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यहोवा के दिल को खुश करनेवाली स्त्रियाँ

यहोवा के दिल को खुश करनेवाली स्त्रियाँ

यहोवा के दिल को खुश करनेवाली स्त्रियाँ

“यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा जिसके पंखों तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे।”—रूत 2:12.

1, 2. हम बाइबल में दर्ज़ उन स्त्रियों की मिसालों पर गौर करने से कैसे फायदा पा सकते हैं, जिन्होंने यहोवा के दिल को खुश किया?

परमेश्‍वर के भय ने दो स्त्रियों को फिरौन का हुक्म न मानने के लिए उकसाया। विश्‍वास की वजह से एक वेश्‍या ने अपनी जान जोखिम में डालकर दो इस्राएली जासूसों को बचाया। संकट के समय में, सूझ-बूझ और नम्रता की वजह से एक स्त्री ने बहुतों की जान बचा ली और यहोवा के अभिषिक्‍त को खून का दोषी होने से रोका। यहोवा पर विश्‍वास और मेहमान-नवाज़ी की भावना रखनेवाली एक विधवा माँ ने अपने मुँह का आखिरी निवाला तक परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता को दे दिया। बाइबल में ऐसी स्त्रियों की ढेरों मिसालें दर्ज़ हैं जिन्होंने यहोवा के दिल को खुश किया था।

2 यहोवा, इन स्त्रियों के साथ जिस तरह पेश आया और उन्हें जो आशीषें दीं, उससे पता चलता है कि यहोवा को एक इंसान के आध्यात्मिक गुण सबसे ज़्यादा खुशी देते हैं, फिर चाहे वे किसी स्त्री में हों या पुरुष में। आज की दुनिया में, जहाँ लोगों पर बाहरी रूप और धन-दौलत का जुनून सवार है, अपनी आध्यात्मिकता पर पहले ध्यान देना हमारे लिए मुश्‍किल है। मगर इस मुश्‍किल को ज़रूर दूर किया जा सकता है और इसका सबूत है, परमेश्‍वर का भय माननेवाली वे लाखों स्त्रियाँ जिनकी गिनती आज परमेश्‍वर की सेवा करनेवाले पुरुषों की गिनती से ज़्यादा है। ये स्त्रियाँ बाइबल में बतायी गयीं उन स्त्रियों की मिसाल पर चलती हैं जो परमेश्‍वर का भय मानती थीं और उनकी तरह ही ये अपनी ज़िंदगी में विश्‍वास, अक्लमंदी, मेहमान-नवाज़ी और दूसरे बढ़िया गुण दिखाती हैं। बेशक, मसीही पुरुष भी प्राचीनकाल की स्त्रियों की अच्छी मिसालों पर चलकर उनके जैसे बढ़िया गुण दिखाना चाहेंगे। उनकी मिसाल पर हम और अच्छी तरह कैसे चल सकते हैं, यह देखने के लिए आइए हम बाइबल में दिए उन स्त्रियों के वृत्तांत पढ़ें और उन पर गौर करें जिनका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया है।—रोमियों 15:4; याकूब 4:8.

एक फिरौन के हुक्म के खिलाफ जानेवाली स्त्रियाँ

3, 4. (क) एक फिरौन ने जब हर नए जन्मे इब्री लड़के को मार डालने का हुक्म दिया, तो शिप्रा और पूआ ने इसे क्यों नहीं माना? (ख) यहोवा ने इन दो धाइयों को उनकी हिम्मत और परमेश्‍वर का भय मानने का क्या इनाम दिया?

3 दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद, जर्मनी के न्युरमबर्ग में उन लोगों पर मुकद्दमे चलाए गए जिन्होंने बड़ी तादाद में लोगों की जान लेने का अपराध किया था। इन लोगों ने अपने घिनौने अपराध को सही ठहराने के लिए यह दलील दी कि उन्होंने बस वही किया जिसका उन्हें ऊपर से ऑडर मिला था। अब इन लोगों की तुलना, उन दो इस्राएली धाइयों से कीजिए जिनके नाम थे, शिप्रा और पूआ। वे प्राचीन मिस्र में एक ज़ुल्मी फिरौन के राज में जी रही थीं जिसका नाम नहीं बताया गया। वह फिरौन, इब्रियों की दिनोंदिन बढ़ती जा रही आबादी देखकर डर गया, इसलिए उसने इन धाइयों को हुक्म दिया कि जब भी किसी इब्री स्त्री को लड़का पैदा हो तो उसे मार डालें। ऐसे जल्लाद से हुक्म पाकर उन स्त्रियों ने क्या किया? वे “मिस्र के राजा की आज्ञा मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं।” (तिरछे टाइप हमारे।) ये स्त्रियाँ मनुष्य के भय का शिकार क्यों नहीं हुईं? क्योंकि वे “[सच्चे] परमेश्‍वर का भय मानती थीं।”—निर्गमन 1:15, 17; उत्पत्ति 9:6.

4 जी हाँ, इन धाइयों ने यहोवा की शरण ली और बदले में वह उनकी “ढाल” बना और फिरौन के क्रोध से उनकी हिफाज़त की। (2 शमूएल 22:31; निर्गमन 1:18-20) इसके अलावा, यहोवा ने उन्हें और भी आशीषें दीं। उसने शिप्रा और पूआ को अपना-अपना घर बसाने की आशीष दी। परमेश्‍वर ने इन स्त्रियों की इज़्ज़त बढ़ायी, उसने उनके नाम और काम अपने प्रेरित वचन में दर्ज़ करवाए ताकि आनेवाली पीढ़ियाँ उनके बारे में पढ़ सकें। मगर जहाँ तक उस फिरौन की बात है, वक्‍त की रेत पर से उसका नामो-निशान तक मिट चुका है।—निर्गमन 1:21; 1 शमूएल 2:30ख; नीतिवचन 10:7.

5. आज कैसे बहुत-सी मसीही स्त्रियाँ, शिप्रा और पूआ जैसी हैं, और यहोवा उन्हें इसका इनाम कैसे देगा?

5 क्या आज भी शिप्रा और पूआ जैसी स्त्रियाँ हैं? बेशक हैं! हर साल, ऐसी हज़ारों स्त्रियाँ निडरता से उन देशों में बाइबल का जीवनदायी संदेश सुनाती हैं, जहाँ “राजा की आज्ञा” के मुताबिक ऐसा करना मना है। ऐसा करके वे अपनी आज़ादी, यहाँ तक कि अपनी जान भी जोखिम में डालती हैं। (इब्रानियों 11:23; प्रेरितों 5:28, 29) परमेश्‍वर और पड़ोसियों के लिए प्यार इन साहसी स्त्रियों को उकसाता है और वे दूसरों को परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने के काम में किसी के रोके नहीं रुकतीं। इस वजह से, बहुत-सी मसीही बहनें विरोध और ज़ुल्म का शिकार होती हैं। (मरकुस 12:30, 31; 13:9-13) जैसे यहोवा ने शिप्रा और पूआ के कामों को याद रखा था, वैसे ही इन बेहतरीन गुणोंवाली, साहसी स्त्रियों के एक-एक काम को वह याद रखता है। उन पर अपना प्यार ज़ाहिर करने के लिए वह “जीवन की पुस्तक” में उनके नाम कायम रखेगा, बशर्ते वे अंत तक धीरज धरकर वफादार बनी रहें।—फिलिप्पियों 4:3; मत्ती 24:13.

जो कभी वेश्‍या थी, उसने यहोवा के दिल को खुश किया

6, 7. (क) राहाब, यहोवा और उसके लोगों के बारे में क्या जानती थी, और इस जानकारी का उस पर क्या असर हुआ? (ख) परमेश्‍वर के वचन में राहाब को कैसे इज़्ज़त दी गयी है?

6 सामान्य युग पूर्व 1473 में राहाब नाम की एक वेश्‍या, कनान देश के यरीहो नगर में रहती थी। ज़ाहिर है कि आस-पास के देशों में क्या हो रहा है, राहाब इसकी पूरी खबर रखती थी। जब दो इस्राएली जासूसों ने उसके घर में पनाह ली, तो उसने मिस्र से इस्राएल के चमत्कारी छुटकारे की कुछ खास बातें उन्हें कह सुनायीं, जबकि ये घटनाएँ 40 साल पहले घटी थीं! वह यह भी जानती थी कि इस्राएल ने हाल ही में एमोरियों के राजाओं सीहोन और ओग पर जीत पायी थी। ध्यान दीजिए कि इस जानकारी का उस पर क्या असर हुआ। उसने जासूसों से कहा: “मुझे तो निश्‍चय है कि यहोवा ने तुम लोगों को यह देश दिया है, . . . क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा ऊपर के आकाश का और नीचे की पृथ्वी का परमेश्‍वर है।” (यहोशू 2:1, 9-11) जी हाँ, राहाब ने यहोवा और इस्राएल की खातिर उसके कामों के बारे में जो कुछ सुना, वे बातें उसके दिल को छू गयी थीं और उसने यहोवा पर विश्‍वास किया।—रोमियों 10:10.

7 राहाब के विश्‍वास ने उसे कदम उठाने के लिए उकसाया। उसने इस्राएली जासूसों को “कुशल से रखा” और जब इस्राएल ने यरीहो पर हमला बोला, तो उसने वह हिदायतें मानी जिनसे उसकी जान बचती। (इब्रानियों 11:31; यहोशू 2:18-21) बेशक, राहाब के विश्‍वास के कामों से यहोवा का दिल खुश हुआ, तभी तो उसने मसीही चेले याकूब को प्रेरित किया कि उसका नाम परमेश्‍वर के मित्र इब्राहीम के साथ गिना जाए, ताकि मसीही उसकी मिसाल पर चल सकें। याकूब ने लिखा: “वैसे ही राहाब वेश्‍या भी जब उस ने दूतों को अपने घर में उतारा, और दूसरे मार्ग से विदा किया, तो क्या कर्मों से धार्मिक न ठहरी?”—याकूब 2:25.

8. यहोवा ने राहाब को उसके विश्‍वास और आज्ञा मानने के लिए कैसे आशीष दी?

8 यहोवा ने राहाब को कई तरीकों से इनाम दिया। एक तो, उसने उसकी और उन सभी लोगों की जान बख्श दी जो उसके घर में शरण लिए हुए थे, यानी ‘उसके पिता के घराने की और उसके सब लोगों’ की। फिर यहोवा ने इन्हें “इस्राएलियों के बीच में” रहने की इजाज़त दी, जहाँ उनके साथ ऐसे व्यवहार किया जाता जैसे वे भी इस्राएली हों। (यहोशू 2:13; 6:22-25; लैव्यव्यवस्था 19:33, 34) मगर यहोवा की आशीषें यहीं खत्म नहीं हुईं। यहोवा ने राहाब को यीशु मसीह की पुरखिन बनने का सम्मान दिया। जो कभी कनान देश में मूर्तिपूजा किया करती थी, ऐसी स्त्री के साथ यहोवा ने क्या ही उम्दा तरीके से वफादारी निभायी! *भजन 130:3, 4.

9. राहाब और पहली सदी की कुछ मसीही स्त्रियों की तरफ यहोवा का रवैया देखकर, आज की कुछ स्त्रियों को कैसे हिम्मत मिल सकती है?

9 राहाब की तरह, पहली सदी से लेकर आज तक कुछ मसीही स्त्रियाँ ऐसी रही हैं जिन्होंने परमेश्‍वर को खुश करने के लिए बदचलनी की ज़िंदगी जीना छोड़ दिया। (1 कुरिन्थियों 6:9-11) बेशक, इनमें से कुछ प्राचीनकाल के कनान जैसे माहौल में पली-बढ़ी होंगी, जहाँ अनैतिकता हर जगह फैली हुई थी और इसे बुरा नहीं माना जाता था। मगर बाइबल से सही ज्ञान पाने के बाद उन्होंने विश्‍वास किया और इस विश्‍वास ने उन्हें अपने तौर-तरीके बदलने को उकसाया। (रोमियों 10:17) इसलिए, इन स्त्रियों के बारे में भी कहा जा सकता है कि “परमेश्‍वर उन का परमेश्‍वर कहलाने में उन से नहीं लजाता।” (इब्रानियों 11:16) यह उनके लिए कितने बड़े सम्मान की बात है!

सूझ-बूझ की वजह से उसने आशीष पायी

10, 11. नाबाल और दाऊद के बीच क्या हुआ जिसकी वजह से अबीगैल ने फौरन कदम उठाया?

10 प्राचीनकाल की कई वफादार स्त्रियों ने बड़े लाजवाब तरीके से सूझ-बूझ दिखायी और इस तरह यहोवा के लोगों के लिए अनमोल साबित हुईं। ऐसी स्त्रियों में से एक थी अबीगैल, जो इस्राएल के एक दौलतमंद ज़मींदार, नाबाल की पत्नी थी। अबीगैल की सूझ-बूझ की वजह से बहुतों की जान बची और उसने दाऊद को, जो आगे चलकर इस्राएल का राजा बननेवाला था, हत्यारा बनने से रोका। हम अबीगैल का किस्सा 1 शमूएल के अध्याय 25 से पढ़ सकते हैं।

11 कहानी ऐसे शुरू होती है, दाऊद और उसके आदमी, नाबाल के भेड़-बकरियों के झुंड के पास ही डेरा डाले हुए हैं। वे बिना कोई दाम लिए इंसानियत की खातिर दिन-रात इनकी रखवाली करते हैं, बस यह सोचकर कि ये भेड़-बकरियाँ उनके इस्राएली भाई नाबाल की हैं। दाऊद के पास खाने का सामान कम होने लगा, तो उसने अपने दस जवान, नाबाल के पास भेजे कि उससे खाने का कुछ सामान देने की दरख्वास्त करें। अब नाबाल को अपनी एहसानमंदी ज़ाहिर करने का और यहोवा के अभिषिक्‍त जन के नाते दाऊद की इज़्ज़त करने का मौका मिला था। मगर नाबाल ने इसके ठीक उलटा किया। आग-बबूला होकर उसने दाऊद के बारे में अनाप-शनाप कहा और उसके जवानों को खाली हाथ लौटा दिया। जब दाऊद ने यह सब सुना, तब उसने अपने 400 हथियारबंद सैनिक इकट्ठे किए और बदला लेने निकल पड़ा। अबीगैल को जब पता चला कि उसके पति ने दाऊद के जवानों को किस तरह कठोरता से जवाब दिया है, तो उसने फौरन समझदारी से काम लिया और दाऊद को शांत करने के लिए खाने का ढेर सारा सामान भेजा। फिर वह खुद दाऊद से मिलने गयी।—आयत 2-20.

12, 13. (क) अबीगैल ने कैसे सूझ-बूझ दिखायी साथ ही यहोवा और उसके अभिषिक्‍त जन से वफादारी निभायी? (ख) अबीगैल ने घर लौटने पर क्या किया, और फिर उसके साथ क्या-क्या हुआ?

12 जब अबीगैल दाऊद से मिली, तो उसने नम्रता से रहम की भीख माँगी जिससे पता चलता है कि यहोवा के अभिषिक्‍त जन की वह कितनी इज़्ज़त करती थी। उसने कहा: “यहोवा निश्‍चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिये कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है।” आगे उसने यह भी कहा कि यहोवा, दाऊद को इस्राएल पर प्रधान ठहराएगा। (आयत 28-30) साथ ही, अबीगैल ने बड़ी हिम्मत से दाऊद को यह भी बताया कि वह अपना बदला लेने की धुन में अगर खुद को न रोकेगा, तो वह बेवजह खून बहाने का दोषी होगा। (आयत 26, 31) अबीगैल की नम्रता, गहरा आदर और साफ सोच से दाऊद अपने आपे में आया। उसने जवाब दिया: “इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा धन्य है, जिस ने आज के दिन मुझ से भेंट करने के लिये तुझे भेजा है! और तेरा विवेक [“अक्लमंदी,” किताब-ए-मुकद्दस] धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तू ने मुझे आज के दिन खून करने . . . से रोक लिया है।”—आयत 32, 33.

13 घर वापस आने पर, अबीगैल बड़ी हिम्मत से अपने पति को यह बताना चाहती थी कि कैसे उसने दाऊद को भेंट भेजी है। मगर, जब वह अपने पति से मिली, तो देखा कि “वह नशे में अति चूर हो गया है।” उसने उसके होश में आने का इंतज़ार किया और फिर सारा हाल उसे कह सुनाया। यह सब सुनकर नाबाल को कैसा लगा? उसके तो होश ही उड़ गए, वह ऐसा सुन्‍न पड़ गया कि उसे एक तरह का लकवा मार गया। दस दिन बाद परमेश्‍वर ने उसे मौत के घाट उतार दिया। जब दाऊद ने नाबाल के मरने की खबर सुनी, तो उसने अबीगैल से शादी का प्रस्ताव रखा, क्योंकि वह उसे पसंद करता था और दिल से उसकी इज़्ज़त करता था। अबीगैल ने दाऊद का रिश्‍ता कबूल कर लिया।—आयतें 34-42.

क्या आप अबीगैल जैसे हो सकते हैं?

14. हम अबीगैल के किन गुणों को अपने अंदर और ज़्यादा बढ़ाना चाहेंगे?

14 क्या आपको अबीगैल में ऐसे गुण नज़र आए जिन्हें आप, पुरुष और स्त्रियाँ दोनों, अपने अंदर और ज़्यादा बढ़ाना चाहेंगे? आपकी शायद यह ख्वाहिश हो कि काश मैं मुश्‍किलें पैदा होने पर ज़्यादा सूझ-बूझ और समझदारी से काम कर पाऊँ। या जब आपके आस-पास के लोग गुस्से में हैं, तो आप शांत रहकर और सोच-समझकर बात करना चाहेंगे। अगर आप ऐसा चाहते हैं, तो क्यों न इस बारे में यहोवा से प्रार्थना करें? वह वादा करता है कि जो कोई उससे ‘विश्‍वास से मांगता’ रहे, उसे वह बुद्धि, समझ और सोचने की काबिलीयत का वरदान देगा।—याकूब 1:5, 6; नीतिवचन 2:1-6, 10, 11.

15. किन हालात में मसीही स्त्रियों के लिए अबीगैल जैसे गुण दिखाना खासकर ज़रूरी होता है?

15 ऐसे बढ़िया गुण दिखाना खासकर ऐसी स्त्री के लिए ज़रूरी होता है जिसका पति सच्चाई में नहीं है और बाइबल के सिद्धांतों को बिलकुल भी नहीं मानता। शायद वह बहुत ज़्यादा शराब पीता हो। हम यही उम्मीद करते हैं कि ऐसे आदमी अपने तौर-तरीके बदलेंगे। और बहुतों ने यह बदलाव किया भी है—अपनी पत्नियों के व्यवहार में नरमी, गहरा आदर और उनका पवित्र चालचलन देखकर, बहुत-से पति सच्चाई की तरफ खिंचे चले आए हैं।—1 पतरस 3:1, 2, 4.

16. घर के हालात चाहे जैसे भी हों, एक मसीही बहन कैसे दिखाएगी कि वह यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को सबसे ज़्यादा अनमोल समझती है?

16 घर में चाहे आप कैसी भी परेशानियों से गुज़रती हों, मगर आप यह कभी न भूलें कि यहोवा हर वक्‍त आपको सहारा देने के लिए मौजूद है। (1 पतरस 3:12) तो फिर, कोशिश कीजिए कि आप आध्यात्मिक तरीके से खुद को मज़बूत करें। बुद्धि और शांत मन के लिए प्रार्थना कीजिए। जी हाँ, नियमित बाइबल अध्ययन, प्रार्थना, मनन, और मसीही भाई-बहनों के साथ संगति करने से यहोवा के और करीब आइए। अबीगैल के मन में परमेश्‍वर के लिए प्रेम और उसके अभिषिक्‍त जन के लिए इज़्ज़त थी। उसने आध्यात्मिक बातों का तिरस्कार करनेवाले अपने पति के गलत रवैए का खुद पर असर नहीं होने दिया। उसने धर्मी उसूलों के मुताबिक काम किया। एक ऐसे परिवार में भी जहाँ पति, परमेश्‍वर की सेवा करने में एक अच्छी मिसाल रखता है, मसीही पत्नी को यह एहसास रहता है कि उसे अपनी आध्यात्मिकता को बढ़ाने और उसे कायम रखने के लिए खुद कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है। सच है कि बाइबल के मुताबिक पति का यह फर्ज़ बनता है कि वह पत्नी की आध्यात्मिक तरीके से देखभाल करे और उसकी शारीरिक ज़रूरतों को पूरा करे। मगर आखिरकार यह ज़िम्मेदारी खुद पत्नी की ही है कि वह “डरते और कांपते हुए . . . अपने उद्धार” के लिए खुद मेहनत करे।—फिलिप्पियों 2:12; 1 तीमुथियुस 5:8.

उसने “भविष्यद्वक्‍ता का बदला” पाया

17, 18. (क) सारपत की विधवा के सामने, विश्‍वास की कैसी अनोखी परीक्षा आयी? (ख) उस विधवा ने एलिय्याह की गुज़ारिश सुनकर क्या किया, और यहोवा ने इसका बदला उसे कैसे दिया?

17 भविष्यवक्‍ता एलिय्याह के ज़माने में यहोवा ने एक गरीब विधवा के लिए जिस तरह परवाह दिखायी, उससे पता चलता है कि वह उन लोगों की कितनी कदर करता है जो सच्ची उपासना को बढ़ाने के लिए अपना तन-मन-धन सबकुछ लगा देते हैं। एलिय्याह के दिनों में, जब कई दिनों तक सूखा पड़ा, तो बहुत-से लोगों के भूखों मरने की नौबत आ गयी। इनमें सारपत नगर की विधवा और उसका बेटा भी था। जब उनका खाने का सामान लगभग खत्म हो गया और वे आखिरी भोजन की तैयारी कर रहे थे, तब उनके घर एक मेहमान आया। वह एलिय्याह भविष्यवक्‍ता था। उसने बड़ी अनोखी गुज़ारिश की। उस स्त्री की मजबूरी जानते हुए भी, उसने उससे कहा कि वह बचे हुए तेल और मैदे से “एक छोटी सी रोटी” पकाकर पहले उसके लिए ले आए। मगर, एलिय्याह ने यह भी कहा: “क्योंकि इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है, कि जब तक यहोवा भूमि पर मेंह न बरसाएगा तब तक न तो उस घड़े का मैदा चुकेगा, और न उस कुप्पी का तेल घटेगा।”—1 राजा 17:8-14.

18 अगर आप विधवा की जगह होते तो क्या करते? सारपत की वह विधवा शायद जान गयी थी कि एलिय्याह यहोवा का भविष्यवक्‍ता है, इसलिए उसने “एलिय्याह के वचन के अनुसार किया।” यहोवा ने उसकी मेहमान-नवाज़ी देखकर क्या किया? उसने चमत्कार से उस स्त्री, उसके बेटे और एलिय्याह के लिए सूखे के दौरान खाने का इंतज़ाम किया। (1 राजा 17:15, 16) जी हाँ, यहोवा ने सारपत की उस विधवा को, इस्राएली न होने पर भी “भविष्यद्वक्‍ता का बदला” दिया। (मत्ती 10:41) परमेश्‍वर के पुत्र ने भी, अपने नगर नासरत के अविश्‍वासी लोगों के सामने इस विधवा की मिसाल देकर, उसकी सराहना की।—लूका 4:24-26.

19. आज बहुत-सी मसीही बहनें, किन तरीकों से सारपत की विधवा जैसी भावना दिखाती हैं, और यहोवा इनके बारे में कैसा महसूस करता है?

19 आज बहुत-सी मसीही स्त्रियाँ सारपत की उस विधवा जैसी भावना दिखाती हैं। मिसाल के लिए, अपने आराम की परवाह न करनेवाली मसीही बहनें, हर हफ्ते सफरी ओवरसियरों और उनकी पत्नियों की खातिरदारी करती हैं, हालाँकि कई बहनें खुद गरीब हैं और उन्हें अपने परिवार की ज़रूरतों का भी ध्यान रखना होता है। कुछ और बहनें अपनी ही कलीसिया के पूरे समय के सेवकों को खाना खिलाती हैं, ज़रूरतमंदों की मदद करती हैं या किसी और तरीके से राज्य के काम को बढ़ाने के लिए मेहनत करती हैं और उनसे जो बन पड़ता है वह देती हैं। (लूका 21:4) क्या यहोवा ऐसे बलिदानों पर ध्यान देता है? यकीनन देता है! “परमेश्‍वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।”—इब्रानियों 6:10.

20. अगले लेख में क्या चर्चा की जाएगी?

20 पहली सदी में, परमेश्‍वर का भय माननेवाली बहुत-सी स्त्रियों को यीशु और उसके प्रेरितों की सेवा करने का सम्मान मिला था। अगले लेख में, हम चर्चा करेंगे कि इन स्त्रियों ने कैसे यहोवा के दिल को खुश किया और हम आज के ज़माने की कुछ स्त्रियों के बारे में भी चर्चा करेंगे जो मुश्‍किलों के बावजूद पूरे दिल से यहोवा की सेवा करती हैं।

[फुटनोट]

^ पैरा. 8 यीशु की जो वंशावली मत्ती ने दर्ज़ की थी, उसमें चार स्त्रियों के नाम दिए गए हैं—तामार, राहाब, रूत और मरियम। परमेश्‍वर के वचन में इन सभी की बड़ी इज़्ज़त की गयी है।—मत्ती 1:3, 5, 16.

दोहराने के लिए

• इन स्त्रियों ने यहोवा का दिल कैसे खुश किया?

• शिप्रा और पूआ

• राहाब

• अबीगैल

• सारपत की विधवा

• इन स्त्रियों ने जो मिसालें कायम कीं, उन पर मनन करने से हमें कैसे मदद मिल सकती है? उदाहरण देकर समझाइए।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीरें]

बहुत-सी वफादार स्त्रियों ने “राजा की आज्ञा” टालकर भी, परमेश्‍वर की सेवा की है

[पेज 10 पर तसवीर]

राहाब, विश्‍वास रखनेवालों की एक बढ़िया मिसाल क्यों है?

[पेज 10 पर तसवीर]

अबीगैल के किन गुणों को आप अपने अंदर पैदा करना चाहते हैं?

[पेज 12 पर तसवीर]

आज बहुत-सी मसीही बहनें, सारपत की विधवा जैसी भावना दिखाती हैं