बैरी संसार में कृपा दिखाने का यत्न करना
बैरी संसार में कृपा दिखाने का यत्न करना
“मनुष्य कृपा [“निरंतर प्रेम-कृपा,” NW] करने के अनुसार चाहने योग्य होता है।”—नीतिवचन 19:22.
1. कृपा दिखाना इतना मुश्किल क्यों है?
क्या आप खुद को कृपालु इंसान समझते हैं? अगर ऐसा है तो आज की दुनिया में जीना आपके लिए बहुत मुश्किल हो सकता है। यह सच है कि बाइबल कृपा को “आत्मा का फल” बताती है, लेकिन मसीही कहलानेवाले देशों में भी कृपा का यह गुण दिखाना इतना मुश्किल क्यों हो गया है? (गलतियों 5:22) जैसा हमने पिछले लेख में पढ़ा था, कुछ हद तक इसका जवाब हमें प्रेरित यूहन्ना के इन शब्दों से मिल सकता है कि सारा संसार एक दुष्ट आत्मिक प्राणी, शैतान यानी इब्लीस के वश में पड़ा है। (1 यूहन्ना 5:19) यीशु मसीह ने बताया था कि शैतान “इस संसार का सरदार है।” (यूहन्ना 14:30) इसलिए यह दुनिया अपने विद्रोही शासक के नक्शेकदम पर चलना चाहती है जिसके खूँखार बर्ताव से उसकी शख्सियत का पता चलता है।—इफिसियों 2:2.
2. किन वजहों से हमारे लिए कृपा दिखाना मुश्किल हो सकता है?
2 जब दूसरे हमारे साथ कठोर बर्ताव करते हैं तो हमारी ज़िंदगी पर इसका बहुत बुरा असर होता है। हमारा वास्ता ऐसे पड़ोसियों से पड़ सकता है जो हमसे जलते हैं, ऐसे अजनबियों से जो हमें शक की निगाह से देखते हैं यहाँ तक कि हमारे दोस्त और घर के लोग भी कभी-कभी ऐसे काम करते हैं जिनसे हमें ठेस पहुँचती है। रोज़-रोज़ ऐसे लोगों का सामना करना जो बदतमीज़ हैं, या जो चीखते-चिल्लाते हैं और बात-बात पर गाली गलौज करते हैं वाकई हमें निराश कर सकता है। दूसरों में इस कदर कृपा की कमी देखकर हम खुद भी दूसरों के लिए मन में बैर पालने लग सकते हैं और कठोरता का जवाब कठोरता से देने की सोच सकते हैं। इससे हमें आध्यात्मिक या शारीरिक नुकसान भी हो सकता है।—रोमियों 12:17.
3. कृपा दिखाने की इच्छा रखनेवालों के सामने कौन-सी गंभीर समस्याएँ खड़ी होती हैं?
3 दुनिया के हालात की वजह से भी हमारे लिए कृपा दिखाना मुश्किल हो सकता है। मिसाल के लिए, आतंकवादी हमलों के डर या जैविक या अलग-अलग देशों के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की बातें सोच-सोचकर लोगों का तनाव बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा करोड़ों लोग गरीबी की मार सह रहे हैं, वे दो वक्त के खाने, सिर पर छत, तन ढकने के लिए कपड़ा या बीमारी के इलाज के लिए तरसते हैं। जब हालात के अच्छे होने की उम्मीद न के बराबर हो तो कृपा दिखाना एक चुनौती बन जाता है।—सभोपदेशक 7:7.
4. जब दूसरों को कृपा दिखाने की बात आती है, तो कुछ लोग किस गलत सोच में पड़ जाते हैं?
4 एक इंसान इस गलत सोच में पड़ सकता है कि कृपा दिखाना ज़रूरी नहीं है, यहाँ तक कि वह इसे कमज़ोरी की निशानी समझे। खास तौर पर जब दूसरे उसके सिर पर सवार होने लगते हैं, तो उसे लगता है कि उसका फायदा उठाया जा रहा है। (भजन 73:2-9) लेकिन बाइबल हमें सही हिदायत देते हुए यह कहती है: ‘नरमी से दिया गया जवाब, जलजलाहट को दूर करता है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है।’ (नीतिवचन 15:1, NW) नर्मदिली और कृपा परमेश्वर की आत्मा के दो ऐसे पहलू हैं जिनका बहुत करीबी रिश्ता है और जो मुश्किल हालात का सामना करने में बहुत असरदार साबित होते हैं।
5. ज़िंदगी के किन पहलुओं में हमें कृपा दिखाने की ज़रूरत होती है?
5 मसीही होने के नाते परमेश्वर की पवित्र आत्मा के फल ज़ाहिर करना हमारे लिए बहुत अहमियत रखता है, इसलिए हमें गौर करना चाहिए कि हम इनमें से एक फल—कृपा कैसे दिखा सकते हैं। इस बैरी संसार में क्या कृपा से बर्ताव करना मुमकिन है? अगर मुमकिन है, तो किन पहलुओं में हम कृपा दिखा सकते हैं? खासकर तनाव-भरे माहौल में जब शैतान हमारी कृपा की भावना को दबाने की कोशिश करता है तो हम कैसे सबूत दे सकते हैं कि हम उसकी कोशिशों को नाकाम कर रहे हैं? आइए हम चर्चा करें कि परिवार में, काम की जगह पर, स्कूल में, पड़ोसियों के साथ पेश आते वक्त, प्रचार में और मसीही भाई-बहनों के साथ कैसे कृपा दिखायी जा सकती है।
परिवार में कृपा
6. परिवार में कृपा दिखाना क्यों ज़रूरी है और यह कैसे दिखायी जा सकती है?
6 यहोवा की आशीष और उसका मार्गदर्शन पाने के लिए बेहद ज़रूरी है कि हम अपने अंदर आत्मा के फल पूरी तरह से पैदा होने दें। (इफिसियों 4:32) आइए गौर करें कि कैसे परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के साथ कृपा से पेश आने की खास ज़रूरत है। पति-पत्नी को आपस में और बच्चों के साथ अपने रोज़मर्रा के व्यवहार में कृपा और परवाह दिखानी चाहिए। (इफिसियों 5:28-33; 6:1, 2) परिवार के लोग जिस तरह आपस में बात करते हैं, बच्चे जिस तरह माँ-बाप को आदर देते हैं, उनकी इज़्ज़त करते हैं और जिस तरह माँ-बाप अपने बच्चों के साथ अच्छा बर्ताव करते हैं इन सबमें कृपा दिखायी देनी चाहिए। शाबाशी देने में देर मत कीजिए और गुस्सा होने में जल्दबाज़ी मत कीजिए।
7, 8. (क) अगर हमें परिवार में सच्ची कृपा दिखानी है तो हमें किस तरह के बर्ताव से दूर रहना होगा? (ख) अच्छी बातचीत से कैसे परिवार का आपसी रिश्ता मज़बूत होता है? (ग) आप अपने परिवार में कैसे कृपा दिखा सकते हैं?
7 अपने परिवार के सदस्यों के साथ कृपा से पेश आने का मतलब प्रेरित पौलुस की इस सलाह को मानना है: “इन सब को अर्थात् क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।” मसीही परिवार में सबको हर दिन एक-दूसरे के साथ बातचीत करनी चाहिए और ऐसा करते वक्त उन्हें एक-दूसरे को आदर देना चाहिए। क्यों? क्योंकि इस तरह की अच्छी बातचीत मज़बूत, सुखी परिवारों की जीवन डोर साबित होती है। जब कभी आपस में टकराव पैदा हो तो बहस जीतने के बजाय मामले को सुलझाने की कोशिश कीजिए। जब परिवार के सदस्य सुखी होते हैं तो वे कृपा और एक-दूसरे के लिए परवाह दिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं।—कुलुस्सियों 3:8, 12-14.
8 कृपा भला गुण है और यह हमें दूसरों का भला करने को उकसाता है। इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम परिवार के सदस्यों के काम आएँ, उन्हें लिहाज़ दिखाएँ और उनकी ज़रूरत के मुताबिक उनकी मदद करें। ऐसी कृपा दिखाने के लिए घर के हर सदस्य को मिलकर कोशिश करनी चाहिए जिससे परिवार का नाम रोशन हो। इससे, न सिर्फ उन्हें परमेश्वर से आशीष मिलेगी बल्कि कलीसिया में और जिस समाज में वे रहते हैं, वहाँ कृपा के परमेश्वर यहोवा का सम्मान होगा।—1 पतरस 2:12.
काम की जगह पर कृपा
9, 10. बताइए, काम की जगह पर कौन-सी समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं और इन्हें कृपा के साथ कैसे निपटा जा सकता है यह भी बताइए।
9 एक मसीही के लिए रोज़मर्रा नौकरी की जगह पर संगी कर्मचारियों के साथ कृपा से पेश आना एक चुनौती हो सकता है। आगे बढ़ने की होड़ की वजह से कोई धोखे या छल से आपकी नौकरी खतरे में डाल सकता है और मालिक की नज़रों में आपको गिरा सकता है। (सभोपदेशक 4:4) ऐसे में कृपा दिखाना आसान नहीं होता। फिर भी, एक बात हमेशा ध्यान में रखिए कि अकसर कृपा से पेश आना ही सबसे सही काम होता है। यहोवा के सेवक होने के नाते जहाँ तक मुमकिन हो हमें ऐसे लोगों का दिल जीतने की कोशिश करनी चाहिए जो हमें पसंद नहीं करते। ऐसे मामले में दूसरों को परवाह दिखाने से बात बन सकती है। शायद आपके साथी कर्मचारी की तबियत ठीक न हो या उसके परिवार में कोई बीमार हो तब आप उसके लिए अपनी चिंता जता सकते हैं। सिर्फ हालचाल पूछने से भी एक इंसान पर काफी अच्छा असर पड़ सकता है। जी हाँ, मसीहियों को जहाँ तक हो सके दूसरों के साथ मेल-मिलाप और शांति बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। कई बार, दूसरे के लिए हमदर्दी में कहे गए दो शब्द हालात को सुधारने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
10 दूसरे मामलों में, हो सकता है कि एक मालिक अपने कर्मचारी पर अपनी मरज़ी थोपना चाहता हो। वह चाहता है कि सभी कर्मचारी, देशभक्ति के किसी काम या बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ किसी समारोह में हिस्सा लें। जब एक मसीही अपने विवेक की वजह से ऐसा करने से इनकार करता है, तो उसे अपने मालिक से बात करनी पड़ सकती है जो शायद उससे बहुत नाराज़ हो। उस वक्त मालिक को यह बताने के लिए लंबा-चौड़ा भाषण देना बुद्धिमानी नहीं होगी कि ऐसा करना कितना गलत है। जो लोग मसीही विश्वास को नहीं मानते उन्हें ऐसे कामों में कोई बुराई नज़र नहीं आती। (1 पतरस 2:21-23) अच्छा होगा कि आप कृपा के साथ पेश आते हुए समझाएँ कि क्यों आप ऐसे समारोहों में भाग नहीं ले सकते। अगर आप पर ताना कसा जाता है, तो शांत रहिए। रोमियों 12:18 में दी गयी बढ़िया सलाह पर चलना एक मसीही के लिए सही होगा, जहाँ लिखा है: “जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।”
स्कूल में कृपा
11. स्कूल के अपने साथियों के साथ कृपा से पेश आने में बच्चों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
11 स्कूल जानेवाले बच्चों के लिए अपने साथियों को कृपा दिखाना वाकई एक चुनौती हो सकता है। बच्चे अकसर चाहते हैं कि उनकी क्लास के साथी उन्हें पसंद करें। कुछ लड़के दूसरे बच्चों की नज़रों में छाने के लिए ताकतवर दिखने की कोशिश करते हैं यहाँ तक कि स्कूल के छोटे बच्चों को खूब तंग करते हैं। (मत्ती 20:25) कुछ और बच्चे दिखाना चाहते हैं कि वे पढ़ाई में, खेलकूद और दूसरी बातों में औरों से बेहतर हैं। इस चक्कर में अकसर वे क्लास के साथियों और दूसरे विद्यार्थियों के साथ बुरा सलूक करते हैं। अपने हुनर और काबिलीयत की वजह से उन्हें दूसरों को अपने से छोटा समझने की गलतफहमी हो जाती है। एक मसीही लड़के या लड़की को ध्यान रखना चाहिए कि वे इन बच्चों जैसा बनने की कोशिश न करें। (मत्ती 20:26, 27) प्रेरित पौलुस ने कहा था कि “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है” और प्रेम “अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।” इसलिए मसीही बच्चों का फर्ज़ बनता है कि वे दूसरों की बुरी मिसालों पर चलकर उनके जैसा बुरा सलूक न करें। इसके बजाय अपने साथियों के साथ उस तरह पेश आएँ जैसे बाइबल कहती है।—1 कुरिन्थियों 13:4.
12. (क) अपने टीचरों के साथ कृपा से पेश आना बच्चों के लिए एक चुनौती क्यों हो सकता है? (ख) जब दूसरों के साथ बुरा सलूक करने का दबाव डाला जाता है तब बच्चे किससे मदद की उम्मीद कर सकते हैं?
12 बच्चों को अपने टीचरों के साथ भी कृपा से पेश आना चाहिए। कई बच्चों को अपने टीचरों को तंग करने में मज़ा आता है। उन्हें लगता है कि स्कूल के कायदे-कानूनों को तोड़कर अपने टीचरों की खिल्ली उड़ाना होशियारी का सबूत है। वे दूसरों को डरा-धमकाकर अपने साथ मिला सकते हैं। जब एक मसीही लड़का या लड़की उनके साथ शामिल होने से मना करता है, तो हो सकता है उसे ताने सहने पड़ें या फिर मार खानी पड़े। स्कूल के पूरे साल ऐसी चुनौतियों का सामना करते रहने से एक मसीही के कृपा दिखाने के इरादे की परीक्षा हो सकती है। लेकिन हमेशा मन में रखिए कि यहोवा का वफादार बने रहना बेहद ज़रूरी है। पूरा यकीन रखिए कि ज़िंदगी की इस मुश्किल घड़ी में वह अपनी आत्मा देकर आपको सँभालेगा।—भजन 37:28.
पड़ोसियों के लिए कृपा
13-15. अपने पड़ोसी को कृपा दिखाने में क्या बाधाएँ आ सकती हैं और इनसे कैसे निपटा जा सकता है?
13 आप चाहे किसी मकान में, अपार्टमेंट में या कहीं और रहते हों ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपने पड़ोसियों को कृपा दिखा सकते हैं और उन्हें यह एहसास दिला सकते हैं कि आप उनकी परवाह करते हैं। मगर, हम फिर कहेंगे कि ऐसा करना आसान नहीं है।
14 अगर आपका पड़ोसी आपको इसलिए पसंद नहीं करता क्योंकि आप दूसरी जाति, देश या धर्म के हैं, तब क्या? या तब क्या जब वे आपसे बेरुखी से पेश आते हैं या फिर आपको बिलकुल ही नज़रअंदाज़ कर देते हैं? यहोवा के सेवक होने के नाते जहाँ तक हो सके हमें कृपा दिखाने से मदद मिलती है। ऐसा करने से आप दूसरों से एकदम अलग नज़र आएँगे, लोग आपकी संगति में रहना चाहेंगे और सबसे बढ़कर इससे कृपा की सबसे बेहतरीन मिसाल कायम करनेवाले यहोवा की महिमा होगी। आप नहीं कह सकते कि आपके लगातार कृपा दिखाने से कब आपका पड़ोसी अपना नज़रिया बदल ले। हो सकता है वह खुद यहोवा का उपासक बन जाए।—1 पतरस 2:12.
15 पड़ोसियों को कैसे कृपा दिखायी जा सकती है? सबसे पहला तरीका है आपके परिवार के अच्छे चालचलन से जिसमें हर सदस्य आत्मा के फल दिखाता हो। आपके पड़ोसी शायद इस बात पर गौर करें। हो सकता है कि कभी आप अपने पड़ोसी की कुछ मदद कर सकें। याद रखिए कृपा का मतलब है दूसरों की भलाई करने में गहरी दिलचस्पी लेना।—1 पतरस 3:8-12.
प्रचार में कृपा
16, 17. (क) प्रचार में कृपा दिखाना क्यों अहमियत रखता है? (ख) प्रचार के अलग-अलग पहलुओं में कैसे कृपा दिखायी जा सकती है?
16 प्रचार में जब हम पूरी लगन के साथ लोगों से उनके घरों, काम-काज की और सार्वजनिक जगहों पर मिलने की कोशिश करते हैं, तो हमारे बर्ताव में उन्हें कृपा दिखायी देनी चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि हम उस यहोवा परमेश्वर के प्रतिनिधि हैं जो हमेशा कृपा से पेश आता है।—निर्गमन 34:6.
17 किन तरीकों से प्रचार में कृपा दिखायी जा सकती है? मिसाल के लिए, जब आप सड़क गवाही का काम कर रहे हों तब लोगों से थोड़े शब्दों में बात करके और उनके हालात को मन में रखकर आप कृपा दिखा सकते हैं। फुटपाथ पर अकसर आने-जानेवालों की भीड़ होती है, इसलिए ध्यान रहे कि आप बीच रास्ते में खड़े न हों। साथ ही बिज़नेस इलाकों में काम करते वक्त यह समझते हुए कि दुकानदारों को अपने ग्राहकों को भी देखना होता है, अपनी बात थोड़े शब्दों में कहिए।
18. प्रचार में समझ से काम लेने की क्या अहमियत है?
18 घर-घर प्रचार करते वक्त समझ से काम लीजिए। अंदर बुलाए जाने पर बहुत देर तक मत बैठिए खासकर खराब मौसम से बचने के लिए। क्या आप भाँप सकते हैं कि घर-मालिक कब आपकी बात से उकताने लगता है यहाँ तक कि आप पर झल्लाने लगा है? हो सकता है आपके इलाके में यहोवा के साक्षी अकसर लोगों के घर जाते हों। अगर ऐसा है तो खास तौर पर लिहाज़ दिखाइए, हमेशा कृपा से पेश आइए और दोस्ताना अंदाज़ में बात कीजिए। (नीतिवचन 17:14) घर-मालिक उस दिन आपकी बात न सुनने की जो वजह बताए उसे मंज़ूर कीजिए। याद रखिए कि कोई-न-कोई भाई-बहन आनेवाले दिनों में फिर उस घर-मालिक से बात करने आएगा। अगर आपकी मुलाकात किसी अक्खड़ इंसान से हो तो कृपा दिखाने की खास कोशिश कीजिए। ऊँची आवाज़ में या भौंहे तानकर बात मत कीजिए, बल्कि शांत होकर बोलिए। एक कृपालु मसीही घर-मालिक को बहसबाज़ी के लिए नहीं उकसाएगा। (मत्ती 10:11-14) हो सकता है कि एक दिन वह आदमी राज्य की खुशखबरी पर ध्यान दे।
कलीसिया की सभाओं में कृपा
19, 20. कलीसिया में कृपा की ज़रूरत क्यों होती है और यह कैसे दिखायी जा सकती है?
19 अपने संगी विश्वासियों को कृपा दिखाना भी बहुत अहमियत रखता है। (इब्रानियों 13:1) हम पूरे संसार में फैली मसीही बिरादरी का हिस्सा हैं इसलिए एक-दूसरे के साथ कृपा से पेश आना बेहद ज़रूरी है।
20 अगर दो या उससे भी ज़्यादा कलीसियाएँ एक ही किंगडम हॉल इस्तेमाल करती हैं, तो दूसरी कलीसिया के सदस्यों के साथ कृपा से पेश आना और उनके साथ गरिमा से व्यवहार करना ज़रूरी है। जब सभाओं का समय तय करने या साफ-सफाई या मरम्मत करने की बात आती है, तो एक-दूसरे से बैर-भाव रखने के बजाय साथ मिलकर काम करने से काफी मदद मिलती है। अगर आपस में राय मेल न भी खाए, तो भी कृपा से पेश आते हुए लिहाज़ दिखाइए। इस तरह कृपा की जीत होगी और दूसरों की भलाई करने में आप जो मेहनत करते हैं यहोवा उस पर सचमुच आशीष देगा।
कृपा दिखाते रहिए
21, 22. कुलुस्सियों 3:12 के मुताबिक हम सबका क्या इरादा होना चाहिए?
21 कृपा का गुण इतना खास है कि यह हमारी ज़िंदगी के हर पहलू पर असर डालता है। इसलिए हमें इस गुण को अपनी मसीही शख्सियत का हिस्सा बनाना चाहिए। दूसरों के साथ कृपा से पेश आना हमारी आदत बन जानी चाहिए।
22 ऐसा हो कि हम हर दिन दूसरों के साथ कृपा से व्यवहार करें और प्रेरित पौलुस के इन शब्दों को अपनी ज़िंदगी में लागू करें: “परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करुणा, और भलाई [“कृपा,” NW], और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।”—कुलुस्सियों 3:12.
क्या आपको याद है?
• किन वजहों से एक मसीही के लिए कृपा दिखाना मुश्किल हो सकता है?
• अपने परिवार में कृपा दिखाना ज़रूरी क्यों है?
• स्कूल, नौकरी की जगह, और पड़ोस में कृपा दिखाने में कौन-सी बाधाएँ आती हैं?
• समझाइए कि मसीही, प्रचार करते वक्त लोगों को कृपा कैसे दिखा सकते हैं।
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 18 पर तसवीर]
परिवार में जब सभी कृपा दिखाते हैं तो इससे एकता और सहयोग की भावना बढ़ती है
[पेज 19 पर तसवीर]
जब आपका साथी कर्मचारी या उसके परिवार में कोई बीमार होता है तब आप कृपा दिखा सकते हैं
[पेज 20 पर तसवीर]
जो ठट्ठा सहते हुए भी वफादारी से कृपा दिखाते हैं यहोवा उन्हें सँभाले रहता है
[पेज 21 पर तसवीर]
ज़रूरत की घड़ी में पड़ोसी की मदद करना कृपा दिखाना है