूब के अपराध, और इस्राएल के घराने के पाप के कारण से होता है। याकूब का अपराध क्या है? क्या सामरिया नहीं? और यहूदा के ऊंचे स्थान क्या हैं? क्या यरूशलेम नहीं?” दरअसल, इस्राएल और यहूदा, यहोवा की बदौलत ही वजूद में हैं। फिर भी उन्होंने यहोवा के खिलाफ बगावत की है और यहाँ तक कि उनकी अपनी-अपनी राजधानी, सामरिया और यरूशलेम में भी यह बगावत देखी जा सकती है।

दुष्ट काम बढ़ते जाते हैं

15, 16. मीका के दिनों के लोग किन दुष्ट कामों के दोषी थे?

15 मीका के ज़माने में लोग कैसी दुष्टता कर रहे थे, इसकी एक मिसाल मीका 2:1, 2 में बखूबी बतायी गयी है: “हाय उन पर, जो बिछौनों पर पड़े हुए बुराइयों की कल्पना करते और दुष्ट कर्म की इच्छा करते हैं, और बलवन्त होने के कारण भोर को दिन निकलते ही वे उसको पूरा करते हैं। वे खेतों का लालच करके उन्हें छीन लेते हैं, और घरों का लालच करके उन्हें भी ले लेते हैं; और उसके घराने समेत पुरुष पर, और उसके निज भाग समेत किसी पुरुष पर अन्धेर और अत्याचार करते हैं।”

16 लालची लोग, सारी रात जागकर बस यही साज़िश रचते हैं कि अपने पड़ोसियों के खेतों और घरों को कैसे हड़प लें। और सुबह होते ही वे अपनी साज़िश को अंजाम देने निकल पड़ते हैं। अगर वे यहोवा की वाचा को याद रखते तो वे ऐसे दुष्ट काम कभी न करते। मूसा की कानून-व्यवस्था में गरीबों की हिफाज़त के लिए कुछ कानून थे। उसके तहत, एक इंतज़ाम यह था कि कोई भी परिवार विरासत में मिली अपनी ज़मीन-जायदाद को हमेशा के लिए खो नहीं सकता था। लेकिन इन लालची लोगों को इस नियम की कोई परवाह नहीं थी। उन्होंने लैव्यव्यवस्था 19:18 के इन शब्दों को नज़रअंदाज़ कर दिया था, जहाँ लिखा है: ‘अपने भाई से अपने ही समान प्रेम रखना।’

17. परमेश्‍वर के सेवक होने का दावा करनेवाले अगर धन-दौलत को जीवन में पहला स्थान दें तो क्या हो सकता है?

17 यह दिखाता है कि परमेश्‍वर के सेवक होने का दावा करनेवाले अगर आध्यात्मिक लक्ष्यों को नज़रअंदाज़ करके धन-दौलत को ज़िंदगी में पहला स्थान देने लगें, तो क्या हो सकता है। पौलुस ने अपने दिनों के मसीहियों को चेतावनी दी: “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।” (1 तीमुथियुस 6:9) जब पैसा कमाना ही एक इंसान की ज़िंदगी का खास मकसद बन जाता है तो असल में वह झूठे देवता, मैमन या धन की पूजा करने लगता है। मगर यह झूठा देवता, भविष्य के लिए कोई पक्की आशा नहीं देता।—मत्ती 6:24.

18. मीका के दिनों में जो ऐशो-आराम की चीज़ें जुटाने की धुन में लगे थे उनका क्या होनेवाला था?

18 धन पर भरोसा रखना कितना व्यर्थ है, इस सच्चाई को मीका के दिनों में बहुत-से लोगों ने ठोकर खाकर सीखा। मीका 2:4 के मुताबिक यहोवा कहता है: “उस समय यह अत्यन्त शोक का गीत दृष्टान्त की रीति पर गाया जाएगा: हम तो सर्वनाश हो गए; वह मेरे लोगों के भाग को बिगाड़ता है; हाय, वह उसे मुझ से कितनी दूर कर देता है! वह हमारे खेत बलवा करनेवाले को दे देता है।” जी हाँ, दूसरों के घरों और खेतों की चोरी करनेवाले खुद अपनी खानदानी विरासत से हाथ धो बैठेंगे। उन्हें एक पराए देश में भेज दिया जाएगा और उनकी संपत्ति को “बलवा करनेवाले” यानी दूसरी जातियों के लोग लूटकर ले जाएँगे। उन्होंने मालामाल होने के जो सपने देखे थे, वे सभी टूटकर चूर हो जाएँगे।

19, 20. यहोवा पर भरोसा रखनेवाले यहूदियों ने क्या अनुभव किया?

19 लेकिन जो लोग यहोवा पर भरोसा रखते हैं, वे कभी निराश नहीं होंगे। यहोवा, इब्राहीम और दाऊद से बांधी अपनी वाचाओं को नहीं भूला है और वह मीका जैसे लोगों पर दया करता है जो उससे प्यार करते हैं और यह देखकर दुःखी होते हैं कि उनके देश के निवासियों ने यहोवा को छोड़ दिया है। वफादार लोगों को परमेश्‍वर अपने ठहराए वक्‍त पर फिर से उनके देश में बहाल करेगा।

20 उनकी बहाली सा.यु.पू. 537 में होती है यानी बाबुल के गिरने के बाद, जब बचे हुए कुछ यहूदी अपने वतन लौटते हैं। उस वक्‍त मीका 2:12 के शब्द पहली दफा पूरे होते हैं। उस आयत में यहोवा कहता है: “हे याकूब, मैं निश्‍चय तुम सभों को इकट्ठा करूंगा; मैं इस्राएल के बचे हुओं को निश्‍चय इकट्ठा करूंगा; और बोस्रा की भेड़-बकरियों की नाईं एक संग रखूंगा। उस झुण्ड की नाईं जो अच्छी चराई में हो, वे मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचाएंगे।” यहोवा सचमुच कितना प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है! अपने लोगों को ताड़ना देने के बाद, वह उनमें से बचे हुए कुछ लोगों को उस देश में लौटने देता है जो उसने उनके पुरखों को दिया था, ताकि वे वहाँ उसकी सेवा करें।

हमारे दिनों में अनोखी समानताएँ

21. किस तरह आज के हालात मीका के दिनों की तरह हैं?

21 मीका के पहले दो अध्यायों पर चर्चा करते वक्‍त, क्या आपको इससे हैरानी नहीं हुई कि आज भी ठीक वैसे ही हालात हैं? आज भी बहुत-से लोग, परमेश्‍वर की सेवा करने का दावा करते हैं। लेकिन यहूदा और इस्राएल की तरह उनमें आपस में फूट पड़ी हुई है और उन्होंने एक-दूसरे के साथ युद्ध भी किए हैं। ईसाईजगत में बहुत-से धनवानों ने गरीबों पर अत्याचार किए हैं। आज ज़्यादा-से-ज़्यादा धर्म-गुरू उन कामों की इजाज़त देते हैं जिनकी बाइबल साफ शब्दों में निंदा करती है। तो इसमें ताज्जुब नहीं कि ईसाईजगत और ‘बड़े बाबुल’ यानी झूठे धर्म के विश्‍व साम्राज्य के बाकी हिस्से को बहुत जल्द खाक में मिला दिया जाएगा! (प्रकाशितवाक्य 18:1-5) मगर मीका के दिनों की तरह, यहोवा आज भी अपने वफादार सेवकों को बचाएगा ताकि वे धरती पर जीते रहें।

22. कौन-से दो समूह के लोगों ने परमेश्‍वर के राज्य में अपनी आशा रखी है?

22 सन्‌ 1919 में, वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों ने ईसाईजगत से पूरी तरह नाता तोड़ लिया और वे राज्य की खुशखबरी सभी देशों में सुनाने के लिए निकल पड़े। (मत्ती 24:14) सबसे पहले, उन्होंने आध्यात्मिक इस्राएल के बचे हुओं की खोज की। इसके बाद, ‘अन्य भेड़ों’ को इकट्ठा किया और ये दोनों समूह मिलकर ‘एक ही चरवाहे’ के अधीन “एक ही झुण्ड” बन गए। (यूहन्‍ना 10:16, NW) हालाँकि ये सभी वफादार उपासक आज 234 देशों में परमेश्‍वर की सेवा करते हैं, मगर वे सही मायनों में “एक संग” हैं। और अब तो भेड़ों के इस झुंड में, ‘मनुष्यों के बहुतायत के मारे कोलाहल मच’ रहा है जिसमें स्त्री-पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं। उनकी आशा इस दुनिया में जीने की नहीं बल्कि परमेश्‍वर के राज्य में जीने की है, जो बहुत जल्द धरती को फिरदौस में बदल देगा।

23. आपको क्यों पूरा भरोसा है कि आपकी आशा पक्की है?

23 यहोवा के वफादार उपासकों के बारे में मीका के अध्याय 2 की आखिरी आयत कहती है: ‘उनका राजा उनके आगे आगे जाएगा अर्थात्‌ यहोवा उनका सरदार और अगुवा है।’ क्या जीत के इस जुलूस में आप भी शामिल हैं और क्या आप अपने राजा, यीशु मसीह के पीछे-पीछे जा रहे हैं और खुद यहोवा आपके आगे-आगे है? अगर हाँ, तो यकीन रखिए कि जीत पक्की है और आपकी आशा ज़रूर पूरी होगी। हम यह बात और अच्छी तरह समझ पाएँगे, जब हम मीका की भविष्यवाणी की कुछ और खास बातों पर चर्चा करेंगे।

आप क्या जवाब देंगे?

• मीका के दिनों में यहोवा ने यहूदा और इस्राएल के खिलाफ कार्यवाही करने का फैसला क्यों किया?

• परमेश्‍वर की सेवा का दावा करनेवाले अगर ऐशो-आराम की चीज़ों को जीवन में पहला स्थान देंगे तो क्या हो सकता है?

मीका के अध्याय 1 और 2 की चर्चा करने के बाद आप क्यों यकीन करने लगे हैं कि आपकी आशा पक्की है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीर]

मीका की भविष्यवाणी हमें आध्यात्मिक रूप से मज़बूत कर सकती है

[पेज 10 पर तसवीरें]

सा.यु.पू. 537 में बचे हुए यहूदियों की तरह आज आध्यात्मिक इस्राएली और उनके साथी सच्ची उपासना को बढ़ावा दे रहे हैं