प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 जुलाई, 2004 क्या परमेश्वर हमारी समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार है? परमेश्वर वाकई आपकी परवाह करता है ‘तुम जाकर लोगों को चेला बनाओ’ “उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ” ‘वे जहाज पर चढ़कर कुप्रुस को चले’ दुःख-दर्द के बावजूद मैंने ज़िंदगी से संतोष पाया पाठकों के प्रश्न नूह के नाम चिट्ठी क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले?