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‘परायों के शब्द’ से खबरदार

‘परायों के शब्द’ से खबरदार

‘परायों के शब्द’ से खबरदार

‘वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानतीं।’—यूहन्‍ना 10:5.

1, 2. (क) जब यीशु, मरियम का नाम लेकर उसे पुकारता है तो वह क्या करती है, और यह घटना यीशु की किस बात को समझने में हमारी मदद करती है? (ख) यीशु के करीब रहने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

 पुनरुत्थान पाया हुआ यीशु अपनी खाली कब्र के पास एक स्त्री को खड़ा देखता है, जिसे वह अच्छी तरह जानता है। उसका नाम है, मरियम मगदलीनी। करीब दो साल पहले यीशु ने उसे एक दुष्टात्मा के कब्ज़े से छुड़ाया था। तब से यीशु और उसके प्रेरित जहाँ जाते, वह स्त्री उनके साथ जाती और उनकी रोज़मर्रा ज़रूरतों का खयाल रखती थी। (लूका 8:1-3) मगर आज मरियम बहुत दुःखी है और रो रही है क्योंकि कुछ समय पहले उसने खुद अपनी आँखों से यीशु को मरते हुए देखा था और अब तो उसकी लाश भी गायब है! यीशु उससे पूछता है: “हे नारी, तू क्यों रोती है? किस को ढूंढ़ती है?” मरियम उसे वहाँ का माली समझकर कहती है: “हे महाराज, यदि तू ने उसे उठा लिया है तो मुझ से कह कि उसे कहां रखा है और मैं उसे ले जाऊंगी।” तब यीशु कहता है: “मरियम!” वह जिस लहज़े में उसे पुकारता है, उससे मरियम फौरन पहचान जाती है कि वह यीशु है। वह खुशी से फूली नहीं समाती और कहती है: “हे गुरु”! और वह यीशु के गले लग जाती है।—यूहन्‍ना 20:11-18.

2 वाकई, यह घटना हमारे दिल को छू जाती है! और इससे हमें एक ऐसी बात समझने में मदद मिलती है जो यीशु ने कुछ ही समय पहले कही थी। उसने अपनी तुलना एक चरवाहे से और अपने चेलों की तुलना भेड़ों से करते हुए कहा था कि चरवाहा अपनी भेड़ों को नाम लेकर पुकारता है और वे उसकी आवाज़ पहचान लेती हैं। (यूहन्‍ना 10:3, 4, 14, 27, 28) बेशक, जैसे एक भेड़ अपने चरवाहे को पहचान लेती है, उसी तरह मरियम ने भी अपने चरवाहे, मसीह को पहचान लिया था। यह बात आज यीशु के चेलों के मामले में भी सच है। (यूहन्‍ना 10:16) भेड़ों के कान बहुत तेज़ होते हैं, इसलिए वे अपने चरवाहे की आवाज़ पहचानकर उसके आस-पास रहती हैं। उसी तरह आध्यात्मिक परख-शक्‍ति हमें अपने अच्छे चरवाहे यीशु मसीह के करीब रहने और उसके नक्शे-कदम पर चलने में मदद देती है।—यूहन्‍ना 13:15; 1 यूहन्‍ना 2:6; 5:20.

3. भेड़शाला के बारे में यीशु के दृष्टांत से हमारे मन में क्या सवाल उठते हैं?

3 यह दृष्टांत दिखाता है कि भेड़ों में इंसान की आवाज़ पहचानने की काबिलीयत होती है, जिससे वह न सिर्फ अपने चरवाहे को बल्कि एक अजनबी को भी पहचान लेती हैं। यह बात हमारे लिए खास मायने रखती है, क्योंकि हमारे भी कुछ दुश्‍मन हैं जो बहुत चालाक हैं। वे कौन हैं? वे कैसी चाल चलते हैं? हम खुद को उनसे कैसे बचा सकते हैं? इन सवालों के जवाब के लिए आइए देखें कि यीशु ने भेड़शाला के दृष्टांत में और क्या कहा था।

‘जो द्वार से प्रवेश नहीं करता’

4. चरवाहे के दृष्टांत के मुताबिक भेड़ें किसके पीछे-पीछे चलती हैं, मगर वे किसके पीछे नहीं जातीं?

4 यीशु कहता है: “जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है। उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और भेड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर बुलाता है और बाहर ले जाता है। और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं। परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उस से भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती।” (यूहन्‍ना 10:2-5) ध्यान दीजिए कि इन आयतों में यीशु तीन बार “शब्द” कहता है। दो बार तो वह चरवाहे के शब्द का और तीसरी बार ‘परायों के शब्द’ का ज़िक्र करता है। यीशु यहाँ कैसे पराए व्यक्‍ति की बात कर रहा है?

5. यूहन्‍ना के अध्याय 10 में जिस तरह के पराए व्यक्‍ति का ज़िक्र है, उसकी हम मेहमाननवाज़ी क्यों नहीं करते?

5 यीशु यहाँ किसी ऐसे पराए शख्स या अजनबी की बात नहीं कर रहा है जिसकी हम मेहमाननवाज़ी करना चाहेंगे। बाइबल की मूल भाषा में मेहमाननवाज़ी का मतलब है, “अजनबियों के लिए प्यार।” (इब्रानियों 13:2) यीशु के दृष्टांत का पराया व्यक्‍ति एक बिन बुलाया मेहमान है। वह “द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु और किसी ओर से चढ़ जाता है, वह चोर और डाकू है।” (यूहन्‍ना 10:1) परमेश्‍वर के वचन में बताया वह पहला शख्स कौन है जो चोर और डाकू बना? वह है, शैतान यानी इब्‌लीस। इसका सबूत हमें उत्पत्ति की किताब में मिलता है।

जब पराए की आवाज़ पहली बार सुनायी पड़ी

6, 7. शैतान को एक पराया शख्स और चोर कहना क्यों सही है?

6 उत्पत्ति 3:1-5 समझाता है कि धरती पर पहली बार एक पराए शख्स की आवाज़ कैसे सुनायी पड़ी। उसमें दिया वृत्तांत दिखाता है कि शैतान ने एक सर्प के ज़रिए पहली स्त्री, हव्वा से बात की और उसे बड़ी चालाकी से फुसला दिया। माना कि यहाँ शैतान को सीधे-सीधे ‘पराया’ नहीं कहा गया। फिर भी, उसके कामों से ज़ाहिर होता है कि वह कई मायनों में उस पराए शख्स की तरह था जिसका ज़िक्र यीशु ने यूहन्‍ना के 10वें अध्याय में किया। यीशु के बताए अजनबी और शैतान के बीच कुछ समानताओं पर गौर कीजिए।

7 यीशु बताता है कि एक अजनबी, भेड़शाला में पीछे से घुस आता है। उसी तरह, शैतान ने भी हव्वा से सीधे बात न करके एक सर्प का इस्तेमाल किया। शैतान की इस चालाकी से उसकी असलियत सामने आ गयी कि वह एक मक्कार घुसपैठिया है। एक और बात यह है कि भेड़शाला में घुस आनेवाले अजनबी का मकसद होता है, भेड़ों के असली मालिक को लूटना। दरअसल, वह चोर से भी दुष्ट होता है क्योंकि वह न सिर्फ भेड़ों को चुराने के लिए बल्कि उन्हें “घात करने और नष्ट करने” के इरादे से आता है। (यूहन्‍ना 10:10) उसी तरह, शैतान भी एक चोर था। उसने हव्वा को धोखा देकर परमेश्‍वर के प्रति उसकी वफादारी छीन ली। इतना ही नहीं, उसने सभी इंसानों को मौत के मुँह में धकेल दिया। इसलिए वह एक हत्यारा भी है।

8. शैतान ने यहोवा के शब्दों को कैसे तोड़-मरोड़कर पेश किया और उसकी नीयत पर उँगली उठायी?

8 शैतान की बेईमानी इस बात से ज़ाहिर होती है कि उसने यहोवा के शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया और उसकी नीयत पर उँगली उठायी। उसने हव्वा से पूछा: “क्या सच है, कि परमेश्‍वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?” (तिरछे टाइप हमारे।) शैतान ने ऐसा स्वाँग रचा मानो उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यहोवा ने उनको वह फल खाने से मना किया है। एक तरह से वह कह रहा था: ‘आखिर परमेश्‍वर इतना कठोर कैसे हो सकता है?’ शैतान ने यह भी कहा: “परमेश्‍वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी।” उसके इन शब्दों पर गौर कीजिए: “परमेश्‍वर आप जानता है।” शैतान मानो यह कह रहा था: ‘मुझे पता है कि परमेश्‍वर के मन में क्या है। यकीन मानो, उसके इरादे ठीक नहीं हैं।’ (उत्पत्ति 2:16, 17; 3:1, 5) हव्वा और आदम को चाहिए था कि वे उस पराए शख्स की आवाज़ को अनसुना कर दें, मगर अफसोस कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने उसकी बात मान ली और वे खुद पर और अपनी संतान पर मुसीबतें ले आए।—रोमियों 5:12, 14.

9. आज हम यह उम्मीद क्यों कर सकते हैं कि परायों की आवाज़ सुनायी पड़ेगी?

9 आज भी शैतान परमेश्‍वर के लोगों को गुमराह करने के लिए कुछ ऐसी ही तरकीबें अपनाता है। (प्रकाशितवाक्य 12:9) वह “झूठ का पिता” है और जो उसकी तरह, परमेश्‍वर के सेवकों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, वे उसकी संतान हैं। (यूहन्‍ना 8:44) आइए ऐसे कुछ तरीकों पर गौर करें जिनसे आज इन परायों की आवाज़ सुनायी पड़ती है।

आज परायों की आवाज़ कैसे सुनायी पड़ती है

10. एक तरीका क्या है जिससे आज परायों की आवाज़ सुनायी पड़ती है?

10 धोखा देनेवाली दलीलें। प्रेरित पौलुस कहता है: “नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ।” (इब्रानियों 13:9) ये कैसे उपदेश हैं? पौलुस कहता है कि ये हमें ‘भरमा’ सकते हैं। तो ज़ाहिर है कि वह ऐसी शिक्षाओं की तरफ इशारा कर रहा था जिनसे हमारी आध्यात्मिक बुनियाद कमज़ोर हो सकती है। ये ऊपरी उपदेश यानी परायी शिक्षाएँ कौन दे रहा है? पौलुस ने कुछ मसीही प्राचीनों से कहा: “तुम्हारे ही बीच में से भी ऐसे ऐसे मनुष्य उठेंगे, जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने को टेढ़ी मेढ़ी बातें कहेंगे।” (प्रेरितों 20:30) जी हाँ, पौलुस के दिनों की तरह आज भी कुछ लोग, जो पहले कलीसिया के सदस्य हुआ करते थे, “टेढ़ी मेढ़ी बातें” करके भेड़ों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी ‘टेढ़ी मेढ़ी बातों’ का मतलब है, ऐसी शिक्षाएँ जिनमें सिर्फ आधी सच्चाई होती है या जो पूरी तरह झूठी होती हैं। जैसे प्रेरित पतरस ने कहा, वे मसीहियों को धोखा देने के लिए ऐसी ‘बातें गढ़ते हैं,’ जो सच लगती हैं मगर उनसे कोई फायदा नहीं होता।—2 पतरस 2:3.

11. दूसरे पतरस 2:1, 3 में धर्म-त्यागियों के हथकंडों और इरादों का कैसे पर्दाफाश किया गया है?

11 पतरस उन धर्म-त्यागियों के हथकंडों का पर्दाफाश करते हुए आगे कहता है कि वे “नाश करने वाले पाखण्ड का उद्‌घाटन छिप छिपकर करेंगे।” (2 पतरस 2:1, 3) जैसे यीशु के दृष्टांत में बताया चोर “द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु और किसी ओर से चढ़ जाता है,” उसी तरह धर्म-त्यागी भी दबे पाँव हमारे पास आते हैं। (गलतियों 2:4; यहूदा 4) उनका इरादा क्या है? पतरस आगे कहता है: ‘वे तुम्हें अपने लाभ का कारण बनाएंगे।’ जी हाँ, धर्म-त्यागी अपने कामों को सही ठहराने के लिए चाहे जो भी सफाई पेश करें, मगर उनका असली मकसद ‘चोरी, घात और नष्ट करना’ होता है। (यूहन्‍ना 10:10) ऐसे पराए लोगों से खबरदार!

12. (क) हमारे साथियों के ज़रिए परायों का शब्द कैसे सुनायी पड़ सकता है? (ख) शैतान की और आज पराए लोगों की चालें कैसे मिलती-जुलती हैं?

12 संगति जिसमें खतरा है। परायों का शब्द उन लोगों के ज़रिए भी सुनायी पड़ सकता है जिनके साथ हम मेल-जोल रखते हैं। खासकर जवानों को ऐसी संगति से खतरा हो सकता है। (1 कुरिन्थियों 15:33) मत भूलिए कि शैतान ने सबसे पहले हव्वा को निशाना बनाया, क्योंकि वह आदम से छोटी थी और उसका तजुर्बा भी कम था। शैतान ने हव्वा को यकीन दिलाया कि यहोवा ने बेवजह उसकी आज़ादी छीन ली है, जबकि यह बिलकुल झूठ था। यहोवा तो आदम और हव्वा से बेहद प्यार करता था और उनकी पूरी देखभाल करता था। (यशायाह 48:17) उसी तरह, आज पराए लोग आप जवानों को इस बात पर कायल करने की कोशिश करते हैं कि आपके मसीही माता-पिता ने आपकी आज़ादी छीन ली है। इन परायों का आप पर कैसा असर पड़ सकता है? एक मसीही लड़की कबूल करती है: “मेरी क्लास के साथियों के दबाव की वजह से कुछ हद तक मेरा विश्‍वास कमज़ोर पड़ गया था। वे हमेशा मुझसे कहते थे कि मेरा धर्म कुछ ज़्यादा ही सख्त है और उसने मुझ पर ढेरों पाबंदियाँ लगा रखी हैं।” मगर सच तो यह है कि आपके माता-पिता आपसे बेइंतिहा प्यार करते हैं। इसलिए अगर स्कूल के साथी, माता-पिता पर से आपका भरोसा तोड़ने की कोशिश करें, तो आप गुमराह मत होइए, जैसे हव्वा हो गयी थी।

13. दाऊद ने कैसे बुद्धिमानी का रास्ता चुना, और एक तरीका क्या है जिससे हम उसकी मिसाल पर चल सकते हैं?

13 नुकसान पहुँचानेवाली संगति के बारे में भजनहार दाऊद कहता है: “मैं निकम्मी चाल चलनेवालों के संग नहीं बैठा, और न मैं कपटियों के साथ कहीं जाऊंगा।” (भजन 26:4) क्या इस आयत में भी आपने गौर किया कि पराए लोग कैसे होते हैं? वे कपटी होते हैं यानी अपना असली रूप छिपाते हैं, ठीक जैसे शैतान ने भी एक सर्प का इस्तेमाल करके अपनी असल पहचान छिपायी थी। आज कुछ बदचलन लोग अपनी असली सूरत और अपने इरादों पर नकाब डालने के लिए इंटरनॆट का इस्तेमाल करते हैं। चैट रूम में, कुछ चरित्रहीन लोग शायद जवान होने का ढोंग करके आपको अपने जाल में फँसाने की कोशिश करें। इसलिए जवानो, आपसे हमारी गुज़ारिश है कि आप बहुत सावधान रहिए, वरना आप आध्यात्मिक खतरे में पड़ जाएँगे।—भजन 119:101; नीतिवचन 22:3.

14. कभी-कभी मीडिया परायों की आवाज़ कैसे सुनायी पड़ती है?

14 झूठे इलज़ाम। हालाँकि मीडिया कई बार यहोवा के साक्षियों के बारे में सच्ची रिपोर्टें पेश करता है, मगर कभी-कभी पराए लोग इसके ज़रिए साक्षियों के खिलाफ एक-तरफा बातें फैलाते हैं। मसलन, एक देश के समाचार में यह गलत रिपोर्ट पेश की गयी कि दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान साक्षियों ने हिटलर की सरकार का साथ दिया था। एक और देश की खबरों में साक्षियों पर यह इलज़ाम लगाया गया कि उन्होंने चर्च में घुसकर तोड़-फोड़ की। कई देशों में मीडिया ने साक्षियों पर यह आरोप लगाया कि वे अपने बच्चों का इलाज नहीं करवाते और अपने संगी विश्‍वासियों के गंभीर पापों को अनदेखा कर देते हैं। (मत्ती 10:22) मगर जो नेकदिल लोग हमें जानते हैं, वे समझते हैं कि ये सारे इलज़ाम सरासर झूठ हैं।

15. मीडिया में पेश की जानेवाली हर बात पर यकीन करना क्यों अक्लमंदी नहीं होगी?

15 अगर कभी पराए लोग हम पर गलत इलज़ाम लगाते हैं, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें नीतिवचन 14:15 की यह सलाह माननी चाहिए: “भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” मीडिया में सच्चाई का जामा पहनाकर पेश की जानेवाली हर बात पर यकीन कर लेना अक्लमंदी नहीं होगी। यह सच है कि हम सारी दुनियावी जानकारी पर शक नहीं करते, मगर हम यह भी ध्यान में रखते हैं कि “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।”—तिरछे टाइप हमारे; 1 यूहन्‍ना 5:19.

“आत्माओं को परखो”

16. (क) भेड़ों का व्यवहार, यूहन्‍ना 10:4 में कहे यीशु के शब्दों को कैसे सच साबित करता है? (ख) बाइबल हमें क्या करने का बढ़ावा देती है?

16 लेकिन जब हम कोई आवाज़ सुनते हैं, तो ठीक-ठीक कैसे फर्क कर सकते हैं कि वह आवाज़ दोस्त की है या दुश्‍मन की? यीशु ने कहा था कि भेड़ें इसलिए चरवाहे के पीछे-पीछे चलती हैं “क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं।” (यूहन्‍ना 10:4) भेड़ें अपने चरवाहे का रूप देखकर नहीं बल्कि उसकी आवाज़ सुनकर उसके पीछे हो लेती हैं। बाइबल के देशों पर लिखी एक किताब बताती है कि एक बार उन जगहों का दौरा करनेवाले एक आदमी ने दावा किया कि भेड़ें अपने चरवाहे की पोशाक से उसे पहचानती हैं, न कि उसकी आवाज़ से। मगर एक चरवाहे ने उसकी बात को गलत बताते हुए कहा कि भेड़ें चरवाहे की आवाज़ से ही उसे पहचानती हैं। उसने अपनी बात साबित करने के लिए अपने कपड़े अजनबी को दिए और उसके कपड़े खुद पहन लिए। इसके बाद जब अजनबी ने भेड़ों को आवाज़ लगायी, तो वे उसके पास नहीं आयीं। वे उसकी आवाज़ नहीं पहचानती थीं। मगर जब चरवाहे ने पुकारा, तो वे सुनते ही उसके पास चली आयीं, इसके बावजूद कि उसने चरवाहे जैसे कपड़े नहीं पहने थे। यह साफ दिखाता है कि चाहे एक आदमी दिखने में चरवाहे की तरह क्यों न लगे, मगर भेड़ें इससे धोखा नहीं खातीं। भेड़ें एक तरह से आवाज़ को परखती हैं कि वह सचमुच उसके चरवाहे की आवाज़ है या किसी और की। परमेश्‍वर का वचन हमें भी ऐसा ही करने का बढ़ावा देता है, यानी ‘आत्माओं को परखना कि वे परमेश्‍वर की ओर से हैं या नहीं।’ (1 यूहन्‍ना 4:1; 2 तीमुथियुस 1:13) ऐसी परख करने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

17. (क) हम यहोवा की आवाज़ से कैसे वाकिफ होते हैं? (ख) यहोवा के बारे में ज्ञान, हमें क्या करने में मदद देगा?

17 तो यह कहना सही होगा कि हम यहोवा की आवाज़ या उसके संदेश को जितनी अच्छी तरह जानेंगे, उतनी अच्छी तरह हम एक पराए शख्स की आवाज़ पहचान सकेंगे। बाइबल बताती है कि हम ऐसी जानकारी कैसे पा सकते हैं। यह कहती है: “तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो।” (यशायाह 30:21) हमारे पीछे से सुनायी पड़नेवाला “वचन,” परमेश्‍वर के वचन, बाइबल से है। जब भी हम बाइबल पढ़ते हैं तो एक तरह से हम अपने महान चरवाहे, यहोवा की आवाज़ सुनते हैं। (भजन 23:1) इसलिए हम जितना ज़्यादा बाइबल का अध्ययन करेंगे, उतनी अच्छी तरह परमेश्‍वर की आवाज़ से वाकिफ होंगे। और परमेश्‍वर को इस तरह करीब से जानने पर हम परायों की आवाज़ झट-से पहचान जाएँगे।—गलतियों 1:8.

18. यहोवा की आवाज़ पहचानने में क्या-क्या शामिल है? (ख) मत्ती 17:5 के मुताबिक हमें यीशु की बात क्यों माननी चाहिए?

18 यहोवा की आवाज़ पहचानने में और क्या शामिल है? उसकी आवाज़ सुनने के साथ-साथ, उसकी आज्ञा मानना भी शामिल है। एक बार फिर यशायाह 30:21 पर गौर कीजिए। परमेश्‍वर का वचन साफ-साफ कहता है: “मार्ग यही है।” जी हाँ, बाइबल का अध्ययन करने के ज़रिए हम यहोवा की हिदायतें सुनते हैं। इसके बाद, वह हमें आज्ञा देता है: “इसी पर चलो।” यहोवा चाहता है कि हम जो सुनते हैं, उसके मुताबिक काम भी करें। तो हम यहोवा से सीखनेवाली बातों पर चलने के ज़रिए दिखाते हैं कि हम न सिर्फ उसकी आवाज़ सुनते हैं बल्कि उसकी आज्ञा मानते भी हैं। (व्यवस्थाविवरण 28:1) यहोवा की आवाज़ सुनने में यीशु की आवाज़ सुनना भी शामिल है, क्योंकि खुद यहोवा ने हमें ऐसा करने को कहा है। (मत्ती 17:5) अच्छा चरवाहा, यीशु हमसे क्या करने को कहता है? वह हमें चेला बनाने का काम करना और “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” पर भरोसा करना सिखाता है। (मत्ती 24:45; 28:18-20) यीशु की बात मानने से हम हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।—प्रेरितों 3:23.

‘वे उस से भागेंगी’

19. परायों की आवाज़ सुनने पर हमें क्या करना चाहिए?

19 तो फिर हमें परायों की आवाज़ सुनने पर क्या करना चाहिए? वही करना चाहिए जो भेड़ें करती हैं। यीशु ने कहा: “वे किसी दूसरे के पीछे कभी नहीं जाएंगी, परन्तु उस से भागेंगी।” (यूहन्‍ना 10:5, NHT) हमें दो तरीकों से काम करने की ज़रूरत है। पहला, हमें अजनबी के ‘पीछे कभी नहीं जाना’ चाहिए। जी हाँ, हमें उसकी बात सुनने से साफ-साफ इनकार कर देना चाहिए। बाइबल जिस यूनानी भाषा में लिखी गयी थी, उसमें “कभी नहीं” के लिए जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, वे उस भाषा में किसी बात को ठुकराने के लिए इस्तेमाल होनेवाले सबसे कड़े शब्द हैं। (मत्ती 24:35; इब्रानियों 13:5) दूसरा, हमें पराए शख्स से ‘भाग जाना’ या उससे दूर चले जाना चाहिए। यही एक तरीका है जिससे हम उन लोगों को ठुकरा सकते हैं जिनकी शिक्षाएँ हमारे अच्छे चरवाहे की आवाज़ से मेल नहीं खातीं।

20. हम ऐसे वक्‍त पर क्या करेंगे जब हमारा सामना (क) धोखेबाज़ धर्म-त्यागियों, (ख) गलत किस्म के साथियों या (ग) मीडिया पर पेश की जानेवाली एक-तरफा रिपोर्टों से होता है?

20 इसलिए अगर कभी हमारा सामना उन लोगों से होता है, जो धर्म-त्यागी विचार फैलाते हैं, तो हम वही करना चाहेंगे जो परमेश्‍वर का वचन हमसे कहता है: “जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट पड़ने, और ठोकर खाने के कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो; और उन से दूर रहो।” (रोमियों 16:17; तीतुस 3:10) उसी तरह, जिन जवान मसीहियों को बुरी सोहबत का खतरा रहता है, वे पौलुस की यह सलाह मानना चाहेंगे जो उसने जवान तीमुथियुस को दी थी: “जवानी की अभिलाषाओं से भाग।” और अगर कभी मीडिया के ज़रिए हम पर गलत इलज़ाम लगाए जाते हैं, तो हम याद रखेंगे कि पौलुस ने आगे तीमुथियुस को क्या सलाह दी: ‘वे [जो परायों की आवाज़ सुनते हैं] अपने कान कथा-कहानियों पर लगाएंगे। पर तू सब बातों में सावधान रह।’ (सभी तिरछे टाइप हमारे।) (2 तीमुथियुस 2:22; 4:3-5) परायों की आवाज़ सुनने में चाहे कितनी ही मीठी क्यों न लगे, मगर हम ऐसी हर बात से दूर भागेंगे जो हमारे विश्‍वास को नष्ट कर सकती है।—भजन 26:5; नीतिवचन 7:5, 21; प्रकाशितवाक्य 18:2, 4.

21. परायों की आवाज़ सुनने से इनकार करनेवालों को क्या प्रतिफल मिलेगा?

21 आत्मा से अभिषिक्‍त मसीही जब परायों की आवाज़ सुनने से इनकार करते हैं, तो वे अच्छे चरवाहे के उन शब्दों को मान रहे होते हैं जो लूका 12:32 में दर्ज़ हैं। वहाँ यीशु उनसे कहता है: “हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।” उसी तरह “अन्य भेड़ें” भी यीशु के ये शब्द सुनने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हैं: “हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।” (यूहन्‍ना 10:16, NW; मत्ती 25:34) वाकई, अगर हम “परायों का शब्द” सुनने से इनकार करेंगे, तो हमें क्या ही बढ़िया प्रतिफल मिलेगा!

क्या आपको याद है?

• यीशु ने भेड़शाला के दृष्टांत में पराए शख्स का जो ब्यौरा दिया, वह शैतान पर कैसे ठीक बैठता है?

• आज पर परायों की आवाज़ कैसे सुनायी पड़ती है?

• हम परायों की आवाज़ कैसे पहचान सकते हैं?

• परायों की आवाज़ सुनने पर हमें क्या करना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 15 पर तसवीर]

मरियम ने मसीह को पहचान लिया

[पेज 16 पर तसवीर]

पराया शख्स कभी-भी सामने से भेड़ों के पास नहीं आता

[पेज 18 पर तसवीर]

हम परायों की आवाज़ सुनने पर क्या करते हैं?