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मेक्सिको में अँग्रेज़ी बोलनेवालों को मौका ढूँढ़कर गवाही देना

मेक्सिको में अँग्रेज़ी बोलनेवालों को मौका ढूँढ़कर गवाही देना

मेक्सिको में अँग्रेज़ी बोलनेवालों को मौका ढूँढ़कर गवाही देना

अथेने में अपने सफरी साथियों का इंतज़ार करते वक्‍त प्रेरित पौलुस ने समय का अच्छा इस्तेमाल किया। उसने मौका ढूँढ़कर लोगों को गवाही दी। बाइबल कहती है: ‘चौक में जो लोग मिलते थे, उन से वह हर दिन वाद-विवाद किया करता था।’ (प्रेरितों 17:17) यीशु ने एक बार यहूदिया से गलील लौटते वक्‍त रास्ते में कुँए के पास, एक सामरी स्त्री को गवाही दी थी। (यूहन्‍ना 4:3-26) क्या आप भी उनकी तरह परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने के लिए हर मौके का इस्तेमाल करते हैं?

मेक्सिको में मौका ढूँढ़कर गवाही देने के बढ़िया अवसर मिलते हैं, खासकर अँग्रेज़ी बोलनेवालों को। पर्यटक वहाँ के खूबसूरत नज़ारों का लुत्फ उठाने आते हैं, नए-नए विद्यार्थी विश्‍वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए आते रहते हैं और जो विदेशी रिटायरमेंट के बाद, मेक्सिको में बस गए हैं वे अकसर पार्कों और रेस्तराँ में समय बिताने आते हैं। अँग्रेज़ी जाननेवाले कई यहोवा के साक्षी ऐसे लोगों से बातचीत शुरू करने में कुशल हो गए हैं। दरअसल, साक्षी हमेशा मौकों की तलाश में रहते हैं कि कब कोई विदेशी या अँग्रेज़ी बोलनेवाला मिले और वे उसे गवाही दें। आइए देखें कि वे बातचीत कैसे शुरू करते हैं।

मेक्सिको में अँग्रेज़ी बोलनेवालों को प्रचार करने के लिए दूसरे मुल्कों से कुछ साक्षी आए हुए हैं। जिन्हें देखते ही पता चल जाता है कि वे विदेशी हैं, उनसे बातचीत शुरू करने के लिए वे एक आसान-सा तरीका अपनाते हैं। वे बस अपना परिचय देते और उनसे पूछते हैं कि वे कहाँ से आए हैं। तब विदेशी भी अकसर साक्षियों से पूछते हैं कि आप मेक्सिको में क्या कर रहे हैं। इससे गवाही देने का रास्ता खुल जाता है। मसलन, ग्लोरीया नाम की एक साक्षी ने पाया है कि बातचीत शुरू करने का यह तरीका बड़ा आसान है। वह इस देश के वहाका प्रांत में सेवा करती है जहाँ अँग्रेज़ी बोलनेवाले प्रचारकों की सख्त ज़रूरत है। एक बार उसने नगर के चौक में मौका ढूँढ़कर लोगों को प्रचार किया और जब वह घर लौट रही थी तो रास्ते में एक शादी-शुदा जोड़ा उसके पास आया। वे इंग्लैंड से आए हुए थे। पत्नी ने बड़ी हैरानी से ग्लोरीया से कहा: “मैं विश्‍वास नहीं कर पा रही हूँ कि यहाँ वहाका की सड़कों पर मैं एक काली औरत को देख रही हूँ!” ग्लोरीया ने इस बात का बुरा नहीं माना बल्कि हँस पड़ी। फिर वे बात करने लगे और ग्लोरीया ने उनको बताया कि वह मेक्सिको क्यों आयी है। उस स्त्री ने ग्लोरीया को अपने घर कॉफी पीने के लिए बुलाया। ग्लोरीया ने उससे मिलने का समय तय किया और फिर उसे प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ दीं। मगर स्त्री ने इनकार करते हुए कहा कि मैं परमेश्‍वर को नहीं मानती। जवाब में ग्लोरीया ने कहा कि उसे नास्तिकों से बात करना बहुत अच्छा लगता है और वह इस लेख के बारे में उसकी राय जानना चाहती है: “उपासना की जगह—क्या हमें इनकी ज़रूरत है?” वह स्त्री इस बात पर राज़ी हुई और बोली: “अगर आपने मुझे कायल कर दिया कि परमेश्‍वर है, तो कमाल हो जाएगा।” कॉफी का मज़ा लेते हुए उन्होंने कई दिलचस्प बातें कीं। कुछ समय बाद वह जोड़ा इंग्लैंड लौट गया मगर ई-मेल के ज़रिए ग्लोरिया से उनकी बातचीत होती रही।

ग्लोरिया ने सारॉन नाम की एक विद्यार्थी को भी कुछ इसी तरह से गवाही दी। सारॉन, वॉशिंगटन डी.सी. से आयी हुई थी। वह वहाका प्रांत में मास्टर की डिग्री पूरी करने के लिए वहाँ की महिलाओं के साथ स्वयंसेवा कर रही थी। ग्लोरीया ने पहले सारॉन के नेक काम की तारीफ की और फिर मेक्सिको आने का अपना मकसद बताया। इससे बाइबल पर एक अच्छी बातचीत शुरू हुई और ग्लोरीया ने उसे समझाया कि परमेश्‍वर न सिर्फ गरीबों के लिए बल्कि सभी के लिए क्या करनेवाला है। सारॉन ने कहा कि अमरीका में कभी साक्षियों से उसकी बातचीत नहीं हुई थी मगर यहाँ मेक्सिको में वह जिन अजनबियों से शुरूआत में मिली, उनमें यहोवा के साक्षी भी थे, वाकई यह क्या ही अजीब बात है! सारॉन बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गयी और फौरन मसीही सभाओं में हाज़िर होने लगी।

बहुत-से विदेशी, मेक्सिको के समुद्र-तट के पर्यटन-स्थलों की तरफ खिंचे चले आते हैं क्योंकि कुछ पल के लिए ही सही मगर खूबसूरत माहौल में जीने की ख्वाहिश एक तरह से यहाँ पूरी हो जाती है। लोगों की इसी ख्वाहिश का ज़िक्र करके लॉरल नाम की एक साक्षी आकापुल्को में आनेवालों से बातचीत शुरू करती है। वह लोगों से पूछती है कि वे जिस जगह से आए हैं उसके मुकाबले, क्या आकापुल्को उन्हें फिरदौस जैसा लगता है और उन्हें इस जगह की कौन-सी बात ज़्यादा पसंद है। फिर वह उन्हें समझाती है कि बहुत जल्द सारी धरती, सचमुच एक फिरदौस में बदल जाएगी। कनाडा से आयी एक स्त्री से उसने इसी तरीके से बातचीत शुरू की। उस स्त्री से उसकी मुलाकात जानवरों के एक डॉक्टर की क्लिनिक में हुई थी। नतीजा यह हुआ कि उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू हो गया। क्या आपके इलाके में भी ऐसा ही तरीका अपनाना असरदार होगा?

‘सड़कों और चौकों में’

अकसर सड़कों और चौकों पर यह सवाल पूछकर बातचीत शुरू की जाती है: “क्या आप अँग्रेज़ी बोलते हैं?” मेक्सिको के बहुत-से निवासी अपने पेशे की वजह से या पहले अमरीका में रहने की वजह से अँग्रेज़ी बोल लेते हैं।

एक भाई और उसकी पत्नी ने एक बुज़ुर्ग स्त्री को देखा जिसे एक नर्स पहिया-कुर्सी पर ले जा रही थी। उन्होंने उस स्त्री से पूछा कि क्या वह अँग्रेज़ी बोलती है। उसने हाँ कहा क्योंकि वह कई साल अमरीका में रह चुकी थी। उसने प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ लीं, जो उसने पहले कभी नहीं पढ़ी थीं। फिर उसने साक्षियों को अपना नाम और पता दिया। उसका नाम कोनस्वेलो था। चार दिन बाद जब वह जोड़ा उससे मिलने गया तो उन्होंने देखा कि वह एक वृद्धाश्रम में रहती है जिसे कैथोलिक ननें चलाती हैं। शुरू में ऐसा लगा कि कोनस्वेलो से मिलना बहुत मुश्‍किल है क्योंकि वहाँ की ननें उन साक्षियों पर शक करने लगीं और उन्होंने कहा कि कोनस्वेलो उनसे नहीं मिल सकती। उस जोड़े ने ननों से बहुत गुज़ारिश की। उन्होंने कहा कि वे कोनस्वेलो को सिर्फ इतना बताएँ कि वे उससे मिलने आए हैं और उसे बस ‘हैलो’ कहना चाहते हैं। जब कोनस्वेलो को यह बताया गया तो उसने उस जोड़े को अंदर बुलाया। तब से, 86 साल की यह बुज़ुर्ग स्त्री लगातार बाइबल अध्ययन कर रही है, इसके बावजूद कि ननें उसे निराश करने के लिए कुछ-ना-कुछ कहती रहती हैं। वह कुछ मसीही सभाओं में भी हाज़िर हुई है।

नीतिवचन 1:20 कहता है: “बुद्धि सड़क में ऊंचे स्वर से बोलती है; और चौकों में प्रचार करती है।” गौर कीजिए कि यह बात, सैन मीगेल दे आयेन्दे के चौक में कैसे सच हुई। एक दिन सुबह-सुबह राल्फ नाम के एक साक्षी ने एक अधेड़ उम्र के आदमी को बेंच पर बैठे हुए देखा। राल्फ जब उस आदमी के पास गया और उसने प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ दीं तो उसे बड़ी हैरानी हुई और इसकी वजह समझाते हुए उसने राल्फ को अपनी आप-बीती सुनायी।

वह आदमी ‘वियतनाम युद्ध’ के दौरान फौज में था और उस वक्‍त उसने अनगिनत मौतें देखीं जिस वजह से वह बेहद मायूस हो गया था। फिर उसे युद्ध के मैदान से सैनिकों के शिविरों में भेज दिया गया। वहाँ उसे फौजियों की लाशें धोने का काम दिया गया ताकि उन लाशों को अमरीका भेजा जा सके। अब तीस साल बाद भी उसे अकसर रात को डरावने सपने आते थे और हमेशा उस पर दहशत छायी रहती थी। जिस सुबह राल्फ उससे मिला, तब वह मन-ही-मन मदद के लिए प्रार्थना कर रहा था।

उस भूतपूर्व सैनिक ने राल्फ से साहित्य लिए और किंगडम हॉल आने का न्यौता भी स्वीकार किया। सभा में हाज़िर होने के बाद उसने कहा कि 30 सालों में पहली बार उसे इन दो घंटों के दौरान सच्चा सुकून मिला। यह आदमी, सैन मीगेल दे आयेन्दे में कुछ ही हफ्ते रहा, मगर इस दौरान उसने कई बार बाइबल अध्ययन किया और घर लौटने तक वह सभी सभाओं में हाज़िर होता रहा। उसका अध्ययन आगे भी जारी रखने के लिए इंतज़ाम किए गए।

नौकरी की जगह पर और स्कूल में मौका ढूँढ़कर गवाही देना

क्या आप नौकरी की जगह पर दूसरों को बताते हैं कि आप एक साक्षी हैं? केप सैन लूकास का रहनेवाला आड्रीयान ऐसा ही करता है। वह उन लोगों को फ्लैट किराए पर देता है जो छुट्टियाँ मनाने वहाँ आते हैं। साक्षी के तौर पर अपनी पहचान ज़ाहिर करने का उसे अच्छा नतीजा मिला है। उसके साथ काम करनेवाली जूडी कहती है: “अगर तीन साल पहले कोई मुझसे यहोवा का साक्षी बनने के लिए कहता, तो मेरा जवाब होता, ‘कभी नहीं!’ लेकिन मैंने फैसला किया कि मैं बाइबल पढ़ूँगी। मैंने सोचा ‘यह कोई मुश्‍किल काम नहीं है क्योंकि वैसे भी मुझे पढ़ने का शौक है।’ मगर मैंने कुछ छः पन्‍ने ही पढ़े थे कि मुझे एहसास होने लगा कि इसे समझने के लिए मदद की ज़रूरत है। इसके लिए मैं सिर्फ एक ही शख्स के पास जाने की सोच सकती थी, और वह था मेरे साथ काम करनेवाला, आड्रीयान। मुझे उससे बात करना अच्छा लगता था क्योंकि काम की जगह पर सिर्फ वही एक शरीफ इंसान था।” आड्रीयान ने फौरन यह वादा किया कि वह अपनी मँगेतर केटी के साथ जूडी से मिलने आएगा और उसके सभी सवालों के जवाब देगा। केटी ने जूडी के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया और कुछ ही समय में जूडी बपतिस्मा लेकर साक्षी बन गयी।

स्कूल में मौके तलाशकर गवाही देने के बारे में क्या? दो साक्षी, एक विश्‍वविद्यालय में स्पेनिश भाषा सीखती थीं। मगर एक दिन वे मसीही सम्मेलन में जाने की वजह से क्लास में नहीं जा पायीं। अगली क्लास में उनसे पूछा गया कि वे स्पेनिश में बताएँ कि वे क्लास में क्यों नहीं आयी थीं। उन्होंने इसे एक बढ़िया मौका समझकर स्पेनिश में गवाही देने की पूरी कोशिश की। उनकी टीचर, सिलवीआ को बाइबल की भविष्यवाणियों में गहरी दिलचस्पी थी। उसने अँग्रेज़ी में बाइबल अध्ययन कबूल किया और अब वह सुसमाचार की प्रचारक है। उसके परिवार के कई सदस्य भी अध्ययन कर रहे हैं। सिलवीआ कहती है: “सारी ज़िंदगी मैंने जिस चीज़ की तलाश की थी, वह मुझे मिल गयी।” जी हाँ, मौके ढूँढ़कर गवाही देने के बढ़िया नतीजे मिल सकते हैं।

दूसरे मौकों का इस्तेमाल करना

मेहमाननवाज़ी से भी गवाही देने का रास्ता खुलता है। जिम और गेल नाम के एक शादी-शुदा जोड़े ने यह बात सच पायी। वे सैन कार्लोस, सोनोरा में सेवा करते हैं। एक दिन सुबह 6 बजे एक स्त्री उनके घर के पास से अपने कुत्तों को सैर कराने ले जा रही थी। जब उसने जिम और गेल का बागीचा देखा तो उसकी तारीफ की। जिम और गेल ने उसे कॉफी पीने के लिए अंदर बुलाया। उन्होंने उसे यहोवा के बारे में और अनंत जीवन की आशा के बारे में बताया। साठ साल में पहली बार उस स्त्री ने ऐसी बातें सुनी थीं। उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया गया।

एड्रीअन भी अजनबियों के साथ प्यार से पेश आती है। एक बार वह कैनकून के एक रेस्तराँ में कुछ खा रही थी कि तभी एक जवान लड़के ने उसके पास आकर पूछा कि क्या आप कनाडा से हैं। एड्रीअन के हाँ कहने पर उस लड़के ने कहा कि वह और उसकी माँ, अपनी बहन को स्कूल की एक रिपोर्ट तैयार करने में मदद दे रहे हैं, जिसमें कनाडा के लोगों के बारे में जानकारी देनी है। लड़के की माँ अँग्रेज़ी बोलती थी। वह एड्रीअन के पास आकर बैठ गयी। और उसने कनाडावासियों के बारे में कई सवाल पूछे जिनका एड्रीअन ने बड़े धीरज के साथ जवाब दिया। इसके बाद एड्रीअन ने कहा: “मगर कनाडा से मेरे यहाँ आने की एक खास वजह है, लोगों को बाइबल सीखने में मदद देना। क्या आप भी सीखना चाहेंगी?” उस स्त्री ने हाँ कहा। उसने दस साल पहले अपना चर्च छोड़ दिया था और तब से वह खुद-ब-खुद बाइबल का अध्ययन करने की कोशिश करती रही है। उसने एड्रीअन को अपना फोन नंबर और पता दिया। फिर उसके साथ एक बढ़िया बाइबल अध्ययन शुरू किया गया।

“अपनी रोटी जल के ऊपर डाल दे”

हर मौके पर बाइबल की सच्चाई के बारे में बात करने से अकसर ऐसे लोगों को भी गवाही दी जाती है जिन्हें राज्य का संदेश सुनने का बहुत कम मौका मिला है या फिर कभी मौका ही नहीं मिला। बंदरगाह नगर, सीवाटानेखो में एक साक्षी बहन कॉफी की एक दुकान में बैठी हुई थी जो लोगों से खचाखच भरी थी। उसने वहाँ विदेश से आए एक शादी-शुदा जोड़े को अपने टेबल पर बैठने का न्यौता दिया क्योंकि उन्हें जगह नहीं मिली थी। ये पति-पत्नी सात साल से जगह-जगह जहाज़ से सफर कर रहे थे। वे यहोवा के साक्षियों को पसंद नहीं करते थे और यही बात उन्होंने बहन से बात करते वक्‍त भी ज़ाहिर की। इस मुलाकात के बाद, बहन उनसे मिलने के लिए उनके जहाज़ पर गयी और उसने उनको अपने घर बुलाया। उन्होंने 20 से ज़्यादा पत्रिकाएँ और 5 किताबें लीं और वादा किया कि वे अपनी यात्रा के दौरान जब अगले बंदरगाह पर रुकेंगे तो साक्षियों से ज़रूर मिलेंगे।

एक बार कैनकून के एक शॉपिंग सेंटर में जेफ और डेब ने एक परिवार को भोजन करने की सार्वजनिक जगह पर देखा। उस परिवार में एक प्यारी-सी बच्ची भी थी। जेफ और डेब ने जब उसके माता-पिता से कहा कि आपकी बच्ची बिलकुल गुड़िया जैसी है तो उन्होंने जेफ और डेब को अपने साथ पीत्ज़ा खाने के लिए बुलाया। बातों-बातों में पता चला कि यह परिवार भारत से आया था। उन्होंने पहले कभी यहोवा के साक्षियों के बारे में न तो सुना था और ना ही हमारा कोई साहित्य देखा था। उनके शॉपिंग सेंटर से जाने से पहले जेफ और डेब ने उन्हें हमारे कुछ साहित्य दिए।

यूकटान के तट पर बसे एक द्वीप पर भी कुछ ऐसी ही बात हुई। एक चीनी जोड़े ने, जिसकी नयी-नयी शादी हुई थी, जेफ से उनके फोटो खींचने को कहा और उसने खुशी-खुशी उनके फोटो खींचे। फिर उस जोड़े से बात करते वक्‍त जेफ को पता चला कि वे पिछले 12 साल से अमरीका में रह रहे हैं मगर उन्होंने कभी न तो यहोवा के साक्षियों को देखा और ना ही उनके बारे में सुना था! उनके साथ अच्छी बातचीत हुई। जेफ ने उन्हें उकसाया कि वे घर लौटने के बाद वहाँ साक्षियों से मिलने की कोशिश ज़रूर करें।

अगर आपके यहाँ कोई खास घटना घटती है, तो इससे भी गवाही देने के मौके मिल सकते हैं। एक बार अमरीका का राष्ट्रपति, जब ग्वानावातो में मेक्सिको के राष्ट्रपति के पशुफार्म पर उससे मिलने गया तो संसार भर के पत्रकार इस घटना पर रिपोर्ट लिखने के लिए मेक्सिको पहुँचे। एक साक्षी परिवार ने अँग्रेज़ी में प्रचार करने के इस मौके का फायदा उठाया। उन्हें अच्छे नतीजे मिले। मसलन, उन्होंने एक ऐसे पत्रकार को गवाही दी जिसने कई युद्धों पर रिपोर्टें लिखी थीं, जैसे कोसोवो और कुवैत में हुए युद्धों पर। एक बार युद्ध के दौरान उसके साथ काम करनेवाले एक पत्रकार ने उसकी बाहों में दम तोड़ दिया क्योंकि किसी दुश्‍मन सैनिक ने छिपकर उस पर गोली चला दी थी। जब इस पत्रकार को उस साक्षी जोड़े ने पुनरुत्थान की आशा के बारे में बताया तो खुशी के मारे उसकी आँखें भर आयीं। उसने परमेश्‍वर का धन्यवाद किया कि उसे यह जानने का मौका मिला है कि ज़िंदगी का एक मकसद भी है। उसने कहा कि हालाँकि उस साक्षी जोड़े से दोबारा उसकी मुलाकात नहीं होगी, मगर वह बाइबल में बतायी पुनरुत्थान की खुशखबरी को कभी नहीं भूलेगा।

जैसे कि ऊपर बताए कुछ अनुभव दिखाते हैं, कभी-कभी हम नहीं जानते कि मौके ढूँढ़कर गवाही देने का बाद में क्या नतीजा निकलेगा। लेकिन बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा था: “अपनी रोटी जल के ऊपर डाल दे, क्योंकि बहुत दिन के बाद तू उसे फिर पाएगा।” उसने यह भी कहा: “भोर को अपना बीज बो, और सांझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सुफल होगा, यह या वह, वा दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे।” (सभोपदेशक 11:1, 6) जी हाँ, आप भी पूरी गर्मजोशी के साथ बहुत-से पानियों पर ‘अपनी रोटी डाल दीजिए’ और उदारता से ‘बीज बोइए,’ ठीक जैसे पौलुस और यीशु ने किया था और आज मेक्सिको में, ये साक्षी भी अँग्रेज़ी बोलनेवालों को प्रचार करने के लिए ऐसा ही कर रहे हैं।