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देने से मिलनेवाली खुशी का क्या आपने अनुभव किया है?

देने से मिलनेवाली खुशी का क्या आपने अनुभव किया है?

देने से मिलनेवाली खुशी का क्या आपने अनुभव किया है?

उसने पूरे जोश के साथ मसीही सेवा की और करीब 50 साल इस सेवा में गुज़ार दिए। उम्र ढलने की वजह से हालाँकि वह बहुत कमज़ोर हो गयी थी, मगर उसने ठान लिया था कि वह नया किंगडम हॉल देखने ज़रूर जाएगी। एक मसीही भाई का हाथ पकड़कर वह हॉल में दाखिल हुई और धीरे-धीरे ही सही, मगर सीधे उस जगह गयी जहाँ वह जाना चाहती थी, दान-पेटी के पास। पेटी में उसने काफी पैसे डाले जो उसने खास इसी मकसद से बचा रखे थे। वह इस हॉल के निर्माण काम में हाथ तो नहीं बँटा सकी, मगर वह दान देकर मदद करना चाहती थी।

यह मसीही स्त्री शायद आपको एक और वफादार स्त्री की याद दिलाए। वह थी, एक “कंगाल विधवा” जिसे यीशु ने मंदिर के भंडार में दो दमड़ियाँ डालते देखा था। हमें उसके हालात के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया, मगर उस ज़माने में एक विधवा स्त्री को बड़ी तंगी का सामना करना पड़ सकता था। यीशु उसकी दुर्दशा को अच्छी तरह समझता था, इसलिए बेशक उसका दिल भर आया। अपने चेलों को उस विधवा की मिसाल देते हुए उसने कहा, उसका तोहफा भले ही छोटा है, मगर यही ‘उसका सब कुछ है, अर्थात्‌ उसकी सारी जीविका।’—मरकुस 12:41-44.

इस गरीब और ज़रूरतमंद विधवा ने क्यों यह त्याग किया? यह बात साफ है कि उसके दिल में यहोवा परमेश्‍वर के लिए अटूट श्रद्धा थी, जिसकी उपासना यरूशलेम के मंदिर में की जाती थी। हालाँकि वह ज़्यादा कुछ नहीं कर सकी, मगर वह सच्चे दिल से पवित्र सेवा को बढ़ाना चाहती थी। इसलिए अपना सब कुछ देकर वह ज़रूर खुश हुई होगी, फिर चाहे उसका दान छोटा ही क्यों न था।

यहोवा के काम को बढ़ावा देने के लिए दान

रुपए-पैसे और दूसरी चीज़ों का दान करना, शुरू से ही सच्ची उपासना का एक ज़रूरी भाग रहा है और इस तरह देने से हमेशा ही बड़ी खुशी मिली है। (1 इतिहास 29:9) प्राचीन इस्राएल में मिलनेवाले दान का इस्तेमाल सिर्फ मंदिर की साज-सजावट के लिए ही नहीं, बल्कि यहोवा की उपासना से जुड़े रोज़ाना के सभी कामों में होता था। व्यवस्था में यह बात साफ बतायी गयी थी कि इस्राएलियों को अपनी पैदावार का दसवाँ अंश, मंदिर में काम करनेवाले लेवियों को देना था ताकि उनका गुज़ारा हो सके। मगर लेवियों को भी जो मिलता, उन्हें उसका दसवाँ अंश यहोवा को देना था।—गिनती 18:21-29.

हालाँकि पहली सदी के मसीहियों पर व्यवस्था वाचा लागू नहीं होती थी, मगर यह सिद्धांत तब भी नहीं बदला कि सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए परमेश्‍वर के सेवकों को रुपए-पैसों और दूसरी चीज़ों का दान देना है। (गलतियों 5:1) इसके अलावा, जब मसीहियों ने ज़रूरतमंद भाइयों के लिए दान दिया, तो इससे भी उन्हें बड़ी खुशी मिली। (प्रेरितों 2:45, 46) प्रेरित पौलुस ने मसीहियों को याद दिलाया कि जैसे परमेश्‍वर ने उदारता से उन्हें अच्छी वस्तुएँ दी हैं, उन्हें भी दिल खोलकर दूसरों की मदद करनी चाहिए। उसने लिखा: “इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्‍वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है। और भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें; और उदार और सहायता देने में तत्पर हों। और आगे के लिये एक अच्छी नेव डाल रखें, कि सत्य जीवन को वश में कर लें।” (1 तीमुथियुस 6:17-19; 2 कुरिन्थियों 9:11) जी हाँ, पौलुस ने अपने तजुर्बे से यीशु की बात को पुख्ता करते हुए कहा: “लेने से देना धन्य है।”—प्रेरितों 20:35.

मसीही आज जिन तरीकों से देते हैं

आज भी यहोवा के सेवक रुपए-पैसे और दूसरी चीज़ों के ज़रिए एक-दूसरे की मदद करते और परमेश्‍वर के काम को बढ़ावा देते हैं। यहाँ तक कि जिनके पास ज़्यादा पैसा नहीं है, वे भी अपनी हैसियत के हिसाब से दान करते हैं। दान से मिले पैसों के लिए “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” खुद को परमेश्‍वर का जवाबदेह समझता है, इसलिए वह इन सारे पैसों का सबसे अच्छे तरीके से इस्तेमाल करने की पूरी कोशिश करता है। (मत्ती 24:45) इनका इस्तेमाल कई ज़रूरी मकसदों को पूरा करने में किया जाता है, जैसे शाखा दफ्तर चलाने, बाइबल और बाइबल पर आधारित साहित्य का अनुवाद करके उन्हें छापने, बड़े-बड़े मसीही सम्मेलनों का इंतज़ाम करने, सफरी ओवरसियरों और मिशनरियों को ट्रेनिंग देकर उन्हें अलग-अलग जगहों में भेजने और राहत-कार्य के लिए सामग्री पहुँचाने के लिए। आइए ऐसे ही एक मकसद के बारे में जानें कि कैसे उपासना की जगहों का इंतज़ाम करने में मदद दी जाती है।

यहोवा के साक्षी आध्यात्मिक बातें सीखने और बढ़िया संगति का आनंद लेने के लिए हफ्ते में कई बार अपने किंगडम हॉल में इकट्ठा होते हैं। लेकिन कई देशों में साक्षियों की आर्थिक हालत बहुत खराब है। किंगडम हॉल का निर्माण काम शुरू करने के लिए उनके हाथ में जितनी रकम होनी चाहिए, वह नहीं होती और इसलिए उन्हें दान की ज़रूरत पड़ती है। इस वजह से 1999 में यहोवा के साक्षियों ने एक कार्यक्रम शुरू किया जिसमें अमीर देशों से मिले पैसे का इस्तेमाल गरीब देशों में किंगडम हॉल बनाने के लिए किया जाने लगा। इसके अलावा, दूसरे देशों के हज़ारों स्वयंसेवकों ने अकसर गरीब देशों के दूर-दराज़ इलाकों में पहले से अपना समय और हुनर लगाया है, जो एक तरह से उनका दान है। जिन इलाकों में निर्माण काम होता है, वहाँ के साक्षी उन स्वयंसेवकों के साथ काम करके उनसे निर्माण काम के और इमारत की देखरेख के कई कौशल सीख लेते हैं। और किंगडम हॉल फंड की बदौलत वे इमारत बनाने के लिए ज़रूरी माल और औज़ार खरीद पाते हैं। अब जो साक्षी इन नए सभा घरों का इस्तेमाल करते हैं, वे पूरे दिल से अपने उन भाइयों का एहसान मानते हैं, जिन्होंने इसमें अपना समय और पैसा लगाया था। वे अपने नए किंगडम हॉल की देखभाल करने और निर्माण में लगा पैसा चुकता करने के लिए हर महीने दान देते हैं। इस तरह वे और भी नए किंगडम हॉल बनाने में मदद देते हैं।

जब साक्षी किसी जगह पर किंगडम बनाते हैं, तो वे वहीं के तरीके और वहीं का माल इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि ये हॉल बहुत बड़े और आलीशान नहीं होते, मगर देखने में सुंदर और व्यावहारिक होते हैं और इसमें सारी सुविधा होती हैं। जब 1999 में यह निर्माण कार्यक्रम शुरू हुआ, तब इसमें कुछ ऐसे 40 देशों को शामिल किया गया जिनके पास बहुत कम साधन थे। तब से इस निर्माण कार्यक्रम में 116 और देश शामिल किए गए हैं, यानी दुनिया भर में यहोवा के साक्षियों की आधी से ज़्यादा कलीसियाओं के लिए किंगडम हॉल बनाने का काम करना है। इस इंतज़ाम के तहत पिछले पाँच सालों में 9,000 से भी ज़्यादा किंगडम हॉल बनाए जा चुके हैं यानी हर दिन औसतन 5 से भी ज़्यादा नए हॉल! लेकिन अभी भी, इन 116 देशों में 14,500 नए किंगडम हॉल की ज़रूरत है। हम उम्मीद करते हैं कि यहोवा की आशीष और संसार भर में साक्षियों की दरियादिली और उनके खुशी-खुशी दान देने से इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए हमारे पास काफी पैसा जमा हो जाएगा।—भजन 127:1.

किंगडम हॉल से बढ़ोतरी होती है

बड़े पैमाने पर जिस तरह किंगडम हॉल बनाए जा रहे हैं, इसका लोगों पर और प्रचार काम पर क्या असर हुआ है? कई इलाकों में, नए किंगडम हॉल बनने पर हाज़िरी में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इसकी एक बढ़िया मिसाल बुरुण्डी की इस रिपोर्ट से मिलती है: “किंगडम हॉल के बनते ही वे खचाखच भर जाते हैं। मसलन, एक कलीसिया में औसत हाज़िरी 100 होती थी। वहाँ एक नया किंगडम हॉल बनाया गया, जिसमें 150 लोग आराम से बैठ सकते थे। लेकिन जब तक यह बनकर तैयार हुआ, वहाँ की हाज़िरी बढ़कर 250 हो गयी।”

इस तरह बढ़ोतरी क्यों होती है? एक वजह यह है कि राज्य प्रचारकों के जिन समूहों के पास अपने हॉल नहीं हैं, उन्हें या तो किसी पेड़ के नीचे या खेतों में सभाएँ रखनी पड़ती हैं, और ऐसे लोगों को कभी-कभी शक की नज़र से देखा जाता है। एक देश में जाति के नाम पर होनेवाले झगड़ों के लिए लोग इस तरह के छोटे-छोटे समूहों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं, इसलिए वहाँ का कानून माँग करता है कि कोई भी धार्मिक सभा खुलेआम नहीं बल्कि उपासना घरों में की जानी चाहिए।

इसके अलावा, खुद का हॉल होने से यहोवा के साक्षियों को अपने समाज में यह दिखाने का मौका मिलता है कि वे किसी पादरी के चेले नहीं हैं। ज़िम्बाबवे में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर ने लिखा: “पहले इस इलाके के भाई जब घरों में सभाएँ रखते थे, तो वहाँ के लोग कलीसिया की पहचान उस घर के मालिक से करते थे। वे भाइयों के बारे में कहते थे कि वे फलाँ आदमी के चर्च से हैं। लेकिन अब यह समस्या नहीं रही, क्योंकि वे हर हॉल के सामने लगा बोर्ड पढ़कर साफ जान लेते हैं कि यह ‘यहोवा के साक्षियों का किंगडम हॉल’ है।”

खुशी-खुशी देनेवाले

प्रेरित पौलुस ने लिखा: “परमेश्‍वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।” (2 कुरिन्थियों 9:7) बड़े-बड़े दान वाकई बहुत काम आते हैं। लेकिन हमें ज़्यादातर फंड जो मिलते हैं, वे यहोवा के साक्षियों के किंगडम हॉल की दान-पेटियों से ही मिलते हैं। हर तरह का दान अहमियत रखता है, फिर चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, और उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाता। याद कीजिए कि यीशु ऐसी जगह पर था, जहाँ से वह उस गरीब विधवा को दो दमड़ियाँ डालते हुए देख सका। यहाँ तक कि स्वर्गदूतों और यहोवा ने भी उसे देखा। हम उस विधवा का नाम तक नहीं जानते, लेकिन यहोवा ने फिर भी उसकी त्याग की भावना को बाइबल में दर्ज़ करवाया ताकि वह अमिट रहे।

किंगडम हॉल के निर्माण के अलावा, हमारे दान के ज़रिए राज्य से जुड़े दूसरे ज़रूरी काम भी पूरे किए जाते हैं। इस तरह मदद देने से हमें खुशी मिलती है और हम “परमेश्‍वर का बहुत धन्यवाद” करते हैं। (2 कुरिन्थियों 9:12) बेनिन शहर के हमारे मसीही भाई कहते हैं: “दुनिया भर के भाइयों की तरफ से हमें पैसे की जो मदद मिलती है, उसके लिए बहुत-से भाई-बहन हर दिन यहोवा को प्रार्थना में तहेदिल से धन्यवाद देते हैं।” और हम भी जो राज्य काम को बढ़ावा देने के लिए रुपए-पैसे की मदद करते हैं, उस खुशी का अनुभव करते हैं जो देने से मिलती है!

[पेज 22, 23 पर बक्स/तसवीर]

कुछ लोग इन तरीकों से दान करते हैं

दुनिया भर में होनेवाले काम के लिए दान

बहुत-से लोग एक निश्‍चित रकम दान-पेटी में डालते हैं, जिस पर लिखा होता है, “दुनिया भर में होनेवाले काम के लिए अंशदान—मत्ती 24:14.”

हर महीने कलीसियाएँ यह रकम यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर को भेजती हैं, जो उनके देश में साक्षियों के प्रचार काम पर निगरानी रखता है। आप चाहें तो पैसों का दान सीधे उन दफ्तरों को भी भेज सकते हैं जिनके पते इस पत्रिका के पेज 2 पर दिए गए हैं। अगर आप चेक के ज़रिए दान करना चाहते हैं, तो चेक “Watch Tower” को देय किया जाना चाहिए। गहने या दूसरी कीमती चीज़ें भी दान की जा सकती हैं। मगर इसके साथ एक छोटा-सा पत्र भी भेजना चाहिए जिसमें यह लिखा हो कि हम इसे एक तोहफे के रूप में भेज रहे हैं।

सशर्त दान का इंतज़ाम

कुछ देशों में एक खास इंतज़ाम के तहत पैसों का दान किया जा सकता है। इसमें दान करनेवाला व्यक्‍ति अगर दान वापस चाहे, तो उसे लौटाया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने इलाके के शाखा दफ्तर से संपर्क कीजिए।

दान देने की योजनाएँ

पैसों की भेंट करने और सशर्त दान देने के अलावा, आप अपने देश के नियमों के मुताबिक दूसरे तरीकों से भी दुनिया भर में हो रहे राज्य के काम को बढ़ाने के लिए दान कर सकते हैं, जो इस तरह हैं:

बीमा: वॉच टावर सोसाइटी को जीवन बीमा पॉलिसी या रिटाएरमेंट/पॆंशन योजना का बॆनेफीशयरी बनाया जा सकता है।

बैंक खाते: बैंक खाते, डिपॉज़िट के सर्टिफिकेट या निजी रिटायरमेंट खाते, अपने इलाके के बैंक के नियमों के मुताबिक वॉच टावर सोसाइटी के लिए ट्रस्ट में रखे जा सकते हैं या फिर मृत्यु पर देय किए जा सकते हैं।

स्टॉक्स और बॉन्ड्‌स: स्टॉक्स और बॉन्ड्‌स, वॉच टावर सोसाइटी को भेंट किए जा सकते हैं।

ज़मीन-जायदाद: बेचने लायक ज़मीन-जायदाद है तो उसे सीधे भेंट किया जा सकता है या अगर वह आपके रहने की जगह है, तो उसे संस्था के नाम लिखा जा सकता है। और जीते-जी आप उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर अपनी ज़मीन-जायदाद संस्था के नाम लिखने से पहले आपको अपने देश के शाखा दफ्तर से संपर्क करना चाहिए।

गिफ्ट एन्युटी: गिफ्ट एन्युटी एक ऐसा इंतज़ाम है जिसमें एक व्यक्‍ति अपना पैसा, या शेयर्स वगैरह में लगायी अपनी पूँजी, वॉच टावर सोसाइटी के नाम करता है। बदले में, दान करनेवाले को या जिसको उसने चुना है, ज़िंदगी भर के लिए हर साल एन्युटी की निश्‍चित रकम मिलती है। जिस साल गिफ्ट एन्युटी शुरू की जाती है, उस साल दान करनेवाले को कर में रियायत मिलती है।

वसीयतनामा और ट्रस्ट: वसीयत करने के द्वारा आप अपनी संपत्ति या पैसा कानूनी तौर पर वॉच टावर सोसाइटी के नाम कर सकते हैं या वॉच टावर सोसाइटी को ट्रस्ट एग्रीमैंट का बॆनेफीशयरी बना सकते हैं। हालाँकि कुछ देशों में, जो ट्रस्ट किसी धार्मिक संगठन को फायदा पहुँचाता है, उसे कर के मामले में कुछ खास रिआयतें मिल सकती हैं, लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है।

जैसा कि “दान देने की योजनाएँ” शब्द ज़ाहिर करते हैं, इसमें दान देनेवाले व्यक्‍ति को कुछ योजनाएँ बनाने की ज़रूरत होती है। इसलिए जो इसमें बताए किसी-न-किसी तरीके से, संसार भर में किए जानेवाले यहोवा के साक्षियों के काम को फायदा पहुँचाना चाहता है, उसकी मदद करने के लिए अँग्रेज़ी और स्पेनिश भाषा में एक ब्रोशर तैयार किया गया है। इसका शीर्षक है, दुनिया भर में राज्य सेवा को फायदा पहुँचाने के लिए दान देने की योजनाएँ। ब्रोशर में उन अलग-अलग तरीकों के बारे में बताया है जिनसे एक व्यक्‍ति अभी या मौत होने पर वसीयत के ज़रिए भेंट कर सकता है। इसे पढ़ने और अपने कानूनी या कर सलाहकार से विचार-विमर्श करने के बाद, कई लोग दुनिया भर में हो रहे यहोवा के साक्षियों के काम में मदद दे पाए हैं और ऐसा करने से उन्हें कर के मामले में ज़्यादा-से-ज़्यादा फायदे भी मिले हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप नीचे दिए पते पर यहोवा के साक्षियों को खत लिखकर या फोन के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं या आपके देश में साक्षियों के काम की निगरानी करनेवाले दफ्तर से संपर्क कर सकते हैं।

Jehovah’s Witnesses,

Post Box 6440,

Yelahanka,

Bangalore 560 064,

Karnataka.

Telephone: (080) 28468072

[पेज 20, 21 पर तसवीर]

यहोवा के साक्षियों के पुराने और नए सभा घर

ज़ाम्बिया

केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य