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चमत्कार जो आपने देखे हैं!

चमत्कार जो आपने देखे हैं!

चमत्कार जो आपने देखे हैं!

“चमत्कार” शब्द का एक और अर्थ है, “बहुत ही हैरतअँगेज़ या अनोखी घटना, चीज़ या कोई कारनामा।” इस किस्म के चमत्कार हम सभी ने देखे हैं और इनमें परमेश्‍वर का कोई हाथ नहीं होता।

आज इंसान कुदरत के भौतिक नियमों की ज़्यादा समझ हासिल करने की वजह से ऐसे-ऐसे काम कर पाता है, जिन्हें एक वक्‍त पर लोग नामुमकिन समझते थे। मसलन, सौ साल पहले ज़्यादातर लोग उन सारे कामों को करने की सोच भी नहीं सकते थे, जो आज कंप्यूटरों, टी.वी., अंतरिक्ष में भेजे गए उपग्रहों और ऐसी ही दूसरी चीज़ों की वजह से आम बन चुके हैं।

कुछ वैज्ञानिक अब कबूल करते हैं कि परमेश्‍वर की सृष्टि में होनेवाले हैरतअँगेज़ कामों को वे पूरी तरह नहीं समझते, इसलिए वे दावे के साथ नहीं कह सकते कि फलाँ घटना कभी घट ही नहीं सकती। ज़्यादा-से-ज़्यादा, वे बस इतना कहते हैं कि ऐसी घटना घटने की गुंजाइश कम है। इस तरह आगे के लिए वे यह गुंजाइश छोड़ देते हैं कि कुछ और “चमत्कार” हो सकते हैं।

“चमत्कार” शब्द के पहले अर्थ के हिसाब से, ये ऐसी घटनाएँ हैं जिन्हें “किसी अलौकिक ताकत का काम बताया जाता है।” इस अर्थ में भी हम कह सकते हैं कि हममें से हरेक ने चमत्कार देखे हैं। मसलन, हम सभी सूरज, चाँद और तारों को देखते हैं। ये सभी उस “अलौकिक ताकत” यानी खुद सिरजनहार के हाथों की कारीगरी हैं। इसके अलावा, हमारे अपने शरीर को लीजिए। क्या ऐसा कोई है जो बारीकी से समझा सके कि हमारा शरीर और दिमाग कैसे काम करता है? या इंसान का भ्रूण कैसे बनता और बढ़ता है? हमारा शरीर, एक मशीन (अँग्रेज़ी) किताब कहती है: “इंसान का शरीर बड़ी बेमिसाल रचना है और इसकी बहुत-सी बातें हमारे लिए रहस्य हैं। हमारा केंद्रीय तंत्रिका-तंत्र (central nervous system), इस जटिल और देख-सुन सकनेवाले यंत्र पर नियंत्रण रखता है और चलने-फिरने, काम करने में इसकी मदद करता है। यह एक ऐसा चलता-फिरता इंजन है जो अपनी देखभाल आप कर सकता है। और ऐसा कंप्यूटर है जो अपने जैसा एक और कंप्यूटर पैदा कर सकता है।” परमेश्‍वर ने जब ‘इंसान का यह शरीर’ बनाया तब उसने वाकई एक चमत्कार किया और आज तक हम इस चमत्कार को समझने की कोशिश कर रहे हैं। और भी तरह-तरह के चमत्कार हैं जिन्हें आप देख चुके हैं, मगर आपको एहसास नहीं हुआ कि वे भी चमत्कार हैं।

क्या एक किताब चमत्कार हो सकती है?

दुनिया-भर में बाइबल जितनी तादाद में बाँटी गयी है, उतनी कोई और किताब नहीं बाँटी गयी। क्या आप बाइबल को एक चमत्कार मानते हैं? क्या हम इसे किसी “अलौकिक ताकत” की देन मान सकते हैं? बेशक मान सकते हैं। यह सच है कि बाइबल के लिखनेवाले इंसान थे, मगर उन्हीं इंसानों का दावा था कि उन्होंने जो कुछ लिखा वे उनके नहीं बल्कि परमेश्‍वर के विचार हैं। (2 शमूएल 23:1, 2; 2 पतरस 1:20, 21) इस बात पर ज़रा गौर कीजिए। बाइबल लगभग 40 लोगों ने लिखी जो 1,600 सालों के दौरान अलग-अलग वक्‍त पर जीए। उनके अलग-अलग पेशे थे, जैसे कुछ चरवाहे थे, तो कुछ सिपाही, मछुवारे, सरकारी नौकर, हकीम, याजक और राजा। फिर भी, उन सबने एक ही संदेश दिया। यह संदेश सच्चा और सही है, और इससे हमें आशा मिलती है।

बाइबल का ध्यान से अध्ययन करने की वजह से, यहोवा के साक्षी इसे, प्रेरित पौलुस के शब्दों में कहें तो “मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्‍वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है)” इस पर विश्‍वास करते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 2:13) बहुत-से लोगों का दावा है कि बाइबल में कुछ ऐसे भाग हैं जो एक-दूसरे को काटते हैं। मगर यहोवा के साक्षियों की किताबें-पत्रिकाएँ बरसों से यह समझाती आयी हैं कि कैसे ये अलग-अलग बात कहनेवाले भाग, दरअसल पूरी बाइबल के संदेश से मेल खाते हैं। बाइबल का यह अंदरूनी तालमेल ही इस बात का सबूत है कि इसका रचनाकार परमेश्‍वर है। *

किसी और किताब का वजूद मिटाने की ऐसी ज़बरदस्त कोशिशें नहीं की गयीं जैसी बाइबल को मिटाने के लिए की गयी थीं। मगर, बाइबल आज भी वजूद में है। इतना ही नहीं, पूरी बाइबल या इसके कुछ हिस्से 2,000 से भी ज़्यादा भाषाओं में आज मौजूद हैं। यह किताब आज तक सही-सलामत है और इसका संदेश भी शुद्ध रूप में हमारे पास है। इन दोनों वजहों से हम कह सकते हैं कि बाइबल को आज तक बचाए रखने में परमेश्‍वर का हाथ रहा है। बाइबल वाकई एक चमत्कार है!

चमत्कार जो “जीवित, और प्रबल” है

बीते ज़माने में होनेवाले चमत्कार, जैसे बीमारी से चंगाई और मुरदों को जी उठाने के चमत्कार आज नहीं होते। मगर हमारे पास यह यकीन करने की ठोस वजह है कि परमेश्‍वर की आनेवाली नयी दुनिया में, ऐसे चमत्कार फिर से होंगे और दुनिया-भर में होंगे। इन चमत्कारों से मिलनेवाला फायदा सदा तक रहेगा और उस हद तक मिलेगा जिसकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

बाइबल जो खुद एक चमत्कार है, आज भी ऐसे-ऐसे काम कर रही है जो किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। यह लोगों को अपना स्वभाव बदलकर अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा दे रही है। (पेज 8 पर “परमेश्‍वर के वचन की ताकत” बक्स में एक मिसाल देखिए।) इब्रानियों 4:12 कहता है: “परमेश्‍वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।” जी हाँ, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जीनेवाले 60 लाख से भी ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी की कायापलट करने में बाइबल का हाथ रहा है। बाइबल ने इन लोगों को जीने का मकसद दिया है और भविष्य के लिए एक शानदार आशा भी इनके सामने रखी है।

क्यों न आप भी बाइबल को अपनी ज़िंदगी में चमत्कार करने दें?

[फुटनोट]

^ अगर आप बाइबल के ऐसे भागों की जाँच करना चाहते हैं जिनसे ऐसा लगता है कि वे एक-दूसरे की बात काट रहे हैं, तो इनमें तालमेल कैसे बिठाया जा सकता है, इसकी कई मिसालों की चर्चा आपको बाइबल—परमेश्‍वर का वचन या इंसान का? (अँग्रेज़ी) किताब के 7वें अध्याय में मिलेगी। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 7 पर बक्स/तसवीर]

मर चुका या अब भी ज़िंदा?

यूहन्‍ना 19:33, 34 के मुताबिक, यीशु तब तक मर चुका था जब “सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उस में से तुरन्त लोहू और पानी निकला।” लेकिन, कुछ अनुवादों में मत्ती 27:49, 50 पढ़ने से ऐसा जान पड़ता है कि बरछे से बेधे जाते वक्‍त यीशु ज़िंदा था। यह फर्क क्यों?

मूसा की व्यवस्था में यह हुक्म था कि एक अपराधी को सारी रात सूली पर लटकाया हुआ नहीं छोड़ना चाहिए। (व्यवस्थाविवरण 21:22, 23) इसलिए, यीशु के ज़माने में यह दस्तूर था कि अगर सूली पर चढ़ाया गया अपराधी दोपहर तक ज़िंदा रहता, तो उसकी टाँगें तोड़ दी जाती थीं ताकि वह जल्दी मर जाए। क्योंकि ऐसा करने के बाद वह अच्छी तरह साँस लेने के लिए तनकर सीधा नहीं हो पाता था। सिपाहियों ने यीशु के साथ सूली पर चढ़ाए गए दोनों अपराधियों की टाँगें तोड़ीं, मगर यीशु की नहीं तोड़ीं जिससे पता चलता है कि उनके हिसाब से यीशु मर चुका था। सिपाही ने शक दूर करने और इस गुंजाइश को मिटाने के लिए यीशु का पंजर बेधा कि कहीं बाद में शरीर में जान पड़ने पर इसे पुनरुत्थान मानकर इसका झूठा प्रचार न किया जाए।

बाइबल के कुछ अनुवादों में मत्ती 27:49, 50 की घटनाओं को अलग क्रम में लिखा गया है। यह कहता है: “एक और मनुष्य ने एक भाला लेकर उसका पंजर बेधा और उसमें से लहू और पानी निकल आया। तब यीशु ने फिर बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिए।” लेकिन, तिरछे अक्षरों में लिखा वाक्य बाइबल की सभी प्राचीन हस्तलिपियों में नहीं है। ज़्यादातर विद्वान मानते हैं कि यह वाक्य बाद में यूहन्‍ना की सुसमाचार किताब से लेकर यहाँ जोड़ा गया मगर गलत जगह पर। इसलिए ज़्यादातर अनुवादों में यह वाक्य कोष्ठकों या ब्रैकट में डालकर बाकी पाठ से अलग किया गया है, या इस पर जानकारी देनेवाला एक फुटनोट दिया गया है या फिर इस वाक्य को हटा दिया गया है।

न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन के अनुवाद के लिए, वॆस्कॉट और हॉर्ट के नए नियम के जिस यूनानी मूल पाठ को इस्तेमाल किया गया, उसमें यह वाक्य दोहरे ब्रैकट में दिया गया है। इस अनुवाद में एक नोट कहता है कि यह वाक्य “बहुत मुमकिन है कि बाद में शास्त्रियों ने जोड़ा हो।”

तो फिर, सबूत बार-बार यही दिखाते हैं कि यूहन्‍ना 19:33, 34 में लिखी यह बात सही है कि जब रोमी सिपाही ने भाले से यीशु का पंजर बेधा तब तक वह मर चुका था।

[पेज 8 पर बक्स/तसवीर]

परमेश्‍वर के वचन की ताकत

डॆटलफ एक ऐसा लड़का था जिसके माँ-बाप का तलाक हो चुका था। उसे धीरे-धीरे ड्रग्स, शराब और रॉक संगीत की लत लग गयी। * वह आवारागर्दी करनेवालों के एक ऐसे दल में जा मिला जिन्हें आम तौर पर स्किनहैड्‌स्‌ कहा जाता है। मारपीट करने की वजह से पुलिसवालों ने उसे आड़े हाथों लिया।

सन्‌ 1992 में, उत्तर-पूर्वी जर्मनी के एक रेस्तराँ और बार में स्किनहैड्‌स्‌ दल के 60 गुंडों की करीब 35 पंक मवालियों के साथ मुठभेड़ हो गयी। पंक दल के एक लड़के, टोमास को मार-मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। इन गुंडों के सरगनाओं को गिरफ्तार करके उन पर मुकद्दमा चलाया गया और उन्हें जेल हो गयी। इनमें डॆटलफ भी था। मीडिया ने इसका बहुत बड़े पैमाने पर प्रचार किया।

जेल से रिहा होने के कुछ ही समय बाद डॆटलफ को यहोवा के एक साक्षी ने एक पर्चा दिया। पर्चे का शीर्षक था, “जीवन इतनी समस्याओं से क्यों भरा हुआ है?” पर्चे में लिखी बातों की सच्चाई समझने में डॆटलफ को देर नहीं लगी और उसने साक्षियों से बाइबल सीखनी शुरू कर दी। इससे उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गयी। सन्‌ 1996 से वह यहोवा का एक जोशीला साक्षी बनकर सेवा कर रहा है।

ज़ेखफ्रीट, पहले पंक दल में था और अपनी जान से हाथ धोनेवाले टोमास का बहुत अच्छा दोस्त था। वह भी बाद में साक्षी बना और अब एक कलीसिया में प्राचीन की हैसियत से सेवा कर रहा है। जब ज़ेखफ्रीट, डॆटलफ की कलीसिया में (इत्तफाक से, टोमास की माँ भी वहीं कभी-कभी सभाओं के लिए आती है) बाइबल के एक विषय पर भाषण देने गया, तो डॆटलफ ने उसे अपने घर खाने पर बुलाया। लगभग दस साल पहले, उनकी नफरत पर काबू पाना नामुमकिन था। मगर आज उनका भाईचारे का प्रेम साफ दिखायी देता है।

डॆटलफ और ज़ेखफ्रीट को उस दिन का इंतज़ार है जब यह दुनिया एक फिरदौस होगी और टोमास फिर से ज़िंदा होगा। डॆटलफ कहता है: “इस बात के ख्याल से ही मेरी आँखों में आंसू आ जाते हैं। मैं अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हूँ।” उन दोनों की यही इच्छा है कि जैसे आज वे यहोवा को जानने और बाइबल की आशा से खुशी पाने में दूसरों की मदद कर रहे हैं, उसी तरह उस नयी दुनिया में टोमास की भी मदद करें।

जी हाँ, यह है परमेश्‍वर के वचन की ताकत!

[फुटनोट]

^ नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 6 पर तसवीर]

इंसान का शरीर एक बेमिसाल रचना है

[चित्र का श्रेय]

Anatomy Improved and Illustrated, London, 1723, Bernardino Genga