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“सुसमाचार प्रचार का काम कर”

“सुसमाचार प्रचार का काम कर”

“सुसमाचार प्रचार का काम कर”

“तू सब बातों में सावधान रह, . . . सुसमाचार प्रचार का काम कर।”—2 तीमुथियुस 4:5.

1. यीशु ने अपने चेलों को क्या ज़िम्मेदारी सौंपी?

 आज यहोवा के नाम और उद्देश्‍यों के बारे में धरती के कोने-कोने तक प्रचार किया जा रहा है। यह इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि परमेश्‍वर के समर्पित लोग यीशु की दी गयी ज़िम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभा रहे हैं। यीशु ने अपने चेलों से कहा: “तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।”—मत्ती 28:19, 20.

2. ओवरसियर तीमुथियुस को क्या हिदायत दी गयी थी, और एक तरीका क्या है जिससे मसीही ओवरसियर अपनी सेवा पूरी कर सकते हैं?

2 पहली सदी में यीशु के चेलों ने उस ज़िम्मेदारी को गंभीरता से लिया। उदाहरण के लिए, प्रेरित पौलुस ने अपने साथी और मसीही ओवरसियर, तीमुथियुस को यह कहकर उकसाया: “सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर।” (2 तीमुथियुस 4:5) आज एक ओवरसियर जब प्रचार का काम जोश के साथ और नियमित तौर पर करता है, तो कहा जा सकता है कि वह अपनी सेवा पूरी कर रहा है। मसलन, कलीसिया के पुस्तक अध्ययन ओवरसियर को यह खास ज़िम्मेदारी दी गयी है कि वह प्रचार में अगुवाई करे और दूसरों को सेवा करने की तालीम दे। यह ऐसी ज़िम्मेदारी है जिसे निभाने पर उसे गहरा संतोष मिलता है। पौलुस ने खुद प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के साथ-साथ, दूसरों को भी यह काम करना सिखाया।—प्रेरितों 20:20; 1 कुरिन्थियों 9:16, 17.

प्राचीन समय के जोशीले प्रचारक

3, 4. फिलिप्पुस को प्रचार काम में क्या-क्या अनुभव हुए?

3 शुरू के मसीही, जोश के साथ प्रचार करने के लिए जाने जाते थे। फिलिप्पुस नाम के एक प्रचारक की बात लीजिए। वह उन “सात सुनाम पुरुषों” में से एक था जो “पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण” थे और जिन्हें यरूशलेम में यूनानी और इब्रानी भाषा बोलनेवाली मसीही विधवाओं को, बिना किसी पक्षपात के रोज़ाना भोजन बाँटने के लिए चुना गया था। (प्रेरितों 6:1-6) इस खास काम के पूरा होने के बाद, जब ज़ुल्मों का दौर शुरू हुआ तो प्रेरितों को छोड़, यरूशलेम के सभी मसीही तितर-बितर हो गए। उस वक्‍त फिलिप्पुस सामरिया चला गया। वहाँ उसने खुशखबरी सुनायी और पवित्र आत्मा की सामर्थ से दुष्टात्माओं को निकाला, लंगड़ों और लकवे के मारों को चंगा किया। कई सामरियों ने राज्य संदेश कबूल किया और बपतिस्मा लिया। जब यरूशलेम में रहनेवाले प्रेरितों को ये खबरें मिलीं, तो उन्होंने प्रेरित पतरस और यूहन्‍ना को सामरिया भेजा ताकि वहाँ के नए-नए बपतिस्मा पाए विश्‍वासी, पवित्र आत्मा पा सकें।—प्रेरितों 8:4-17.

4 इसके बाद, परमेश्‍वर की आत्मा से मार्गदर्शन पाकर फिलिप्पुस, अज्जाह की ओर जानेवाले रास्ते पर गया और वहाँ कूशी खोजे से मिला। जब फिलिप्पुस ने ‘कूशियों की रानी कन्दाके के इस मन्त्री’ को यशायाह की भविष्यवाणी के बारे में साफ-साफ समझाया, तो उसने यीशु मसीह पर विश्‍वास किया और बपतिस्मा लिया। (प्रेरितों 8:26-38) इस घटना के बाद फिलिप्पुस, अशदोद और फिर कैसरिया गया। और रास्ते में पड़नेवाले हर ‘नगर में वह सुसमाचार सुनाता गया।’ (प्रेरितों 8:39, 40) इसमें शक नहीं कि प्रचार काम में फिलिप्पुस ने एक बढ़िया मिसाल रखी।

5. फिलिप्पुस की चार बेटियाँ खासकर किस बात के लिए जानी गयीं?

5 करीब 20 साल बाद, जब फिलिप्पुस कैसरिया में था तब भी उसने वही जोश बरकरार रखा। जब पौलुस और लूका उसके घर ठहरे, तो उन्होंने देखा कि “उस की चार कुंवारी पुत्रियां थीं; जो भविष्यद्वाणी करती थीं।” (प्रेरितों 21:8-10) फिलिप्पुस की बेटियों को ज़रूर आध्यात्मिक बातों में अच्छी तालीम दी गयी होगी, उनमें सेवा के लिए जोश था और उन्हें भविष्यवाणी करने का भी सुअवसर मिला था। आज भी अगर माता-पिता, सेवा के लिए जोश दिखाएँ तो उनके बेटे-बेटियों पर इसका अच्छा असर पड़ सकता है, और उन्हें यह प्रेरणा मिल सकती है कि वे ज़िंदगी भर जोश के साथ सेवा करते रहें।

आज के जोशीले प्रचारक

6. पहली सदी के प्रचारकों को कैसी कामयाबी मिली?

6 यीशु ने हमारे समय और अंत के दिनों से ताल्लुक रखनेवाली अपनी महान भविष्यवाणी में कहा: “अवश्‍य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए।” (मरकुस 13:10) उसने यह भी कहा कि जब सुसमाचार “सारे जगत में प्रचार किया जाएगा” तब अंत आ जाएगा। (मत्ती 24:14) पहली सदी में जब पौलुस और दूसरे प्रचारकों ने खुशखबरी सुनायी, तो बहुत-से लोग विश्‍वासी बने और पूरे रोमी साम्राज्य में जगह-जगह कलीसियाएँ बनीं। इन कलीसियाओं में सेवा के लिए नियुक्‍त किए गए प्राचीनों ने अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर प्रचार किया और इस काम को दूर-दूर तक फैलाया। उन दिनों, यहोवा का वचन बड़े ही ज़बरदस्त तरीके से चारों तरफ फैलता गया, ठीक जैसे आज लाखों यहोवा के साक्षियों के प्रचार काम से यह फैल रहा है। (प्रेरितों 19:20) क्या आप भी उन लोगों में से एक हैं जो खुशी-खुशी यहोवा की स्तुति कर रहे हैं?

7. आज राज्य के प्रचारक क्या कर रहे हैं?

7 आज कई राज्य प्रचारक, अपने हालात का अच्छा इस्तेमाल करके प्रचार काम में ज़्यादा-से-ज़्यादा हिस्सा ले रहे हैं। हज़ारों भाई-बहन मिशनरियों के तौर पर और लाखों लोग रेग्युलर और ऑक्ज़लरी पायनियर बनकर पूरे समय की सेवा में लगे हैं। बाकी सभी भाई, बहन और बच्चे भी पूरे जोश के साथ प्रचार कर रहे हैं, जिसके लिए उनकी सचमुच तारीफ करनी चाहिए! जी हाँ, आज यहोवा के सभी लोग मसीही प्रचारकों के नाते एक-दूसरे के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर सेवा कर रहे हैं, और बेशुमार आशीषों का आनंद उठा रहे हैं।—सपन्याह 3:9.

8. आज किस तरह निशानी लगायी जा रही है, और यह काम कौन कर रहा है?

8 परमेश्‍वर ने यीशु के अभिषिक्‍त चेलों को सारी धरती पर खुशखबरी सुनाने का काम सौंपा है। और मसीह की ‘अन्य भेड़ों’ की बढ़ती तादाद, इस काम में उनका हाथ बँटा रही है। (यूहन्‍ना 10:16, NW) भविष्यवाणी के मुताबिक, जीवन बचानेवाले इस काम में मानो उन लोगों के माथे पर निशानी लगायी जा रही है जो आज दुनिया में होनेवाले घृणित कामों को देखकर आहें भर रहे और शोक मना रहे हैं। वह समय करीब आ गया है कि दुष्टों का नाश किया जाए। उस घड़ी के आने तक धरती पर रहनेवालों को जीवनदायी सच्चाइयाँ सुनाने का हमारे पास क्या ही बढ़िया अवसर है!—यहेजकेल 9:4-6, 11.

9. नए लोगों को सेवा में कैसे मदद दी जा सकती है?

9 अगर हमें प्रचार काम में तजुर्बा है, तो हम ज़रूर कलीसिया के नए लोगों की मदद कर सकते हैं। हम कभी-कभी उन्हें अपने साथ सेवा में ले जा सकते हैं। जो प्राचीनों की हैसियत से सेवा करते हैं, उन्हें बढ़ावा दिया जाता है कि वे अपने मसीही भाई-बहनों को आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत करने में अपना भरसक करें। नम्रता से सेवा करनेवाले ओवरसियर, दूसरों को जोश के साथ प्रचार करने और बढ़िया नतीजे हासिल करने में अच्छी तरह मदद दे सकते हैं।—2 पतरस 1:5-8.

घर-घर जाकर गवाही देना

10. मसीह और उसके शुरू के चेलों ने सेवा में क्या मिसाल कायम की?

10 यीशु मसीह ने, प्रचार करने के मामले में अपने चेलों के लिए एक उम्दा मिसाल कायम की। मसीह और उसके प्रेरितों की सेवा के बारे में परमेश्‍वर का वचन कहता है: “वह नगर नगर और गांव गांव प्रचार करता हुआ, और परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरने लगा। और वे बारह उसके साथ थे।” (लूका 8:1, 2क) और खुद प्रेरितों के बारे में क्या कहा जा सकता है? सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त में जब उन पर पवित्र आत्मा उँडेली गयी, तो उसके बाद से वे “प्रति दिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रुके।”—प्रेरितों 5:42.

11. प्रेरितों 20:20, 21 के मुताबिक, प्रेरित पौलुस ने अपनी सेवा में क्या किया?

11 प्रेरित पौलुस ने प्रचार का काम बड़ी गर्मजोशी के साथ किया था, इसीलिए वह इफिसुस के मसीही प्राचीनों से यह कह सका: “[मैं] जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका।” पौलुस ने जब “घर घर सिखाने” की बात की, तो क्या वह यह कह रहा था कि वह यहोवा के उपासकों यानी विश्‍वासियों के घर जाकर, उनके पास चरवाही भेंट करता था? नहीं, क्योंकि वह आगे कहता है: “[मैं] यहूदियों और यूनानियों के साम्हने गवाही देता रहा, कि परमेश्‍वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास करना चाहिए।” (प्रेरितों 20:20, 21) जो अपना जीवन यहोवा को समर्पित कर चुके हैं, उन्हें आम तौर पर ‘परमेश्‍वर की ओर मन फिराने और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास करने’ के बारे में खास हिदायतों की ज़रूरत नहीं होती। तो पौलुस यह कह रहा था कि घर-घर जाकर अविश्‍वासियों को पश्‍चाताप और विश्‍वास के बारे में सिखाते वक्‍त, उसने अपने साथ इफिसुस के मसीही प्राचीनों को ले जाकर उन्हें इस काम में तालीम दी। ऐसा करके पौलुस, यीशु के दिखाए नमूने पर चला।

12, 13. फिलिप्पियों 1:7 के मुताबिक, यहोवा के लोगों ने प्रचार करने के अपने अधिकार के बारे में क्या कदम उठाया है?

12 घर-घर जाकर प्रचार करना हमारे लिए एक चुनौती हो सकती है। मसलन, जब हम घर-घर जाकर बाइबल का संदेश सुनाते हैं, तो कुछ लोगों को हमारा उनके घर जाना पसंद नहीं आता। हम लोगों को नाराज़ नहीं करना चाहते। मगर घर-घर जाकर प्रचार करना, बाइबल की एक माँग है। साथ ही, परमेश्‍वर और पड़ोसियों के लिए प्यार हमें उकसाता है कि हम इसी तरह गवाही दें। (मरकुस 12:28-31) घर-घर प्रचार करने के अधिकार की ‘रक्षा करने’ और कानून के माध्यम से उसका ‘पुष्टिकरण करने’ के लिए हमने अदालत का दरवाज़ा भी खटखटाया है। हम अमरीका के उच्चतम न्यायालय तक भी गए हैं। (फिलिप्पियों 1:7, NHT) और लगभग हर बार इस अदालत ने हमारे ही पक्ष में फैसला सुनाया है। इसकी एक मिसाल यहाँ दी गयी है:

13 “धर्म से संबंधित ट्रैक्ट बाँटना, प्रचार करने का सदियों पुराना तरीका रहा है। इसकी शुरूआत तभी हुई जब छपाई मशीन की ईजाद हुई थी। बीते कई सालों के दौरान, बहुत-से धार्मिक आंदोलनों में यही तरीका अपनाया गया जिससे बड़ी कामयाबी हासिल हुई। आज भी कई धार्मिक पंथ इसी तरीके से बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहे हैं। इन पंथों के लोग किताबें बाँटने के लिए हज़ारों घरों में जाते और लोगों से खुद मिलकर उन्हें सुसमाचार सुनाते और अपने पंथ की तरफ खींचने की कोशिश करते हैं। . . . [अमरीका के संविधान के] प्रथम संशोधन के तहत इस तरह के धार्मिक काम को वही मान्यता दी गयी है जो चर्चों में होनेवाली उपासना और मंच से दिए जानेवाले उपदेश को मिली है।”—मरडक वी. पेन्सिलवेनिया, सन्‌ 1943.

प्रचार क्यों करते रहें?

14. हमारे प्रचार करने का कैसा असर पड़ सकता है?

14 घर-घर जाकर लोगों को गवाही देने के कई कारण हैं। जब भी हम किसी घर-मालिक से बात करते हैं, तो हम बाइबल सच्चाई का एक बीज बोने की कोशिश करते हैं। फिर वापसी भेंट करके हम उस बीज को सींचते हैं। घर-मालिक से इस तरह मिलते रहने से उस पर बढ़िया असर पड़ सकता है, क्योंकि पौलुस ने लिखा: “मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्‍वर ने बढ़ाया।” (1 कुरिन्थियों 3:6) इसलिए आइए हम लगातार बीज ‘बोते और सींचते’ रहें और भरोसा रखें कि यहोवा ज़रूर ‘उसे बढ़ाएगा।’

15, 16. हम बार-बार लोगों के घर क्यों जाते हैं?

15 हम प्रचार का काम इसलिए करते हैं क्योंकि आज लोगों की ज़िंदगी दाँव पर है। प्रचार करने से हम अपना और अपने सुननेवालों का उद्धार कर सकते हैं। (1 तीमुथियुस 4:16) अगर किसी की जान खतरे में है, तो क्या हम उसे बचाने के लिए बस एक बार, थोड़ी-सी कोशिश करके चुप बैठ जाएँगे? नहीं! तो हम इसलिए बार-बार लोगों के घर जाते हैं क्योंकि हमारा संदेश कबूल करने से उनका उद्धार हो सकता है। लोगों के हालात बदलते रहते हैं। हो सकता है आज एक इंसान बहुत व्यस्त हो, मगर किसी और दिन वह बाइबल का संदेश सुनने को राज़ी हो जाए। जिस घर में हम पहले भी जा चुके हैं वहाँ दोबारा जाने से, हो सकता है कोई और सदस्य हमारा संदेश सुने और बाइबल पर चर्चा करने को तैयार हो जाए।

16 लोगों के हालात ही नहीं, उनका नज़रिया भी बदल सकता है। मसलन, अगर कोई अपने किसी अज़ीज़ की मौत से बेहद दुःखी है, तो वह शायद राज्य का संदेश सुनना चाहे। हम चाहेंगे कि ऐसे इंसान को दिलासा दें, उसे उसकी आध्यात्मिक ज़रूरत का एहसास दिलाएँ और उसे पूरा करने का तरीका समझाएँ।—मत्ती 5:3, 4.

17. हमारे प्रचार करने की सबसे अहम वजह क्या है?

17 घर-घर जाकर प्रचार करने या मसीही सेवा के दूसरे पहलुओं में हिस्सा लेने की सबसे अहम वजह यह है कि हम यहोवा का नाम सारी दुनिया पर ज़ाहिर करना चाहते हैं। (निर्गमन 9:16; भजन 83:18) जो सच्चाई और धार्मिकता से प्यार करते हैं, जब हम उन्हें प्रचार करते हैं तो वे भी यहोवा की स्तुति करनेवाले बन जाते हैं। और यह देखकर हमें कितनी खुशी होती है! भजनहार ने अपने गीत में गाया: “हे जवानो और कुमारियो, हे पुरनियो और बालको! यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसी का नाम महान है; उसका ऐश्‍वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।”—भजन 148:12, 13.

प्रचार करने से खुद हमें फायदा होता है

18. प्रचार का काम करने से खुद हमें क्या फायदा होगा?

18 प्रचार का काम करने से खुद हमें भी कई फायदे होते हैं। घर-घर जाकर खुशखबरी सुनाने से हम अपने अंदर नम्रता का गुण बढ़ा पाते हैं, खासकर ऐसे वक्‍त पर जब लोग हमारे साथ अदब से पेश नहीं आते। प्रचार में असरदार होने के लिए हमें पौलुस की तरह होना चाहिए जो ‘सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बना कि कइयों का उद्धार कर सके।’ (1 कुरिन्थियों 9:19-23) सेवा में जैसे-जैसे हम तजुर्बा पाते हैं, हम व्यवहार-कुशल बनते हैं। अगर हम यहोवा पर भरोसा रखें और बोलने के लिए सही शब्द चुनें, तो हम पौलुस की इस सलाह पर चल रहे होंगे: “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।”—कुलुस्सियों 4:6.

19. पवित्र आत्मा, प्रचारकों के लिए कैसे मददगार है?

19 प्रचार का काम हमें परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा पर भरोसा रखने के लिए भी उभारता है। (जकर्याह 4:6) और पवित्र आत्मा हमारे अंदर उसके फल पैदा करती है—“प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम।” (गलतियों 5:22, 23) इसलिए सेवा में हम ये गुण ज़ाहिर कर पाते हैं। इससे लोगों के साथ हमारे पेश आने के तरीके पर असर पड़ता है। क्योंकि आत्मा के निर्देशन पर चलने से हम प्रचार काम में लोगों पर प्यार ज़ाहिर करते हैं, खुश रहते और मेल या शांति से पेश आते हैं, धीरज धरते और कृपा दिखाते हैं, भलाई करते और विश्‍वास दिखाते हैं, नम्रता से पेश आते और संयम बरतते हैं।

20, 21. प्रचार काम में व्यस्त रहने से हमें क्या-क्या आशीषें और फायदे मिलते हैं?

20 प्रचारक होने के नाते, हमें मिलनेवाली एक और आशीष यह है कि हम दिन-ब-दिन ज़्यादा हमदर्द बनते हैं। जब लोग हमें अपनी दुःख-तकलीफें सुनाते हैं, जैसे बीमारी, बेरोज़गारी या घर की समस्याओं के बारे में, तब हम भले ही उनके सलाहकार नहीं बन जाते मगर उन्हें बाइबल से कुछ ऐसी आयतें बताते हैं जिससे उन्हें हिम्मत और सांत्वना मिलती है। हम ऐसे लोगों के बारे में फिक्रमंद हैं जिन्हें आध्यात्मिक अंधेरे में रखा गया है मगर उन्हें धार्मिकता से लगाव है। (2 कुरिन्थियों 4:4) और जो ‘अनंत जीवन के लिए सही मन रखते’ हैं उनकी आध्यात्मिक तरीके से मदद करने पर हमें क्या ही गहरा संतोष मिलता है!—प्रेरितों 13:48, NW.

21 प्रचार काम में नियमित तौर पर हिस्सा लेने से हमें आध्यात्मिक बातों पर ध्यान लगाए रहने में मदद मिलती है। (लूका 11:34) यह सचमुच फायदेमंद है क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो हम ऐशो-आराम की चीज़ों की तरफ लुभाए जाएँगे, जो कि दुनिया में बहुत आम हैं। प्रेरित यूहन्‍ना ने मसीहियों को ज़बरदस्त शब्दों में यह सलाह दी: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात्‌ शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (1 यूहन्‍ना 2:15-17) प्रभु की सेवा में हमारे पास करने के लिए बहुत-सा काम है इसलिए अगर हम प्रचार में हमेशा व्यस्त रहेंगे, तो हमारा दुनिया से लगाव होने का खतरा कम रहेगा।—1 कुरिन्थियों 15:58.

स्वर्ग में धन इकट्ठा कीजिए

22, 23. (क) मसीही प्रचारक किस तरह का धन इकट्ठा करते हैं? (ख) अगला लेख हमें क्या जानने में मदद देगा?

22 राज्य का प्रचार जोश के साथ करने से हमेशा के फायदे मिलते हैं। यही बात समझाते हुए यीशु ने कहा: “अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।”—मत्ती 6:19-21.

23 आइए हम लगातार स्वर्ग में धन इकट्ठा करते रहें क्योंकि हम जानते हैं कि सारे जहान के मालिक यहोवा के साक्षियों के तौर पर अपनी पहचान कराने से बड़ा सम्मान और कोई नहीं हो सकता। (यशायाह 43:10-12) एक मसीही बहन, जो 90 से ज़्यादा साल की है, परमेश्‍वर की सेवा में बितायी अपनी लंबी ज़िंदगी के बारे में कहती है: “मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ कि उसने मेरी खामियों के बावजूद, इन गुज़रे सालों के दौरान मुझे अपनी सेवा के लिए कबूल किया। अपने दिल की गहराइयों से मैं यही दुआ करती हूँ कि वह हमेशा के लिए मेरा अज़ीज़ पिता बना रहे।” शायद हम भी परमेश्‍वर के सेवक होने की अपनी ज़िम्मेदारी निभाते वक्‍त ऐसा ही महसूस करें। अगर हम उस बहन की तरह, परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को अनमोल समझते हैं तो बेशक हम प्रचार करने की ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाना चाहेंगे। अगला लेख हमें यह समझने में मदद देगा कि हम कैसे अपनी सेवा को अच्छी तरह पूरा कर सकते हैं।

आपका जवाब क्या होगा?

• हमें क्यों प्रचार का काम करना चाहिए?

• बीते ज़माने के और आज के प्रचारकों की सेवा के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

• हम घर-घर जाकर क्यों गवाही देते हैं?

• प्रचार का काम करने से आपको क्या फायदा होता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीरें]

फिलिप्पुस और उसकी बेटियों के जैसे खुशी से प्रचार करनेवाले आज भी हैं

[पेज 14 पर तसवीर]

दूसरों को खुशखबरी सुनाने से आपको क्या फायदा होता है?