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आज की दुनिया में शादी कामयाब हो सकती है

आज की दुनिया में शादी कामयाब हो सकती है

आज की दुनिया में शादी कामयाब हो सकती है

“प्रेम को, जो एकता का सिद्ध बन्ध[] है, धारण कर लो।”कुलुस्सियों 3:14, NHT.

1, 2. (क) मसीही कलीसिया में क्या देखकर हमें खुशी होती है? (ख) एक कामयाब शादीशुदा ज़िंदगी किसे कहते हैं?

 मसीही कलीसिया में जब हम कई जोड़ों को देखते हैं जो अपनी शादी के 10, 20, 30 या उससे ज़्यादा साल बाद भी वफादारी से एक-दूसरे का साथ निभा रहे हैं, तो क्या हमें खुशी नहीं होती? ज़रूर होती है। इन जोड़ों ने सुख-दुःख में एक-दूसरे का साथ निभाया है।—उत्पत्ति 2:24.

2 मगर उनमें से ज़्यादातर जोड़े यही कबूल करेंगे कि उनकी शादीशुदा ज़िंदगी फूलों की सेज नहीं है। एक स्त्री ने कहा: “खुशहाल शादीशुदा ज़िंदगी का यह मतलब नहीं कि इसमें कोई परेशानी नहीं, कोई समस्या नहीं। इसमें अच्छा वक्‍त भी आता है और बुरा वक्‍त भी . . . मगर . . . जो लोग अपनी शादी से खुश हैं, उन्होंने ऐसे [उतार-चढ़ाव] के बावजूद एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा है।” अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में कामयाब पति-पत्नियों ने, खासकर बच्चों की परवरिश करनेवाले माता-पिता ने उन सभी दबावों और मुश्‍किलों का सामना करना सीखा है, जो घर-परिवार की देखभाल करने में आती ही हैं। इन जोड़ों ने अपने तजुरबे से सीखा है कि सच्चा प्रेम “कभी टलता नहीं।”—1 कुरिन्थियों 13:8.

3. शादी और तलाक के बारे में आँकड़े क्या बताते हैं, और इससे कौन-से सवाल उठते हैं?

3 लेकिन, दूसरी तरफ दुनिया में करोड़ों शादियाँ टूटकर बिखर रही हैं। एक रिपोर्ट कहती है: “अनुमान लगाया गया है कि आज, अमरीका में शादीशुदा जोड़ों की कुल गिनती में से आधे लोग आगे चलकर तलाक लेंगे। उनमें से आधे लोगों का [तलाक] शादी के पहले 7.8 सालों में होगा . . . दोबारा शादी करनेवाले 75 प्रतिशत में से 60 प्रतिशत आगे चलकर दोबारा तलाक लेंगे।” एक ज़माने में जिन देशों में तलाक की दर बहुत कम होती थी, अब वहाँ भी यह दर आसमान छू रही है। जापान इसकी एक मिसाल है। हाल के सालों में वहाँ तलाक की दर दुगुनी हो गयी है। ऐसे कौन-से दबाव हैं जिनकी वजह से परिवारों की ऐसी हालत हो गयी है और जिनका असर कभी-कभी मसीही कलीसियाओं में भी देखने को मिलता है? हालाँकि शैतान इस बंधन को तोड़ने की पुरज़ोर कोशिश कर रहा है, मगर शादी को कामयाब बनाने के लिए क्या करने की ज़रूरत है?

फंदों से खबरदार

4. किन वजहों से शादी का बंधन कमज़ोर पड़ सकता है?

4 परमेश्‍वर का वचन हमें यह समझने में मदद देता है कि किन वजहों से शादी का बंधन कमज़ोर पड़ सकता है। मसलन, गौर कीजिए प्रेरित पौलुस ने अंतिम दिनों के हालात के बारे में क्या कहा था: “अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र। मयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्‍वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्‍वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे। वे भक्‍ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्‍ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना।”—2 तीमुथियुस 3:1-5.

5. यह क्यों कहा जाता है कि एक “अपस्वार्थी” पति या पत्नी अपने ही हाथों से अपनी शादी को बरबाद करता/ती है, और बाइबल इस मामले में क्या सलाह देती है?

5 पौलुस के शब्दों की जाँच करने पर हम पाते हैं कि उसने ऐसी कई बातों का ज़िक्र किया जिनसे शादी टूट सकती है। मिसाल के लिए, जो लोग “अपस्वार्थी” होते हैं, वे दूसरों की रत्ती भर भी परवाह नहीं करते। जो पति-पत्नी सिर्फ खुद से प्यार करते हैं, वे बस अपनी बात मनवाने पर अड़े रहते हैं। वे अपने जीवन-साथी की खुशी के लिए ज़रा भी झुकने को तैयार नहीं होते। क्या ऐसा रवैया उनकी शादीशुदा ज़िंदगी को खुशहाल बनाएगा? बिलकुल नहीं। प्रेरित पौलुस ने मसीहियों के साथ-साथ शादीशुदा जोड़ों को भी यह बुद्धि-भरी सलाह दी: “[तुम] विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे।”—फिलिप्पियों 2:3, 4.

6. रुपए का लोभ, शादी के रिश्‍ते को कैसे धीरे-धीरे खत्म कर सकता है?

6 रुपए का लोभ, पति-पत्नी के बीच दरार पैदा कर सकता है। पौलुस ने खबरदार किया: “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं। क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्‍वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।” (1 तीमुथियुस 6:9, 10) अफसोस कि आज कई शादीशुदा जोड़े वही दर्दनाक अंजाम भुगत रहे हैं जिसके बारे में पौलुस ने चेतावनी दी थी। दौलत बटोरने की धुन में कई पति-पत्नी अपने साथी की ज़रूरतें पूरी करने में लापरवाह हो जाते हैं। साथ ही, वे जज़्बाती तौर पर एक-दूसरे को सहारा देने और लगातार साथ रहकर प्यार का एहसास देने की बुनियादी ज़रूरत को भी अनदेखा कर देते हैं।

7. कुछ मामलों में किस तरह का व्यवहार एक साथी की बेवफाई का कारण बना है?

7 पौलुस ने यह भी कहा कि इन अंतिम दिनों में कुछ लोग ‘मयारहित, क्षमारहित, विश्‍वासघाती’ होंगे। शादी की शपथ खाकर एक जोड़ा मरते दम तक एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा करता है, इसलिए इस बंधन में बेवफाई के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। (मलाकी 2:14-16) मगर कुछ लोग अपने साथी को छोड़ किसी दूसरे में रोमानी दिलचस्पी लेने लगते हैं। एक पति ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया जिसकी उम्र तीस-पैंतीस के आस-पास है। पत्नी का कहना है कि उसे छोड़ने से पहले ही उसका पति दूसरी स्त्रियों के साथ कुछ ज़्यादा ही घुल-मिल कर बातें करता था। पति यह समझने से चूक गया कि ऐसा व्यवहार एक शादीशुदा आदमी के लिए ठीक नहीं है। यह देखकर पत्नी को बहुत दुःख पहुँचा और उसने प्यार से उसे समझाने की कोशिश भी की कि ऐसा व्यवहार खतरे से खाली नहीं। फिर भी उसने उन चेतावनियों पर ध्यान देना न चाहा। नतीजा, वह व्यभिचार के उसी फँदे में जा गिरा जिसके बारे में उसे चिताया गया था।—नीतिवचन 6:27-29.

8. एक इंसान कब व्यभिचार कर बैठता है?

8 “जो परस्त्रीगमन करता है वह निरा निर्बुद्ध है; जो अपने प्राणों को नाश करना चाहता है, वही ऐसा करता है।” (नीतिवचन 6:32) बाइबल व्यभिचार के खिलाफ कितने साफ शब्दों में खबरदार करती है! आम तौर पर व्यभिचार अचानक, जज़्बात में बहकर की जानेवाली कोई गलती नहीं होती। जैसा बाइबल लेखक याकूब बताता है, एक इंसान व्यभिचार जैसा पाप तभी करता है जब उसके मन में इसका ख्याल आता है और वह उसके बारे में सोचता रहता है। (याकूब 1:14, 15) गलती करनेवाला धीरे-धीरे अपने साथी से वफादारी निभाना छोड़ देता है, जिसके संग उसने उम्र-भर रहने की कसमें खायी थीं। यीशु ने कहा था: “तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, कि व्यभिचार न करना। परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।”—मत्ती 5:27, 28.

9. नीतिवचन 5:18-20 में कौन-सी बुद्धि-भरी सलाह दी गयी है?

9 इसलिए, नीतिवचन की किताब में जो बढ़ावा दिया गया है, उसके मुताबिक काम करना बुद्धिमानी है और उससे पति-पत्नी एक-दूसरे के वफादार रहेंगे: “तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, प्रिय हरिणी वा सुन्दर सांभरनी के समान उसके स्तन सर्वदा तुझे संतुष्ट रखे, और उसी का प्रेम नित्य तुझे आकर्षित करता रहे। हे मेरे पुत्र, तू अपरिचित स्त्री पर क्यों मोहित हो, और पराई को क्यों छाती से लगाए?”—नीतिवचन 5:18-20.

शादी करने में जल्दबाज़ी मत कीजिए

10. अपने होनेवाले साथी को जानने के लिए वक्‍त देना क्यों अक्लमंदी है?

10 शादीशुदा ज़िंदगी में मुश्‍किलें तब खड़ी हो सकती हैं, जब एक जोड़ा चट मँगनी पट ब्याह कर लेता है। शायद उनकी उम्र कच्ची हो और उन्हें ज़्यादा तजुरबा न हो। या हो सकता है उन्होंने एक-दूसरे की पसंद-नापसंद, ज़िंदगी के लक्ष्यों, एक-दूसरे के परिवार के बारे में जानने के लिए ज़्यादा वक्‍त न दिया हो। सब्र से काम लेने और अपने होनेवाले साथी को अच्छी तरह जानने में ही अक्लमंदी है। इसहाक के बेटे याकूब को ही लीजिए। राहेल से शादी करने के लिए उसे सात साल तक अपने होनेवाले ससुर के लिए काम करना पड़ा। वह इतने साल रुकने को इसलिए तैयार था क्योंकि वह सिर्फ राहेल के रंग-रूप से नहीं बल्कि उससे सच्चा प्यार करता था।—उत्पत्ति 29:20-30.

11. (क) शादी में किस-किसका मेल होता है? (ख) शादीशुदा ज़िंदगी में सोच-समझकर अपनी ज़बान का इस्तेमाल करना क्यों ज़रूरी है?

11 शादी सिर्फ दो प्यार करनेवालों का मिलन नहीं है। यह ऐसे दो इंसानों को एक बंधन में बाँधती है जिनकी परवरिश, शख्सियत, भावनाएँ और अकसर शिक्षा भी एक-दूसरे से अलग होती है। कभी-कभी तो शादी के ज़रिए दो अलग संस्कृतियों का भी मेल होता है। यहाँ तक कि इसमें अलग-अलग भाषा बोलनेवाले दो जन एक हो जाते हैं। अगर लड़के-लड़की में ये फर्क न भी हों, तो भी शादी दो ऐसे लोगों को जोड़ती है जो हर मामले में अलग-अलग राय रखते हैं। और वे जिस तरह अपनी राय ज़ाहिर करते हैं, उसका असर काफी हद तक उनकी शादी पर पड़ता है। वे या तो बात-बात पर नुक्स निकाल सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं, या फिर प्यार से एक-दूसरे का हौसला बढ़ा सकते हैं। जी हाँ, अपनी बातों से हम या तो अपने जीवन-साथी को चोट पहुँचा सकते हैं या उसके ज़ख्मों पर मरहम लगा सकते हैं। अपनी ज़बान पर लगाम न लगाने से शादीशुदा ज़िंदगी में भारी तनाव पैदा हो सकता है।—नीतिवचन 12:18; 15:1, 2; 16:24; 21:9; 31:26.

12, 13. शादी के बारे में कौन-सा सही नज़रिया रखने का बढ़ावा दिया गया है?

12 इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए, अपने होनेवाले साथी को जानने के लिए भरपूर समय देना समझदारी है। एक बुज़ुर्ग, शादीशुदा मसीही बहन ने एक बार कहा: “जब आप किसी से शादी करने की सोचते हैं, तो सबसे पहले ऐसे दस ज़रूरी गुणों के बारे में सोचिए जो आप उसमें देखना चाहेंगे। अगर आप उसमें सिर्फ सात गुण देखते हैं तो खुद से पूछिए: ‘उसमें जिन तीन गुणों की कमी है, क्या मैं उन्हें अनदेखा करने को तैयार हूँ? क्या मैं रोज़ाना उन तीन कमियों को बरदाश्‍त कर पाऊँगा/गी?’ अगर आपके मन में ज़रा भी शक है, तो कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लीजिए।” यह सच है कि आपको हद-से-ज़्यादा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अगर आप शादी करना चाहते हैं, तो यह सच्चाई ध्यान में रखें कि आपको ऐसा साथी कभी नहीं मिलेगा जिसमें कोई खोट न हो। और जो आपसे शादी करेगा उसे भी ऐसा साथी नहीं मिलेगा जिसमें कोई खोट न हो।—लूका 6:41.

13 शादीशुदा ज़िंदगी में कई त्याग करने पड़ते हैं। इसी बात पर ज़ोर देते हुए पौलुस ने कहा: “मैं यह चाहता हूं, कि तुम्हें चिन्ता न हो: अविवाहित पुरुष प्रभु की बातों की चिन्ता में रहता है, कि प्रभु को क्योंकर प्रसन्‍न रखे। परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है, कि अपनी पत्नी को किस रीति से प्रसन्‍न रखे। विवाहिता और अविवाहिता में भी भेद है: अविवाहिता प्रभु की चिन्ता में रहती है, कि वह देह और आत्मा दोनों में पवित्र हो, परन्तु विवाहिता संसार की चिन्ता में रहती है, कि अपने पति को प्रसन्‍न रखे।”—1 कुरिन्थियों 7:32-34.

क्यों कुछ शादियाँ टूटकर बिखर जाती हैं

14, 15. किस बात से शादी का बंधन कमज़ोर पड़ सकता है?

14 हाल ही में एक मसीही बहन एक भयानक दौर से गुज़री जब शादी के 12 साल बाद उसके पति ने किसी दूसरी औरत के लिए उसे तलाक दे दिया। क्या शादी टूटने से पहले बहन को इस खतरे के कुछ आसार नज़र आए? वह अपने पति के बारे में कहती है: “वह ऐसे मुकाम पर पहुँच गया था जब उसने प्रार्थना करना पूरी तरह से बंद कर दिया था। मसीही सभाओं और प्रचार में न जाने के लिए वह छोटे-छोटे बहाने बनाने लगा। और जब मैं कभी उससे अपने साथ वक्‍त बिताने को कहती तो वह यह कहकर टाल देता कि मेरे पास फुरसत नहीं या मैं बहुत थका हुआ हूँ। वह मुझसे सीधे मुँह बात तक नहीं करता था। और हमारे बीच आध्यात्मिक बातें तो होती ही नहीं थीं। वह कितना बदल गया है, यह देखकर मुझे बहुत दुःख होता। ऐसा लगता है मानो वह मेरा पति नहीं कोई अजनबी हो।”

15 बाकी लोगों ने भी अपने जीवन-साथी में कुछ ऐसे ही आसार देखे जैसे निजी बाइबल अध्ययन न करना, प्रार्थना न करना या मसीही सभाओं में न जाना। दूसरे शब्दों में कहें तो कई लोग जो अपने जीवन-साथी को छोड़ देते हैं, उसकी एक वजह यह होती है कि उन्होंने यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को कमज़ोर पड़ने दिया था। नतीजा, आध्यात्मिक बातों से उनका ध्यान भटक गया। यहोवा उनके लिए अब एक जीवित परमेश्‍वर नहीं रहा। वादा की गयी नयी दुनिया जिसमें धार्मिकता होगी, उनके लिए हकीकत नहीं रही। कुछ मामलों में तो वे अपने साथी के साथ बेवफाई करने से बहुत पहले आध्यात्मिक बातों में कमज़ोर पड़ चुके थे।—इब्रानियों 10:38, 39; 11:6; 2 पतरस 3:13, 14.

16. किस बात से शादी मज़बूत होती है?

16 इसके बिलकुल उलट, एक जोड़ा जो अपनी शादी से बहुत खुश है, कहता है कि यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ते की बदौलत ही उनकी शादीशुदा ज़िंदगी सुखी है। वे साथ मिलकर प्रार्थना और अध्ययन करते हैं। पति का कहना है: “हम साथ-साथ बाइबल पढ़ते हैं। एक-साथ प्रचार में निकलते हैं। साथ मिलकर अलग-अलग काम करना हमें बहुत अच्छा लगता है।” सबक बिलकुल साफ है: यहोवा के साथ एक बढ़िया रिश्‍ता बनाए रखने से ही शादी मज़बूत होती है।

सही नज़रिया रखिए और बातचीत कीजिए

17. (क) किन दो बातों से शादी खुशहाल और कामयाब होती है? (ख) पौलुस ने मसीही प्यार का बखान कैसे किया?

17 शादी को खुशहाल और कामयाब बनाने में दो और बातें मदद करती हैं। वे हैं, मसीही प्रेम रखना और आपस में बातचीत करना। अकसर ऐसा होता है कि जब दो लोगों को प्यार हो जाता है, तो उन्हें एक-दूसरे में कोई ऐब नज़र नहीं आता। शायद वे रोमानी उपन्यासों या फिल्मों में जो पढ़ते और देखते हैं, उसकी वजह से शादी के बारे में हवाई किले बनाने लगते हैं और शादी कर लेते हैं। मगर जैसे-जैसे दिन, महीने, साल गुज़रते हैं, उस जोड़े का हकीकत से आमना-सामना होता है। तब उन छोटी-मोटी खामियों या आदतों को बरदाश्‍त करना मुश्‍किल हो जाता जो पहले नहीं खलती थीं। अगर ऐसा होता है तो मसीहियों को आत्मा के फल दिखाने की ज़रूरत है और उसका एक फल है, प्रेम। (गलतियों 5:22, 23) जी हाँ, रोमानी प्यार से ज़्यादा मसीही प्रेम में गज़ब की ताकत होती है। इस प्रेम के बारे में पौलुस ने यह बखान किया: “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; . . . वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। . . . वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।” (1 कुरिन्थियों 13:4-7) इससे साफ है कि सच्चा प्यार इंसान की कमज़ोरियों को सह लेता है। ऐसा प्यार अंधा नहीं होता, वह यह मानकर नहीं चलता कि दूसरे में कोई खोट होना ही नहीं चाहिए।—नीतिवचन 10:12.

18. बातचीत करने से पति-पत्नी का रिश्‍ता कैसे मज़बूत हो सकता है?

18 शादी में बातचीत का होना भी ज़रूरी है। शादी को चाहे कितने भी साल क्यों न बीत गए हों, मगर पति-पत्नी को एक-दूसरे से बात करनी और एक-दूसरे की सुननी चाहिए। एक पति कहता है: “हमारे दिल में जो आता है, वह हम एक-दूसरे को बताने से कभी नहीं हिचकिचाते, मगर हम प्यार से ऐसा करते हैं।” सालों से साथ रहने की वजह से पति-पत्नी न सिर्फ कही गयी बात सुनते हैं बल्कि अनकही बात को भी भाँप लेते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो शादी के बंधन से सुख पानेवाले पति-पत्नी अपने साथी के उन विचारों और भावनाओं को भी समझ लेते हैं जिन्हें उनका साथी शायद ज़बान पर न लाए। कुछ पत्नियों का कहना है कि उनके पति उनकी बात ठीक से नहीं सुनते। कुछ पतियों की शिकायत है कि उनकी पत्नियाँ हमेशा गलत वक्‍त पर बात करना चाहती हैं। बातचीत करने में प्यार और समझ से काम लेना ज़रूरी है। अच्छी बातचीत से पति-पत्नी दोनों को फायदा होता है।—याकूब 1:19.

19. (क) माफी माँगना क्यों मुश्‍किल हो सकता है? (ख) माफी माँगने के लिए क्या बात हमें उभारेगी?

19 बातचीत करने में कभी-कभी माफी माँगना ज़रूरी होता है। मगर यह आसान नहीं है। अपनी गलतियों को कबूल करने के लिए एक इंसान को सचमुच नम्र होना चाहिए। लेकिन माफी माँगने से शादी का बंधन कितना मज़बूत हो जाता है! अगर एक साथी दिल से माफी माँगे तो झगड़ा बढ़ने के बजाय वहीं खत्म हो जाता है। इससे दूसरे साथी के लिए उसे दिल से माफ करना आसान हो जाता है और उस समस्या से निपटा जा सकता है। पौलुस ने कहा: “यदि किसी को किसी पर दोष देने का कोई कारण हो तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो। जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। इन सब के ऊपर प्रेम को, जो एकता का सिद्ध बन्ध[न] है, धारण कर लो।”—कुलुस्सियों 3:13, 14, NHT.

20. अकेले में या दूसरों की मौजूदगी में एक मसीही को अपने जीवन-साथी के साथ कैसे पेश आना चाहिए?

20 शादी में एक-दूसरे का साथ देना भी ज़रूरी है। मसीही पति-पत्नी को एक-दूसरे पर अटूट विश्‍वास होना चाहिए। उन्हें अपने साथी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए, न ही दूसरे तरीकों से उनके आत्म-विश्‍वास को ठेस पहुँचानी चाहिए। शादीशुदा मसीही होने के नाते हम चाहते हैं कि हम अपने जीवन-साथी की तारीफ करने के लिए जाने जाएँ, न कि बेरहमी से उसकी नुक्‍ताचीनी करने के लिए। (नीतिवचन 31:28ख) सबके सामने उसका मज़ाक बनाकर हम उसका अपमान करना नहीं चाहेंगे। (कुलुस्सियों 4:6) समय-समय पर उसे अपने प्यार का यकीन दिलाकर भी हम उसका अच्छा साथ दे सकते हैं। शायद एक कोमल स्पर्श या प्यार के दो लफ्ज़ कहने से उसे इस बात का एतबार हो: “मैं अब भी तुमसे बेइंतहा मुहब्बत करता हूँ। मैं खुश हूँ कि तुम मेरे पास, मेरे साथ हो।” इन छोटी-छोटी बातों से ही रिश्‍ते मज़बूत होते हैं और आज की दुनिया में भी शादी कामयाब होती है। बाइबल, शादीशुदा ज़िंदगी को खुशहाल बनाने के लिए ऐसी और भी कई सलाह देती है, जिनके बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी। *

[फुटनोट]

^ ज़्यादा जानकारी के लिए, पारिवारिक सुख का रहस्य किताब देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आप समझा सकते हैं?

• शादी का बंधन किन वजहों से कमज़ोर पड़ सकता है?

• जल्दबाज़ी में शादी करना अक्लमंदी क्यों नहीं है?

• आध्यात्मिकता का शादी पर कैसा असर पड़ता है?

• किन बातों से शादी मज़बूत होती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 12 पर तसवीर]

शादी सिर्फ दो प्यार करनेवालों का मिलन नहीं है

[पेज 14 पर तसवीरें]

यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ता रखने से ही एक जोड़ा अपनी शादी को कामयाब बना सकता है