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क्या आप हमेशा के लिए जीना चाहते हैं?

क्या आप हमेशा के लिए जीना चाहते हैं?

क्या आप हमेशा के लिए जीना चाहते हैं?

“मैं मौत से नहीं डरती। मगर यह बात मुझे सताती है कि एक दिन मुझे इन फूलों से बिछड़ना पड़ेगा।” यह बात जापान की एक बुज़ुर्ग महिला ने अपने घर आयी एक मसीही प्रचारक से कही। वह प्रचारक उस महिला की भावनाओं को समझ पायी क्योंकि उस महिला का अपना एक खूबसूरत बगीचा था। जी हाँ, कई लोग कहते तो हैं कि वे मौत से नहीं डरते, लेकिन वे सृष्टि के अजूबों की बहुत कदर करते हैं। और शायद वे हमेशा-हमेशा तक जीने के लिए तरसते भी होंगे।

हमेशा का जीवन? कई लोग इस विचार को सुनते ही उसे रफा-दफा कर देंगे। कुछ शायद यह भी कहें कि उन्हें हमेशा की ज़िंदगी में कोई दिलचस्पी नहीं। आखिर इसकी वजह क्या है?

हमेशा की ज़िंदगी—क्या उबाऊ होगी?

कुछ लोग सोचते हैं कि हमेशा-हमेशा तक जीना बिलकुल उबाऊ होगा। वे शायद नौकरी से रिटायर हुए लोगों की मिसाल दें जिनका हर दिन एक-जैसा गुज़रता है। उनके पास करने को कुछ नहीं रहता और इसलिए वे सारा दिन बस टी.वी. पर आँखें गड़ाए बैठे रहते हैं। अगर आपका भी यही सोचना है कि हमेशा की ज़िंदगी उबाऊ होगी, तो खगोल-वैज्ञानिक, रॉबर्ट जेसट्रो की बात पर गौर कीजिए। जब उससे पूछा गया कि हमेशा की ज़िंदगी इंसानों के लिए एक तोहफा होगी या सज़ा, तो उसने जवाब दिया: “जिन लोगों में नयी-नयी बातें जानने की ललक होती है, और सीखने की उनकी चाहत कभी कम नहीं होती, उनके लिए हमेशा की ज़िंदगी एक बेहतरीन तोहफा होगी। उन्हें इस बात से खुशी मिलेगी कि नयी-नयी जानकारी पाने के लिए उनके पास हमेशा की ज़िंदगी पड़ी है। लेकिन जिन लोगों को लगता है कि ज़िंदगी में जितना सीखना था, उतना उन्होंने सीख लिया है, और जो आगे कुछ नहीं सीखना चाहते, उनके लिए हमेशा की ज़िंदगी एक खौफनाक सज़ा बनकर रह जाएगी। उन्हें समझ नहीं आएगा कि वे अपना सारा वक्‍त बिताएँ तो कैसे बिताएँ।”

हमेशा की ज़िंदगी आपको उबाऊ लगेगी या नहीं, यह काफी हद तक आपके रवैए पर निर्भर करता है। अगर आपमें ‘नयी-नयी बातें जानने की ललक है, और सीखने की आपकी चाहत कभी कम न हो’ तो ज़रा सोचिए कि आप कला, संगीत, इमारतें बनाने, बागवानी करने या दूसरे क्षेत्रों में कितना कुछ कर पाएँगे। यहाँ तक कि आप अपने सारे शौक भी पूरे कर पाएँगे। धरती पर हमेशा की ज़िंदगी जीने से आपको अपने अलग-अलग हुनर बढ़ाने के बढ़िया मौके मिलेंगे।

हमेशा-हमेशा तक दूसरों से प्यार करना और उनका प्यार पाना, इससे ज़िंदगी में वाकई संतोष मिलेगा। हमें इस तरह बनाया गया है कि हममें दूसरों पर प्यार जताने की काबिलीयत है और जब दूसरे हमसे प्यार करते हैं, तो हम फलते-फूलते हैं। एक-दूसरे के लिए सच्चा प्यार दिखाने से हमें गहरा संतोष मिलता है, ऐसा संतोष जो वक्‍त के साथ-साथ कभी कम नहीं होता। और-तो-और, हमेशा की ज़िंदगी हमें न सिर्फ दूसरे इंसानों के लिए बल्कि परमेश्‍वर के लिए भी दिल में प्यार बढ़ाने का मौका देगी। प्रेरित पौलुस ने कहा: “यदि कोई परमेश्‍वर से प्रेम रखता है, तो उसे परमेश्‍वर पहिचानता है।” (1 कुरिन्थियों 8:3) हमारे सामने यह क्या ही बेहतरीन आशा है कि हम सारे जहान के मालिक को जान सकेंगे और वह भी हमें पहचानेगा और कबूल करेगा! इतना ही नहीं, हमारे प्यारे सिरजनहार के बारे में सीखने का कोई अंत नहीं होगा। इन सारे कारणों के चलते भला हमेशा की ज़िंदगी उबाऊ और नीरस कैसे हो सकती है?

क्या ज़िंदगी इसलिए कीमती है कि यह चार दिन की है?

कुछ लोगों का मानना है कि इंसान की ज़िंदगी इसलिए कीमती है क्योंकि यह पल-दो-पल की है। हो सकता है, वे ज़िंदगी की तुलना सोने के साथ करें जो बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। वे शायद कहें कि अगर सोना हर जगह मिल जाए, तो कौड़ियों के दाम बिकने लगेगा। मगर सच तो यह है कि सोना हर जगह मिलने पर भी उसकी खूबसूरती कभी कम नहीं होगी। सोना तो सोना ही रहेगा। इंसान की ज़िंदगी के बारे में भी यही बात सच है।

हमेशा की ज़िंदगी का मज़ा उठाने की तुलना हवा की बहुतायत से की जा सकती हैं। मान लीजिए, एक पनडुब्बी खराब हो जाती है और पानी के ऊपर नहीं आ पाती। उसमें फँसे नाविक जानते हैं कि ज़िंदा रहने के लिए हवा कितनी अहमियत रखती है। जब उनकी जान बचायी जाएगी, तो क्या आपको लगता है कि वे यह शिकायत करेंगे कि उनके साँस लेने के लिए अब कुछ ज़्यादा ही हवा है? वे ऐसा कतई नहीं कहेंगे!

उन नाविकों की तरह, हमें भी मौत के खतरे से बचाया जा सकता है, और वह भी चंद रोज़ की ज़िंदगी के लिए नहीं, बल्कि हमेशा-हमेशा जीने के लिए। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का बरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।” (रोमियों 6:23) यीशु के छुड़ौती बलिदान के ज़रिए, परमेश्‍वर इंसानों की असिद्धता और मौत को भी मिटा देगा। फिर आज्ञा माननेवाले सभी इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी देगा। इस प्यार-भरे इंतज़ाम के लिए हमें कितना एहसानमंद होना चाहिए!

आपके अज़ीज़ों के बारे में क्या?

कुछ लोग शायद यह सोचें: ‘मेरे अज़ीज़ों के बारे में क्या? अगर वे मेरे साथ नहीं होंगे, तो धरती पर मेरे हमेशा जीने का क्या फायदा?’ शायद आपने बाइबल का अध्ययन करके सीखा होगा कि आपको इस धरती पर फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है। (लूका 23:43, किताब-ए-मुकद्दस; यूहन्‍ना 3:16; 17:3) बेशक अब आप चाहते होंगे कि आपके परिवार के सदस्य, रिश्‍तेदार और करीबी दोस्त भी आपके साथ धार्मिकता की नयी दुनिया में रहें जिसका वादा परमेश्‍वर ने किया है। आपकी यह भी तमन्‍ना होगी कि आप जिन खुशियों की आस लगाए हुए हैं, वे आपके अज़ीज़ों को भी मिलें।—2 पतरस 3:13.

लेकिन अगर आपके अज़ीज़ फिरदौस में हमेशा तक जीने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते, तब क्या? आप निराश मत होइए। इसके बजाय, परमेश्‍वर के वचन से सही ज्ञान लेना जारी रखिए और सीखी हुई बातों के मुताबिक काम करते रहिए। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “हो सकता है पत्नी अपने पति के उद्धार का कारण हो। इसी प्रकार यह भी सम्भव है कि पति अपनी पत्नी के उद्धार का कारण बन जाए।” (1 कुरिन्थियों 7:16, नयी हिन्दी बाइबिल) जी हाँ, लोग बदल सकते हैं। मसलन, एक आदमी जो पहले मसीही धर्म का विरोध किया करता था, उसने बाद में अपने अंदर बदलाव किए और वह आगे चलकर मसीही कलीसिया का एक प्राचीन बना। उसने कहा: “मैं अपने इस छोटे-से परिवार का दिल से शुक्र मानता हूँ कि वे मेरे कड़े विरोध के बावजूद बाइबल के उसूलों पर वफादारी से डटे रहे।”

परमेश्‍वर को आपकी और आपके अज़ीज़ों की ज़िंदगी की बहुत फिक्र है। दरअसल वह “नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (2 पतरस 3:9) यहोवा परमेश्‍वर चाहता है कि आप और आपके अज़ीज़ हमेशा-हमेशा के लिए जीएँ। उसका प्यार असिद्ध इंसानों के प्यार से कहीं बढ़कर है। (यशायाह 49:15) तो क्यों ना आप परमेश्‍वर के साथ एक मज़बूत रिश्‍ता बनाएँ? तब आप अपने अज़ीज़ों को भी ऐसा ही रिश्‍ता कायम करने में मदद दे पाएँगे। हो सकता है, आज वे हमेशा की ज़िंदगी पाने की बात पर यकीन न करें, मगर जब वे आपको बाइबल के सही ज्ञान के मुताबिक जीते हुए देखेंगे तो एक दिन उनका रवैया बदल सकता है।

मगर आपके उन अज़ीज़ों के बारे में क्या जिन्हें मौत ने आपसे जुदा कर दिया है? बाइबल बताती है कि आज जो करोड़ों लोग मौत की नींद सो रहे हैं, वे पुनरुत्थान की बेहतरीन आशा पाएँगे, यानी वे मौत की नींद से जाग उठेंगे और धरती पर आनेवाले फिरदौस में जीएँगे। यीशु मसीह ने वादा किया: “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं . . . जी उठेंगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29) यहाँ तक कि उन लोगों को भी जिलाया जाएगा, जो जीते-जी कभी परमेश्‍वर को नहीं जान सके। बाइबल कहती है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरितों 24:15) वह क्या ही खुशी का समय होगा जब हम मरे हुओं को फिर से जी उठते देखेंगे और उनका स्वागत करेंगे!

हमेशा के लिए जीना—खुशियों भरी आशा

अगर इस दुनिया के सारे गमों के बावजूद आप ज़िंदगी से खुशी और संतोष पा सकते हैं, तो यकीनन आप फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी का भी लुत्फ उठा पाएँगे। जब यहोवा की एक साक्षी ने एक स्त्री को बताया कि हमेशा की ज़िंदगी जीते वक्‍त कैसी आशीषें मिलेंगी, तो उस स्त्री ने कहा: “मैं हमेशा के लिए नहीं जीना चाहती। मेरे लिए 70 या 80 साल की ज़िंदगी काफी है।” इस बातचीत के वक्‍त मौजूद एक मसीही प्राचीन ने उस स्त्री से पूछा: “लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपकी मौत हो जाए तो आपके बच्चों पर क्या बीतेगी?” जब उस स्त्री ने सोचा कि उसकी मौत से बच्चों को कितना गहरा सदमा पहुँचेगा, तो उसके आँसू छलक पड़े। उसने माना: “ज़िंदगी में पहली बार मुझे एहसास हुआ कि मैं कितनी खुदगर्ज़ थी। मैंने जाना कि हमेशा की ज़िंदगी का मतलब सिर्फ खुद के लिए जीना नहीं, बल्कि हमारे अपनों के लिए भी जीना है।”

कुछ लोगों को लगता है कि चाहे हम जीएँ या मरें, किसी को भी फर्क नहीं पड़ता। लेकिन हमारे जीवनदाता को ज़रूर फर्क पड़ता है। वह कहता है: “मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्‍न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे।” (यहेजकेल 33:11) जब परमेश्‍वर दुष्टों की जान की इतनी फिक्र करता है, तो बेशक वह उन लोगों की दिल से परवाह करता है जो उससे प्यार करते हैं।

प्राचीन इस्राएल के राजा, दाऊद को यहोवा के प्यार पर पूरा भरोसा था। एक बार उसने कहा था: “मेरे माता-पिता भले ही मुझे छोड़ दें, प्रभु [यहोवा] मुझे अपनायेगा।” (भजन 27:10, बुल्के बाइबिल) दाऊद को ज़रूर अपने माता-पिता के प्यार पर भरोसा रहा होगा। लेकिन वह जानता था कि भले ही उसके माता-पिता; जिनके साथ उसका खून का रिश्‍ता था, उसे छोड़ दें मगर परमेश्‍वर उसे कभी नहीं छोड़ेगा। यहोवा को हमसे प्यार है और वह हमारी परवाह भी करता है, इसलिए वह हमें हमेशा की ज़िंदगी देने का वादा करता है और हमेशा के लिए उसके दोस्त बनने का मौका देता है। (याकूब 2:23) तो क्या हमें एहसान-भरे दिल से इन बेहतरीन तोहफों को कबूल नहीं करना चाहिए?

[पेज 7 पर तसवीर]

परमेश्‍वर और अपने पड़ोसियों के लिए प्यार होने की वजह से हमेशा की ज़िंदगी वाकई जीने लायक होगी