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धोखे से बचने के लिए अपनी चौकसी कीजिए

धोखे से बचने के लिए अपनी चौकसी कीजिए

धोखे से बचने के लिए अपनी चौकसी कीजिए

“चौकस रहो कि कोई तुम्हें . . . व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न कर ले।”—कुलुस्सियों 2:8.

1-3. (क) कौन-सी मिसालें दिखाती हैं कि आज ज़िंदगी के हर पहलू में धोखा बुरी तरह समा चुका है? (ख) दुनिया में इतना धोखा देखकर हमें ताज्जुब क्यों नहीं करना चाहिए?

 “क्या आपमें से ऐसा कोई है जिसके मुवक्किल ने उससे कभी झूठ न बोला हो?” कुछ साल पहले कानून के एक प्रोफेसर ने यह सवाल पूछकर एक सर्वे किया था। उस सर्वे का नतीजा क्या निकला? वह खुद बताता है: “हज़ारों वकीलों में से मुझे सिर्फ एक वकील मिला जिसके मुवक्किल ने उससे झूठ नहीं बोला था।” इसकी क्या वजह थी? “उस वकील ने नयी-नयी वकालत शुरू की थी और जिस कंपनी का केस उसने अपने हाथ में लिया था, उससे अभी तक उसकी कोई बातचीत नहीं हुई थी।” यह अनुभव एक बहुत दुःखद सच्चाई पेश करता है—झूठ बोलना और धोखा देना आज की दुनिया का दस्तूर बन चुका है।

2 आज इंसान की ज़िंदगी में हर तरफ धोखा है और इसके रूप भी अलग-अलग हैं। टेलीविज़न और अखबार इनकी मिसालों से भरे पड़े हैं—नेता अपने कामों के बारे में झूठ बोलते हैं, अकाउंटटेन्ट और वकील मिलकर कंपनी के मुनाफे के बारे में बढ़-चढ़कर झूठ बोलते हैं, विज्ञापन देनेवाले जनता को ठगने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं, मुआवज़े का दावा करनेवाले लोग बीमा कंपनियों से झूठ बोलते हैं। ये तो कुछेक मिसालें हुईं। उस पर धर्म के नाम पर भी धोखा किया जाता है। पादरी अपने चर्च के सदस्यों को इंसान में अमर आत्मा होने, नरक की आग और त्रिएक की झूठी शिक्षाएँ सिखाकर धोखा देते हैं।—2 तीमुथियुस 4:3, 4.

3 क्या ये सारी धोखेबाज़ी देखकर हमें ताज्जुब होना चाहिए? जी नहीं। वह इसलिए कि “अन्तिम दिनों” के बारे में बाइबल में जो भविष्यवाणी की गयी है, उसमें हमें पहले से खबरदार कर दिया गया है: “दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।” (2 तीमुथियुस 3:1, 13) मसीही होने के नाते हमें धोखा देनेवाले ऐसे विचारों से चौकस रहना चाहिए जो हमें सच्चाई से भटका सकते हैं। ऐसे में दो सवाल उठना लाज़िमी हैं: आज के ज़माने में धोखा इस कदर क्यों पाया जाता है और हम धोखा खाने से खुद की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं?

आज की दुनिया में इतना धोखा क्यों है?

4. आज दुनिया में इतना धोखा क्यों है, इस बारे में बाइबल कैसे समझाती है?

4 बाइबल साफ शब्दों में इसका जवाब देती है कि क्यों आज की दुनिया में इस कदर धोखा पाया जाता है। प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा कि “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (1 यूहन्‍ना 5:19) वह “दुष्ट” शैतान यानी इब्‌लीस है। उसके बारे में यीशु ने यह कहा था: “वह . . . सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, बरन झूठ का पिता है।” तो क्या इसमें कोई ताज्जुब है कि यह संसार अपने शासक की वही धोखा देनेवाली आत्मा दिखाता है, उसी के नाप से नापता और उसी की तरह चालें चलता है?—यूहन्‍ना 8:44; 14:30; इफिसियों 2:1-3.

5. अंत के दिनों में शैतान ने धोखा देने की अपनी कोशिशें कैसे तेज़ कर दी हैं, और उसने खास तौर पर किसे अपना निशाना बनाया है?

5 अंत के इन दिनों में शैतान ने अपनी कोशिशें और तेज़ कर दी हैं। उसे धरती पर फेंक दिया गया है। वह जानता है कि उसका थोड़ा ही समय बचा है, इसलिए वह “बड़े क्रोध” में है। वह अपने साथ ज़्यादा-से-ज़्यादा इंसानों को लेकर मरना चाहता है जिस वजह से वह ‘सारे संसार को भरमा रहा है।’ (प्रकाशितवाक्य 12:9, 12) शैतान उनमें से नहीं जो कभी-कभार भरमाए बल्कि उसने तो इंसानों को भरमाने के लिए दिन-रात एक कर रखा है। * अविश्‍वासियों की बुद्धि को अंधा करने और उन्हें परमेश्‍वर से दूर रखने के लिए वह अपने हथियारों में हर किस्म के धोखे यानी ठग-विद्या और विश्‍वासघात का इस्तेमाल करता है। (2 कुरिन्थियों 4:4) यह महा धोखेबाज़ खास तौर पर उन लोगों को फाड़ खाने पर तुला है जो “आत्मा और सच्चाई” से परमेश्‍वर की उपासना कर रहे हैं। (यूहन्‍ना 4:24; 1 पतरस 5:8) मत भूलिए कि शैतान ने एक तरह से यह दावा किया है कि ‘मैं जिसे चाहूँ उसे परमेश्‍वर से दूर कर सकता हूँ।’ (अय्यूब 1:9-12) आइए हम गौर करें कि शैतान की कुछ “धूर्त युक्‍तियाँ” क्या हैं और हम उनसे कैसे अपनी चौकसी कर सकते हैं।—इफिसियों 6:11.

धर्मत्यागियों के धोखे से अपनी चौकसी कीजिए

6, 7. (क) धर्मत्यागी शायद क्या दावा करें? (ख) धर्मत्यागी जो चाहते हैं शास्त्रवचन में इसका साफ-साफ भंडा-फोड़ कैसे किया गया है?

6 शुरू से ही शैतान ने परमेश्‍वर के सेवकों को छलने के लिए धर्मत्यागियों का इस्तेमाल किया है। (मत्ती 13:36-39) शायद धर्मत्यागी यहोवा की उपासना करने का दावा करें और बाइबल में विश्‍वास भी ज़ाहिर करें, मगर वे धरती पर परमेश्‍वर के संगठन के अधीन नहीं होते। इनमें से कुछ तो दुनिया में साम्राज्य की तरह फैले ‘बड़े बाबुल’ की उन झूठी शिक्षाओं को फिर से मानने लगते हैं जिनसे परमेश्‍वर का अपमान होता है। (प्रकाशितवाक्य 17:5; 2 पतरस 2:19-22) परमेश्‍वर की प्रेरणा से बाइबल लेखकों ने धर्मत्यागियों के इरादों और तरीकों का ज़बरदस्त तरीके से भंडा-फोड़ किया है।

7 आखिर ये धर्मत्यागी चाहते क्या हैं? ज़्यादातर उस विश्‍वास को चुपचाप छोड़कर नहीं चले जाना चाहते जिसे वह शायद एक वक्‍त सच्चाई मानते थे। अकसर वे अपने साथ दूसरों को भी गलत रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। बजाय इसके कि सच्चाई से बाहर निकलकर अपने लिए अलग से चेले ढूँढ़ें, कई धर्मत्यागी “चेलों को [यानी, मसीह के चेलों को] अपने पीछे खींच लेने की” ताक में रहते हैं। (प्रेरितों 20:29, 30) झूठे शिक्षकों के बारे में प्रेरित पौलुस ने यह बेहद ज़रूरी चेतावनी दी: “चौकस रहो कि कोई तुम्हें . . . अहेर न कर ले।” (कुलुस्सियों 2:8) क्या कई धर्मत्यागी ऐसा ही नहीं करते? एक अपहरणकर्ता की तरह जो एक नादान को उसके परिवार से उठाकर ले जाता है उसी तरह धर्मत्यागी मसीही, कलीसिया के उन सदस्यों को झुंड से बाहर खींचने की ताक में रहते हैं जो उन पर भरोसा करते हैं।

8. धर्मत्यागी अपने इरादों में कामयाब होने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाते हैं?

8 धर्मत्यागी अपने मकसद में कामयाब होने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाते हैं? वे सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं, आधा सच और आधा झूठ मिलाकर बोलते हैं, या फिर सीधे-सीधे झूठी बातों का सहारा लेते हैं। यीशु जानता था कि ‘झूठ बोल बोलकर उनके विरोध में सब प्रकार की बुरी बात’ कहनेवाले लोग उसके चेलों पर ज़ुल्म ढाएँगे। (मत्ती 5:11) अपने मन में ज़हर रखनेवाले ये विरोधी दूसरों की आँखों में धूल झोंकने के लिए ऐसी बातें कहते हैं जो सही नहीं। प्रेरित पतरस ने ऐसे धर्मत्यागियों के बारे में खबरदार किया था जो “बातें गढ़कर,” “धोखा देनेवाली शिक्षाएँ” (NW) सिखाते हैं और अपने फायदे के लिए ‘पवित्र शास्त्र की बातों को खींच तानकर’ पेश करते हैं। (2 पतरस 2:3, 13; 3:16) दुःख की बात है कि ये धर्मत्यागी “कितनों के विश्‍वास को उलट पुलट” करने में कामयाब हो चुके हैं।—2 तीमुथियुस 2:18.

9, 10. (क) आप धर्मत्यागियों के धोखे में आने से कैसे बच सकते हैं? (ख) अगर परमेश्‍वर के मकसद के बारे में हमारी समझ में सुधार होते हैं, तो हमें बेवजह क्यों परेशान नहीं होना चाहिए?

9 हम धर्मत्यागियों के छलावे में आने से खुद की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं? परमेश्‍वर के वचन में दी गयी इस सलाह पर ध्यान देकर जो कहता है: “जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट पड़ने, और ठोकर खाने के कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो; और उन से दूर रहो।” (रोमियों 16:17) चाहे वे खुद, या किसी लेख में या इंटरनॆट पर दलीलें दें, हमें पूरी तरह अपने आपको बचाकर “उन से दूर” रहना है। हम आखिर ऐसा रवैया क्यों इख्तियार करते हैं? सबसे पहले इसलिए कि परमेश्‍वर का वचन हमें ऐसा करने का हुक्म देता है और हमें पूरा भरोसा है कि यहोवा जो भी कहता है वह हमारी भलाई के लिए कहता है।—यशायाह 48:17, 18.

10 दूसरी बात हम उस संगठन से प्यार करते हैं जिसने सच्चाई की ऐसी अनमोल शिक्षा हमें दी है जिसकी बदौलत हम पूरी तरह बड़े बाबुल से अलग हो पाए हैं। साथ ही, हम यह भी मानते हैं कि परमेश्‍वर के उद्देश्‍य के बारे में हमारी समझ सिद्ध नहीं है; बीते सालों में हमारी समझ में कई सुधार हुए हैं। वफादार मसीही ऐसे किसी भी सुधार के लिए यहोवा के समय का इंतज़ार करते हैं। (नीतिवचन 4:18) इस दौरान, हम उस संगठन को नहीं छोड़ेंगे जिसे यहोवा इस्तेमाल करने में खुश है और जिस पर हम साफ तौर पर परमेश्‍वर की आशीषें देख सकते हैं।—प्रेरितों 6:7; 1 कुरिन्थियों 3:6.

खुद को धोखा देने से चौकस रहिए

11. असिद्ध इंसानों में खुद को धोखा देने की फितरत क्यों होती है?

11 असिद्ध इंसानों में एक ऐसी फितरत पायी जाती है जिसका इस्तेमाल करने में शैतान देर नहीं लगाता और वह है, खुद को धोखा देना। यिर्मयाह 17:9 कहता है: “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है।” और याकूब ने लिखा: “प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।” (याकूब 1:14) अगर हमारा हृदय धोखेबाज़ है, तो वह हमें पाप करने के लिए लुभा सकता है और हमें यकीन दिलाने की कोशिश कर सकता है कि इसमें कोई बुराई नहीं। ऐसा नज़रिया एक धोखा है और खुद को पाप के हवाले कर देने से, आखिर में हम खुद ही तबाह हो जाएँगे।—रोमियों 8:6.

12. हम किन तरीकों से खुद को धोखा देने के जाल में फँस सकते हैं?

12 हम खुद को धोखा देने के फँदे में आसानी से फँस सकते हैं। हमारा विश्‍वासघाती दिल हमारी शख्सियत के किसी दुर्गुण को नज़रअंदाज़ कर सकता है या फिर कोई गंभीर पाप करने के बाद चिकनी-चुपड़ी बातें करके उसे जायज़ ठहरा सकता है। (1 शमूएल 15:13-15, 20, 21) हमारा धोखेबाज़ दिल ऐसे आचरण को जायज़ ठहराने के तरीके भी ढूँढ़ सकता है जो मसीहियों को शोभा नहीं देते। मनोरंजन की मिसाल लीजिए। कई किस्म के मनोरंजन मसीहियों के लिए सही हैं और उनमें आनंद भी आता है। लेकिन आज की इस दुनिया का ज़्यादातर मनोरंजन जैसे फिल्में, टी.वी. कार्यक्रम और इंटरनॆट साइट्‌स अश्‍लीलता और अनैतिकता से भरी पड़ी हैं। यह सोचकर खुद को धोखा देना आसान है कि हम पर अश्‍लील मनोरंजन का कोई बुरा असर नहीं होगा। यहाँ तक कि कुछ लोग यह दलील देते हैं, “अगर मेरे विवेक को कोई कचोट महसूस नहीं होती, तो इसमें क्या बुराई है?” लेकिन ऐसे लोग ‘खुद को झूठी दलीलों से धोखा दे’ रहे हैं।—याकूब 1:22, NW.

13, 14. (क) बाइबल का कौन-सा उदाहरण दिखाता है कि हमारा विवेक हमेशा सही राह नहीं दिखाता? (ख) हम खुद को धोखा देने से कैसे चौकस रह सकते हैं?

13 हम खुद को धोखा देने के फँदे से अपनी चौकसी कैसे कर सकते हैं? सबसे पहले तो हमें याद रखने की ज़रूरत है कि इंसान का विवेक हमेशा भरोसेमंद नहीं होता। मिसाल के तौर पर प्रेरित पौलुस को ही लीजिए। एक मसीही बनने से पहले वह मसीह के चेलों पर ज़ुल्म ढाया करता था। (प्रेरितों 9:1, 2) उस वक्‍त उसके ज़मीर ने उसे ऐसा करने से नहीं रोका। ज़ाहिर है कि उसका ज़मीर उसे गलत रास्ता दिखा रहा था। वह खुद बताता है: “मैं ने अविश्‍वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।” (1 तीमुथियुस 1:13) इसलिए महज़ यह सच्चाई कि हमारा विवेक हमें किसी मनोरंजन के मामले में नहीं कचोटता, इस बात की गारंटी नहीं कि हम सही रास्ते पर चल रहे हैं। सिर्फ एक ऐसा अच्छा विवेक जिसे परमेश्‍वर के वचन से तालीम दी गयी है, वही हमें सही राह दिखा सकता है।

14 अगर हम खुद को धोखा देने से बचाना चाहते हैं, तो हमें कुछ मददगार सुझावों को मन में रखने की ज़रूरत है। प्रार्थना के साथ अपनी जाँच कीजिए। (भजन 26:2; 2 कुरिन्थियों 13:5) ईमानदारी के साथ खुद की जाँच करने से हो सकता है कि हमें अपने अंदर ऐसे सोच-विचार या तौर-तरीके नज़र आएँ जिन्हें बदलने की ज़रूरत है। दूसरों की ध्यान से सुनिए। (याकूब 1:19) ज़्यादातर मामलों में हमें खुद की जाँच से अपने अंदर कोई बुराई नज़र नहीं आती, इसलिए यह बुद्धिमानी होगी कि हम अपने बारे में दूसरे संगी प्रौढ़ मसीहियों की राय ध्यान से सुनें। अगर आप पाते हैं कि आपके कुछ फैसले अनुभवी प्रौढ़ मसीहियों की नज़र में सही नहीं हैं, तो आप खुद से यह पूछ सकते हैं, ‘कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरा विवेक सही तरह से प्रशिक्षित नहीं या फिर कहीं मेरा हृदय मुझे धोखा तो नहीं दे रहा?’ नियमित तौर पर बाइबल और बाइबल की समझ देनेवाले साहित्य से आध्यात्मिक भोजन लीजिए। (भजन 1:2) ऐसा करने से आपके विचार, नज़रिया, और आपकी भावनाएँ परमेश्‍वर के सिद्धांतों के मुताबिक होंगी।

शैतान के झूठ से चौकस रहिए

15, 16. (क) हमें छलने की कोशिश में शैतान कैसे-कैसे झूठ इस्तेमाल करता है? (ख) हम ऐसे झूठ से धोखा खाने से कैसे बचे रह सकते हैं?

15 हमें फँसाने की कोशिश में शैतान तरह-तरह के झूठ का इस्तेमाल करता है। वह हमें यह यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि धन-दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ों से ही सच्ची खुशी और संतोष मिलता है, लेकिन अकसर इससे उलटा होता है। (सभोपदेशक 5:10-12) वह हमें यह विश्‍वास दिलाना चाहता है कि यह दुष्ट दुनिया यूँ ही चलती रहेगी जबकि सारे सबूत यह साफ दिखा रहे हैं कि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5) शैतान इस विचारधारा को बढ़ावा देता है कि अनैतिक ज़िंदगी जीने में कोई बुराई नहीं जबकि हकीकत यह है कि सुख-विलास के पीछे दौड़नेवाले अकसर बुरे अंजाम भुगतते हैं। (गलतियों 6:7) हम ऐसे झूठ के धोखे में आने से कैसे बच सकते हैं?

16 बाइबल में दी गयी मिसालों से सबक सीखिए। बाइबल में हमारी चेतावनी के लिए उन लोगों की मिसालें दर्ज़ हैं जिन्होंने शैतान के झूठ से धोखा खाया था। उन्होंने दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ों से प्यार किया और वक्‍त की नज़ाकत को नहीं समझा या अनैतिकता में लगकर बुरे-से-बुरे अंजाम भुगते। (मत्ती 19:16-22; 24:36-42; लूका 16:14; 1 कुरिन्थियों 10:8-11) हमारे ज़माने की मिसालों से सबक सीखिए। दुःख की बात है कि कभी-कभी कुछ मसीही भूल जाते हैं कि वे किस दौर में जी रहे हैं और मानने लगते हैं कि परमेश्‍वर की सेवा करने की वजह से वह बहुत कुछ खो रहे हैं। हो सकता है कि वे इस दुनिया के सुख-विलास को पाने के लिए सच्चाई भी छोड़ दें। लेकिन ऐसे लोग “फिसलनेवाले स्थानों” में हैं क्योंकि आज नहीं तो कल उनकी अभक्‍ति के काम उन्हें ले डूबेंगे। (भजन 73:18, 19) दूसरों की गलतियों से सबक लेनेवाला ही समझदार कहलाता है।—नीतिवचन 22:3.

17. शैतान यह झूठ क्यों फैलाता है कि यहोवा न तो हमें प्यार करता, न ही उसकी नज़रों में हमारी कोई कीमत है?

17 एक और ऐसा झूठ है जिसे शैतान ने बहुत ज़बरदस्त ढंग से इस्तेमाल किया है और वह है कि यहोवा न तो हमें प्यार करता, न ही उसकी नज़रों में हमारी कोई कीमत है। शैतान असिद्ध इंसानों का हज़ारों साल से अध्ययन करता आया है। और वह यह अच्छी तरह से जानता है कि निराशा हमें किस कदर कमज़ोर बना सकती है। (नीतिवचन 24:10) इसलिए वह यह झूठ फैलाता है कि परमेश्‍वर की नज़रों में हम कूड़ा हैं। अगर हम “गिराए” गए हैं और इस बात का यकीन कर लेते हैं कि यहोवा को हमारी बिलकुल भी परवाह नहीं है, तो हो सकता है कि हमारी हिम्मत जवाब दे जाए और हम सबकुछ छोड़कर बैठें। (2 कुरिन्थियों 4:9) दुनिया को धोखा देनेवाला महा धोखेबाज़ ठीक यही चाहता है! तो फिर हम शैतान के इस झूठ से धोखा खाने से कैसे बच सकते हैं?

18. बाइबल हमें कैसे यकीन दिलाती है कि यहोवा हमसे प्यार करता है?

18 परमेश्‍वर हमसे जितना प्यार करता है, उसके बारे में बाइबल जो कुछ कहती है उसे खुद पर लागू कीजिए। यहोवा का वचन दिल छू जानेवाली ऐसी कुछ तसवीरें पेश करता है जो हमें यकीन दिलाती हैं कि वह हमें देखता है और हममें से हरेक को प्यार करता है। यहोवा आपके आँसुओं को अपनी “कुप्पी” में रखता है जिसका मतलब है कि वह उन आँसुओं को देखता है और उन्हें याद रखता है जो आपने वफादारी से उसकी सेवा करने में जूझते वक्‍त बहाए हैं। (भजन 56:8) वह जानता है कि कब “आपका मन टूटा” हुआ है और ऐसे में वह आपके करीब रहता है। (भजन 34:18) वह आपके बारे में हर छोटी-से-छोटी जानकारी रखता है, यहाँ तक कि ‘आपके सिर में कितने बाल हैं,’ इस बारे में भी वह जानता है। (मत्ती 10:29-31) सबसे बढ़कर उसने आपकी खातिर “अपना एकलौता पुत्र दे” दिया। (यूहन्‍ना 3:16; गलतियों 2:20) कई बार आपको यह यकीन करने में मुश्‍किल हो सकती है कि यह वचन आप पर निजी तौर लागू होता है। लेकिन हमें यहोवा की बात पर भरोसा करना चाहिए। वह चाहता है कि हमें यह यकीन हो जाए कि वह न सिर्फ एक समूह के तौर पर बल्कि हममें से हरेक को प्यार करता है।

19, 20. (क) शैतान के इस झूठ को पहचानना और पूरी तरह इनकार करना ज़रूरी क्यों है कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता? (ख) एक सफरी ओवरसियर मायूस भाइयों की कैसे मदद कर पाया?

19 झूठ को पहचानिए और उसे पूरी तरह ठुकरा दीजिए। अगर आप जान जाते हैं कि कोई आपसे झूठ बोल रहा है, तो यही जानकारी धोखा खाने से आपको बचा सकती है। वैसे ही यह जानकर कि शैतान आपको इस झूठ का यकीन दिलाना चाहता है कि यहोवा आपको प्यार नहीं करता, उसके छलावे से बचने के लिए ज़बरदस्त मदद है। प्रहरीदुर्ग का एक अंक पढ़ने के बाद जिसमें शैतान की धूर्त युक्‍तियों के बारे में खबरदार किया था, एक मसीही बहन ने लिखा: “मुझे इसका बिलकुल एहसास नहीं था कि मुझे निराश करने के लिए शैतान मेरी ही भावनाओं से खेलने की कोशिश करता है। यह जानने के बाद मुझे इन भावनाओं से लड़ने की प्रेरणा मिली है।”

20 एक दक्षिण अमरीकी देश के एक सफरी ओवरसियर के अनुभव पर गौर कीजिए। कुछ ऐसे भाई-बहनों के पास चरवाही भेंट के दौरान जिनका मन बहुत दुःखी था, वह अकसर उनसे यह पूछता था, ‘क्या आप त्रिएक में विश्‍वास करते हैं?’ निराश भाई या बहन अकसर जवाब देते थे, ‘बिलकुल नहीं,’ क्योंकि उन्हें पता था कि यह शैतान की एक झूठी तालीम है। उसके बाद वह सफरी ओवरसियर पूछता, ‘क्या आप नरक-अग्नि में विश्‍वास करते हैं?’ फिर उसे वही जवाब मिलता, ‘बिलकुल नहीं!’ उसके बाद वह सफरी ओवरसियर उनसे कहता कि शैतान ने ऐसा ही एक और झूठ फैला रखा है जिसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। उसके बाद वह उनका ध्यान यहोवा के करीब आओ, * किताब के पेज 249, पैराग्राफ 21 पर दिलाता जहाँ इस झूठ का परदाफाश किया गया है। वह है कि यहोवा एक इंसान से निजी तौर पर प्यार नहीं करता। वह ओवरसियर बताता है कि उसकी भेंट के बढ़िया नतीजे निकले हैं, इससे मायूस लोगों को हिम्मत मिली है और उन्होंने शैतान के इस झूठ को मानने से पूरी तरह इनकार कर दिया।

धोखा खाने से अपनी चौकसी कीजिए

21, 22. हम शैतान की धूर्त युक्‍तियों के बारे में अँधेरे में क्यों नहीं हैं, और हमें क्या करने का दृढ़ फैसला करना चाहिए?

21 अंतिम दिनों के इस आखिरी समय में यह उम्मीद की जा सकती है कि शैतान झूठ और धोखेबाज़ी से इस दुनिया को भरता चला जाएगा। लेकिन हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि शैतान की धूर्त युक्‍तियों के बारे में यहोवा ने हमें अँधेरे में नहीं रखा। बाइबल और “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की तैयार की गयी बाइबल की समझ देनेवाली किताबें साफ-साफ शैतान के इन दुष्ट तरीकों का परदाफाश करती हैं। (मत्ती 24:45) पहले से चेतावनी पाने से हमें तैयार रहने में मदद मिलेगी।—2 कुरिन्थियों 2:11.

22 इसलिए आइए हम धर्मत्यागियों की दलीलों से अपनी चौकसी करें। हम खुद को धोखा देने के धूर्त खतरे से बचे रहने का दृढ़ फैसला कर लें। और शैतान के हर झूठ को पहचानकर उसे पूरी तरह ठुकरा दें। ऐसा करने से हम “सत्यवादी ईश्‍वर” के साथ अपने रिश्‍ते की हिफाज़त कर पाएँगे जो हर तरह के झूठ से नफरत करता है।—भजन 31:5; नीतिवचन 3:32.

[फुटनोट]

^ प्रकाशितवाक्य 12:9 में जिस क्रिया का अनुवाद ‘भरमाना’ किया गया है, उसके बारे में एक किताब कहती है कि यह “एक लगातार की जानेवाली कोशिश है जो अब उसकी फितरत बन चुकी है।”

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आपको याद है?

• आज दुनिया में इतना धोखा क्यों है?

• हम धर्मत्यागियों से धोखा खाने से खुद को कैसे बचा सकते हैं?

• हम खुद को धोखा देने के किसी भी झुकाव से अपनी चौकसी कैसे कर सकते हैं?

• हम शैतान के झूठ से धोखा खाने से कैसे बच सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17 पर तसवीर]

मनोरंजन के मामले में खुद को धोखा मत दीजिए

[पेज 18 पर तसवीर]

खुद को धोखा देने से बचने के लिए प्रार्थना के साथ अपनी जाँच कीजिए, दूसरों की सुनिए और नियमित तौर पर परमेश्‍वर के वचन से आध्यात्मिक भोजन लीजिए