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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ने का आनंद लिया है? देखिए कि क्या आप नीचे दिए गए सवालों के जवाब जानते हैं या नहीं:

यीशु का जन्मदिन मनाने के लिए दिसंबर 25 ही क्यों चुना गया था?

परमेश्‍वर के वचन में यीशु के जन्म की तारीख नहीं बतायी गयी है। एनसीक्लोपेड्या ईस्पानीका कहती है: “पच्चीस दिसंबर को यीशु का जन्मदिन इसलिए नहीं चुना गया कि लोग सही-सही पता लगाकर इस तारीख पर पहुँचे हैं, बल्कि यह इसलिए मनाया जाता है क्योंकि . . . सर्दियों के मौसम में (दक्षिण अयनांत) जब दिन लंबे होने लगते थे, तो इस खुशी में जो त्योहार मनाया जाता था, उसी को आगे चलकर ईसाई रूप दे दिया गया और क्रिसमस के तौर पर मनाया जाने लगा।” पुराने ज़माने के रोमी लोग सर्दियों के इस त्योहार में बड़ी-बड़ी दावतें रखते, रंग-रलियाँ मनाते और एक-दूसरे को तोहफे दिया करते थे।—12/15, पेज 4-5.

क्या प्रेरितों 7:59 का यह मतलब है कि स्तिफनुस ने यीशु से प्रार्थना की थी?

नहीं। बाइबल दिखाती है कि प्रार्थना सिर्फ यहोवा परमेश्‍वर से की जानी चाहिए। स्तिफनुस ने यीशु को दर्शन में देखा था, तो ज़ाहिर है कि उसने बेझिझक सीधे यीशु से यह अपील की: “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर।” स्तिफनुस जानता था कि यीशु को मरे हुओं को ज़िंदा करने का अधिकार दिया गया है। (यूहन्‍ना 5:27-29) इसलिए उसने यीशु से गुज़ारिश की कि वह उस दिन तक उसकी आत्मा या जीवन-शक्‍ति को महफूज़ रखे जब वह उसे दोबारा ज़िंदा करता।—1/1, पेज 31.

हम यह कैसे जानते हैं कि इंसान का भविष्य पहले से तय नहीं है?

परमेश्‍वर ने हमें अपना फैसला खुद करने की आज़ादी दी है, इसलिए किस्मत का सवाल ही नहीं उठता। अगर यहोवा हमारे पैदा होने से पहले ही यह तय कर देता कि हम कैसे-कैसे काम करेंगे और फिर उन कामों के लिए हमें कसूरवार ठहराता, तो वह कठोर और अन्यायी परमेश्‍वर होता। (व्यवस्थाविवरण 32:4; 1 यूहन्‍ना 4:8)—1/15, पेज 4-5.

ऐसा कहना क्यों गलत होगा कि चमत्कारों का होना नामुमकिन है?

कुछ वैज्ञानिक कबूल करते हैं कि परमेश्‍वर की सृष्टि में होनेवाले हैरतअँगेज़ कामों को वे पूरी तरह नहीं समझते, इसलिए वे दावे के साथ नहीं कह सकते कि फलाँ घटना कभी घट ही नहीं सकती। ज़्यादा-से-ज़्यादा, वे बस इतना कहते हैं कि ऐसी घटना घटने की गुंजाइश कम है।—2/15, पेज 5.

न्यायी शिमशोन ने अपने माता-पिता से ऐसा क्यों कहा कि वह एक पलिश्‍ती स्त्री से शादी करना चाहता है? (न्यायियों 14:2)

झूठे देवताओं की बंदगी करनेवाली किसी औरत से शादी करना परमेश्‍वर के कानून के खिलाफ था। (निर्गमन 34:11-16) फिर भी, पलिश्‍ती स्त्री शिमशोन को सबसे “अच्छी” लगी। शिमशोन ‘पलिश्‍तियों के विरुद्ध दांव ढूंढ़ रहा था’ और इस मकसद को अंजाम देने के लिए यह स्त्री बिलकुल सही थी। परमेश्‍वर ने अपनी आत्मा देकर शिमशोन की मदद की। (न्यायियों 13:25; 14:3, 4, 6)—3/15, पेज 25-26.

क्या एक मसीही को चाहिए कि वह किसी सरकारी कर्मचारी को उसकी सेवाओं के लिए बख्शिश या तोहफा दे?

एक अफसर को गैरकानूनी काम करने, नाइंसाफी करने या अपना मतलब पूरा करवाने के लिए रिश्‍वत या कुछ कीमती चीज़ देना गलत है। लेकिन जनता के किसी सेवक से कोई जायज़ काम करवाने के लिए या किसी नाइंसाफी से बचने के लिए तोहफा या बख्शिश देना रिश्‍वतखोरी नहीं।—4/1, पेज 29.