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‘प्रभु में बलवन्त बनो’

‘प्रभु में बलवन्त बनो’

‘प्रभु में बलवन्त बनो’

“प्रभु में और उस की शक्‍ति के प्रभाव में बलवन्त बनो।”इफिसियों 6:10.

1. (क) लगभग 3,000 साल पहले कौन-सी अनोखी लड़ाई लड़ी गयी? (ख) दाऊद क्यों जीता?

 लगभग 3,000 साल पहले की बात है। लड़ाई के मैदान में, दो दुश्‍मन सेनाओं के बीच दो शख्स एक-दूसरे से लड़ने के लिए तैयार खड़े थे। एक तरफ था, कम उम्र का लड़का दाऊद जो पेशे से चरवाहा था। दूसरी तरफ, लंबा-चौड़ा, हट्टा-कट्टा गोलियत था जिसकी ताकत का कोई जोड़ नहीं था। उसके कवच का वज़न लगभग 57 किलो था और वह अपने साथ एक बड़ा और भारी भाला, साथ ही एक बड़ी तलवार रखता था। दाऊद के पास न तो कोई कवच था, न ही कोई अस्त्र-शस्त्र। उसकी गुलेल ही सिर्फ उसका हथियार थी। पलिश्‍ती दानव गोलियत ने जब देखा कि इस्राएलियों में से उसे लड़ने की चुनौती देनेवाला महज़ एक लड़का है, तो यह उसे अपनी बेइज़्ज़ती लगी। (1 शमूएल 17:42-44) दोनों तरफ के देखनेवालों को शायद लगा हो कि इस लड़ाई का अंजाम तो तय है। मगर ज़रूरी नहीं कि जो ताकतवर होते हैं, वही हमेशा जीतते हैं। (सभोपदेशक 9:11) इस लड़ाई में दाऊद जीता क्योंकि वह यहोवा की ताकत से लड़ रहा था। उसने कहा: “संग्राम तो यहोवा ही का है।” बाइबल में दर्ज़ है कि “केवल गोफन और एक पत्थर ही के द्वारा दाऊद उस पलिश्‍ती पर प्रबल हुआ।”—1 शमूएल 17:47, 50, NHT.

2. मसीही किस तरह की लड़ाई लड़ते हैं?

2 मसीही सचमुच की लड़ाइयाँ नहीं लड़ते, बल्कि वे सभी इंसानों के साथ शांति कायम रखने की कोशिश करते हैं। (रोमियों 12:18) लेकिन हाँ, वे एक आध्यात्मिक किस्म की लड़ाई ज़रूर लड़ रहे हैं, जिनमें उनका दुश्‍मन बहुत ही ताकतवर है। इफिसियों को लिखी अपनी पत्री के आखिरी अध्याय में, पौलुस एक ऐसी लड़ाई के बारे में बताता है जो हर मसीही को लड़नी है। उसने लिखा: “हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।”—इफिसियों 6:12.

3. इफिसियों 6:10 के मुताबिक, कामयाबी पाने के लिए हमें किस चीज़ की ज़रूरत है?

3 ये ‘दुष्टता की आत्मिक सेनाएँ’ शैतान और दुष्टात्माएँ हैं, जो यहोवा परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते को खत्म करना चाहते हैं। ये हमसे कहीं ज़्यादा ताकतवर हैं, इसलिए हमारे हालात भी दाऊद जैसे हैं। ताकत के लिए परमेश्‍वर पर निर्भर रहने से ही हम उनके खिलाफ लड़ाई में कामयाब हो सकते हैं। यही वजह है कि प्रेरित पौलुस हमसे गुज़ारिश करता है कि “प्रभु में और उस की शक्‍ति के प्रभाव में बलवन्त बनो।” (इफिसियों 6:10) यह सलाह देने के बाद, पौलुस आगे बताता है कि किन आध्यात्मिक इंतज़ामों और मसीही गुणों की मदद से हम जीत हासिल कर पाएँगे।—इफिसियों 6:11-17.

4. इस लेख में हम किन दो मुद्दों पर चर्चा करेंगे?

4 आइए अब हम जाँच करें कि बाइबल हमारे दुश्‍मन के बारे में क्या बताती है कि वह कितना ताकतवर है और किस तरह के दाँवपेंच इस्तेमाल करता है। इसके बाद हम देखेंगे कि अपनी रक्षा करने के लिए हम कौन-सा तरीका अपना सकते हैं। अगर हम यहोवा की हिदायतों को मानें, तो हम यकीन रख सकते हैं कि हमारे दुश्‍मन हम पर हावी नहीं हो पाएँगे।

दुष्ट आत्मिक सेनाओं के खिलाफ मल्लयुद्ध

5. इफिसियों 6:12 में शब्द “मल्लयुद्ध” के इस्तेमाल से हमें शैतान की चाल समझने में कैसे मदद मिलती है?

5 पौलुस कहता है कि “हमारा यह मल्लयुद्ध, . . . दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।” सबसे बड़ी दुष्टात्मा शैतान इब्‌लीस है जो ‘दुष्टात्माओं का सरदार’ है। (मत्ती 12:24-26) बाइबल हमारी इस लड़ाई को “मल्लयुद्ध” या कुश्‍ती कहती है, जिसमें दो पहलवान एक-दूसरे से ज़ोर-आज़माइश के लिए भिड़ते हैं। प्राचीन यूनान के कुश्‍ती के खेलों में, हर खिलाड़ी की कोशिश यही होती थी कि अपने दुश्‍मन पर इस तरह वार करे कि उसका संतुलन बिगड़ जाए और वह चारों खाने चित्त हो जाए। उसी तरह, इब्‌लीस चाहता है कि हम आध्यात्मिक मायने में चारों खाने चित्त हो जाएँ। इसके लिए वह क्या करता है?

6. बाइबल से दिखाइए कि इब्‌लीस हमारे विश्‍वास को कमज़ोर करने के लिए कैसे तरह-तरह की चालें चलता है।

6 इब्‌लीस एक सर्प, गरजते सिंह या एक ज्योतिर्मय स्वर्गदूत की तरह काम कर सकता है। (2 कुरिन्थियों 11:3, 14; 1 पतरस 5:8) वह हमें सताने या हमारा हौसला तोड़ने के लिए लोगों को भी इस्तेमाल कर सकता है। (प्रकाशितवाक्य 2:10) पूरी दुनिया शैतान की मुट्ठी में है, इसलिए हमें फँसाने के लिए वह इस दुनिया की लुभावनी चीज़ों और अभिलाषाओं का इस्तेमाल कर सकता है। (2 तीमुथियुस 2:26; 1 यूहन्‍ना 2:16; 5:19) जैसे उसने हव्वा को धोखे से फँसाया, वैसे ही वह दुनिया की या धर्मत्यागियों की सोच से हमें गुमराह कर सकता है।—1 तीमुथियुस 2:14.

7. दुष्टात्माओं की क्या सीमाएँ हैं, और कौन-सी बातें हमारे पक्ष में हैं?

7 हालाँकि, शैतान और दुष्टात्माओं के हथियार खतरनाक और उनकी ताकत ज़बरदस्त लगे, फिर भी उनकी सीमाएँ हैं। ये दुष्टात्माएँ हमें ऐसे बुरे काम करने के लिए मजबूर नहीं कर सकतीं जिनसे हमारा स्वर्गीय पिता नाखुश होता है। हम आज़ाद प्राणी हैं और हम क्या सोचते हैं और क्या करते हैं इस पर हमारा इख्तियार है। और फिर, हम अपनी लड़ाई अकेले नहीं लड़ते। जो बात एलीशा के समय में सच थी, वही आज भी सच है: “जो हमारी ओर हैं, वह उन से अधिक हैं जो उनकी ओर हैं।” (2 राजा 6:16) बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि अगर हम खुद को परमेश्‍वर के अधीन करें और शैतान का विरोध करें, तो वह हमसे दूर भाग निकलेगा।—याकूब 4:7.

शैतान की चालों से वाकिफ

8, 9. अय्यूब की खराई तोड़ने के लिए शैतान उस पर क्या-क्या परीक्षाएँ लाया और आज हमारे आगे कौन-से आध्यात्मिक खतरे हैं?

8 हम शैतान की युक्‍तियों से अनजान नहीं हैं क्योंकि बाइबल हमें बताती है कि वह ज़्यादातर कैसी चालें चलता है। (2 कुरिन्थियों 2:11) धर्मी इंसान अय्यूब की खराई तोड़ने के लिए, शैतान ने उसकी सारी धन-दौलत छीन ली, उसके प्यारे बच्चों को मार डाला, पत्नी ने उसे बुरा-भला कहा, वह शरीर से लाचार हो गया और झूठे दोस्तों ने उस पर बेबुनियाद इलज़ाम लगाए। अय्यूब पूरी तरह टूट गया और उसे लगा कि परमेश्‍वर ने उसे छोड़ दिया है। (अय्यूब 10:1, 2) हालाँकि शैतान आज खुद ऐसी समस्याएँ शायद पैदा न करे, मगर बहुत-से मसीहियों पर ये तकलीफें आती हैं और शैतान इन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

9 अंत के इस समय में, हमारी आध्यात्मिकता के लिए खतरे बहुत बढ़ गए हैं। हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ लोग आध्यात्मिक लक्ष्यों के बजाय धन-दौलत और ऐशो-आराम के पीछे भाग रहे हैं। मीडिया हमेशा यही दिखाता है कि नाजायज़ संबंधों से खुशी मिलती है, मगर इसकी वजह से कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं यह नहीं बताया जाता। और ज़्यादातर लोग “परमेश्‍वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले” हो गए हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5) अगर हम “विश्‍वास के लिए यत्नपूर्वक संघर्ष” न करें, तो ऐसी सोच से हम आध्यात्मिक मायने में लड़खड़ाकर गिर सकते हैं।—यहूदा 3, NHT.

10-12. (क) यीशु ने बीज बोनेवाले के दृष्टांत में कौन-सी एक चेतावनी दी? (ख) उदाहरण देकर समझाइए कि हमारी आध्यात्मिकता कैसे दम तोड़ सकती है।

10 शैतान की सबसे कामयाब चालों में से एक यह है, कि हमें दुनियावी कामों में पूरी तरह उलझाए रखे और हम इसकी धन-दौलत के पीछे भागते रहें। बीज बोनेवाले का दृष्टांत देते वक्‍त, यीशु ने चिताया कि कुछ मामलों में “संसार की चिन्ता और धन का धोखा [राज्य के] वचन को दबाता है।” (मत्ती 13:18, 22) जिस यूनानी शब्द को “दबाता” अनुवाद किया गया है, उसका मतलब है “पूरी तरह से गला घोंटना।”

11 गर्म प्रदेशों के जंगलों में, एक किस्म का अंजीर का पेड़ पाया जाता है। पौधे के रूप में यह एक परजीवी होता है, यानी किसी दूसरे पेड़ के सहारे बढ़ता है। अंजीर का यह पौधा जिस पेड़ का सहारा लेता है, बढ़ते-बढ़ते यह उसके तने को घेर लेता है। धीरे-धीरे, यह पूरे पेड़ को ढक लेता है और दिनोंदिन इसकी जड़ें मज़बूत होती जाती हैं। पेड़ के तले में, अंजीर के पौधे की जड़ें मिट्टी में फैल जाती हैं और ज़्यादातर पोषक तत्त्वों को सोख लेती हैं, जबकि इसकी बड़ी पत्तियों की वजह से सहारा देनेवाले पेड़ को पूरी रोशनी नहीं मिल पाती। आखिरकार, जिस पेड़ का सहारा लेकर अंजीर का पौधा बढ़ता है, वही एक दिन घुटकर मर जाता है।

12 यही हमारे साथ हो सकता है। दुनिया की चिंताएँ और धन-दौलत पाने और आराम से जीने की चाहत, उस अंजीर के पौधे की तरह धीरे-धीरे हमारा ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त और ताकत ले सकती हैं। जब हमारा ध्यान परमेश्‍वर की सेवा से हटकर दुनियावी चीज़ों पर चला जाता है, तो हो सकता है कि हम काफी हद तक निजी बाइबल अध्ययन करने में लापरवाह हो जाएँ और मसीही सभाओं में न जाने की आदत डाल लें। जब ऐसा होता है तो हमें आध्यात्मिक भोजन मिलना बंद हो जाता है। आध्यात्मिक लक्ष्य रखने के बजाय अब हम धन-दौलत के पीछे भागने लगते हैं और आखिरकार बड़ी आसानी से शैतान का शिकार हो जाते हैं।

हमें टिके रहने की ज़रूरत है

13, 14. जब शैतान हमारा विरोध करता है तो हमें किस तरह उसका सामना करने की ज़रूरत है?

13 पौलुस ने अपने मसीही भाई-बहनों को उकसाया कि ‘शैतान की योजनाओं के सामने टिके रहें।’ (इफिसियों 6:11, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) बेशक, हम शैतान और उसके पिशाचों को मिटा नहीं सकते। यह काम परमेश्‍वर ने यीशु मसीह को सौंपा है। (प्रकाशितवाक्य 20:1, 2) लेकिन, जब तक शैतान को निकाला नहीं जाता, तब तक हमें ‘टिके रहना’ होगा ताकि हमले करके वह हम पर हावी न होने पाए।

14 प्रेरित पतरस ने भी शैतान के सामने टिके रहने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उसने लिखा: “सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए। विश्‍वास में दृढ़ होकर, और यह जानकर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।” (1 पतरस 5:8, 9) दरअसल, अपने आध्यात्मिक भाई-बहनों के सहारे के बिना हम इब्‌लीस के आगे नहीं टिक सकते जो गरजनेवाले सिंह की तरह हम पर झपटता है।

15, 16. बाइबल से एक मिसाल देकर समझाइए कि मसीही भाई-बहनों का सहारा हमें टिके रहने में कैसे मदद दे सकता है।

15 अफ्रीका के घास के मैदानों में, जब शेर दहाड़ता है, तो आस-पास चर रहे बाहरसिंगे वहाँ से सरपट भाग निकलते हैं और तब तक भागते रहते हैं जब तक कि खतरा टल न जाए। मगर, हाथी ऐसे वक्‍त पर जिस तरह एक-दूसरे का साथ देते हैं वह अपने आप में वाकई एक बढ़िया मिसाल है। किताब हाथी—अफ्रीका और एशिया के विशालकाय सज्जन (अँग्रेज़ी) समझाती है: “आम तौर पर, एक ही झुंड के हाथी अपने बचाव के लिए, एक-दूसरे के साथ सटकर खड़े हो जाते हैं और एक घेरा बना लेते हैं। बड़े हाथियों का मुँह घेरे के बाहरी तरफ होता है और वे दुश्‍मन का सामना करते हैं, जबकि उनके बच्चे घेरे के अंदर सुरक्षित होते हैं।” ताकत और एक-दूसरे को सहारा देने का ऐसा नज़ारा देखकर, शेर हाथी के बच्चों पर भी हमला नहीं करते।

16 जब शैतान और उसके पिशाचों से हमें खतरा हो, तब हमें भी इसी तरह कंधे-से-कंधा मिलाकर अपने उन भाइयों के पास रहना चाहिए जो विश्‍वास में मज़बूत हैं। पौलुस ने कबूल किया कि जब वह रोम में कैद था, तब कुछ मसीही भाई उसके लिए “मज़बूत करनेवाले सहायक बने।” (कुलुस्सियों 4:10, 11, NW) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “मज़बूत करनेवाले सहायक” किया गया है वह शब्द मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ एक बार आता है। वाइन की एक्सपॉज़िट्री डिक्शनरी ऑफ न्यू टेस्टामेंट वर्ड्‌स्‌ के मुताबिक, “इस शब्द को जब क्रिया के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो उसका मतलब होता है, दर्द से राहत पहुँचानेवाली दवाइयाँ।” राहत देनेवाले मरहम की तरह, यहोवा की सेवा में प्रौढ़ मसीही सहारा देकर तन या मन पर लगे घावों का दर्द कम कर सकते हैं।

17. परमेश्‍वर का वफादार बने रहने में क्या बातें हमारी मदद कर सकती हैं?

17 आज अपने मसीही भाई-बहनों से हौसला पाकर, परमेश्‍वर की सेवा वफादारी से करने का हमारा इरादा और भी बुलंद हो सकता है। खासकर मसीही प्राचीन हर वक्‍त हमें आध्यात्मिक मदद देने के लिए तैयार हैं। (याकूब 5:13-15) इसके अलावा, लगातार बाइबल अध्ययन करने, मसीही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में हाज़िर होने से हमें वफादारी बनाए रखने में मदद मिलेगी। परमेश्‍वर के साथ हमारे नज़दीकी रिश्‍ते से भी हमें वफादार बने रहने में मदद मिलती है। जी हाँ इसी नज़दीकी रिश्‍ते की वजह से हम, चाहे खाएँ-पीएँ या कोई और काम करें, हम सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करना चाहेंगे। (1 कुरिन्थियों 10:31) बेशक, ऐसी ज़िंदगी जीते रहने के लिए जिससे यहोवा खुश हो यह बेहद ज़रूरी है कि हम प्रार्थना करते हुए उस पर पूरा भरोसा रखें।—भजन 37:5.

18. दुःख देनेवाले हालात चाहे हमें कमज़ोर कर दें, फिर भी हमें क्यों हिम्मत नहीं हारनी चाहिए?

18 कभी-कभी शैतान ऐसे वक्‍त पर हमला करता है जब हम आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर महसूस करते हैं। शेर, कमज़ोर हो चुके जानवरों पर ही झपटता है। परिवार में समस्याएँ, पैसे की तंगी या बीमारी की वजह से हमारी आध्यात्मिक ताकत कम हो सकती है। लेकिन ऐसे में भी हम वे सब काम करना न छोड़ें जिनसे परमेश्‍वर खुश होता है, क्योंकि पौलुस ने कहा: “जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्त होता हूं।” (2 कुरिन्थियों 12:10; गलतियों 6:9; 2 थिस्सलुनीकियों 3:13) उसका क्या मतलब था? उसका मतलब था कि इंसानी कमज़ोरियों की वजह से हम जो नहीं कर पाते वह हम परमेश्‍वर के बल पर पूरा कर पाते हैं, बशर्ते हम बल पाने के लिए यहोवा से बिनती करें। गोलियत से लड़ते वक्‍त दाऊद का जीतना दिखाता है कि परमेश्‍वर अपने लोगों को बल दे सकता है और देता भी है। आज के ज़माने के यहोवा के साक्षी भी इस बात के गवाह हैं कि बद-से-बदतर हालात में उन्होंने यहोवा के बलवंत हाथ से शक्‍ति पायी है।—दानिय्येल 10:19.

19. यहोवा कैसे अपने सेवकों की हिम्मत बँधा सकता है, इसकी एक मिसाल बताइए।

19 एक शादी-शुदा जोड़े ने परमेश्‍वर से मिले सहारे के बारे में लिखा: “पति-पत्नी के नाते हमने बरसों से यहोवा की सेवा की है और बहुत आशीषें पायी हैं और कई अच्छे लोगों से हमारी दोस्ती हुई है। यहोवा ने हमें तालीम दी है और हमारी हिम्मत बँधायी है ताकि हम मुसीबतों के दौर में धीरज धरते रहें। अय्यूब की तरह, अकसर हम समझ नहीं पाते थे कि हमारे साथ जो हो रहा है वह क्यों हो रहा है, लेकिन एक बात हम ज़रूर जानते थे कि यहोवा हमारी मदद के लिए हमेशा मौजूद था।”

20. बाइबल में क्या सबूत है जो दिखाता है कि यहोवा हमेशा अपने लोगों को सहारा देता है?

20 यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं है कि वह अपने वफादार लोगों को सहारा न दे सके और उनकी हिम्मत न बँधा सके। (यशायाह 59:1) भजनहार दाऊद ने गीत गाया: “यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है।” (भजन 145:14) जी हाँ, हमारा स्वर्गीय पिता “प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है” और हमें जिस चीज़ की सचमुच ज़रूरत है, वह देता है।—भजन 68:19.

“परमेश्‍वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र” ज़रूरी हैं

21. पौलुस ने आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्र धारण करने की ज़रूरत पर कैसे ज़ोर दिया?

21 हमने शैतान की कुछ चालों पर चर्चा की है और यह भी समझा है कि उसके हमलों के बावजूद हमें टिके रहने की ज़रूरत है। मगर अपने विश्‍वास की रक्षा करने में कामयाब होने के लिए अब हमें एक और बेहद ज़रूरी इंतज़ाम पर ध्यान देना चाहिए। प्रेरित पौलुस ने इफिसियों को लिखी अपनी पत्री में दो बार ज़ोर देकर बताया कि इस ज़रूरी मदद के बिना हम शैतान की चालों के आगे टिक नहीं पाएँगे और दुष्ट आत्मिक सेनाओं के साथ मल्लयुद्ध में जीत नहीं पाएँगे। पौलुस ने लिखा: “परमेश्‍वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण करो जिस से तुम शैतान की युक्‍तियों का दृढ़तापूर्वक सामना कर सको . . . परमेश्‍वर के समस्त अस्त्र-शस्त्र धारण करो, जिस से तुम बुरे दिन में सामना कर सको और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको।”—इफिसियों 6:11, 13, NHT.

22, 23. (क) हमारे आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्रों में क्या-क्या शामिल है? (ख) हम अगले लेख में क्या चर्चा करेंगे?

22 जी हाँ, हमें “परमेश्‍वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र” धारण करने की ज़रूरत है। (तिरछे टाइप हमारे।) पौलुस जब इफिसियों की पत्री लिख रहा था, तो एक रोमी सैनिक उस पर पहरा देता था। यह सैनिक शायद कभी-कभी अपने सारे अस्त्र-शस्त्र पहनकर आता हो। लेकिन, प्रेरित पौलुस को आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्र के बारे में लिखने की प्रेरणा उस सैनिक को देखकर नहीं बल्कि परमेश्‍वर से मिली थी। इन हथियारों की यहोवा के हर सेवक को सख्त ज़रूरत है।

23 परमेश्‍वर के इन अस्त्र-शस्त्रों में ऐसे गुण शामिल हैं जो एक मसीही में होने चाहिए साथ ही ऐसे आध्यात्मिक इंतज़ाम भी शामिल हैं जो यहोवा हमारे लिए करता है। अगले लेख में इन आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्रों में से हम हरेक की जाँच करेंगे। इससे हम यह तय कर पाएँगे कि आध्यात्मिक युद्ध लड़ने के लिए हम कितने तैयार हैं। हम यह भी देखेंगे कि यीशु मसीह की बढ़िया मिसाल कैसे हमें शैतान इब्‌लीस का विरोध सही तरह से करने में मदद देती है।

आप कैसे जवाब देंगे?

• हर मसीही को कौन-सी लड़ाई लड़नी है?

• शैतान की कुछ चालों के बारे में बताइए।

• मसीही भाई-बहनों का सहारा कैसे हमारी हिम्मत बँधा सकता है?

• हमें किसकी शक्‍ति पर निर्भर रहना चाहिए, और क्यों?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 11 पर तसवीरें]

मसीहियों का ‘मल्लयुद्ध दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है’

[पेज 12 पर तसवीर]

इस दुनिया की चिंताएँ, राज्य के वचन को दबा सकती हैं

[पेज 13 पर तसवीर]

संगी मसीही “मज़बूत करनेवाले सहायक” बन सकते हैं

[पेज 14 पर तसवीर]

क्या आप हिम्मत के लिए परमेश्‍वर से प्रार्थना करते हैं?