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‘तुम जाकर लोगों को चेला बनाओ’

‘तुम जाकर लोगों को चेला बनाओ’

‘तुम जाकर लोगों को चेला बनाओ’

‘स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाकर लोगों को चेला बनाओ।’मत्ती 28:18, 19.

1, 2. (क) यीशु ने अपने चेलों को क्या काम सौंपा? (ख) यीशु की आज्ञाओं के बारे में किन सवालों पर गौर किया जाएगा?

 सामान्य युग 33 में बहार का मौसम था और यीशु के चेले गलील के एक पर्वत पर इकट्ठे हुए थे। उनके प्रभु का पुनरुत्थान हो चुका था और वह कुछ ही समय में स्वर्ग लौटनेवाला था। मगर जाने से पहले उसे अपने चेलों से कुछ ज़रूरी बात कहनी थी। वह उन्हें एक काम सौंपने जा रहा था। वह काम क्या था? चेलों ने इस काम की तरफ कैसा रवैया दिखाया? और आज हमारा उस काम से क्या नाता है?

2 इस मौके पर यीशु ने उनसे जो कहा, वह मत्ती 28:18-20 में दर्ज़ है: “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।” यीशु ने ‘सारे अधिकार,’ “सब जातियों” ‘सब बातों’ और “सदैव” साथ रहने का ज़िक्र किया था। इन चारों विषयों का ज़िक्र करके उसने जो आज्ञाएँ दीं, उनसे कुछ अहम सवाल खड़े होते हैं, जिनका निचोड़ इन शब्दों में दिया जा सकता है, क्यों? कहाँ? क्या? और कब? आइए हम इनमें से एक-एक सवाल पर गौर करें। *

“सारा अधिकार मुझे दिया गया है”

3. हमें चेले बनाने की आज्ञा क्यों माननी चाहिए?

3 पहला सवाल यह है कि हमें चेले बनाने की आज्ञा क्यों माननी चाहिए? यीशु ने कहा: ‘स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाकर लोगों को चेला बनाओ।’ शब्द “इसलिये” से यीशु की इस आज्ञा को मानने की एक खास वजह ज़ाहिर होती है। वह यह है कि आज्ञा देनेवाले यीशु के पास “सारा अधिकार” है। उसके पास कितना अधिकार है?

4. (क) यीशु को कितना अधिकार मिला है? (ख) यीशु के अधिकार के बारे में हमें जो समझ मिली है, उसके मुताबिक हमें चेला बनाने की आज्ञा को किस नज़रिए से देखना चाहिए?

4 यीशु को अपनी कलीसिया पर अधिकार है, और सन्‌ 1914 से परमेश्‍वर के स्थापित नए राज्य में भी उसे अधिकार मिला है। (कुलुस्सियों 1:13; प्रकाशितवाक्य 11:15) वही प्रधान स्वर्गदूत है, इसलिए करोड़ों दूतों की स्वर्गीय सेना उसके अधीन है। (1 थिस्सलुनीकियों 4:16; 1 पतरस 3:22; प्रकाशितवाक्य 19:14-16) पिता ने यीशु को उस ‘सारी प्रधानता और सारे अधिकार और सामर्थ’ का अंत करने की शक्‍ति दी है जो धार्मिकता के उसूलों के खिलाफ हैं। (1 कुरिन्थियों 15:24-26; इफिसियों 1:20-23) यीशु का अधिकार सिर्फ ज़िंदा लोगों पर ही नहीं है। वह “जीवतों” के साथ-साथ ‘मरे हुओं का भी न्यायी’ है और परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं को जिलाने की शक्‍ति दी है। (प्रेरितों 10:42; यूहन्‍ना 5:26-28) बेशक इतना बड़ा अधिकारी जब कोई हुक्म देता है, तो उसे गंभीरता से लेना बहुत ज़रूरी है। इसीलिए हम ‘लोगों को चेला बनाने’ की मसीह की आज्ञा, पूरे आदर के साथ और खुशी-खुशी मानते हैं।

5. (क) पतरस ने यीशु की बात कैसे मानी? (ख) पतरस ने जब यीशु के बताए मुताबिक काम किया तो क्या बढ़िया नतीजा निकला?

5 धरती पर अपनी सेवा की शुरूआत में यीशु ने चेलों को एक लाजवाब तरीके से सिखाया कि उसके अधिकार को कबूल करने और उसकी आज्ञाओं को मानने से उन्हें आशीषें मिलेंगी। एक मौके पर उसने पतरस नाम के मछुवारे से कहा: “गहिरे में ले चल, और मछलियां पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।” पतरस को पक्का यकीन था कि समुद्र में मछलियाँ बिलकुल नहीं हैं, इसलिए उसने यीशु से कहा: “हे स्वामी, हम ने सारी रात मिहनत की और कुछ न पकड़ा।” फिर भी उसने नम्रता से यह कहा: “तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा।” जब पतरस ने मसीह के कहे मुताबिक जाल डाला तो उसे “बहुत मछलियां” मिलीं। यह देखकर पतरस इतना दंग रह गया कि वह “यीशु के पांवों पर गिरा, और कहा; हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूं।” मगर यीशु ने उससे कहा: “मत डर: अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।” (लूका 5:1-10; मत्ती 4:18) हम इस किस्से से क्या सीखते हैं?

6. (क) जैसे चमत्कार से मछलियाँ पकड़ने की घटना दिखाती है, यीशु किस भावना से उसकी आज्ञा मानने की माँग करता है? (ख) हम यीशु की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

6 यीशु ने पतरस, अन्द्रियास और दूसरे प्रेरितों को “मनुष्यों के मछुवे” बनने का काम इस चमत्कार के बाद ही सौंपा, न कि इससे पहले। (मरकुस 1:16, 17) बेशक, यीशु नहीं चाहता था कि वे आँख मूँदकर उसकी आज्ञा मानें। इसलिए उसने पतरस और अन्द्रियास को इस बात का ठोस कारण बताया कि उन्हें उसकी आज्ञा क्यों माननी चाहिए। जिस तरह यीशु की आज्ञा मानकर गहरे सागर में जाल डालने से उन्हें बढ़िया नतीजे मिले, उसी तरह ‘मनुष्यों को पकड़ने’ की आज्ञा मानने से भी उन्हें ढेरों आशीषें मिलतीं। इसलिए प्रेरितों ने पूरे विश्‍वास के साथ यीशु की बात मानी। वृत्तांत आखिर में कहता है: “वे नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए।” (लूका 5:11) आज जब हम दूसरों को चेला बनाने की आज्ञा मानने के लिए उकसाते हैं, तो हम यीशु की मिसाल पर चलते हैं। हम नहीं चाहते कि लोग यूँ ही हमारी बात मान लें, बल्कि हम उन्हें ठोस कारण देकर समझाते हैं कि उन्हें मसीह की आज्ञा क्यों माननी चाहिए।

ठोस कारण और सही इरादे

7, 8. (क) बाइबल, राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने के क्या कारण बताती है? (ख) खासकर कौन-सी आयत आपको प्रचार काम में लगे रहने की प्रेरणा देती है? (फुटनोट भी देखिए।)

7 हम राज्य का प्रचार और चेले बनाने का काम इसलिए करते हैं क्योंकि हम मसीह के अधिकार को कबूल करते हैं। इसके अलावा, हम बाइबल से और कौन-से कारण बताकर दूसरों को भले काम करने का बढ़ावा दे सकते हैं? गौर कीजिए कि अलग-अलग देशों के कई वफादार साक्षी इस बारे में क्या कहते हैं, और देखिए कि साथ में दी गयी आयतें उनकी बातों को कैसे पुख्ता करती हैं।

8 रॉय, जिसका बपतिस्मा सन्‌ 1951 में हुआ था, कहता है: “यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करते वक्‍त, मैंने उससे वादा किया था कि मैं हमेशा उसकी सेवा करूँगा। अपना यह वादा मैं पूरा करना चाहता हूँ।” (भजन 50:14; मत्ती 5:37) हेदर, जिसका बपतिस्मा सन्‌ 1962 में हुआ था, उसका कहना है: “जब मैं याद करती हूँ कि यहोवा ने मुझ पर क्या-क्या उपकार किए हैं, तो मैं चाहती हूँ कि उसकी सेवा वफादारी से करके उसे अपना एहसान ज़ाहिर करूँ।” (भजन 9:1, 9-11; कुलुस्सियों 3:15) हानअलोर, जिसका बपतिस्मा सन्‌ 1954 में हुआ था, कहती है: “जब भी हम प्रचार में होते हैं, तो स्वर्गदूत हमारी मदद करने के लिए मौजूद रहते हैं। यह हमारे लिए कितने बड़े सम्मान की बात है!” (प्रेरितों 10:30-33; प्रकाशितवाक्य 14:6, 7) ऑनर जिसका बपतिस्मा सन्‌ 1969 में हुआ था, उसने कहा: “जब यहोवा न्याय का दिन लाएगा, तो मैं नहीं चाहती कि मेरा कोई भी पड़ोसी यहोवा और उसके साक्षियों पर यह इलज़ाम लगाए कि उन्होंने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया, और कहे कि ‘मुझे तो कोई चेतावनी नहीं दी गयी!’” (यहेजकेल 2:5; 3:17-19; रोमियों 10:16, 18) क्लौडल्यो जिसका बपतिस्मा सन्‌ 1974 में हुआ था, उसके मुताबिक “जब हम प्रचार कर रहे होते हैं, तो हम ‘परमेश्‍वर की आँखों के सामने’ और ‘मसीह के साथ’ होते हैं। सोचिए तो! जब हम सेवा में होते हैं, तो हम अपने सबसे अच्छे दोस्तों की संगति का आनंद ले रहे होते हैं।”—2 कुरिन्थियों 2:17, NW. *

9. (क) पतरस और दूसरे प्रेरितों को मछुवाई में जो अनुभव हुआ उसके मुताबिक, उन्हें किस इरादे से मसीह की आज्ञा माननी थी? (ख) आज किस इरादे से परमेश्‍वर और मसीह की आज्ञा मानना सही होगा और क्यों?

9 चमत्कार से मछली पकड़ने का वृत्तांत हमें यह भी समझाता है कि मसीह की आज्ञा मानने के लिए हममें सही इरादा यानी प्रेम होना बहुत ज़रूरी है। जब पतरस ने कहा कि “हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूं,” तो यीशु उससे दूर नहीं गया, ना ही उसने पतरस के किसी पाप के लिए उसकी नुक्‍ताचीनी की। (लूका 5:8) उसने इस बात को लेकर भी पतरस का खंडन नहीं किया कि वह उसे खुद से दूर जाने के लिए कह रहा है। इसके बजाय, यीशु ने प्यार से कहा: “मत डर।” उसने चेलों के दिल में डर नहीं पैदा किया क्योंकि यह उसकी आज्ञा मानने का सही इरादा नहीं होता। इसके बजाय, उसने पतरस को यकीन दिलाया कि वह और उसके साथी, मनुष्यों की मछुवाई करने में बहुत कामयाब होंगे। उसी तरह आज हम लोगों में खौफ, दोष की भावना या शर्मिंदगी पैदा करके उन्हें मसीह की आज्ञा मानने के लिए मजबूर नहीं करना चाहते। सिर्फ ऐसे लोग यहोवा के दिल को खुश करते हैं जो उससे और उसके बेटे यीशु से प्यार करते और इसीलिए तन-मन से उसकी आज्ञाएँ मानते हैं।—मत्ती 22:37.

“सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ”

10. (क) यीशु की आज्ञा में शामिल किस बात ने चेलों के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की? (ख) यीशु की आज्ञा की तरफ चेलों ने कैसा रवैया दिखाया?

10 मसीह की आज्ञा के बारे में उठनेवाला दूसरा सवाल यह है कि चेला बनाने का काम कहाँ किया जाना चाहिए? यीशु ने अपने चेलों से कहा: “सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।” यीशु के सेवा शुरू करने से पहले, अन्यजातियों को यहोवा की सेवा करने का मौका तभी मिलता था जब वे इस्राएल देश आते थे। (1 राजा 8:41-43) यीशु ने भी ज़्यादातर पैदाइशी यहूदियों को प्रचार किया था, मगर अब उसने चेलों से कहा कि वे सभी जातियों के लोगों के यहाँ जाकर प्रचार करें। इस वक्‍त तक चेलों की मछुवाई या प्रचार का इलाका एक छोटे-से “तालाब” यानी पैदाइशी यहूदियों तक ही सीमित था। मगर अब बहुत जल्द वे एक बड़े “सागर” यानी सारी दुनिया में जाकर प्रचार करनेवाले थे। हालाँकि यह उनके लिए एक चुनौती थी, फिर भी उन्होंने बेझिझक यीशु की हिदायत मानी। इसीलिए यीशु की मौत को 30 साल भी नहीं गुज़रे थे कि प्रेरित पौलुस यह लिख सका कि खुशखबरी न सिर्फ यहूदियों को बल्कि “आकाश के नीचे सारी सृष्टि” को सुनायी जा चुकी है।—कुलुस्सियों 1:23.

11. बीसवीं सदी की शुरूआत से, ‘मछुवाई का इलाका’ कैसे बढ़ गया है?

11 हाल के समय में भी, प्रचार का इलाका कुछ इसी तरह बढ़ गया है। बीसवीं सदी की शुरूआत में, ‘मछुवाई का इलाका’ बस कुछ ही देशों तक सीमित था। लेकिन उन दिनों मसीह के चेलों ने पहली सदी के मसीहियों की तरह बड़े जोश के साथ काम किया और प्रचार का इलाका बढ़ाया। (रोमियों 15:20) सन्‌ 1930 के दशक के शुरूआती सालों तक, वे करीब 100 देशों में चेले बनाने का काम कर रहे थे। आज हमारा ‘मछुवाई का इलाका’ 235 देशों तक फैल गया है।—मरकुस 13:10.

‘भांति भांति की भाषा बोलनेवालों में से’

12. जकर्याह 8:23 की भविष्यवाणी में किस चुनौती पर ज़ोर दिया गया?

12 सब जातियों के लोगों को चेला बनाना न सिर्फ इसलिए एक चुनौती है क्योंकि इलाका बहुत बड़ा है, बल्कि इसलिए भी कि ये जातियाँ अलग-अलग भाषाएँ बोलती हैं। यहोवा ने जकर्याह नबी के ज़रिए यह भविष्यवाणी की: “उन दिनों में भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरुष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।” (तिरछे टाइप हमारे; जकर्याह 8:23) इस भविष्यवाणी की बड़ी पूर्ति में “यहूदी पुरुष” बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों को और “दस मनुष्य” “बड़ी भीड़” को दर्शाते हैं। * (प्रकाशितवाक्य 7:9, 10; गलतियों 6:16) मसीह के चेलों की यह बड़ी भीड़ कई देशों में पायी जाती, और जैसे जकर्याह ने कहा, इस भीड़ के लोग तरह-तरह की भाषाएँ बोलते। क्या आज के ज़माने में परमेश्‍वर के लोग कई जातियों से हैं और क्या वे अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं? जी हाँ, बिलकुल।

13. (क) आज के ज़माने में परमेश्‍वर के लोगों के बीच भाषाओं को लेकर कैसी तरक्की हुई? (ख) अलग-अलग भाषाओं में आध्यात्मिक भोजन की बढ़ती माँग को देखते हुए विश्‍वासयोग्य दास वर्ग ने क्या किया है? (“नेत्रहीन लोगों के लिए साहित्य,” यह बक्स भी शामिल कीजिए।)

13 सन्‌ 1950 में यहोवा के हर 5 साक्षियों में से करीब 3 की मातृ-भाषा अँग्रेज़ी थी। सन्‌ 1980 तक यह आँकड़ा बदल गया और 5 में से करीब 2 साक्षी अँग्रेज़ी बोलनेवाले थे। और आज हर 5 साक्षियों में से सिर्फ 1 की मातृ-भाषा अँग्रेज़ी है। इस बदलाव को देखते हुए विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग ने क्या कदम उठाया है? उसने पहले से ज़्यादा भाषाओं में आध्यात्मिक भोजन मुहैया कराया है। (मत्ती 24:45) मसलन, सन्‌ 1950 में हमारे साहित्य 90 भाषाओं में प्रकाशित किए जाते थे, मगर अब यह संख्या बढ़कर 400 तक हो गयी है। इस तरह पहले से ज़्यादा भाषाओं के लोगों पर ध्यान देने से क्या कुछ अच्छे नतीजे मिले हैं? ज़रूर मिले हैं! हर साल एक-एक हफ्ते में ‘हर एक भाषा में से’ औसतन 5,000 लोग मसीह के चेले बन रहे हैं! (प्रकाशितवाक्य 7:9) और ऐसी बढ़ोतरी लगातार हो रही है। कुछ देशों में “जाल” में ढेर सारी मछलियाँ पकड़ी जा रही हैं!—लूका 5:6; यूहन्‍ना 21:6.

सच्ची खुशी देनेवाली सेवाक्या आप इसमें हिस्सा ले सकते हैं?

14. हम अपने इलाके में रहनेवाले दूसरी भाषा के लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं? (“चेला बनाने के काम में साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल,” यह बक्स भी शामिल कीजिए।)

14 आज कई पश्‍चिमी देशों में विदेश से बहुत सारे लोग आकर बस गए हैं। इस वजह से साक्षियों के लिए अपने ही देश में ‘हर एक भाषा’ के लोगों को चेला बनाना और भी ज़रूरी हो गया है। (प्रकाशितवाक्य 14:6) हम अपने इलाके में रहनेवाले दूसरी भाषा के लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं? (1 तीमुथियुस 2:4) आध्यात्मिक मछुवाई का सही सामान इस्तेमाल करने के ज़रिए। ऐसे लोगों को उनकी अपनी भाषा में साहित्य दीजिए। हो सके तो उनसे मिलने के लिए ऐसे साक्षी का इंतज़ाम कीजिए जो उनकी भाषा बोलता हो। (प्रेरितों 22:2) आजकल ऐसा इंतज़ाम करना आसान हो गया है क्योंकि कई साक्षियों ने दूसरी भाषाएँ सीखी हैं ताकि वे विदेश से आए लोगों को मसीह के चेले बनने में मदद दे सकें। रिपोर्टें दिखाती हैं कि इस तरीके से लोगों की मदद करने से बढ़िया नतीजे मिलते हैं।

15, 16. (क) कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि विदेशी भाषा बोलनेवालों की मदद करने से गहरी खुशी मिलती है? (ख) विदेशी भाषा बोलनेवालों को प्रचार करने के सिलसिले में हम किन सवालों पर गौर कर सकते हैं?

15 नेदरलैंड्‌स के दो उदाहरणों पर गौर कीजिए, जहाँ 34 भाषाओं में प्रचार काम का इंतज़ाम किया गया है। एक शादी-शुदा साक्षी जोड़े ने स्वंय-सेवा की भावना दिखाते हुए, अपने यहाँ के उन विदेशियों को प्रचार किया जो पोलिश भाषा बोलते हैं। उन्हें अपनी मेहनत का इतना बढ़िया फल मिला कि पति ने अपनी नौकरी के घंटों में कटौती कर दी ताकि उसे दिलचस्पी दिखानेवालों के साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए हफ्ते में एक और दिन मिल जाए। कुछ ही समय में, यह जोड़ा हफ्ते में 20 से ज़्यादा बाइबल अध्ययन चलाने लगा। उन्होंने कहा: “हमें अपनी सेवा से बहुत खुशी मिलती है।” चेला बनानेवालों को खासकर उस वक्‍त खुशी महसूस होती है जब लोग बाइबल की सच्चाइयाँ अपनी भाषा में सुनने पर कदरदानी ज़ाहिर करते हैं। मसलन, वियतनामी भाषा में होनेवाली एक सभा के दौरान एक बुज़ुर्ग आदमी खड़ा हुआ और उसने कुछ कहने की इजाज़त माँगी। आँखों में खुशी के आँसू लिए उसने साक्षियों से कहा: “आप लोग मेरी इस मुश्‍किल भाषा को सीखने के लिए जो मेहनत कर रहे हैं, उसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं कितना एहसानमंद हूँ कि मुझे इस ढलती उम्र में बाइबल से कई बढ़िया बातें सीखने को मिली हैं!”

16 इसलिए यह देखकर हमें ताज्जुब नहीं होता कि जो भाई-बहन विदेशी भाषा बोलनेवाली कलीसियाओं में सेवा करते हैं, उन्हें गहरी खुशी मिलती है। ब्रिटेन में रहनेवाले एक शादी-शुदा जोड़े ने कहा: “पिछले 40 सालों के दौरान हमें जिन तरीकों से राज्य सेवा करने से खास खुशी मिली, उनमें से एक है विदेशी लोगों को प्रचार करना।” क्या आप भी अपने हालात में फेरबदल कर सकते हैं ताकि इस दिलचस्प तरीके से सेवा कर सकें? अगर आप फिलहाल स्कूल पढ़ते हैं तो क्या आप कोई विदेशी भाषा सीख सकते हैं ताकि आप आगे चलकर सेवा के इस पहलू में हिस्सा ले सकें? ऐसा करने से आपको ज़िंदगी में संतोष और ढेरों आशीषें मिलेंगी। (नीतिवचन 10:22) क्यों न आप इस बारे में अपने माता-पिता से बात करें?

अलग-अलग तरीके आज़माना

17. हम अपनी ही कलीसिया के इलाके में ज़्यादा लोगों तक कैसे पहुँच सकते हैं?

17 माना कि हममें से ज़्यादातर लोग अपने हालात की वजह से विदेशी भाषा बोलनेवाले इलाकों में जाकर अपने “जाल” नहीं डाल सकते। मगर हम अपनी ही कलीसिया के इलाके में पहले से ज़्यादा लोगों तक पहुँच सकते हैं। कैसे? कुछ बदलाव करने के ज़रिए, अपने संदेश में नहीं बल्कि इसे पेश करने के तरीके में। आज कई जगहों पर बहुत-से लोग कड़ी सुरक्षावाली इमारतों में रहते हैं। और कई लोग उस वक्‍त घर पर नहीं होते जब हम उनके यहाँ प्रचार करने जाते हैं। इसलिए हमें अपने “जाल” अलग-अलग समय पर और अलग-अलग जगहों पर डालने होंगे। ऐसा करके हम यीशु की मिसाल पर चल रहे होंगे। उसने अलग-अलग हालात में लोगों से बात करने के लिए कड़ी मेहनत की।—मत्ती 9:9; लूका 19:1-10; यूहन्‍ना 4:6-15.

18. अलग-अलग हालात में गवाही देना कैसे असरदार रहा है? (“बिज़नेस के इलाकों में चेले बनाना,” यह बक्स भी शामिल कीजिए।)

18 दुनिया के कुछ हिस्सों में चेला बनाने का एक अहम तरीका है, जहाँ-जहाँ लोग मिलते हैं, वहाँ जाकर गवाही देना। चेला बनाने में तजुरबेकार साक्षी अब अलग-अलग जगहों में गवाही देने पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। घर-घर प्रचार करने के अलावा, अब वे हवाई-अड्डों, दफ्तरों, दुकानों, गाड़ियाँ खड़ी करने की जगहों, बस-अड्डों, सड़कों, पार्कों, समुद्र-किनारों और दूसरी जगहों पर गवाही दे रहे हैं। हाल ही में हवाई द्वीप में ऐसे कई लोगों का बपतिस्मा हुआ जिनसे ऐसी ही जगहों में पहली बार मुलाकात हुई थी। प्रचार के तरीकों में बदलाव करने से हम चेले बनाने की आज्ञा को अच्छी तरह पूरा कर सकेंगे।—1 कुरिन्थियों 9:22, 23.

19. यीशु ने हमें जो काम सौंपा उसके किन पहलुओं पर अगले लेख में चर्चा की जाएगी?

19 यीशु ने चेले बनाने की आज्ञा देते वक्‍त सिर्फ यह नहीं बताया कि हमें यह काम क्यों और कहाँ करना है। उसने यह भी बताया कि हमें क्या प्रचार करना है और यह काम कब तक करना है। इन दोनों पहलुओं के बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

[फुटनोट]

^ इस लेख में हम पहले दो सवालों पर गौर करेंगे। और आखिरी दो सवालों पर अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

^ प्रचार करने की कुछ और वजह इन आयतों में बतायी गयी हैं: नीतिवचन 10:5; आमोस 3:8; मत्ती 24:42; मरकुस 12:17; रोमियों 1:14, 15.

^ इस भविष्यवाणी के पूरा होने के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए मई 15,2001 की प्रहरीदुर्ग का पेज 12 और यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला, भाग 2, पेज 408 देखिए। इन्हें यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आपको याद है?

• किन वजहों से और किस इरादे से हम राज्य का प्रचार करते और चेले बनाते हैं?

• आज यहोवा के सेवकों ने सभी जातियों के लोगों को चेला बनाने की आज्ञा किस हद तक मानी है?

• हम अपनी ‘मछुवाई’ के काम में कैसे अलग-अलग तरीके आज़मा सकते हैं, और हमें ऐसा क्यों करना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर बक्स/तसवीरें]

नेत्रहीन लोगों के लिए साहित्य

अमरीका का रहनेवाला एल्बर्ट, एक मसीही प्राचीन है, साथ ही पूरे समय का सेवक भी। वह देख नहीं सकता। ब्रेल भाषा में उपलब्ध बाइबल साहित्य की मदद से वह प्रचार काम, साथ ही सर्विस ओवरसियर की ज़िम्मेदारी और भी असरदार तरीके से निभा रहा है। वह कलीसिया की ज़िम्मेदारी कैसे निभाता है?

उसकी कलीसिया का प्रिसाइडिंग ओवरसियर जेम्स कहता है: “हमारी कलीसिया में एल्बर्ट, सर्विस ओवरसियर की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़िया तरीके से निभाता है।” एल्बर्ट, अमरीका के करीब 5,000 नेत्रहीन लोगों में से एक है जिन्हें बीते कई सालों से अँग्रेज़ी और स्पैनिश ब्रेल भाषा में बाइबल साहित्य मिल रहे हैं। दरअसल सन्‌ 1912 से विश्‍वासयोग्य दास वर्ग ने ब्रेल भाषा में सौ से ज़्यादा किस्म के साहित्य प्रकाशित किए हैं। यहोवा के साक्षियों के छपाईखानों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके हर साल दस से ज़्यादा ब्रेल भाषाओं में लाखों पन्‍ने प्रकाशित किए जा रहे हैं और इन्हें 70 से ज़्यादा देशों में बाँटा जा रहा है। क्या आप किसी ऐसे व्यक्‍ति को जानते हैं जो ब्रेल भाषा में बाइबल साहित्य पढ़कर फायदा पा सकता है?

[पेज 11 पर बक्स/तसवीर]

चेला बनाने के काम में साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल

संसार भर में रहनेवाले हज़ारों साक्षियों ने, जिनमें कई जोशीले जवान भी शामिल हैं, साइन लैंग्वेज सीखी है ताकि वे बधिरों को मसीह के चेले बनने में मदद दे सकें। नतीजा यह है कि सिर्फ ब्राज़ील में देखा जाए तो हाल ही में, एक साल के अंदर 63 बधिरों का बपतिस्मा हुआ। आज यहाँ 35 बधिर साक्षी पूरे समय की सेवा कर रहे हैं। दुनिया भर में 1,200 से ज़्यादा साइन लैंग्वेज की कलीसियाएँ और समूह हैं। रूस का एकमात्र साइन लैंग्वेज सर्किट, दुनिया का सबसे बड़ा सर्किट है क्योंकि इसमें पूरा रूस शामिल है!

[पेज 12 पर बक्स]

बिज़नेस के इलाकों में चेले बनाना

हवाई में एक साक्षी ने बिज़नेस करनेवालों से उनके दफ्तरों में जाकर मुलाकात की और इस दौरान वह यातायात कंपनी के एक बड़े मैनेजर से मिली। हालाँकि वह बहुत व्यस्त रहता है फिर भी वह हर हफ्ते अपने दफ्तर में 30 मिनट बाइबल अध्ययन करने को राज़ी हुआ। हर बुधवार की सुबह, वह अपने कर्मचारियों से कहता है कि वे उसे फोन न करें और इस तरह वह अध्ययन पर पूरा ध्यान देता है। हवाई में एक और साक्षी, जूते मरम्मत करने की दुकान की मालकिन के साथ हफ्ते में एक बार अध्ययन करती है। अध्ययन, दुकान के काउंटर पर ही चलाया जाता है। जब कोई ग्राहक आता है तो साक्षी एक तरफ हो जाती है। फिर ग्राहक के जाने के बाद, वे अध्ययन जारी रखती हैं।

उस बड़े मैनेजर और दुकान की मालकिन से मुलाकात इसलिए हो सकी क्योंकि साक्षियों ने अलग-अलग जगहों पर “जाल” डालने के मौके का इस्तेमाल किया। क्या आपकी कलीसिया के इलाके में ऐसी कुछ जगह हैं जहाँ आप उन लोगों से मिल सकते हैं जिनसे घर पर मिलना मुश्‍किल है?

[पेज 12 पर तसवीर]

क्या आप विदेशी भाषा बोलनेवालों को प्रचार कर सकते हैं?