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“आखिर, इसका राज़ क्या है?”

“आखिर, इसका राज़ क्या है?”

“आखिर, इसका राज़ क्या है?”

एक अजनबी के इस सवाल ने म्युरीअल को हैरत में डाल दिया। म्युरीअल अपने तीन बच्चों के साथ एक फास्ट-फूड रेस्तराँ में बैठी थी। वह अभी-अभी बच्चों को डॉक्टर के पास दिखाकर लायी थी और इसमें उसका काफी वक्‍त निकल गया था। इस वजह से उन्हें मसीही सभा के लिए देर हो रही थी। उनके पास इतना भी वक्‍त नहीं था कि पहले घर जाकर शाम का खाना खा सकें। इसलिए म्युरीअल बच्चों को पास ही के इस रेस्तराँ में ले आयी ताकि वे कुछ खा सकें।

जब वे खाना खत्म कर रहे थे, तो एक बुज़ुर्ग आदमी म्युरीअल के पास आया और बोला: “जब से आप लोग यहाँ आए हो तब से मैं आपको देख रहा हूँ। मैंने गौर किया कि आपके बच्चे, दूसरे बच्चों से बिलकुल अलग हैं। दूसरे बच्चे तो टेबल-कुर्सियों के साथ ऐसे खेलते हैं कि बस पूछो मत। वे अपने पैर सीधे टेबल पर रख देते हैं और कुर्सियों को गिराते-पड़ाते रहते हैं। लेकिन आपके बच्चे कितने शांत और तमीज़ से पेश आ रहे हैं। आखिर, इसका राज़ क्या है?”

म्युरीअल ने जवाब दिया: “मैं और मेरे पति नियमित तौर पर अपने बच्चों के साथ बाइबल का अध्ययन करते हैं और हम जो सीखते हैं, उसे अपने जीवन में लागू करने की कोशिश करते हैं। दरअसल, हम यहोवा के साक्षी हैं।” यह सुनते ही उस आदमी ने कहा: “मैं एक यहूदी हूँ और नात्ज़ियों के जनसंहार से ज़िंदा बचकर निकला हूँ। मुझे याद है कि जर्मनी में कैसे यहोवा के साक्षियों को सताया गया था। वह सब मैंने खुद अपनी आँखों से देखा था। उस वक्‍त भी वे दूसरे लोगों से अलग बने रहे। आपके बच्चों का बर्ताव मुझे बहुत भा गया। मुझे ज़रूर आपके धर्म के बारे में खोजबीन करनी होगी।”

बाइबल, बच्चों की परवरिश के बारे में मार्गदर्शन देनेवाली एक बेहतरीन किताब है। यहोवा के साक्षी, दूसरों को भी बाइबल के मार्गदर्शन से फायदा पाने में मदद देना चाहते हैं। हम आपको प्यार से न्यौता देते हैं कि आप नीचे दी गयी पेशकश को कबूल करें।