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आज बच्चों को तालीम देने की चुनौती

आज बच्चों को तालीम देने की चुनौती

आज बच्चों को तालीम देने की चुनौती

रात का समय है। एक रेस्तराँ का मालिक घर लौटने की तैयारी में दुकान बंद करने ही जा रहा है कि तभी दो औरतें एक छोटे बच्चे को लेकर आती हैं और खाने का ऑर्डर देती हैं। मालिक बहुत थका हुआ है, उसका जी करता है कि कह दे, रेस्तराँ बंद हो गया है। मगर फिर उनका ऑर्डर ले लेता है। जब दोनों औरतें आपस में बातें करते-करते खाना खा रही होती हैं, तो बच्चा आधा बिस्कुट खाता हुआ और आधा फर्श पर गिराता हुआ यहाँ-वहाँ भागता रहता है और इस तरह पूरा फर्श गंदा कर देता है। बच्चे की माँ उसे रोकने के बजाय, सिर्फ उसे देखकर मुस्कुराती है। उनके रेस्तराँ से जाने के बाद, अब थकान से चूर मालिक को पूरा फर्श साफ करना पड़ता है।

जैसा कि आप जानते होंगे, इस तरह की सच्ची घटनाएँ दिखाती हैं कि कई परिवारों में बच्चों को सही तालीम नहीं दी जाती। इसके कई कारण हैं। कुछ माता-पिता बच्चों को मनमानी करने की पूरी छूट दे देते हैं, क्योंकि उनकी राय में बच्चों की परवरिश आज़ाद माहौल में की जानी चाहिए। या फिर माता-पिता अपने काम में इतने डूबे रहते हैं कि बच्चों पर अच्छी तरह ध्यान देने और उन्हें ज़रूरी तालीम देने के लिए उन्हें फुरसत नहीं मिलती। कुछ माता-पिताओं को लगता है कि बच्चों की ज़िंदगी में उनकी पढ़ाई सबसे ज़रूरी है, इसलिए जब तक बच्चे स्कूल में अच्छे नंबर लाते हैं और किसी नामी कॉलेज में दाखिला पाते हैं, तब तक वे उन्हें अपनी मनमानी करने की पूरी आज़ादी देते हैं।

लेकिन कुछ लोगों के मुताबिक बच्चों की परवरिश के बारे में माता-पिताओं और समाज के खयालात में बदलाव लाना बहुत ज़रूरी है। वे इसकी वजह बताते हुए कहते हैं कि आजकल के बच्चे हर तरह के अपराध कर रहे हैं और स्कूल में भी हिंसा दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसलिए कोरिया गणराज्य के सोल शहर में एक माध्यमिक स्कूल के प्रिंसीपल ने ज़ोर देकर कहा कि सबसे पहले बच्चों को अच्छे आदर्श सिखाना ज़रूरी है। उसने कहा: “पहले बच्चों में अच्छे गुण पैदा कीजिए, फिर उन्हें ज्ञान की बातें सिखाइए।”

ऐसे कई माता-पिता, जो चाहते हैं कि उनके बच्चे कॉलेज में पढ़ें और ज़िंदगी में कामयाब हों, वे चेतावनियों को अनसुना कर देते हैं। अगर आपका भी बच्चा है तो आप उसे बड़ा होकर कैसा इंसान बनते देखना चाहेंगे? ऐसा इंसान जो सही-गलत की समझ रखता हो और जिसमें ज़िम्मेदारी का एहसास हो? जो दूसरों का लिहाज़ करता हो, जो हालात के मुताबिक बदलने को तैयार हो और हमेशा भले की उम्मीद करता हो? अगर आप यही चाहते हैं, तो कृपया अगला लेख पढ़ें।