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शराब के बारे में सही नज़रिया बनाए रखिए

शराब के बारे में सही नज़रिया बनाए रखिए

शराब के बारे में सही नज़रिया बनाए रखिए

“दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मदिरा हल्ला मचानेवाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं।”नीतिवचन 20:1.

1. यहोवा से मिले कुछ अच्छे वरदानों के लिए भजनहार ने कैसे एहसान ज़ाहिर किया?

 चेले याकूब ने लिखा: “हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है।” (याकूब 1:17) परमेश्‍वर से मिले बहुत-से अच्छे वरदानों के लिए एहसान ज़ाहिर करते हुए भजनहार ने यूँ गाया: “तू पशुओं के लिये घास, और मनुष्यों के काम के लिये अन्‍नादि उपजाता है, और इस रीति भूमि से वह भोजन-वस्तुएं उत्पन्‍न करता है, और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्‍न जिस से वह सम्भल जाता है।” (भजन 104:14, 15) परमेश्‍वर ने साग-सब्ज़ियों, अन्‍न और तेल की तरह दाखमधु और दूसरी किस्म की शराब भी हमें तोहफे में दी हैं। तो हमें इन चीज़ों का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?

2. शराब के इस्तेमाल के बारे में हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

2 एक अच्छे वरदान या तोहफे से हमें तभी खुशी मिलती है जब हम उसका इस्तेमाल सही तरीके से करते हैं। मसलन, कहा गया है कि मधु “अच्छा” है, मगर “बहुत मधु खाना अच्छा नहीं।” (नीतिवचन 24:13; 25:27) उसी तरह “थोड़ा दाखरस” पीने में कोई बुराई नहीं, लेकिन बहुत पीना एक गंभीर समस्या है। (1 तीमुथियुस 5:23) इसलिए बाइबल खबरदार करती है: “दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मदिरा हल्ला मचानेवाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं।” (नीतिवचन 20:1) शराब की वजह से चूक जाने का मतलब क्या है? * कितनी शराब पीना, ज़्यादा होगा? शराब के बारे में सही नज़रिया क्या है?

शराब की वजह से “चूक” जाना—कैसे?

3, 4. (क) किस बात से पता चलता है कि बाइबल, नशे में धुत्त होने तक पीने की निंदा करती है? (ख) पियक्कड़पन की कुछ निशानियाँ क्या हैं?

3 प्राचीन इस्राएल में अगर किसी का बेटा, पेटू और पियक्कड़ होता और अपनी आदत से बाज़ नहीं आता था, तो उसे पत्थरवाह करके मार डालना था। (व्यवस्थाविवरण 21:18-21) प्रेरित पौलुस ने भी मसीहियों को सलाह दी: “यदि कोई भाई कहलाकर, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्तिपूजक, या गाली देनेवाला, या पियक्कड़, या अन्धेर करनेवाला हो, तो उस की संगति मत करना; बरन ऐसे मनुष्य के साथ खाना भी न खाना।” इससे पता चलता है कि बाइबल, नशे में धुत्त होने तक पीने की साफ निंदा करती है।—1 कुरिन्थियों 5:11; 6:9, 10.

4 पियक्कड़पन की निशानियों का ब्यौरा देते हुए बाइबल कहती है: “जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उसको न देखना। क्योंकि अन्त में वह सर्प की नाईं डसता है, और करैत के समान काटता है। तू विचित्र वस्तुएं देखेगा, और उल्टी-सीधी बातें बकता रहेगा।” (नीतिवचन 23:31-33) शराब अगर हद-से-ज़्यादा पी जाए तो वह ज़हरीली नागिन की तरह डस सकती है, उलटियाँ शुरू हो सकती हैं, दिमागी संतुलन बिगड़ सकता है, यहाँ तक कि एक इंसान बेहोश भी हो सकता है। शराबी शायद “विचित्र वस्तुएं” देखने लगे यानी उसे अजीबो-गरीब चीज़ें नज़र आने लगें या वह हवाई किले बनाने लगे। होश में वह जिन बुरे विचारों और इच्छाओं पर काबू रखता है, नशे में शायद ही वह उन पर काबू रख पाए।

5. जमकर शराब पीने से कैसा नुकसान होता है?

5 मगर कुछ लोगों में कई जाम लेने के बाद भी पियक्कड़पन की निशानियाँ नज़र नहीं आतीं। तो एक इंसान अगर शराब पीए लेकिन यह ध्यान रखे कि वह इतनी न पीए जिससे देखनेवाले को पता चल जाए, तो क्या यह सही होगा? वह इंसान शायद सोचे कि इसमें कोई नुकसान नहीं, लेकिन दरअसल वह खुद को धोखा दे रहा है। (यिर्मयाह 17:9) धीरे-धीरे एक वक्‍त आएगा, जब वह शराब के बगैर नहीं रह पाएगा और “बहुत ज़्यादा शराब का गुलाम” हो जाएगा। (तीतुस 2:3, NW) एक इंसान, शराबी कैसे बनता है, इसके बारे में लेखिका कैरलाइन नैप कहती है: “यह लत समय के चलते और आहिस्ते-आहिस्ते लगती है और इंसान को इसका एहसास तक नहीं होता।” वाकई, ज़्यादा शराब पीना, क्या ही जानलेवा फँदा है!

6. क्यों एक इंसान को ज़्यादा खाने और शराब पीने से दूर रहना चाहिए?

6 यीशु की चेतावनी पर भी गौर कीजिए: “सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े। क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा।” (लूका 21:34, 35) सिर्फ हद-से-ज़्यादा शराब पीने से ही हम खतरे में नहीं पड़ते। अगर सावधान न रहें तो हम सही मात्रा में पीने से भी शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से ऊँघने लग सकते हैं और आलसी बन सकते हैं। अगर ऐसे हाल में यहोवा का दिन आ गया तो?

शराब के गलत इस्तेमाल के अंजाम

7. ज़्यादा शराब पीनेवाले किस तरह 2 कुरिन्थियों 7:1 की हिदायत पर नहीं चल रहे होते?

7 ज़्यादा शराब पीनेवाला, अपने आपको बहुत-से शारीरिक और आध्यात्मिक खतरों में डाल लेता है। वह कई बीमारियों को बुलावा देता है। मसलन, लिवर का खराब होना (सिरोसिस रोग), एल्कोहोलिक हॆपाटाइटिस, और न्यूरल डिसऑर्डर्स जैसे डिलिरियम ट्रेमेन्स (कँपकँपी महसूस करना और अजीबो-गरीब चीज़ें देखना)। अगर वह लंबे समय तक पीने की आदत नहीं छोड़ता तो उसे कैंसर, डायबिटीज़, या दिल और पेट की कुछ बीमारियाँ लग सकती हैं। इसलिए ज़्यादा शराब पीनेवाले बाइबल की इस हिदायत पर नहीं चल रहे होते: “आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्‍वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें।”—2 कुरिन्थियों 7:1.

8. नीतिवचन 23:20, 21 के मुताबिक शराब के गलत इस्तेमाल का क्या नतीजा हो सकता है?

8 ज़्यादा शराब पीने से एक इंसान न सिर्फ अपनी तनख्वाह उड़ा देता है बल्कि अपनी नौकरी भी खो सकता है। प्राचीन इस्राएल के राजा सुलैमान ने एक चेतावनी दी: “दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना।” क्यों? आगे उसने समझाया: “क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पीनकवाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।”—नीतिवचन 23:20, 21.

9. एक इंसान का गाड़ी चलाने से पहले शराब को हाथ न लगाना क्यों बुद्धिमानी होगी?

9 एक और खतरे के बारे में दी इनसाइक्लोपीडिया ऑफ एल्कोहोलिज़म कहती है: “अध्ययन दिखाते हैं कि शराब की वजह से एक इंसान ठीक से गाड़ी नहीं चला पाता। यानी वह फुर्ती से काम नहीं ले पाता, सही ताल-मेल नहीं बिठा पाता, ठीक से ध्यान नहीं दे पाता और ना ही उसकी आँखें चौकन्‍ना रहती हैं, और उसकी परख-शक्‍ति भी कम हो जाती है।” इसलिए शराब पीकर गाड़ी चलाने के अंजाम बहुत खतरनाक होते हैं। इसी वजह से सिर्फ भारत में ही हर साल सड़क दुर्घटनाओं में हज़ारों लोग मरते और घायल होते हैं। खासकर जवानों के मामले में इसका खतरा और भी बढ़ जाता है क्योंकि उन्हें न तो पीने और ना ही गाड़ी चलाने का ज़्यादा तजुर्बा होता है। क्या शराब के कई जाम पीकर गाड़ी चलानेवाले, यह दावा कर सकते हैं कि वे परमेश्‍वर यहोवा से मिले, जीवन के वरदान की कदर करते हैं? (भजन 36:9) जीवन की पवित्रता की अहमियत समझते हुए एक इंसान के लिए अच्छा होगा कि वह गाड़ी चलाने से पहले शराब को हाथ तक न लगाए।

10. शराब किस तरह हमारे दिमाग पर असर करती है, और यह क्यों खतरनाक है?

10 ज़्यादा शराब पीने से इंसान के शरीर को ही नहीं, बल्कि उसकी आध्यात्मिकता को भी नुकसान पहुँचता है। बाइबल कहती है: “दाखमधु और ताज़ा दाखमधु, ये . . . बुद्धि को भ्रष्ट करते हैं।” (होशे 4:11) शराब दिमाग पर असर करती है। ड्रग्स के गलत इस्तेमाल के बारे में अमरीकी नैशनल इंस्टीट्यूट का एक प्रकाशन समझाता है: “जब कोई शराब पीता है, तो पाचन-तंत्र शराब को पूरी तरह हज़म कर लेता है, जिसके बाद वह खून की नली से जल्द ही मस्तिष्क तक पहुँच जाती है। मस्तिष्क के जो हिस्से सोचने-समझने की शक्‍ति और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं, वह उन पर अपना रंग जमाने लगती है। इसकी वजह से इंसान अपने आप पर काबू नहीं रख पाता और उसे लगता है कि उस पर कोई बंधन नहीं रहा।” ऐसे हाल में मुमकिन है कि हम “चूक” जाएँ, दूसरों के साथ बदतमीज़ी करने की जुर्रत करें और कई तरह के फँदों में पड़ जाएँ।—नीतिवचन 20:1.

11, 12. ज़्यादा मात्रा में शराब पीने से किस तरह का आध्यात्मिक नुकसान होता है?

11 इतना ही नहीं, बाइबल यह आज्ञा भी देती है: “तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो।” (1 कुरिन्थियों 10:31) क्या ज़्यादा मात्रा में शराब पीने से कभी परमेश्‍वर की महिमा हो सकती है? एक मसीही हरगिज़ नहीं चाहेगा कि लोग उसे शराबी कहें। उसकी यह पहचान यहोवा के नाम को रोशन करने के बजाय उस पर कलंक लगाएगी।

12 अगर एक मसीही के ज़्यादा मात्रा में शराब पीने से एक ऐसे भाई को ठोकर लगती है, जो शायद अभी-अभी चेला बना हो तब क्या? (रोमियों 14:21) यीशु ने चेतावनी दी: “जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्‍वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिये भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता।” (मत्ती 18:6) जी हाँ, ज़्यादा शराब पीनेवाला कलीसिया में अपनी खास ज़िम्मेदारियों से हाथ धो बैठ सकता है। (1 तीमुथियुस 3:1-3, 8) और इस बात को भी कतई अनदेखा नहीं किया जा सकता कि शराब के गलत इस्तेमाल से परिवार में कैसी कलह मचती है।

खतरे को टालिए—कैसे?

13. शराब के गलत इस्तेमाल से बचने के लिए क्या ज़रूरी है?

13 अगर हम शराब के गलत इस्तेमाल से बचना चाहते हैं तो हमारा यह लक्ष्य होना चाहिए कि हम न सिर्फ पियक्कड़पन से, बल्कि ज़्यादा शराब पीने से भी दूर रहें। यह कौन तय कर सकता है कि कितनी शराब आपके लिए ज़्यादा है? इस मामले में बहुत-सी बातें शामिल हैं, इसलिए कोई सख्त नियम नहीं बनाया जा सकता। यह देखना हर इंसान की अपनी ज़िम्मेदारी है कि कितनी मात्रा में पीना उसके लिए सही होगा और फिर वह उसी हद में रहे। इस मामले में क्या बात आपकी मदद कर सकती है? क्या ऐसा कोई सिद्धांत है, जो इस बारे में सही राह दिखा सके कि कितनी शराब आपके लिए ज़्यादा होगी?

14. इस मामले में कौन-सा सिद्धांत आपको सही राह दिखाएगा कि कितनी शराब आपके लिए ज़्यादा होगी?

14 बाइबल कहती है: “खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर, तब इन से तुझे जीवन मिलेगा, और ये तेरे गले का हार बनेंगे।” (नीतिवचन 3:21, 22) तो सही राह दिखानेवाला सिद्धांत यह है: शराब की जितनी मात्रा आपकी परख-शक्‍ति और सोचने-समझने की शक्‍ति को कमज़ोर कर देती है, उतनी आपके लिए ज़्यादा है। लेकिन इस सीमा को पहचानने के लिए आपको पूरी ईमानदारी से अपनी जाँच करनी होगी!

15. किन हालात में एक जाम भी बहुत ज़्यादा हो सकता है?

15 कुछ हालात में तो एक जाम भी, बहुत ज़्यादा हो सकता है। एक गर्भवती स्त्री अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की सलामती की खातिर शायद शराब को न छूने का फैसला करे। और जब हम ऐसे लोगों के सामने होते हैं, जिन्हें कभी पियक्कड़पन की समस्या थी या जिनका विवेक शराब पीने की निंदा करता है, तो ऐसे में शराब न पीकर क्या हम दूसरों के लिए लिहाज़ नहीं दिखा रहे होते? निवासस्थान में याजक का काम करनेवालों को यहोवा ने आज्ञा दी थी: ‘जब जब तू मिलापवाले तम्बू में आए तब तब न तो दाखमधु और न किसी प्रकार का मद्य पीना, कहीं ऐसा न हो कि तू मर जाए।’ (लैव्यव्यवस्था 10:8, 9) इसलिए मसीही सभा और प्रचार में जाने से पहले, साथ ही दूसरी आध्यात्मिक ज़िम्मेदारियाँ सँभालते वक्‍त शराब मत पीजिए। यही नहीं, जिन देशों में शराब पीने पर पाबंदी है या खास उम्र के लोगों को ही पीने की इजाज़त है, तो वहाँ के मसीहियों को अपने देश का कानून मानना चाहिए।—रोमियों 13:1.

16. जब आपके सामने शराब रखी जाती है, तो आपको कैसा फैसला करना चाहिए?

16 जब आपको शराब पेश की जाती है या आपके सामने रखी जाती है, तो सबसे पहले अपने आपसे पूछिए: ‘क्या मेरे लिए पीना ज़रूरी है?’ अगर आप पीने का फैसला करते हैं, तो अपनी हद को अच्छी तरह याद रखिए और उसे पार मत कीजिए। आपके मेज़बान चाहे कितने ही दरियादिल हों, आप अपने इरादे पर अटल रहिए। और शादी-ब्याह की दावतों या ऐसे दूसरे मौकों पर जब शराब पर कोई रोक नहीं होती, तब सावधान हो जाइए। कई देशों में बच्चों को शराब पीने की कानूनन छूट है। ऐसे में माता-पिता की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को शराब के इस्तेमाल के बारे में हिदायतें दें और उन पर निगरानी रखें।—नीतिवचन 22:6.

आप समस्या पर काबू पा सकते हैं

17. आप कैसे पता लगा सकते हैं कि आपको ज़्यादा पीने की समस्या है या नहीं?

17 क्या आपको ज़्यादा वाइन और दूसरी शराब पीने की समस्या है? अगर आप चोरी-छिपे यह पाप करने में लगे हैं, तो जान लीजिए कि आज नहीं तो कल आप इसके शिकार हो जाएँगे। इसलिए पूरी ईमानदारी से खुद को अच्छी तरह परखिए। अपनी जाँच करने के लिए खुद से ये सवाल पूछिए: ‘क्या अब मैं पहले के मुकाबले ज़्यादा बार शराब पीने लगा हूँ? क्या मेरी शराब की मात्रा बढ़ गयी है? क्या मैं चिंता, तनाव या समस्या से भागने के लिए शराब पीता हूँ? क्या मेरे शराब पीने को लेकर मेरे परिवार में से किसी ने, या मेरे दोस्त ने चिंता ज़ाहिर की है? क्या मेरे पीने की वजह से परिवार में समस्या खड़ी होती है? क्या मेरे लिए एक हफ्ते, एक महीने या कई महीने शराब से दूर रहना मुश्‍किल हो जाता है? क्या मैं इस बात को छिपाता हूँ कि मैं कितनी वाइन या शराब पीता हूँ?’ अगर इनमें से कुछेक सवालों के जवाब हाँ हैं, तो आप क्या करेंगे? आप उस इंसान की तरह मत बनिए ‘जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है और तुरन्त भूल जाता है कि वह कैसा था।’ (याकूब 1:22-24) समस्या को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाइए। तो आप क्या कदम उठा सकते हैं?

18, 19. ज़्यादा पीने से आप खुद को कैसे रोक सकते हैं?

18 प्रेरित पौलुस ने मसीहियों को सलाह दी: “दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।” (इफिसियों 5:18) शराब की कितनी मात्रा आपके लिए ज़्यादा है, उसे जानिए और अपनी हद तय कीजिए। हद पार न करने की ठान लीजिए; खुद पर संयम बरतिए। (गलतियों 5:22, 23) क्या आपके ऐसे दोस्त हैं जो आप पर जाम-पर-जाम पीने का दबाव डालते हैं? अगर ऐसा है तो उनसे खबरदार रहिए। बाइबल कहती है: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।”—नीतिवचन 13:20.

19 अगर आप समस्या से भागने के लिए शराब पीते हैं तो ऐसा मत कीजिए बल्कि उसका डटकर मुकाबला कीजिए। परमेश्‍वर के वचन में दी सलाहों को अमल में लाकर समस्याएँ सुलझायी जा सकती हैं। (भजन 119:105) किसी भरोसेमंद मसीही प्राचीन की मदद लेने से ज़रा भी मत हिचकिचाइए। खुद को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करने के लिए यहोवा के इंतज़ामों का भरपूर फायदा उठाइए। परमेश्‍वर के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत कीजिए। उससे नियमित रूप से प्रार्थना कीजिए, खासकर अपनी कमज़ोरी के बारे में। ‘अपने गुर्दे और हृदय को शुद्ध करने’ के लिए उससे गिड़गिड़ाकर बिनती कीजिए। (भजन 26:2, NW) जैसे पिछले लेख में चर्चा की गयी थी, खराई की राह पर चलने के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश कीजिए।

20. लाख कोशिशों के बावजूद अगर जमकर शराब पीने की आपकी आदत नहीं छूट रही, तो आपको शायद कौन-से कदम उठाने पड़ें?

20 अगर लाख कोशिशों के बावजूद जमकर शराब पीने की आपकी आदत नहीं छूट रही है तो आपको क्या करना चाहिए? तब आपको यीशु की इस सलाह पर चलना चाहिए: ‘यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इस से भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक में डाला जाए।’ (मरकुस 9:43) जवाब है: शराब बिलकुल मत पीजिए। एक स्त्री जिसे हम आइरीन कहेंगे, उसने ऐसा ही करने की ठानी। वह कहती है: “करीब ढाई साल तक शराब से परहेज़ करने के बाद, मैं यह सोचने लगी कि एक पेग लेकर तो देखूँ, कि मैं अपने आप पर काबू रख पाती हूँ या नहीं। लेकिन जब भी मुझे ऐसा खयाल आता, मैं तुरंत यहोवा से प्रार्थना करती। मैंने फैसला कर लिया है कि मैं नयी दुनिया के आने तक शराब को हाथ नहीं लगाऊँगी, और हो सकता है कि उसके बाद भी नहीं।” अगर आप शराब से तौबा करने का फैसला करते हैं तो आपकी यह कुरबानी, ज़िंदगी के उस इनाम के सामने कुछ भी नहीं होगी, जो आप परमेश्‍वर की धर्मी नयी दुनिया में पाएँगे।—2 पतरस 3:13.

“तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो”

21, 22. जीवन की दौड़ पूरी करने में क्या बात हमारे लिए बाधा बन सकती है, और इसे कैसे पार किया जा सकता है?

21 प्रेरित पौलुस, मसीही ज़िंदगी की तुलना एक दौड़ से करते हुए कहता है: “क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है? तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझानेवाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।”—1 कुरिन्थियों 9:24-27.

22 इनाम सिर्फ दौड़ पूरी करनेवालों को दिया जाता है। शराब का गलत इस्तेमाल, जीवन की दौड़ पूरी करने में हमारे लिए बाधा बन सकता है। हमें आत्म-संयम रखने की सख्त ज़रूरत है। पूरे आत्म-विश्‍वास के साथ दौड़ने के लिए ज़रूरी है कि हम शराब पीकर ‘मतवाले’ न बन जाएँ। (1 पतरस 4:3) इसके उलट, हमें सब बातों में खुद पर संयम रखने की ज़रूरत है। जब शराब पीने की बात आए तो हमारे लिए अक्लमंदी इसी में होगी कि हम “अभक्‍ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर . . . संयम और धर्म और भक्‍ति से जीवन” बिताएँ।—तीतुस 2:12.

[फुटनोट]

^ इस लेख में “शराब” का मतलब है, बियर, वाइन और दूसरी तरह की शराब।

क्या आपको याद है?

• शराब के गलत इस्तेमाल में क्या-क्या शामिल है?

• शराब के गलत इस्तेमाल से होनेवाले बुरे अंजाम क्या हैं?

• आप ज़्यादा शराब पीने के खतरे से खुद को कैसे बचा सकते हैं?

• जिसे जमकर पीने की समस्या है, वह इस पर कैसे काबू पा सकता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 19 पर तसवीर]

दाखमधु से “मनुष्य का मन आनन्दित होता है”

[पेज 20 पर तसवीर]

हमें अपनी हद पहचानकर उसी में रहना होगा

[पेज 21 पर तसवीर]

पहले से अपनी हद तय कर लीजिए

[पेज 22 पर तसवीर]

अपनी कमज़ोरी के बारे में यहोवा से लगातार प्रार्थना कीजिए

[पेज 23 पर तसवीर]

शराब के इस्तेमाल के बारे में बच्चों को हिदायतें देना माता-पिता की ज़िम्मेदारी है