इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

किसका पुनरुत्थान होगा?

किसका पुनरुत्थान होगा?

किसका पुनरुत्थान होगा?

“इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने [“स्मारक,” NW] कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।”यूहन्‍ना 5:28.

1. मूसा को जलती हुई झाड़ी से क्या ऐलान सुनायी दिया, और इन शब्दों को बाद में किसने दोहराया?

 आज से 3,500 साल पहले एक बहुत ही अजब घटना घटी। मूसा, कुलपिता यित्रो की भेड़ों को चरा रहा था। तभी, होरेब पर्वत के पास यहोवा के एक स्वर्गदूत ने मूसा को दर्शन दिया। वह एक झाड़ी में लगी आग की लपटों में से उससे बात कर रहा था। निर्गमन की किताब कहती है: “उस ने दृष्टि उठाकर देखा कि झाड़ी जल रही है, पर भस्म नहीं होती।” फिर उसी झाड़ी में से एक आवाज़ ने उसे पुकारा और कहा: “मैं तेरे पिता का परमेश्‍वर, और इब्राहीम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर, और याक़ूब का परमेश्‍वर हूं।” (निर्गमन 3:1-6) बरसों बाद, सामान्य युग पहली सदी में यही शब्द दोहराए गए थे और इन्हें दोहरानेवाला कोई और नहीं बल्कि परमेश्‍वर का अपना बेटा, यीशु था।

2, 3. (क) इब्राहीम, इसहाक और याकूब के लिए भविष्य में क्या इनाम रखा है? (ख) क्या सवाल पैदा होते हैं?

2 यीशु उस वक्‍त कुछ सदूकियों से बात कर रहा था, जो पुनरुत्थान पर विश्‍वास नहीं करते थे। यीशु ने कहा: “इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा ने भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, कि वह प्रभु [यहोवा] को इब्राहीम का परमेश्‍वर, और इसहाक का परमेश्‍वर, और याकूब का परमेश्‍वर कहता है। परमेश्‍वर तो मुरदों का नहीं परन्तु जीवतों का परमेश्‍वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं।” (लूका 20:27, 37, 38) ये शब्द कहकर यीशु ने यह बात पक्की की कि सदियों पहले मर चुके इब्राहीम, इसहाक और याकूब परमेश्‍वर की नज़र में आज भी ज़िंदा हैं और उसकी याद में बसे हुए हैं। अय्यूब की तरह वे भी अपनी “कठिन सेवा” यानी मौत की नींद के खत्म होने तक इंतज़ार कर रहे हैं। (अय्यूब 14:14) परमेश्‍वर की नयी दुनिया में इनका पुनरुत्थान किया जाएगा।

3 मगर उन अरबों लोगों का क्या, जो इंसानी इतिहास की शुरूआत से लेकर अब तक मर चुके हैं? क्या उन्हें भी पुनरुत्थान मिलेगा? इस सवाल का सही और तसल्लीबख्श जवाब हासिल करने से पहले, आइए हम परमेश्‍वर के वचन से पता लगाएँ कि लोग मरने पर कहाँ जाते हैं।

मरे हुए लोग कहाँ हैं?

4. (क) मरने पर लोग कहाँ जाते हैं? (ख) शीओल क्या है?

4 बाइबल कहती है कि मरे हुए “कुछ भी नहीं जानते।” मरने पर, न तो मरनेवाले को नरक की आग में तड़पाया जाता है और ना ही वह लिम्बो जैसी किसी जगह पर पीड़ा सहते हुए इंतज़ार करता रहता है। इसके बजाय वह मिट्टी में मिल जाता है। इसलिए परमेश्‍वर का वचन जीनेवालों को यह सलाह देता है: “जो काम तुझे मिले उसे अपनी शक्‍ति भर करना, क्योंकि अधोलोक [शीओल] में जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्‍ति न ज्ञान और न बुद्धि है।” (सभोपदेशक 9:5, 10; उत्पत्ति 3:19) बहुत-से लोग “शीओल” शब्द के बारे में नहीं जानते। यह एक इब्रानी शब्द है जो कहाँ से निकला है इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। बहुत-से धर्मों में सिखाया जाता है कि मरे हुए अब भी ज़िंदा हैं, मगर परमेश्‍वर का प्रेरित वचन जैसे दिखाता है, शीओल में जो हैं वे मर चुके हैं, उन्हें किसी बात का होश नहीं है। शीओल, इंसानों की आम कब्र है।

5, 6. मरने पर याकूब कहाँ गया, और वहाँ उसके साथ-साथ कौन दफन थे?

5 बाइबल में पहली बार, “शीओल” शब्द उत्पत्ति 37:35 में आता है। कुलपिता याकूब को लग रहा था कि उसका लाडला बेटा यूसुफ मौत की नींद सो चुका है, इसलिए उसे किसी बात से दिलासा नहीं मिल रहा था। उसने कहा: “मैं तो विलाप करता हुआ अपने पुत्र के पास अधोलोक [शीओल] में उतर जाऊंगा।” याकूब यह मान बैठा था कि उसका बेटा मर चुका है, इसलिए उसकी जीने की चाह मर चुकी थी और वह शीओल जाना चाहता था। बाद में, याकूब के नौ बड़े बेटे उसके सबसे छोटे बेटे, बिन्यामीन को अपने साथ मिस्र ले जाना चाहते थे ताकि अकाल के वक्‍त वे वहाँ से थोड़ी मदद पा सकें। मगर याकूब ने उसे ले जाने से इनकार कर दिया और कहा: “मेरा पुत्र तुम्हारे संग न जाएगा; क्योंकि उसका भाई मर गया है, और वह अब अकेला रह गया: इसलिये जिस मार्ग से तुम जाओगे, उस में यदि उस पर कोई विपत्ति आ पड़े, तब तो तुम्हारे कारण मैं इस बुढ़ापे की अवस्था में शोक के साथ अधोलोक [शीओल] में उतर जाऊंगा।” (उत्पत्ति 42:36, 38) इन दोनों आयतों में शीओल को मौत के साथ जोड़ा गया है न कि मरने के बाद की ज़िंदगी के साथ।

6 उत्पत्ति के वृत्तांत के मुताबिक याकूब का बेटा यूसुफ मिस्र के अनाज के भण्डारों का अधिकारी बन गया था। इसलिए, याकूब वहाँ गया और अपने बेटे से मिलकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसके बाद, याकूब ने अपनी बाकी ज़िंदगी मिस्र देश में ही गुज़ारी और 147 साल की लंबी ज़िंदगी जीकर वह चल बसा। मरने से पहले याकूब ने यह ख्वाहिश ज़ाहिर की कि उसकी अस्थियों को कनान देश में मकपेला की गुफा में दफनाया जाए। उसके बेटों ने उसकी यह आखिरी ख्वाहिश पूरी की। (उत्पत्ति 47:28; 49:29-31; 50:12, 13) याकूब को उसी कब्र में दफनाया गया जहाँ उसके पिता इसहाक और दादा इब्राहीम दफन थे।

‘अपने पुरखों के साथ जा मिला’

7, 8. (क) मरने पर इब्राहीम कहाँ गया? समझाइए। (ख) क्या बात दिखाती है कि दूसरे भी मरने पर शीओल गए?

7 इससे पहले, जब यहोवा ने इब्राहीम के साथ अपनी वाचा को पक्का किया था और वादा किया था कि उसका वंश बढ़कर अनगिनत हो जाएगा, तब उसने इशारा किया कि इब्राहीम का क्या होगा। यहोवा ने कहा: “तू तो अपने पितरों में कुशल के साथ मिल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे में मिट्टी दी जाएगी।” (उत्पत्ति 15:15) और यही हुआ। उत्पत्ति 25:8 कहता है: “इब्राहीम का दीर्घायु होने के कारण अर्थात्‌ पूरे बुढ़ापे की अवस्था में प्राण छूट गया। और वह अपने लोगों में जा मिला।” ये लोग कौन थे? उत्पत्ति 11:10-26 में दर्ज़ इब्राहीम के पुरखों का ब्यौरा हमें नूह के पुत्र शेम तक ले जाता है। तो फिर, ये लोग इब्राहीम के पुरखे थे जो पहले से शीओल में मौत की नींद सो रहे थे, और इब्राहीम उन्हीं के साथ जा मिला।

8 ये शब्द, “अपने लोगों में जा मिला” इब्रानी शास्त्र में कई बार आते हैं। तो फिर जिन लोगों के लिए इन्हें इस्तेमाल किया गया, जैसे इब्राहीम के बेटे इश्‍माएल और मूसा के भाई हारून, उनके बारे में यह मानना मुनासिब है कि वे दोनों मरने पर शीओल गए और वहाँ पुनरुत्थान पाने का इंतज़ार कर रहे हैं। (उत्पत्ति 25:17; गिनती 20:23-29) और इसी तरह मूसा भी शीओल गया, हालाँकि उसकी कब्र का किसी को पता नहीं था। (गिनती 27:13; व्यवस्थाविवरण 34:5, 6) वैसे ही मूसा के बाद इस्राएल का अगुवा यहोशू और उस ज़माने की पूरी पीढ़ी मरने पर शीओल गए।—न्यायियों 2:8-10.

9. (क) बाइबल कैसे दिखाती है कि इब्रानी शब्द “शीओल” और यूनानी शब्द “हेडिज़” दोनों शब्द एक ही जगह के लिए हैं? (ख) शीओल या हेडिज़ में जो हैं, उनके आगे क्या आशा रखी है?

9 सदियों बाद दाऊद इस्राएल के 12 गोत्रों का राजा बना। जब उसकी मौत हुई तो वह “अपने पुरखाओं के संग सो गया।” (1 राजा 2:10) क्या वह भी शीओल में था? गौर करने लायक बात है कि सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, प्रेरित पतरस ने दाऊद की मौत का ज़िक्र किया और भजन 16:10 का हवाला दिया: “तू मेरे प्राण को अधोलोक [शीओल] में न छोड़ेगा।” पतरस ने कहा कि दाऊद अब भी अपनी कब्र में है, और फिर इन्हीं शब्दों को उसने यीशु पर लागू किया और यह इशारा किया कि दाऊद ने “होने वाली बातों को पहले से देख कर मसीह के पुनरुत्थान के विषय में कहा, वह न तो अधोलोक [यूनानी में, हेडिज़] में छोड़ा गया और न ही उसकी देह सड़ने पाई। इसी यीशु को परमेश्‍वर ने जीवित किया जिसके हम सब साक्षी हैं।” (प्रेरितों 2:29-32, NHT) पतरस ने यहाँ यूनानी शब्द “हेडिज़” इस्तेमाल किया जो इब्रानी भाषा के शब्द “शीओल” जैसा है। इसलिए, हेडिज़ या शीओल में जिन लोगों के होने की बात कही गयी है उन सभी की हालत एक जैसी है। वे मौत की नींद सो रहे हैं और उन्हें पुनरुत्थान का इंतज़ार है।

क्या अधर्मी जन भी शीओल में हैं?

10, 11. हम क्यों कह सकते हैं कि कुछ अधर्मी जन मरने पर शीओल या हेडिज़ में जाते हैं?

10 मूसा के इस्राएल जाति को मिस्र से निकाल लाने के बाद, वीराने में उनमें से कुछ लोग बगावत पर उतर आए। मूसा ने लोगों से कहा कि खुद को उन बगावती अगुवों, कोरह, दातान और अबीराम से अलग कर लें। उस वक्‍त उनकी बड़े ही खौफनाक तरीके से मौत होनेवाली थी। मूसा ने कहा: “यदि उन मनुष्यों की मृत्यु और सब मनुष्यों के समान हो, और उनका दण्ड सब मनुष्यों के समान हो, तब जानो कि मैं यहोवा का भेजा हुआ नहीं हूं। परन्तु यदि यहोवा अपनी अनोखी शक्‍ति प्रकट करे, और पृथ्वी अपना मुंह पसारकर उनको, और उनका सब कुछ निगल जाए, और वे जीते जी अधोलोक [शीओल] में जा पड़ें, तो तुम समझ लो कि इन मनुष्यों ने यहोवा का अपमान किया है।” (गिनती 16:29, 30) तो फिर, चाहे उनकी मौत धरती के मुँह खोलकर उन्हें निगलने से हुई या फिर आग ने कोरह और उसके 250 लेवी साथियों को भस्म कर दिया, ये सब बागी आखिरकार शीओल या हेडिज़ में गए।—गिनती 26:10.

11 शिमी जिसने राजा दाऊद को शाप दिया था, उसे अपने किए की सज़ा सुलैमान से मिली जो दाऊद के बाद इस्राएल का राजा बना। दाऊद ने सुलैमान को हुक्म दिया था: “अब तू इसे निर्दोष न ठहराना, तू तो बुद्धिमान पुरुष है; तुझे मालूम होगा कि उसके साथ क्या करना चाहिये, और उस पक्के बालवाले का लोहू बहाकर उसे अधोलोक [शीओल] में उतार देना।” सुलैमान ने शिमी को मौत की सज़ा देने के लिए बनायाह को भेजा। (1 राजा 2:8, 9, 44-46) बनायाह की तलवार का एक और शिकार था योआब, जो इस्राएल की सेना का सेनापति रह चुका था। उसके पक्के बाल “अधोलोक [शीओल] में शांति से उतरने न” पाए। (1 राजा 2:5, 6, 28-34) ये दोनों मिसालें दाऊद के ईश्‍वर-प्रेरित गीत की सच्चाई का सबूत हैं: “दुष्ट अधोलोक [शीओल] में लौट जाएंगे, तथा वे सब जातियां भी जो परमेश्‍वर को भूल जाती हैं।”—भजन 9:17.

12. अहीतोपेल कौन था, और मरने पर वह कहाँ गया?

12 अहीतोपेल दाऊद का निजी सलाहकार था। उसकी सलाह को इतना मान दिया जाता था जैसे मानो ये यहोवा के मुँह से निकले वचन हों। (2 शमूएल 16:23) मगर अफसोस, यह भरोसेमंद सेवक गद्दार निकला और उसने दाऊद के खिलाफ उसके बेटे अबशलोम की बगावत में उसका साथ दिया। दाऊद शायद उसी की गद्दारी का ज़िक्र कर रहा था जब उसने लिखा: “जो मेरी नामधराई करता है वह शत्रु नहीं था, नहीं तो मैं उसको सह लेता; जो मेरे विरुद्ध बड़ाई मारता है वह मेरा बैरी नहीं है, नहीं तो उस से छिप जाता।” दाऊद आगे कहता है: “उनको मृत्यु अचानक आ दबाए; वे जीवित ही अधोलोक [शीओल] में उतर जाएं; क्योंकि उनके घर और मन दोनों में बुराइयां और उत्पात भरा है।” (भजन 55:12-15) मरने पर, अहीतोपेल और उसके साथी शीओल में गए।

गेहन्‍ना में कौन हैं?

13. यहूदा को ‘विनाश का पुत्र’ क्यों कहा गया है?

13 दाऊद के हालात और महान दाऊद यीशु पर जो गुज़री, देखिए उसमें क्या-क्या समानता है। मसीह के 12 प्रेरितों में से एक था यहूदा इस्करियोती जिसने अहीतोपेल की तरह गद्दारी की। मगर यहूदा की गद्दारी अहीतोपेल की दगाबाज़ी से कहीं ज़्यादा संगीन थी। यहूदा ने परमेश्‍वर के एकलौते बेटे से गद्दारी की। धरती पर अपनी सेवा की आखिरी घड़ियों में प्रार्थना करते वक्‍त, परमेश्‍वर के बेटे ने अपने चेलों के बारे में कहा: “जब मैं उन के साथ था, तो मैं ने तेरे उस नाम से, जो तू ने मुझे दिया है, उन की रक्षा की, मैं ने उन की चौकसी की और विनाश के पुत्र को छोड़ उन में से कोई नाश न हुआ, इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो।” (यूहन्‍ना 17:12) यहाँ यहूदा इस्करियोती को ‘विनाश का पुत्र’ कहकर, यीशु ने इशारा किया कि जब यहूदा मरता तब उसके लिए फिर से जी उठने की कोई उम्मीद नहीं थी। वह परमेश्‍वर की याद में जीता न रहता। वह शीओल में नहीं, बल्कि गेहन्‍ना में गया। गेहन्‍ना क्या है?

14. गेहन्‍ना किसका चिन्ह था?

14 यीशु ने अपने वक्‍त के धर्मगुरुओं की कड़ी निंदा की, क्योंकि उन्होंने अपने हर चेले को “नरक [“गेहन्‍ना,” NW] का पात्र” बना दिया। (मत्ती 23:15, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) उस ज़माने में लोग, यरूशलेम के बाहर हिन्‍नोम की घाटी के बारे में जानते थे जहाँ कूड़ा-करकट और ऐसे अपराधियों की लाशें फेंक दी जाती थीं जिन्हें मौत के घाट उतारने के बाद इस लायक नहीं समझा जाता था कि इज़्ज़त से दफनाए जाएँ। इससे पहले यीशु ने खुद अपने पहाड़ी उपदेश में गेहन्‍ना का ज़िक्र किया था। (मत्ती 5:29, 30) उसके सुननेवाले जानते थे कि गेहन्‍ना कोई सचमुच की जगह नहीं थी बल्कि किसी बात का एक चिन्ह था। यह मरने पर ऐसे सर्वनाश का चिन्ह था जिसके बाद पुनरुत्थान होने की कोई उम्मीद नहीं। यीशु के दिनों के यहूदा इस्करियोती के अलावा, क्या और लोग भी हैं जो मरने पर शीओल या हेडिज़ नहीं बल्कि गेहन्‍ना गए हैं?

15, 16. कौन लोग मरने पर गेहन्‍ना में गए, और वे वहाँ क्यों गए?

15 पहले इंसानी जोड़े आदम और हव्वा को सिद्ध बनाया गया था। उन्होंने जानबूझकर और पूरे होशो-हवास में पाप किया। उनके आगे या तो हमेशा की ज़िंदगी थी या मौत। उन्होंने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ी और शैतान का पक्ष लिया। जब वे मरे, तो उन्हें मसीह के छुड़ौती बलिदान से फायदा पाने की उम्मीद नहीं थी। इसके बजाय वे गेहन्‍ना में गए।

16 आदम के पहले बेटे कैन ने अपने ही भाई हाबिल की हत्या की और उसके बाद एक खानाबदोश की ज़िंदगी जीता रहा। प्रेरित यूहन्‍ना ने कैन के बारे में कहा कि वह “उस दुष्ट से था।” (1 यूहन्‍ना 3:12) यह मानना सही होगा कि कैन भी अपने माता-पिता की तरह मरने पर गेहन्‍ना में गया। (मत्ती 23:33, 35) धर्मी हाबिल इनसे कितना अलग था! उसके बारे में पौलुस ने कहा: “विश्‍वास ही से हाबील ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्‍वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्‍वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।” (इब्रानियों 11:4) जी हाँ, हाबिल इस वक्‍त शीओल में पुनरुत्थान पाने का इंतज़ार कर रहा है।

‘पहला’ और “उत्तम” पुनरुत्थान

17. (क) इन “अन्त के दिनों में,” कौन शीओल में जाते हैं? (ख) जो शीओल में हैं उनके लिए क्या उम्मीद है और जो गेहन्‍ना में हैं, उनका क्या होगा?

17 बहुत-से लोग जो ये लेख पढ़ेंगे, उनके मन में सवाल होगा कि इन “अन्त के दिनों में” जो मरते हैं, वे किस हालत में हैं। (दानिय्येल 8:19) प्रकाशितवाक्य अध्याय 6, इस वक्‍त के दौरान चार घुड़सवारों की सवारी का बयान करता है। गौर करने लायक बात है कि आखिरी घुड़सवार का नाम मृत्यु है और उसके पीछे-पीछे हेडिज़ या अधोलोक आ रहा है। इस तरह, आगे के घुड़सवार जिन मुसीबतों को दर्शाते हैं, उनकी वजह से जो लोग वक्‍त से पहले मारे जाते हैं वे सभी हेडिज़ को जाते हैं और वहाँ परमेश्‍वर की नयी दुनिया में पुनरुत्थान पाने की आस लगाए हुए हैं। (प्रकाशितवाक्य 6:8) तो फिर, शीओल (या, हेडिज़) और गेहन्‍ना में जानेवालों के लिए आगे क्या रखा है? चंद शब्दों में कहें तो शीओल जानेवाले पुनरुत्थान पाएँगे और गेहन्‍ना जानेवालों का वजूद हमेशा के लिए मिट जाएगा यानी उनका सर्वनाश होगा।

18. “पहिले पुनरुत्थान” से क्या उम्मीद मिलती है?

18 प्रेरित यूहन्‍ना के लिखा: “धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है; ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्‍वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।” यीशु के साथ जो राज करेंगे उनको ‘पहला पुनरुत्थान’ मिलता है। मगर बाकी इंसानों के लिए क्या उम्मीद है?—प्रकाशितवाक्य 20:6.

19. कुछ लोग “उत्तम पुनरुत्थान” से कैसे फायदा पाते हैं?

19 परमेश्‍वर के सेवक, एलिय्याह और एलीशा के ज़माने से पुनरुत्थान के चमत्कार से लोगों को फिर से ज़िंदा किया जाता था। पौलुस उन दिनों के बारे में कहता है: “स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।” जी हाँ, खराई रखनेवाले ये वफादार जन पुनरुत्थान पाने की आस लगाए हुए थे, मगर ऐसा पुनरुत्थान नहीं जो चंद बरसों के लिए उनकी ज़िंदगी बढ़ाता, बल्कि ऐसा पुनरुत्थान जिससे उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती थी! यह वाकई “उत्तम पुनरुत्थान” होगा।—इब्रानियों 11:35.

20. अगले लेख में क्या चर्चा की जाएगी?

20 इससे पहले कि यहोवा इस दुष्ट व्यवस्था का अंत करे, अगर हम उसकी सेवा में वफादार रहकर मरते हैं, तो हमारे पास भी “उत्तम पुनरुत्थान” पाने की पक्की आशा है। यह उत्तम इस मायने में है कि इस पुनरुत्थान को पाने से हमारे आगे हमेशा की ज़िंदगी पाने की उम्मीद है। यीशु ने वादा किया: “इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने [“स्मारक,” NW] कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29) हमारे अगले लेख में चर्चा की गयी है कि पुनरुत्थान क्यों किया जाता है। यह लेख दिखाएगा कि पुनरुत्थान की आशा हमें अपनी खराई बनाए रखने के लिए कैसे मज़बूत करती है और हमारे अंदर खुद को कुरबान कर देनेवाली भावना बढ़ाती है।

क्या आपको याद है?

• यहोवा को क्यों “जीवतों का” परमेश्‍वर कहा गया है?

• शीओल में रहनेवाले किस हाल में हैं?

• गेहन्‍ना में जानेवालों के आगे क्या रखा है?

• कुछ लोग “उत्तम पुनरुत्थान” से कैसे फायदा पाएँगे?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 15 पर तसवीर]

जो लोग शीओल जाते हैं, वे इब्राहीम की तरह पुनरुत्थान पाने का इंतज़ार कर रहे हैं

[पेज 16 पर तसवीरें]

आदम और हव्वा, कैन और यहूदा इस्करियोती गेहन्‍ना क्यों गए?