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नौजवानो, क्या आप भविष्य के लिए नींव डाल रहे हैं?

नौजवानो, क्या आप भविष्य के लिए नींव डाल रहे हैं?

नौजवानो, क्या आप भविष्य के लिए नींव डाल रहे हैं?

“मैं उन योजनाओं को जानता हूं जिन्हें मैंने तुम्हारे लिए बनाई हैं ऐसी योजनाएं जो हानि की नहीं परन्तु तुम्हारे कुशल की हैं, कि तुम्हें उज्जवल भविष्य और आशा दूं।”—यिर्मयाह 29:11, NHT.

1, 2. जवानी के बारे में कैसे अलग-अलग खयालात हो सकते हैं?

 आम तौर पर लोगों का यह खयाल है कि जवानी के पल, ज़िंदगी के सबसे हसीन पल होते हैं। अपनी जवानी की ताकत और जोश को याद करके उनकी आँखें चमक उठती हैं। वो भी क्या दिन थे, जब न तो ज़िम्मेदारियों का बोझ था, न ही किसी बात की चिंता। बस यार-दोस्तों के साथ मौज-मस्ती में ही दिन गुज़र जाते थे। और रही बात ज़िंदगी में कुछ करने की, तो उसके लिए सारी उम्र पड़ी थी।

2 मगर ज़िंदगी के इस दौर के बारे में आप नौजवानों का शायद कुछ और ही खयाल हो। आपको इस उम्र में होनेवाले शारीरिक बदलावों और भावनाओं के उतार-चढ़ाव से जूझना पड़ता होगा। स्कूल में शायद आपको साथियों के ज़बरदस्त दबावों का सामना करना पड़ता होगा। इसके अलावा, ड्रग्स, शराब और अनैतिक कामों से इनकार करने के लिए आपको काफी संघर्ष करना पड़ता होगा। इतना ही नहीं, आपमें से कई जवानों को निष्पक्ष रहने के मसले या किसी और समस्या का सामना करना पड़ता है। जी हाँ, जवानी का समय मुश्‍किल भरा हो सकता है। मगर इसी दौरान आपके सामने कई मौके भी खुले होते हैं। सवाल यह है कि आप इन मौकों का कैसे इस्तेमाल करेंगे?

अपनी जवानी का लुत्फ उठाइए

3. सुलैमान ने जवानों को कौन-सी सलाह और चेतावनी दी?

3 बड़े-बुज़ुर्ग सच ही कहते हैं कि जवानी बस चार दिन की होती है, यह देखते-ही-देखते बीत जाती है। इसलिए जब तक आप जवान हैं, उसका पूरा लुत्फ उठाइए। राजा सुलैमान ने भी यही सलाह दी: “हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों में मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपनी आंखों की दृष्टि के अनुसार चल।” मगर सुलैमान ने जवानों को आगाह भी किया: “अपने मन से खेद और अपनी देह से दु:ख दूर कर।” फिर उसने कहा: “लड़कपन और जवानी दोनों व्यर्थ है।”—सभोपदेशक 11:9, 10.

4, 5. जवानों के लिए अक्लमंदी क्यों होगी कि वे भविष्य के लिए तैयारी करें? उदाहरण देकर समझाइए।

4 क्या आप जानते हैं कि सुलैमान के कहने का क्या मतलब था? इसे समझने के लिए ज़रा इस उदाहरण पर गौर कीजिए। मान लीजिए कि एक नौजवान को बहुत कीमती तोहफा मिला है, जैसे विरासत में उसे बहुत बड़ी रकम मिली है। वह उसका क्या करेगा? चाहे तो वह सारा पैसा ऐश करने में उड़ा सकता है, जैसे यीशु के दृष्टांत में उड़ाऊ बेटे ने किया था। (लूका 15:11-23) लेकिन जब उसके सारे पैसे खत्म हो जाएँगे, तब क्या होगा? ज़रूर वह अपनी लापरवाही पर पछताएगा! दूसरी तरफ, मान लीजिए वह अपने भविष्य को ध्यान में रखकर पैसे का अक्लमंदी से इस्तेमाल करता है और ज़्यादातर पैसे कारोबार में लगाता है। आगे चलकर जब उसे अपनी जमा-पूँजी से फायदा होगा, तो क्या वह यह सोचकर पछताएगा कि काश मैंने जवानी में ही सारे पैसे उड़ा दिए होते? हरगिज़ नहीं!

5 अपनी जवानी के सालों को परमेश्‍वर का दिया एक तोहफा समझिए क्योंकि जवानी एक तोहफा ही है। आप इसका कैसे इस्तेमाल करेंगे? आप चाहे तो भविष्य के लिए योजना बनाने के बजाय अपनी सारी ताकत और सारा जोश अपनी अभिलाषाएँ पूरी करने में लगा सकते हैं, सब कुछ मौज-मस्ती में बरबाद कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से आपका “लड़कपन और जवानी” सचमुच “व्यर्थ” साबित होंगे। इसलिए जवानी के दिनों को अक्लमंदी से बिताकर भविष्य के लिए अच्छी नींव डालना लाख बेहतर होगा!

6. (क) सुलैमान की कौन-सी सलाह जवानों को सही राह दिखाती है? (ख) यहोवा जवानों के लिए क्या करना चाहता है और एक जवान इससे कैसे फायदा पा सकता है?

6 सुलैमान ने एक ऐसा सिद्धांत बताया जिस पर चलने से आप जवानी का अक्लमंदी से इस्तेमाल कर पाएँगे। उसने कहा: “अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख।” (सभोपदेशक 12:1) यहोवा की बात सुनना और उसकी मरज़ी पूरी करना—यही कामयाबी का राज़ है। यहोवा ने प्राचीन इस्राएलियों को बताया था कि वह उनकी खातिर क्या करना चाहता है: “मैं उन योजनाओं को जानता हूं जिन्हें मैंने तुम्हारे लिए बनाई हैं ऐसी योजनाएं जो हानि की नहीं परन्तु तुम्हारे कुशल की हैं, कि तुम्हें उज्जवल भविष्य और आशा दूं।” (यिर्मयाह 29:11, NHT) यहोवा आपको भी एक “उज्जवल भविष्य और आशा” देना चाहता है। अगर आप अपने विचारों, कामों और फैसलों के ज़रिए दिखाएँगे कि आप यहोवा को स्मरण करते हैं, तो आपको वह उज्जवल भविष्य और आशा मिलेगी।—प्रकाशितवाक्य 7:16, 17; 21:3, 4.

“परमेश्‍वर के करीब आओ”

7, 8. एक नौजवान, परमेश्‍वर के करीब कैसे आ सकता है?

7 “परमेश्‍वर के करीब आओ, और वह तुम्हारे करीब आएगा,” इस सलाह के ज़रिए याकूब हमें बढ़ावा देता है कि हम यहोवा को हमेशा स्मरण रखें। (याकूब 4:8, NW) यहोवा सिरजनहार और स्वर्ग में रहनेवाला महाराजाधिराज है और सभी की उपासना और स्तुति पाने का हकदार है। (प्रकाशितवाक्य 4:11) फिर भी, वह हमारे करीब आने को तैयार है बशर्ते हम उसके करीब आएँ। यहोवा का यह प्यार क्या आपके दिल को छू नहीं जाता?—मत्ती 22:37.

8 हम कई तरीकों से यहोवा के करीब आते हैं। मसलन, प्रेरित पौलुस कहता है: “प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो।” (कुलुस्सियों 4:2) दूसरे शब्दों में कहें तो प्रार्थना करने की अच्छी आदत बनाइए। जब आपके पिताजी या कलीसिया का कोई मसीही एक समूह में आपकी तरफ से प्रार्थना करता है, तो आखिर में आप आमीन कहते होंगे। मगर यह काफी नहीं है। क्या आपने खुद कभी यहोवा को अपने दिल की सारी बात सुनायी और उसे बताया कि आप क्या सोचते हैं, आपको किस बात का डर है और आप किन समस्याओं से जूझ रहे हैं? क्या आपने कभी यहोवा को ऐसी बातें बतायीं जिन्हें किसी इंसान को बताने में आपको संकोच होता? ईमानदारी से और दिल से प्रार्थना करने से मन को सुकून मिलता है। (फिलिप्पियों 4:6, 7) ऐसी प्रार्थनाएँ हमें यहोवा के करीब आने में मदद देती हैं और हमें एहसास दिलाती हैं कि वह भी हमारे करीब आ रहा है।

9. एक जवान यहोवा की बात कैसे सुन सकता है?

9 यहोवा के करीब आने का एक और तरीका हम इन ईश्‍वर-प्रेरित शब्दों से जान सकते हैं: “सम्मति को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, कि तू अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे।” (नीतिवचन 19:20) जी हाँ, अगर आप यहोवा की बात सुनेंगे और उसकी आज्ञा मानेंगे, तो आप भविष्य के लिए अच्छी नींव डाल रहे होंगे। आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप वाकई यहोवा की बात सुनते हैं? इसमें शक नहीं कि आप सभाओं में नियमित तौर पर हाज़िर होते होंगे और कार्यक्रम पर ध्यान देते होंगे। साथ ही, पारिवारिक अध्ययन में हाज़िर रहकर “अपनी माता और पिता का आदर” करते होंगे। (इफिसियों 6:1, 2; इब्रानियों 10:24, 25) यह सब काबिले-तारीफ है। लेकिन इसके अलावा, क्या आप सभाओं की तैयारी करने, नियमित तौर पर बाइबल पढ़ने और खोजबीन करने के लिए ‘समय मोल’ (NW) लेते हैं? क्या आप सीखी बातों पर अमल करने की कोशिश करते हैं ताकि आप ‘बुद्धिमान’ बन सकें? (इफिसियों 5:15-17; भजन 1:1-3) ऐसा करने से आप यहोवा के करीब आ रहे होंगे।

10, 11. जब जवान यहोवा की बात सुनते हैं तो उन्हें कैसी बड़ी-बड़ी आशीषें मिलती हैं?

10 नीतिवचन की किताब को जिसने ईश्‍वर प्रेरणा से लिखा, वह इस किताब की शुरूआत में ही इसका मकसद बताता है: “पढ़नेवाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे, और समझ की बातें समझे, और काम करने में प्रवीणता, और धर्म, न्याय और सीधाई की शिक्षा पाए; कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले।” (नीतिवचन 1:1-4) यह दिखाता है कि अगर आप नीतिवचन और बाइबल की दूसरी किताबों को पढ़ेंगे और उन पर अमल करेंगे तो आप धार्मिकता और सीधाई से चलना सीखेंगे और यहोवा आपको अपने करीब आते देखकर खुश होगा। (भजन 15:1-5) आप अपने अंदर जितनी ज़्यादा परख-शक्‍ति, चतुरता, ज्ञान और सोचने-समझने की काबिलीयत बढ़ाएँगे, आप उतने ही बढ़िया फैसले कर पाएँगे।

11 क्या एक जवान से यह उम्मीद करना ठीक होगा कि वह अक्लमंदी से फैसले करे? जी हाँ, क्योंकि आज बहुत-से मसीही जवान, अक्लमंदी से काम कर रहे हैं। इसलिए दूसरे उनकी इज़्ज़त करते हैं और ‘उनकी जवानी को तुच्छ नहीं समझते।’ (1 तीमुथियुस 4:12) उनके माता-पिता उन पर नाज़ करते हैं और यहोवा भी कहता है कि उन जवानों को देखकर उसका दिल खुश होता है। (नीतिवचन 27:11) हालाँकि वे अभी छोटे हैं, फिर भी वे यकीन रख सकते हैं कि ईश्‍वर-प्रेरणा से कहे ये शब्द उन पर लागू होते हैं: “खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहनेवाले पुरुष का अन्तफल अच्छा है।”—भजन 37:37.

अच्छे चुनाव कीजिए

12. जवानों को कौन-सा एक खास चुनाव करना होता है और इसका लंबे समय तक असर क्यों रहता है?

12 जवानी में बहुत-से चुनाव करने होते हैं, जिनमें से कुछ चुनावों का हमेशा के लिए असर होता है। कुछ चुनाव ऐसे होते हैं कि आगे चलकर कई सालों तक वे आप पर असर करेंगे। अक्लमंदी से चुनाव करने से आप खुशहाल और कामयाब ज़िंदगी जी सकेंगे। दूसरी तरफ, मूर्खता भरे फैसले करने से पूरी ज़िंदगी बरबाद हो सकती है। इस बात की सच्चाई जानने के लिए ऐसे दो चुनावों पर गौर कीजिए जो आपको करने पड़ते हैं। पहला: आप किन लोगों के साथ दोस्ती करेंगे? यह क्यों एक ज़रूरी फैसला है? ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखा गया नीतिवचन कहता है: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।” (नीतिवचन 13:20) दूसरे शब्दों में कहें तो हम जिन लोगों के साथ संगति करेंगे, समय के चलते हम उन्हीं की तरह बन जाएँगे—या तो बुद्धिमान या मूर्ख। आप क्या बनना पसंद करेंगे?

13, 14. (क) संगति में, लोगों से सीधे मेल-जोल रखने के अलावा और क्या-क्या शामिल है? (ख) जवानों को कौन-सी गलती नहीं करनी चाहिए?

13 आप शायद सोचें कि संगति का मतलब है लोगों के साथ मेल-जोल रखना। यह सही है, मगर संगति में और भी कुछ शामिल है। जब आप कोई टी.वी. कार्यक्रम या फिल्म देखते हैं, संगीत सुनते, उपन्यास पढ़ते, या इंटरनॆट का इस्तेमाल करते हैं, तब आप एक तरह से संगति कर रहे होते हैं। अगर ऐसी संगति आपमें हिंसा का रवैया या अनैतिक कामों में दिलचस्पी पैदा करती है, या फिर ड्रग्स लेने, शराब में धुत्त रहने या बाइबल के उसूलों के खिलाफ कोई और काम करने के लिए आपको उकसाती है, तो इसका मतलब है कि आप “मूर्ख” के साथ मेल-जोल रख रहे हैं, जो ऐसा व्यवहार करता है मानो यहोवा है ही नहीं।—भजन 14:1.

14 शायद आप सोचें कि मैं तो मसीही सभाओं में लगातार हाज़िर होता हूँ और कलीसिया के कामों में ज़ोर-शोर से हिस्सा लेता हूँ, इसलिए मुझ पर हिंसा को बढ़ावा देनेवाली फिल्मों या ऐसे म्यूज़िक एल्बम का असर नहीं होगा जिसकी धुन अच्छी है चाहे बोल ठीक न हों। आपको लगे कि इंटरनॆट पर पोर्नोग्राफी की वॆब साइट की सिर्फ एक झलक देखने से कोई बुरा अंजाम नहीं होगा। लेकिन प्रेरित पौलुस के मुताबिक आपका ऐसा सोचना बिलकुल गलत है। वह कहता है: “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” (1 कुरिन्थियों 15:33) दुःख की बात है कि ऐसे कई जवानों ने, जो सच्चाई में मज़बूत थे, बुरी सोहबत में पड़कर अपना अच्छा चरित्र बिगाड़ लिया है। इसलिए ठान लीजिए कि आप ऐसी संगति से दूर ही रहेंगे। अगर आप दूर रहें तो आप पौलुस की यह सलाह मान रहे होंगे: “इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्‍वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।”—रोमियों 12:2.

15. जवानों के सामने आनेवाला दूसरा चुनाव क्या है और इस मामले में उन पर अकसर कैसे दबाव डाले जाते हैं?

15 एक और चुनाव पर गौर कीजिए। एक वक्‍त आएगा जब आपको यह फैसला करना होगा कि आप स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद आगे क्या करेंगे। अगर आपके देश में नौकरी के लाले पड़े हैं, तो शायद आप सोचें कि जो भी बढ़िया नौकरी मिले उसमें तुरंत लग जाना चाहिए। और अगर आप किसी अमीर देश में रहते हैं तो आपके सामने नौकरी के कई मौके खुले होंगे और कुछ बहुत ही लुभावने होंगे। आपके टीचर या मम्मी-पापा आपकी भलाई चाहते हुए शायद आपको यह सलाह दें कि आप कोई ऐसा करियर चुनें जिससे आपको आर्थिक सुरक्षा मिले और यहाँ तक कि खूब दौलत हासिल हो। लेकिन ऐसे करियर के लिए ट्रेनिंग हासिल करने में आपका इतना सारा वक्‍त जा सकता है कि यहोवा की सेवा के लिए आपको बहुत कम वक्‍त मिलेगा।

16, 17. समझाइए कि बाइबल की अलग-अलग आयतें कैसे एक जवान को नौकरी के बारे में सही नज़रिया रखने में मदद दे सकती हैं।

16 कोई भी फैसला करने से पहले यह जाँचना मत भूलिए कि बाइबल क्या सलाह देती है। बाइबल हमें अपने गुज़ारे के लिए काम करने का बढ़ावा देती है और इस तरह ज़ाहिर करती है कि रोटी-कपड़े का इंतज़ाम करना हमारी अपनी ज़िम्मेदारी है। (2 थिस्सलुनीकियों 3:10-12) लेकिन करियर का चुनाव करते वक्‍त और भी कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। हम चाहते हैं कि आप यहाँ दी गयी आयतें पढ़ें और सोचें कि ये आयतें कैसे एक जवान को करियर के मामले में सही नज़रिया रखने में मदद दे सकती हैं: नीतिवचन 30:8, 9; सभोपदेशक 7:11, 12; मत्ती 6:33; 1 कुरिन्थियों 7:31; 1 तीमुथियुस 6:9, 10. इन आयतों को पढ़ने के बाद, क्या आप समझ सकते हैं कि इस मामले में यहोवा का नज़रिया क्या है?

17 हमें ज़िंदगी में नौकरी को इतनी ज़्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए कि यहोवा की सेवा के लिए हमें समय ही न मिले। अगर आपको हाई स्कूल की पढ़ाई से ऐसी नौकरी मिल जाए जिससे आप अपने पैरों पर खड़े हो सकें, तो अच्छी बात है। और अगर हाई स्कूल के बाद कुछ ट्रेनिंग की ज़रूरत है तो इस बारे में आपको अपने माता-पिता से बात करनी चाहिए। आप चाहे जो भी फैसला करें, मगर आपको “उत्तम से उत्तम बातों” यानी आध्यात्मिक बातों को किसी भी हाल में नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। (फिलिप्पियों 1:9, 10) आप वह गलती मत कीजिए जो यिर्मयाह के सेक्रेटरी बारूक ने की थी। सेवा की अपनी खास ज़िम्मेदारी के लिए उसकी कदरदानी मिट गयी और वह “अपने लिए बड़ी बड़ी बातों की खोज” करने लगा। (यिर्मयाह 45:5, NHT) कुछ पल के लिए वह भूल गया कि इस संसार की कोई भी ‘बड़ी बात’ उसे यहोवा के करीब नहीं ला सकती या उसे यरूशलेम के विनाश से नहीं बचा सकती थी। आज हमारे मामले में भी कुछ ऐसा ही है।

आध्यात्मिक बातों की कदर कीजिए

18, 19. (क) आपके ज़्यादातर पड़ोसी किसके शिकार हैं और आपको उनके बारे में कैसा महसूस करना चाहिए? (ख) बहुत-से लोगों लोगों में आध्यात्मिक बातों के लिए भूख क्यों नहीं होती?

18 क्या आपने कभी टी.वी. पर या अखबारों में, अकाल से पीड़ित बच्चों की तसवीरें देखी हैं? अगर आपने देखी हैं, तो ज़रूर आपको उन पर तरस आया होगा। क्या आप अपने पड़ोस में रहनेवाले लोगों पर भी इस तरह तरस खाते हैं? लेकिन आपको उन पर क्यों तरस खाना चाहिए? क्योंकि उनमें से ज़्यादातर लोग भुखमरी के शिकार हैं। वे उस अकाल से पीड़ित हैं जिसकी भविष्यवाणी आमोस ने की थी: “परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है, . . . ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महंगी करूंगा; उस में न तो अन्‍न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी।”—आमोस 8:11.

19 यह सच है कि आध्यात्मिक भुखमरी के शिकार हुए ज़्यादातर लोग “अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत” नहीं हैं। (मत्ती 5:3, NW) बहुत-से लोगों को आध्यात्मिक बातों के लिए भूख नहीं लगती। और कुछ लोग तो यह भी सोचते हैं कि वे अच्छी आध्यात्मिक खुराक ले रहे हैं। ऐसा सोचने की वजह यह है कि वे “संसार के [व्यर्थ] ज्ञान” से खुद को पोषित कर रहे हैं, जिसमें धन का लालच, वैज्ञानिक अटकलें, नैतिकता के बारे में अलग-अलग विचार और ऐसी दूसरी बातें शामिल हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि नए ज़माने के “ज्ञान” के सामने बाइबल की शिक्षाएँ बिलकुल दकियानूसी हैं। लेकिन सच तो यह है कि ‘संसार ने अपने ज्ञान से परमेश्‍वर को नहीं जाना’ है। संसार का ज्ञान आपको परमेश्‍वर के करीब आने में मदद नहीं देगा। यह कुछ नहीं, बस “परमेश्‍वर के निकट मूर्खता है।”—1 कुरिन्थियों 1:20, 21; 3:19.

20. जो यहोवा की उपासना नहीं करते, उनकी तरह बनने की ख्वाहिश रखना क्यों समझदारी नहीं है?

20 जब आप भूख से तड़पते उन बच्चों की तसवीरें देखते हैं, तब क्या आपका मन करता है कि आप भी उनकी तरह बनें? बेशक नहीं! लेकिन, मसीही परिवारों के कुछ जवानों ने अपने आस-पास के उन लोगों की तरह बनना पसंद किया है जो आध्यात्मिक मायने में भूखे हैं। उन्हें लगता है कि दुनिया के जवान बेफिक्र होकर ज़िंदगी का मज़ा लूट रहे हैं। वे भूल जाते हैं कि ऐसे जवान यहोवा से कितने दूर हैं। (इफिसियों 4:17, 18) वे यह भी भूल जाते हैं कि आध्यात्मिक भूख के अंजाम कितने भयानक होते हैं। जैसे, किशोर लड़कियों का नाजायज़ संबंधों से गर्भवती होना, अनैतिकता, धूम्रपान, पियक्कड़पन और ड्रग्स से शरीर और मन पर होनेवाले बुरे असर। आध्यात्मिक भूख से बगावती रवैया और जीवन में निराशा की भावना पैदा होती है और कोई मंज़िल नज़र नहीं आती।

21. जो यहोवा की उपासना नहीं करते, उनके गलत रवैए अपनाने से हम खुद को कैसे बचा सकते हैं?

21 इसलिए जब आप स्कूल में उन बच्चों के बीच होते हैं जो यहोवा की उपासना नहीं करते, तो उनका रवैया अपने अंदर पनपने मत दीजिए। (2 कुरिन्थियों 4:18) उनमें से कुछ, आध्यात्मिक बातों की खिल्ली उड़ाएँगे। इसके अलावा, मीडिया पर बड़ी चालाकी से यह विचार फैलाया जाता है कि अनैतिक काम करने, शराब में धुत्त होने या गंदी बोली इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है। ऐसे विचार आप पर असर न करें, इसके लिए पूरी-पूरी सावधानी बरतिए। आप उन लोगों के साथ लगातार मेल-जोल रखिए जो ‘विश्‍वास और एक अच्छे विवेक को थामे’ हुए हैं। हमेशा ‘प्रभु के काम में बढ़ते’ जाइए। (1 तीमुथियुस 1:19; 1 कुरिन्थियों 15:58) सभाओं में और प्रचार के काम में व्यस्त रहिए। स्कूल के सालों के दौरान, जब-जब मौका मिले ऑक्ज़लरी पायनियरिंग कीजिए। इस तरह आध्यात्मिक नज़र पैनी रखने से, आप कभी नहीं डगमगाएँगे।—2 तीमुथियुस 4:5.

22, 23. (क) अकसर एक मसीही जवान के फैसलों को दूसरे क्यों समझ नहीं पाते? (ख) जवानों को क्या करने का बढ़ावा दिया जाता है?

22 आध्यात्मिक नज़रिया रखने की वजह से आप शायद कुछ ऐसे फैसले करेंगे जिन्हें दूसरे समझ नहीं पाएँगे। मसलन, एक जवान मसीही को संगीत बजाने में हुनर हासिल था और उसे स्कूल में हर विषय पर अच्छे नंबर मिलते थे। उसने पूरे समय का सेवक यानी पायनियर बनने का लक्ष्य रखा था। इसलिए जब वह ग्रेजुएट हुआ, तो वह अपने पिता के साथ खिड़कियाँ साफ करने के काम में लग गया, ताकि पायनियर सेवा कर सके। उसके टीचर कभी समझ नहीं पाए कि उसने यह फैसला क्यों किया। लेकिन अगर आपका यहोवा के साथ एक करीबी रिश्‍ता है, तो हमें यकीन है कि आप समझ सकते हैं कि उसने पायनियर बनने का फैसला क्यों किया।

23 जब आप इस बारे में विचार करेंगे हैं कि आप जवानी की अनमोल काबिलीयतों का कैसे इस्तेमाल करेंगे, तो ‘भविष्य के लिये एक अच्छी नींव डालिए ताकि आप उसको पकड़ लें जो वास्तव में जीवन है।’ (1 तीमुथियुस 6:19, NHT) यह अटल फैसला कीजिए कि आप जवानी के दिनों में और बाकी की सारी ज़िंदगी भी ‘अपने महान सिरजनहार को स्मरण रखेंगे।’ यही एक तरीका है जिससे आप एक कामयाब ज़िंदगी के लिए नींव डाल सकेंगे, ऐसी ज़िंदगी के लिए जो कभी खत्म नहीं होगी।

आप किस नतीजे पर पहुँचे?

• ईश्‍वर-प्रेरणा से दी गयी कौन-सी सलाह जवानों को भविष्य की योजना बनाने में मदद देती है?

• ऐसे कुछ तरीके क्या हैं जिनसे एक जवान “परमेश्‍वर के करीब” आ सकता है?

• जवानों के कुछ फैसले क्या हैं जिनसे उनके भविष्य पर असर पड़ेगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 15 पर तसवीरें]

क्या आप जवानी की सारी ताकत और जोश अपनी अभिलाषाएँ पूरी करने में लगा देंगे?

[पेज 16, 17 पर तसवीरें]

अक्लमंद मसीही जवान अपनी आध्यात्मिक नज़र पैनी रखते हैं