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चेला बनाने के मकसद से प्रचार कीजिए

चेला बनाने के मकसद से प्रचार कीजिए

चेला बनाने के मकसद से प्रचार कीजिए

“प्रिस्किल्ला और अक्विला [अपुल्लोस] की बातें सुनकर, उसे अपने यहां ले गए, और परमेश्‍वर का मार्ग उस को और भी ठीक ठीक बताया।”—प्रेरितों 18:26.

1. हालाँकि अपुल्लोस “जोश” से भरा हुआ था, फिर भी उसे किस बात की ज़रूरत थी?

पहली सदी के एक मसीही जोड़े, प्रिस्किल्ला और अक्विला ने इफिसुस शहर के एक आराधनालय में अपुल्लोस का भाषण सुना। अपुल्लोस बात करने और कायल करने में इतना निपुण था कि उसने सुननेवालों का ध्यान खींच लिया। वह “जोश” से भरा हुआ था और लोगों को “यीशु के बारे में सही सही तालीम देता था।” (हिन्दुस्तानी बाइबल) लेकिन एक बात साफ थी कि वह “केवल यूहन्‍ना के बपतिस्मा की बात जानता था।” अपुल्लोस, मसीह के बारे में जो कुछ प्रचार कर रहा था, वह सही था। मगर उसमें कमी यह थी कि मसीह के बारे में उसका ज्ञान अधूरा था। अपुल्लोस को इस बारे में ज़्यादा जानने की ज़रूरत थी कि यहोवा के मकसद को अंजाम देने में यीशु मसीह की क्या भूमिका है।—प्रेरितों 18:24-26.

2. प्रिस्किल्ला और अक्विला ने कौन-सा मुश्‍किल भरा काम हाथ में लिया?

2 प्रिस्किल्ला और अक्विला, अपुल्लोस की मदद करने के लिए बेझिझक होकर आगे आए ताकि वह मसीह की बतायी ‘सब बातों’ को माननेवाला बन सके। (मत्ती 28:19, 20) बाइबल बताती है कि वे अपुल्लोस को “अपने यहां ले गए, और परमेश्‍वर का मार्ग उस को और भी ठीक ठीक बताया।” लेकिन ऐसी कुछ वजह थीं जिससे शायद कुछ लोग अपुल्लोस को सिखाने से झिझक सकते थे। वे क्या थीं? प्रिस्किल्ला और अक्विला ने अपुल्लोस के साथ शास्त्र पर चर्चा करने के लिए जो मेहनत की, उससे हम क्या सीख सकते हैं? इस घटना पर गौर करने से हमें लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करने में कैसे मदद मिलेगी?

लोगों की ज़रूरतें समझिए

3. अपुल्लोस जिस माहौल में पला-बढ़ा था, उसे देखकर प्रिस्किल्ला और अक्विला उसे सिखाने से क्यों नहीं झिझके?

3 अपुल्लोस का जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था और शायद उसकी परवरिश सिकंदरिया शहर में हुई थी। उस ज़माने में सिकंदरिया, मिस्र की राजधानी और ऊँची शिक्षा हासिल करने की खास जगह थी। वहाँ की विशाल लाइब्रेरी दूर-दूर तक मशहूर थी। वहाँ भारी तादाद में यहूदी रहते थे और यह विद्वानों का भी शहर था। इसलिए, इब्रानी शास्त्र का यूनानी अनुवाद यानी सेप्टूअजेंट वहीं तैयार किया गया था। इसलिए ताज्जुब नहीं होता कि अपुल्लोस “पवित्र शास्त्र को अच्छी तरह से जानता था।” मगर जहाँ तक अक्विला और प्रिस्किल्ला की बात है वे तंबू बनाने का काम करते थे। तो क्या बोलने में अपुल्लोस की महारत देखकर उन्होंने ऐसा सोचा कि वे उसकी मदद करने के काबिल नहीं हैं? नहीं, बल्कि प्यार की वजह से उन्होंने उस इंसान को, उसकी ज़रूरतों को समझा और यह तय किया कि उसकी मदद कैसे करें।

4. अपुल्लोस को जिस तरह की मदद की ज़रूरत थी, वह उसे कहाँ और कैसे मिली?

4 अपुल्लोस, बोलने में चाहे कितना भी निपुण क्यों न रहा हो, उसे और भी ज़्यादा सीखने की ज़रूरत थी। उसे जिस मदद की ज़रूरत थी, वह उसे किसी भी विश्‍वविद्यालय से नहीं मगर मसीही कलीसिया के भाई-बहनों से मिल सकती थी। अब प्रिस्किल्ला और अक्विला उसे कुछ ऐसे मुद्दे सिखानेवाले थे जिससे वह उद्धार के बारे में परमेश्‍वर के इंतज़ाम को और ठीक-ठीक समझ पाता। प्रिस्किल्ला और अक्विला उसे “अपने यहां ले गए, और परमेश्‍वर का मार्ग उस को और भी ठीक ठीक बताया।”

5. प्रिस्किल्ला और अक्विला की आध्यात्मिकता के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

5 प्रिस्किल्ला और अक्विला आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत थे और उनके विश्‍वास की नींव बहुत पक्की थी। यह कहना सही होगा कि ‘जो कोई उनसे उनकी आशा के विषय में कुछ पूछता, तो उसे उत्तर देने के लिये वे सर्वदा तैयार रहते थे,’ फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब, बड़ा ज्ञानी हो या कोई दास। (1 पतरस 3:15) अक्विला और उसकी पत्नी ‘सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाना’ जानते थे। (2 तीमुथियुस 2:15) ज़ाहिर है कि वे शास्त्र का मन लगाकर अध्ययन करते थे। अपुल्लोस को, ‘परमेश्‍वर के वचन से जो जीवित और प्रबल’ है, जब सिखाया गया तो इसका उस पर गहरा असर हुआ, क्योंकि यह वचन इंसान के दिल को छू जाता है।—इब्रानियों 4:12.

6. हम कैसे जानते हैं कि अपुल्लोस को जो तालीम दी गयी, उसकी उसने कदर की?

6 प्रिस्किल्ला और अक्विला से मिली तालीम के लिए अपुल्लोस एहसानमंद था। उनकी मिसाल से सीखकर वह चेला बनाने के काम में पहले से ज़्यादा निपुण हो गया। उसने खासकर यहूदियों को प्रचार करते वक्‍त, राज्य की खुशखबरी सुनाने के काम में अपने ज्ञान का अच्छा इस्तेमाल किया। अपुल्लोस, मसीह के बारे में यहूदियों को कायल करने में वाकई माहिर था। ‘पवित्र शास्त्र को अच्छी तरह जानने’ की वजह से, वह यहूदियों को साबित कर दिखाता था कि प्राचीनकाल के सभी भविष्यवक्‍ता जिसके आने की आस लगाए थे, वह कोई और नहीं बल्कि मसीह था। (प्रेरितों 18:24) अपुल्लोस के बारे में वृत्तांत आगे कहता है कि वह अखाया गया और उसने “उन लोगों की बड़ी सहायता की जिन्हों ने अनुग्रह के कारण विश्‍वास किया था। क्योंकि वह पवित्र शास्त्र से प्रमाण दे देकर, कि यीशु ही मसीह है; बड़ी प्रबलता से यहूदियों को सब के साम्हने निरुत्तर करता रहा।”—प्रेरितों 18:27, 28.

दूसरों की मिसाल से सीखिए

7. अक्विला और प्रिस्किल्ला सिखाने में कैसे निपुण बने?

7 अक्विला और प्रिस्किल्ला ने, परमेश्‍वर का वचन सिखाने में ऐसी निपुणता कहाँ से हासिल की? एक तो वे गहरा निजी अध्ययन करते थे और सभाओं में हाज़िर होते थे। इसके अलावा, उन्हें प्रेरित पौलुस के साथ करीबी दोस्ती से भी बहुत फायदा हुआ होगा। पौलुस 18 महीनों तक कुरिन्थुस में प्रिस्किल्ला और अक्विला के घर रहा था। वे तीनों साथ मिलकर तंबू बनाने और उनकी मरम्मत करने का काम करते थे। (प्रेरितों 18:2, 3) कल्पना कीजिए कि वे आपस में कैसी गूढ़ आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करते होंगे। पौलुस की संगति से आध्यात्मिक बातों की उनकी समझ किस कदर बढ़ गयी होगी! नीतिवचन 13:20 कहता है: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा।” पौलुस की संगति का, उनकी आध्यात्मिक आदतों पर बढ़िया असर हुआ था।—1 कुरिन्थियों 15:33.

8. प्रिस्किल्ला और अक्विला ने पौलुस का प्रचार काम देखकर क्या सीखा?

8 जब प्रिस्किल्ला और अक्विला ने पौलुस के प्रचार काम पर गौर किया, तो उन्होंने जाना कि उसमें एक अच्छे शिक्षक के सभी गुण मौजूद हैं। प्रेरितों के काम में दिया वृत्तांत बताता है कि पौलुस, कुरिन्थुस में “हर एक सब्त के दिन आराधनालय में वाद-विवाद करके यहूदियों और यूनानियों को भी समझाता था।” बाद में सीलास और तीमुथियुस भी उसके साथ मिलकर प्रचार करने लगे। तब, पौलुस “वचन सुनाने की धुन में लगकर यहूदियों को गवाही देता था कि यीशु ही मसीह है।” प्रिस्किल्ला और अक्विला ने देखा कि जब आराधनालय के सदस्यों ने खास दिलचस्पी नहीं दिखायी, तो पौलुस वहाँ से निकल गया और आराधनालय से लगे हुए एक घर में प्रचार करने लगा जहाँ उसकी मेहनत रंग लाती। पौलुस ने वहाँ “आराधनालय के सरदार” क्रिसपुस को चेला बनने में मदद दी। बेशक, प्रिस्किल्ला और अक्विला यह देख सकते थे कि क्रिसपुस के चेला बनने से कैसे उस इलाके में प्रचार काम तेज़ी से बढ़ने लगा और अच्छे नतीजे हासिल हुए। वृत्तांत कहता है: “क्रिसपुस ने अपने सारे घराने समेत प्रभु पर विश्‍वास किया; और बहुत से कुरिन्थी सुनकर विश्‍वास लाए और बपतिस्मा लिया।”—प्रेरितों 18:4-8.

9. प्रिस्किल्ला और अक्विला ने पौलुस की मिसाल से सीखकर क्या किया?

9 प्रिस्किल्ला, अक्विला और दूसरे राज्य प्रचारक, पौलुस की मिसाल पर चले। पौलुस ने दूसरे मसीहियों को यह कहकर उकसाया था: “तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।” (1 कुरिन्थियों 11:1) पौलुस की मिसाल पर चलते हुए, प्रिस्किल्ला और अक्विला ने मसीही शिक्षाओं को ठीक-ठीक समझने में अपुल्लोस की मदद की। फिर अपुल्लोस ने औरों की। इसमें कोई शक नहीं कि प्रिस्किल्ला और अक्विला ने रोम, कुरिन्थुस और इफिसुस में कई लोगों को चेला बनने में मदद दी होगी।—प्रेरितों 18:1, 2, 18, 19; रोमियों 16:3-5.

10. प्रेरितों के काम के अध्याय 18 से आपने क्या बात सीखी, जिससे आपको चेला बनाने में मदद मिल सकती है?

10 प्रेरितों के काम के अध्याय 18 पर की गयी इस चर्चा से हम क्या सीख सकते हैं? यही कि जैसे अक्विला और प्रिस्किल्ला ने पौलुस से सीखा होगा, वैसे ही हम भी उन भाई-बहनों से सीख सकते हैं जो परमेश्‍वर का वचन सिखाने में निपुण हैं। तब हम चेला बनाने की अपनी काबिलीयत को और निखार सकेंगे। हम उन मसीहियों के साथ संगति कर सकते हैं, जो ‘वचन सुनाने की धुन में लगे रहते हैं।’ (प्रेरितों 18:5) हम ध्यान दे सकते हैं कि वे लोगों के दिल तक पहुँचने के लिए उन्हें कैसे कायल करते हैं। ऐसे हुनर सीखने से हमें चेला बनाने में मदद मिलेगी। जब कोई हमारे साथ बाइबल का अध्ययन करता है, तो हम उसे सुझाव दे सकते हैं कि वह अपने परिवार के दूसरे लोगों या पड़ोसियों को भी उसके साथ अध्ययन करने के लिए बुलाए। या हम उससे कह सकते हैं कि अगर कोई और भी हमारे साथ अध्ययन करना चाहता है तो हमें ज़रूर बताएँ।—प्रेरितों 18:6-8.

चेले बनाने के लिए मौके पैदा कीजिए

11. नए चेलों को किन-किन जगहों में पाया जा सकता है?

11 पौलुस और उसके साथियों ने चेले बनाने के लिए घर-घर जाकर, बाज़ारों में और सफर के दौरान, जी हाँ हर जगह प्रचार किया। क्या आप भी पूरे जोश के साथ राज्य का प्रचार करते हुए, अपनी सेवा बढ़ा सकते हैं? क्या आप ऐसे मौकों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनसे आप योग्य लोगों को ढूँढ़ सकें और उनको प्रचार कर सकें? ऐसे कुछ तरीके कौन-से हैं, जिनका इस्तेमाल करके हमारे साथी प्रचारक नए चेलों को ढूँढ़ पाए हैं? जानने के लिए आइए पहले देखें कि टेलिफोन से गवाही देने का काम कैसे किया जा रहा है।

12-14. टेलिफोन पर गवाही देने के फायदे समझाने के लिए, अपना कोई अनुभव या इन पैराग्राफों में दिया कोई अनुभव बताइए।

12 ब्राज़ील में एक मसीही बहन ने, जिसे हम मारीआ कहेंगे, घर-घर प्रचार करते वक्‍त एक जवान स्त्री को ट्रैक्ट दिया। वह स्त्री उस बिल्डिंग से निकलकर कहीं और जा रही थी। मारीआ ने उस ट्रैक्ट के शीर्षक का ही इस्तेमाल करके यूँ बातचीत शुरू की: “क्या आप बाइबल के बारे में और ज़्यादा जानना चाहेंगी?” उस स्त्री ने कहा: “मैं ज़रूर जानना चाहूँगी। लेकिन मुश्‍किल यह है कि मैं एक टीचर हूँ और मेरा सारा वक्‍त बच्चों को पढ़ाने में निकल जाता है।” मारीआ ने उससे कहा कि वे चाहे तो टेलिफोन पर बाइबल के विषयों पर चर्चा कर सकती हैं। उस स्त्री ने मारीआ को अपना फोन नंबर दिया और उसी शाम, मारीआ ने परमेश्‍वर हमसे क्या माँग करता है? * ब्रोशर से टेलिफोन पर उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया।

13 इथियोपिया में पूरे समय सेवा करनेवाली एक बहन, टेलिफोन पर एक आदमी को गवाही दे रही थी, तो उसे फोन पर पीछे से किसी के झगड़ने की आवाज़ भी सुनायी पड़ी। बहन समझ नहीं पायी कि क्या हो रहा था। उस आदमी ने बहन से कहा कि वह उसे बाद में फोन करे। बाद में जब बहन ने फोन किया तो उस आदमी ने उससे माफी माँगी और बताया कि पिछली बातचीत के दौरान दरअसल उसके और उसकी पत्नी के बीच ज़ोरदार झगड़ा चल रहा था। बहन ने उसकी इसी बात का इस्तेमाल करके उसे बताया कि बाइबल, परिवार में उठनेवाली समस्याओं को हल करने के लिए कैसी बढ़िया सलाह देती है। बहन ने उसे बताया कि बहुत-से परिवारों को किताब, पारिवारिक सुख का रहस्य से काफी मदद मिली है, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है। बहन ने उस आदमी तक किताब पहुँचायी और कुछ दिनों बाद उसने उस आदमी को फोन किया। उस आदमी ने एहसान-भरे दिल से कहा: “इस किताब ने मेरी शादी-शुदा ज़िंदगी को बरबाद होने से बचा लिया!” यहाँ तक कि उस आदमी ने अपने पूरे परिवार को बिठाकर, उस किताब के बढ़िया मुद्दे बताए। उस आदमी के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया गया और कुछ ही समय बाद वह मसीही सभाओं में लगातार हाज़िर होने लगा।

14 डेनमार्क में एक राज्य प्रचारक ने टेलिफोन पर गवाही देकर, एक बाइबल अध्ययन शुरू किया। वह कहती है: “सर्विस ओवरसियर ने मुझे टेलिफोन पर गवाही देने के लिए उकसाया। शुरू में तो मुझमें हिम्मत नहीं थी, मैंने कहा: ‘यह काम मेरे बस का नहीं है!’ मगर फिर एक दिन मैंने किसी तरह हिम्मत जुटायी और पहला नंबर डायल किया। सोन्या नाम की एक स्त्री ने फोन उठाया और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद, मैंने उसे बाइबल की समझ देनेवाली किताबों के बारे में बताया, तो वह ये किताबें लेने को राज़ी हो गयी। एक शाम हमने सृष्टि के विषय पर बात की और उसने कहा कि वह जीवन—इसकी शुरूआत कैसे हुई? विकास से या सृष्टि से? * (अँग्रेज़ी) किताब पढ़ना चाहती है। मैंने कहा कि अगर हम आमने-सामने मिलकर उस विषय पर चर्चा करें तो ज़्यादा अच्छा रहेगा। वह राज़ी हो गयी। जब मैं सोन्या के पास गयी तो वह अध्ययन के लिए तैयार थी और तब से मैंने हर हफ्ते उसके साथ अध्ययन किया है।” हमारी वह मसीही बहन आखिर में कहती है: “कितने सालों से मैं बाइबल अध्ययन के लिए प्रार्थना कर रही थी, मगर मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे फोन पर गवाही देने से अध्ययन मिलेगा।”

15, 16. क्या आप यह साबित करने के लिए कुछ अनुभव बता सकते हैं कि बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए अलग-अलग मौके तलाशना फायदेमंद होता है?

15 लोग जहाँ कहीं भी मिलते हैं, वहाँ जाकर गवाही देने के सुझाव पर अमल करने से, बहुत-से प्रचारकों को अच्छी कामयाबी मिल रही है। अमरीका में एक मसीही बहन ने, अपनी कार को पार्किंग की जगह पर एक ऐसी वैन के पास खड़ा किया जो माल पहुँचाने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। जब वैन में बैठी एक स्त्री ने बहन को देखा, तो बहन ने उसे, हमारे बाइबल सिखाने के काम के बारे में बताया। उस स्त्री ने बहन की बात सुनी, और वह वैन से बाहर निकलकर कार के पास आयी। उसने बहन से कहा: “मैं आपकी बेहद शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने कार रोककर मुझसे बात की। काफी समय से मुझे आपका कोई बाइबल साहित्य नहीं मिला है। इतना ही नहीं, मैं दोबारा बाइबल का अध्ययन करना चाहती हूँ। क्या आप मुझे बाइबल सिखाएँगी?” इस तरह हमारी बहन ने खुशखबरी सुनाने के लिए एक बढ़िया मौका पैदा किया।

16 अमरीका में एक बहन, जब एक नर्सिंग होम में गवाही देने गयी, तो उसे यह अनुभव मिला: बहन वहाँ के एक अधिकारी से मिली और उसने उसे बताया कि वह उस होम में रहनेवालों की आध्यात्मिक तरीके से मदद करना चाहती है। उसने यह भी बताया कि अगर कोई बाइबल में दिलचस्पी रखता हो, तो उसे हफ्ते में एक बार मुफ्त में सिखाने में उसे बड़ी खुशी होगी। तब उस अधिकारी ने बहन को अलग-अलग कमरों में जाकर लोगों से मिलने की इजाज़त दी। कुछ ही समय में वह उस नर्सिंग होम में रहनेवाले 26 लोगों को, हफ्ते में तीन बार बाइबल सिखाने लगी। उनमें से एक जन हमारी सभाओं में बिना नागा हाज़िर होता है।

17. बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए अकसर क्या तरीका अपनाने से अच्छे नतीजे मिलते हैं?

17 कुछ राज्य प्रचारकों ने पाया है कि सीधे ही बाइबल अध्ययन की पेशकश करने से अच्छे नतीजे मिलते हैं। एक कलीसिया ने, जिसमें 105 प्रचारक थे, एक सुबह, प्रचार में मिलनेवाले हर घर-मालिक के सामने बाइबल अध्ययन की पेशकश करने की खास कोशिश की। उस दिन 86 प्रचारकों ने सेवा में हिस्सा लिया और दो घंटे प्रचार करने पर उन्होंने कम-से-कम 15 नए बाइबल अध्ययन शुरू किए।

योग्य लोगों की तलाश जारी रखिए

18, 19. यीशु की कौन-सी खास हिदायत को हमें मन में रखना चाहिए और वह लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें क्या ठान लेना चाहिए?

18 राज्य का एक प्रचारक होने के नाते, आप इस लेख में दिए सुझावों को आज़माकर देखना चाहेंगे। बेशक, आपके इलाके में गवाही देने के कौन-से तरीके ज़्यादा सही रहेंगे, इसका फैसला अपने यहाँ के रिवाज़ों को ध्यान में रखकर करना अक्लमंदी होगी। हम चाहे जो भी तरीका अपनाएँ, मगर हम यीशु की इस हिदायत को कभी न भूलें कि हमें योग्य लोगों की तलाश जारी रखनी चाहिए और चेले बनने में उनकी मदद करनी चाहिए।—मत्ती 10:11; 28:19.

19 अपना यह लक्ष्य पूरा करने के लिए, आइए हम ‘सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाएँ।’ इसके लिए ज़रूरी है कि हम जो कुछ कहें वह बाइबल से हो और हम दलीलों से लोगों को कायल करें। ऐसा करने से, हम अपना संदेश सुननेवालों के दिल तक पहुँच सकेंगे और उन्हें कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकेंगे। अगर हम प्रार्थना में यहोवा से मदद माँगकर यह काम करें, तो हम कुछ लोगों को यीशु मसीह के चेले बनने में मदद दे पाएँगे। वाकई, इस काम से जो खुशी मिलती है, वह किसी और काम से नहीं मिल सकती! इसलिए आइए ‘हम अपने आप को परमेश्‍वर के ग्रहणयोग्य ठहराने का प्रयत्न करें’ और राज्य के ऐसे जोशीले प्रचारक बनें जो हमेशा यहोवा की महिमा करते हैं और जिनके प्रचार का मकसद ही चेला बनाना है।—2 तीमुथियुस 2:15.

[फुटनोट]

^ पैरा. 12 इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ पैरा. 14 इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आपको याद है?

• अपुल्लोस को परमेश्‍वर के मार्ग के बारे में ठीक-ठीक जानने की ज़रूरत क्यों थी?

• प्रिस्किल्ला और अक्विला ने किन तरीकों से प्रेरित पौलुस से सीखा?

प्रेरितों के अध्याय 18 से आपने चेला बनाने के काम के बारे में क्या सीखा?

• आप चेला बनाने के मौके कैसे पैदा कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीर]

प्रिस्किल्ला और अक्विला ने अपुल्लोस को ‘परमेश्‍वर का मार्ग और भी ठीक ठीक बताया’

[पेज 20 पर तसवीर]

अपुल्लोस, चेला बनाने के काम में बहुत निपुण हो गया

[पेज 21 पर तसवीर]

पौलुस, जहाँ कहीं गया वहाँ उसने प्रचार किया

[पेज 23 पर तसवीरें]

प्रचार करने के लिए मौके पैदा कीजिए