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“ताज्जुब है, मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना था!”

“ताज्जुब है, मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना था!”

राज्य उद्‌घोषक रिपोर्ट करते हैं

“ताज्जुब है, मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना था!”

डोरोटा, पोलैंड की रहनेवाली एक यहोवा की साक्षी है जो पूरे समय की सेवा करती है। हमेशा की तरह वह इस बार भी अपने 14 साल के बेटे को स्कूल के क्लिनिक में दिखाने ले गयी। डॉक्टर यानीना * ने लड़के की जाँच करते वक्‍त डोरोटा से पूछा कि वह घर पर क्या-क्या काम करता है।

डोरोटा ने जवाब दिया: “परिवार में हम छः लोगों के लिए जब भी मैं खाना नहीं बना पाती हूँ, तो मेरा यह बेटा बनाता है। वह घर की साफ-सफाई करता है और चीज़ों की मरम्मत करने में भी मदद देता है। उसे किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। वह पढ़ाई में अच्छी मेहनत करता है।”

यानीना ने कहा: “सच? मुझे तो यकीन ही नहीं होता! मैं यहाँ 12 साल से काम कर रही हूँ पर आज तक मैंने ऐसा बच्चा नहीं देखा।”

डोरोटा ने देखा कि यह डॉक्टर को गवाही देने का बढ़िया मौका है। इसलिए उसने कहा: “आज के ज़माने में ज़्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को सही ट्रेनिंग नहीं देते। यही वजह है कि बच्चों में अकसर हीनता की भावना पनपने लगती है।”

यानीना ने उससे पूछा: “मगर आपने यह सब कैसे जाना? कई माता-पिताओं को तो ऐसी बातों की ज़रा भी जानकारी नहीं होती।”

डोरोटा ने जवाब दिया: “बाइबल इस विषय पर जानकारी देनेवाली एक बढ़िया किताब है। मिसाल के लिए, व्यवस्थाविवरण 6:6-9 के मुताबिक अपने बच्चों को सिखाने के लिए, पहले हमें खुद सीखने की ज़रूरत है। क्या आपको नहीं लगता कि हम अपने बच्चों के दिलो-दिमाग में जिन आदर्शों को बिठाना चाहते हैं, वह पहले हमें अपने दिल में बिठाने चाहिए?”

यह सुनकर यानीना ने कहा: “सच पूछो तो, मुझे अपने कानों पर विश्‍वास नहीं हो रहा है!” फिर उसने डोरोटा से पूछा कि बाइबल ने उसे अपने बच्चों की परवरिश करने और उनको सिखाने में कैसे मदद दी है।

डोरोटा ने उसे बताया: “हम हर हफ्ते अपने बच्चों को बाइबल का अध्ययन कराते हैं। हम उन्हें सिखाने के लिए एक किताब का इस्तेमाल करते हैं जिसका नाम है, युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर।” * इसके बाद, डोरोटा ने उस किताब के बारे में जानकारी दी और उसमें चर्चा किए गए कुछ विषयों का ज़िक्र किया।

यानीना ने कहा: “ताज्जुब है, मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना था! क्या मैं वह किताब देख सकती हूँ?”

एक घंटे बाद, डोरोटा उसके पास वह किताब ले आयी।

यानीना ने किताब के पन्‍ने पलटते हुए पूछा: “आप किस धर्म से हैं?”

“मैं एक यहोवा की साक्षी हूँ।”

“यहोवा के साक्षी दूसरे धर्म के लोगों के साथ कैसे पेश आते हैं?”

“बिलकुल वैसे ही जैसे मैं आपके साथ पेश आती हूँ—पूरे आदर के साथ।” डोरोटा ने यह जवाब दिया और फिर कहा: “मगर हाँ, हम चाहते हैं कि दूसरे भी बाइबल की सच्चाई जानें।”

यानीना ने कबूल किया: “आपसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।”

डोरोटा ने अपनी मुलाकात के आखिर में, यानीना को बाइबल पढ़ने के लिए उकसाया। उसने यानीना से कहा: “इससे आपके जीवन को मकसद मिलेगा और आपको काम में भी मदद मिलेगी।”

यानीना ने कहा: “आपने सचमुच मेरे अंदर बाइबल पढ़ने की तमन्‍ना जगा दी।”

इस तरह डोरोटा ने अपनी व्यवहार-कुशलता और अटल इरादे से, डॉक्टर से मुलाकात करने के आम मौके का इस्तेमाल करके उसे बढ़िया गवाही दी।—1 पतरस 3:15.

[फुटनोट]

^ पैरा. 3 नाम बदल दिया गया है।

^ पैरा. 10 इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।