एक कहानी जो हमारा विश्वास और हौसला बढ़ाती है—यूक्रेन में यहोवा के साक्षी
एक कहानी जो हमारा विश्वास और हौसला बढ़ाती है—यूक्रेन में यहोवा के साक्षी
जैसे पहली सदी में मसीहियों ने अत्याचार सहे, वैसे ही आज परमेश्वर के लोग सह रहे हैं। (मत्ती 10:22; यूहन्ना 15:20) यूक्रेन में, 52 साल तक राज्य के प्रचार पर प्रतिबंध लगा रहा। साक्षियों ने लंबे अरसे तक जितना घोर अत्याचार इस देश में झेला है, वैसा बहुत कम देशों में झेला है।
सन् 2002 इयरबुक ऑफ जेहोवाज़ विटनेसिस में, यूक्रेन में रहनेवाले परमेश्वर के लोगों की कहानी बतायी गयी है। इसमें बताया गया है कि कैसे साक्षियों ने घोर अत्याचारों के बावजूद विश्वास, हिम्मत और मज़बूती दिखायी। इस बारे में यूक्रेन के यहोवा के साक्षियों के ब्राँच ऑफिस को कदरदानी भरे खत मिले, जिनके कुछ अंश नीचे दिए हैं:
“मैंने 2002 इयरबुक पूरी पढ़ ली है। लेकिन जब मैं इस किताब में, यूक्रेन में आपके काम के बारे में पढ़ रही थी, तब मैं अपने आँसुओं को न रोक सकी। आपके जोशीले उदाहरण और मज़बूत विश्वास से मुझे कितनी हिम्मत मिली है, यही बताने के लिए मैं आपको खत लिख रही हूँ। मुझे गर्व महसूस होता है कि मैं भी उसी आध्यात्मिक परिवार का हिस्सा हूँ, जिसके आप हैं। मैं तहेदिल से आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ!”—आन्द्रे, फ्राँस।
“मैं 2002 इयरबुक के लिए आपकी और यहोवा की इतनी आभारी हूँ कि उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकती! जब मैंने उन भाइयों के अनुभव पढ़े, जिन्हें अपनी ज़िंदगी के सबसे बेहतरीन साल सलाखों के पीछे और यातना शिविरों में गुज़ारने पड़े, तो मेरे आँसू छलक पड़े। मैं उनकी हिम्मत की दाद देती हूँ! हालाँकि मैं 27 साल से एक साक्षी हूँ, लेकिन मैं अब भी उन भाई-बहनों से बहुत कुछ सीख सकती हूँ। उनकी वजह से स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता यहोवा पर मेरा विश्वास और बढ़ा है।”—व्येरा, भूतपूर्व युगोस्लाविया।
“यह पत्र लिखते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है क्योंकि विरोध के उन तमाम सालों के दौरान आप लोगों ने धीरज और वफादारी की एक बढ़िया मिसाल पेश की है। आपने यहोवा पर पूरा-पूरा भरोसा रखा और वफादार बने रहने का जो पक्का इरादा दिखाया, उससे मेरे दिल में आप लोगों के लिए इज़्ज़त और बढ़ गयी है। इसके अलावा, परीक्षाओं के दौरान आपने जो नम्रता दिखायी, उससे यहोवा पर मेरा यह भरोसा बढ़ गया है कि वह अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ता। आपने हिम्मत, दृढ़ता और डटे रहने की एक बढ़िया मिसाल पेश की है, जिससे हम अपनी छोटी-मोटी समस्याओं को शांति से कबूल करना सीखते हैं।”—तूतेरीहीआ, फ्रैंच पॉलिनेशिया।
“इयरबुक पढ़ने के बाद, मैं यह खत लिखने से खुद को रोक नहीं पायी। इसमें दिए सभी बढ़िया अनुभवों ने मेरे दिल को गहराई तक छू लिया है। मुझे फख्र है कि मैं एक ऐसे संगठन की सदस्य हूँ, जो वफादारी और एकता की डोर से बँधा है और जिसे ऐसे प्यारे और परवाह करनेवाले पिता के मार्गदर्शन से चलाया जाता है, जो हमें सही वक्त पर अपनी शक्ति देता है। इस बात से मुझे बेहद दुःख हुआ कि यहोवा के कई जोशीले और निडर सेवकों को बहुत ज़्यादा पीड़ा सहनी पड़ी, यहाँ तक कि कइयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। लेकिन मुझे खुशी भी हो रही है क्योंकि उनके साहस और जोश की वजह से कई लोगों ने सच्चाई सीखी और इस तरह हमारे प्यारे पिता को जान पाए।”—कॉलेट, नेदरलैंड्स।
“मैं और मेरी पत्नी यह बताने के लिए खत लिख रहे हैं कि इयरबुक में यूक्रेन की कहानी ने हमारा दिल छू लिया। आप वफादार भाइयों ने लंबे समय तक और नीतिवचन 27:11 में लिखे शब्दों के मुताबिक सचमुच, यहोवा को यह देखकर कितनी खुशी हुई होगी कि यूक्रेन के इतने सारे वफादार भाइयों ने शैतान के दुष्ट हथकंडों के बावजूद अपनी खराई पर आँच तक नहीं आने दी।”—एलन, ऑस्ट्रेलिया।
बेहद कठिनाइयों के दौरान धीरज की एक उम्दा मिसाल कायम की है।“जब मैंने यूक्रेन के भाइयों के बारे में पढ़ा तो मेरे आँसू बहने लगे। उन्होंने क्या-क्या नहीं सहा—बरसों कैद, यातनाएँ, अन्याय और अपने परिवार की जुदाई। मैं उन सभी भाइयों को, जो अब भी आपकी कलीसियाओं में सेवा कर रहे हैं, यह कहना चाहता हूँ कि मेरे दिल में उनके लिए बेहद प्यार और इज़्ज़त है। उनकी हिम्मत और अटल इरादे को देखकर मैं बेहद खुश हूँ। मैं यह भी जानता हूँ कि उन्हें जो ताकत मिली है, वह यहोवा की आत्मा से मिली है। यहोवा सचमुच हमारे करीब है और वह हमेशा हमारी मदद करना चाहता है।”—स्यिर्ग्ये, रूस।
“मैं 2002 इयरबुक पढ़कर रोने लगी। हमारी कलीसिया में बहुत-से भाई-बहनों ने आप लोगों के बारे में चर्चा की। आप वाकई अनमोल हैं। मैं बहुत खुश हूँ कि इस बड़े आध्यात्मिक परिवार का एक हिस्सा हूँ।”—यूनही, दक्षिण कोरिया।
“यहोवा और उसके राज्य के लिए आपने विश्वास, धीरज और अटल प्रेम की जो मिसाल कायम की है, वह मेरा दिल छू गयी है। कभी-कभी हम अपनी आज़ादी का और यहोवा की तरफ से बहुतायत में मिलनेवाले आध्यात्मिक भोजन का मोल नहीं समझते हैं। लेकिन आप लोगों के मामले में ऐसा नहीं है। विश्वास की जो मिसाल आपने कायम की है, वह हमें एहसास दिलाती है कि अगर परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत हो, तो वह हमें किसी भी परीक्षा का सामना करने की शक्ति देगा।”—पाउलू, ब्राज़ील।
“मुझे 2002 इयरबुक में आप लोगों के अनुभव पढ़ने का मौका मिला। उनका मुझ पर गहरा असर हुआ, खासकर बहन लीडीया कुरदास के अनुभव ने मेरे दिल को छू लिया। मैं खुद को उसके बहुत करीब महसूस करती हूँ।”—नीड्या, कोस्टा रिका।
“आज मैंने 2002 इयरबुक पढ़कर खत्म की। जैसे-जैसे मैं उसे पढ़ते गयी, यहोवा पर मेरा विश्वास और मज़बूत होता गया। मैं उस वृत्तांत को कभी नहीं भूल सकती जब अगुवाई करनेवालों के खिलाफ लोगों के मन में शंका के बीज बोए गए थे। उससे मैंने सीखा कि अगुवाई करनेवाले अपने भाइयों पर कभी शक नहीं करना चाहिए। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया! ऐसा आध्यात्मिक भोजन हमारे विश्वास को तो मज़बूत करता ही है, साथ ही यह हमें उस समय के लिए भी तैयार करता है, जब हमारे विश्वास की आज़माइश होगी।”—लेटीस्या, अमरीका।
“इस बेहतरीन इयरबुक के लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं। यूक्रेन के हमारे भाइयों के कामों के बारे में कई भाई-बहन पहली बार पढ़ रहे थे। इसे पढ़कर यहाँ के भाइयों का विश्वास मज़बूत हुआ है। कई लोग, खासकर जवान, सेवा में और ज़्यादा हिस्सा लेने लगे हैं। कुछ लोगों ने रेग्युलर तो कुछ ने ऑक्ज़लरी पायनियर सेवा शुरू की है। पाबंदी के दौरान भी जो भाई-बहन यहोवा की सेवा करते रहे, उनकी कहानियों से सभी लोगों का जोश बढ़ा है।”—एक कलीसिया की सर्विस कमिटी, यूक्रेन।
बेशक यूक्रेन में हमारे भाइयों की वफादारी से, दुनिया भर में यहोवा के लोगों की हिम्मत बँधी है। असल में, हर साल छपनेवाली इयरबुक के बढ़िया वृत्तांत नियमित रूप से पढ़ना, इस संकट के समय के दौरान अपना विश्वास मज़बूत करने और धीरज धरने का बढ़िया तरीका है।—इब्रानियों 12:1.