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कैसे शादी को मज़बूत करें

कैसे शादी को मज़बूत करें

कैसे शादी को मज़बूत करें

एक ऐसे मकान की कल्पना कीजिए जिसकी हालत बहुत बुरी हो चुकी है। जगह-जगह से पलस्तर उधड़ रहा है, छत टूट रही है, दीवारें काली पड़ चुकी हैं, आँगन में यहाँ-वहाँ कूड़ा-करकट जमा है। इस घर ने बरसों से कई तूफान झेले हैं और सही देखभाल न होने की वजह से इसकी हालत खस्ता हो गयी है। क्या ऐसा मकान गिरा दिया जाना चाहिए? ज़रूरी नहीं। अगर घर की नींव मज़बूत और दीवारें ठोस हैं, तो दोबारा मरम्मत करके इसकी हालत को सुधारा जा सकता है।

क्या इस मकान की हालत आपको अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी की याद दिलाती है? हो सकता है कि आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी में भी कई भयानक तूफान आए हों जिन्होंने आपके रिश्‍ते को कमज़ोर कर दिया हो। शायद कुछ हद तक यह एक की या फिर दोनों की लापरवाही की वजह से हुआ हो। और शायद आप वैसा ही महसूस करते हों जैसा सैंडी नाम की महिला करती है। शादी के 15 साल बाद उसने कहा: “हमारी शादी हुई है, इसे छोड़ हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं था जिसे हम दोनों अपना कह सकें। और इस रिश्‍ते से बंधे रहने के लिए यह वजह काफी नहीं थी।”

इसी तरह, चाहे आपकी शादीशुदा ज़िंदगी की हालत नाज़ुक हो गयी हो, फिर भी इस रिश्‍ते को खत्म कर देने के बारे में सोचना जल्दबाज़ी होगी। अब भी, आपकी ज़िंदगी में खुशियाँ लौट सकती हैं। मगर बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आज भी आप दोनों एक-दूसरे का साथ निभाने का कितना पक्का इरादा रखते हैं। एक-दूसरे का साथ निभाने का यह इरादा, मुश्‍किलों के दौर में भी आपके रिश्‍ते को कायम रख सकता है। लेकिन साथ निभाने के इरादे में क्या-क्या शामिल है? और बाइबल इस इरादे को और मज़बूत करने में कैसे हमारी मदद कर सकती है?

इसका मतलब है ज़िम्मेवार महसूस करना

कई बार, एक इंसान से नहीं बल्कि किसी चीज़ से वफादारी निभाने का पक्का इरादा किया जाता है, जैसे किसी बिज़नेस करारनामे के साथ। मिसाल के लिए, मकान बनानेवाला एक ठेकेदार वह सबकुछ बनाने के लिए ज़िम्मेवार महसूस करता है जिसके लिए उसने करारनामा किया है। वह शायद खुद उस आदमी को नहीं जानता जिसके लिए उसे मकान बनाना है। फिर भी वह अपने वादे के मुताबिक काम करने के लिए ज़िम्मेवार महसूस करता है।

हालाँकि शादी की तुलना बिजनेस के करारनामे से नहीं की जा सकती, मगर इसमें जो वादा किया जाता है उसमें भी ज़िम्मेवार महसूस करना ज़रूरी है। ज़रूर आपने और आपके साथी ने कई गवाहों के सामने परमेश्‍वर को हाज़िर-नाज़िर जानकर, मरते दम तक एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा किया होगा। यीशु ने कहा था: “जिस ने उन्हें [पुरुष और स्त्री को] बनाया, उस ने आरम्भ से नर और नारी बनाकर कहा। कि इस कारण मनुष्य अपने माता पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा।” फिर उसने आगे यह कहा: “जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।” (मत्ती 19:4-6) तो फिर जब मुसीबतें आती हैं, तब आपको और आपके साथी को यह पक्का इरादा करना चाहिए कि जो वादा आपने किया था उसका पूरा-पूरा मान रखेंगे। * एक पत्नी कहती है: “जब तक हमने तलाक की बात दिमाग से नहीं निकाली, हमारी शादी-शुदा ज़िंदगी में सुधार नहीं आया।”

लेकिन, शादी में जो वादा किया जाता है उसका मतलब सिर्फ ज़िम्मेवार महसूस करना नहीं है बल्कि इससे भी कहीं ज़्यादा है। इसमें और क्या-क्या शामिल है?

साथ-साथ काम करने से यह इरादा और भी मज़बूत होता है

साथ निभाने के वादे का यह मतलब बिलकुल नहीं कि पति-पत्नी में कभी किसी बात पर तकरार नहीं होगी। लेकिन इसका यह मतलब ज़रूर है कि जब झगड़ा हो, तो दोनों की यही कोशिश होनी चाहिए कि आपस में मामला सुलझा लें। वे ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने साथ निभाने की कसम खायी है, बल्कि इसलिए कि उनके बीच जो रिश्‍ता है वह बहुत अनमोल है। यीशु ने पति-पत्नी के रिश्‍ते के बारे में यह कहा था: “वे अब दो नहीं, परन्तु एक तन हैं।”

अपने साथी के साथ “एक तन” होने का क्या मतलब है? प्रेरित पौलुस ने लिखा कि “पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम” रखे। (इफिसियों 5:28, 29) तो “एक तन” होने का कुछ हद तक यह मतलब है कि आप अपने सुख की जितनी चिंता करते हैं उतनी ही अपने साथी के सुख की भी चिंता करें। शादी-शुदा जोड़े को अब “मैं,” “मेरा” नहीं बल्कि “हम” और “हमारा” सोचना चाहिए। एक सलाहकार लिखती हैं: “दोनों के लिए ज़रूरी है कि दिल से कुँवारे होने का ख्याल छोड़कर दिल से शादी-शुदा होने का ख्याल अपनाएँ।”

क्या आप और आपका साथी एक दूसरे से “दिल से शादी-शुदा” हैं? यह मुमकिन है कि दो लोग बरसों से साथ-साथ होने पर भी “एक तन” न हों। जी हाँ, यह हो सकता है, मगर किताब वक्‍त को मौका दें (अँग्रेज़ी) कहती है: “शादी का मतलब है अपनी ज़िंदगी का साझा करना और जितना ज़्यादा दो इंसान एक-दूसरे के साथ अपनी ज़िंदगी बाँटते हैं उनका रिश्‍ता उतना ही ज़्यादा मज़बूत होता जाएगा।”

शादी से तंग आ चुके कई जोड़े इसलिए साथ-साथ रहते हैं, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की फिक्र होती है या फिर अपनी गुज़र-बसर की चिंता। दूसरे इसलिए एक-दूसरे को बर्दाश्‍त करते हैं क्योंकि तलाक लेने के लिए उनका दिल गवारा नहीं करता या उन्हें समाज का डर होता है। हालाँकि ऐसे मामलों में साथ-साथ रह पाने के लिए इन जोड़ों की तारीफ की जाएगी, लेकिन शादी का रिश्‍ता प्यार का रिश्‍ता होना चाहिए ना कि ऐसा, जिसे बोझ समझकर सिर्फ बर्दाश्‍त किया जाए।

दूसरे की खातिर काम करना, इस इरादे को मज़बूत करता है

बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि “अन्तिम दिनों” में, लोग “अपस्वार्थी” होंगे। (2 तीमुथियुस 3:1, 2) आज जिस कदर लोग खुद से और अपनी इच्छाओं से प्यार करते हैं, वह इस भविष्यवाणी को सच साबित करता है। बहुत-से शादी-शुदा जोड़े मानते हैं कि अपने साथी से कुछ पाने की उम्मीद किए बगैर खुद को उस पर न्यौछावर कर देना कमज़ोरी की निशानी है। लेकिन जो शादी मज़बूत होती है, उसमें दोनों साथी एक-दूसरे के लिए खुद को कुरबान करने के लिए तैयार रहते हैं। आप यह जज़्बा कैसे दिखा सकते हैं?

हमेशा यह सोचते रहने के बजाय कि “इस शादी से मुझे क्या मिला है” खुद से यह पूछिए “अपने रिश्‍ते को मज़बूत करने के लिए खुद मैं क्या कर रहा हूँ?” बाइबल कहती है कि मसीहियों को “अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता” करनी चाहिए। (फिलिप्पियों 2:4) बाइबल के इस सिद्धांत को मन में रखते हुए, ज़रा सोचिए कि आपने पिछले हफ्ते क्या-क्या काम किए। उनमें से कितने काम ऐसे थे जो आपने सिर्फ अपने साथी के फायदे के लिए किए थे? जब आपका साथी आपसे बात करना चाहता था, तब क्या आपने उसकी बात सुनी—चाहे उस वक्‍त आपका बातचीत करने का बिलकुल भी मन नहीं था? आपने ऐसे कितने काम किए जिनमें आपसे ज़्यादा आपके साथी को दिलचस्पी है?

इन सवालों पर ध्यान देते वक्‍त यह मत सोचिए कि आपके अच्छे कामों को देखनेवाला कोई नहीं या उनका बदला आपको नहीं मिलेगा। एक किताब कहती है: “ज़्यादातर रिश्‍तों में प्यार और अच्छाई का बदला प्यार से ही दिया जाता है। तो फिर तन-मन से अपने साथी से प्यार कीजिए, बदले में वह भी आपको प्यार देगा और आपकी परवाह करेगा।” अगर आप खुद से बढ़कर अपने साथी की खातिर काम करेंगे, तो आपकी शादी का बंधन मज़बूत होगा और इससे ज़ाहिर होगा कि आप इस रिश्‍ते को अनमोल समझते हैं और इसे कायम रखना चाहते हैं।

इसे जीवन-भर का साथ समझना ज़रूरी है

यहोवा परमेश्‍वर वफादारी के गुण की कदर करता है। बाइबल साफ तौर पर कहती है: “वफादार के साथ तू [यहोवा] वफादारी से पेश आएगा।” (2 शमूएल 22:26, NW) यहोवा के वफादार रहने में, शादी के उस बंधन में वफादार रहना भी शामिल है जिसे उसने कायम किया है।—उत्पत्ति 2:24.

अगर आप और आपका साथी एक-दूसरे के वफादार हैं, तो आपको इस एहसास से खुशी मिलेगी कि आप कभी एक-दूसरे से जुदा नहीं होंगे। आनेवाले दिनों, महीनों यहाँ तक सालों बाद भी आप एक-दूसरे के साथ होने की उम्मीद करेंगे। एक-दूसरे से आज़ाद होने का ख्याल तक मन में नहीं आएगा और ऐसी सोच आपके रिश्‍ते की हिफाज़त करेगी। एक पत्नी कहती है: “हमारे साथ क्या हो रहा है जब यह देखकर मैं [अपने पति पर] बुरी तरह झुँझला उठती हूँ और मुझे कुछ सुझाई नहीं देता, तब भी मेरी चिंता यह नहीं होती कि हमारा रिश्‍ता टूट जाएगा। बल्कि मेरी चिंता यह होती है कि हम फिर कब पहले जैसी नज़दीकी महसूस करेंगे। हालाँकि उस वक्‍त शायद मुझे समझ न आए कि यह कैसे होगा, मगर मुझे यह यकीन होता है कि हम यह ज़रूर हासिल कर लेंगे।”

अपने साथी के साथ हमेशा तक इस रिश्‍ते को निभाने का ख्याल बेहद ज़रूरी है, मगर अफसोस कि बहुत-से रिश्‍तों में इसकी कमी होती है। जब पति-पत्नी में गरमागरम बहस छिड़ जाती है, तब एक साथी शायद यह बोल दे, “आज से हम दोनों के बीच कोई नाता नहीं!” या “मैं वहाँ जा रहा/रही हूँ, जहाँ मेरी सचमुच कदर हो!” यह सच है कि तैश में आकर कहे गए इन शब्दों का मतलब यह नहीं होता कि एक इंसान वाकई ऐसा करने जा रहा है। मगर फिर भी, बाइबल कहती है कि हमारी ज़ुबान “प्राण नाशक विष से भरी हुई है।” (याकूब 3:8) ऐसी धमकियाँ और ताने यह ज़रूर कह जाते हैं कि ‘मेरे लिए शादी ज़िंदगी भर का साथ नहीं, मैं जब चाहूँ इस बंधन को तोड़ सकता हूँ।’ शादी के रिश्‍ते के बारे में, चाहे सीधे-सीधे न सही, ऐसी बात कहना इसे बरबादी के रास्ते पर ले जा सकता है।

जब आप हमेशा साथ निभाने की बात मन में रखेंगे तो जानेंगे कि आपको सुख-दुःख दोनों में अपने साथी का साथ निभाना है। इसका एक और फायदा है। आप अपने साथी की कमियों और कमज़ोरियों को बखूबी समझ पाते हैं और आपके लिए एक-दूसरे की सहना और एक-दूसरे को माफ करना आसान हो जाता है। (कुलुस्सियों 3:13) एक किताब कहती है: “एक अच्छी शादी में यह गुँजाइश रहती है कि आप दोनों गलतियाँ करेंगे, मगर फिर भी आपका रिश्‍ता कायम रहता है।”

अपनी शादी के दिन आप दोनों ने शादी के इंतज़ाम के वफादार रहने की नहीं, बल्कि एक जीते-जागते इंसान यानी अपने साथी का हमेशा वफादार रहने की कसम खायी थी। तो आज एक शादी-शुदा इंसान के नाते आप जो सोचते और करते हैं उस पर इस सच्चाई का गहरा असर होना चाहिए। क्या आप इस बात से सहमत नहीं कि आपको अपने साथी के साथ सिर्फ इसलिए नहीं रहना चाहिए कि यह एक पवित्र बंधन है बल्कि इसलिए भी कि जिसके साथ आपने शादी है उसे आप दिलो-जान से चाहते हैं?

[फुटनोट]

^ पैरा. 7 कई मामले इतने गंभीर हो सकते हैं कि एक जोड़े के पास अलग होने की सही वजह हो सकती है। (1 कुरिन्थियों 7:10, 11. पारिवारिक सुख का रहस्य, पेज 160-1 देखिए, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।) इसके अलावा, बाइबल व्यभिचार (लैंगिक अनैतिकता) के आधार पर तलाक की इजाज़त देती है।—मत्ती 19:9.

[पेज 5 पर बक्स/तसवीर]

आप अभी क्या कर सकते हैं

अपनी शादी को कायम रखने और हमेशा तक एक-दूसरे का साथ निभाने का आपका इरादा कितना मज़बूत है? शायद आपको इस मामले में सुधार करने की ज़रूरत हो। अपने साथी का साथ निभाने का इरादा पक्का करने के लिए नीचे लिखीं बातों पर चलने की कोशिश कीजिए:

● खुद की जाँच कीजिए। खुद से यह सवाल पूछिए: ‘क्या मैं दिल से शादी-शुदा हूँ या अब भी मैं ऐसे सोचता/ती या पेश आता/ती हूँ जैसे मैं अब तक कुँवारा/री हूँ?’ अपने साथी से पूछिए कि उसके हिसाब से आप इस मामले में कैसे व्यवहार करते हैं?

● अपने साथी के साथ इस लेख को पढ़िए। उसके बाद, शांति से चर्चा कीजिए कि आप साथ निभाने के इरादे को और भी मज़बूत करने के लिए क्या कर सकते हैं।

● अपने साथी के साथ मिलकर ऐसे काम कीजिए जिससे यह रिश्‍ता और भी मज़बूत हो। मिसाल के लिए: साथ मिलकर अपनी शादी की एलबम या ऐसी दूसरी तसवीरें देखिए जो आपको खुशी के पलों की याद दिलाती हैं। शादी से पहले की मुलाकातों या शादी के शुरूआती सालों में जिन कामों में आपको मज़ा आता था उन्हें मिलकर कीजिए। साथ मिलकर प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! से वे लेख पढ़िए जो शादी के रिश्‍ते के बारे में हैं।

[पेज 6 पर बक्स/तसवीर]

शादी में साथ निभाने के वादे में ये बातें शामिल हैं . . .

ज़िम्मेदारी “जो मन्‍नत तू ने मानी हो उसे पूरी करना। मन्‍नत मानकर पूरी न करने से मन्‍नत का न मानना ही अच्छा है।”—सभोपदेशक 5:4, 5.

साथ-साथ काम करना “एक से दो अच्छे हैं, . . . क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा।”—सभोपदेशक 4:9, 10.

दूसरे की खातिर त्याग करना “लेने से देना धन्य है।”—प्रेरितों 20:35.

हमेशा साथ रहने का इरादा “प्रेम . . . सब बातों में धीरज धरता है।”—1 कुरिन्थियों 13:4, 7.

[पेज 7 पर तसवीरें]

जब आपका साथी बात करना चाहता है, तब क्या आप उसकी सुनते हैं?