मेक्सिको के आदिवासी लोग खुशखबरी सुनते हैं
मेक्सिको के आदिवासी लोग खुशखबरी सुनते हैं
नवंबर 10, 2002 को मेक्सिको की मीची भाषा बोलनेवाले आदिवासियों का एक समूह, सॉन मीगल केट्सॉल्टेपेक नाम के कस्बे में इकट्ठा हुआ। यह कस्बा मेक्सिको के खूबसूरत दक्षिणी राज्य, वहाका में है। वे यहोवा के साक्षियों के एक ज़िला अधिवेशन में हाज़िर हुए थे। उस सुबह के कार्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत थी, बाइबल पर आधारित एक नाटक।
जैसे ही साउंड सिस्टम के ज़रिए नाटक के पहले शब्द सुनायी पड़े, सब लोग एकदम दंग रह गए। फिर वे खुशी के मारे ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बजाने लगे और कइयों की आँखों से तो आँसू छलक पड़े। आखिर, नाटक मीची भाषा में जो था! इसके खत्म होने पर कइयों ने अपनी गहरी कदरदानी ज़ाहिर की। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उन्हें ऐसी आशीष मिलेगी। एक स्त्री ने कहा: “ज़िंदगी में पहली बार मैं नाटक को समझ सकी। इसने मेरे दिल को छू लिया है।” एक और स्त्री ने कहा: “अब मैं चैन से मर सकती हूँ, क्योंकि यहोवा ने मुझे अपनी भाषा में नाटक देखने का सुअवसर दिया है।”
हाल के समय से यहोवा के साक्षी मेक्सिको के आदिवासी लोगों तक राज्य की खुशखबरी पहुँचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और ऊपर बताया गया नाटक इन्हीं कोशिशों का एक नतीजा है।—मत्ती 24:14; 28:19, 20.
यहोवा ने प्रार्थनाएँ सुनीं
मेक्सिको में 60,00,000 से ज़्यादा आदिवासी रहते हैं। इतनी आबादी से तो उनका अपना एक देश बन सकता है, ऐसा देश जिसमें 62 भाषाएँ बोलनेवाले तरह-तरह की संस्कृति के लोग होंगे। पंद्रह भाषाओं में से हर भाषा के लोगों की गिनती 1,00,000 से ज़्यादा है। दस लाख से ज़्यादा आदिवासी, मेक्सिको की सरकारी भाषा, स्पैनिश नहीं बोलते। और जो स्पैनिश बोलते हैं, उनमें से ज़्यादातर लोग भी अपनी मातृ-भाषा में बाइबल की सच्चाई सीखना ज़्यादा आसान पाते हैं। (प्रेरितों 2:6; 22:2) कुछ लोग बरसों से बाइबल का अध्ययन कर रहे हैं और लगातार मसीही सभाओं में हाज़िर हो रहे हैं, फिर भी सच्चाई के बारे में उनकी समझ बहुत कम है। इसलिए वे काफी समय से प्रार्थना कर रहे थे कि उनकी अपनी भाषा में सच्चाई सिखाने का इंतज़ाम हो।
इस समस्या का हल करने के लिए, सन् 1999 में मेक्सिको में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर ने आदिवासी भाषाओं में कलीसिया की सभाओं का इंतज़ाम किया। अनुवाद की अलग-अलग टीम भी बनायी गयीं। सन् 2000 के आते-आते, ज़िला अधिवेशन का नाटक माया भाषा में पेश किया गया और बाद में दूसरी कई भाषाओं में भी।
अगला कदम था, बाइबल अध्ययन में मदद देनेवाली यहोवा के साक्षियों की किताबों का अनुवाद करना। सबसे पहले अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये! ब्रोशर को टोटोनॉक, माया, मॉसॉटेको, वॉवे, सेलटॉल और सोटसील भाषा में अनुवाद किया गया। बाद में और भी साहित्य अनुवाद किए गए और माया भाषा में हमारी राज्य सेवकाई नियमित तौर पर प्रकाशित की जाने लगी। कुछ प्रकाशनों के ऑडियो कैसेट रिकॉर्डिंग भी तैयार की गयीं। आदिवासियों को उनकी अपनी भाषा पढ़ना-लिखना सिखाने के लिए अपने आपको पढ़ना-लिखना सिखाइए (अँग्रेज़ी) नाम के ब्रोशर को उनकी ज़रूरतों के हिसाब से इस्तेमाल किया जा रहा है। फिलहाल,
15 आदिवासी भाषाओं में बाइबल के साहित्य छापे जा रहे हैं और आगे चलकर ज़्यादा-से-ज़्यादा साहित्य प्रकाशित किए जाएँगे।“हर मुमकिन कोशिश”
अनुवाद का काम इतना आसान नहीं रहा है। एक बात तो यह है कि मेक्सिको की आदिवासी भाषाओं में बहुत कम दुनियावी साहित्य उपलब्ध हैं। कई भाषाओं के लिए तो शब्दकोश तक मिलना मुश्किल है। इतना ही नहीं, कुछ भाषाओं की बहुत-सी बोलियाँ हैं। मसलन, सॉपोटेक भाषा में ही कम-से-कम पाँच बोलियाँ हैं। और ये एक-दूसरे से इतनी अलग हैं कि एक प्रांत की सॉपोटेक, दूसरे प्रांत के सॉपोटेक बोलनेवालों के बिलकुल पल्ले नहीं पड़ती।
एक और चुनौती यह है कि कुछ भाषाओं के कोई स्तर नहीं हैं। इसलिए अनुवादकों को ही कुछ स्तर बनाने पड़ते हैं। इसमें काफी खोजबीन और सलाह-मशविरे की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए यह जानकर ताज्जुब नहीं होता कि शुरू-शुरू में कई अनुवादकों ने बिलकुल वैसा ही महसूस किया जैसे वॉवे टीम की एलीडा ने महसूस किया! वह बीते दिनों को याद करके कहती है: “जब मुझे अनुवाद के लिए मेक्सिको के शाखा दफ्तर में सेवा करने का न्यौता दिया गया, तो मैं खुश भी थी और डर भी रही थी।”
अनुवादकों को कंप्यूटर का इस्तेमाल करना, तय किए गए समय पर काम पूरा करना और अनुवाद की कला, ये सब सीखना पड़ता है। वाकई अनुवाद का काम उनके लिए एक चुनौती रहा है। यह काम उन्हें कैसा लगता है? माया टीम की एक बहन, ग्लोरीया कहती है: “अपनी मातृ-भाषा, माया में बाइबल के साहित्य अनुवाद करने से हमें जो खुशी मिलती है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।” और अनुवाद विभाग के एक ओवरसियर ने अनुवादकों में बारे में यह कहा: “अपनी भाषा में बाइबल साहित्य उपलब्ध कराने की उनमें ऐसी ज़बरदस्त इच्छा है कि वे इस चुनौती को पार करने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।” क्या उनकी मेहनत का फायदा हुआ है?
“यहोवा, तेरा लाख-लाख शुक्र है!”
आदिवासी लोगों की खातिर की गयी मेहनत पर यहोवा की आशीष साफ देखी जा सकती है। यहाँ की मसीही सभाओं और सम्मेलनों की हाज़िरी कई गुना बढ़ गयी है। मसलन, सन् 2001 में मीची भाषा के साक्षियों की गिनती 223 थी, मगर मसीह की मौत के स्मारक की कुल हाज़िरी 1,674 थी, यानी साक्षियों की गिनती से साढ़े सात गुना ज़्यादा!
आज सच्चाई को कबूल करनेवाले कुछ लोग शुरू से ही इसकी अच्छी समझ हासिल कर पाते हैं। मीरना बताती है कि पहले जब माया भाषा में सभाएँ नहीं रखी जाती थीं, तो उसके साथ क्या हुआ। वह कहती है: “मैंने तीन महीने बाइबल अध्ययन करने के बाद बपतिस्मा ले लिया। मैं बस इतना जानती थी कि मुझे बपतिस्मा लेना है, मगर मुझे मानना पड़ेगा कि उस वक्त मुझे बाइबल की सच्चाइयों की उतनी अच्छी समझ नहीं थी जितनी होनी चाहिए। शायद इसकी वजह यह थी कि मेरी भाषा माया है और मैं स्पैनिश ठीक से नहीं समझती। सच्चाई को ठीक-ठीक समझने में मुझे थोड़ा वक्त लगा।” आज उसे और उसके पति को इस बात की खुशी है कि वे माया अनुवाद टीम के सदस्य हैं।
जब अपनी भाषा में साहित्य मिलते हैं, तो कलीसिया के सभी लोग खुशी से फूले नहीं समाते। हाल ही में अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये! ब्रोशर सोटसील भाषा में अनुवाद किया गया। जब यह ब्रोशर एक स्त्री को पेश किया गया जिसने मसीही सभाओं में आना शुरू किया था, तो उसने ब्रोशर को सीने से लगाते हुए कहा: “यहोवा, तेरा लाख-लाख शुक्र है!” कई रिपोर्टें दिखाती हैं कि अब बाइबल विद्यार्थी पहले से भी तेज़ी से तरक्की करके बपतिस्मा
ले रहे हैं, जो प्रचारक ठंडे पड़ गए थे उन्होंने फिर से सेवा शुरू कर दी है और बहुत-से भाई अब कलीसिया में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल महसूस कर रहे हैं। कुछ घर-मालिक पहले से ज़्यादा अब खुशी-खुशी अपनी भाषा में बाइबल साहित्य ले रहे हैं और अध्ययन करने के लिए तैयार हैं।एक बार एक साक्षी बहन अपनी बाइबल विद्यार्थी के घर गयी, मगर वह उसे नहीं मिली। लेकिन जब उसका पति दरवाज़े पर आया, तो बहन ने कहा कि वह उसे एक ब्रोशर से कुछ पढ़कर सुनाना चाहती है। उस आदमी ने जवाब दिया: “मुझे कुछ नहीं सुनना।” बहन ने टोटोनॉक में उसे बताया कि वह ब्रोशर उनकी अपनी भाषा में है। यह सुनते ही वह आदमी एक बेंच खींचकर उस पर बैठ गया और सुनने को तैयार हो गया। जब बहन उसे ब्रोशर से पढ़कर सुना रही थी, तो वह बीच-बीच में कहता था, “ठीक। बिलकुल सही कहा।” अब वह मसीही सभाओं में हाज़िर होता है।
यूकटॉन राज्य की एक साक्षी बहन का पति सच्चाई का बहुत विरोध करता था। जब बहन सभाओं से घर लौटती तो कभी-कभी वह उसे मारता-पीटता भी था। जब माया भाषा में सभाएँ शुरू की गयीं, तो बहन ने उसे सभा में आने का न्यौता दिया। वह सभा में आया और उसे सभा बहुत अच्छी लगी। अब वह बिना नागा सभाओं में आता है, उसके साथ बाइबल अध्ययन किया जा रहा है, और कहने की ज़रूरत नहीं कि अब वह अपनी पत्नी को पीटता भी नहीं।
टोटोनॉक बोलनेवाले एक आदमी ने दो साक्षियों से कहा कि वह कभी प्रार्थना नहीं करता, क्योंकि एक कैथोलिक पादरी ने उसे बताया कि परमेश्वर सिर्फ स्पैनिश भाषा में की जानेवाली प्रार्थनाएँ सुनता है। और-तो-और, उसे टोटोनॉक बोलनेवालों की खातिर प्रार्थना करने के लिए पादरी को पैसे देने पड़ते थे। साक्षियों ने उसे समझाया कि परमेश्वर 2 इतिहास 6:32, 33; भजन 65:2.
हर भाषा में की जानेवाली प्रार्थनाएँ सुनता है। फिर उन्होंने टोटोनॉक भाषा का एक ब्रोशर उसे दिया, जिसे उसने खुशी-खुशी कबूल किया।—“कूऑल्ट्सीन टाचटोऊआ”
इन अनुभवों से बहुत-से राज्य प्रचारकों में ऐसा जोश भर आया कि वे अब एक अलग आदिवासी भाषा सीखने या अपनी ही भाषा को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तरी प्वेबला राज्य में सेवा करनेवाला एक सफरी ओवरसियर ऐसी ही मेहनत कर कर रहा है। वह नावाटल बोलनेवाली पाँच कलीसियाओं का दौरा करता है। उसने कहा: “एक वक्त था जब कुछ बच्चे सभाओं में सो जाते थे। लेकिन आज जब मैं नावाटल में भाषण देता हूँ, तो वे जागे रहते हैं और बड़े ध्यान से सुनते हैं। एक सभा के खत्म होने पर चार साल का एक बच्चा मेरे पास आया और बोला: ‘कूऑल्ट्सीन टाचटोऊआ’ (आप बहुत अच्छा बोलते हो) इससे मुझे लगा कि मेरी मेहनत रंग ला रही है।”
जी हाँ, आदिवासी लोगों का इलाका सचमुच ‘कटनी के लिये पक चुका है।’ और यहाँ सेवा करनेवाले सभी भाई-बहनों का काफी उत्साह बढ़ा है। (यूहन्ना 4:35) रोबर्टो जिसने यहाँ की अनुवाद टीम संगठित की थी, वह चंद शब्दों में अपनी खुशी बयान करता है: “मैंने देखा है कि जब हमारे भाई-बहन अपनी मातृ-भाषा में सच्चाई की बातें सुनते और उसकी सही समझ पाते हैं, तो उनकी आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं। यह नज़ारा मैं ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता। इस बारे में सोचकर मेरा दिल भर आता है।” जब ये साक्षी नेकदिल लोगों को राज्य के पक्ष में होने के लिए मदद देते हैं, तो इससे बेशक यहोवा का मन भी आनंदित होता है।—नीतिवचन 27:11.
[पेज 10, 11 पर बक्स]
मिलिए कुछ अनुवादकों से
• “मुझे याद है कि मेरे माता-पिता ने मुझे बचपन से ही सच्चाई सिखायी थी। मगर दुःख की बात है कि जब मैं 11 साल की थी, तब पिताजी ने मसीही कलीसिया से नाता तोड़ लिया। दो साल बाद, माँ घर छोड़कर चली गयी। पाँच बच्चों में मैं सबसे बड़ी थी, इसलिए स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ मुझे एक माँ की ज़िम्मेदारी भी निभानी पड़ी।
“हमारे आध्यात्मिक भाई-बहनों ने हमें बहुत प्यार और सहारा दिया। फिर भी, हमारे लिए ज़िंदगी जीना इतना आसान नहीं था। कभी-कभी मैं सोचती थी, ‘आखिर, मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है? अभी मेरी उम्र ही क्या है?’ मगर सिर्फ यहोवा की मदद से मैं इन सारी मुश्किलों को पार कर पायी। हाई स्कूल पास करने के बाद, मैंने पूरे समय की सेवा शुरू कर दी, और इस सेवा से मुझे बहुत मदद मिली। जब नावाटल भाषा की टीम बनायी जा रही थी, तो मुझे भी इसमें शामिल होने का न्यौता मिला।
“अब पिताजी वापस कलीसिया में आ गए हैं, और मेरे छोटे भाई-बहन भी यहोवा की सेवा कर रहे हैं। वाकई, यहोवा के वफादार बने रहने का मुझे बढ़िया प्रतिफल मिला है! उसने हमारे परिवार को ढेरों आशीषें दी हैं।”—ऑलीसियॉ।
• “मेरी क्लास में पढ़नेवाली एक साक्षी लड़की ने एक बार जीवन की शुरूआत के बारे में भाषण दिया था। मैं उस दिन क्लास में हाज़िर नहीं था, और मुझे यह चिंता खाए जा रही थी कि इम्तहान में मैं उस विषय पर सवालों के जवाब कैसे दूँगा। इसलिए मैंने उस लड़की से कहा कि वह मुझे उस विषय के बारे में समझाए। मैं हमेशा सोचता था कि आखिर इंसान क्यों मरता है। जब उसने मुझे सृष्टि किताब * दी और एक बाइबल अध्ययन की पेशकश की, तो मैंने कबूल कर लिया। सिरजनहार के मकसद और उसके प्यार के बारे में मैंने जो जाना, उससे मेरे दिल पर गहरा असर हुआ।
“स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मेरे सामने स्पैनिश और सोटसील भाषा का टीचर बनने का मौका आया। लेकिन इस काम के लिए मुझे काफी दूर जाना था, शनिवार-रविवार को भी बच्चों को पढ़ाना पढ़ता और इस वजह से मैं मसीही सभाओं में नहीं जा पाता। इसलिए मैंने उस नौकरी से इनकार कर दिया और राजगीरी करने लगा। मगर मेरे पिताजी, जो एक साक्षी नहीं हैं, इस फैसले से बिलकुल खुश नहीं थे। बाद में, मैंने पायनियर सेवा शुरू की और इसी दौरान बाइबल साहित्य को सोटसील में अनुवाद करने के लिए एक टीम तैयार की जाने लगी। मेरे दिल ने उस टीम का एक हिस्सा बनने के लिए मुझे उभारा और मैं उसमें शामिल हो गया।
“मैं देखता हूँ कि जब हमारे भाई-बहन अपनी भाषा में साहित्य पाते हैं, तो उन्हें महसूस होता है कि उनकी कदर की जा रही है और उनका आदर किया जा रहा है। यह देखकर मुझे बहुत संतोष मिलता है। और मैं अपनी इस सेवा को बड़े सम्मान की बात समझता हूँ।”—ऊंबर्ट्टो।
• “जब मैं छः साल की थी, तब माँ घर छोड़कर चली गयी। जब मैं किशोरावस्था में थी, तब पिताजी ने यहोवा के साक्षियों के साथ अध्ययन करना शुरू किया। एक दिन एक साक्षी बहन ने मुझसे पूछा कि क्या मैं बाइबल अध्ययन करना चाहूँगी। उसने बताया कि इस अध्ययन में जवानों के लिए भी सलाह दी जाती हैं। एक तो मेरी उम्र बहुत कम थी और मुझ पर माँ का साया भी नहीं था। इसलिए मुझे लगा कि मुझे ऐसी ही मदद की ज़रूरत है। फिर 15 साल की उम्र में मैंने बपतिस्मा ले लिया।
“सन् 1999 में कुछ ज़ालिमों ने मेरे पिता की ज़मीन हड़पने के लिए उनकी हत्या कर दी। इस हादसे से मैं पूरी तरह टूट गयी। मैं इतनी मायूस हो गयी कि मैंने सोचा बस अब मैं और नहीं जी सकती। मगर मैं हिम्मत के लिए यहोवा से लगातार प्रार्थना करती रही। सफरी ओवरसियर और उनकी पत्नी ने मुझे बहुत हौसला दिया। कुछ ही समय बाद, मैं रेग्युलर पायनियर बन गयी।
“एक दफा मैंने देखा कि कुछ लोग टोटोनॉक में 20 मिनट का एक भाषण सुनने के लिए छः घंटे पैदल चलकर आए, जबकि बाकी सभा स्पैनिश में थी जिसे वे नहीं समझते थे। इसलिए जब मुझे टोटोनॉक में बाइबल साहित्य अनुवाद करने के लिए बुलाया गया, तो मैं खुशी से फूली न समायी।
“मैं हमेशा अपने पिता से कहा करती थी मेरा सपना है कि मैं यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर में सेवा करूँ। वे कहते थे कि मेरी उम्र की कुँवारी लड़कियों के बेथेल बुलाए जाने की गुंजाइश बहुत कम है। जब वे पुनरुत्थान में आएँगे, तो उन्हें यह जानकर कितनी खुशी होगी कि मैं बेथेल में सेवा कर पायी, और मैंने अपनी भाषा में बाइबल साहित्य अनुवाद किए हैं!”—एडीट।
[फुटनोट]
^ जीवन—इसकी शुरूआत कैसे हुई? विकास से या सृष्टि से? (अँग्रेज़ी) इस किताब को यहोवा के साक्षियों ने सन् 1985 में प्रकाशित किया था।
[पेज 9 पर तसवीर]
सोटसील टीम के सदस्य एक ऐसे शब्द पर चर्चा कर रहे हैं जिसका अनुवाद करना बहुत मुश्किल है