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परमेश्‍वर की उपासना करनेवाली अनमोल, वफादार मसीही बहनें

परमेश्‍वर की उपासना करनेवाली अनमोल, वफादार मसीही बहनें

परमेश्‍वर की उपासना करनेवाली अनमोल, वफादार मसीही बहनें

“शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी।”नीतिवचन 31:30.

1. खूबसूरती के बारे में इस दुनिया के और यहोवा के नज़रिए में क्या फर्क है?

आज की दुनिया में, रंग-रूप पर बहुत ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, खासकर स्त्रियों के रंग-रूप पर। मगर, यहोवा खासकर हमारे अंदर का इंसान देखता है जो उम्र ढलने के साथ-साथ और भी खूबसूरत होता जाता है। (नीतिवचन 16:31) इसलिए, बाइबल में स्त्रियों को सलाह दी गयी है: “तुम्हारा सिंगार दिखावटी न हो, अर्थात्‌ बाल गूंथने, और सोने के गहने, या भांति भांति के कपड़े पहिनना। बरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्‍वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।”—1 पतरस 3:3, 4.

2, 3. पहली सदी में सुसमाचार को फैलाने में स्त्रियों ने कैसी मेहनत की और कैसे इसकी भविष्यवाणी की गयी थी?

2 बाइबल में ऐसी बहुत-सी स्त्रियों का ज़िक्र है जिनकी अंदरूनी खूबसूरती काबिले-तारीफ थी। पहली सदी में, ऐसी कुछ बहनों को यीशु और उसके प्रेरितों की सेवा करने का सुनहरा मौका मिला। (लूका 8:1-3) बाद में, मसीही स्त्रियों ने पूरे जोश से प्रचार का काम किया; दूसरी कई बहनें, प्रेरित पौलुस जैसे अगुवाई करनेवाले मसीही भाइयों की बहुत मदद करती थीं; और कुछ ने तो मेहमान-नवाज़ी दिखाने में एक बेजोड़ मिसाल कायम की, यहाँ तक कि अपने घरों को कलीसिया की सभाओं के लिए खोल दिया।

3 शास्त्र में पहले ही भविष्यवाणी कर दी गयी थी कि यहोवा अपने उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए स्त्रियों को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करेगा। मिसाल के लिए, योएल 2:28,29 में भविष्यवाणी की गयी कि बूढ़े-जवान सभी उम्र के स्त्री-पुरुष, पवित्र आत्मा पाएँगे और राज्य की खुशखबरी फैलाने में हिस्सा लेंगे। यह भविष्यवाणी सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त के दिन पूरी होने लगी। (प्रेरितों 2:1-4, 16-18) आत्मा से अभिषिक्‍त कुछ स्त्रियों को चमत्कारी वरदान दिए गए, जैसे कि भविष्यवाणी करने का वरदान। (प्रेरितों 21:8, 9) वफादार बहनों की इस बड़ी, आध्यात्मिक सेना ने, जोश से प्रचार करके पहली सदी में मसीहियत को तेज़ी से फैलाने में मदद की थी। दरअसल, सा.यु. 60 के आस-पास प्रेरित पौलुस ने लिखा कि सुसमाचार का “प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्टि में किया” जा चुका है।—कुलुस्सियों 1:23.

साहस, जोश और मेहमान-नवाज़ी के लिए सराही गयीं

4. पौलुस ने किस वाजिब कारण से पहली सदी की मसीही कलीसिया में कई स्त्रियों की सराहना की?

4 प्रेरित पौलुस एक ऐसा भाई था जिसने कुछ बहनों की सेवा की बहुत कदर की—ठीक उसी तरह जैसे आज के मसीही ओवरसियर जोशीली बहनों की सेवा की कदर करते हैं। पौलुस ने कुछ स्त्रियों के नाम लेकर उनकी तारीफ की, जैसे “त्रूफैना और त्रूफोसा . . . जो प्रभु में परिश्रम करती” थीं, और “प्रिया पिरसिस . . . जिस ने प्रभु में बहुत परिश्रम किया।” (रोमियों 16:12) पौलुस ने लिखा कि यूओदिया और सुन्तुखे ने ‘उसके साथ सुसमाचार फैलाने में, परिश्रम किया’ था। (फिलिप्पियों 4:2, 3) प्रिस्किल्ला और उसका पति अक्विला, पौलुस के साथ-साथ काम करते थे। उसने और अक्विला ने पौलुस के लिए “अपना ही सिर दे रखा था।” इसलिए, दिल से एहसान मानते हुए पौलुस ने उनके बारे में लिखा: “केवल मैं ही नहीं, बरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।”—रोमियों 16:3, 4; प्रेरितों 18:2.

5, 6. प्रिस्किल्ला ने आज की बहनों के लिए किन मामलों में एक बढ़िया मिसाल कायम की?

5 प्रिस्किल्ला के जोश और हिम्मत की वजह क्या थी? प्रेरितों 18:24-26 से हमें इसका एक सुराग मिलता है। वहाँ लिखा है कि अपुल्लोस नाम के एक कुशल वक्‍ता को सच्चाई के बारे में नयी-से-नयी जानकारी देने में, प्रिस्किल्ला ने अपने पति की मदद की। यह दिखाता है कि प्रिस्किल्ला, परमेश्‍वर के वचन का और प्रेरितों की शिक्षाओं का दिल लगाकर अध्ययन करती थी। इसलिए, वह अपने अंदर ऐसे उम्दा गुण पैदा कर पायी जिसकी वजह से परमेश्‍वर और अपने पति की नज़र में वह अनमोल थी और पहली सदी की कलीसिया के लिए एक आशीष साबित हुई। ऐसी ही अनमोल आज हमारी कई मसीही बहनें हैं जो बड़ी मेहनती हैं, मन लगाकर बाइबल का अध्ययन करती हैं और ‘विश्‍वास-योग्य भण्डारी’ के ज़रिए यहोवा जो आध्यात्मिक भोजन देता है उसे लेती हैं।—लूका 12:42.

6 अक्विला और प्रिस्किल्ला मेहमाननवाज़ी दिखाने में सबसे आगे थे। कुरिन्थ में पौलुस उन्हीं के घर पर रुका हुआ था और उनके साथ तंबू बनाने का काम करता था। (प्रेरितों 18:1-3) जब ये दोनों पति-पत्नी इफिसुस में और बाद में रोम में जा बसे, तो वहाँ भी वे मेहमान-नवाज़ी का मसीही गुण दिखाते रहे, यहाँ तक कि उन्होंने अपना घर कलीसिया की सभाओं के लिए खोल दिया। (प्रेरितों 18:18, 19; 1 कुरिन्थियों 16:8, 19) नुमफास और यूहन्‍ना मरकुस की माँ मरियम ने भी अपने-अपने घर कलीसिया की सभाओं के लिए खोल दिए थे।—प्रेरितों 12:12; कुलुस्सियों 4:15.

आज एक अनमोल धन

7, 8. आज की बहुत-सी मसीही बहनों ने पवित्र सेवा करने में कैसा बढ़िया रिकॉर्ड कायम किया है, और उन्हें किस बात का यकीन दिलाया जा सकता है?

7 पहली सदी की तरह, आज भी वफादार मसीही बहनें परमेश्‍वर का उद्देश्‍य पूरा करने में ज़बरदस्त भाग अदा कर रही हैं, खासतौर पर प्रचार के काम में। इन बहनों ने क्या ही बेहतरीन रिकॉर्ड बनाया है! ग्वेन की मिसाल लीजिए। वह सन्‌ 2002 में अपनी मौत तक वफादारी से यहोवा की सेवा करती रही, उसने 50 से ज़्यादा साल तक यह काम किया। उसका पति कहता है: “हमारे शहर में, प्रचार के लिए ग्वेन के जोश की चर्चा घर-घर में होती थी। उसके लिए हर इंसान ऐसा था, जो यहोवा का प्यार पा सकता था और आगे चलकर उसके वादे पूरे होते देख सकता था। परमेश्‍वर, उसके संगठन और हमारे परिवार के लिए उसकी वफादारी की वजह से वह मेरे और बच्चों के लिए बहुत बड़ा सहारा थी। हम जब निराश होते तो वह बड़े प्यार से हमारा हौसला बढ़ाती। उसके साथ हमने ज़िंदगी के जो साल बिताए वे बहुत बढ़िया और खुशियों-भरे थे। हम उसकी कमी बेहद महसूस करते हैं।” ग्वेन और उसके पति ने शादी-शुदा ज़िंदगी के 61 साल साथ-साथ बिताए थे।

8 हज़ारों की तादाद में कुँवारी और शादी-शुदा मसीही बहनें, पायनियर और मिशनरी बनकर सेवा करती हैं। वे ज़िंदगी की बुनियादी चीज़ों से संतुष्ट हैं और हर जगह राज्य का संदेश फैलाती हैं, चाहे वे खचाखच भरे शहर हों या वीरान इलाके। (प्रेरितों 1:8) कई बहनों ने किसी एक जगह घर बसाकर रहने या बच्चे पैदा करने की इच्छा त्याग दी ताकि वे अपना पूरा ध्यान यहोवा की सेवा में लगा सकें। ऐसी बहनें हैं जो सफरी ओवरसियर का काम करनेवाले अपने पति के साथ-साथ सेवा करती हैं और उन्हें मदद देती हैं। और हज़ारों बहनें दुनिया भर के बेथेल घरों में सेवा करती हैं। यकीनन, त्याग की भावना दिखानेवाली ये बहनें, ‘सारी जातियों की उन मनभावनी वस्तुओं’ में गिनी जाती हैं जो यहोवा के भवन को महिमा से भर रही हैं।—हाग्गै 2:7.

9, 10. मसीही पत्नियों और माँओं के लिए, उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने कैसे कदरदानी ज़ाहिर की है?

9 बेशक, ऐसी बहुत-सी मसीही बहनें भी राज्य के काम को आगे रखती हैं जिन पर परिवार की देखभाल की ज़िम्मेदारियाँ हैं। (मत्ती 6:33) पायनियर सेवा करनेवाली एक अविवाहित बहन ने लिखा: “खासकर माँ के अटल विश्‍वास और बढ़िया मिसाल की वजह से, मुझे रेग्युलर पायनियर बनने की प्रेरणा मिली। दरअसल, वो मेरी सबसे बढ़िया पायनियर पार्टनर थी।” एक पति अपनी पत्नी की, जो पाँच जवान बेटियों की माँ भी है, तारीफ में कहता है: “बॉनी घर को हमेशा साफ-सुथरा रखती थी। उसने घर में बहुत ज़्यादा सामान इकट्ठा नहीं किया, ताकि हमारा परिवार आध्यात्मिक बातों पर पूरा ध्यान दे सके। वह बहुत सोच-समझकर घर का खर्च चलाती थी, और इस वजह से मैं 32 साल तक सिर्फ पार्ट-टाइम काम करके घर चला सका। इस तरह मैं अपने परिवार और आध्यात्मिक कामों के लिए ज़्यादा वक्‍त दे पाता था। मेरी पत्नी ने बच्चों को कड़ी मेहनत करने की अहमियत भी सिखायी। मैं उसकी जितनी तारीफ करूँ कम है।” आज बॉनी और उसका पति दोनों यहोवा के साक्षियों के मुख्यालय में सेवा कर रहे हैं।

10 एक जोड़ा और है जिनके बच्चे बड़े हो चुके हैं। पति अपनी पत्नी के बारे में कहता है: “सूज़न के जिन गुणों को मैं सबसे ज़्यादा पसंद करता हूँ वे हैं, परमेश्‍वर और लोगों के लिए उसका गहरा प्यार, और उसकी समझदारी, हमदर्दी और ईमानदारी। वह हमेशा से यह मानती आयी है कि यहोवा हमसे अच्छे-से-अच्छा पाने का हकदार है, और वह न सिर्फ परमेश्‍वर की सेवा में बल्कि एक माँ की ज़िम्मेदारी निभाने में भी इस उसूल पर चलती आयी है।” अपनी पत्नी की मदद की वजह से, यह भाई बहुत-सी आध्यात्मिक ज़िम्मेदारियाँ कबूल कर पाया है। वह एक प्राचीन, पायनियर, सबस्टिट्यूट सर्किट ओवरसियर और अस्पताल संपर्क समिति के एक सदस्य के नाते सेवा कर पाया है। ऐसी स्त्रियाँ अपने पतियों, मसीही भाई-बहनों और सबसे बढ़कर यहोवा के लिए क्या ही अनमोल हैं!—नीतिवचन 31:28, 30.

पति के बिना जीनेवाली अनमोल स्त्रियाँ

11. (क) यहोवा ने कैसे दिखाया है कि उसे वफादार बहनों, खासकर विधवाओं की चिंता है? (ख) बहनें जो विधवा हैं और दूसरी वफादार बहनें जिन्हें पति का सहारा नहीं है, वे किस बात का यकीन रख सकती हैं?

11 यहोवा ने बार-बार ज़ाहिर किया कि उसे विधवाओं के भले की चिंता रहती है। (व्यवस्थाविवरण 27:19; भजन 68:5; यशायाह 10:1, 2) वह बदला नहीं है। वह आज भी न सिर्फ विधवाओं में, बल्कि अकेली माँओं में और उन बहनों में गहरी दिलचस्पी रखता है जो अपनी मरज़ी से कुँवारी हैं या जो शादी करना चाहती हैं, मगर उन्हें सही किस्म का मसीही पति नहीं मिला है। (मलाकी 3:6; याकूब 1:27) अगर आप एक ऐसी बहन हैं जो पति के सहारे के बिना भी, वफादारी से यहोवा की सेवा करती हैं, तो आप यकीन रख सकती हैं कि परमेश्‍वर की नज़र में आप अनमोल हैं।

12. (क) कुछ मसीही बहनें, यहोवा के लिए वफादारी कैसे दिखाती हैं? (ख) हमारी कुछ बहनें कैसी भावनाओं का सामना कर रही हैं?

12 हमारी उन बहनों की मिसाल लीजिए, जिन्होंने इसलिए शादी नहीं की, क्योंकि वे “केवल प्रभु में” शादी करने की यहोवा की सलाह को वफादारी से मानती हैं। (1 कुरिन्थियों 7:39; नीतिवचन 3:1) परमेश्‍वर का वचन उन्हें यकीन दिलाता है: “किसी वफादार के साथ [यहोवा] वफादारी से पेश आएगा।” (2 शमूएल 22:26, NW) फिर भी, उनमें से बहुतों के लिए कुँवारी रहना बहुत मुश्‍किल होता है। एक बहन कहती है: “मैंने यह पक्का फैसला किया कि शादी करूँगी तो सिर्फ प्रभु में, मगर मैंने यह देख-देखकर बहुत आँसू बहाए हैं कि मेरी सहेलियों को अच्छे-अच्छे मसीही पति मिल चुके हैं, लेकिन मैं अब भी अकेली हूँ।” एक और बहन कहती है: “मैं 25 साल से यहोवा की सेवा कर रही हूँ। मेरा यही इरादा है कि उसकी वफादार रहूँ, मगर अकेलेपन की भावना मुझे अकसर रुला देती है।” वह आगे कहती है: “मुझ जैसी बहनें किसी के मुँह से हौसला बढ़ानेवाले शब्द सुनने को तरसती हैं।” ऐसी वफादार बहनों की हम कैसे मदद कर सकते हैं?

13. (क) यिप्तह की बेटी से जो स्त्रियाँ मिलने जाती थीं, उनकी मिसाल से हम क्या सीखते हैं? (ख) और किन तरीकों से हम अपनी कलीसिया की कुँवारी बहनों के लिए परवाह दिखा सकते हैं?

13 हम एक प्राचीन उदाहरण से, ऐसी बहनों का हौसला बढ़ाने का एक तरीका सीख सकते हैं। जब यिप्तह की बेटी ने शादी करने का अपना हक कुर्बान कर दिया, तो लोगों को महसूस हुआ कि उसने कितना बड़ा त्याग किया है। उसका हौसला बढ़ाने के लिए क्या किया गया? “इस्राएली स्त्रियां प्रतिवर्ष यिप्तह गिलादी की बेटी का यश गाने को वर्ष में चार दिन तक जाया करती थीं।” (तिरछे टाइप हमारे; न्यायियों 11:30-40) उसी तरह, आज हमें भी उन कुँवारी बहनों की दिल से तारीफ करनी चाहिए और उनका हौसला बढ़ाना चाहिए, जो वफादारी से परमेश्‍वर का कानून मानती हैं। * और किस तरीके से हम इन बहनों के लिए परवाह दिखा सकते हैं? अपनी प्रार्थनाओं में, हमें यहोवा से बिनती करनी चाहिए कि ऐसी प्यारी, विश्‍वासयोग्य बहनों को वह सहारा दे ताकि वे वफादार रहकर उसकी सेवा करती रहें। वे यह यकीन दिलाए जाने की हकदार हैं कि यहोवा और पूरी मसीही कलीसिया उन्हें बहुत चाहते हैं और उनको बेहद अनमोल समझते हैं।—भजन 37:28.

अकेली माँएं कैसे कामयाब होती हैं

14, 15. (क) जो मसीही बहनें अकेली माँएं हैं, उन्हें मदद के लिए क्यों यहोवा को पुकारना चाहिए? (ख) अकेली माँएं अपनी प्रार्थनाओं के मुताबिक क्या कर सकती हैं?

14 जो मसीही बहनें अकेले अपने बच्चों की परवरिश करती हैं, वे भी कई चुनौतियों का सामना करती हैं। लेकिन, वे बाइबल के उसूलों के मुताबिक अपने बच्चों की परवरिश करने के लिए यहोवा से मदद माँग सकती हैं। यह सच है कि अगर आप अकेले बच्चों की परवरिश करती हैं, तो आप माँ और बाप दोनों की ज़िम्मेदारी को हर तरह से पूरा नहीं कर सकतीं। फिर भी, अगर आप पूरा विश्‍वास रखते हुए यहोवा से गुज़ारिश करें, तो वह आपको अपनी ढेरों ज़िम्मेदारियाँ निभाने में ज़रूर मदद देगा। आइए एक उदाहरण लें: मान लीजिए कि आपके पास राशन से भरा हुआ एक भारी थैला है, और आप इसे अपने घर तक ले जाना चाहती हैं। आपका घर एक बहुत ही ऊँची बिल्डिंग में कई मंज़िल ऊपर है। अगर लिफ्ट पास में हो, तो क्या आप सीढ़ियों से चढ़ने की ज़हमत उठाएँगीं? हरगिज़ नहीं! उसी तरह, आप अकेले ही मन में ऐसा भारी बोझ उठाए मत चलिए, जबकि आप यहोवा से मदद माँग सकती हैं। दरअसल, वह आपको उससे बात करने का न्यौता देता है। भजन 68:19 कहता है: “धन्य है प्रभु [यहोवा], जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्त्ता ईश्‍वर है।” (तिरछे टाइप हमारे।) यही बात 1 पतरस 5:7 में भी कही गयी है जहाँ आपको यहोवा पर अपनी सारी चिंताएँ डालने का न्यौता दिया गया है, “क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।” इसलिए जब समस्याओं और चिंताओं के भार से आप दब जाती हैं, तो स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता पर सारा बोझ डाल दीजिए, और ऐसा “निरन्तर” करती रहिए।—1 थिस्सलुनीकियों 5:17; भजन 18:6; 55:22.

15 मिसाल के लिए, अगर आप एक माँ हैं, तो बेशक आपको यह चिंता सता रही होगी कि स्कूल जानेवाले आपके बच्चों पर उनके हमउम्र साथियों का कैसा असर होगा या उन्हें खराई की कैसी परीक्षाओं का सामना करना पड़ेगा। (1 कुरिन्थियों 15:33) ऐसी चिंता करना जायज़ है। मगर इनके बारे में हमें प्रार्थना भी करनी चाहिए। दरअसल, बच्चों के स्कूल जाने से पहले क्यों न आप उनके साथ मिलकर इन मामलों के बारे में प्रार्थना करें? और ऐसी प्रार्थना शायद आप दिन के वचन पर चर्चा करने के बाद कर सकती हैं। दिल की गहराइयों से और खास मामलों पर की गयी प्रार्थनाएँ, आपके बच्चों के दिमाग पर गहरी छाप छोड़ सकती हैं। सबसे बढ़कर, जब आप बड़े सब्र के साथ अपने बच्चों के दिलों में परमेश्‍वर का वचन बिठाने की कोशिश करती हैं, तो मानो आप यहोवा की आशीषों को बुलावा दे रही होती हैं। (व्यवस्थाविवरण 6:6,7; नीतिवचन 22:6) मत भूलिए, यहोवा “की आंखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं।”—1 पतरस 3:12; फिलिप्पियों 4:6, 7.

16, 17. (क) अपनी माँ के प्यार के बारे में एक बेटे ने क्या कहा? (ख) माँ के आध्यात्मिक नज़रिए का बच्चों पर कैसा असर हुआ?

16 ओलिवीया की मिसाल लीजिए, जो छः बच्चों की माँ है। उसका पति सच्चाई में नहीं था और वह आखिरी बच्चे के जन्म के फौरन बाद परिवार को छोड़कर चला गया। मगर ओलिवीया ने आगे बढ़कर अपने बच्चों को परमेश्‍वर की राहों के मुताबिक तालीम देने की ज़िम्मेदारी सँभाली। ओलिवीया का बेटा, डारन जो अब 31 साल का है और मसीही प्राचीन और एक पायनियर बनकर सेवा कर रहा है, उस वक्‍त सिर्फ 5 साल का था। डारन की सेहत बचपन में बहुत खराब हो गयी, जिससे ओलिवीया की चिंताएँ और बढ़ गयी थीं। आज भी डारन उस तकलीफ से जूझ रहा है। अपने बचपन को याद करते हुए, डारन लिखता है: “मुझे अब भी याद है, मैं अस्पताल में बिस्तर पर बैठा बड़ी बेसब्री से मम्मी का इंतज़ार करता था। वह आकर मेरे पास बैठती और हर दिन मुझे बाइबल पढ़कर सुनाती। फिर वह मुझे यह भजन सुनाती, “वी थैंक्यू यू, जिहोवा” (“एहसान तेरा मानते, यहोवा”) * आज तक वह मेरा सबसे पसंदीदा भजन है।”

17 ओलिवीया, यहोवा पर भरोसा रखती थी और उससे प्यार करती थी, इसीलिए वह अकेली होकर भी माँ की ज़िम्मेदारी निभाने में कामयाब हो पायी। (नीतिवचन 3:5, 6) उसका बढ़िया रवैया इस बात से ज़ाहिर हुआ कि उसने अपने बच्चों के सामने कैसे लक्ष्य रखे। डारन कहता है: “मम्मी हमें पूरे समय की सेवा का लक्ष्य पाने के लिए हमेशा उकसाया करती थीं। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरी पाँच बहनों में से चार ने और खुद मैंने पूरे समय की सेवा शुरू की। ऐसा होने पर भी, मम्मी ने कभी इस बारे में दूसरों के सामने डींगें नहीं मारीं। मैं बड़ी कोशिश करता हूँ कि उनके जैसे बढ़िया गुण अपने अंदर पैदा कर पाऊँ।” यह सच है कि सभी बच्चे बड़े होकर परमेश्‍वर की सेवा इस तरीके से नहीं करते, जैसे ओलिवीया के बच्चों ने की। मगर जब एक माँ बाइबल के उसूलों पर चलने की पूरी कोशिश करती है, तब वह इस बात का यकीन रख सकती है कि यहोवा उसे राह दिखाएगा और बड़े प्यार से सहारा देगा।—भजन 32:8.

18. यहोवा ने मसीही कलीसिया का जो इंतज़ाम किया है, उसके लिए हम कैसे कदरदानी दिखा सकते हैं?

18 यहोवा हमें ज़्यादातर मसीही कलीसिया के ज़रिए सहारा देता है, क्योंकि इस कलीसिया में आध्यात्मिक भोजन देने का नियमित कार्यक्रम होता है, हमारे मसीही भाई होते हैं और आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ ‘मनुष्यों में दान’ होते हैं। (इफिसियों 4:8) वफादार प्राचीन, कड़ी मेहनत करते हैं ताकि कलीसिया में सभी का हौसला बँधाए और “अनाथों और विधवाओं के क्लेश में” उनकी ज़रूरतों पर खास ध्यान दे सकें। (याकूब 1:27) इसलिए, यहोवा के लोगों के करीब रहिए और कभी खुद को उनसे अलग मत कीजिए।—नीतिवचन 18:1; रोमियों 14:7.

अधीनता का लाजवाब गुण

19. क्यों पत्नी की अधीनता का यह मतलब नहीं कि वह कम दर्जे की है, और बाइबल की कौन-सी मिसाल इसका सबूत देती है?

19 यहोवा ने स्त्री को पुरुष की संगिनी होने के लिए बनाया था। (उत्पत्ति 2:18) इसलिए, पति के अधीन रहने का मतलब यह नहीं कि पत्नी का दर्जा उससे कम है। इसके बजाय, इससे एक स्त्री का गौरव बढ़ता है और उसे अपने हुनर और अपनी काबिलीयतों को परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक इस्तेमाल करने का मौका मिलता है। नीतिवचन अध्याय 31 बताता है कि प्राचीन इस्राएल में एक काबिल पत्नी कैसे-कैसे काम करती थी। वह ज़रूरतमंदों की मदद करती, दाख की बारियाँ लगाती और ज़मीन खरीदती थी। जी हाँ, “उसके पति के मन में उसके प्रति विश्‍वास है, और उसे लाभ की घटी नहीं” हुई।—आयतें 10ख, 11, 16, 20.

20. (क) परमेश्‍वर की तरफ से मिले वरदानों या काबिलीयतों के बारे में एक मसीही स्त्री को कैसा नज़रिया रखना चाहिए? (ख) एस्तेर ने कौन-से उम्दा गुण ज़ाहिर किए, और इस वजह से यहोवा उसे कैसे इस्तेमाल कर पाया?

20 अपनी मर्यादा में रहनेवाली और परमेश्‍वर का भय माननेवाली स्त्री, अपने पति से होड़ नहीं लगाती, ना ही उससे आगे बढ़ने की कोशिश करती है। (नीतिवचन 16:18) वह दुनियावी कामों में लगकर अपनी ख्वाहिशें पूरी करने में नहीं डूबी रहती, बल्कि परमेश्‍वर ने उसे जो हुनर दिए हैं उन्हें वह दूसरों की सेवा करने के लिए, यानी अपने परिवार, मसीही भाई-बहनों, पड़ोसियों और सबसे बढ़कर यहोवा की सेवा के लिए इस्तेमाल करती है। (गलतियों 6:10; तीतुस 2:3-5) बाइबल में रानी एस्तेर की मिसाल पर गौर कीजिए। हालाँकि वह बेहद खूबसूरत थी, फिर भी वह अपनी मर्यादा जानती थी और अधीनता में रहती थी। (एस्तेर 2:13, 15) जब उसकी शादी हुई, तो उसने अपने पति राजा क्षयर्ष के लिए गहरा आदर दिखाया, जबकि राजा की पिछली रानी वशती में यह अच्छाई नहीं थी। (एस्तेर 1:10-12; 2:16, 17) रानी बनने के बाद भी, एस्तेर ने जहाँ सही था वहाँ अपने चचेरे बड़े भाई मोर्दकै की सलाह को बड़े आदर के साथ माना। मगर एस्तेर कोई कमज़ोर स्त्री नहीं थी! उसने बड़ी हिम्मत के साथ हामान का भाँडा फोड़ा, जो एक ताकतवर मगर बेरहम आदमी था और जिसने यहूदियों का नामो-निशान मिटा देने की साज़िश रची थी। यहोवा ने अपने लोगों को बचाने के लिए एस्तेर का बड़े ज़बरदस्त तरीके से इस्तेमाल किया।—एस्तेर 3:8–4:17; 7:1-10; 9:13.

21. एक मसीही स्त्री यहोवा के लिए दिनोंदिन और ज़्यादा अनमोल कैसे बन सकती है?

21 यह साफ ज़ाहिर है कि बीते वक्‍त में और आज भी, भक्‍त स्त्रियों ने दिखाया है कि वे सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करती हैं और उसी की उपासना करती हैं। इसलिए, परमेश्‍वर का भय माननेवाली स्त्रियाँ यहोवा की नज़र में अनमोल हैं। मसीही बहनो, यहोवा को मौका दीजिए कि वह अपनी आत्मा से आपको धीरे-धीरे ढालकर और भी खूबसूरत “बरतन” बनाए जो “हर भले काम के लिये तैयार” किया गया हो। (2 तीमुथियुस 2:21; रोमियों 12:2) यहोवा की उपासना करनेवाली इन अनमोल बहनों के बारे में परमेश्‍वर का वचन कहता है: “उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी।” (नीतिवचन 31:31) हमारी दुआ है कि यह बात आप में से हर बहन के बारे में सच हो।

[फुटनोट]

^ पैरा. 13 हौसला बढ़ाने के लिए कैसे तारीफ करें, इसके लिए प्रहरीदुर्ग, मार्च 15, 2002 के अंक में पेज 26-8 देखिए।

^ पैरा. 16 सिंग प्रेज़िस टू जॆहोवा में यह गीत 212 (26) है, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आपको याद है?

• पहली सदी की कुछ स्त्रियों ने कैसे दिखाया कि वे यहोवा की नज़र में अनमोल हैं?

• हमारे वक्‍त में बहुत-सी बहनों ने कैसे खुद को यहोवा के लिए अनमोल बनाया है?

• यहोवा किन तरीकों से अकेली माँओं को और दूसरी ऐसी बहनों को सहारा देता है जिनका पति नहीं है?

• मुखियापन के इंतज़ाम के लिए एक स्त्री कैसे दिल से आदर दिखा सकती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17 पर बक्स]

मनन के लिए मिसालें

बाइबल में और भी कई वफादार स्त्रियों का ज़िक्र मिलता है। क्या आप उनकी मिसालों पर भी गौर करना चाहेंगे? अगर हाँ, तो नीचे दिए गए वचनों को पढ़िए। जब आप हर स्त्री की मिसाल पर मनन करते हैं, तो उन सिद्धांतों को समझने की कोशिश कीजिए जिन पर आप अपनी ज़िंदगी में और अच्छी तरह अमल करना चाहेंगे।—रोमियों 15:4.

सारा: उत्पत्ति 12:1, 5; 21:9-12; इब्रानियों 11:9; 1 पतरस 3:5, 6.

दरियादिल इस्राएली स्त्रियाँ: निर्गमन 35:5, 22, 25, 26; 36:3-7; लूका 21:1-4.

दबोरा: न्यायियों 4:1–5:31.

रूत: रूत 1:4, 5, 16, 17; 2:2, 3, 11-13; 4:15.

शूनेम की स्त्री: 2 राजा 4:8-37.

कनानी स्त्री: मत्ती 15:22-28.

मार्था और मरियम: मरकुस 14:3-9; लूका 10:38-42; यूहन्‍ना 11:17-29; 12:1-8.

तबीता: प्रेरितों 9:36-41.

फिलिप्पुस की चार बेटियाँ: प्रेरितों 21:9.

फीबे: रोमियों 16:1, 2.

[पेज 15 पर तसवीर]

क्या आप उन कुँवारी बहनों की तारीफ करते हैं जो वफादारी से यहोवा का कानून मानती हैं?

[पेज 16 पर तसवीर]

बच्चों के स्कूल जाने से पहले, उनके साथ प्रार्थना करते वक्‍त आप किन खास बातों की गुज़ारिश कर सकती हैं?